RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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कहने को तो मैने प्रिया से कह दिया था कि, मैं मिलने आ रहा हुं लेकिन अभी रात के समय, मुझे अपना ऐसा करना ठीक नही लग रहा था. फिर भी प्रिया की तबीयत का ख़याल करके, मैने अपने दिल को मजबूत किया और प्रिया से मिलने जाने के लिए अपने कमरे से बाहर निकल आया.
मैं अपने कमरे से निकल कर जब हॉल मे पहुचा तो, वहाँ दादा जी बैठे अख़बार पढ़ रहे थे. उनको इतनी रात को अख़बार पढ़ते देख, मुझे कुछ हैरानी सी हुई और मैने उसके पास आते हुए उन पर अपनी हैरानी जाहिर करते हुए कहा.
मैं बोला “दादू, ये क्या.? आप इतनी रात को अख़बार पढ़ रहे है.”
मेरी बात सुनकर दादा जी ने मुस्कुरा कर मुझे देखा और फिर अख़बार को एक किनारे रखते हुए, मुझसे कहा.
दादा जी बोले “बेटा, आज आकाश अभी तक घर नही आया है. बस इसीलिए जाग रहा था. अकेला बैठा बोर होने लगा तो, अख़बार पढ़ने लगा. लेकिन तुम बताओ, तुम अभी तक क्यो जाग रहे हो.”
मैं बोला “दादू, मैं तो सोने ही जा रहा था. लेकिन आज प्रिया के हॉस्पिटल से आने के बाद से, मैं उस से मिला नही था. प्रिया को देखने का बहुत मन कर रहा था. इसलिए सोचा कि रिया या निक्की के साथ प्रिया से मिल आउ. लेकिन आज तो यहाँ दोनो मे से कोई भी नही दिख रहा है.”
मेरी बात सुनकर, दादा जी ने कहा.
दादा जी बोले “बेटा आज निक्की बहुत थकि हुई थी. इसलिए वो खाना खाने के बाद ही सोने चली गयी. प्रिया तो हॉस्पिटल से आने के बाद नीचे आई ही नही है. उसके साथ साथ रिया भी उसी के कमरे मे है. तुम ऐसा करो कि, रिया को बुला लो. वो ही तुमको प्रिया के पास ले जाएगी.”
मैं बोला “ठीक है दादू. मैं रिया को ही नीचे बुला लेता हूँ.”
ये कहते हुए मैं वापस अपने कमरे मे जाने लगा. मुझे अपने कमरे मे वापस जाते देख कर दादा जी ने कहा.
दादा जी बोले “क्या हुआ, तुम वापस क्यो जा रहे हो.”
मैं बोला “दादू, मेरा मोबाइल कमरे मे ही रखा है. मैं रिया को कॉल लगा कर बुला लेता हूँ.”
दादा जी बोले “रूको, मैं तुमको प्रिया का कमरा बता देता हूँ. तुम खुद ही उनके पास चले जाओ.”
ये कह कर दादा जी ने, उपर सीडियों के बिल्कुल सामने बने कमरे की तरफ इशारा करते हुए कहा.
दादा जी बोले “वो कमरा देख रहे हो ना. उसके बाजू का कमरा राज का है. फिर राज के कमरे के बाद रिया का कमरा है. रिया के कमरे के बाद, निक्की का कमरा है और निक्की के कमरे के बाद प्रिया का कमरा है.”
दादा जी के प्रिया का कमरा बता देने के बाद, मैं उपर चला गया. दादा जी ने जैसे कमरे बताए थे. उसी हिसाब से उन कमरो के सामने से होते हुए, मैं प्रिया के कमरे के सामने जाकर खड़ा हो गया.
उसके कमरे से टीवी चलने की आवाज़ आ रही थी. अभी मैं प्रिया के कमरे का दरवाजा खटखटाने की बात सोच ही रहा था कि, तभी अंदर से प्रिया की आवाज़ आई.
प्रिया बोली “अंदर आ जाओ. दरवाजा खुला हुआ है.”
प्रिया की आवाज़ सुनते ही, मैने दरवाजा खोला और अंदर आ गया. प्रिया एक पिंक नाइटी मे, बेड पर बैठी टीवी देख रही थी. मुझे अपने सामने देखते ही, प्रिया के चेहरे पर एक चमक आ गयी.
उसके चेहरे की ये चमक, उस खुशी की थी. जो उसे मेरे वहाँ आने से हो रही थी. उसने बड़े ही प्यार से, मुझे पास रखी चेयर पर बैठने का इशारा किया. मैने चेयर को प्रिया के बाद के पास खिचा और फिर उस पर बैठ कर कभी प्रिया तो, कभी उसके कमरे की तरफ देखने लगा.
प्रिया का टीवी अभी भी चल रहा था. उसने मुझे इस तरह से हैरान होते देखा तो, मुस्कुरा कर, टीवी को बंद करते हुए मुझसे कहा.
प्रिया बोली “ऐसे हैरानी से क्या देख रहे हो. क्या मेरा कमरा सच मे इतना गंदा है.”
मैं बोला “नही, तुम्हारा कमरा तो बहुत अच्छा है. मैं तो बस ये सोच रहा था कि, जब तुम्हारे कमरे मे टीवी चल रहा था तो, फिर तुमको ये कैसे पता चला कि, बाहर मैं आ गया हूँ.”
मेरी बात सुनकर प्रिया के चेहरे पर, बहुत ही प्यारी सी मुस्कुराहट आ गयी और उसने मुस्कुरा कर मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.
प्रिया बोली
“बहुत पहले से तेरे कदमो की आहट जान लेते है.
तुझे आए जिंदगी हम दूर से पहचान लेते है.”
प्रिया की इस शायरी को सुनते ही मुझे, उसकी हॉस्पिटल मे कही गयी शायरी की याद आ गयी.
प्रिया की शायरी
“ज़ख़्म मुस्कुराते है अब भी तेरी आहट पर,
दर्द भूल जाते है अब भी तेरी आहट पर,
उमर काट दी लेकिन बच्पना नही जाता,
चौक चौक जाते है अब भी तेरी आहट पर,
तेरी आहट आए तो नींद उड़ जाती है,
हम खुशी मानते है अब भी तेरी आहट पर.”
प्रिया की इस शायरी के याद आते ही, मैं उसकी शायरियों मे मेरे लिए छुपे प्यार को, अच्छी तरह से समझ सकता था. भला जो लड़की जिंदगी और मौत से लड़ते समय भी मेरी आहट पर जाग सकती है तो, उसके लिए अभी अच्छे भले होने पर मेरी आहट को पहचान पाना कोई बड़ी बात नही थी.
लेकिन प्रिया की इस शायरी का मतलब समझते हुए भी, मैने अंजान बनने का नाटक करते हुए प्रिया से कहा.
मैं बोला “देखो यार, मुझे इस शेर-ओ-शायरी के लफडे से दूर ही रखो. मैं अपने दिमाग़ पर कितना भी ज़ोर डालु मगर ये सब, मेरे भेजे मे कभी नही घुसती. तुम्हे मुझसे जो भी बोलना हो, सीधे ही बोल दिया करो.”
मैने ये बात इसलिए बोली थी, ताकि प्रिया इस बात को बदल कर, कोई और बात करने लगे. लेकिन प्रिया ने मेरी ये बात सुनते ही तपाक से मुझसे कहा.
प्रिया बोली “आइ लव यू.”
प्रिया के मूह से ये बात सुनते ही मुझे एक झटका सा लगा. मैं जिस बात से बचने के लिए उसकी शायरी से अंजान बनने का नाटक कर रहा था. उसने वो ही बात खुले शब्दों मे मेरे मूह पर कह दी थी.
प्रिया को मेरी हक़ीकत पता थी और वो भी उसको कबुल कर चुकी थी. मैं प्रिया के दिल का हाल भी अच्छे से जानता था. यदि आज कीर्ति मेरी जिंदगी मे नही होती तो, इस बात मे भी कोई शक़ नही था कि, प्रिया ही वो लड़की होती, जिसके लिए मैं अपनी जान भी दे सकता था.
लेकिन आज की हक़ीकत कुछ और थी. आज की हक़ीकत ये थी कि, मेरी जिंदगी सिर्फ़ और सिर्फ़ कीर्ति के नाम थी. उसकी जगह प्रिया तो क्या, दुनिया की कोई भी लड़की नही ले सकती थी. इसलिए मैने प्रिया की इस बात पर नाराज़गी जताते हुए कहा.
मैं बोला “प्रिया, ये कैसा मज़ाक है. सब कुछ जानते हुए भी तुम ऐसा करोगी. मुझे इस बात की ज़रा भी उम्मीद नही थी.”
मेरी इस बात से प्रिया को मेरी नाराज़गी का अहसास हो गया और शायद उसके दिल को कहीं चोट भी लगी हो. इसलिए उसके चेहरे की हँसी उसके चेहरे से गायब हो गयी. फिर भी उसने फीकी सी मुस्कुराहट के साथ, बात को बदलते हुए कहा.
प्रिया बोली “अरे इसमे नाराज़ होने वाली क्या बात है. क्या एक दोस्त दूसरे दोस्त को आइ लव यू भी नही बोल सकता. ओके, यदि तुमको अच्छा नही लगता तो, मैं ऐसा दोबारा नही करूगी. अब ये फालतू की बात छोड़ो और ये बताओ कि, अचानक ये तुम्हारी दीदी कहाँ से आ गयी.”
ये कहते हुए प्रिया ने बात का रुख़ शिखा की तरफ मोड़ दिया. मैं भी उसके दिल को कोई चोट पहुचाना नही चाहता था. इसलिए मैने भी शिखा की बात को ही आगे बढ़ाते हुए उस से कहा.
मैं बोला “क्यो, क्या निक्की ने तुम्हे इस बारे मे कुछ नही बताया.”
प्रिया बोली “नही, उसने बस इतना कहा था कि, तुम मेरे कहने पर यहाँ आ गये हो. लेकिन तुम्हारी दीदी चाहती है कि, तुम उनके साथ खाना खाओ. मैने भी कह दिया कि मुझे इसमे कोई परेशानी नही है.”
मैं बोला “कल रात को हॉस्पिटल मे, जिनके लिए तुमने बीमार होने का नाटक किया था. वो ही मेरी दीदी है.”
मेरी इस बात के जबाब मे प्रिया ने चौुक्ते हुए कहा.
प्रिया बोली “तुम शिखा दीदी की बात कर रहे हो.”
मैं बोला “हां, उनकी ही बात कर रहा हूँ. कल उनका अजय से झगड़ा हो गया था. जिस वजह से वो बहुत रो रही थी. जिस वजह से उनको चुप करने के लिए नींद से जगा कर ये बीमारी का नाटक करना पड़ा. सॉरी कल मेरी वजह से तुमको परेशान होना पड़ा.”
प्रिया बोली “कौन कहता है कि, मुझे इस बात से कोई परेशानी हुई. मुझे तो इस बात की खुशी हुई कि, इसी बहाने सही, पर मैं तुम्हारे कोई काम तो आ सकी. लेकिन अजय तो तुम्हारा दोस्त है. फिर उनका उस से झगड़ा किस बात को लेकर हो गया.”
मैं बोला “अजय डॉक्टर. अमन का भी दोस्त है. वो शिखा दीदी को प्यार करता था. लेकिन दीदी को पैसे वाले लोग पसंद नही थे. जिस वजह से अजय एक टॅक्सी ड्राइवर बन कर उनकी टॅक्सी चलता था. कल ये सब बातें वो मुझे बता रहा था. तभी दीदी कॉफी देने आई और उन्हो ने ये सब सुन लिया. जिस वजह से वो उस से नाराज़ हो गयी थी.”
प्रिया बोली “फिर क्या हुआ. क्या उनका गुस्सा शांत हुआ या नही.”
मैं बोला “गुस्सा भी शांत हो गया और उनकी शादी भी पक्की हो गयी. अब 2 दिन बाद अमन और निशा के साथ साथ अजय और शिखा की भी शादी रही है.”
मेरी बात सुनते ही प्रिया ने रोमांचित होते हुए कहा.
प्रिया बोली “वाउ, ये तो एक सूपर हिट लव स्टोरी है. मुझे उस दिन अजय को अपने घर मे देख कर लग ही रहा था कि, इसे मैने कही देखा है. मगर उस दिन तुम्हारी वजह से, मैं इस पर ज़्यादा ध्यान नही दे पाई थी. लेकिन मेरी एक बात समझ मे नही आ रही है कि, जब अजय तुम्हारा दोस्त है तो, ऐसे मे शिखा तुम्हारी भाभी लगी. फिर तुम उसे दीदी क्यो कह रहे हो.”
मैं बोला “क्योकि, मेरे दिल से उनके लिए पहली बार मे दीदी ही निकला था और फिर उन्हो ने भी मुझे अपना भाई मान लिया. उनकी शादी तो इसके बाद पक्की हुई. इसलिए अब मैं उनको दीदी ही बोलता हूँ.”
मेरी ये सब बातें सुनकर, प्रिया के चेहरे पर फिर से मुस्कुराहट आ गयी. वो अपने बेड से नीचे उतरी और आज की शॉपिंग का सारा समान लाकर बेड पर रखने लगी. फिर सारा समान रखने बाद, वापस आकर बेड पर बैठ गयी और एक एक समान खोल कर मुझे दिखाने लगी. आख़िरी मे बचा एक समान उसने मुझे खोल कर नही दिखाया तो, मैने उस से कहा.
मैं बोला “क्या ये पॅकेट खोल कर नही दिखाओगी.”
प्रिया बोली “नही, ये मेरी शादी मे पहनने वाली ड्रेस है. ये तो मैं उसी दिन पहन कर दिखाउन्गी.”
मैने उस से बहुत कहा वो ड्रेस दिखाने को मगर वो शादी के दिन देख लेने की ज़िद लगाई रही. आख़िर मे मुझे भी उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ गया. फिर मैने कमरे मे प्रिया के अकेले होने की वजह जानने के लिए उस से कहा.
मैं बोला “दादा जी तो कह रहे थे कि, रिया तुम्हारे साथ है. लेकिन तुम तो यहाँ अकेली हो.”
प्रिया बोली “रिया दीदी को नींद आ रही थी. मैने ही उनको सोने के लिए भेज दिया. उन्हो ने ही मुझे बताया था कि, तुम घर आ गये हो.”
मैं बोला “तो क्या तुम रात भर यहाँ अकेली ही रहोगी.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया को फिर से शरारत सूझी और उसने मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “नही तो, मैं भला क्यो अकेली रहूगी. मेरे साथ रात भर अब तुम रहोगे ना.”
प्रिया की इस बात के जबाब मे, ना तो मुझसे, ना बोलते बन रहा था और ना ही हां बोलते बन रहा था. मैं मुस्कुरा कर रह जाने के सिवा कुछ ना कर सका. लेकिन प्रिया मेरी इस मुस्कुराहट का मतलब समझ गयी थी. उसने मेरी हालत पर ठहाके लगाते हुए कहा.
प्रिया बोली “डरो मत, मैं इतनी भी पागल नही हूँ. जो तुमको यहाँ रात भर रुकने को बोलू. मैं तो बस मज़ाक कर रही थी. दिन भर से तुमको देखा नही था. जिस वजह से तुमको देखने का बहुत मन कर रहा था. इसलिए मैने तुमको कॉल करके बुला लिया. अब तुमको देख लिया है तो, मैं भी आराम से सो जाउन्गी. अब मेरे पास किसी को भी रात रुकने की ज़रूरत नही है.”
प्रिया के इस भोलेपन को देख कर, ना चाहते हुए भी मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था. इसलिए अब मैने भी उसे परेशान करते हुए कहा.
मैं बोला “तुम तो सच मे बहुत समझदार हो गयी हो. बहुत बड़ी बड़ी बातें करने लगी हो. ओके, अब तो तुमने मुझे देख लिया है. अब मैं चलता हूँ.”
ये कहते हुए मैं अपनी जगह पर खड़ा हो गया. मुझे यू खड़ा होते देख, प्रिया की मुस्कुराहट गायब हो गयी. उसने शायद मेरे इतनी जल्दी जाने की बात नही सोची थी. इसलिए मुझे जाते देख कर, उसका चेहरा मुरझा गया. उसका ऐसा चेहरा देख कर मेरी हँसी छूट गयी और मैने मुस्कुराते हुए उस से कहा.
मैं बोला “अब ज़रा अपना चेहरा देखो, कैसा हो गया है. मैं भी तो तुमसे मज़ाक ही कर रहा हूँ.”
ये कहते हुए मैं वापस अपनी जगह पर बैठ गया. मेरी इस हरकत से, प्रिया के चेहरे पर फिर से मुस्कुराहट वापस आ गयी. इसके बाद वो मुझसे शिखा और अज्जि के बारे मे बातें करती रही.
फिर 12 बजे मैं प्रिया को गुड नाइट कह कर नीचे आ गया. दादा जी अभी भी वही बैठे आकाश अंकल के आने का इंतजार कर रहे थे. उनसे कुछ देर बात करने के बाद, मैं वापस अपने कमरे मे आ गया.
कमरे मे आने के बाद मैने मोबाइल देखा तो, मेरे दोनो मोबाइल पर कीर्ति के ढेर सारे कॉल थे. मैं जैसे ही कीर्ति को कॉल लगाने को हुआ. वैसे ही फिर से उसका कॉल आने लगा. मैने उसका कॉल उठाया तो, मेरे कॉल उठाते ही, उसने गुस्से मे मेरे उपर बरसते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मैं देख रही हूँ, तुम्हे आज कल, मेरी ज़रा भी फिकर नही है. मैं कब से कॉल लगा लगा कर, मरे जा रही हू. लेकिन तुम इतनी रात तक अपने आप मे ही बिज़ी हो. तुमसे ये तक नही होता कि, एक बार कॉल उठा कर कह दो कि, मैं थोड़ी देर बाद कॉल लगाऊ.”
उसकी बातों से मुझे समझ मे आ रहा था कि, वो मुझ पर बहुत ज़्यादा गुस्सा है. उसका ये गुस्सा करना भी जायज़ ही था. क्योकि पिच्छले 2 दिन से हमारे बीच कोई बात नही हुई थी. वो 2 दिन से मुझसे बात करने के लिए तड़प रही थी और आज जब उसे मुझसे बात करने का मौका मिला तो, मैं ही उसके पास नही था.
वो भी आख़िर कितना सबर करती. आख़िर मे उसके सबर का बाँध तो टूटना ही था. मुझे मेरी ग़लती का अहसास था और इसी वजह से मैने उसके सामने अपनी कोई सफाई ना डालते हुए कहा.
मैं बोला “सॉरी जान, मुझसे ग़लती हुई. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था. तू मेरे लिए कितना कुछ करती रहती है और एक मैं हूँ जो तुझे दुख देने के सिवा कुछ नही करता.”
कीर्ति को शायद इस बात का अहसास नही था कि, मैं इतनी जल्दी उसके सामने हार मान जाउन्गा. उसे मेरा उसके सामने यूँ हार मान लेना अच्छा नही लगा और उसने मुझसे शिकायत करते हुए कहा.
कीर्ति बोली “जान, तुम पागल हो क्या है. ये क्या क्या बोले जा रहे हो. मैने तुम्हारे लिए कुछ नही किया. जो भी मैने किया सिर्फ़ अपनी खुशी के लिए किया है. मैं तो सिर्फ़ इसलिए गुस्सा कर रही थी कि, तुम मुझे मनाओगे. मगर तुम तो ऐसे सॉरी बोल रहे हो जैसे तुमने बहुत बड़ी ग़लती कर दी हो. ग़लती मेरी ही है, मैं तुमसे बात करने के लिए इतना बेचैन थी कि, मुझसे तुम्हारे बिना एक पल नही रहा जा रहा था.”
कीर्ति की बात सुनकर, मुझे थोड़ी राहत महसूस हुई कि, वो मुझसे गुस्सा नही है. मैने उसे उसके कॉल रखने के बाद की सारी बातें बताते हुए, उस से कहा.
मैं बोला “अब तू ही बता, ऐसी हालत मे, प्रिया के पास जाकर, मैने कुछ ग़लत किया है.”
कीर्ति बोली “नही जान, तुमने कुछ ग़लत नही किया है. लेकिन अब तुम प्रिया से साफ साफ कह दो कि, तुम्हारा 11 बजे के बाद का समय, मुझसे बात करने का रहता है और उस समय तुम किसी से बात करना पसंद नही करते.”
मुझे कीर्ति की ये बात अच्छी तो नही लगी. फिर भी उसका दिल रखने के लिए मैने उसकी बात मानते हुए, उस से कहा.
मैं बोला “ठीक है, मैं कल ही प्रिया से ये बात बोल देता हूँ.”
लेकिन थोड़ी देर बात ना जाने क्या सोच कर कीर्ति ने मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “जान, रहने दो. तुम्हे उस से कुछ भी कहने की ज़रूरत नही है. कुछ भी हो, वो तुमसे प्यार करती है. ये बात सुनकर, बेचारी का दिल टूट जाएगा. फिर 2-4 दिन की ही तो बात है. तुम्हारे वहाँ से वापस आते ही, वो खुद ही इन सब बातों को समझने लगेगी.”
कीर्ति की ये बात सुनकर इस बात का अहसास हुआ कि, छोटी माँ ठीक कहती थी कि, जो हमे हासिल है, हमे उसकी कदर करना चाहिए. कीर्ति की इतनी बड़ी सोच के आगे, दिल ही दिल मे, मेरा सर उसके सामने झुक गया और मुझे खुद पर नाज़ सा महसूस होने लगा.
मैं कीर्ति की बात सुनकर, उसके इस बड़प्पन मे खो सा गया था और कीर्ति मुझे खामोश देख कर समझ रही थी कि, उसने शायद कुछ ग़लत कह दिया है. उसने मुझे टोकते हुए कहा.
कीर्ति बोली “क्या हुआ, क्या मैने कुछ ग़लत बात कह दी है.”
अब मेरा मूड ठीक था. इसलिए मैने कीर्ति को छेड़ते हुए कहा.
मैं बोला “तू कभी कोई ग़लत बात कह ही नही सकती. तू तो गालियाँ भी बहुत अच्छी अच्छी देती है.”
मेरी बात से कीर्ति को अपनी गाली देने वाली बात याद आ गयी. लेकिन उसने अपनी गाली देने की बात से मुकरते हुए कहा.
कीर्ति बोली “झूठ मत बोलो. मैं कभी कभी थोड़ा बहुत गुस्सा ज़रूर कर लेती हूँ. लेकिन कभी गाली नही देती.”
कीर्ति को गाली देने की बात से ऐसा सॉफ मुकरते देख, मैने उसे प्रिया वाली बात की याद दिलाते हुए कहा.
मैं बोला “तू गाली नही देती तो, फिर उस दिन प्रिया को इतना गंदा गंदा कौन बोल रहा था. तू चाहे भी तो इस बात से नही मुकर सकती. क्योकि तुझे गाली देते हुए घर मे भी किसी ने सुन लिया है.”
मेरी इस बात को सुनकर, कीर्ति कुछ परेशान सी हो गयी. उसने घबराते हुए मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “किसने और कैसे सुन लिया. मैं तो तुम्हारे कमरे मे अकेली ही थी और मैने किसी के उपर आने की आहट भी नही सुनी थी.”
मैं बोला “उपर कोई नही आया था. लेकिन जो उपर थे, उन्ही मे से किसी ने तुझे गाली देते सुना है.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति को समझ मे आ गया कि, मैं अमि निमी मे से किसी की बात कर रहा हूँ. उसने बड़ी ही बेचैनी से कहा.
कीर्ति बोली “यहाँ मेरी जान निकली जा रही है और तुमको पहेलियाँ बुझाने की पड़ी है. सीधे सीधे बताओ कि, किसने उस दिन की बात सुनी और क्या सुना है.”
मुझे भी अब कीर्ति को ज़्यादा परेशान करना ठीक नही लगा और मैने उसे अमि की बात बताते हुए कहा.
मैं बोला “उस दिन अमि ने तुझे गाली देते सुना था और उसने ये बात मुझे किसी को भी बताने से मना किया था.”
ये कहते हुए मैने कीर्ति से, उस दिन मेरी अमि से हुई सारी बातें बता दी. जिसे सुन ने के बाद कीर्ति ने मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “ये इतनी सी लड़की मेरी जासूसी करती है.”
कीर्ति की बात सुनकर, मुझे हँसी आ गयी. मैने उसे समझाते हुए कहा.
मैं बोला “उस दिन तू खुद इतनी गुस्से मे थी कि, तुझे किसी बात का होश ही नही था. उस बेचारी की तो उस दिन नींद खुल गयी थी और उसने जब अपने कमरे का दरवाजा खुला देखा तो, वो दरवाजा बंद करने उठी थी. फिर उसे मेरे कमरे की लाइट जलती दिखी तो, वो समझ गयी कि, तू वहाँ है और वो तुझे वहाँ देखने चली गयी.”
“लेकिन जब उसने तुझे किसी को फोन पर गाली देते सुना तो, वो खुद डर गयी और जाकर चुप चाप सो गयी. उसने तो मुझे भी ये बात इसी शर्त पर बताई थी कि, मैं किसी को कुछ नही बताउन्गा और तुझे कुछ नही बोलुगा.”
मेरी बात के जबाब मे कीर्ति ने मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.
कीर्ति बोली “उसने कहा और तुमने उसकी बात मान कर ये बात मुझे भी बताने की ज़रूरत नही समझी. क्या अब मैं भी किसी मे आ गयी हूँ.”
मैं बोला “तेरे सर पर तो सींग लगे है. पहले तूने प्रिया को गाली दी और उसके बाद मुझसे भी लड़ाई ले ली. अब तू ही बता कि, मैं ये बात तुझे कैसे और कब बता देता.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति को अपनी ग़लती का अहसास हो गया और उसने मुझसे माफी माँगते हुए कहा
कीर्ति बोली “सॉरी, मुझसे ग़लती हुई. लेकिन अब हमे इस अमि की बच्ची से बच कर रहना होगा. ये इसके पहले भी हमारी चोरी पकड़ चुकी है.”
कीर्ति की इस बात पर मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “हमे नही, सिर्फ़ तुम्हे बचना होगा. क्योकि उसने मेरी तो कोई चोरी नही पकड़ी है.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुझे धमकाते हुए कहा.
कीर्ति बोली “ज़्यादा शरीफ बनने की कोसिस मत करो. दोनो बार मैं तुम्हारी वजह से ही, उसके चक्कर मे फसि हूँ. अब यदि उसने कभी मुझे, किसी बात मे पकड़ा तो, मैं अपने साथ साथ तुम्हे भी घसीट…….”
अभी कीर्ति अपनी बात पूरी भी नही कर पाई थी कि, अचानक ही वो बात करते करते बीच मे रुक गयी. मुझे उसके यू बात करते करते चुप हो जाने की वजह कुछ समझ मे नही आई और मैं उसको हेलो हेलो बोलने लगा. मगर अभी भी उसकी तरफ से कोई जबाब नही आ रहा था. उसके यू अचानक चुप हो जाने वाली बात ने मुझे परेशानी मे डाल दिया था और अब मुझे उसकी चिंता सताने लगी थी.
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