MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:48 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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अब आगे की कहानी पुन्नू की ज़ुबानी...

अभी निशा कहानी सुना ही रही थी कि, अचानक किसी के आने की आहट सुनकर. वो आगे की कहानी कहते कहते रुक गयी. सब की नज़र दरवाजे की तरफ गयी तो, दरवाजे से एक आदमी अंदर आते नज़र आया.

उसकी उमर 45-50 साल के आस पास होगी. देखने मे वो पुरानी हिन्दी फिल्मों के खलनायक प्राण की तरह था और इस समय वो कुछ बीमार सा नज़र आ रहा था. लेकिन इस बीमारी की हालत मे भी उसके चेहरे की मुस्कान और उसकी आँखों की कमीनी चमक यही बता रही थी कि, वो कोई अच्छा इंसान नही है.

उसके आते ही वहाँ एक खामोशी सी छा गयी. उसने एक नज़र वहाँ सब पर डाली और फिर आंटी से कहा.

आदमी बोला “अलका बहन, इस तरह बिना इजाज़त अंदर आने के लिए माफी चाहता हूँ.”

आदमी की बात सुनते ही, आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा.

आंटी बोली “कैसी बात करते है दुर्जन भैया. भला एक बहन के घर आने के लिए भी, क्या एक भाई को इजाज़त लेने की ज़रूरत पड़ती है. आप बैठिए ना खड़े क्यो है.”

आंटी की बात सुनकर, वो दुर्जन नाम का आदमी शिखा के पास आकर बैठ गया और फिर आंटी से कहा.

दुर्जन बोला “वो क्या है अलका बहन, मैं अभी घर आया तो, आपके दरवाजे पर इतनी सारी गाड़ियाँ खड़ी देख कर, अपने आपको अंदर आने से रोक नही सका और ये जानने चला आया कि, सब कुछ ठीक तो है ना.”

दुर्जन की बात सुनकर, आंटी ने दुर्जन की हैरानी को दूर करते हुए कहा.

आंटी बोली “सब ठीक है भैया. ये डॉक्टर. निशा है और शिखा को अपनी हॉस्पिटल मे इन्ही ने जॉब दिलाया था. बाहर खड़ी गाड़ियों मे ये लोग ही शिखा से मिलने आए है.”

ये कह कर, आंटी सब से दुर्जन का परिचय कराने लगी. मुझे बहुत देर से टाय्लेट जाना था मगर डॉक्टर निशा की चल रही कहानी की वजह से मैं जा नही पा रहा था. दुर्जन के आते ही मुझे बाहर जाने का मौका मिल गया.

मैने धीरे से निक्की से कहा कि, मैं अभी अजजी के पास से आता हूँ. इसके बाद मैं बाहर आया और अजजी से टाय्लेट जाने की बात कही तो, उसने उपर चले जाने को कहा. फिर कुछ सोच कर, मैने अजजी से शिखा का मोबाइल नंबर लिया और उपर आ गया.

उपर आकर मैने शिखा को कॉल किया और उसके कॉल उठाते ही उस से कहा.

मैं बोला “दीदी, आप अपने गुस्से मे इतना भी भूल गयी है कि, ड्र निशा आपको अपनी छोटी बहन मानती है. उन सबको घर मे आए एक घंटे से भी ज़्यादा हो गया है और किसी ने उनको चाय पानी के लिए भी नही पूछा. क्या घर आए महमानो के साथ ऐसा करना ठीक है.”

मेरी बात सुनकर, शिखा ने कुछ सोचते हुए कहा.

शिखा बोली “ठीक है, मैं देखती हूँ.”

इतना कहकर शिखा ने कॉल रख दिया. उसके कॉल रखते ही मैने कीर्ति का मोबाइल निकाल कर देखा, अभी कॉल आए 50 मिनट हुए थे. मैने मोबाइल कान मे लगा कर देखा तो, कोई आवाज़ सुनाई नही दे रही थी.

मुझे अभी टाय्लेट जाना था और कीर्ति के कॉल कटने मे अभी 10 मिनट बाकी थे. मेरे लिए खुद को टाय्लेट जाने के लिए इतनी देर रोक पाना मुस्किल था. इसलिए मैने कॉल काटा और टाय्लेट के लिए जाने लगा.

मगर मेरे कॉल काटते ही वापस कीर्ति का कॉल आने लगा. मैने कॉल उठाते ही कीर्ति से कहा.

मैं बोला “मैं अभी 2 मिनट मे तुम्हे कॉल करता हूँ.”

ये कह कर मैने कॉल काट दिया. लेकिन फिर से कीर्ति का कॉल आने लगा. मैने गुस्से मे उसका कॉल उठाए हुए, उस से कहा.

मैं बोला “ये क्या लगा रख है तूने. मैने कहा ना कि मई 2 मिनट बाद तुझे कॉल करता हूँ.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने उल्टे मुझे पर भड़कते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुम अपने आपको समझते क्या हो. तुम्हारे कॉल की वजह से आज मैं स्कूल नही गयी और तुम बार बार मेरा कॉल काट रहे हो.”

कीर्ति को भड़कते देख, मेरा गुस्सा खुद ब खुद शांत हो गया. मैने उसको अपनी सफाई देते हुए कहा.

मैं बोला “मुझे टाय्लेट जाना है. इसलिए मैं तुझसे 2 मिनट बाद कॉल करने को कह रहा हूँ.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति भी शांत पड़ गयी. उसने मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “ये बात तुम सीधे भी तो बोल सकते थे. इसके लिए बार बार मेरा कॉल काटने की क्या ज़रूरत थी.”

मैं बोला “सॉरी, मुझसे ग़लती हो गयी. अब तू जल्दी कॉल रख, मुझे टाय्लेट जाना है.”

कीर्ति बोली “ओके, तुम टाय्लेट जा सकते हो. मगर मैं कॉल नही रखुगी.”

मैं बोला “ये क्या पागलपन है. अपनी बकवास बंद कर और कॉल रख. मुझे बहुत ज़ोर से लगी है.”

लेकिन कीर्ति ने मेरी बात को अनसुना करते हुए कहा.

कीर्ति बोली “जो मैने कह दिया सो कह दिया. तुमको टाय्लेट जाना है जाओ, मगर ये कॉल नही कटेगा.”

मैं बोला “तूने सारी शरम बेच खाई है क्या. मैं इतनी देर से बोल रहा हूँ कि, मुझे टाय्लेट जाना है. लेकिन तुझे कुछ समझ मे ही नही आ रहा है.”

मगर मेरी इस बात का कीर्ति पर कोई असर नही पड़ा. उसने मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मैने तुमसे पहले ही कहा था कि, अब दोबारा कभी यदि मुझसे बात करते समय तुम्हे टाय्लेट जाना पड़ा तो, मैं तुम्हारे साथ जाए बिना नही मानूँगी.”

कीर्ति की ये बात बोलते ही मुझे उसकी कही उस दिन की बात याद आ गयी, जब उस से बात करते समय मुझे टाय्लेट जाना था और वो मेरे साथ जाने की ज़िद कर रही थी. उस दिन उसने मुझे इस शर्त पर टाय्लेट जाने दिया था कि, अगली बार वो मेरे साथ जाए बिना नही मानेगी.

कीर्ति की ये बात याद आते ही मैं समझ गया की, वो अभी मुझसे नाराज़ नही है. दो दिन बाद वो मुझसे बात करने की पहल कर रही थी. ऐसे मे उसको नाराज़ करना मुझे ठीक नही लग रहा था. मैने उसे प्यार से समझाते हुए कहा.

मैं बोला “तू समझती क्यो नही. देख ज़िद मत कर और कॉल रखने दे.”

कीर्ति बोली “ज़िद तुम कर रहे हो. आज मुझे साथ चलना है और मैं साथ जाकर ही रहूगी.”

आख़िर मे जब मेरे लिए थोड़ी देर भी रुक पाना मुस्किल हो गया तो मैने उस से कहा.

मैं बोला “तू नही मानती तो, साथ चल. लेकिन याद रखना कि, तू इस बार मे कोई बात नही करूगी.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने तुनक कर जबाब देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मुझे तुमसे बात करने का कोई शौक नही है. अब तुम जाते हो या फिर यही खड़े खड़े अपना पॅंट खराब करने का इरादा है.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैने बुरा सा मूह बनाते हुए मोबाइल जेब मे रखा और बाथरूम के अंदर चला गया. बाथरूम से आने के बाद मैने मोबाइल निकाल कर कीर्ति से कहा.

मैं बोला “हेलो, अब मैं नीचे जा रहा हूँ.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने अपनी शरारत भरे अंदाज मे मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “मैने सब सुन लिया. सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर….. तुम्हे तो सच मे बड़ी ज़ोर से लगी थी.”

ये कहते हुए वो खिलखिला कर हँसने लगी. उसकी बात सुनकर, पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया. लेकिन उसका खिलखिलाना देख कर, मैं अपना सारा गुस्सा भूल गया. आज 2 दिन बाद मैं उसे हँसते हुए देख रहा था और उसे इस तरह हँसते हुए देख कर मुझे भी बहुत सुकून मिल रहा था.

लेकिन कीर्ति अब अपने पुराने मूड मे वापस आ चुकी थी और जब वो मूड मे हो तो उसे रोक पाना मुस्किल ही नही नामुमकिन रहता है. उसने अपनी शरारत चालू रखते हुए मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “हे मेरी बात सुन रहे हो ना.”

मैने उसकी इस बात पर उसे झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

मैं बोला “मुझे तेरी फालतू की बात नही सुनना. मैं नीचे जाता हूँ.”

कीर्ति ने मुझसे रोकते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अरे मैं एक काम की बात करना चाहती हूँ.”

मैं बोला “जो बोलना है जल्दी बोल. मुझे नीचे जाना है.”

कीर्ति बोली “मुझे भी जाना है.”

मुझे समझ मे नही आया कि वो कहाँ जाने की बोल रही है. इसलिए मैने उस से कहा.

मैं बोला “कहाँ जाना.”

मेरी बात सुनकर कीर्ति ने कहा.

कीर्ति बोली “वही जहाँ से तुम आ रहे हो. सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर……… करने.”

ये कहकर वो फिर खिलखिला कर हँसने लगी. उसे हंसता देख कर मेरा नीचे जाने का मन नही कर रहा था और मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था. मैने अपना प्यार जताते हुए कहा.

मैं बोला “आइ मिस यू जान. सॉरी मैने तुझे बहुत दुख दिया. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था.”

मेरी बात सुनकर, शायद कीर्ति को भी मेरी हालत का अहसास हो गया था. उसने गंभीर होते हुए कहा.

कीर्ति बोली “नही जान, तुमने कुछ नही किया. मैं तुम पर गुस्सा थी. इसलिए मैं ही तुमको जान बुझ कर परेशान कर रही थी.”

मैं बोला “नही, ग़लती मेरी ही थी. मुझे जितेन को लेकर, तुझ पर गुस्सा नही करना चाहिए था. यदि तूने उस से बात कर भी ली थी तो, इसमे मेरा क्या जा रहा था.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने संजीदा होते हुए कहा.

कीर्ति बोली “उस दिन मैने झूठ कहा था. मैं जितेन से नही वाणी दीदी से बात कर रही थी.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैं चौंके बिना ना रह सका. मैने उस से इसकी वजह जानने के लिए कहा.

मैं बोला “लेकिन जब तुम वाणी से बात कर रही थी तो, फिर तुमने मुझसे झूठ क्यो कहा और फिर उस बात के लिए मुझसे इतना झगड़ा क्यो किया.”

मेरी कीर्ति ने मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “वो वाणी दीदी ने मुझे बताया कि, जितेन और तुम्हारे बीच ज़रा भी नही बनती. वो हमेशा तुम्हे नीचा दिखाने की कोसिस करता रहता है. मुझे उनकी इस बात को सुनकर, जितेन पर बहुत गुस्सा आ रहा था. लेकिन उस से भी ज़्यादा गुस्सा मुझे तुम्हारे उपर आ रहा था कि, तुमने आज तक मुझे कुछ बताया क्यो नही.”

“बस इसी गुस्से मे मैने उस दिन तुमसे झूठ कह दिया कि, मैं जितेन से बात कर रही हूँ और जब तुम मुझसे इस बात को लेकर बहस करने लगे तो, मैं भी गुस्से मे तुमको उल्टा सीधा जबाब देने लगी.”

कीर्ति की बात सुनकर, मुझे बहुत हैरानी हुई. लेकिन अब भी मेरे मन मे कीर्ति के गुस्से को लेकर बहुत सवाल आ रहे थे. मैने उस से आगे भी बात पूछते हुए कहा.

मैं बोला “लेकिन तेरा गुस्सा तो शांत होने का नाम ही नही ले रहा था. तू तो बाद मे भी मुझसे बात करने को तैयार नही थी. ”

मेरी बात के जबाब मे कीर्ति ने मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.

कीर्ति बोली “क्या तुम अपने आपको बहुत ज़्यादा होशियार समझते हो. क्या ये झूठ है कि, तुमने उस दिन शराब पी रखी थी. तुम क्या सोचते हो कि, तुम शराब पीते रहोगे और मैं तुम्हे कुछ भी नही कहुगी.”

कीर्ति की बात सुनकर, मुझे अपनी सफाई देने का कोई रास्ता समझ मे नही आ रहा था. मैने उसके सामने अपनी ग़लती मानते हुए कहा.

मैं बोला “सॉरी, मुझे माफ़ कर दे. मैं दोबारा ऐसा नही करूगा.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने कहा.

कीर्ति बोली “सॉरी बोलने से कुछ नही होगा. तुम्हे मेरी कसम खाकर कहना होगा कि, आज के बाद तुम शराब को हाथ नही लगाओगे.”

मेरे पास कीर्ति की बात मानने के अलावा कोई रास्ता नही था. मैने उसकी कसम खाते हुए कहा.

मैं बोला “मैं तेरी कसम खाकर कहता हूँ कि, आज के बाद मैं शराब को हाथ नही लगाउन्गा.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने खुश होते हुए कहा.

कीर्ति बोली “आइ लव यू जान.”

मैं बोला “आइ लव यू टू. अब बहुत टाइम हो गया है. अब हमे नीचे जाना चाहिए.”

कीर्ति बोली “ओके चलो, लेकिन पहले मेरी किसी दो.”

कीर्ति की बात सुनकर मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मैने उसे किसी देते हुए कहा.

मैं बोला “मुऊऊऊहह”

कीर्ति बोली “मुऊऊुुुुुुउऊहह.”

इसके बाद मैने मोबाइल जेब मे रखा और फिर नीचे आ गया. नीचे आने के बाद, मैने अजजी से कहा.

मैं बोला “क्या हुआ. वो दुर्जन नाम का आदमी गया या अभी भी अंदर ही है.”

अजय बोला “दुर्जन नेहा का बाप है. वो अभी अंदर ही है.”

अजय की बात सुनकर, मैं अजय की तरफ देखने लगा. अजय ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

अजय बोला “किसी समय दुर्जन मंबई का माना हुआ गुंडा हुआ करता था. यही वजह है कि यहाँ के सभी लोग उस से डरते है. नेहा की माँ नही है और शिखा की माँ ने, बिना माँ की नेहा को एक माँ का दुलार दिया है. इसलिए दुर्जन शिखा की माँ की बहुत इज़्ज़त करता है और उन्हे अपनी बहन मानता है.”

अजय दुर्जन के बारे मे बता रहा था और मैं गौर से उसकी बातें सुन रहा था. मुझे ये जान कर, हैरत हो रही थी कि, नेहा जैसी सुंदर लड़की का बाप एक दुर्जन जैसा आदमी है. जो किसी भी तरह से नेहा का बाप नही लगता.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 02:48 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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