RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मैं अभी अकेला था, इसलिए मैने कीर्ति का मोबाइल निकाला और हेलो कहा. मगर मेरे हेलो कहते ही कीर्ति ने कॉल काट दिया. मुझे उसकी ये हर्कत समझ मे नही आई. लेकिन तुरंत ही वापस उसका कॉल आने लगा. मैने कॉल उठाते ही कहा.
मैं बोला “ये क्या था. इतनी देर से कॉल पर बनी हुई थी और मेरे हेलो कहते ही कॉल काट दिया.”
कीर्ति बोली “कॉल कटने मे सिर्फ़ 5 मिनट बाकी थे. मैने सोचा कि निक्की वापस आए, उसके पहले ही कॉल काट कर लगा देती हूँ.”
मैं बोला “इतनी देर से तू अपने कमरे मे है. किसी ने तुझे कुछ बोला नही है.”
कीर्ति बोली “किसने कहा कि मैं पूरे समय कमरे मे थी. मैं तो मोबाइल की आवाज़ बंद (मूट) करके और हॅंड फ्री लगा कर सारे घर मे घूम रही थी. सब ये ही समझ रहे थे कि, मैं सॉंग सुन रही हूँ.”
कीर्ति की ये बात सुनकर, मैं हँसे बिना ना रह सका. लेकिन मैने उस पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
मैं बोला “ये बात तूने मुझे पहले क्यो नही बताई. खुद हॅंड फ्री लगा कर घूमती रहती है और मुझे कान मे मोबाइल लगाए लगाए घुमाती रहती है.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने हंसते हुए कहा.
कीर्ति बोली “नही, तुम्हारे लिए ये ही सही है. तुमको मोबाइल मे बिज़ी देख कर, कोई भी लड़की समझ जाएगी कि, तुम किसी के साथ एंगेज हो. ऐसे मे कोई भी लड़की तुम्हारे पास नही आएगी.”
कीर्ति की बात सुनकर, मैने फिर हँसते हुए कहा.
मैं बोला “चल अपनी नौटंकी अब बंद कर और ये बता तेरे पेट का दर्द अब कैसा है.”
कीर्ति बोली “मेरी तबीयत पूछने की बड़ी जल्दी याद आ गयी.”
मैं बोला “बता ना, मुझे तेरी बहुत फिकर हो रही है. जब से तेरी तबीयत का सुना है, मुझे कुछ भी अच्छा नही लग रहा. बस दिल कर रहा है कि, सब कुछ छोड़ कर तेरे पास आ जाउ.”
कीर्ति बोली “मुझे कुछ नही हुआ है. तुमने रात को खाना खाने से मना कर दिया था. इसीलिए मैने मौसी से झूठ कहा था कि, मेरे पेट मे दर्द है.”
कीर्ति की बात सुनकर, मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था. उसकी बात के जबाब मे मैने उस से कहा.
मैं बोला “जब तुझे मेरी इतनी फिकर रहती है तो, फिर मुझे इतना परेशान क्यो करती है.”
कीर्ति बोली “तुम ही मुझे गुस्सा दिलाते हो. अगर तुम मुझे गुस्सा ना दिलाओ तो, मैं भला क्यो तुम्हे इतना परेशान करूगी.”
मैं बोला “लेकिन क्या तुझे याद है कि, तूने इस गुस्से मे मुझे क्या क्या कह दिया है.”
कीर्ति बोली “सॉरी, मुझे सब याद है. तुम इस सब के लिए मुझे जो भी सज़ा देना चाहो, तुम मुझे दे सकते हो.”
मैं बोला “मैं भला तुझे क्या सज़ा दूँगा. ये सब करके तो, तू खुद को ही सज़ा देती रहती है. तुझसे मैने कहा भी था कि, गुस्सा कम किया करा. यदि मेरी कोई बात तुझे ग़लत लगती है तो, मुझे बोल दिया कर. लेकिन तू मेरी कोई बात सुनती ही नही है.”
कीर्ति बोली “ओके बाबा, अब तुम गुस्सा मत करो. आयेज से ऐसा कुछ नही होगा. अब ये बोलो आगे क्या करने का इरादा है. मुझे तो लगता है कि, अज्जि की जिंदगी मे अब सब कुछ ठीक हो गया है.”
मैं बोला “हन, ठीक तो हो गया है. बस अब शादी होना ही बाकी है. देखते है कि दोनो के घरवाले कब शादी की तारीख निकालते है.”
कीर्ति बोली “निक्की को उपर गये हुए, बहुत देर हो गयी है. लगता है वो अपनी भाभी से मिलकर, नीचे आना ही भूल गयी है. उसे कॉल लगा कर बुलाओ, वरना यही खड़े रह जाओगे.”
मैं बोला “तू ठीक कहती है. मैं अभी उसको कॉल करता हूँ. लेकिन तू ऐसे कब तक कॉल पर बनी रहेगी. अब तू भी कॉल रख दे.”
कीर्ति बोली “नही, मुझे सब सुनना है कि, वहाँ क्या हो रहा है. मैं कौन सा तुमको परेशान कर रही हूँ. मुझे कॉल पर रहने दो ना.”
मैं बोला “ओके, जैसी तेरी मर्ज़ी. मैं अब मोबाइल जेब मे रख रहा हूँ.”
ये कहते हुए मैने मोबाइल जेब मे रख लिया और फिर दूसरा मोबाइल निकाल कर निक्की को कॉल लगा दिया. मेरे कॉल लगाने के थोड़ी देर बाद निक्की नीचे आ गयी और देर से आने के लिए सॉरी बोल कर चलने की बात कहने लगी.
उसकी बात सुनकर, मैने उसे बताया कि, हम कहाँ जा रहे है. इसके बाद निक्की जिस नयी कार मे आई थी, उसी कार मे हम लोग खाना लेने चले गये. खाना लेकर, वापस आने मे हम लोगों को लग-भग एक घंटा लग गया.
हम लोग खाना लेकर वापस आए तो, घर के बाहर एक कार और खड़ी थी. उस कार को मैं पहचानता था. वो डॉक्टर. अमन की कार थी. उनकी कार को देखते ही, मैने निक्की से कहा.
मैं बोला “लगता आपके दूसरे भैया भी आ गये है.”
निक्की बोली “उनको तो पहले ही आ जाना था. लेकिन शायद निशा भाभी ने उनको पहले आने से रोक दिया होगा.”
मैं बोला “ये तो निशा भाभी ने सही ही किया. वरना मुझे लगता है कि, ये दीदी की तरफ़दारी करने के चक्कर मे बन रही बात भी बिगाड़ देते.”
निक्की बोली “ऐसा नही है. वो अपना प्यार किसी के सामने जाहिर नही करते मगर उनको हमेशा सबकी फिकर लगी रहती है. बस वो किसी भी काम को जज्बाती होकर करना पसंद नही करते. उनकी हर बात मे जिंदगी की कड़वी सच्चाई छुपि होती है.”
मैं बोला “ओके, अब आपके भाई की तारीफ पूरी हो गयी हो तो, हमे अंदर चलना चाहिए. दीदी हमारे आने का इंतजार कर रही होगी.”
इसके बाद हम दोनो गाड़ी से नीचे उतरने लगे. लेकिन गाड़ी से उतरते ही, शिखा का फोन आने लगा. मैने कॉल उठाया तो शिखा ने कहा.
शिखा बोली “भैया आप ज़रा बाहर ही रुकिये. मैं अभी बरखा को आपके पास भेजती हूँ.”
सीखा की बात सुनकर, मैं बाहर ही खड़ा बरखा का इंतजार करने लगा. थोड़ी देर बाद बरखा दूसरे दरवाजे को खोल कर बाहर आई और हमे अंदर चलने को कहा. मैं समझ गया कि, शिखा ने मुझे बाहर क्यों रोका था और फिर हम उसके पीछे पीछे घर के अंदर आ गये.
मगर जिस कमरे मे हम पहुचे वहाँ कोई नही था. मैने वहाँ खाना रखने के बाद, बरखा से कहा.
मैं बोला “दीदी कहाँ है. क्या वो सबके साथ बैठी है.”
बरखा बोली “नही, दीदी तो अभी भी उपर ही है. उन्हो ने मुझे कॉल करके कहा था कि, तुम आ गये हो और मैं बाहर आकर तुम्हे दूसरे दरवाजे से अंदर ले आउ.”
मैं बोला “ठीक है, मेरे लिए कोई और काम तो नही है.”
बरखा बोली “नही, अब तुम बाहर चल कर बैठो. तब तक मैं सबके लिए खाना लगाने की तैयारी करती हूँ.”
बरखा की बात सुनकर, मैं और निक्की उस कमरे मे आ गये, जहाँ सब बैठे हुए थे. लेकिन वहाँ का नज़ारा बिल्कुल ही उल्टा था. निशा आरू लोगों के साथ खड़ी हुई थी और जहाँ निशा बैठी थी, उस जगह पर अब दो महिलाए बैठी हुई थी. जो देखने मे 45-50 साल की लग रही थी.
इसके बाद जिस जगह पर शिखा बैठी थी. वहाँ अब अमन अज्जि और एक बुजुर्ग बैठे हुए थे. उनको देख कर, मुझे अनुमान लगाते देर ना लगी कि, वो दोनो महिलाओं मे से एक अमन की माँ और दूसरी अमन की चाची है. जबकि वो बुजुर्ग अमन के चाचा हो सकते थे.
मेरी इस शंका का समाधान भी अज्जि ने कर दिया था. उसने मुझे देखते ही उन सब से मेरा परिचय कराया तो, मेरा अनुमान सही ही निकला. मेरे से परिचय होने के बाद वो लोग फिर से अपनी बातों मे लग गये.
वो लोग अज्जि और शिखा की शादी को लेकर चर्चा कर रहे थे. अमन की माँ चाहती थी कि, अमन के साथ साथ ही अज्जि की शादी भी फ्राइडे को हो जाए. लेकिन शिखा की माँ का कहना था कि, उनके लिए इतनी जल्दी मे शिखा की शादी कर पाना संभव नही है.
अभी शादी की तारीख पर कोई फ़ैसला नही हो पा रहा था. फिर भी उन लोगों के बीच की ये बातें सुन कर मुझे बेहद खुशी हो रही थी. मेरा मन ये बातें शिखा को बताने का हुआ और मैने निक्की से धीरे से कहा कि, मैं दीदी के पास होकर आता हू.
ये कह कर मैं उपर शिखा के पास आ गया. लेकिन उपर आते ही मैं ये देख कर चूक गया कि, शिखा एक चेयर पर बैठी, मोबाइल अपने कान मे लगा कर बात सुनने मे खोई हुई है.
मैं देखते ही समझ गया कि, हो ना हो शिखा नीचे चल रही बातें सुनने मे लगी हुई है. ये जानते हुए भी मैने अनजान बनकर शिखा के पास आते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी ये सब क्या है. मैं आपको यहा एक अच्छी खबर देने के लिए आया था. मगर आप हो की यहा आराम से बैठी किसी के साथ गॅप लड़ाने मे लगी हुई हो.”
मेरी आवाज़ सुनते ही शिखा घबरा कर खड़ी हो गयी. उसने घबराते हुए कहा.
शिखा बोली “नही भैया, ये मेरा मोबाइल नही है. ये तो आरू मुझे जबबर्दस्ती पकड़ा कर चली गयी थी.”
मैं बोला “तो इसका मतलब है कि, आप नीचे चल रही सारी बातें सुन रही है.”
मेरी बात के जबाब मे शिखा ने अपनी सफाई देते हुए कहा.
शिखा बोली “मैं तो सुनना नही चाहती थी. लेकिन आरू के आगे मेरी एक नही चली. उसने और सेलू ने मिल कर ये सब किया है.”
मुझे शिखा को और ज़्यादा परेशान करना ठीक नही लगा. इसलिए मैने उसकी घबराहट को दूर करने के लिए उस से कहा.
मैं बोला “आरू ने ये बहुत अच्छा किया. वरना आप यहाँ अकेली बैठी, बस ये ही सोचती रहती कि, नीचे क्या चल रहा है. लेकिन अचानक ये सब यहा कैसे आ गये.”
शिखा बोली “निशा दीदी ने अमन भैया को कॉल करके यहाँ की सारी बातें बता दी थी. जिसके बाद अमन भैया अपनी मॅमी और चाचा चाची के साथ यहाँ आ गये.”
मैं बोला “क्या उन सब से कभी आपकी मुलाकात हुई है.”
शिखा बोली “हां, आरू के जनमदिन की पार्टी एक होटेल मे दी गयी थी. उसी मे मैं सब से मिली थी.”
मैं बोला “क्या उस पार्टी मे भी आपको समझ मे नही आया कि, आरू के मम्मी पापा कौन है.”
शिखा बोली “कैसे समझ मे आता. आरू की मम्मी खुद मुझसे बोली कि, आरू उनके लिए बेटी जैसी ही है. अब कोई माँ क्या अपनी ही बेटी को बेटी जैसा बोलती है.”
शिखा की बात सुनकर, मुझे हँसी आ गयी. मैने मज़ाक करते हुए उस से कहा.
मैं बोला “इसका मतलब तो ये हुआ कि, आपको बहू बनाने की साज़िश मे वो तीनो बहने ही नही, बल्कि पूरा घर शामिल है.”
मेरी बात सुनकर, शिखा को भी हँसी आ गयी. उसने हंसते हुए कहा.
शिखा बोली “मुझे इसके बारे मे कुछ नही मालूम. जो भी बातें हुई है, सब आपके सामने ही हुई है.
मैं बोला “एक फोन पर सबका आना और आते ही शादी की बात पक्की करने लगना तो, यही बताता है कि, सब इसके लिए पहले से तैयार थे. बस आपके हां कहने का इंतजार कर रहे थे.”
लेकिन मेरी ये बात सुनकर, शिखा कुछ सोच मे पड़ गयी. उसकी इस सोच ने मुझे भी परेशान कर दिया. उसकी इस सोच की वजह पता करने के लिए, मैने उस से कहा.
मैं बोला “क्या हुआ दीदी. क्या मैने कुछ ग़लत बात कह दी है.”
शिखा बोली “नही, आपने कुछ ग़लत बात नही कही. लेकिन मैं सोच रही थी कि, कहीं मैने इस रिश्ते की हां कह कर कुछ ग़लत तो नही किया.”
मैं शिखा की परेशानी की असली वजह समझ गया था. मैने उसकी इस परेशानी को दूर करने के लिए उस से कहा.
मैं बोला “नही दीदी, आपने कुछ भी ग़लत नही किया. आपके दिल मे अज्जि के लिए जो नफ़रत थी, वो बेवजह थी. क्योकि अज्जि की उस हरकत को तो ग़लत कहा जा सकता है. लेकिन इस बात को नही माना जा सकता कि, आपके भाई की मौत की वजह अज्जि है. क्योकि जिस हादसे मे कुछ घंटे बाद, मलबे से निकल जाने के बाद भी आरू की हालत नाज़ुक बनी हुई थी. उसी हादसे के बारे मे मैने पेपर मे पढ़ा था कि, एक लड़की मलबे मे से तीन दिन बाद सही सलामत बाहर निकल आई.”
“इस से पता चलता है कि, जिंदगी देना और लेना दोनो उस उपर वाले के हाथ मे होता है. हम इंसान कुछ भी कर ले, लेकिन उसके लिखे को नही बदल सकते. इसलिए अपने मन से इस बात को हमेशा के लिए निकाल दीजिए कि, किसी भी तरह से, आपके भाई की मौत की वजह अज्जि है. ये तो सिर्फ़ एक होनी थी, जो हो गयी और अज्जि के साथ आपकी शादी भी एक होनी ही है, जो अब होने जा रही है. आज्जि तो बस होनी का एक ज़रिया है.”
लेकिन मेरे इस जबाब के बाद भी शिखा की उलझने कम नही हुई थी. उस ने मुझसे सवाल करते हुए कहा.
शिखा बोली “लेकिन ऐसा उनके ही साथ क्यो हुआ. यदि उन्हे मेरे भाई की मौत का ज़रिया बनना था तो, फिर मुझे ही उनका जीवन साथी क्यो बना दिया गया. मान लो मैं इस बात को भूल भी जाउ कि, वो मेरे भाई की मौत की वजह है तो, क्या वो भी इस बात को भूल जाएगे कि, कहीं ना कहीं वो मेरे भाई की, मौत के ज़िम्मेदार है. क्या दिन रात मुझे अपने सामने देखने के बाद भी, उनको इस बात का अहसास नही होगा.”
शिखा की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी आपके सवाल का जबाब भी, आपके सवाल मे ही छुपा है. आज्जि एक बहुत अच्छा इंसान है और उसके जैसा इंसान मैने अपनी जिंदगी मे आज तक नही देखा. उसे जानने वाले लोग तो उसे देवता तक मानते है. शायद ये ही वजह थी कि, उपर वाले ने अज्जि के चरित्र पर ये दाग लगा दिया. ताकि उसे जिंदगी भर इस बात का अहसास रहे कि, वो एक इंसान है और ग़लतियाँ उसने भी की है.”
ये बोल कर, मैं शिखा की तरफ देखने लगा. शायद शिखा को भी मेरे इस जबाब से संतुष्टि हो गयी थी. उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा.
शिखा बोली “भैया, आप इतनी अच्छी बातें कैसे कर लेते है. जो बात मुझे इतने लोग मिल कर भी नही समझा सके. वो बात आपने 2 मिनट मे मुझे समझा दी.”
मैं बोला “दीदी, इसकी वजह ये है कि, अज्जि और मेरी जिंदगी एक दूसरे से बहुत कुछ मिलती है. जैसे अज्जि के माता पिता नही है और उसे जिंदगी जीने की ताक़त आरू से मिली. ऐसे ही मेरी माँ मेरे बचपन मे ही मुझे छोड़ कर चली गयी. मेरे पिता का होना ना होना मेरे लिए एक बराबर है. ऐसे मे मेरी नयी माँ ने मुझे जीने की ताक़त दी. आज आरू की तरह मेरी भी दो बहने है. जिन्हे मैं अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करता हूँ. इसलिए अज्जि के हालत समझ पाना, मेरे लिए कोई मुस्किल बात नही थी.”
मेरी बातों से शिखा की सारी उलझने दूर हो गयी थी और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी. उसने मेरे लिए अपना अपनापन जाहिर करते हुए कहा.
शिखा बोली “भैया आपको मेरी वजह से बहुत परेशानी उठना पड़ रही है. एक तो रात भर जागते रहे और अभी भी खाना पीना खाए बिना मेरे लिए जाग रहे है.”
मैं बोला “दीदी, ये आप कैसी बात कर रही है. मैं आपका सिर्फ़ नाम का भाई नही हूँ. खून के रिश्ते से भी मैं आपका भाई ही हूँ.”
मेरी इस बात ने शिखा को हैरत मे डाल दिया. उसने हैरान होते हुए मुझसे कहा.
शिखा बोली “क्या मतलब.? मैं समझी नही कि, आप क्या कहना चाहते है.”
शिखा की बात सुनकर, मैने हँसकर, उसकी हैरानी दूर करते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, इतना हैरान मत होइए, मेरे कहने का मतलब सिर्फ़ इतना था कि, मेरा ब्लड ग्रूप भी वो ही है. जो आपके भाई और आरू का है.”
मेरी बात सुनकर, शिखा के चेहरे पर चमक आ गयी. लेकिन उसके कुछ बोलने के पहले ही हमे निशा की आवाज़ सुनाई दी. निशा शायद मेरी ये बात सुन चुकी थी. उसने मेरी इस बात के जबाब मे कहा.
निशा बोली “ये तो सच मे हैरानी वाली बात है. जिस ब्लड ग्रूप की वजह से अज्जि और जिंदगी मे इतना बड़ा तूफान आया था. आज उसी ब्लड ग्रूप के तीन लोग मेरे सामने है.”
निशा अभी अभी सीडिया चढ़ती हुई हमारी तरफ चली आ रही थी. लेकिन उसकी इस तीन लोगों का ब्लड ग्रूप, एक सा होने वाली बात ने तो, मुझे भी हैरान करके रख दिया था. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि, मेरे और आरू के सिवा, वो तीसरा कौन है, जिसका ब्लड ग्रूप भी यही है.
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