MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:56 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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अमन को समझ मे नही आ रहा था कि, धीरू शाह जैसा इंसान ऐसा कैसे कर सकता है. अमन ने अज्जि से सवाल करते हुए कहा.

अमन बोला “ये तू क्या बोल रहा है. धीरू अंकल ऐसा क्यो करेगे.”

अजय बोला “पापा का एक हॉस्पिटल बनाने का सपना था. उस हॉस्पिटल के लिए उन्हो ने एक ज़मीन देखी थी. जिसे वो मूह माँगी कीमत देकर भी खरीदने को तैयार थे. वो ज़मीन शहर के बीच मे थी और कयि बड़े लोग उस ज़मीन को हासिल करना चाहते थे. मगर उस ज़मीन का सौदा पापा के साथ पक्का हो गया था.”

“पापा को उस ज़मीन खरीदने से रोकने के लिए, किसी बिज़्नेसमॅन ने धीरू अंकल को बड़ी रकम दी थी. लेकिन पापा ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया था. जिस वजह से धीरू अंकल ने उनका रोड आक्सिडेंट करवा दिया. मेरे जिस बाप ने उन पर एक सगे भाई की तरह विस्वास किया था. उन्हो ने उसी के साथ विस्वास घात करके, सिर्फ़ ज़रा से पैसे के लिए उनकी जान ले ली.”

आज्जि की बात सुनकर, अमन की आँखे भी भीग गयी. लेकिन उसने अज्जि को संभालते हुए कहा.

अमन बोला “तू फिकर मत कर, उसे उसके किए की सज़ा ज़रूर मिलेगी. मैं अभी अभय (एस.पी.) से बात करता हूँ. साला अब जिंदगी भर जैल की चक्की पिसेगा.”

ये कह कर अमन ने एस.पी. को कॉल लगाने के लिए अपना मोबाइल निकाला और कॉल लगाने लगा. लेकिन अज्जि ने उसे कॉल लगाने से रोकते हुए कहा.

अजय बोला “ऐसा मत कर, ज़रा हेतल और आंटी के बारे मे भी सोच, ये सब वो लोग कैसे सह पाएगी.”

आज्जि की बात सुनकर, अमन ने भड़कते हुए कहा.

अमन बोला “तू पागल हो गया है क्या. जिसने तेरे परिवार को ख़तम कर दिया. तू उसी के परिवार के बारे मे सोच रहा है.”

अजय बोला “नही, मैं उसके परिवार के बारे मे नही सोच रहा हूँ. मैं अपनी उस बहन के बारे मे सोच रहा हूँ. जिसने आरू के जाने के बाद, मेरे अकेलेपन को महसूस करके, मुझे हंसाने की कोसिस की थी. मैं अपनी उस बहन के बारे मे सोच रहा हूँ, जिसने धीरू शाह की हरकत पता लगने पर, अपने दोस्त से उन्हे च्छुपाने की जगह सब कुछ मुझे बता देने को कहा था.”

“मैं अपनी उस बहन के बारे मे सोच रहा हूँ, जिसे अपने पिता के मेरी मिल मे आग लगाने की बात पता चली तो, उसने अपने पापा के काम से निकाले जाने पर एक बार भी नाखुशी जाहिर नही की और शरम से उसने मेरा सामना करना ही बंद कर दिया. मैं चाह कर भी इन सब बातों को अनदेखा कर, उसे दुनिया के सामने एक कातिल की बेटी कहलाने की सज़ा नही दे सकता.”

आज्जि की इस बात ने अमन को सोच मे डाल दिया. उसे लग रहा था कि, अज्जि ने धीरू शाह को माफ़ कर दिया है. इस बात की हक़ीकत जानने के लिए उसने अज्जि से कहा.

अमन बोला “तो क्या तूने इस सब के लिए धीरू शाह को माफ़ कर दिया है.”

अजय बोला “नही, मैने उसे माफ़ नही किया. लेकिन उसको सज़ा देना मेरे बस की बात नही है. उसके इस गुनाह की सज़ा उसे उपर वाला ही देगा.”

अभी अज्जि और अमन बात कर ही रहे थे कि, तभी अज्जि का नया मॅनेजर उसके पास भागता हुआ आया और उसने अज्जि से कहा.

मॅनेजर बोला “सर, एक बुरी खबर है. हेतल ने अपने आपको आग लगा ली है और उसे हॉस्पिटल ले जाया गया है.”

मॅनेजर बहुत ज़्यादा घबराया हुआ था और उसकी बात सुनकर, अज्जि भी घबरा गया. लेकिन अमन ने मॅनेजर की ये हालत देख कर, उस से कहा.

अमन बोला “तुम्हे ये बात कैसे पता लगी और तुम इतना घबरा क्यो रहे हो.”

अमन की बात सुनकर, मॅनेजर ने हकलाते हुए कहा.

मॅनेजर बोला “सर, मैं ही वो लड़का हूँ, जिसके लिए हेतल ने ऐसा कदम उठाया है. हम दोनो एक दूसरे को बहुत प्यार करते है. ये बात जब उसके पिता को पता चली तो, वो उसकी शादी कहीं और पक्की करने की कोसिस करने लगे. जिसकी वजह से उसने ऐसा कदम उठा लिया.”

उसकी बात सुनकर, अज्जि ने फ़ौरन हॉस्पिटल जाने की बात की और वो तीनो हॉस्पिटल पहुच गये. हॉस्पिटल मे हेतल का जला हुआ चेहरा और उसे तड़प्ता देख अज्जि के आँसू निकल गये. वही अमन ने हेतल की हालत देखी तो, वहाँ के डॉक्टर. से बात की और फिर उसने अपनी चिंता जाहिर करते हुए अज्जि से कहा.

अमन बोला “हेतल ने अपने आपको मारने की कोशिस की है. इसलिए आग लगने के बाद भी उसने अपने आपको ज़रा भी बचाने की कोसिस नही की, जिस वजह से वो बहुत ज़्यादा जल गयी है. यहाँ के डॉक्टर. कहते है कि, उसका बचना मुस्किल है. लेकिन मेरे ख़याल से यदि इसे जल्दी ही मुंबई ले जाया जाए तो, इसके बचने की कुछ उम्मीद की जा सकती है.”

अमन की बात सुनकर, अज्जि ने उस से कहा.

अजय बोला “हम इसका मुंबई के अच्छे से अच्छे हॉस्पिटल मे इलाज करवायगे. तुम अभी निशा को यहाँ का सारा हाल बताओ. मैं तब तक इसे मुंबई ले जाने का इंतेजाम करता हूँ.”

आज्जि की बात सुनकर, अमन ने मुझे कॉल लगा कर, सारी बातें बताई. मैने अमन से कहा कि, मैं हर मुमकिन मदद करने को तैयार हूँ. तुम अज्जि से कहो कि, वो जल्द से जल्द हेतल को मुंबई ले आए. तब तक मैं हेतल के बारे मे डॉक्टर. से बात करके रखती हूँ.

अमन की मुझसे बात होने के बाद, अज्जि ने बाहर आकर, आंटी से कहा कि, हेतल को इलाज के लिए मुंबई ले जाना ज़रूरी है. हम हेतल को मुंबई ले जाना चाहते है. आज्जि की बात पर आंटी ने तो अपनी सहमति दे दी. लेकिन धीरू शाह ने हेतल को कही भी ले जाने से मना कर दिया. इस पर अज्जि को उस पर गुस्सा आ गया और गुस्से मे धीरू शाह का गिरेबान पकड़ कर, उसे धमकाते हुए कहा.

अजय बोला “तू मेरे माँ बाप का कातिल है. ये जानते हुए भी यदि मैने तुझे कुछ नही कहा तो, उसकी वजह सिर्फ़ हेतल है. लेकिन यदि हेतल को कुछ हुआ तो, तू इतना समझ कर रख ले कि, तुझे मुझसे कोई नही बचा सकता. तेरी बोटी बोटी करके यदि कुत्तो को ना खिला दिया तो, मैं भी अपने बाप की औलाद नही.”


उस वक्त अज्जि की आँखों से शोले बरस रहे थे. जिसके सामने धीरू शाह की बोलती बंद हो गयी और साथ ही उसकी नज़रों से ये परदा भी उठ गया कि, उसकी काली करतूत के बारे मे कोई कुछ नही जानता.

वही आंटी भी अज्जि की ये बात सुनकर, सन्न रह गयी थी. उन्हे समझ मे नही आया कि, अज्जि ये क्या कह रहा है. वो अज्जि से इस बारे मे जानना चाहती थी. लेकिन अज्जि ने अभी हेतल को देखने की बात कह कर बात को टाल दिया.

उसके बाद अज्जि हेतल को मुंबई लाने के इंतज़ाम मे लग गया. धीरू शाह की हिम्मत नही हुई कि, वो अज्जि को ऐसा करने से रोक सके. कुछ ही देर मे हेतल को मुंबई ले आया गया और उसे मुंबई के एक बड़े से हॉस्पिटल मे भरती करा दिया गया.

आज्जि के साथ आंटी और वो मॅनेजर भी आया था. वो मॅनेजर हेतल को देख कर, रोता ही जा रहा था. अमन ने उसे दिलासा देते हुए कहा.

अमन बोला “फिकर मत करो. मुझे उम्मीद है कि हेतल बच जाएगी. लेकिन अब वो पहले की तरह सुंदर नही हो सकती. क्या ऐसे मे भी तुम उसका साथ दे सकोगे.”

अमन की बात सुनकर, उस मॅनेजर ने कहा.

मॅनेजर बोला “सर, वो बच बस जाए और मुझे कुछ नही चाहिए. आग से उसका शरीर ज़रूर जल गया है. लेकिन उसके दिल मे मेरे लिए जो प्यार बसा हुआ है. वो प्यार तो नही जला ना. मैं हेतल से अब भी प्यार करता हूँ और मैं आपको यकीन दिलाता हूँ कि, मैं हर हाल मे हेतल का साथ निभाउन्गा. मेरे लिए वो हमेशा ही वो ही हेतल रहेगी, जो जलने से पहले थी. बस आप उसे बचा लीजिए.”

मॅनेजर की बात सुनकर, अज्जि ने उसे दिलासा देते हुए कहा.

अजय बोला “हेतल को कुछ नही होगा. वो बिल्कुल ठीक हो जाएगी. मुझे खुशी है कि, मेरी बहन ने तुम जैसे लड़के को अपने लिया चुना है. लेकिन साथ ही इस बात का दुख भी है कि, उसने ऐसा कदम उठाने से पहले एक बार तो अपने इस भाई को आजमा कर देख लिया होता. मैं इतना बुरा तो नही था कि, उसकी शादी तुमसे नही करवाता.”

ये कहते कहते अज्जि की आँखें छलक गयी. वही उस मॅनेजर ने हेतल की तरफ से सफाई देते हुए कहा.

मॅनेजर बोला “नही, सर ऐसा नही है. उसने मुझे आपके पास जॉब पर ही इसलिए रखवाया था कि, यदि आप मुझे पसंद कर लेते है तो, फिर उसके पापा को मनाना मुस्किल नही होगा. लेकिन वो पहले से ही अपने पापा की मिल मे हेरा फेरी करने की हरकत की वजह से शर्मिंदा थी. उस पर उसके पापा ने मिल मे आग लगा कर, उसे और भी शर्मिंदा कर दिया.”

“जिसकी वजह से वो आपका सामना करने की हिम्मत नही कर पा रही थी. इस बात के उपर से उसका अपने पापा से बहुत झगड़ा हुआ और उसने उसी दिन घर छोड़ने के फ़ैसला कर लिया और मेरे सामने शादी करने की बात रख दी. मगर ये सारी बातें उसके पापा को पता चल गयी और वो उसे घर मे बंद कर, उसकी शादी कही दूसरी जगह पक्की करने लगे.”

“आप पहले ही मिल और अपनी बहन को लेकर परेशान थे. ऐसे मे वो आप पर कोई नया बोझ नही डालना चाहती थी. जब उसे कुछ समझ मे नही आया तो, उसने गुस्से मे ऐसा कदम उठा लिया.”

मॅनेजर की बात सुनकर, अज्जि के आँसू थमने की जगह और भी बहने लगे. उसने अपने मन का गुबार निकालते हुए कहा.

अजय बोला “पता नही उपर वाला मुझे किस गुनाह की सज़ा देना चाहता है. यहाँ एक बहन के चेहरे के दाग मिटाने आया तो, वहाँ दूसरी बहन ने अपने चेहरे को ज़ख्मी कर लिया. उसने ये तक नही सोचा कि, बहने कभी भाइयों पर बोझ नही होती. वो तो भाइयों के सर का ताज होती है, भाइयों के दिल का सुकून होती है.”

अजजी का ये रूप देख कर अमन का दिल भी भर आया. आज उसे ये बात समझ मे आ रही थी कि, अज्जि के लिए सबसे ज़्यादा अहमियत आरू की होने के बाद भी, सीरू और सेलू, अज्जि से इतना ज़्यादा प्यार क्यो करती है.

क्योकि भले ही अज्जि के दिल मे आरू के लिए जो प्यार था उसकी बराबरी कोई नही कर सकता था. लेकिन इसके बाद भी उसके दिल मे अपनी हर एक बहन के लिए इतना प्यार था कि, हर एक बहन उसके लिए जान देने को तैयार रहती थी.

आज्जि ने धीरू शाह वाली बात किसी को भी बताने से मना कर दिया था. जिसकी वजह से हेतल के हॉस्पिटल मे रहने की बात को भी अभी राज रखना ज़रूरी हो गया था. अब अज्जि की जिंदगी दो हॉस्पिटल के बीच सिमट का रह गयी थी. दिन मे वो हेतल की हॉस्पिटल मे रहता तो, रात को आरू के साथ हॉस्पिटल मे रहता और बीच के 2-4 घंटे के लिए अपने बिज़्नेस को भी देख लेता.

आज्जि का बिज़्नेस अब राम भरोसे चल रहा था. क्योकि उसका वो मॅनेजर जिस पर वो सबसे ज़्यादा विस्वास करने लगा था. वो भी अब उसके साथ मुंबई मे ही डेरा डाले हुए था. कुछ दिन बाद, हेतल की तबीयत मे सुधार होने लगा और डॉक्टर को उसके बचने की उम्मीद नज़र आने लगी तो, हेतल की मम्मी ने धीरू शाह को फोन पर बहुत खरी खोटी सुनाई.

जिसके बाद धीरू शाह मुंबई आया. लेकिन हेतल ने उसे देख कर, मूह फेर लिया. जिसे देख कर उसे लगा कि, हेतल को उसकी सारी सच्चाई का पता लग गया है. मगर आंटी ने उसे दुतकार लगाते हुए बताया कि, अजजी ने वो बात हेतल तो क्या, किसी से भी कहने से मना किया है.

इस सब को देख सुन कर धीरू शाह को अपने किए पर बहुत पछ्तावा हुआ और वो अज्जि के घर का पता हासिल कर, उस से मिलने शिखा के घर पहुच गया. अपने सामने धीरू शाह को देख कर, अज्जि को गुस्सा तो बहुत आया. लेकिन वो शिखा के घर मे किसी तरह का कोई हंगामा खड़ा करना नही चाहता था.

धीरू शाह उस से अपनी ग़लती की माफी माँगता रहा और अज्जि उसे किसी भी हालत मे माफ़ करने से मना करता रहा. जब धीरू शाह ने देखा कि, अज्जि उसे किसी भी हालत मे माफ़ करने को तैयार नही है. तब वो खुद को क़ानून के हवाले करने की बात कह कर उधर से जाने लगा.

आज्जि को अब भी उसकी बात मे सच्चाई नज़र नही आ रही थी. लेकिन वो यदि सच मे अपने आपको क़ानून के हवाले कर देता है तो, शायद ये हेतल के लिए अच्छा ना हो. बस ये ही सोच कर अज्जि को उसको रोकते हुए, उस से पूछता है कि, उसने ऐसा क्यो किया. उसने उसके पिता के साथ इतना बड़ा विस्वास घात क्यो किया.

इसके जबाब मे धीरू शाह अज्जि के सामने अपनी सारी सच्चाई खोल कर रख देता है. जिसे सुनने के बाद, अज्जि को महसूस होता है कि, वो झूठ नही बोल रहा है. लेकिन फिर भी उसका दिल उसे माफ़ करने के लिए तैयार नही हो रहा था. ऐसे हालत मे अज्जि ने उस से सवाल करते हुए कहा.

अजय बोला “जब आपको अपनी ग़लती का अहसास हो ही गया था तो, आप मेरे पास क्यो आए. आपने अपने आपको सीधे क़ानून के हवाले क्यो नही कर दिया. आख़िर आपके इस जुर्म की सज़ा तो सिर्फ़ क़ानून ही आपको दे सकता है.”

अजय की बात सुनकर, धीरू शाह ने शर्मिंदा होते हुए कहा.

धीरू शाह बोला “मैं अपने आपको क़ानून के हवाले ही करने जा रहा था. लेकिन तुम्हारी आंटी ने कहा कि, क़ानून से पहले मैं तुम्हारा मुजरिम हूँ. इसलिए मुझे माफ़ करने या सज़ा देने का पहला अधिकार तुम्हारा है. इसलिए उन से तुम्हारा पता लेकर मैं यहा आ गया.”

धीरू शाह की बात सुनकर, अज्जि को लग रहा था कि, वो सच मे अपने किए पर शर्मिंदा है. इसलिए अज्जि ने उसे माफ़ करते हुए कहा.

अजय बोला “यदि आपको सच मे अपनी ग़लती का अहसास है तो, भूल जाइए इन सब बातों को और हेतल को उसका ऐसा बाप दे दीजिए. जिसकी वजह से उसे मेरे तो, क्या किसी के सामने भी शर्मिंदा ना होना पड़े.”

आज्जि की बात के जबाब मे धीरू शाह ने कहा.

धीरू शाह बोला “इन सब बातों को मैं इतने साल तक भुला था. मगर अब इन बातों को भूलना मेरे बस मे नही है. मैं सिर्फ़ तुम्हारा या अपनी बेटी बस का गुनहगार नही हूँ. बल्कि उन हज़ारों लोगों का भी गुनहगार हूँ. जिनके इलाज के लिए एक हॉस्पिटल खोलने का सपना तुम्हारे पिता देख रहे थे. इतने लोगों का गुनहगार होने के बाद, मैं माफी नही सिर्फ़ सज़ा ही चाहता हूँ. तुमने मुझे माफ़ कर दिया है तो, अब मैं क़ानून की सज़ा भी खुशी खुशी कबुल कर लुगा.”

धीरू शाह की बात सुनकर, अज्जि की आँखों मे अपने पिता का चेहरा घूमने लगा. आज्जि ने अपने पिता के सपने के बारे मे सोचते हुए धीरू शाह से कहा.

अजय बोला “मेरे पिता का वो सपना ज़रूर पूरा होगा और वो सपना मैं पूरा करूगा. मैं इंडिया का सबसे बड़ा हॉस्पिटल बनाउन्गा. जिसमे आने वाले हर इंसान का इलाज उसकी बीमारी को देख कर किया जाएगा. उसकी अमीरी ग़रीबी देख कर नही.”

आज्जि की इस बात को सुनकर, धीरू भाई के चेहरे पर चमक आ गयी. उसने अज्जि के सामने हाथ जोड़ कर कहा.

धीरू शाह बोला “बेटा यदि ये सच है तो, मुझे भी उस हॉस्पिटल के काम मे शामिल कर लो. मैं वहाँ ईंट पत्थर ही ढो लुगा. शायद इस काम से ही मेरी आत्मा का बोझ कम हो जाए.”

धीरू शाह की इस बात के जबाब मे अज्जि ने उस से कहा.

अजय बोला “और उस जलि हुई मिल का क्या होगा. जिसे आपने अपने फ़ायदे के लिए जला दिया था.”

आज्जि की ये बात सुनकर, धीरू शाह का सर शरम से झुक गया. लेकिन अज्जि ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

अजय बोला “आपको ईंट पत्थर ढोने की ज़रूरत नही है. हमे इतने बड़े हॉस्पिटल को बनाने के लिए बहुत पैसो की ज़रूरत पड़ेगी. आप सूरत जाइए और उस जली मिल को जल्दी से सुरू करने की कोसिस कीजिए. क्योकि अब जब तक वो हॉस्पिटल नही बन जाता. तब तक मैं मुंबई मे ही रहना चाहता हूँ.”

आज्जि की पूरी बात सुनकर धीरू शाह ने कहा.

धीरू शाह बोला “लेकिन बेटा, अब मैं तुम्हारी मिल्स मे काम करने के काबिल नही रहा. मैं अब ये काम नही कर सकता.”

धीरू शाह की बात के जबाब मे अज्जि ने उसे समझाते हुए कहा.

अजय बोला “कौन काबिल है और कौन काबिल नही है. इसका फ़ैसला आप मुझ पर छोड़ दीजिए. आप मेरा साथ देना चाहते है या नही, इसका फ़ैसला मैं आप पर छोड़ देता हूँ. आपको जो ठीक लगे आप फ़ैसला ले सकते है.”

आज्जि की इस बात के बाद, धीरू शाह के पास कुछ भी कहने को नही बचा था. उसने अज्जि का साथ देने का वादा किया और फिर आंटी को सारी बात बता कर, वो वापस सूरत जाकर, अज्जि का बिज़्नेस देखने लगा. वो सच्चे मन से अपनी ग़लती का प्रायश्चित कर रहा था. जिस बात का सबूत वो जली हुई मिल थी. जिसके बारे मे अज्जि का अनुमान था कि वो तीन महीने से पहले चालू नही हो सकती. लेकिन धीरू शाह ने उस मिल को दिन रात मेहनत करके एक महीने के अंदर ही चालू कर दिया था.

इधर हेतल की हालत मे भी दिनो दिन सुधार आ रहा था. जिस वजह से हेतल का बाय्फ्रेंड भी अपने काम पर वापस चला गया था. आज्जि को अब बिज़्नेस की तरफ से ज़्यादा चिंता नही थी. इसलिए अब वो अपने पिता के सपने को पूरा करना चाहता था. आरू के घर वापस आते ही अज्जि ने, मेरे और अमन के सामने हॉस्पिटल बनाने की बात रख दी.

इसके बाद हमने एक बड़ी सी ज़मीन खरीद कर, वहाँ हॉस्पिटल की इमारत खड़े करने का काम लगा दिया. जिसका काम अब समाप्ति की तरफ है. आज्जि ने इस हॉस्पिटल के लिए 7 ट्रस्टीस बनाए है. ये ट्रस्टीस मैं, अमन, शिखा, बरखा, सीरत, सेलू और हेतल है.

आज्जि को डर था कि, सच्चाई पता चलने के बाद शायद शिखा उसकी शकल भी देखना पसंद ना करे. इसलिए उसने इस हॉस्पिटल मे कहीं भी अपना या आरू का नाम शामिल नही किया है. ये हॉस्पिटल अज्जि के पिता का सपना था. लेकिन आख़िरी समय मे उसने इसमे से अपने पिता का नाम अलग कर इसे शिखा के भाई के नाम पर कर दिया.

आज्जि हॉस्पिटल के पूरे होने तक मुंबई मे ही रहना चाहता था. लेकिन शिखा को सच्चाई बताने के बाद, यदि शिखा का मन उसकी तरफ से नही बदलता तो, ऐसे मे उसका मुंबई मे रह पाना मुस्किल हो जाता.

बस इसी वजह से अज्जि अपनी सच्चाई को बताने के लिए हॉस्पिटल के पूरे होने का इंतजार कर रहा था. ताकि उसकी सच्चाई जानने के बाद, यदि शिखा का दिल, उसकी तरफ से नही बदलता है तो, वो शिखा की जिंदगी से, हमेशा हमेशा के लिए चला जाएगा.



अब आगे की कहानी पुन्नू की ज़ुबानी….



इतना कह कर निशा चुप हो गयी. आज्जि की कहानी बताते हुए उसकी आँखें भीग चुकी थी. लेकिन ये हाल उस अकेली का नही था. वहाँ खड़े हर एक की आँखों मे नमी छा गयी थी. निशा की बात सुनने के बाद, हेतल ने रोते हुए शिखा से कहा.

हेतल बोली “भाभी, क्या भैया के बार मे इतना सब जानने के बाद भी, आपके दिल से नफ़रत ख़तम नही हुई.”

पहली बार किसी ने शिखा को भाभी कह कर पुकारने की हिम्मत दिखाई थी. हेतल की बात सुनते ही, सब की नज़र शिखा की तरफ उठ गयी. लेकिन शिखा अब भी अपने सर को झुकाए, आँसू बहा रही थी. शिखा को खामोश देख, कर सेलू ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

सेलिना बोली “आप यदि नाराज़ है तो गुस्सा ही कर लीजिए. लेकिन कुछ तो बोलिए.”

हेतल और सेलू की बात सुनकर, निक्की से भी चुप नही रहा गया. उसने भी अपनी बात सामने रखते हुए कहा.

निक्की बोली “आपकी खामोशी यही बता रही है कि, आप भी भैया को बहुत प्यार करती है. फिर ये झूठी नाराज़गी किस लिए दिखा रही है.”

निक्की का ये कहना था कि, शिखा भड़क उठी. उसने निक्की की बात का जबाब गुस्से मे देते हुए कहा.

शिखा बोली “मेरा गुस्सा झूठा है. सच्चे तो, सिर्फ़ तुम लोग और तुम्हारे भैया है. तुम्हारे भैया तुम्हारे लिए देवता है तो, क्या मेरा भाई मेरे लिए कुछ नही था. तुम्हारे भैया देवता हो सकते है. मगर मेरी नज़र मे वो मेरे भैया के कातिल है और कातिल ही रहेगे.”

शिखा के जबाब से सभी के चेहरे पर निराशा के बादल छा गये. लेकिन सीरू ने शिखा के सामने हार ना मानते हुए कहा.

सीरत बोली “आपका कहना सही है. लेकिन आपके भैया आंटी के बेटे भी थे. आंटी ने तो उनको इस बात के लिए माफ़ कर दिया. आपके भैया बरखा के भी भैया थे. अब ज़रा बरखा से भी पुच्छ कर देख लीजिए कि, वो मेरे भैया को कातिल मानती है या नही.”

मगर शिखा ने सीरू की चाल मे ना फँसते हुए टका सा जबाब देते हुए कहा.

शिखा बोली “मेरी माँ और बहन उनको क्या समझती है. इस से मुझे कोई मतलब नही है. मेरे दिल मे उनके लिए नफ़रत थी, नफ़रत है और हमेशा नफ़रत रहेगी. मैं उनको क्या समझती हूँ. ये अब मैने तुमको बता दिया. अब इसके बाद मैं कुछ सुनना नही चाहती.”

शिखा के इस जबाब को सुनकर, सीरू की भी बोलती बंद हो गयी. सब की शिखा को समझाने की सारी कोशिशे बेकार हो चुकी थी. मगर अब तक खामोशी से सब कुछ सुन रही आरू के दिल मे, शिखा की अपने भैया के बारे मे कही गयी, ये बातें चुभ गयी.

इतना सब कुछ सुनने के बाद, उसके लिए अब अपना गुस्सा रोक कर रख पाना मुस्किल हो गया था. उसने भड़कते हुए शिखा से कहा.

अर्चना बोली “ये आपने उनको उनको क्या लगा रखा है. यदि आपको उनसे इतनी नफ़रत है तो, उनको इतनी इज़्ज़त देने की ज़रूरत क्या है. सीधे उनका नाम लेकर क्यो नही बुलाती. अपने भाई के कातिल को इतनी इज़्ज़त देते हुए आपको शरम नही आती.”

आरू की जली कटी बातें सुनकर, शिखा हैरानी से उसके इस बदले हुए रूप को देखने लगी. वही निक्की आरू को बोलने से रोकने की कोसिस करने लगी. लेकिन आरू ने उसको अपने पास से दूर धकेलते हुए शिखा के सामने आते हुए कहा.

अर्चना बोली “आपकी नफ़रत सिर्फ़ उस एक बोतल खून की वजह से है ना. जिसकी वजह से आपके भाई की जान गयी और जो अभी मेरी रगों मे बह रहा है. आज मैं ये झगड़ा ही ख़तम कर देती हूँ.”

ये कह आरू ने सामने टेबल पर रखा हुआ, चाकू (नाइफ) एक झटके मे उठा लिया और अपना हाथ शिखा के सामने कर, बिजली की गति से खच खच दो बार घुमा दिया. ये सब इतना अचानक हुआ कि किसी को भी कुछ नज़र नही आया और जब तक नज़र मे आया, तब तक खून से साना चाकू, आरू के हाथ से छूट कर ज़मीन पर आ गिरा था.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 02:56 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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