MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:39 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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वो लड़की चलते हुए मेरे पास आकर खड़ी हो गयी. एक पल के लिए मेरा दिल धक करके रह गया. मैं अभी भी उसे ही देख रहा था. उसने एक नज़र मेरी तरफ देखा और फिर अपने बॅग मे कुछ देखने लगी.

कुछ ही देर मे उसके हाथ मे टिकेट और कुछ पैसे आ गये. उसने वो टिकेट और पैसे मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा.

लड़की बोली “ये टिकेट और पैसे आपकी में साहब ने दिए है. उन्होने कहा कि, वो अपने भैया के साथ घर जा रही है. आप अपनी दोनो बहनो को आराम से घुमा कर, गाड़ी घर ले आइयेगा.”

आरू शायद उस लड़की की बात को समझ रही थी. इसलिए उसके माथे पर बल पड़ने लगे थे. लेकिन उस लड़की की सारी बातें मेरे सर के उपर से गुजर गयी. जब मेरे समझ मे कुछ नही आया तो, मैने उस लड़की से कहा.

मैं बोला “आप कौन है और किस के बारे मे बोल रही है. मेरी कुछ समझ मे नही आ रहा है.”

मेरी बात सुनकर लड़की ने एक बार पीछे पलट कर यहाँ वहाँ देखा. जैसे वो किसी को ढूँढ रही हो. लेकिन जब उसे वो नज़र नही आया, जिसे वो देखने की कोसिस कर रही थी तो, उसने मुझसे कहा.

लड़की बोली “मैं वहाँ अपनी सहेली के साथ टिकेट ले रही थी. तभी मेरी सहेली ने आपको मेरी अक्तिवा पर बैठे देखा और मुझे अक्तिवा पार्क करने को कहा तो, मैं टिकेट लेने के बाद अक्तिवा पार्क करने यहाँ आने लगी. आपकी दोनो में साहब भी वही थी. उनने हमारी बात सुनी तो….”

इतनी बात कह कर लड़की बात करते करते चुप हो गयी और आरू की तरफ देखने लगी. अब तक मैं समझ चुका था कि, ये सब किया धरा सीरू और सेलू का है. इसलिए मैने उस से कहा.

मैं बोला “उन दोनो ने आपसे क्या कहा.”

मेरी बात सुनकर, उसने एक बार फिर आरू की तरफ देखा, जो बड़ी ध्यान से हमारी बात सुन रही थी. शायद वो लड़की चाहती थी कि, आरू उसकी बात ना सुन सके इसलिए उसने मेरे और करीब आकर धीरे से कहा.

लड़की बोली “आपकी मेम साहब ने कहा कि, हमारे ड्राइवर की छोटी बहन का दिमागी संतुलन ठीक नही है और आज उसका जनम दिन था इसलिए वो लोग उसको यहाँ घुमाने लाई थी. लेकिन ज़रूरी काम की वजह से उनको अपने भाई के साथ जाना पड़ रहा है. इसलिए उन्होने आप लोगों के यहाँ घूमने के लिए ये टिकेट और पैसे मेरे हाथ से भिजवाए है.”

उस लड़की की बात सुनते ही सीरू और सेलू की शरारत पर मुझे बहुत गुस्सा आया. लेकिन तभी मेरी नज़र आरू पर पड़ी. गुस्से से उसके नथुने फदक रहे थे और चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था. शायद उसने लड़की की बात सुन ली थी.

मैने उसे आँखों से शांत रहने का इशारा किया और लड़की की तरफ देख तो वो भी आरू का गुस्से से तमतमाया चेहरा देख कर घबरा गयी थी. उसने धीरे से मुझसे कहा.

लड़की बोली “लगता है आपकी बहन को दौरा पड़ रहा है. आप उसको संभालिए, मैं अपनी अक्तिवा पार्क करने जाती हूँ.”

लड़की की बात सुनते ही मैं उसकी अक्तिवा से हट गया और लड़की आरू को देखते हुए अक्तिवा लेकर वहाँ से चली गयी. उसके जाते ही आरू का गुस्सा फट पड़ा. उसने गुस्से मे तमतमाते हुए कहा.

अर्चना बोली “देख लिया ना भैया आपने. मैं इसलिए इनकी कोई बात नही मानती हूँ. मैं उन दोनो को छोड़ूँगी नही.”

आरू की बात सुनकर मैने सीरू और सेलू को यहा वहाँ देखा. लेकिन दोनो कही नज़र नही आई. जब मुझे वो दोनो कही नज़र नही आई तो, मैने निक्की से कहा.

मैं बोला “निक्की, सीरू और सेलू कहाँ है.”

निक्की बोली “भैया दोनो दीदी तो हमारे सामने ही अंदर चली गयी.”

निक्की की बात से मुझे याद आया कि, मैं उनके आगे आने वाली लड़की मे इतना खो गया था कि, मैं देख ही नही सका की, सीरू और सेलू कब उसके पीछे से गायब हो गयी. लेकिन अब मुझे उनकी इस हरकत पर बहुत गुस्सा आ रहा था.

मगर यहाँ आरू भी उनकी इस हरकत से बहुत गुस्से मे थी और ऐसे मे मेरा भी गुस्सा होना उसके गुस्से को ओर भी ज़्यादा भड़का देता. लेकिन ऐसे समय मे आरू को समझाना बेकार था. इसलिए मैने आरू और निक्की से कहा.

मैं बोला “रूको, हम भी इनको अब अच्छा सबक सिखाएगे. चलो अंदर चल कर पहले उनको ढूँढते है.”

मेरी बात से दोनो को लगा कि, मैं सच मे उन दोनो को सबक सिखाना चाहता हूँ. इसलिए दोनो बड़े जोश मे मेरे साथ अंदर आ गयी. लेकिन अंदर ढूँढने पर भी उन दोनो का कोई पता नही चला.

जब वो दोनो हमें कही नज़र नही आई तो, मैने आरू और निक्की से कहा कि, हम क्यो उनको ढूँढने मे अपना समय बर्बाद करे. उनको जब मिलना होगा वो मिल जाएगी. तुम लोग उनके पीछे अपना मज़ा खराब मत करो.

मेरी बात उन पर असर कर गयी और वो वहाँ का मज़ा लेने लगी. कुछ ही देर मे आरू ने झूले का बोला तो, मैने उन दोनो को झूले पर बैठा दिया और उनको झूलते हुए देखने लगा.

अभी आरू और निक्की झूला ही झूल रही थी कि, तभी ना जाने कहाँ से सीरू और सेलू मेरे पास आकर हँसने लगी. मैने उनको हंसते देखा तो, उन पर गुस्सा करते हुए कहा.

मैं बोला “ये तुम दोनो ने अच्छा नही किया और अब हंस भी रही हो. ऐसा करते हुए तुम दोनो को ज़रा भी शरम नही आई.”

मेरी बात को सुनकर, उन्हे ऐसा लगा कि, मैं गुस्सा होने का दिखावा कर रहा हूँ. क्योकि मैं अक्सर आरू के सामने उन पर गुस्सा होने का नाटक किया करता था. इसलिए सीरू ने अभी भी मेरे गुस्से को गंभीरता से ना लेते हुए कहा.

सीरत बोली “क्या भैया, ज़रा सा मज़ाक ही तो किया है. हम तो बस थोड़ा सा मज़ा ले रहे थे.”

सीरत का ये जबाब सुनकर, मुझे और भी ज़्यादा गुस्सा आ गया और जिंदगी मे पहली बार मैं अपनी तीनो बहनो मे से किसी पर गुस्सा कर बैठा. मैने सीरत के उपर चिल्लाते हुए कहा.

मैं बोला “इस तरह का बेहूदा मज़ाक करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई. तुम दोनो पढ़ी लिखो गँवार हो. जिन्हे ये भी नही पता कि, छोटी बहन के साथ कैसा मज़ाक किया जाता है और कैसा मज़ाक नही किया जाता है. आज तुम लोगों को उस मासूम की बड़ी बहन कहते हुए भी मुझे शरम आ रही है.”

मैं गुस्से मे जो मूह मे आया, उन दोनो को बोलता चला गया. मुझे गुस्सा होते देख, जहा सेलिना सहम गयी, वही सीरत की आँखों से टाप टॅप आँसू गिरने लगे. मैं इतना ज़्यादा गुस्से मे था कि, मुझे आरू और निक्की के आने का अहसास नही हुआ.

आरू ने जब मुझे उन दोनो पर गुस्सा करते देखा और सीरत को रोते देखा तो, उसने धीरे से कहा.

अर्चना बोली “सॉरी भैया, मैं दीदी से नाराज़ नही हूँ. आप भी इन पर गुस्सा मत करो.”

आरू के पास होने के अहसास से ही मेरा गुस्सा कम हो गया और तब मुझे अहसास हुआ की, अपनी एक बहन की तरफ़दारी करने मे मैने दूसरी बहन को रुला दिया है. अब रुलाया मैने था तो, मनाना भी मुझे ही था. मैने उसके सर पर प्यार से हाथ फेरा और उसे सीने से लगाते हुए कहा.

मैं बोला “पागल, मेरे ज़रा से गुस्सा करने पर ही रोने लगी. क्या तुझ पर गुस्सा करने का मेरा हक़ नही है.”

मेरी इस प्यार से भरी बात ने सीरू पर असर किया. उसने अपने आँसू पर काबू करते हुए कहा.

सीरत बोली “भैया, मेरा इरादा आपको या आरू को ज़रा भी दुख पहुचाने का नही था. मैं तो बस थोड़ी सी शरारत करके आरू को परेशान कर रही थी. मुझे नही पता था कि, मेरी शरारत आपको इतना दुख पहुचा देगी वरना मैं ऐसा कभी नही करती.”

मैने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए उसे समझाते हुए कहा.

मैं बोला “मुझे तुम्हारा शरारत करना ज़रा भी बुरा नही लगा. लेकिन जिस बात को लेकर तुमने शरारत की, मुझे वो बात बुरी लगी. मेरी तीन बहनो मे ही मेरी सारी दुनिया सिमटी है. मैं तुम लोगों के साथ किसी बुरी बात होने की कल्पना भी नही कर सकता. फिर आरू मे तो मेरी जान बस्ती है. ऐसे मे जब उस लड़की ने आरू का दिमागी संतुलन खराब होने की बात की तो, तुम ही सोचो मेरे उपर क्या बीती होगी.”

मेरे गुस्सा होने की वजह पता चलते ही सीरू ने अपनी ग़लती मानते हुए कहा.

सीरत बोली “सॉरी भैया, अब ऐसा दोबारा नही होगा.”

सीरू के मूड सही होते ही सेलू ने चुटकी लेते हुए बड़ी ही मासूमियत से कहा.

सेलू बोली “भैया मैं आप से नाराज़ हूँ.”

मैं बोला “अब तुझे क्या हुआ. मैने ऐसा क्या किया जो तू मुझसे नाराज़ है.”

सेलू बोली “आप आरू को प्यार करते हो. सीरू को गुस्सा किया और उसे भी प्यार किया. लेकिन मुझे ज़रा भी प्यार नही करते. यदि आपको गुस्सा करने से ही प्यार आता है तो आप मुझे मार लीजिए. लेकिन मुझे भी इन दोनो की तरह प्यार कीजिए.”

उसकी बात सुनते ही सब हँसने लगे और मैने उस पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

मैं बोला “यहाँ सबके सामने तेरी पिटाई नही कर सकता ना. लेकिन तू घर चल फिर तेरी अच्छे से पिटाई करता हूँ.”

मेरी बात सुनकर भी एक बार फिर सबके ठहाके गूँज गये. उसके बाद मैने सब से कहा.

मैं बोला “क्या अब हम ऐसे ही बात करते रहेगे या तुम लोग यहाँ आने का कुछ मज़ा भी लोगे.”

मेरी इस बात के जबाब मे सीरत ने कहा.

सीरत बोली “भैया, असली मज़ा अभी सुरू कहाँ हुआ. बस थोड़ा इंतजार करो. फिर सबको बहुत मज़ा आने वाला है.”

मैं बोला “तेरे कहने क्या मतलब.”

लेकिन मेरी इस बात का जबाब सीरत की जगह सेलिना ने देते हुए कहा.

सेलिना बोली “मतलब भी समझ मे आ जाएगा. बस थोड़ा इंतजार करिए.”

ये कह कर दोनो टाइम देखने लगी. उनकी इस हरकत से समझ मे आ रहा था कि, इसमे भी दोनो की कोई शरारत है. मैने दोनो को धमकाते हुए कहा.

मैं बोला “सच सच बोलो, अब तुम दोनो ने क्या शरारत की है.”

मेरी बात सुनकर दोनो ने पहले मेरे चेहरे को गौर से देखा कि, मैं गुस्से मे तो नही हूँ. जब उन्हे लगा कि, अब मैं गुस्से मे नही हूँ तो, सीरू ने कहा.

सीरत बोली “सॉरी भैया, हम ने कोई शरारत नही की है. मगर बहुत जल्दी मज़ा आने वाला है.”

अभी मेरी उनसे इसी बात को लेकर बात चल रही थी कि, तभी सेलू चाहक उठी और उसने सीरू को कुछ इशारा किया. सीरू ने उसके इशारे को समझते ही मेन गेट की तरफ देखा और फिर हम से कहा.

सीरत बोली “भैया, वो देखिए असली मज़ा. जिसके लिए हम आपको यहाँ लाए थे.”

उनकी बात सुनते ही मैने मेन गेट की तरफ देखा और सामने का नज़ारा देखते ही मेरे होश उड़ गये. वही आरू और निक्की भी सामने का नज़ारा आँखें फाड़ कर देख रही थी. जबकि सीरू और सेलू हमे देख कर मुस्कुरा रही थी.
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