MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:49 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मेरा कॉल जाते ही अज्जि ने कॉल उठाते हुए कहा.

अजय बोला “हां, बोलो निशा. आरू कैसी है.”

मैने अज्जि की इस बात का मुस्कुराते हुए जबाब देते हुए कहा.

मैं बोली “मैं भी अच्छी हूँ और आरू भी अच्छी है. लेकिन मैं अभी हॉस्पिटल से नही, घर से कॉल कर रही हूँ.”

अजय बोला “क्यों क्या हुआ. कोई खास काम था क्या.”

मैं बोली “हां, काम तो तुमसे बहुत खास है. मगर पता नही कि, मैं तुम्हारे लिए खास हूँ भी या नही.”

मेरी बात सुनकर, अजजी कुछ असमंजस मे पड़ गया. उसे समझ मे नही आ रहा था कि, मैं आज ये कैसी बात कर रही हूँ. उसने मुझसे कहा.

अजय बोला “ये आज तुमको अचानक क्या हो गया और ये तुम कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हो. मेरे लिए तो तुम उतनी ही खास हो, जितना कि अमन है.”

आज्जि की बात सुनकर, मैने हंसते हुए उस से कहा.

मैं बोली “ये सब बोलने की बातें है. ये तो वक्त खुद ही बता देता है कि, कौन किसके लिए कितना खास है.”

मेरी इन बातों से परेशान होकर अज्जि ने मुझसे कहा.

अजय बोला “अब मैं तुम्हे यकीन दिलाऊ कि तुम मेरे लिए सिर्फ़ खास ही नही बल्कि मेरे परिवार का एक ऐसा हिस्सा हो, जिसके बिना मेरा परिवार पूरा ही नही हो सकता.”

आज्जि की इस बात को सुनने के बाद, मुझे उसको और परेशान करना ठीक नही लगा. मैने उसके सामने अपनी बात रखते हुए कहा.

मैं बोली “ओके, मैं तुम्हारी इस बात का यकीन कर लेती हूँ और यदि इस बात मे कुछ झूठ नही है तो फिर तुम्हे मेरी एक बात मानना होगी.”

मेरी बात के जबाब मे, अज्जि ने बिना कुछ सोचे समझे और बिना कोई देर किए मुझसे कहा.

अजय बोला “हां बोलो, मैं तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हूँ.”

मैं बोली “ओके, मैं रात को डिन्नर के बाद तुमको आरू के पास मिलती हूँ. वही तुम्हे अपनी बात बता दुगी.”

इतना कह कर, मैने कॉल रख दिया. आज्जि का कॉल रखने के बाद मैने सीरत से बात की और उसको सब कुछ समझा दिया. सीरत भी मेरी बात को सुनकर बहुत खुश हुई और उसने यकीन दिलाया की, वो सब मेरी इस बात मे मेरा पूरा साथ देगी.

रात को डिन्नर के बाद, मैं 10 बजे हॉस्पिटल पहुचि. उसके पहले मैने अमन से कॉल करके बोल दिया था कि, मैं रात को आरू के पास आउगि. इसलिए वो सेलू को उसके पास ही रहने दें. मैं घर लौटते वक्त उसे भी घर छोड़ दुगी.

मेरी बात सुनकर, अमन ने सेलू को हॉस्पिटल मे ही छोड़ दिया था. मैं जब हॉस्पिटल पहुचि तो, आरू के पास अज्जि था. सेलू और सीरू मुझे बाहर ही टहलती मिल गयी. मैने उनसे थोड़ी बहुत बात की और फिर हम आरू के पास आ गये.

मैने और का हाल चाल पूछा और फिर वही सब के साथ बैठ गयी. आज्जि के चेहरे पर अब भी मेरी बात का असर नज़र आ रहा था. उसने मुझे बैठे देख कर, एक फीकी सी मुस्कान दी और फिर सब से बात करने लगा.

सब से बात करते हुए भी अज्जि की नज़र बार बार मुझ पर ही जा रही थी. कुछ देर तक वो मेरे कुछ बोलने का इंतजार करता रहा. लेकिन जब मैने उस से कुछ नही कहा तो, उसने खुद ही मुझसे कहा.

अजय बोला “तुम मुझसे क्या बोलना चाहती थी.”

आज्जि की बात सुनकर मैने मुस्कुराते हुए उस से कहा.

मैं बोली “सिर्फ़ मैं ही नही, हम सब तुमसे कुछ बोलना चाहते है.”

मेरी बात सुनकर, अज्जि हैरानी से एक एक करके हम सब की तरफ देखा और फिर कहा.

अजय बोला “लेकिन तुम सबको बोलना क्या है.”

आज्जि की इस बात का जबाब सीरत ने देते हुए कहा.

सीरत बोली “भैया, हम सब चाहते है कि, अब आप शादी कर लीजिए और हमारे लिए एक प्यारी सी भाभी ले आइए.”

सीरत की बात सुनकर, अज्जि ने राहत की साँस ली और मुझसे कहा.

अजय बोला “क्या सच मे तुम्हे ये ही बात करना थी.”

मैं बोली “हां, मेरी बात ये ही थी. अब ये तय तो तुमको करना है कि, तुम मेरी बात मनोगे या नही.”

आज्जि ने मेरी बात सुनकर, पहली बार मुस्कुराते हुए कहा.

अजय बोला “ये तुमको अचानक क्या हो गया. भला ये भी शादी की बात करने का कोई समय है. अभी तो हमे सिर्फ़ आरू के बारे मे ही सोचना चाहिए. उसके बाद ही इस बारे मे बात करना अच्छा रहेगा.”

आज्जि सीधे सीधे तो नही मगर आरू की तबीयत की आड़ लेकर इस बात को टालना चाहता था. लेकिन सीरू ने अज्जि की इस कोसिस पर पानी फेरते हुए कहा.

सीरत बोली “भैया बात को टालने की कोसिस मत कीजिए. भाभी जो बोल रही है, वो ही हम सब भी चाहते है. अब यदि आप हम लोगों की बात नही मानना चाहते तो, कोई बात नही.”

सीरू की बात सुनकर, अज्जि ने उसे समझाते हुए कहा.

अजय बोला “मैं कब तुम लोगों की बात को मानने से मना कर रहा हूँ. लेकिन शादी के लिए कोई लड़की भी तो होना चाहिए ना. तुम लोग पहले कोई लड़की तो पसंद कर लो. फिर मैं शादी भी कर लूँगा.”

आज्जि अपनी बात बोल कर सबका चेहरा देखने लगा. उसे लगा कि इस बात से शायद सबका शादी की ज़िद करना बंद हो जाएगा. लेकिन उसकी इस बात का जबाब सेलू ने जबाब देते हुए कहा.

सेलिना बोली “भैया हम लोगों को कोई लड़की ढूँढने की ज़रूरत नही है. हमने जो लड़की अपनी भाभी के लिए पसंद की थी. हम चाहते है कि, वो ही हमारी भाभी बने.”

सेलू की इस बात ने अज्जि को परेशानी मे डाल दिया. उसने सेलू को समझाते हुए कहा.

अजय बोला “ये तुम्हारे चाहने या ना चाहने की बात नही है. तुम सबको भी ये बात पता है कि, वो तुम्हारी भाभी नही बन सकती. फिर तुम लोगों का ऐसी ज़िद करना अच्छी बात नही है.”

आज्जि की इस बात का जबाब मैने देते हुए कहा.

मैं बोली “अज्जि वो इनकी भाभी बन सकती. यदि हम सब उस से बात करे और अपनी ग़लती की माफी माँगे तो, मुझे उम्मीद है कि, ऐसा हो सकता है.”

लेकिन अज्जि ने मेरी बात को सुनकर, मेरे सारे मंसूबों पर पानी फेरते हुए कहा.

अजय बोला “ग़लती.? कैसी ग़लती.? मैने कोई ग़लती नही की है. अपनी बहन की जान बचाने की कोसिस करके मैने कोई ग़लत काम नही किया है. अब दुनिया इस बारे मे क्या सोचती है, मुझे इसकी कोई परवाह नही है.”

आज्जि ने दो टुक अपना जबाब सुना दिया था. आज्जि की बात सुनकर, एक पल के लिए मुझे लगा कि अब कुछ नही हो सकता. लेकिन अगले ही पल मुझे आरू का ख़याल आया. उसने भी इस बात मे मेरा साथ देने की बात कही थी. इसलिए मैने आरू की तरफ इशारा करते हुए अज्जि से कहा.

मैं बोली “ये ठीक है कि, तुम्हे इस बात की परवाह नही है कि, दुनिया इस बारे मे क्या सोचती है. लेकिन क्या तुमने ये जानने की कोसिस की है कि, तुम्हारी वो बहन इस बारे मे क्या सोचती है. जिसके लिए तुमने ये सब किया है.”

इतना बोल कर मैं अज्जि की तरफ सवालिया नज़रों से देखने लगी. मेरी बात सुनकर, अज्जि ने मेरी तरफ देखा और फिर आरू के सर पर हाथ रखते हुए कहा.

अजय बोला “यदि आरू मानती है कि, मैं ग़लत हूँ तो, मैं इसके सर की कसम खाकर कहता हूँ कि, मैं सिर्फ़ शिखा से ही नही, बल्कि उसके सारे खानदान से माफी माँगने और उनकी दी हुई हर सज़ा कबुल करने को तैयार हूँ.”

इतना बोल कर, अज्जि आरू के जबाब का इंतजार करने लगा. उस वक्त अज्जि ही नही, हम सबकी भी नज़र आरू की तरफ ही थी. सब आरू का जबाब सुनने को बेचैन थे. लेकिन आरू सबको देख कर मुस्कुरा रही थी.

फिर उसने अज्जि के हाथ को अपने सर से अलग करके अपने हाथों मे थामा और उसके हाथ को चूमते हुए कहा.

अर्चना बोली “मेरे भैया, मेरे लिए भगवान है और भगवान कभी कोई ग़लती नही करते.”

आरू के जबाब को सुनकर जहाँ, अजजी की आँखें भीग गयी थी और वो उसे लाड़ कर रहा था. वही आरू के जबाब को सुनकर, मुझे उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था. उसने आख़िरी समय पर मुझे धोका दे दिया था.

मैं कसमसाना कर रह जाने के सिवा कुछ नही कर सकी थी. मेरे मन की बात को शायद सीरू समझ गयी थी. उसने मेरे पास आकर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए धीरे से मेरे कान मे कहा.

सीरत बोली “भाभी, आरू हमारा साथ देने से पीछे नही हटी है. लेकिन आपने उसे भैया के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोसिस करके ग़लती कर दी. आपने ये सोच भी कैसे लिया कि, आरू कभी भैया के खिलाफ जा सकती है.”

“आरू भैया की सिर्फ़ कमज़ोरी नही, उनकी ताक़त भी है. आरू के लिए भैया कुछ भी कर सकते है और आरू के नाम से भैया से कुछ भी करवाया जा सकता है. अब आप देखिए आपकी बिगड़ी बात को मैं कैसे सीधा करती हूँ.”

ये कहते हुए, सीरू मेरे पास से अज्जि और आरू के पास जाकर खड़ी हो गयी. आज्जि हमेशा कहता था कि, सीरू का शैतानी दिमाग़ है और कुछ ना कुछ खुरापात उसके दिमाग़ मे पालती रहती है. मगर आज मैं दुआ कर रही थी कि, सीरू का दिमाग़ कुछ कमाल दिखा दे.

मेरी नज़र सीरू पर टिकी हुई थी कि, वो अब क्या करने वाली है. उधर सीरू ने अज्जि के पास जाकर, उस से कहा.

सीरत बोली “भैया, मैं भी यही मानती हूँ कि, आपने कुछ ग़लत नही किया है. लेकिन इस सब के बाद भी, मैं ये ही चाहती हूँ कि, शिखा ही मेरी भाभी बने. मैं तो शिखा के सिवा किसी और को अपनी भाभी के रूप मे देखना ही नही चाहती. अब सेलू और आरू क्या चाहती है, ये तो वो ही जानती है.”

सीरू की बात के जबाब मे सेलू ने भी इस बात मे अपनी सहमति दे दी. वही सीरू और सेलू की बात सुनकर, आरू ने अज्जि से कहा.

अर्चना बोली “भैया, मैं भी यही चाहती हूँ. यदि शिखा मेरी भाभी नही बन पाई तो, मेरे दिल पर जिंदगी भर ये ही बोझ रहेगा कि, वो मेरी वजह से ही मेरी भाभी नही बन पाई है.”

इतना बोल कर, आरू की आँखों से टॅप टॅप करके आँसू गिरने लगे. उसके आँसू देख कर, अज्जि का मन भी बदल गया. उसने आरू के आँसू पोछते हुए उस से कहा.

अजय बोला “तू रोती क्यो है पगली. तू चाहती है कि शिखा तेरी भाभी बने तो, अब चाहे जो भी हो जाए, वो ही तेरी भाभी बनेगी. तेरा ये भाई तेरे दिल पर कोई भी बोझ नही रहने देगा.”

आज्जि की बात सुनकर सबके चेहरे खुशी से खिल उठे. अब शिखा के लिए जो भी करना था, अज्जि को करना था. क्या करना है और कैसे करना है. ये सब सोचना अब मेरा नही अज्जि का काम था और ये सब सोचते हुए मैने एक सुकून भरी साँस ली.

अब रात ज़्यादा हो रही थी. इसलिए मैने सेलू को घर चलने को कहा और फिर हम दोनो घर के लिए निकल गये. घर के लिए निकलते समय मेरी शिखा से भी मुलाकात हुई. उस से थोड़ी बहुत बात करने के बाद मैने सेलू को घर छोड़ा और फिर मैं भी घर आ गयी.

इस घटना के बाद से अज्जि ने शिखा से दूरी बढ़ाने का इरादा छोड़ दिया और फिर दोनो की हॉस्पिटल मे रोज मुलाकात होने लगी. शिखा ने अज्जि से निक्की के बारे मे पूछा तो, अज्जि ने बताया कि, वो आरू की सहेली है और आरू के साथ ही पढ़ती है. निक्की के हॉस्टिल मे होने की वजह से शिखा को लगा था कि, आरू भी उसके साथ हॉस्टिल मे ही रहती है.

लेकिन उसने ये बात अज्जि से कभी पूछी नही. शिखा बार बार उस से अपनी टॅक्सी चलाने के बारे मे पूछती रहती थी और एक दिन अज्जि ने इसके लिए हां कर दिया. लेकिन अज्जि ने कहा कि, वो टॅक्सी आरू के हॉस्पिटल से छुट्टी होने के बाद ही चलाएगा और टॅक्सी को अपने पास ही रखेगा. जिसके लिए शिखा तैयार हो गयी.

आज्जि के ऐसा कहने की वजह ये थी कि, आरू के हॉस्पिटल से घर लौटते ही अज्जि भी वापस सूरत चला जाता. ऐसे मे शिखा से उसका रोज सामना हो पाना मुमकिन नही था. जबकि टॅक्सी उसके पास रहने से वो टॅक्सी अपने घर मे रख देता और शिखा ये ही समझती कि, वो उसकी टॅक्सी चला रहा है.

सब कुछ ठीक चलने लगा था. एक दिन हॉस्पिटल मे आरू के पास बैठ कर शिखा और सीरू आपस मे बातें कर रहे थे. तभी शिखा ने सीरू से अज्जि के घर परिवार के बारे मे पूछ लिया.

सीरू ने शिखा को बताया कि, अजजी का परिवार आरू ही है और वो एक किराए के मकान मे रहता है. तब शिखा ने कहा कि, आरू तो हॉस्टिल चली जाती होगी. ऐसे मे अज्जि का खाने पीने का ख़याल कौन रखता होगा.

शिखा की इस बात से सीरू समझ गयी कि, शिखा ये समझती है कि, आरू हॉस्टिल मे रहती है. उसने भी शिखा की इस सोच को नही झुटलाया और उस से कह दिया कि, अज्जि अपना खाना पीना घर के बाहर ही करता है.

सीरू ने शिखा से हुई ये बातें अज्जि को बता दी थी. ताकि अज्जि को शिखा की किसी बात का जबाब देने मे कोई परेशानी ना हो. मगर शिखा के दिमाग़ मे तो कोई और ही बात चल रही थी. जिसे समझ पाना सीरू तो क्या, किसी के भी बस की बात नही थी.
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(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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