MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:49 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
138
हम अभी दुर्जन की बात कर रहे थे कि, तभी दुर्जन बाहर आते दिखा. उसने बाहर हमारे पास आकर कहा.

दुर्जन बोला “तुम लोगों को अंदर बरखा बिटिया चाय के लिए बुला रही है.”

इतना कह कर दुर्जन चला गया. लेकिन मुझे ये जान कर खुशी हुई कि, मेरे कहने पर ही सही, शिखा ने सबका मान रख ही लिया. मैने अजजी से अंदर चलने को कहा तो, उसने कहा.

अजय बोला “तुम चलो, मैं कुछ देर बाद आता हूँ.”

अजजी की बात सुनकर, मैं अंदर आ गया. मेरे अंदर पहुचते ही बरखा ने मुझे भी चाय दी. वहाँ आरू के अलावा सबके हाथों मे चाय थी. सबको चाय देने के बाद बरखा अजजी को चाय देने बाहर चली गयी.

लेकिन थोड़ी देर बाद वो चाय वापस लेकर आ गयी. शायद अजजी ने चाय लेने से मना कर दिया था. मगर मेरे लिए हैरत वाली बात ये थी कि, अजजी की चाय बाहर से वापस आते ही, शिखा ने भी अपने हाथ के चाय के कप को बिना चाय पिए ही टेबल पर वापस रख दिया था.

उस समय शिखा के मन के अंदर क्या चल रहा था. ये तो बस वो ही जान सकती थी. मैं तो बस इतना जानता था कि, उसके दिल मे अजजी के लिए जो नफ़रत थी, वो नफ़रत उसके दिल मे अजजी के लिए छुपे प्यार से बार बार हार जा रही थी.

वो ना जाने किन ख़यालों मे खोई हुई थी और यहाँ डॉक्टर. निशा ने अपनी अधूरी बात को आगे हुए बढ़ाते हुए सब से कहा.


अब आगे की कहानी निशा की ज़ुबानी.........................

उस समय आरू की बात सुनकर, अजजी ने खड़े होते हुए अमन की तरफ देखा. अभी तक उसकी पीठ शिखा की तरफ थी. इसलिए शिखा उसका चेहरा नही देख सकी थी. लेकिन जैसे ही अजजी ने खड़े होकर अमन की तरफ देखा तो, शिखा को भी अजजी का चेहरा दिखाई दे गया.

अजजी को देखते ही शिखा चौके बिना ना रह सकी. वो फटी फटी आँखों से अजजी को देखने लगी. इधर जैसे ही अज्जि ने अमन की तरफ देखा, वैसे ही उसकी नज़र भी अमन के पास बैठी शिखा पर पड़ गयी.

शिखा को देखते ही अज्जि का भी वो ही हाल हुआ. जो अजजी को देख कर शिखा का हुआ था. उसने शिखा को अपने सामने देखा तो, बस देखता ही रह गया. दोनो एक दूसरे को देख कर हैरान थे. मगर उन दोनो की हैरानी की वजह अलग अलग थी.

आज्जि अभी तक उसके बारे मे शिखा से कहे गये, हर झूठ से अंजान था और इस बात से हैरान था कि, शिखा यहाँ सबके साथ क्या कर रही है. वही शिखा अज्जि को उसके असली रूप मे देख कर हैरान थी और अज्जि के इस नये रूप को देख कर, इस मे उलझ कर रह गयी थी.

एक उलझन सबके मन मे भी थी कि, अब क्या होगा. सब एक दूसरे को देख रहे थे और थोड़ी देर के लिए बिल्कुल खामोशी छा गयी. आज्जि तो हमेशा की तरह शिखा को देख कर, उसमे ही खो गया था.

तभी आरू ने उसका हाथ पकड़ कर हिलाया और फिर आँखों के इशारे से उसे अपने पास आने को कहा. आज्जि उसके पास आया तो, वो अज्जि के कान मे कुछ कहने लगी. सब उन दोनो को देख रहे थे. लेकिन उसकी बातें किसी को सुनाई नही दे रही थी. आरू की बातें सुनने के बाद, अज्जि ने मुस्कुराते हुए सीरत की तरफ देखा और कहा.

अजय बोला “तेरा शैतानी दिमाग़ पता नही मुझे क्या क्या बना देगा.”

आज्जि की इस बात को सुनकर, हम इतना तो समझ गये थे कि, आरू ने उसको सीरू की बातों के बारे मे बता दिया था. लेकिन अब भी हमारी ये परेशानी ख़तम नही हुई थी कि, अब अज्जि के बारे मे शिखा को क्या सफाई दे.

आज्जि ने जब सबको परेशान और खामोश देखा तो, सबकी परेशानी को अपने सर पर लेते हुए कहा.

अजय बोला “तुम सब मुझे देख कर इतना हैरान क्यो हो. ये सब सीरू का किया हुआ है. ये मुझे सूट बूट मे देखना चाहती थी कि, मैं इसमे कैसा दिखता हूँ. इसलिए मुझे ये हुलिया बनाना पड़ गया. जिसकी वजह से मुझे यहाँ आने मे थोड़ी देर भी हो गयी.”

अजय की बात सुनकर, हम सब ने सुकून की साँस ली. लेकिन अमन को उसकी बात से खुशी नही हुई. उसने अजय से इसकी शिकायत करते हुए कहा.

अमन बोला “अब तू भी इसकी फालतू की बातों मे इसका साथ दे रहा है. ये तू अच्छा नही कर रहा है.”

अमन की बात सुनकर, अज्जि ने मुस्कुराते हुए उस से कहा.

अजय बोला “तू इतना क्यो भड़क रहा है. यदि मेरी बहन को किसी बात से खुशी होती है तो, मुझे उसकी खुशी के लिए कोई भी हुलिया बनाने मे कोई परेशानी नही है.”

लेकिन अमन अब भी इस सब से खुश नही था. उसने इस सब का दोष अज्जि को ही देते हुए कहा.

अमन बोला “तूने इनको सर पर चढ़ा रखा है. तेरी इन्ही बातों की वजह से ये इतना बिगड़ती जा रही है.”

अमन का गुस्सा शांत ना होते देख, अज्जि ने बात को बदलते हुए उस से कहा.

अजय बोला “छोड़ ना इन सब बातों को और ये बता कि, आरू की सर्जरी कब कर रहा है.”

अजय की बात सुनकर, अमन का मूड बदल गया और उसने अजय की बात का जबाब देते हुए उस से कहा.

अमन बोला “सर्जरी तो हम कभी भी कर सकते है. लेकिन मैं सोच रहा था कि, आरू को अभी सर्जरी की कोई खास ज़रूरत तो है नही. इसलिए आरू के पूरी तरह ठीक होने के बाद ही सर्जरी की जाए.”

अमन की बात सुनकर, अजय ने प्यार से आरू के सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

अजय बोला “तुझे जब ठीक लगे, तू तब आरू की सर्जरी कर सकता है. बस इसके शरीर से चोट के सारे निशान मिटाकर, इसे फिर से पहले जैसा कर दे.”

आज्जि की बात सुनकर, अमन उसको सब ठीक हो जाएगा का दिलासा देते हुए समझने लगा. शिखा ये सब नज़ारा खामोशी से देख रही थी. वो शायद अमन और अज्जि के बीच के इस गहरे रिश्ते को समझने की कोसिस कर रही थी.

जब अज्जि और अमन के बीच की बात ख़तम हुई. तब शिखा ने मुझसे कहा.

शिखा बोली “दीदी अब मैं जाती हूँ. मुझे यहाँ आए बहुत देर हो चुकी है.”

निशा बोली “ओके, मेरा ड्राइवर तुमको घर छोड़ देगा.”

शिखा बोली “दीदी इसकी कोई ज़रूरत नही है. मेरी अक्तिवा खराब हो गयी थी तो, जल्दी मे उसे रास्ते मे पार्क करके आई हूँ. अब जाते समय उसे सुधरवाते हुए घर जाउन्गी.”

निशा बोली “तुम अपनी अक्तिवा की फिकर मत करो. मैं एक लड़के को भी साथ भेज देती हूँ. तुम उसे अपनी अक्तिवा दे देना. वो उसे सुधरवा कर तुम्हारे घर छोड़ देगा.”

शिखा बोली “लेकिन दीदी इस सब की क्या ज़रूरत है. मैं टॅक्सी लेकर चली जाउन्गी ना.”

मगर मैने शिखा की कोई बात नही सुनी और उसे मेरी बात माननी ही पड़ी. लेकिन वहाँ से जाते समय शिखा ने अज्जि से सवाल करते हुए कहा.

शिखा बोली “आपके पास खुद की टॅक्सी है या आप किराए की टॅक्सी चलाते है.”

शिखा का ये सवाल सुनकर, सब हैरान हो गये. आज्जि भी ये अजीब सा सवाल सुनकर, कुछ सोच मे पड़ गया. लेकिन फिर उसने उसके सवाल का जबाब देते हुए कहा.

अजय बोला “जी, अभी तो मैं किराए की ही टॅक्सी चलता हूँ. लेकिन आपने ये क्यो पुछा.”

आज्जि का जबाब सुनकर, शिखा ने उदासी भरे शब्दों मे कहा.

शिखा बोली “वो क्या है कि, मेरे पास एक टॅक्सी है. जो मेरे भैया चलाते थे. लेकिन अब वो इस दुनिया मे नही है. वो टॅक्सी उनकी आखरी निशानी है. इसलिए हम ना तो वो टॅक्सी बेच सकते है और ना ही किसी अंजान आदमी के हाथ मे दे सकते. मगर आप चाहे तो वो टॅक्सी चला सकते है.”

शिखा की बात सुनकर, अज्जि ने हैरान होते हुए कहा.

अजय बोला “लेकिन जब आप अपनी टॅक्सी किसी अंजान आदमी के हाथ मे नही देना चाहती तो, फिर मुझे क्यो दे रही है. आख़िर मैं भी तो एक अंजान ही हूँ.”

शिखा बोली “आप सब इतने अच्छे है कि, आप मे से कोई भी मुझे अंजान नही लगता. आप यदि मेरी टॅक्सी चलाएगे तो, मुझे खुशी होगी और मेरी टॅक्सी की देख भाल भी होती रहेगी. आपको यदि ठीक लगे तो, आप मेरे घर आकर टॅक्सी ले लीजिएगा.”

इतना बोलने के बाद, शिखा ने सबको बाइ किया और वहाँ से चली गयी. शिखा की इस बात ने सबको लाजबाब कर दिया था. लेकिन अमन ने सीरत पर गुस्सा करते हुए कहा.

अमन बोला “ले देख ले तेरे एक झूठ के पीछे क्या क्या हो रहा है. तेरे एक झूठ ने अज्जि को टॅक्सी ड्राइवर और आरू को टॅक्सी ड्राइवर की बहन बना कर रख दिया है.”

अमन को यू गुस्सा होते देख, सीरत ने डर कर नज़रे नीची कर ली. मगर आरू ने अमन के गुस्से की परवाह किए बिना कहा.

अर्चना बोली “जब भैया को एक टॅक्सी ड्राइवर कहलाने मे कोई शरम नही आई तो, मुझे टॅक्सी ड्राइवर की बहन कहलाने मे कैसी शरम है. दीदी ने कुछ भी ग़लत नही किया.”

आरू की इस बात पर अमन ने चिढ़ते हुए उस से कहा.

अमन बोला “तुझे एक टॅक्सी ड्राइवर की बहन कहलाने मे शरम नही है. मगर मुझे एक भोली भाली लड़की के साथ ऐसा धोका करने मे शरम आ रही है.”

अमन को इस बात को लेकर इतना ज़्यादा चिड़चिड़ाते देख, अज्जि ने उसे समझाने की कोसिस करते हुए कहा.

अजय बोला “तू हर बात पर इतना चिड क्यो रहा है. इन्हो ने एक छोटा सा मज़ाक ही तो किया है. यदि तुझे इनका ये मज़ाक पसंद नही आया तो, ये उसको सारी सच्चाई बता कर उस से सॉरी बोल देगी.”

अजजी की बात सुनकर, अमन ने उसको समझाते हुए कहा.

अमन बोला “जिसे तू एक सिर्फ़ एक छोटा सा मज़ाक समझ रहा है. आगे जाकर ये ही एक गहरी साजिश का रूप ले लेगा. अभी तू इस मज़ाक के पीछे छुपे राज को नही जानता है. इसलिए तुझे ये सिर्फ़ एक छोटा सा मज़ाक लग रहा है. लेकिन सच्चाई जानने के बाद तुझे भी इनका मज़ाक उतना ही बुरा लगेगा, जितना बुरा मुझे लग रहा है.”

अमन की बात सुनकर, अजजी हैरत मे पड़ गया और अमन की तरफ सवालिया नज़रों से देखने लगा. अमन को सबने रोकने की कोसिस की लेकिन फिर उसने सारी सच्चाई अज्जि के सामने खोल कर रख दी.

शिखा के बारे मे सारी सच्चाई सुनकर अज्जि को एक गहरा झटका लगा. वही सीरत का चेहरा शर्मिंदगी से झुक गया. थोड़ी देर तक वहाँ खामोशी छाई रही. फिर अज्जि ने इस खामोशी को तोड़ते हुए सीरू से कहा.

अजय बोला “तू क्यो इतना उदास होती है. तूने कुछ ग़लत नही किया. तुझे अपने भाई की खुशी के लिए जो ठीक लगा, तूने वो किया. मगर मुझे लगता है कि, अमन सही कह रहा है. हमे उसको भूलना होगा. ये ही हमारी और उसकी भलाई के लिए ठीक होगा.”

अजजी की बात सुनते ही सीरू उस से लिपट कर रोने लगी. सीरू के ये आँसू उसके खुद के लिए नही, बल्कि अपने भाई के उस दर्द को महसूस करके बह रहे थे. जो उसका भाई अपनी ज़ुबान से कह नही पा रहा था.

जिस चेहरे को देख कर अभी कुछ देर पहले उसके भाई के चेहरे पर जमाने भर की रौनक नज़र आ रही थी. अब उसका भाई, उस से उसी चेहरे को भूल जाने की बात कर रहा था. जिसे भूलना खुद उसके लिए भी आसान नही था.

यही सब सोच सोच कर सीरू के आँसू थम नही रहे थे और वो अज्जि से लिपट कर रोए जा रही थी. आज्जि ने उसे इस तरह रोते देखा तो, वो शायद उसके आँसुओं का मतलब समझ चुका था. उसने सीरू के आँसू पोछते हुए कहा.

अजय बोला “रोती क्यो है पगली. तेरा भाई देखने मे इतना बुरा तो नही कि, कोई लड़की उस से शादी ही ना करे. तू देखना, मैं तेरे लिए इस से भी अच्छी भाभी ढूँढ कर लाउन्गा.”

लेकिन ये बात कहते कहते अज्जि अपनी खुद की आँखे भी छलकने से ना रोक सका. मगर उसने अपनी आँखों को फ़ौरन सॉफ करके, सेलू की तरफ देखा. वो भी चुप चाप खड़ी आँसू बहा रही थी. आज्जि ने अपनी बाहें फैलाते हुए उस से कहा.

अजय बोला “तू वहाँ अकेली क्यो खड़ी है. बाद मे मत बोलना कि, मैं तुझे प्यार नही करता.”

आज्जि की बात सुनते ही सेलू भाग कर उसके पास आई और आकर उसके गले से लग गयी. भाई बहन का ये प्यार देख, मैं भी अपनी आँखें भीगने से ना रोक सकी. मैं नही जानती थी कि, अब आगे क्या होने वाला है. लेकिन दिल से चाहती थी कि,
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(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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