MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 03:01 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मैं और शिखा दोनो ही निशा की ये बात सुन कर उसकी तरफ देख रहे थे. हमे इस तरह से हैरान होते देख, निशा ने हँसते हुए कहा.

निशा बोली “इसमे चौकने वाली कोई बात नही है. तुम्हारे और आरू के अलावा प्रिया का ब्लड ग्रूप भी एबी- ही है. अब ये मत पुच्छने लगना कि ये मैं कैसे जानती हूँ.”

निशा की बात सुनकर, मेरी और शिखा की हैरानी दूर हो गयी. मैने निशा की आख़िरी बात का जबाब देते हुए कहा.

मैं बोला “प्रिया आपकी पेशेंट (मरीज) है तो, उसका ब्लड ग्रूप आपको मालूम होना कोई बड़ी बात नही है.”

मेरी बात सुनकर, निशा ने मुझे आँखे दिखाते हुए, शिखा से कहा.

निशा बोली “ये लड़का जितना भोला दिखता है, असल मे इतना भोला है नही. लगता है अब इस पर नज़र रखना पड़ेगी.”

निशा की ये बात सुनते ही शिखा से ना रहा गया. उसने बिना कुछ सोचे समझे ही निशा से कहा.

शिखा बोली “नही दीदी, भैया ऐसे नही है. ये तो बिल्कुल उनके जैसे ही है.”

शिखा की बात सुनकर निशा ने एक पल के लिए शिखा को भी घूरा. लेकिन शिखा ने निशा के देखते ही अपना सर नीचे झुका लिया. जिसे देख कर निशा को हँसी आ गयी और उसने शिखा से कहा.

निशा बोली “अब तुम्हारा इनको, उनको करना हो गया हो तो, तुम नीचे चलो. सब तुम्हारा इंतजार कर रहे है.”

निशा की बात सुनकर, हम सब नीचे आ गये. नीचे आकर शिखा दूसरे दरवाजे से घर के अंदर चली गयी और हम लोग सबके पास आ गये. अभी भी शादी की तारीख पर कोई सहमति नही बन पाई थी और सभी इसी बात को लेकर अपनी अपनी राय दे रहे थे.

थोड़ी देर बाद शिखा भी, एक पिंक साड़ी पहन कर सबके बीच आ गयी. उसने आकर सबसे पहले, अमन के घर के सभी बडो के पैर छु कर आशीर्वाद लिया और फिर निशा के कहने पर सबके साथ, वही बैठ गयी. शिखा अभी भी बहुत शरमा रही थी और किसी भी बात का जबाब देने मे झिझक रही थी.

लेकिन आरू, सीरू, सेलू, निक्की और हेतल मिलकर, हर बात मे उसका साथ दे रही थी. इसी तरह बात चीत का सिलसिला चलता रहा और आख़िर मे आंटी ने, अमन की शादी के दिन ही शिखा और अज्जि की शादी करने की सहमति दे दी. शादी की तारीख पक्की होते ही सबके चेहरे खुशी से खिल गये और सब एक दूसरे को बधाई देने लगे.

इसके बाद, सब ने जाने की अनुमति माँगी तो, बरखा ने सबसे खाना खाने की बात रख दी. अमन की मम्मी और चाचा चाची बाद मे कभी खाना खाने की बात बोल कर जाना चाहते थे. लेकिन शिखा के कहने पर उनको भी खाना खाने के लिए तैयार होना ही पड़ा.

खाना पीना खाने के बाद, सबने 2 बजे शॉपिंग पर जाने का समय तय किया और फिर इसके बाद, एक एक करके सभी वापस जाने लगे. सबसे पहले अमन अपनी कार मे, अपनी मम्मी और चाचा चाची को लेकर गया. उसके बाद निशा भी अपनी कार मे वापस चली गयी.

इसके बाद भी अभी 3 कार वहाँ खड़ी थी. पहली कार जिसमे हेतल आई थी. दूसरी कार जिसमे सीरू और सेलू आई थी. तीसरी कार जिसमे आरू आई थी. बाहर आते ही सीरू ने अज्जि से कहा.

सीरत बोली “भैया, इन दो कार मे से आपको कौन सी कार रखना है.”

सीरू की बात सुनकर, अज्जि ने एक नज़र वहाँ खड़ी कार पर डाली और फिर सीरू से कहा.

अजय बोला “तुम लोग दो नही, तीन कार मे आई हो.”

आज्जि की बात सुनकर, सीरू ने हंसते हुए कहा.

सीरत बोली “दो इसलिए कि, न्यू कार तो आप ने आरू को दे दी है. आज हम लोग इसी मे शॉपिंग करने जाएगे. इसलिए ये कार अब हमारे पास ही रहेगी.”

सीरू की बात सुनकर, अज्जि ने मुस्कुराते हुए कहा.

अजय बोला “ठीक है, मुझे मोम वाली कार दे दे. अभी मैं उसी से काम चला लूँगा.”

आज्जि की बात सुनते ही, सीरू ने उस कार के ड्राइवर को चाबी लेकर बुलाया जिस मे वो और सेलू आई थी. फिर ड्राइवर से चाबी लेकर उसने वो अज्जि को दे दी और ड्राइवर से कहा.

सीरू बोली “आप तीनो पापा वाली कार मे घर चले जाइए. हम लोग दूसरी कार मे आ जाएगे.”

ये कह कर वो तीनो ड्राइवर को घर वापस भेजने लगी. लेकिन अज्जि ने उसे टोकते हुए कहा.

अजय बोला “इन तीनो को तू घर वापस भेज रही है तो, फिर ये कार कौन चलाएगा.”

आज्जि की बात का सीरू ने मुस्कुरा कर जबाब देते हुए कहा.

सीरत बोली “अरे मैं चलाउन्गी और कौन चलाएगा.”

मगर सीरू की बात पर अज्जि ने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा.

अजय बोला “नही, तू कार नही चलाएगी. मैं तेरा कार चलना देख चुका हूँ.”

लेकिन सीरू ने अज्जि की इस बात को हँसी मे उड़ाते हुए कहा.

सीरत बोली “क्या भैया, आप अब भी इतनी पुरानी बात को लेकर बैठे हुए है. अब मैं कोई आक्सिडेंट नही करती. आप चाहो तो, इन लोगों से पुच्छ सकते है.”

ये कह कर, सीरू ने सेलू लोगों की तरफ इशारा किया. लेकिन अज्जि ने उसकी इस बात को अनसुना करते हुए कहा.

अजय बोला “मुझे किसी से कुछ नही सुनना. मैने कह दिया कि, तू गाड़ी नही चलाएगी तो, मतलब की तू गाड़ी नही चलाएगी. अब यदि तूने दोबारा गाड़ी चलाने की बात की तो, मुझसे बुरा कोई नही होगा.”

आज्जि की बात सुनकर, सीरू का चेहरा उतर गया और उसकी आँखों मे आँसू आ गये. उसने गुस्से मे गाड़ी की चाबी फेकि और अपना मूह फेर कर खड़ी हो गयी. शिखा को ये सब अच्छा नही लगा. उसने अज्जि को समझाते हुए कहा.

शिखा बोली “आपने सीरू को बेमतलब रुला दिया. यदि वो गाड़ी चलाना चाहती है तो, इसमे बुरा क्या है.”

अजय बोला “तुम इसके आँसुओं पर मत जाओ. ये बहुत बड़ी नौटंकी बाज है. मैं इसके किसी झाँसे मे नही आने वाला हूँ.”

आज्जि की ये बात सुनते ही, सीरू शिखा के पास आई और उसके गले से लिपट कर रोते हुए कहा.

सीरत बोली “भाभी आपने देख लिया ना. अब मेरा रोना भी इनको एक नाटक लग रहा है.”

सीरू का रोना देख कर मुझे भी बुरा लग रहा था. लेकिन अगले ही पल उसकी हरकत से मेरी हँसी छूट गयी. उसने रोते रोते अपनी बात कही और फिर धीरे से सेलू को आँख मार दी. जिसे समझते ही सेलू आगे आई और कहने लगी.

सेलिना बोली “जाने दो दीदी. भैया नयी गाड़ी की टूट फुट की वजह से आपको गाड़ी नही चलाने दे रहे है. आपको चलाना ही है तो आप पुरानी गाड़ी चला लो.”

आज्जि उन दोनो की हरकतें समझ रहा था. इसलिए उसने सेलू की बात सुनते ही, उस पर भड़कते हुए कहा.

अजय बोला “अब तू अपनी चालबाजी मत दिखा. मैं तुम दोनो को अच्छी तरह से समझता हूँ. तुम दोनो मिल कर मुझे बेवकूफ़ नही बना सकती.”

लेकिन शिखा को उनकी ये सब हरकतें समझ मे नही आ रही थी. उसे लगा कि, वो दोनो अज्जि की बात का ग़लत मतलब निकल रही है. इसलिए उसने दोनो को समझाते हुए कहा.

शिखा बोली “आप दोनो ग़लत सोच रही है. आपके भैया को नयी गाड़ी की नही, आप लोगों की फिकर है. आपको नयी गाड़ी चलाना है तो, आप गाड़ी ले जाओ. मैं देखती हूँ कि, ये आपको कैसे रोकते है.”

ये कहते हुए शिखा गाड़ी की चाबी उठा कर, सीरू को देने लगी. लेकिन सीरू चाबी लेने से ना नुकुर करने लगी. मगर बाद मे सेलू ने उस से चाबी लेने को कहा तो, सीरू ने नाखुशी दिखाते हुए चाबी ले ली.

शिखा की वजह से अज्जि उनको कुछ ना कह सका और फिर सब जाकर एक एक करके गाड़ी मे बैठने लगी. पहले सीरू और सेलू गाड़ी मे जाकर आगे बैठ गयी. उसके बाद और निक्की भी गाड़ी मे पिछे जाकर बैठ गयी.

लेकिन हेतल गाड़ी मे बैठते बैठते रुक गयी और वापस आकर अज्जि के सीने से लग कर रोने लगी. सब हेतल के इस रोने के मतलब को समझ सकते थे. लेकिन अज्जि को उसके रोने का मतलब समझ मे नही आया और उसने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

अजय बोला “क्या हुआ. अब तो तुम लोगों ने सब कुछ सही कर लिया है. फिर तू रो क्यो रही है.”

आज्जि की ये बात सुन कर, हेतल ने अपना सर उपर उठा कर अज्जि को देखा और भावुक होते हुए उस से कहा.

हेतल बोली “भैया, आपने मेरे लिए जो किया है. उसके बदले यदि मैं अपनी जान भी दे दूं तो, वो भी कम है.”

आज्जि अभी भी हेतल की बात का सही मतलब नही समझ सका था. उसने हेतल की बात का कोई और मतलब निकालते हुए उस से कहा.

अजय बोला “तू पागल है. तेरी प्लास्टिक सर्जरी करवा कर, मैं कोई महान काम नही कर रहा हूँ. हर भाई अपनी बहन को सही सलामत देखना चाहता है. मैं तो तेरी सर्जरी पहले ही करवाना चाहता था. लेकिन अमन तेरी सर्जरी किसी बड़े सर्जन से करवाना चाहता था. इस वजह से हमे इतना इंतजार करना पड़ गया. अब जल्दी ही तू फिर से पहले जैसी दिखने लगेगी.”

आज्जि के इस भोलेपन को देख कर, हेतल और भी ज़्यादा भावुक हो गयी. उसके आँसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे. उस से कुछ भी कहते नही बन रहा था. तभी शिखा ने आकर उसके सर पर हाथ रखा तो, उसने शिखा से लिपट कर रोते हुए कहा.

हेतल बोली “भाभी, मैं कुछ नही बोल पा रही हूँ. आप ही इन से बोलो ना, मैं क्या कहना चाहती हूँ.”

शिखा हेतल की हालत को अच्छे से समझ रही थी. इसलिए उसने हेतल को समझाते हुए कहा.

शिखा बोली “उन्हे कुछ भी समझाने की ज़रूरत नही है. उन्हो ने जो कुछ भी किया, अपनी बहन की खुशी के लिए किया है. यदि आप सच मे अपने भैया की खुशी चाहती है तो, आप सिर्फ़ खुश रहिए.”

हेतल शिखा की इस बात से समझ गयी थी कि, वो उसे अज्जि से कुछ भी बताने से मना कर रही है. इसलिए उसने अपने आँसू पोछते हुए कहा.

हेतल बोली “भाभी, सच मे आप दोनो एक दूसरे के लिए ही बने है. जितने अच्छे मेरे भैया है. उतनी ही अच्छी मेरी भाभी भी है. लेकिन एक बात आप दोनो भी कान खोल कर सुन लीजिए. मैं आप दोनो की शादी को मिस करना नही चाहती. इसलिए अभी मैं सर्जरी नही करवाउन्गा.”

हेतल की इस बात को सुनकर, अज्जि ने उस पर गुस्सा करते हुए कहा.

अजय बोला “ऐसा नही हो सकता है. बड़ी मुस्किल से उस सर्जन को इंडिया आने के लिए तैयार किया है. वो सिर्फ़ तेरी सर्जरी के लिए यहाँ आया है और 2 दिन मे वापस चला जाएगा. इसलिए तू शादी मे शामिल होने की बात अपने दिमाग़ से निकाल दे.”

लेकिन हेतल ने अज्जि की इस बात के जबाब मे टका सा जबाब देते हुए कहा.

हेतल बोली “तो आप भी मेरी सर्जरी की बात को दिमाग़ से निकाल दीजिए. यदि मैं आपकी शादी मे शामिल नही हो सकती तो, मुझे भी कोई सर्जरी नही करवाना है. मैं आज ही घर वापस चली जाती हूँ.”

हेतल की इस ज़िद की वजह से अज्जि के सामने एक नयी परेशानी खड़ी हो गयी थी. ना तो हेतल अपनी बात से पीछे हटने को तैयार थी और ना ही अज्जि अपनी बात से पीछे हटने को तैयार था. उन दोनो की बहस चलते देख कर, सीरू और बाकी लोग भी कार से उतर कर बाहर आ गये और उनकी बातों को समझने की कोसिस करने लगे.

जब उन लोगों को बहस का असली मुद्दा समझ मे आया तो, वो भी हेतल को समझाने की कोसिस करने लगे. मगर हेतल किसी भी तरह से इस बात को मानने को तैयार नही थी. मगर जब शिखा ने देखा कि, हेतल किसी की बात नही सुन रही है तो, शिखा ने हेतल की तरफ़दारी करते हुए कहा.

शिखा बोली “हेतल ठीक ही तो कह रही है. वो भला अपने भैया की शादी को कैसे मिस कर सकती है.”

शिखा की बात सुनकर, जहा हेतल खुश हो गयी. वही अजजी ने शिखा पर भड़कते हुए कहा.

अजय बोला “तुम समझती क्यो नही. बड़ी मुस्किल से वो सर्जन इंडिया आने को तैयार हुआ है. आज रात को वो वहाँ से निकलने वाला है और कल सुबह वो यहाँ होगा. उसके बाद परसो इसकी सर्जरी है. इसलिए आज इसे यहाँ बुलाया था.”

आज्जि की बात सुनकर, शिखा ने अपनी बात उसे समझाते हुए कहा.

शिखा बोली “लेकिन उसको अभी यहाँ आने के लिए मना भी तो किया जा सकता है.”

अजय बोला “मना किया जा सकता है. लेकिन ये ज़रूरी नही है की फिर वो हमारे कहने पर दोबारा यहाँ आने को तैयार हो जाए.

शिखा बोली “यदि वो यहाँ नही आ सकता तो क्या हुआ. क्या हम भी वहाँ नही जा सकते.”

शिखा की बात सुनकर, अजजी कुछ सोच मे पड़ गया. उसने अमन को कॉल लगा कर, सारी बात बताई. जिसके बाद अमन ने भी शिखा की बात पर सहमति दे दी. आज्जि ने ये बात सबको बताई तो, सब खुश हो गये. मगर बात सुनने के बाद, सीरू ने बड़ी धीरे से कहा.

सीरत बोली “ये तो अभी से ही जोरू के गुलाम हो गये.”

सीरू ने ये बात बड़ी धीरे से कही थी. मगर सबको सुनाकर कही थी. जिसे सुनते ही सब हंस पड़े और अज्जि सीरू को मारने को हुआ. मगर सीरू भाग कर कार मे जाकर बैठ गयी. इसके बाद बाकी सब भी कार मे बैठ गये और सीरू कार लेकर चली गयी. उनके साथ ही साथ वो दूसरी कार भी चली गयी.

उन लोगों के जाने के बाद, मैने भी जाने की बात की तो, शिखा शॉपिंग पर साथ चलने की बात कहने लगी. मगर मैने रात को हॉस्पिटल मे रुकने और अपनी नींद पूरी ना होने की बात कह कर, उसके साथ जाने से मना कर दिया.

आज्जि ने मुझे घर छोड़ने की बात की तो, मैने उस से कहा कि, मेरी बाइक अभी हॉस्पिटल मे ही खड़ी है. इसलिए वो मुझे हॉस्पिटल मे ही छोड़ दे. मेरी बात मान कर अज्जि मुझे हॉस्पिटल मे छोड़ने के लिए तैयार हो गया और वहाँ से निकलते समय उसने शिखा से कहा.

अजय बोला “2 दिन बाद हमारी शादी है और मॉम (अमन की माँ) बोल कर गयी है कि, मैं अब घर मे ही आकर रहूं. इसलिए अब मैं यहाँ नही रहुगा और पुनीत भी अब वही खाना खाया करेगा.”

शिखा ने अज्जि के उसके घर मे ना रहने की बात का तो कोई विरोध नही किया. लेकिन मेरे खाना खाने की बात पर उसने अज्जि से कहा.

शिखा बोली “आपको जहाँ भी रहना है, आप वहाँ रह सकते है. लेकिन भैया खाना सिर्फ़ मेरे घर पर ही खाएगे.”

अजय बोला “नही, ऐसा नही हो सकता. पुन्नू मेरा दोस्त है. इसलिए ये खाना मेरे साथ ही खाएगा. मैं यहाँ था तो, उसने यहाँ खाना खाया और अब मैं वहाँ रहुगा तो, ये वहाँ खाना खाएगा.”

लेकिन शिखा भी अज्जि की ये बात मानने को तैयार नही थी. उसने अज्जि से बहस करते हुए कहा.

शिखा बोली “ये मेरे भैया है और मैं इस बारे मे कोई फालतू की बहस करना नही चाहती. ये खाना यही खाएगे तो, मतलब यही खाएगे.”

अजय बोला “बहस तो तुम कर रही हो. जब एक बार बोल दिया कि, ये मेरे साथ खाना खाएगा तो, इसमे बहस करने की ज़रूरत ही क्या है.”

वो दोनो मेरे खाना खाने की बात पर बहस कर रहे थे और बरखा उसकी बहस को देख कर हँस रही थी. मैं सिर्फ़ खामोशी से उनकी बहस के ख़तम होने का इंतजार कर रहा था. जब उनकी बहस किसी नतीजे पर नही पहुचि तो, बरखा ने बीच मे आते हुए कहा.

बरखा बोली “आप दोनो तो बेकार मे ही बहस कर रहे है. जिसे खाना खाना है, उस से ही क्यो नही पुछ लेते कि, उसे कहा पर खाना खाना पसंद है.”

बरखा की ये बात सुनकर, तो मुझे ऐसा लगा जैसे उसने मेरे सर पर कोई बॉम्ब पटक दिया हो. मैं गुस्से मे घूर कर बरखा की तरफ देखने लगा. वही बरखा की बात सुनकर, अज्जि और शिखा दोनो मेरी तरफ देखने लगे.

बरखा की एक बात ने, उन दोनो की बहस के बीच मुझे फसा दिया था. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, अब मैं किसके साथ खाना खाने की हां बोलू और किसके साथ खाना खाने की ना बोलू.

मेरे लिए तो अज्जि और शिखा दोनो ही अज़ीज थे. एक तरफ मेरी वो मूह-बोली बहन थी. जिस से थोड़े ही समय मे मुझे इतना ज़्यादा लगाव हो गया था, जैसे उससे मेरा बरसो का साथ हो तो, दूसरी तरफ मेरा वो दोस्त था, जिसकी वजह से मुझे इतने सारे अपने मिले थे.

दोनो बड़ी बेसब्री से मेरे जबाब का इंतजार कर रहे थे. मैं किसी भी सूरत मे, दोनो मे से किसी दिल दुखाना नही चाहता था. ना ही दोनो मे से किसी को एक दूसरे के सामने छोटा दिखाना चाहता था. मैं अजीब ही धरम-संकट मे फस गया था. जिस से बाहर निकलने का मुझे कोई रास्ता नज़र नही आ रहा था.

मैं अभी उनके इस सवाल का कोई जबाब ढूँढ ही रहा था कि, तभी मेरे मोबाइल पर मेसेज टोन बजी. मैं मोबाइल निकाल कर, मेसेज देखने लगा. मसेज देखते ही मुझे उनके इस सवाल का जबाब मिल गया और मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-09-2020, 03:01 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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