RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मैने मेसेज देखने के बाद, मोबाइल अज्जि की तरफ बढ़ा दिया. आज्जि मेसेज देखने लगा और मेसेज देखने के बाद, उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. हम दोनो को मेसेज देखने बाद इस तरह मुस्कुराते देख, शिखा ने बेचैनी भरे स्वर मे कहा.
शिखा बोली “क्या हुआ. आप दोनो किस बात पर इतना मुस्कुरा रहे है.”
शिखा की बात सुनकर, अज्जि मेरे मोबाइल का मेसेज पढ़ कर सुनाने लगा.
मोबाइल का मेसेज “निशा भाभी ने आज मुझे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी है. मैं कुछ देर बाद ही घर चली जाउन्गी. उन्होने अंकल की भी छुट्टी की बात कर ली है और आज शाम तक अंकल की भी छुट्टी हो जाएगी. तुमने मुझसे वादा किया था कि, जब मैं बोलुगी, तुम घर वापस आ जाओगे. इसलिए अब तुम नींद से उठते ही, घर वापस आ जाओ. वरना कल फिर मैं तुमको वापस हॉस्पिटल मे ही मिलुगी.”
ये मेसेज सुनकर, बरखा के तो कुछ समझ मे नही आया. लेकिन शिखा समझ गयी थी कि, ये प्रिया का मेसेज है. मगर इस मेसेज को सुनने के बाद, शिखा के मन मे एक सवाल आया और उसने बड़ी हिम्मत करते हुए मुझसे कहा.
शिखा बोली “भैया, क्या आप और प्रिया एक दूसरे को पसंद करते हो.”
शिखा की इस बात का मैं कोई जबाब दे पाता, इस से पहले ही अज्जि ने मेरी तरफ से जबाब देते हुए कहा.
अजय बोला “ऐसा कुछ नही है. असल मे बात ये है कि, प्रिया और पुन्नू मे किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया. गुस्से मे प्रिया ने पुन्नू से अपने घर से चले जाने को कह दिया. लेकिन बाद मे उसे अपनी ग़लती का अहसास हुआ और वो इसे रुकने के लिए मनाती रही. मगर इसने उसकी बात नही मानी और उसका घर छोड़ कर आ गया. प्रिया पहले ही दिल की मरीज थी और ये सदमा ना सह सकी. जिस वजह से उसकी तबीयत खराब हो गयी.”
आज्जि की बात सुनकर, शिखा ने कुछ सोचते हुए मुझसे कहा.
शिखा बोली “इसका मतलब कि, आज से आप प्रिया के घर मे रहेगे.”
मैं बोला “दीदी, आप ने शायद पूरा मेसेज ध्यान से नही सुना है. प्रिया के साथ साथ आज अंकल की भी छुट्टी हो रही है. ऐसे मे ज़्यादा से ज़्यादा आज रात को ही हमे यहाँ रुकना पड़ेगा. कल किसी भी समय हम लोग घर वापस जा सकते है.”
मैने ये बात शिखा के साथ बस थोड़ा सा मज़ाक करने के लिए कही थी. उसकी शादी के पहले मेरा वापस जाने का कोई इरादा नही था. लेकिन मेरी इस बात को सुनकर, शिखा के चेहरे पर उदासी छा गयी. उसे समझ मे नही आ रहा था कि, वो मुझे घर वापस जाने से कैसे रोके. मगर कुछ देर बाद, शिखा ने अपने दिल की बात मुझ पर जाहिर करते हुए कहा.
शिखा बोली “लेकिन भैया, ये तो ग़लत बात है ना. यहाँ आपकी बहन की शादी है और आप घर जाने की बात कर रहे हो. क्या मैं आपके लिए कुछ नही हूँ.”
मैं शिखा को ज़्यादा परेशान करना नही चाहता था. इसलिए मैने मुस्कुराते हुए उस से कहा.
मैं बोला “मगर दीदी मैने ये कब कहा कि, मैं घर वापस जा रहा हूँ. मैने तो बस इतना कहा कि, अब हम किसी भी समय घर वापस जा सकते है. आपकी शादी के पहले मेरे वापस जाने का कोई इरादा नही है.”
मेरी बात सुनकर, शिखा के चेहरे पर मुस्कुराहट वापस आ गयी. इसके बाद, मैने सब से इजाज़त ली और फिर अजय की कार मे उसके साथ हॉस्पिटल आ गया. हॉस्पिटल आने के बाद, अजय निशा के पास चला गया और मैं सीधे प्रिया के पास आ गया.
जब मैं प्रिया के पास पहुचा तो, वहाँ पर रिया बैठी थी. मुझे देखते ही रिया और प्रिया दोनो के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. रिया से पिच्छले कुछ दिनो से मेरी कोई बात नही हुई थी. उसे भी इस बात का अहसास हो चुका था कि, मैं शायद उस से नाराज़ हूँ. इसलिए उसने अभी मुझे अपने सामने देखा तो मुझसे कहा.
रिया बोली “तुम तो घर से जाने के बाद, मुझे भूल ही से गये हो.”
रिया को लेकर मेरे मन मे कोई मैल नही था. क्योकि मैं हर बात का ज़िम्मेदार अपने बाप को ही मानता था. इसलिए मैने रिया की इस बात मुस्कुरा कर जबाब देते हुए कहा.
मैं बोला “नही, ऐसी कोई बात नही.बस अंकल और प्रिया दोनो के हॉस्पिटल मे रहने की वजह से मैं यहाँ कुछ ज़्यादा ही उलझ गया था. मगर आज दोनो की हॉस्पिटल से छुट्टी होने की वजह से, अब मेरे पास समय ही समय है. अब तुम्हे मुझसे इस बात की कोई शिकायत नही होगी.”
अभी मेरी रिया से बात चल ही रही थी कि, तभी निशा वहाँ आ गयी. उसने प्रिया के सर पर हाथ फेरते हुए उस से कहा.
निशा बोली “देखो प्रिया, आज तुम्हारी छुट्टी ज़रूर हो रही है. लेकिन अभी तुम्हे अपनी सेहत का पूरा ख़याल रखना है. कुछ दिन तक तुम्हे घर पर सिर्फ़ आराम ही करना है. मुझे उम्मीद है कि, तुम मुझे शिकायत का कोई मौका नही दोगि.”
निशा की बात सुनकर, प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “भाभी, आप फिकर मत करो. मैं आपको शिकायत का कोई मौका नही दुगी. लेकिन आपने भी आज मुझे शॉपिंग करने का वादा किया था. अब मैं घर जा रही हूँ तो, अब मेरी शॉपिंग का क्या होगा.”
निशा बोली “मुझे अपने दोनो वादे याद है. मैं आज तुमको शॉपिंग भी कराउन्गि और तुम मेरी शादी मे भी शामिल हो सकोगी. लेकिन शादी मे शामिल होने के लिए अभी तुम्हारा 2 दिन आराम करना बहुत ज़रूरी है. यदि इस बीच तुम्हे कोई भी परेशानी हो तो तुम बेफिकर होकर मुझे कॉल कर लेना.”
प्रिया बोली “ओके भाभी, मैं ऐसा ही करूगी.”
निशा बोली “ओके, अब मैं चलती हूँ. आज मुझे बहुत काम है.”
इतना कह कर निशा जाने लगी. लेकिन जाते जाते उसने मुझे अपने साथ चलने का इशारा किया और मैं उसके साथ साथ बाहर आ गया. बाहर अज्जि पहले से ही खड़ा हमारे आने का इंतजार कर रहा था. बाहर आकर निशा ने मुझसे कहा.
निशा बोली “वैसे तो तुम बहुत समझदार हो. लेकिन फिर भी मैं तुमसे ये बोल देना ज़रूरी समझती हूँ कि, प्रिया को अभी किसी भी तरह का कोई टेन्षन मत देना. ये बात मैं तुमसे इसलिए कह रही हूँ, क्योकि मैं इस बात को अच्छी तरह से समझती हूँ, कि प्रिया के दिल मे तुम्हारी क्या जगह है.”
“प्रिया बहुत भोली है और अभी तुम्हारे उसके सामने होने की वजह से, उसका दिल इस सच्चाई को कबूलने को तैयार नही है कि, तुम उसके नही हो सकते. लेकिन तुम्हारे जाने के बाद उसका दिल धीरे धीरे इस सच्चाई को कबूलने लगेगा. तुम्हारा दिया कोई भी सदमा उसके लिए जान लेवा साबित हो सकता है. इसलिए बेहतर यही होगा कि, अभी प्रिया को कोई सदमा ना दिया जाए.”
निशा की बात सुनकर, मैने उसे विस्वास दिलाया कि, मेरी वजह से प्रिया को कोई दुख नही पहुचेगा. मैं जब तक यहाँ हूँ, उसको खुश रखने की पूरी कोसिस करूगा. मेरी बात सुनकर, निशा ने भी राहत की साँस ली.
इसके बाद अजय ने बताया कि उसने अंकल के हॉस्पिटल के बिल का भुगतान कर दिया है और हम वापस जाने की भी कोई फिकर ना करे. वो हमारे वापस जाने के टिकेट भी करवा देगा. मैने उसे ये सब करने से मना किया. लेकिन वो मेरी इस बात पर नाराज़ होने लगा.
निशा ने भी उसकी इस बात मे साथ दिया और फिर मुझसे चुप रहने के सिवा कुछ भी कहते ना बना. इसके बाद दोनो ने मुझे बाद मे मिलने की बात कही और वो दोनो अपने अपने घर के लिए निकल गये.
उनके जाने के बाद, मैं वापस प्रिया के पास चला गया. रिया घर जाने की तैयारी कर रही थी. अब आंटी भी वहाँ आ चुकी थी. इसलिए मैं उपर अंकल के पास चला गया. अंकल के भी घर जाने की तैयारी चल रही थी. उनके पास इस समय राज और मेहुल दोनो थे.
कुछ देर मे उनके घर वापस जाने की तैयारी भी पूरी हो गयी. लेकिन उनकी छुट्टी 3 बजे के बाद होनी थी. जबकि प्रिया की छुट्टी अभी ही हो रही थी. राज कह रहा था कि, वो प्रिया को घर छोड़ने के बाद, अंकल को लेने आ जाएगा.
इसके बाद मैं और राज नीचे आ गये और प्रिया का समान गाड़ी मे रखने लगे. कुछ ही देर बाद प्रिया रिया और आंटी राज के साथ घर के लिए निकल गयी. मैने प्रिया से अंकल की छुट्टी होने के बाद घर आने की बात बोल दी.
प्रिया को घर छोड़ने के बाद राज वापस आ गया. फिर कुछ देर मे अंकल की भी छुट्टी हो गयी. मगर डॉक्टर. ने 3 दिन बाद अंकल को फिर से दिखाने की बात कही थी. जिस वजह से, सनडे के पहले हमारे घर वापस लौटने की कोई उम्मीद नही थी.
मैने घर फोन लगा कर, सबको अंकल की हॉस्पिटल से छुट्टी हो जाने की बात बता दी और कीर्ति से भी बाद मे बात करने की बात कह कर उसका कॉल भी रख दिया. मेहुल ने मुझसे राज के घर चलने की बात पूछी तो, मैने कहा की मैं अपना समान लेकर अभी कुछ देर मे पहुचता हूँ.
इसके बाद राज और मेहुल अंकल को लेकर घर के लिए निकल गये. उनके जाने के बाद मैने भी बाइक उठाई और अज्जि के बंग्लॉ की तरफ निकल गया. वहाँ जाकर मैने अपने समान की पॅकिंग की और फिर बाइक से ही राज के घर के लिए निकल गया.
इसके बाद 4 बजे के करीब मैं राज के घर पहुच गया. मुझे एक बार फिर से अपने घर मे वापस देख कर, सब बहुत खुश थे. निक्की के अलावा सब घर मे ही थे. रिया ने बताया कि, उनके आने के बाद, निक्की को लेने डॉक्टर. निशा की गाड़ी आई थी. वो डॉक्टर. निशा के घर गयी है.
रिया की इस बात से मैं समझ गया था कि, निक्की सबके साथ शॉपिंग के लिए गयी है. प्रिया इस वक्त अपने कमरे मे आराम कर रही थी और अंकल अपने कमरे मे थे. मैं अंकल के पास चला गया. वहाँ मेहुल बैठा था और अंकल से घर के बारे मे बात कर रहा था. मेरे पहुचने पर मेहुल ने मुझे बताते हुए कहा.
मेहुल बोला “हम लोग सॅटर्डे को पापा को डॉक्टर. को दिखाएगे और फिर सनडे को यहाँ से घर के लिए निकलेगे. लेकिन मेरी समझ मे एक बात नही आई है कि, हमारा हॉस्पिटल का बिल किसने भर कर दिया और क्यो.”
मेहुल की इस हैरानी को दूर करते हुए मैने उसे बताते हुए कहा.
मैं बोला “ये बिल मेरे उसी दोस्त ने पेड किया है. जिसके घर मे मैं पिच्छले 2 दिन से रह रहा था. मैने उसे ऐसा करने से मना भी किया था. लेकिन वो माना ही नही, कहने लगा कि, तुम्हारे अंकल मेरे भी अंकल है. इस वक्त वो मेरे मेहमान है और ये सब उसका फ़र्ज़ है.”
मेरी बात सुनकर, अंकल और मेहुल दोनो की हैरानी का ठिकाना नही रहा. अंकल ने मुझसे कहा.
अंकल बोले “लेकिन तुम्हारा ये दोस्त है कौन. तुमने उस से कभी हमे मिलाया क्यो नही.”
मैं बोला “अंकल वो डॉक्टर. अमन का दोस्त है. वो मेरे साथ रात को हॉस्पिटल मे ही रहता था. लेकिन वो हॉस्पिटल के अंदर नही आता था. अब 2 दिन बाद उसकी शादी है. उस दिन मैं ज़रूर आप दोनो को उस से मिला दूँगा.”
इसके बाद थोड़ी देर अंकल और मेहुल से यहाँ वहाँ की बात करने के बाद, मैं अपने कमरे मे आ गया. कमरे मे आकर मैने अपने दोनो मोबाइल चार्जिंग मे लगाए और फ्रेश होने की बात सोच कर, आँख बंद करके लेट गया. लेकिन आँख बंद करते ही, मुझे पता नही चला कि, कब मई गहरी नींद मे चला गया.
फिर मेरी नींद रात को 8:30 बजे किसी के दरवाजा खटखटाने से खुली. मैने दरवाजा खोला तो निक्की मेरे सामने खड़ी मुस्कुरा रही थी. मुझे देख कर, निक्की ने मुस्कुराते हुए कहा.
निक्की बोली “ज़रा अपना मोबाइल देख लीजिए. शायद किसी का कॉल आया हो.”
निक्की की ये बात मुझे कुछ अजीब सी लगी. लेकिन फिर भी मैं पलट कर मोबाइल के पास आया और मोबाइल उठा कर देखा तो, उसमे शिखा के 10-12 मिस्ड कॉल थे. मैने हैरानी से निक्की की तरफ देखते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी के 10-12 मिस्ड कॉल है. शायद वो बहुत देर से मुझे कॉल लगा रही थी.”
निक्की बोली “जी हां, आपकी दीदी, खाने पर आपका इंतजार कर रही है. आपने कॉल नही उठाया तो, उन्हो ने मुझे कॉल लगा कर, आपको ये खबर देने को कहा है.”
निक्की की ये बात सुनकर, मैने परेशान होते हुए कहा.
मैं बोला “मैं अजीब परेशानी मे फस गया हूँ. दीदी चाहती है कि, मैं उनके घर पर खाना खाऊ और प्रिया चाहती है कि, मैं यहाँ रहूं. अब मेरी समझ मे नही आ रहा है कि, ऐसी हालत मे मैं क्या करूँ.”
निक्की बोली “आपकी इस परेशानी को मैने दूर कर दिया है. जब भाभी ने मुझसे ये बात कही, तभी मैने प्रिया को ये सब बता दिया. उसे आपके वहाँ जाने या खाना खाने से कोई परेशानी नही है. आपकी खुशी मे ही वो अपनी खुशी समझती है. वो बस इतना चाहती है कि, आप उसकी आँखों के सामने रहे.”
निक्की की बात सुनकर, मुझे कुछ सुकून महसूस हुआ और मैने उस से कहा.
मैं बोला “तो फिर आप दीदी को कॉल करके उन से बोल दीजिए कि, मैं थोड़ी देर मे वहाँ पहुचता हूँ. तब तक मैं फ्रेश होकर, तैयार हो जाता हूँ.”
मेरी बात सुनकर, निक्की वहाँ से चली गयी. मैं भी फ्रेश होकर तैयार होने लगा. तैयार होने के बाद, मैं दादा जी और बाकी लोगों को बता कर, शिखा के घर के लिए निकल गया.
जब मैं वहाँ पहुचा तो, शिखा बड़ी बेसब्री से मेरा इंतजार कर रही थी. मेरे पहुचते ही उसने खुशी खुशी खाना लगाना सुरू कर दिया. आंटी और बरखा के चेहरे पर भी मुझे देख चमक आ गयी थी. शायद शिखा की तरह आंटी को मेरे अंदर अपना बेटा और बरखा को अपना भाई नज़र आने लगा था.
मैने सबके साथ खाना खाया और फिर शिखा की शादी की बातें चलती रही. कल से उनके घर मे धूम मचने वाली थी. जिसे लेकर बरखा बहुत उत्साहित थी. थोड़ी देर ये ही सब बातें करने के बाद, जब मैने वापस जाने की बात की तो, शिखा ने एक पॅकेट मुझे देते हुए कहा.
शिखा बोली “भैया, ये आपकी ग़रीब बहन की तरफ से आपके लिए एक छोटा सा तोहफा है.”
शिखा की ये बात मेरे दिल को चुभ गयी और ना चाहते हुए भी मेरी आँखों मे नमी आ गयी. मेरी आँखों की नमी को देख कर शिखा भी घबरा गयी. उसने घबराते हुए कहा.
शिखा बोली “क्या हुआ भैया. क्या मैने कुछ ग़लत बोल दिया है.”
मैं बोला “दीदी, ग़लत तो आपने बोला ही है. क्या एक भाई के लिए उसकी बहन कभी ग़रीब हो सकती है क्या. बहन का दिया हुआ, छोटे से छोटा तोहफा भी भाई के लिए बहुत कीमती होता है.”
मेरी बात सुनते ही शिखा को अपनी ग़लती का अहसास हो गया. उसने अपनी ग़लती मानते हुए कहा.
शिखा बोली “सॉरी भैया, सच मे मुझसे ग़लती हुई है. लेकिन ये भी सच है कि, ये तोहफा ज़्यादा कीमती नही है. इसलिए मुझे ये देने मे अच्छा नही लग रहा था.”
मैं बोला “कैसी बात करती हो दीदी. इस से कीमती तोहफा तो कोई हो ही नही सकता. भला बहन के प्यार की भी कोई कीमत लगाई जा सकती है क्या. मेरे लिए तो ये तोहफा सबसे ज़्यादा कीमती है. क्योकि इसमे आपका प्यार है.”
इसके बाद मेरी सब से शादी को लेकर थोड़ी बहुत बातें और हुई. उसके बाद मैने रात ज़्यादा होने की बात कही और फिर 10:30 बजे मैं घर के लिए निकल आया. मैं 10:45 बजे घर पहुच गया. घर पहुचने के बाद, थोड़ी देर अंकल के पास बैठा और फिर 11 बजे अपने कमरे मे आ गया.
कमरे मे आकर मैने कपड़े बदले और लेटने के बाद कीर्ति को कॉल लगाने की सोच ही रहा था कि, तभी प्रिया का कॉल आ गया. मेरे कॉल उठाते ही प्रिया ने कहा.
प्रिया बोली “ये सब क्या है.?”
मैं बोला “क्यो क्या हुआ. तुम किस बात के बारे मे बोल रही हो.”
प्रिया बोली “इस से अच्छी तो मैं हॉस्पिटल मे थी. कम से कम रात को तुमको, देख तो पाती थी. यहाँ तो मुझे तुम्हारी शकल तक देखना नसीब नही हो रहा है.”
मैं बोला “अब इसमे मैं क्या कर सकता हूँ. मैं तो घर पर कितनी देर रहा. लेकिन तुम उपर से नीचे आई ही नही.”
प्रिया बोली “यदि मैं नीचे नही आ सकती तो क्या हुआ. तुम तो उपर आ सकते थे ना.”
मैं बोला “मैने सब से पूछा कि, प्रिया कैसी है. सब ने कहा कि, अच्छी है. अपने कमरे मे आराम कर रही है. किसी ने ये नही कहा कि, उपर जाकर देख लो. फिर भला मैं उपर कैसे आ जाता.”
प्रिया बोली “मुझे कुछ नही सुनना. तुम अभी मुझसे मिलने आओ. नही तो मैं तुमसे मिलने नीचे आती हूँ.”
मैं बोला “प्रिया, अब रात ज़्यादा हो गयी है. ऐसे मे मेरा उपर आना ठीक नही होगा. मैं वादा करता हूँ कि, सुबह ज़रूर तुमसे मिलने उपर आउगा.”
मगर प्रिया अब मेरी कोई भी बात सुनने को तैयार नही थी. वो ज़िद किए बैठी थी कि, या तो मैं उपर आउ या फिर वो खुद नीचे आ जाएगी. जब मेरी उसकी ज़िद के आगे एक ना चली तो, मैने उसकी बात मानते हुए, उस से कहा कि मैं उस से मिलने उपर आ रहा हूँ.
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