RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मैं और प्रिया बेड पर बैठे थे. मेरी पीठ दरवाजे की तरफ थी और प्रिया के सामने मैं बैठा था. इसलिए वो भी दरवाजे पर खड़ी लड़की को देख नही सकी थी. लेकिन जब बाकी सब को हमने दरवाजे की तरफ देख कर, मुस्कुराते देखा तो, मैने और प्रिया ने भी दरवाजे की तरफ देखा.
जहाँ दरवाजे पर खड़ी लड़की को देख कर, प्रिया के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी. वही उसे देख कर, मैं भी चौके बिना ना रह सका. दरवाजे पर खड़ी लड़की कोई और नही, प्रिया की चचेरी बहन नितिका थी. जिसके चेहरे पर इस समय खुशी और आँसू दोनो झिलमिला रहे थे. नितिका को इस तरह दरवाजे पर ही खड़े देख कर, रिया ने उस से कहा.
रिया बोली “अरे नीति तू कब आई और यू परायो की तरह बाहर क्यो खड़ी है. अंदर क्यो नही आ रही.”
लेकिन रिया की इस बात का नितिका ने ऐसा जबाब दिया. जिसे सुन कर, रिया तो क्या, वहाँ खड़े सभी लोग हक्के बक्के रह गये. नितिका ने रिया के सवाल के जबाब मे कहा.
नितिका बोली “हम ग़रीब लोग है दीदी. हम भला अंदर आकर क्या करेगे.”
नितिका के इस जबाब ने वहाँ सभी के दिल पर चोट कर दी थी. प्रिया ने जब नितिका के मूह से ये सुना तो, वो फ़ौरन नितिका के पास पहुच गयी और और जाकर उसके गले से लिपट कर कहा.
प्रिया बोली “ये कैसी बात कर रही हो दीदी. क्या किसी को अपने घर मे आने के लिए भी अमीरी ग़रीबी देखना पड़ती है. आप तो मेरी सबसे प्यारी बहन हो. मैं सच मे आपको बहुत याद करती रहती थी.”
नितिका भी बड़े प्यार से प्रिया से गले मिली और जब उसके कलेजे को ठंडक पहुच गयी तो, उसने प्रिया को खुद से अलग करते हुए, अपने अपने आँसू पोछे और उस से कहा.
नितिका बोली “चल रहने दे. अब ज़्यादा झूठा प्यार जताने की कोई ज़रूरत नही है. मैं देख चुकी हूँ कि, तुम लोग हमे कितना अपना मानते हो. तेरी इतनी ज़्यादा तबीयत खराब हो गयी. लेकिन किसी ने हमे खबर देने की ज़रूरत तक नही समझी.”
नितिका की ये बात सुनकर, प्रिया ने उसे सफाई देते हुए कहा.
प्रिया बोली “दीदी, मेरी कोई ज़्यादा तबीयत खराब नही थी. इसलिए किसी ने आप लोगों को परेशान करने की ज़रूरत नही समझी. लेकिन इसका मतलब ये तो नही कि, मुझे आपसे प्यार ही नही है. यदि चाची मुझे बुरा भला नही कहती होती तो, मैं अभी भी आपके साथ ही रह रही होती.”
प्रिया की इस बात के बदले मे, अभी निकिता कोई जबाब दे पाती कि, उसके पहले ही पद्मिहनी आंटी के साथ, एक 35-40 साल की महिला ने कमरे मे कदम रखा. उसे देखते ही मैं पहचान गया कि, वो नितिका की मम्मी मोहिनी आंटी है. उनसे मेरी कभी कोई बात चीत तो नही हुई थी.
लेकिन मेहुल के घर आते जाते, अक्सर मेरा उनसे आमना सामना हो जाता था. मेहुल से ही मुझे चला था कि, वो नितिका की मम्मी है और वो मूह की बहुत खराब है. उन्हो ने आते आते शायद प्रिया की बात सुन ली थी. इसलिए कमरे मे आते ही उन्हो ने प्रिया की बात का जबाब देते हुए कहा.
मोहिनी आंटी बोली “तू इतनी बड़ी घोड़ी होकर भी, कूल्हे मटकाती, नंगी पुँगी सी, घूमती रहती है. यदि मैने इस बात को लेकर, कभी तुझे कुछ भला बुरा बोल भी दिया तो, कौन सा पहाड़ टूट गया. मैं तेरी मम्मी की तरह ये सब देख कर भी, अपनी आँखे बंद करके नही रख सकती.”
“मैं तो नीति को भी कभी ऐसे कपड़े पहनने नही देती हूँ. यहाँ तक कि मैं इसकी उस सहेली के साथ भी इसका ज़्यादा उठना बैठना पसंद नही करती. जिससे अभी हमे तेरी तबीयत खराब होने की बात का पता चला है. वो भी तेरी तरह ऐसे ही उट-पटांग कपड़े पहना करती है.”
नितिका की मम्मी की प्रिया की तबीयत खराब होने की बात, नितिका की सहेली से पता लगने की बात से, पद्मि नी आंटी को छोड़ कर, बाकी सब लोग समझ चुके थे कि, वो कीर्ति के बार मे बात कर रही है. लेकिन उनकी आखरी की बात ने तो मेरा भेजा ही खिसका कर रख दिया था. मैने उन को, उनकी बात के बीच मे टोकते हुए कहा.
मैं बोला “आंटी, आप कहीं नितिका की सहेली कीर्ति के बारे मे तो ये बात नही कर रही है.”
मेरी बात सुनकर, मोहिनी आंटी मेरा चेहरा देखने लगी. वो शायद मुझे पहचान गयी थी कि, मैं मेहुल का दोस्त हूँ. लेकिन वो इस बात से अंजान थी कि, मैं कीर्ति का भाई भी हूँ. उन्होने बड़ी ही लापरवाही से जबाब देते हुए कहा.
मोहिनी आंटी बोली “हां, मैं उसी छमक छल्लो की बात कर रही हूँ. वो भी इसकी तरह कूल्हे मटकाती, नंगी पुँगी सी, घूमती रहती है.”
मोहिनी आंटी की ये बात को सुनते ही मेहुल, राज, रिया, निक्की, प्रिया और नितिका सबको एक झटका सा लगा. सबके सब मेरी तरफ देखने लगे. वही कीर्ति के बारे मे ऐसी बात सुनकर, मेरा चेहरा गुस्से से लाल हो गया.
राज और मेहुल मेरे कंधे पर हाथ रख कर, मुझे शांत रहने का इशारा करने लगे. वही निक्की ने बात को संभालने के लिए मोहिनी आंटी से कहा.
निक्की बोली “आंटी आप भी आते ही किस बात को लेकर बैठ गयी है. आज कल सभी लड़कियाँ ऐसे ही कपड़े पहनती है.”
लेकिन मोहिनी आंटी के बारे मे मैने जितना सुना था. वो तो उस से भी कही ज़्यादा मूह की खराब औरत निकली. उन्हो ने निक्की की बात सुनकर, उसे टका सा जबाब देते हुए कहा.
मोहिनी आंटी बोली “तू तो चुप ही कर लड़की. हम घर वालों के बीच मे तू कुछ मत बोल. तेरे बाप को तो तेरी फिकर रहती नही है. तुझे बोर्डिंग मे डाल कर, दूसरो के टुकड़ों पर पालने के लिए ऐसे छोड़ दिया. जैसे तेरी शादी करके गंगा नहा लिया हो. नीति की सहेली और तेरे मे कोई अंतर नही है. दोनो सग़ी बहने ही लगती हो. पता नही तेरा बाप उसके घर गया था या उसका बाप तेरे घर आया था.”
मोहिनी आंटी की इस बात से जहाँ निक्की का चेहरा शरम से झुक गया और उसकी आँखों मे आँसू आ गये. वही पद्मिजनी आंटी को भी सारी बात समझ मे आ चुकी थी.
उन्हो ने मेरी तरफ देखा और फिर मोहिनी आंटी को रोकने के लिए कुछ बोलने को हुई. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. मेरे सबर का बाँध टूट गया था और मैने गुस्से मे मोहिनी आंटी पर चीखते हुए कहा.
मैं बोला “आंटी, अपनी ज़ुबान को लगाम दीजिए. आप जिसके बारे मे इतना सब कुछ बोले जा रही है. वो मेरी बहन है. आज यदि ये बात आपकी जगह किसी और ने कही होती तो, अभी तक मैं उसकी ज़ुबान काट कर फेक चुका होता. मेरी बहन आपकी बेटी से लाख गुना बेहतर है. वो क्या पहनती है और क्या नही पहनती, इसकी चिंता आपको करने की ज़रूरत नही है. ये देखने के लिए हम जिंदा है. आप……..”
अभी मैं अपने दिल की पूरी भडास भी नही निकाल पाया था की, तभी एक आवाज़ को सुनकर, मैं बोलते बोलते रुक गया. मेरे साथ साथ सब आवाज़ की तरफ देखने लगे. ये आवाज़ सीरू की थी. सीरू अपनी तीनो बहनो के साथ खड़ी थी. वो लोग भी शायद सब कुछ सुन चुकी थी और उनका चेहरा गुस्से से लाल था. मेरी बात को बीच मे ही काट कर, सीरू ने मोहिनी आंटी पर भड़कते हुए कहा.
सीरत बोली “मेडम, तुम दूसरों के पहनावे पर क्यो जाती हो. तुम ज़रा अपना पहनावा देखो. बिल्कुल किसी गाओं की गँवार लग रही हो. ये कोई तुम्हारा गाओं नही, मुंबई है, मुंबई. तुमको यहाँ घुसने भी किसने दिया. तुम दिन भर मे जितने कपड़े नही बदलती होगी. यहाँ लड़कियाँ दिन भर मे उतने लड़के बदल लेती है. दोबारा मेरी बहन की तरफ उंगली उठाई तो, ना तुम रहोगी और ना ही तुम्हारी उंगली रहेगी.”
सीरू की बात सुन कर भी मोहिनी आंटी की रवैये मे कोई फरक नही पड़ा. उन्होने उल्टे सीरू को ही आड़े हाथों लेते हुए कहा.
मोहिनी आंटी बोली “मेरे घर मे, मुझे ही उंगली दिखाने वाली तू कौन होती है. अपनी बहन से इतना ही प्यार है तो, उसे अपने साथ ले क्यो नही जाती. क्यो तेरी बहन यहाँ मुफ़्त की रोटी तोड़ रही है. खुद अपनी बहन को पालने की औकात नही है और मुफ़्त की शेखी बघारने यहाँ आ गयी.”
राज ने जब मोहिनी आंटी की बात सुनी तो, उसे लगा कि, अब बात कुछ ज़्यादा ही बिगड़ने वाली है. उसने फ़ौरन आकर मेरा हाथ पकड़ा और मुझे सीरू को रोकने के लिए इशारा करने लगा.
लेकिन मैं तो खुद ही ये चाहता था कि, सीरू मोहिनी को सबक सिखा दे. इसलिए मैने राज को चुप रहने का इशारा किया. उधर मोहिनी आंटी की बात ने आग मे घी डालने का काम कर दिया था. उनकी बात सुनकर, सीरू ने भी अपनी सारी हद पार करते हुए कहा.
सीरत बोली “तेरी जैसी दो कौड़ी की औरत, हमसे औकात की बात ना ही करे तो अच्छा है. जितना बड़ा तेरा गाओं नही होगा. उस से बड़ी निक्की के बाप की हवेली है और तेरे जैसी औरते तो, उस हवेली की नौकरानी बनने के लायक भी नही है. निक्की तो यहाँ सिर्फ़ प्रिया के प्यार की वजह से रहती है.”
“वरना यहाँ उसके भाई का, इस से भी चार गुना बड़ा बंगला है और उसके भाई की इतनी औकात है कि, वो खड़े खड़े ऐसे 10 बंगले तेरे जैसे भिखारियों के नाम पर कर दे. तुझे इसका नमूना देखना है तो, ये देख ले. इसे तू मेरी बहन का सदका समझ कर, भीख मे रख ले. लेकिन अब इसके बाद यदि तेरे मूह से एक भी गंदा शब्द मेरी बहन के खिलाफ निकला तो, मैं उसी बहन की कसम खाकर कहती हूँ कि, पुनीत ने तेरी ज़ुबान काटने की बात सिर्फ़ बोली ही थी. मगर मैं तेरी ज़ुबान काट कर भी दिखा दुगी.”
ये कहते हुए सीरू ने, सेलू के हाथ मे थामे, एक नेकलेस बॉक्स को खोल कर, मोहिनी आंटी की तरफ उछाल दिया. जिस से उस बॉक्स मे से, एक चम-चमाता हुआ गोलडेन नेकलेस सेट निकल कर, ज़मीन पर आ गिरा. सीरू की इस हरकत से जहा सन्न रह गये. वही मोहिनी आंटी की भी बोलती बंद हो गयी.
सीरू की इस हरकत से मेरे दिल को बहुत राहत पहुचि थी. प्रिया और पद्मिननी आंटी की वजह से, मैं इतना सब कुछ नही कह पाता, जितना सीरू ने कर दिया था. लेकिन सीरू को इतने सब से भी शांति नही मिली थी. उसने मोहिनी के बाद, निक्की पर बरसते हुए कहा.
सीरत बोली “अब तू यहाँ खड़ी खड़ी, क्यो अपनी बेइज़्ज़ती करवा रही है. जा और जाकर अपना समान निकाल. अब तू यहाँ एक पल भी नही रहेगी. तू अभी के अभी मेरे साथ चल रही है.”
सीरू की बात के जबाब मे निक्की से कुछ कहते और करते नही बन रहा था. वो चुप चाप पद्मिीनी आंटी का चेहरा देखने लगी. पद्मि नी आंटी भी सीरू का ये रूप देख कर दंग रह गयी थी. लेकिन जब उन्हो ने देखा कि सीरू अपने साथ निक्की को ले जाने की बात कर रही है तो, उन्हो ने उसे समझाते हुए कहा.
पद्मिेनी आंटी बोली “बेटी, अभी जो कुछ हुआ. वो मोहिनी की नादानी है. इसका मूह ही खराब है. लेकिन इसका मतलब ये तो नही की, इतनी सी बात पर निक्की घर छोड़ कर ही चली जाए. मैं तो निक्की को अपनी बेटी की तरह ही रखती हूँ और तुम सब भी मेरी बेटी की तरह ही हो. मोहिनी की तरफ से मैं तुम सब से माफी मांगती हूँ.”
पद्मिफनी आंटी की बातों को सुनकर, सीरू कुछ नरम पड़ गयी. लेकिन उसका गुस्सा ज़रा भी शांत नही हुआ था. उसने मोहिनी की तरफ देखते हुए कहा.
सीरत बोली “आंटी, आप मुझसे माफी माँग कर मुझे शर्मिंदा मत कीजिए. माफी तो मुझे माँगना चाहिए कि, मैने आपके घर मे खड़े होकर, आपके मेहमान की बेज़्जती की है. लेकिन यदि इस औरत मे ज़रा भी शरम है तो, इसे आज इस बात की समझ आ जाना चाहिए कि, पुनीत इसके घर मे खड़े होकर भी अपनी बहन की बेज़्जती सहन नही कर सका. मैने अपनी बहन की बेज़्जती के बदले इसकी इज़्ज़त उतार कर रख दी.”
“जबकि आज इसके खुद के ही घर मे, इसके ही लोगों के बीच, इसकी बेज़्जती होती रही. फिर भी इसकी तरफ से कोई नही बोला. यहाँ तक कि इसकी खुद की बेटी भी चुप चाप खड़ी तमाशा देखती रही. इसका मतलब साफ है कि, सबको इसकी ही ग़लती नज़र आ रही थी.”
“हम लोग तो यहाँ आप लोगों को शादी का कार्ड देने आए थे. बाहर हॉल मे हमे दादा जी मिले और उन्हो ने हमे सीधे यही भेज दिया. हम यहाँ आए तो इसने निक्की को जो कहा, वो सब हमने सुन लिया और फिर मैं अपनी बहन की ये बेज़्जती सहन नही कर सकी. लेकिन फिर भी मैं आप सब से, अपनी इस बदतमीज़ी के लिए एक बार फिर माफी मांगती हूँ और ये फ़ैसला निक्की पर ही छोड़ती हूँ कि, उसे यहाँ रुकना है या वो हमारे साथ जाएगी.”
सीरू की ये बात सुनकर आंटी ने राहत की साँस ली. लेकिन अब सबकी नज़र, निक्की के उपर ठहर गयी कि, अब वो क्या फ़ैसला लेती है. मगर निक्की अभी कोई फ़ैसला लेने की हालत मे नही दिख रही थी. प्रिया ने निक्की की तरफ देखा तो शायद उसे निक्की की हालत का अंदाज़ा हो गया था. इसलिए उसने निक्की के कुछ भी बोलने के पहले ही सीरू से कहा.
प्रिया बोली “दीदी, निक्की को कोई फ़ैसला लेने की ज़रूरत नही है. वो मुझसे कल ही बोल चुकी थी कि, वो अमन भैया की शादी मे वही रहेगी. वो तो आज जाने ही वाली थी. आप रुकिये, वो अभी अपना समान लेकर आती है.”
प्रिया की बात सुनते ही निक्की की आँखों से आँसू टपकने लगे और वो आकर प्रिया से लिपट गयी. एक पल को तो मुझे लगा कि प्रिया की आँखों मे भी आँसू है. लेकिन दूसरे पल ही प्रिया का मुस्कुराता हुआ चेहरा मेरे सामने था. उसने मुस्कुराते हुए निक्की से कहा.
प्रिया बोली “तू तो ऐसे रो रही है. जैसे तू अपनी भाभी को विदा करने नही, बल्कि खुद ही विदा करा कर जा रही है. चल जल्दी चल कर, अपना समान पॅक कर, वरना मैं तुझे नही जाने दुगी.”
ये कह प्रिया निक्की का हाथ पकड़ कर, उसे यहाँ से ले गयी. उनके जाने के बाद रिया ने ज़मीन पर पड़े, गोल्डन नेकलेस सेट को उठा कर नेकलेस बॉक्स मे रखा और सीरू को वापस लौटने के लिए पद्मि नी आंटी को दे दिया. लेकिन पद्मिसनी आंटी ने जब वो सेट सीरू को वापस देने की कोसिस की तो, उसने वो सेट लेने से मना करते हुए कहा.
सीरत बोली “सॉरी आंटी, अब ये सेट मैं नही ले सकती. ये सेट मैने दान कर दिया मतलब दान कर दिया.”
सीरू की बात सुनकर, पद्मि नी आंटी ने उसको समझाते हुए कहा.
पद्मिकनी आंटी बोली “बेटा गुस्से मे ऐसा नही करते. ये दुल्हन का सेट लग रहा है. तुम्हारे घर वाले बेकार मे तुम पर गुस्सा करेगे. अब अपना गुस्सा थूक दो और ये जिसके लिए लाई थी. उसे ला जाकर दे दो.”
लेकिन सीरू अभी भी अपनी ज़िद पर अडी रही और आंटी उसे समझाती रही. मगर जब आंटी सीरू की बात मानने को तैयार नही हुई तो, उसने अपना मोबाइल निकाला और कॉल करने लगी. कॉल उठते ही उसने स्पीकर ऑन करके मोबाइल आरू को थमा दिया. दूसरी तरफ से अजय की आवाज़ आई और मुझे समझते देर नही लगी कि, अब क्या होने वाला है. आरू ने अजय की आवाज़ सुनते ही कहा.
अर्चना बोली “भैया, वो आपने जो गोलडेन नेकलेस सेट दिया था ना. वो अब नही है.”
इतना कह कर आरू चुप हो गयी. लेकिन उसकी आधी अधूरी सी बात सुनकर, अज्जि कुछ घबरा सा गया. उसने घबराते हुए कहा.
अजय बोला “सेट नही है से तेरा क्या मतलब. कहीं किसी ने तुम लोगों को लूटने की कोसिस तो नही की. तुम लोग अभी कहाँ हो. तुम लोग ठीक तो हो ना. किसी को कुछ हुआ तो नही. अरे कुछ बोलती क्यो नही.”
अजजी की बात सुनकर, आरू ने मुस्कुराते हुए कहा.
अर्चना बोली “अरे आप कुछ बोलने भी तो दो. हम ठीक है, बस वो सेट हमारे पास नही है. वो मैने किसी को दान कर दिया है. अब सुन लिया सब कुछ. अब तो खुश हो ना.”
आरू की बात सुनकर, ऐसा लगा जैसे अज्जि को सुकून महसूस हुआ हो. उसने भी आरू की बात का जबाब उसी के अंदाज़ मे देते हुए कहा.
अजय बोला “हां, बहुत खुश हू. अब थोड़ी सी मेहरबानी और कर देना कि, ये बात किसी को मत बताना. वरना अमन मेरी जान खा जाएगा.”
अर्चना बोली “हम किसी को कुछ नही बताएगे. लेकिन अब भाभी को जाकर क्या दे.”
अजय बोला “निक्की को लेकर, उसी ज्यूयेलर्स के पास चली जाओ. जहाँ से हमने ये नेकलेस सेट लिया था. मैं उसे फोन कर देता हूँ. वो तुमको दूसरा सेट दे देगा.”
इसके बाद आरू ने अज्जि से एक दो बातें करके, कॉल रख दिया. जिसके बाद सीरू ने पद्मि नी आंटी से कहा.
सीरत बोली “लीजिए आंटी, हमने आपके इस डर को भी दूर कर दिया की, इस सेट की वजह से हमे कोई कुछ कहेगा और आपने ये भी सुन लिया होगा कि, हमारे भैया को सेट की ज़रा भी परवाह नही थी. उन्हे परवाह थी तो, सिर्फ़ इस बात की परवाह थी कि, कही हमे तो कुछ नही हो गया.”
“ये सब सुनकर आप ये मत सोचिएगा कि, हम आपके सामने पैसे का कोई घमंड दिखा रहे है. हम तो सिर्फ़ ये बताना चाह रहे थे कि, हमारे भाई को हमारी कितनी फिकर है और यदि उन्हे ये पता चल जाए कि, किसी ने उनकी बहन को चोट पहुचाई है तो, भगवान जाने वो उसका क्या हाल करेगे.”
इतना बोल कर सीरू ने मोहिनी आंटी की तरफ देखा. लेकिन अब मोहिनी आंटी मे इतनी ताक़त ही नही बची थी कि, वो सीरू से नज़र मिला सके. वो सीरू के देखते ही यहाँ वहाँ देखने लगी. उनकी ऐसी हालत देख कर, रिया ने मोहिनी आंटी से कहा.
रिया बोली “चाची, आप लोग सफ़र से आई हो. आप लोगों को चल कर थोड़ा आराम कर लेना चाहिए.”
ये कह कर, रिया मोहिनी आंटी और नितका को वहाँ से चलने को कहा तो, मोहिनी आंटी भी वहाँ से ऐसी भागी, जैसे की उनको मूह माँगी मुराद मिल गयी हो. उनके वहाँ से जाने के बाद, सेलू ने सीरू के कान मे कुछ बोला. जिसके बाद सीरू ने मुझसे कहा.
सीरत बोली “हां, इस सब झमेले मे, मैं एक बात तुमसे बताना ही भूल गयी. भैया ने तुम्हारे लिए कार भेजी है. जब तक तुम यहाँ रहोगे, तब तक वो कार तुम्हारे पास ही रहेगी.”
सीरू की ये बात सुनते ही, मैने उसे ऐसा करने से रोकते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, ये बहुत ज़्यादा हो रहा है. मुझे किसी कार की ज़रूरत नही है. वैसे भी अभी मेरे पास बाइक तो है ही, ऐसे मे कार भी देने की क्या ज़रूरत है.”
सीरत बोली “क्या ज़रूरत है और क्या ज़रूरत नही है. ये तुम मुझे मत सिख़ाओ. तुम जब तक यहाँ हो, ये कार अपने पास ही रखो.”
मैं बोला “दीदी आप मेरी बात को समझ नही रही हो. मेरे कहने का मतलब था कि, मुझे कार देने से अच्छा था की, वो कार आप शिखा दीदी को दे देती. वहाँ इसकी ज़्यादा ज़रूरत पड़ेगी.”
मेरी बात सुनकर, सीरू ने मुझ पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
सीरत बोली “आ गये ना अपनी असली औकात पर, अभी उनको तुम्हारी दीदी बने 2 दिन नही हुए और तुमको हमसे ज़्यादा उनकी चिंता होने लगी है. वैसे तुम इसकी चिंता मत करो. भैया ने एक गाड़ी वहाँ भी भेज दी है.”
मैं अजय के घर मे मैं रह चुका था. इसलिए ये बात अच्छी तरह से जानता था कि, अजय के पास कार की कमी नही है. लेकिन अब अजय के बारे मे सब कुछ जानने के बाद मेरे मन मे एक अजीब ही सवाल आ रहा था.
लेकिन सीरू से कुछ भी पूछने की हिम्मत अभी मेरे अंदर नही थी. इसलिए मैने चुप ही रहना ठीक समझा. थोड़ी ही देर मे निक्की अपना समान लेकर आ गयी. उसके आते ही सीरू ने आंटी से जाने की अनुमति माँगी और फिर सब उन लोगों को छोड़ने बाहर तक आए.
बाहर एक आरू की न्यू कार के अलावा, एक और कार भी खड़ी थी. वो लोग आकर न्यू वाली कार मे बैठी गयी. निक्की बहुत ज़्यादा उदास सी नज़र आ रही थी. उसे उदास देख कर प्रिया ने हँस कर, उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा.
प्रिया बोली “अरे सब ज़रा इस निक्की का चेहरा तो देखो. ऐसा लग रहा है कि, जैसे सीरू दीदी अपनी बहन को नही, अपनी दुल्हन को लेकर जा रही हो और ये निक्की अपने भैया की शादी मे शामिल होने नही बल्कि अपनी ससुराल जा रही हो.”
प्रिया की ये बात सुनकर, सबके चेहरे पर हँसी आ गयी और निक्की भी हँसने लगी. उसने प्यार से प्रिया को चपत मारी और उसे अपनी तबीयत का ख़याल रखने को कहा. इसके बाद सीरू ने सबको शादी मे आने की बात बोली और फिर वो लोग सबको बाइ बोल कर चली गयी.
उनके जाते समय सबके चेहरे पर प्रिया की शरारत की वजह से एक मुस्कान थी. लेकिन उनके जाते ही सबको हंसाने वाली प्रिया खुद, आंटी से लिपट कर फुट फुट कर रोने लगी. शायद उस से, निक्की के जाने का दुख सहन नही हो पाया था.
निक्की के जाने का दुख तो मुझे भी हो रहा था. मगर उसकी इतनी बेज़्जती होने के बाद, मेरा दिल भी नही चाहता था कि, वो यहाँ पर रहे. शायद ये ही बात प्रिया ने भी महसूस की थी. इसलिए उसने खुद ही निक्की को चले जाने को कहा था.
जिस लड़की ने खुद की ग़लती होने पर, मुझे अपने घर से, जाने से रोकने के लिए अपनी पूरी ताक़त लगा दी थी. आज उसी लड़की ने, अपनी चाची की ग़लती पर, खुद ही अपनी जान से प्यारी सहेली के, अपने घर से चले जाने की बात पर, हंसते हंसते मुहर लगा दी थी.
मैं मन ही मन प्रिया के इस इंसाफ़ की तारीफ किए बिना ना रह सका. मैं इस समय उसको होने वाले दर्द को, खुद भी महसूस कर पा रहा था और उसका ये दर्द महसूस करके, मैं भी अपनी आँखों मे आँसू आने से ना रोक सका था.
आज पहली बार मुझे महसूस हो रहा था कि, प्रिया कितनी आसानी से अपने हँसते हुए चेहरे के पीछे, अपने सारे गम छुपा कर रख लेती है. उसने जाते जाते भी, एक पल के लिए निक्की को ये महसूस नही होने दिया था कि, उसे निक्की के जाने का कोई गम है. जबकि निक्की के जाते ही वो अब फुट फुट कर रो रही थी. आज पहली बार प्रिया, मुझे किसी बात मे कीर्ति से भी उपर नज़र आ रही थी.
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