RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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अमन हमेशा से ही कहा करता था कि, अज्जि उसका दोस्त नही, उसका भाई है. उसके घर वाले भी अज्जि को अपना बेटा ही मानते है और उसकी बहनें तो उस से ज़्यादा अज्जि से प्यार करती है. अमन के मन मे इस बात को लेकर कभी कोई मलाल नही था.
मगर मुझे अक्सर इस बात को लेकर अज्जि से जलन हुआ करती थी कि, अमन की तीनो बहने अमन से ज़्यादा अज्जि को इतना प्यार क्यो करती है. लेकिन जैसे जैसे मैने अज्जि और उसकी बहनों के करीब आती गयी. वैसे वैसे ही मुझे उनके इस प्यार का अहसास भी होने लगा था.
मैं अच्छे से समझ गयी थी कि, भले ही अज्जि और अमन मे खून का रिश्ता ना हो. मगर उनके बीच दिल का एक ऐसा रिश्ता है. जो खून के रिश्ते से भी ज़्यादा गहरा है. आज्जि के दादा जी की मौत और आरू के साथ हुए हादसे ने भी, मेरे मन से अज्जि के लिए हर एक पराएपन को मिटा कर, उसे मेरे परिवार का एक हिस्सा बना दिया था.
जिसकी वजह से आज मेरी आँखों के सामने जो कुछ होने जा रहा था. उसे मैं रोकना चाहती थी और अपने परिवार की खुशियाँ उन्हे वापस देना चाहती थी. मगर कैसे, ये बात मेरी समझ मे नही आ रही थी.
तभी मुझे अमन से कही अपनी बात याद आई कि, यदि किस्मत इन्हे मिलाना चाहती है तो, इन्हे तब तक मिलाती रहेगी, जब तक कि ये एक ना हो जाए. बस इसी बात की खुद को तसल्ली देते हुए मैने सब से कहा.
मैं बोली “किसी को कुछ भूलने की ज़रूरत नही है. सीरू ने जैसा कहा है, अभी सब कुछ वैसा ही चलने दो.”
मेरी बात को सुनकर, सीरू के चेहरे पर मुस्कान आ गयी. लेकिन अमन ने अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए कहा.
अमन बोला “ये तुम क्या कर रही हो. अभी अभी मैने इन सबको समझाया और अब तुम इन लोगों को फिर से वो सब करने के लिए भड़का रही हो.”
अमन को मैं अच्छे से जानती थी. वो इस समय ये सब बातें शिखा के भोलेपन को देख कर कह रहा था और मैने भी अमन की उसी दुखती रग पर हाथ रखते हुए कहा.
मैं बोली “तुम क्या चाहते हो.? क्या एक मजबूर लड़की को सिर्फ़ इसलिए उसके हाल पर छोड़ दिया जाए. क्योकि तुम्हे लगता है कि, हमारी सच्चाई पता चलने पर वो हम सब से नफ़रत करने लगेगी. लेकिन क्या तुम मुझे ये बताओगे कि, इस सब मे उस लड़की का क्या कसूर है. उसे उस सच्चाई से दूर क्यो रखा जाए, जिसे जानने का उसे पूरा हक़ है.”
मेरी इस बात ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया था. लेकिन कोई ये समझ नही पा रहा था कि मैं कहना क्या चाहती हूँ. आज्जि को मेरी ये बात सही लगी और उसने मुझसे कहा.
अजय बोला “तुम शायद ठीक कहती हो. वो तुम्हे अपनी बड़ी बहन मानती है. मेरी तरफ से तुम्हे पूरी छूट है कि, तुम जब चाहो उसे ये सच्चाई बता सकती हो.”
आज्जि की बात सुनकर, मुझे खुशी हुई कि, वो मेरी बात समझने को तैयार है. मैने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.
मैं बोली “हान्ं, हम उसे सारी सच्चाई बता देगे. लेकिन अभी उसे कुछ भी बताना, उसके लिए सही नही है. अभी वो अपने भाई की मौत से उबरने की कोसिस कर रही है. ऐसे मे उसे ये सच्चाई पता चली तो, वो टूट कर रह जाएगी. मैं चाहती हूँ कि पहले वो अच्छी तरह से संभाल जाए. उसके बाद कोई सही मौका देख कर, हम उसे ये सच्चाई बता देगे. लेकिन तब तक हमे सब कुछ वैसा ही चलने देना है, जैसा अभी चल रहा है.”
मेरी इस बात को किसी ने भी काटने की कोई कोसिस नही की और सभी इसे मानने के लिए तैयार हो गये. एक तरह से मैने सीरत के सुरू किए गये नाटक पर सबकी सहमति की मुहर लगा दी थी.
अगले दिन अज्जि वापस सूरत लौट गया और फिर उसके 2 दिन बाद शिखा ने भी अपना जॉब जाय्न कर लिया. मैने हॉस्पिटल मे सबको बता रखा था कि, शिखा मेरी छोटी बहन लगती है. मैं हॉस्पिटल मे एक पीडिट्रिक आंड अडल्ट हार्ट सर्जन थी, इसलिए मेरे होते शिखा को हॉस्पिटल मे कोई परेशानी होने की बात ही नही थी.
लेकिन शिखा को किसी भी बात के लिए मेरी कोई ज़रूरत नही पड़ी. धीरे धीरे उसका काम ही उसकी पहचान बन गया. उसकी काम के लिए लगन और मरीजों के लिए सेवा भाव ने सबका दिल जीत लिया. वो जल्दी ही सबकी चहेती नर्स बन गयी.
इधर अज्जि हफ्ते मे एक दो बार आरू से मिलने आता रहता था. लेकिन जब से उसे शिखा के जॉब पर आने की खबर लगी थी. तब से उसने हॉस्पिटल आना बंद कर दिया था. शायद अब वो शिखा का सामना करना नही चाहता था.
लेकिन जल्दी ही अमन ने आरू की सर्जरी की डेट फिक्स कर दी और आरू की सर्जरी के दिन हॉस्पिटल मे अज्जि का सामना शिखा से हो ही गया. शायद अज्जि को भी इस बात का पहले से अंदेशा था. इसलिए इस बार वो हॉस्पिटल बड़े ही साधारण से पहनावे मे आया था.
आरू की सर्जरी का शिखा को पहले से पता था. मगर उसकी ड्यूटी दूसरे वॉर्ड मे लगी थी. इसके बाद भी वो सर्जरी के समय बार बार सबसे मिलने आती और आरू का हाल चाल पूछ कर चली जाती.
सर्जरी के बाद आरू को प्राइवेट रूम शिफ्ट कर दिया गया. अपनी ड्यूटी ख़तम होने के बाद शिखा ने, अमन से अपनी ड्यूटी आरू के पास लगवाने की बात की तो, अमन ने उसकी बात मानने से इनकार ना कर सका और उसने शिखा की ड्यूटी आरू के पास लगवा दी.
अगले दिन शिखा को आरू के पास देख कर अज्जि हैरान हो गया. बाद मे शिखा ने ही उसे बता दिया कि, उसने ही अपनी ड्यूटी आरू के पास लगवाई है. शिखा की बात सुनकर अज्जि को खुशी तो हुई. लेकिन अब वो शिखा से दूर ही रहना चाहता था.
आरू को अभी लगभग एक महीना हॉस्पिटल मे रहना था. क्योकि उसकी 3-4 सर्जरी होना थी. ऐसे मे अज्जि के हॉस्पिटल ना आने का सवाल ही नही उठता था. मगर अगले दिन से अज्जि ने दिन की जगह सिर्फ़ रात को हॉस्पिटल मे रहना सुरू कर दिया.
मगर शिखा ये देख कर हैरान थी कि, आरू हॉस्पिटल मे है और उसका भाई उस से मिलने नही आ रहा है. उसे जब एक दो दिन अज्जि हॉस्पिटल मे नज़र नही आया तो, उसने बातों बातों मे आरू से कहा.
शिखा बोली “आरू, तुम हॉस्पिटल मे हो और तुम्हारे भाई, तुमसे मिलने एक बार भी नही आते. क्या वो किसी काम मे बिज़ी है.”
शिखा की बात सुनकर, आरू हँसने लगी और फिर उसने मुस्कुराते शिखा से कहा.
अर्चना बोली “मेरे भैया के लिए मुझसे बढ़ कर कोई काम नही है. वो मुझे ऐसी हालत मे अकेले छोड़ कर रह ही नही सकते. असल मे यहाँ दिन मे सभी लोग रहते है. इसलिए जब रात को कोई मेरे पास नही रहता, तब भैया और सीरू दीदी मेरे पास रहते है.”
आरू की इस बात ने शिखा की हैरानी का तो अंत कर दिया था. मगर शिखा के मन मे अज्जि से मिलने की जो ललक थी उसका अंत नही हो सका था. दो दिन तक सब ठीक तक चलता रहा और शिखा अपनी ड्यूटी आरू के पास ही करती रही.
लेकिन तीसरे दिन मुझे शिखा नज़र नही आई. ये पहली बार हुआ था कि, शिखा बिना मुझे बताए ड्यूटी से गायब थी. मुझे लगा कि कही उसकी तबीयत तो खराब नही हो गयी. उसके बारे मे जानने के लिए मैने उसको कॉल किया तो, उसने मुझसे कहा.
शिखा बोली “दीदी घर मे मम्मी की तबीयत सही नही है. जिसकी वजह से अभी मुझे घर का काम भी करना पड़ रहा है. इसलिए मैने अपनी ड्यूटी नाइट शिफ्ट मे करवा ली है. सॉरी, मैं आपको ये बात बताना भूल गयी थी.”
मुझे उसकी इस बात मे कोई बुराई नज़र नही आई. मैने उसे दिलासा देते हुए कहा.
मैं बोली “पागल इसमे सॉरी बोलने वाली क्या बात है. यदि आंटी की तबीयत सही नही है तो, तुझे कुछ दिन की छुट्टी ही लेना थी. अपनी ड्यूटी नाइट शिफ्ट मे करवाने की क्या ज़रूरत थी.”
शिखा बोली “नही, छुट्टी लेने जैसी कोई बात नही है. बस घर के काम की वजह से ही ड्यूटी बदलवाना पड़ गयी.”
मैं बोली “ओके जैसी तेरी मर्ज़ी. यदि तुझे छुट्टी लेना हो तो बेजीझक छुट्टी ले लेना. बाकी मैं देख लुगी.”
इतना कह कर मैने कॉल रख दिया. मैने ये बात अमन को बताई तो, उसने कहा कि, शिखा ने उस से इस बारे मे कुछ नही बताया. लेकिन तुम शाम को घर जाती समय उसकी मम्मी को देखती हुई जाना.
मुझे अमन की बात ठीक लगी और शाम को घर जाती समय, मैं शिखा के घर चली गयी. लेकिन मुझे अपने घर मे देख कर, शिखा कुछ खास खुश नज़र नही आ रही थी और बहुत बहुत डरी डरी सी लग रही थी.
पहले तो मुझे शिखा का ये व्यवहार अजीब सा लग रहा था. लेकिन बाद मे मैने शिखा की मम्मी को अच्छा भला देखा तो, मुझे शिखा के इस तरह डरने का मतलब समझ मे आ गया था. इसलिए मैने घर मे कोई ऐसी बात नही की, जो शिखा के लिए मुसीबत पैदा कर दे.
लेकिन घर से बाहर निकलते ही, जब शिखा मुझे गाड़ी तक छोड़ने आई तो, मैने उस से कहा.
मैं बोली “आंटी तो अच्छी भली है. फिर तुमने मुझसे उनकी तबीयत का झूठ क्यो बोला.”
मेरी बात सुनकर, शिखा ने शर्मिंदा होते हुए कहा.
शिखा बोली “सॉरी दीदी. असल मे बात ये थी कि, दिन मे तो आरू के पास आप सब लोग रहते है. लेकिन रात मे वो अकेली ही रहती है. आख़िर वो आपके परिवार का एक हिस्सा है और उसके लिए मेरा भी कुछ फ़र्ज़ बनता है. बस इसीलिए मैने अपनी ड्यूटी नाइट मे करवा ली.”
शिखा की ये बात मेरे दिल को छु गयी. मैने उसे समझाते हुए कहा.
मैं बोली “तो इसमे झूठ कहने की क्या ज़रूरत थी. तुम यदि मुझसे या अमन से रात को आरू के पास रुकने की बात बोलती तो, क्या हम तुमको ऐसा करने से रोक देते. हमे तो उल्टे इस बात से खुशी ही होती ना.”
मेरी बात को सुनकर, शिखा ने किसी छोटे बच्चे की तरह अपने कान पकड़ते हुए कहा.
शिखा बोली “सॉरी दीदी, अब कभी आपसे झूठ नही बोलुगी. बस इस बार माफ़ कर दीजिए.”
उसके इस भोलेपन को देख, मैने प्यार से उसके गाल पर एक चपत लगाते हुए कहा.
मैं बोली “तू नही सुधरेगी. तूने तो बात बात पर सॉरी कहना सीख रखा है. ओके, तो अब मैं चलती हूँ, बाइ.”
शिखा ने भी मुझे हाथ हिलाकर बाइ किया और फिर मैं घर के लिए निकल गयी. मैने ये बात फोन पर अमन को बताई तो, उसने मुझे ताना मारते हुए कहा.
अमन बोला “ये तो बहुत अच्छी बात है कि, रत को आरू की देख भाल के लिए शिखा उसके पास रहेगी. लेकिन मुझे लगता है कि, तुमको ये बात मुझे बताने से ज़्यादा, अज्जि और सीरू को बताने की ज़रूरत है. ताकि तुम सब लोग मिलकर, शिखा से कोई नया झूठ बोलने की तैयारी कर सको.”
अमन की बात सुनकर, उस वक्त मुझे उस पर गुस्सा तो बहुत आया. लेकिन अमन की बात बेकार की नही थी. उसने इस बात की तरफ इशारा कर दिया था कि, अब एक बार फिर से अज्जि और शिखा का सामना होने वाला है. जिस सामना होने का मतलब था कि, अजजी और शिखा की कहानी नया मोड़ ले सकती है.
मगर यहाँ परेशानी ये थी कि, अज्जि शिखा का सच जानने के बाद उस से दूरी बना रहा था और शिखा हर सच से अंजान थी. ऐसे मे उन दोनो के लिए मैं क्या कर सकती हूँ, ये बात मेरी समझ के बाहर थी. मैने ये बात अमन से ही जानने के लिए, मैने अमन की बात से अंजान बनते हुए कहा.
मैं बोली “ये तुम कैसी बात कर रहे हो. तुम्हे तो पता है कि अज्जि पहले ही फ़ैसला कर चुका है कि, वो अब शिखा से दूर ही रहेगा. फिर भला हमे उस से कोई झूठ बोलने की ज़रूरत क्या है.”
मेरी बात सुनकर अमन ने मुस्कुराते हुए कहा.
अमन बोला “एक झूठ को छिपाने के लिए हज़ार झूठ बोलना पड़ते है. तुम लोगों ने झूठ का बीज बोया था. अब वो पेड़ बनने लगा है.”
अमन की ये बात सच मे मेरी समझ के बाहर थी. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, अमन का इशारा किस बात की तरफ है. मैने उस से इसकी वजह पूछते हुए कहा.
मैं बोली “तुम कहना क्या चाहते हो, मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रहा है. जो भी कहना है, साफ साफ कहो. बेकार की पहेलियाँ मत बुझाओ.”
मेरी इस बात के जबाब मे अमन ने कहा.
अमन बोला “तुमको क्या लगता है कि, शिखा रात को आरू के पास क्यो रुकना चाहती है.”
मैं बोली “इसमे लगना क्या है. शिखा ने खुद बताया है कि, आरू के पास रात को कोई नही रहता है. इसलिए वो रात को आरू के पास रहना चाहती है.”
मेरी बात सुनकर अमन ने कहा.
अमन बोला “लेकिन शिखा को कैसे मालूम कि, रात को आरू के पास कोई नही रहता.”
अमन की ये बात सुनकर, मैने झुंझलाते हुए उस से कहा.
मैं बोली “कैसी बच्चों जैसी बात करते हो. वो दिन भर आरू के पास रहती है. तभी उसने किसी ना किसी से पता कर लिया होगा कि, रात को आरू के पास कौन रहता है.”
मेरी बात सुनकर, अमन ने कहा.
अमन बोला “बच्चों जैसी बात मैं नही तुम कर रही हो. शिखा ये अच्छी तरह से जानती है कि, रात को आरू अकेली नही रहती. रात को आरू के पास सीरू और अज्जि रहते है. इसलिए उसने अपनी नाइट ड्यूटी लगवाने की बात, मुझसे या तुमसे नही की थी. क्योकि उसे लगा होगा कि, मैं या तुम उसे नाइट ड्यूटी करने से रोक देगे.”
अमन की इस बात ने सच मे मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया था. मगर मैं शिखा के ऐसा करने का मतलब समझ नही पा रही थी. मैने अमन पर अपनी हैरानगी जाहिर करते हुए कहा.
मैं बोली “लेकिन तुम ये सब बात इतनी यकीन के साथ कैसे कह रहे हो.”
मेरी बात सुनकर, अमन ने मुझे समझाते हुए कहा.
अमन बोला “क्योकि 2 दिन पहले मुझे आरू ने बताया था कि, शिखा उस से पूछ रही थी कि, उसके भैया उसे देखने क्यो नही आते. तब आरू ने उसे बताया था कि, अज्जि और सीरू दीदी रात को उसके साथ रहते है.”
अमन की बात सुनकर, मैने चौक्ते हुए उस से कहा.
मैं बोली “इसका मतलब तो ये हुआ कि, शिखा ने अज्जि की वजह से अपनी ड्यूटी रत की शिफ्ट मे करवाई है. शिखा से मुझे ऐसी उम्मीद नही थी. मगर अचानक ऐसा क्या हुआ, जो शिखा का झुकाव अज्जि की तरफ हो रहा है.”
अमन बोला “यार तुम एक लड़की होकर भी ऐसी बात कर रही हो. लड़की कितनी भी सीधी क्यो ना हो. मगर अपनी तरफ उठती किसी भी लड़के की नज़र को अच्छी तरह से समझती है. उस पर यदि कोई लड़का अज्जि की तरह का हो तो, किसी भी लड़की के लिए उसे अनदेखा कर पाना नामुमकिन है. फिर चाहे वो लड़की शिखा ही क्यो ना हो.”
“आज्जि शिखा को पहली मुलाकात से ही देखते आ रहा है. जब ये बात हम मे से किसी की नज़र से नही छुप सकी तो, फिर भला शिखा की नज़र से कैसे छुप सकती है. वो इस बात को अच्छी तरह से समझती है कि, अज्जि उसे पसंद करता है और शायद ये ही बात उसे भी अज्जि की तरफ खीच कर ले जा रही है.”
अमन की ये बात सुनकर, मेरी खुशी का कोई ठिकाना नही था. मैने खुश होते हुए अमन से कहा.
मैं बोली “ये तो तुमने बहुत खुशी की बात बताई है. अब अज्जि और शिखा को मिलने से कोई नही रोक सकता.”
मेरी बात के जबाब मे अमन ने बड़ी ही गंभीरता से कहा.
अमन बोला “ये सिर्फ़ तुम्हारी सोच है. ऐसा कुछ नही होगा. जब तक शिखा को सारी सच्चाई का पता नही लग जाता, तब तक अज्जि उसकी तरफ आगे कदम नही बढ़ाएगा और जब शिखा को सच्चाई का पता चलेगा, वो खुद अज्जि की तरफ कदम बढ़ाने से रुक जाएगी. इसलिए ये सपने देखना बंद कर दो.”
अमन की इस बात मे भी कड़वी सच्चाई थी. मेरा दिमाग़ तो अमन की बात को समझ रहा था. मगर मेरा दिल अमन की इस बात को मानने से इनकार कर रहा था. थोड़ी देर अमन से इस बारे मे बात करने के बाद, मैने कॉल रख दिया.
लेकिन अब भी मेरे दिमाग़ मे अमन की कही बातें गूँज रही थी. जिनका कोई भी जबाब मेरे पास नही था. मैं समझ नही पा रही थी कि, अब ऐसी स्थिति मे मुझे क्या करना चाहिए. ये सब सोच सोच कर मेरा दिमाग़ ही काम करना बंद कर दिया था.
लेकिन फिर अचानक ही मुझे अमन की कही एक बात याद आई की, जब अपना दिमाग़ काम ना करे तो, उसके दिमाग़ का इस्तेमाल करो. जिसके दिमाग़ पर आपको सबसे ज़्यादा विस्वास हो. इसके साथ ही मेरी आँखों के सामने एक चेहरा घूमने लगा.
उस चेहरे को देखते ही, मेरा चेहरा भी खुशी से खिल उठा और मैने अपने आप से कहा कि, यदि वो सीता है तो, उसे उसके राम से मिलने से कोई नही रोक सकता. ये बात खुद से कहकर, मैने मुस्कुराते हुए अपना मोबाइल उठाया और कॉल लगाने लगी.
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