MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:37 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
126


बहुत अजीब सा मंज़र था. आरू मुझे देखे जा रही थी. उसके होंठों पर मुस्कान थिरक रही थी. लेकिन उसकी आँखों मे आँसू झिलमिला रहे थे. उसकी मासूम आँखो मे आई नमी को पोछने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए.

लेकिन तभी आरू आगे बढ़ कर मेरे सीने से लग गयी और ना जाने कब उसकी आँखों की नमी आँसुओ मे बदल गयी. मैने उसके आँसू पोछने के लिए उसे अपने सीने से अलग करना चाहा तो उसने और भी ज़ोर से मुझे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया.

उसकी इस हरकत को देख, कुछ पल के लिए मेरी आँखों मे भी नमी आ गयी. यही हाल सीरत और सेलिना का भी था और यदि कोई दूसरा ये मंज़र देख रहा होता तो शायद वो भी इस पल मे अपनी आँखों मे नमी आने से ना रोक पाता.

कुछ देर के लिए वक्त जैसे थम सा गया था. सब खामोश थे और बस आरू को देख रहे थे. मैने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा और फिर उसका चेहरा उपर उठा कर उसके आँसू पोछते हुए उस से कहा.

मैं बोला “रो मत पगली. क्या मैं तुझे रुलाने के लिए इतनी दूर आया हूँ. भला अपने जनम दिन के दिन भी कोई रोता है क्या.”

मेरी बात ने अपना असर दिखाया और आरू रोना बंद कर के अपना चेहरा साफ करने लगी. आरू का मूड ठीक होते देख, सीरत ने सेलिना के कान मे कुछ कहा, जिसके बाद सेलिना ने आरू से कहा.

सेलिना बोली “तो पगली, अब हम घूमने चलें.”

सेलिना की बात सुनते ही आरू ने उसे गुस्से मे घूरते हुए देखा और उसे धमकाते हुए कहा.

अर्चना बोली “दीदी, मुझे पगली वगली मत बोलना, वरना मुझसे बुरा कोई नही होगा.”

आरू की धमकी के जबाब मे सीरत ने सेलिना की तरफ़दारी करते हुए आरू से कहा.

सीरत बोली “ओये अभी भैया तुझे पगली बोले तो, तूने उन्हे कुछ नही कहा और जब सेलू ने पगली कहा तो तुझे इतना बुरा लग गया.”

सीरत के इस जबाब के बाद भी आरू के तेवर मे कोई फरक नही पड़ा. उसने अपनी बात दोहराते हुए कहा.

अर्चना बोली “वो मेरे भैया है. वो मुझे कुछ भी बोल सकते है. लेकिन आप दोनो उनकी बराबरी करने की कोसिस मत करो.”

मुझे समझ मे आ गया था कि, ये सब सीरत का ही किया हुआ है. इस से पहले की बात और आगे बड़े, मैने आरू को बात के बीच मे ही रोकते हुए कहा.

मैं बोला “ये बेकार की बहस बंद करो. ये बोलो की, अब हम घूमने चले या फिर वापस घर चले.”

मेरी बात सुनकर, आरू ने बहस करना बंद कर दिया और फिर कुछ सोचते हुए मुझसे कहा.

अर्चना बोली “भैया, क्या मैं अपनी एक सहेली को भी साथ लेकर चल सकती हूँ.”

लेकिन आरू की बात का मेरे कुछ जबाब देने के पहले ही सीरत ने उसे छेड़ते हुए कहा.

सीरत बोली “सिर्फ़ एक सहेली को क्यो. तू ऐसा कर अपनी पूरी स्कूल को साथ ले चल. भैया अभी सबके लिए बस बुला देते है.”

सीरत की बात सुनकर आरू का चेहरा गुस्से से लाल हो गया. इस से पहले की फिर से दोनो की बहस सुरू हो पाती. मैने बीच बचाव करते हुए कहा.

मैं बोला “देख तू इसकी बातों मे मत. ये बेकार मे तुझे झगड़े के लिए उकसा रही है. क्या तू इसकी आदत नही जानती. तू जा और जल्दी से अपनी सहेली को ले आ. वरना सारा समय तेरा इसके सात बहस करने मे ही बीत जाएगा.”

मेरी बात सुनकर आरू ने अपनी जीभ बाहर निकाल कर सीरत को चिड़ाते हुए गाड़ी से बाहर निकल गयी. उसके जाते ही सीरत भी गाड़ी से उतरी और आगे आकर बैठ गयी. पहले मुझे लगा कि वो कुछ बात करने आई है.

लेकिन जब वो आकर चुप चाप बैठी रही तो, मुझे समझते देर नही लगी कि ये आरू को परेशान करने के लिए उसकी सीट पर आकर बैठी है. ये बात मेरे समझ मे आते ही मैने उस से कहा.

मैं बोला “चल तू, वापस जाकर अपनी सीट पर बैठ जा.”

मेरे ऐसा कहने का मतलब सीरत को समझ मे नही आया तो, उसने मुझसे कहा.

सीरत बोली “क्यो, मैने क्या किया. मैं तो चुप चाप बैठी हूँ.”

मैं बोला “मैं तेरे यहाँ आकर बैठने का मतलब अच्छे से समझ रहा हूँ. अब तू आरू को और परेशान मत कर और सीधे से जाकर अपनी सीट पर बैठ जा.”

मेरी बात सीरत के समझ मे आते ही उसने अपनी सफाई देते हुए कहा.

सीरत बोली “अरे भैया, मैं उसे परेशान कहाँ कर रही हूँ. बस थोड़ा सा मज़ाक कर रही हूँ.”

मैं बोला “नही, तूने उसके साथ बहुत मज़ाक कर लिया. अब कोई मज़ाक वजाक नही होगा.”

मेरे इतना बोलते ही सीरत हँसने लगी. उसके हँसने का कारण मुझे समझ नही आया तो मैने उस से कहा.

मैं बोला “मैने कोई हँसने वाली बात तो की नही है. जो तू मेरी बात सुनकर हंस रही है.”

सीरत बोली “भैया, आप सच मे ही आरू के भाई हो.”

मैं बोला “तू कहना क्या चाहती है. साफ साफ बोल, मैं कुछ समझा नही.”

सीरत बोली “यही कि आप भी आरू की तरह बात करने लगे हो.”

मैं बोला “तेरे कहने का क्या मतलब है.”

सीरत बोली “अभी आप बोले की मज़ाक वजाक होगा.”

मैं बोला “तो इसमे क्या हुआ.”

सीरत बोली “अब इतने भोले भी मत बनो. आपको पता है कि आरू भी ऐसे ही बात करती है. वो हर बात को उल्टा सीधा करके बोलती है. जैसे अभी कुछ देर पहले बोली थी कि, गिफ्ट विफ़्ट, पगली वगली वैसे ही आप भी बोले हो.”

सीरत की बात सुनकर, मैं भी अपनी हँसी नही रोक सका और तभी मुझे आरू अपनी सहेली के साथ आती दिखी तो, मैने सीरत से पिछे जाकर बैठने को कहा. लेकिन उसने कहा कि, वो आरू के कहते ही उसे उसकी सीट दे देगी.

मैने उसकी बात मान ली और कुछ ही देर मे आरू गाड़ी के पास आ गयी. लेकिन गाड़ी के पास आते ही सीरत को अपनी सीट पर बैठे देख कर आरू की भवें तन गयी. मगर सीरत पर इस सब का कोई असर नही पड़ा. वो आराम से बैठी मुस्कुराती रही.

इस से पहले की आरू झगड़ा सुरू करती. मैं गाड़ी से उतर कर उसके पास आ गया और उस की सहेली की तरफ देख कर, उस से कहा.

मैं बोला “आरू, अपनी सहेली से मुझे नही मिलवाओगी.”

मुझे अपने पास आते देख, आरू का ध्यान सीरत पर से हट गया था और जब मैने उस से उसकी सहेली से मिलने की बात की तो, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट वापस आ चुकी थी. उसने मुझे अपनी सहेली से मिलाते हुए कहा.

अर्चना बोली “भैया, ये मेरी सहेली निकिता है.”

आरू ने मुझे तो निक्की का परिचय दे दिया था. लेकिन निक्की को मेरा परिचय नही दिया था. इसलिए निक्की ये सब देख कर कुछ असमंजस मे थी. मैने उसकी ये हालत देखी तो उस से कहा.

मैं बोला “हेलो निक्की, मैं अजय आरू का सूरत वाला भाई हूँ.”

मेरे इतना बोलते ही निक्की के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और उसने तपाक से कहा.

निक्की बोली “तो आप है आरू के अजय भैया. लेकिन आप ड्राइवर की यूनिफॉर्म मे क्यो है.”

मैं बोला “हां मैं ही इसका अजय भैया हूँ. ये मुझसे बहुत नाराज़ थी और इसे मनाने के लिए मुझे ड्राइवर बनना पड़ गया.”

निक्की बोली “आरू सच ही कहती थी कि, आप उसके लिए कुछ भी कर सकते है.”

मैं बोला “इसमे नया क्या है. हर भाई अपनी बहन के लिए ये सब करता है. तुम्हारा भाई भी तो तुम्हारे लिए ऐसा ही कुछ करता होगा.”

मेरी बात सुनकर, निक्की कुछ उदास सी हो गयी. उसका उतरा हुआ चेहरा देख कर, मुझे लगा कि शायद मैं कुछ ग़लत कह गया. मैने बात को संभालने की कोसिस करते हुए निक्की से कहा.

मैं बोला “क्या हुआ. क्या मैने कुछ ग़लत कह दिया.”

मेरी बात के जबाब मे निक्की ने बड़ी ही मासूमियत से कहा.

निक्की बोली “मेरा कोई भाई नही है.”

निक्की की बात सुनकर मुझे उसके मासूम से दिल को होने वाले दर्द का अहसास हो चुका था. मैं किसी अपने के ना होने के दर्द से गुजर चुका था. इसलिए मैने उसका दर्द कम करने की नियत से कहा.

मैं बोला “अब ऐसा दोबारा मत बोलना. आरू तुम्हारी सबसे अच्छी सहेली है तो, फिर आरू का भाई भी तो तुम्हारा भाई ही हुआ ना. आज से तुम मुझे ही अपना भाई समझो.”

मेरी बातों को सुनकर निक्की की आँखों मे खुशी की चमक आ गयी. वो मुझे अपलक देखने लगी. मैने उसे इस तरह अपने आपको देखते देखा तो उस से कहा.

मैं बोला “ऐसे क्या देख रही हो.”

निक्की बोली “आरू हमेशा कहती थी मेरे भैया बहुत अच्छे है. आज देख भी लिया कि आप सच मे बहुत अच्छे है.”

मैं निक्की और आरू के साथ बात करने मे लगा था. उधर जब सीरत ने देखा कि हमारी बात ख़तम होने का नाम ही नही ले रही तो, उसने हम लोगों को अपनी बात सुनाते हुए सेलिना से कहा.

सीरत बोली “सेलू ले, भैया की टीम मे एक और पगली शामिल हो गयी.”

सीरत की बात सुनते ही सेलिना ने भी मज़ा लेते हुए कहा.

सेलिना बोली “दीदी सिर्फ़ पगली शामिल हुई है, या कोई अगली पगली शामिल हुई है.”

इतना बोल कर, सेलिना हँसने लगी. वो दोनो तो आरू का मज़ा लेना चाहती थी. लेकिन उनकी बात सुनकर निक्की को शायद ये लगा कि, वो लोग उसका मज़ाक उड़ा रही है. जिस वजह से उसका चेहरा उतर गया.

लेकिन जैसे ही सीरत ने निक्की का उतरा हुआ चेहरा देखा तो, उसे अपनी ग़लती का अहसास हुआ और उसने फ़ौरन अपने मज़ाक को संभालते हुए कहा.

सीरत बोली “सेलू, ज़्यादा हवा मे मत उड़. अब आरू अकेली नही है. अब निक्की भी उसके साथ है और भैया तो उन दोनो का ही साथ देगे. इसलिए अब इनसे पंगा लेना ठीक नही है.”

ये कहते हुए सीरत ने सेलिना को आँख मारकर निक्की के डरे हुए चेहरे की तरफ इशारा किया. जिसे देख कर सेलिना भी उसकी बात का मतलब समझ गयी और उसने डरने का नाटक करते हुए कहा.

सेलिना बोली “ओह्ह दीदी मैने तो ये सोचा ही नही था कि, आरू की सहेली भी आरू के जैसी ही होगी. आप ठीक कहती हो अभी आरू से पंगा लेना ठीक नही है.”

सीरत और सेलिना की की बात को सुनकर निक्की को लगा कि, वो लोग उसके साथ होने से डर गयी है. ये देख कर उसके चेहरे की रौनक वापस आ गयी और मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट तैर गयी.

मुझे ये देख कर खुशी हो रही थी कि, मेरी दोनो बहने भले ही कितनी भी शरारत करती हो. मगर कभी किसी के दिल को ठेस नही लगा सकती है. मैने आरू और निक्की को गाड़ी मे बैठने को कहा और पीछे का दरवाजा खोला तो निक्की अंदर जाकर बैठ गयी.

लेकिन आरू अभी भी बाहर खड़ी रही. मैं जानता था, वो पिछे नही बैठेगी. इसलिए मैने आगे का दरवाजा खोला और सीरत को पिछे जाकर बैठने को कहा. सीरत मुस्कुराती हुई पिछे जाकर बैठ गयी और आरू आकर आगे बैठ गयी.

आरू के बैठने के बाद मैं भी गाड़ी मे आकर बैठ गया और गाड़ी आगे बढ़ा दी. आरू मेरे से बात करने लगी और सीरत निक्की से बात करके उस का डर दूर भगाने लगी. बीच बीच मे सेलिना कभी मेरी और आरू की बात मे तो, कभी सीरत आरू निक्की की बात मे टाँग अड़ा कर अपने होने का अहसास दिलाती रही.

बस इसी तरह बातों बातों मे पता ही नही चला कि हम कब एस्सेल वर्ल्ड पहुच गये. वहाँ पहुच कर मैने सबको गाड़ी से उतारा और कार पार्किंग देखने लगा. तभी सीरत ने कहा कि, जब तक आप कार पार्क करते है. तब तक हम लोग जाकर टिकेट ले लेते है.

मैने उसे टिकेट के पैसे दिए और मैं कार पार्क करने चला गया. लेकिन जब मैं कार पार्क करके आया तो आरू और निक्की अब भी वही खड़ी थी. उन्हे वही खड़े देख कर मैने उस से कहा.

मैं बोला “तुम लोग अभी तक यही खड़ी हो. तुम लोग उनके साथ क्यो नही गयी.”

मेरी बात सुनकर आरू ने गुस्साते हुए कहा.

अर्चना बोली “भैया 5 टिकेट लेने के लिए 5 लोगों का जाना ज़रूरी नही है. कोई एक भी जाकर 5 टिकेट ले सकता है.”

आरू की बात सुनकर मैं हँसे बिना ना रह सका. मैने उसे अपनी सफाई देते हुए कहा.

मैं बोला “मैने तो बस यू ही पुच्छ लिया था. तू इतना नाराज़ क्यो हो रही है. चल अब ये बात छोड़ और ये बता तुझे मेरा गिफ्ट मिला या नही.”

ये कह कर मैं वही पास खड़ी अक्तिवा पर बैठ गया और आरू का जबाब सुनने लगा. आरू ने मेरी बात के जबाब मे कहा.

अर्चना बोली “नही, मैने किसी के गिफ्ट नही देखे. आप ही ने तो रात को मुझे गुस्सा दिला दिया था.”

मैं बोला “लेकिन तेरा गुस्सा तो मुझसे था ना. फिर बाकी सब के गिफ्ट पर अपना गुस्सा क्यो निकाला.”

अभी आरू मेरी बात का कोई जबाब दे पाती, उस से पहले ही निक्की ने बीच मे बोलते हुए कहा.

निक्की बोली “भैया, इसने घर मे ही नही. स्कूल मे भी आपका गुस्सा सब पर उतारा है. स्कूल मे भी जिस किसी ने इसको बर्थ’डे विश किया. इसने उस पर ही गुस्सा करते हुए कहा कि, मेरा कोई जनम दिन वनम दिन नही है.”

निक्की की बात ने मुझे सोच मे डाल दिया था. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, आरू की इस बात के लिए मैं खुशी महसूस करू या फिर उस पर नाराज़गी जताऊ. मेरे लिए कुछ भी फ़ैसला कर पाना मुस्किल था.

लेकिन मेरी इस मुस्किल को निक्की ने आसान कर दिया. उसने जब मुझे आरू से कुछ ना कहते देखा तो, उसने मुझसे कहा.

निक्की बोली “ये क्या भैया. आप इसको कुछ समझते क्यो नही. क्या इसका ऐसा करना आपको अच्छा लगा.”

मैं बोला “हां, मुझे ये देख कर बहुत अच्छा लगा कि, मेरी छोटी बहन के दिल मे मेरे लिए कितना प्यार है. मैं मानता हूँ कि, उसने सबका दिल दुखा कर ग़लत किया है. लेकिन मैं वादा करता हूँ कि, अब वो किसी के साथ ऐसा दोबारा नही करेगी. क्यो आरू मैने ठीक कहा ना.”

मेरी बातों से आरू को अपनी ग़लती का कोई अहसास नही हुआ. लेकिन उसने मेरी बात को रखते हुए कहा.

अर्चना बोली “भैया मैने किसी के साथ कोई ग़लत नही किया. मेरा दिल नही था अपना जनम दिन मनाने का तो मैं क्या करती. लेकिन मैं आपकी बात नही काटुगी और ना ही आपको कभी किसी के सामने झुकने दुगी. मैं कोसिस करूगी कि ऐसा दोबारा ना हो.”

आरू की बात सुनकर निक्की हँसने लगी. उसे हंसते देख कर मैं और आरू दोनो उसकी तरफ देखने लगे. उसने अपनी बात को साफ करते हुए कहा.

निक्की बोली “देख लिया ना भैया. ये अभी भी कह रही है कि, मैं कोसिस करूगी कि, ऐसा दोबारा ना हो. इसने ऐसा ना करने का कोई वादा नही किया है.”

निक्की की बात सुनकर आरू गुस्से से उसे देखने लगी. लेकिन मैने आरू की तरफ़दारी करते हुए कहा.

मैं बोला “आरू को कोई वादा करने की ज़रूरत नही है. मेरे लिए उसका ये ही कहना काफ़ी है कि, वो मुझे कभी किसी के सामने झुकने नही देगी.”

मेरी बात को सुनकर, एक तरफ निक्की को आरू की बात की गहराई का अहसास हो गया तो, दूसरी तरफ आरू का चेहरा भी खुशी से खिल उठा. माहौल को सही होते देख, मैने दोनो से कहा.

मैं बोला “हम यहाँ कब से बात कर रहे है. मगर अभी तक सीरू और सेलू टिकेट लेकर नही आई.”

मेरी बात सुनते ही दोनो ने उस तरफ देखा, जहा सीरत और सेलिना टिकेट के लिए गयी थी. फिर आरू ने उस तरफ इशारा करते हुए कहा.

अर्चना बोली “भैया, वो देखिए, दीदी लोग आ रही है.”

मैने उस तरफ देखा तो सीरत और सेलिना हमारी ही तरफ आ रही थी. उनके आगे आगे एक लड़की चल रही थी. उसकी उमर लगभग 20-21 साल होगी. उसने उस समय सफेद रंग का चूड़ीदार सलवार सूट पहना हुआ था. उसके हाथ मे पीले रंग की चूड़ियाँ और माथे पर उसी रंग की बिंदी चमक रही थी.

जिसकी वजह से उसका गोरा रंग और भी ज़्यादा निखर गया था. मैने उसे देखा तो, देखता रह गया. मेरे साथ ऐसा जिंदगी मे पहली बार हो रहा था की, मैं किसी लड़की को देखने से खुद को रोक नही पा रहा था.

वो बड़ी तेज़ी से हमारी ही तरफ चली आ रही थी. वो जैसे जैसे हमारे करीब आ रही थी. वैसे वैसे मेरे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी. मैं उसके चेहरे से नज़रे हटाना चाहता था. लेकिन मेरा दिल मेरे काबू में नही था.

मैं अपनी सुध बुध खो बैठा था और बस एक-टक उसे देखे जा रहा था. लेकिन उस लड़की ने हमारे पास आते ही ऐसा बॉम्ब फोड़ा कि मेरे होश तो काबू मे आ गये. मगर आरू ज़रूर बेकाबू हो गयी.

126
Reply


Messages In This Thread
RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 02:37 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,299,376 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,248 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,150,813 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 871,787 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,541,991 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,986,702 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,796,407 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,514,373 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,825,190 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,136 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 8 Guest(s)