RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मगर मेरी किस्मत ने, मुझे यहाँ भी धोका दे दिया और छ्होटी मा की जगह, कॉल कीर्ति ने उठा लिया. उसे ये बात समझते ज़रा भी देर नही लगी की, उस से बात करने के बाद, मैने छ्होटी मा को क्यो कॉल लगाया है.
उसने मेरी इस बात को लेकर, मुझसे झगरा करना सुरू कर दिया और कहने लगी की, मुझे उस पर विस्वास नही है. इसलिए मैं उसकी बात की सक्चाई का पता करने के लिए छ्होटी मा को कॉल लगा रहा हू.
मैं उसे अपनी बात समझने की कोसिस करता रहा. लेकिन अब वो मेरी कोई भी बात सुनने के लिए तैयार ही नही थी और अब मुझसे बात ना करने की धमकी दे रही थी. जिस वजह से मुझे उसकी कसम खा कर, ये बात कहना पद गयी की, मैं अब ऐसा दोबारा नही करूगा.
मेरे कसम खाने के बाद, उसका गुस्सा शांत हो गया और अब वो मुझे इस बात का यकीन दिलाने लगी की, उसकी तबीयत पूरी तरह से ठीक है. फिर उसने छ्होटी मा के कभी भी आ जाने की बात कहते हुए, रात को बात करने की, बात कह कर कॉल रख दिया. मगर उसके कॉल रखने के बाद, मैं एक बार फिर उसकी सोच मे पद गया.
मैने उसे नाराज़ ना करने के लिए, उसकी तबीयत ठीक होने वाली बात मान तो ली थी. लेकिन मुझे अभी भी उसकी तबीयत को लेकर, एक अंजना सा दर सता रहा था. मैं बस अपने उसी दर को डोर करने के लिए छ्होटी मा को कॉल लगा रहा था. लेकिन कीर्ति ने अपनी कसम देकर, मेरे इस दर को डोर करने का ये रास्ता भी बंद कर दिया था.
मेरा कीर्ति की तबीयत को लेकर परेशान होना बेवजह नही था. सुबह से लेकर, अभी तक के हालत कुछ ऐसे थे, जो मुझे कीर्ति की तबीयत को लेकर परेशन होने के लिए मजबूर कर रहे थे. मगर उसकी ज़िद के आयेज मैं बिल्कुल बेबस था.
इन्ही सब बातों को सोचते सोचते बहुत समय बीट गया. मेरी बेबसी तो डोर नही हुई, मगर शिखा दीदी के घर जाने का समय ज़रूर हो गया. इसलिए मैं उठ कर तैयार हुआ और फिर आंटी को जाता कर 7 बजे शिखा दीदी के घर आ गया.
शिखा दीदी के घर आने के बाद, मैं ज़्यादातर समय उन्ही के साथ रहा. वो अपने घर मे चल रही शादी की तैयारी से जुड़ी छ्होटी छ्होटी बातें भी मुझे बता रही थी. उनका ये अपनापन देख कर, मेरा तनाव कुछ हद तक डोर हो गया और मैं भी उनकी बातों मे खुल कर शामिल हो गया.
नेहा भी वही पर थी और बरखा के साथ, घर के छ्होटे मोटे काम कर थी. उसने एक दो बार मेरी तरफ देखा. लेकिन मेरी उस से कोई बात नही हुई. इसी सब मे 10 बाज गये और फिर सब खाना खाने लगे. खाना पीना खाने के बाद, 10:30 बजे मैं उपर च्चत पर आ गया.
आज शिखा दीदी के घर मे शादी की कुछ रस्मे चल रही थी. जिस वजह से मुझे प्रिया के घर वापस लौटने मे कुछ ज़्यादा समय लगने वाला था यहा मैं कीर्ति से बात करने का समय निकल भी पता हू या नही, इसका भी पक्का पता नही था. इसलिए मैने उपर च्चत पर आते ही कीर्ति को कॉल लगा दिया.
मगर उपर छत पर आते ही, मुझे एक बार फिर से, कीर्ति की तबीयत की फिकर ने घेर लिया . इस खुशी के माहौल मे, मुझे उसकी कमी का अहसास, कुछ ज़्यादा ही सताने लगा था. मुझे कीर्ति से बात करने की इतनी बेचैनी पहले कभी नही थी, जितनी की आज थी.
लेकिन मैं ये भी अच्छी तरह से जानता था कि, अभी 10:30 बजे का समय, कीर्ति का अमि निमी के पास रहने का था और ऐसे मे मेरी कीर्ति से बात हो पाने की उम्मीद बहुत ही कम थी. फिर भी मैं बेचैनी के साथ, इस बात का इंतजार करने लगा कि, मेरे इस समय कॉल करने का अंजाम क्या होने वाला है.
मगर मेरे कॉल लगते ही, मेरा कॉल कट गया और वापस कीर्ति का कॉल आने लगा. जिसे देखते ही, मुझे इतनी खुशी हुई कि, मेरी आँखों मे नमी छा गयी. इस समय मुझे उस पर बहुत ज़्यादा प्यार आ रहा था. इसलिए मैने उसका कॉल उठाते ही, बड़े प्यार से कहा.
मैं बोला “आइ लव यू जान, आइ मिस यू सो मच. मुउउहह मुउउहह मुउउहह.”
ये कह कर मैं बेहताशा मोबाइल को चूमने लगा. उस समय मुझे वो मोबाइल नही, बल्कि कीर्ति का चेहरा नज़र आ रहा था. मैं बहुत ज़्यादा भावुक हो गया था और मेरी इसी भावुकता ने कीर्ति की कमी के अहसास को ऑर भी ज़्यादा बढ़ा दिया था.
मेरे लिए कीर्ति की इस कमी को सह पाना बहुत ही मुस्किल हो गया और मेरी आँखों की नमी, आँसू बनकर आँखों से बहने लगी. मैने इसे बहने से रोकने की बहुत कोसिस की, मगर अब इसको रोकना मेरे बस मे नही था.
जब मैने खुद को इसे रोकने मे बेबस पाया तो, मैने कॉल काट दिया और घुटनो के बल वही ज़मीन पर बैठ कर अपने पैरों मे, अपना चेहरा छुपा कर, फिर से अपने बहते आँसू रोकने की कोसिस करने लगा.
मगर मैं जितना अपने आँसू रोकने की कोसिस कर रहा था. मेरे आँसू उतनी तेज़ी से निकलते आ रहे थे. मैं खुद ही समझ नही पा रहा था कि, अचानक मेरे साथ ये सब क्या हो गया.
उधर कीर्ति को भी कुछ समझ मे नही आया कि, ये अचानक मुझे क्या हो गया और मैने क्यो कॉल काट दिया. वो मेरे कॉल काट देने के बाद से, लगातार कॉल लगाए जा रही थी. लेकिन जब मैने उसका कॉल नही उठाया तो, उसका कॉल आना बंद हो गया और फिर कुछ पल बाद, दूसरे मोबाइल पर उसका मेसेज आ गया.
कीर्ति का मेसेज
“तुम खफा क्यों हो मुझसे.?
तुम्हे मुझसे गिला क्या है.?
अचानक बेरूख़ी इतनी.
बताओ तो हुआ क्या है.?
मनाऊ किस तरह तुम को.?
मुझे इतना तो बतला दो.
तुम्हारे मुस्कुराने से.
मेरा दिल मुस्कुराता है.
तुम्हारे रूठ जाने से.
मेरा दिल टूट जाता है.
तुम्हारे नर्म होंटो पे.
गिले अच्छे नही लगते.
तुम्हारी आँख मे आँसू.
मुझे अच्छे नही लगते.
तुम्हारी आँख मे आँसू.
मुझे अच्छे नही लगते.”
मैने कीर्ति का मेसेज पढ़ा तो, मैने मजबूर होकर उसको कॉल लगा दिया. कीर्ति ने फ़ौरन ही मेरा कॉल उठा लिया और बहुत ज़्यादा बेचैन होते हुए कहा.
कीर्ति बोली “जान, क्या हुआ तुम्हे, तुम रो क्यो रहे हो.”
लेकिन इस समय मैं खुद अपने आप मे नही था. मैं तो बस अपनी आँखों की उस बेमौसम बरसात को रोकने की कोसिस कर रहा था, जो मेरी लाख कोसिसों के बाद भी, थमने का नाम नही ले रही थी.
मेरे आँसुओं के अहसास से उधर कीर्ति का दिल भी भर आया और उसकी आँखें भी बरसने लगी थी. उसने उन्ही बरसती आँखों के साथ मुझसे पुछा.
कीर्ति बोली “प्लीज़ जान, ऐसा मत करो, मुझे बताओ ना, तुम्हे क्या हुआ है. तुम्हे किस बात ने इतना दर्द दिया है जान. प्लीज़ बोलो जान.”
मगर मैं चाह कर भी उसकी किसी बात का जबाब नही दे पा रहा था. जब उसने देखा कि, मेरे उपर उसकी किसी बात का कोई असर नही पड़ रहा है तो, फिर उसने मुझे चुप कराने का आख़िरी रास्ता अपनाते हुए कहा.
कीर्ति बोली “प्लीज़ जान, तुमको मेरी कसम, रोना बंद करो. अब यदि तुम्हारी आँख से एक आँसू भी गिरा तो, तुम्हारी कसम, मैं अभी अपनी जान दे दुगी.”
कीर्ति की इस बात ने किसी तीर की तरह मेरे दिल पर असर किया और मेरे आँसू खुद ब खुद थमना सुरू हो गये. कुछ पल बाद जब कीर्ति को अहसास हुआ कि, अब मेरे आँसू थम गये है तो, उसने मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “जान, तुम्हे क्या हुआ. प्लीज़ कुछ बोलो, मेरा दिल बहुत घबरा रहा है.”
अब तक मैं खुद को कुछ हद तक संभाल चुका था. मैं कीर्ति को किसी बात के लिए परेशान नही करना चाहता था. इसलिए मैने बात को बदलते हुए कहा.
मैं बोला “मुझे कुछ भी नही हुआ. अब इस बात को छोड़ और ये बता कि, इतनी समय तूने कैसे वापस कॉल लगा दिया. तू तो इतनी समय अमि निमी के पास रहती है ना.”
लेकिन कीर्ति इतनी जल्दी बहल जाने वालो मे नही थी. उसने अपने सवाल को फिर से दोहराते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मुझे बहलाने की कोसिस मत करो जान. जो पुच्छ रही हूँ, पहले उसका जबाब दो कि, तुम्हे क्या हुआ. तुम्हे किस बात ने इतना दर्द दिया है.”
मैं बोला “सच मे मुझे कुछ नही हुआ. बस तुझसे बात करते ही, पता नही क्यो, ये बेमौसम की बरसात सुरू हो गयी.”
मगर कीर्ति को अभी भी मेरी बात पर विस्वास नही हो रहा था. मुझे होने वाले किसी अंजाने से दर्द के अहसास ने उसे हिला कर रख दिया था. उसने मुझे अपनी कसम देते हुए कहा.
कीर्ति बोली “जान, तुम्हे मेरी कसम है. सच सच बताओ, तुम्हे क्या हुआ है.”
मैं कीर्ति को परेशान करना नही चाहता था. लेकिन मेरी समझ मे ही नही आ रहा था कि, मैं उस से क्या बोलूं और क्या ना बोलूं. मगर जब उसने फिर से अपनी कसम देते हुए, अपनी बात को दोहराया तो, मैने उसे समझाते हुए कहा.
मैं बोला “ये तेरी, हर बात पर कसम देने की आदत अच्छी नही है. मुझे सच मे कुछ नही हुआ है. बस तेरी कमी के अहसास और तेरी तबीयत की फिकर मे, ये बे-मौसम की बरसात हो गयी थी.”
मेरी इस बात को सुनते ही कीर्ति बिलखते हुए मुझसे कहने लगी.
कीर्ति बोली “जान, मुझे माफ़ कर दो. मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी. मुझे अपनी तबीयत की बात तुमसे नही छुपाना चाहिए थी. मगर मुझे लगा कि, मेरी तबीयत की बात सुनकर तुम परेशान हो जाओगे. इसलिए मुझे ये बात तुमसे छुपाना पड़ गयी. लेकिन मैं ये नही जानती थी कि, मेरा ये बात छुपाना तुम्हे और भी ज़्यादा परेशान करके रख देगा.”
कीर्ति की ये बात सुनते ही, मैने बड़ी बेचैनी के साथ कहा.
मैं बोला “इन सब बातों को जाने दे. मुझे ये बता कि तुझे क्या हुआ और डॉक्टर. ने क्या कहा है.”
कीर्ति बोली “जान, इसमे ज़्यादा फिकर करने की कोई बात नही है. तुम्हे तो पता है कि, मेरा लिवर कमजोर है और ऐसे मे खाने पीने का, सही से ख्याल ना रखने की वजह से मुझे पीलिया (जॉंडिस) की शिकायत हो गयी है. डॉक्टर ने कहा है कि, एक हफ्ते मे मैं पूरी तरह से ठीक हो जाउन्गी.”
मैं बोला “तेरी तबीयत कब से खराब है.”
कीर्ति बोली “मेरी तबीयत सनडे से खराब है. उस दिन मैं आंटी का समान उपर रखवा रही थी. तभी मुझे चक्कर आ गया. मौसी ने डॉक्टर. को बुलाया तो, उसने मुझे पीलिया होना बताया. मैने ही मौसी और आंटी को, ये बात तुम्हे बताने से मना की थी. इसलिए किसी ने मेरी तबीयत के बारे मे कुछ नही बताया.”
कीर्ति की इस बात को सुनने के बाद, मेरे दिमाग़ मे सनडे से लेकर अभी तक की सारी बातें घूमने लगी और मैने उस से पुछा.
मैं बोला “तो क्या तूने सनडे को मुझसे झगड़ा करना भी इसी बात को छुपाने के लिए किया था.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति खामोश ही रही. उसने जब हां या ना मे भी कोई जबाब नही दिया तो, मैने उस से फिर पुछा.
मैं बोला “बोलती क्यो नही. क्या तूने सनडे को झगड़ा भी इसी बात की वजह से किया था.”
कीर्ति बोली “नही, उस झगड़े की वजह दूसरी थी. लेकिन वो मैं तुम्हे यहाँ आने पर ही बताउन्गी. प्लीज़ उसके बारे मे अभी कुछ मत पुच्छना.”
मैं बोला “ठीक है, मैं उसके बारे मे अभी कुछ नही पुछ्ता. लेकिन क्या अब मैं तेरी तबीयत के बारे मे छोटी माँ से बात कर सकता हूँ.”
कीर्ति बोली “इसकी क्या ज़रूरत है. मैं तुम्हे सब कुछ, सच सच बता तो रही हूँ. यदि इसके बाद भी, तुम किसी से मेरी तबीयत का पुछोगे तो, वो ये ही सोचेगे कि, मैने खुद ही ये बात तुमको बताने से, सबको रोका और फिर खुद ही तुमको ये बात बता दी. अब तुम ही सोचो ऐसे मे वो मेरे बारे मे क्या सोचेगे.”
कीर्ति की इस बात ने मुझे सोच मे डाल दिया. उसका ये कहना भी सही था. लेकिन मेरी समझ मे ये नही आ रहा था कि, उसने ऐसा क्या कहा कि, सब ये बात मुझसे छुपाने को तैयार हो गये. इसलिए मैने बात को बदलते हुए उस से कहा.
मैं बोला “चल, मैं किसी से कुछ नही पुछ्ता. लेकिन एक बात बता कि, तूने सबको ऐसा क्या बोल दिया कि, किसी ने मुझे इस बात की भनक भी नही पड़ने दी.”
कीर्ति बोली “मैने किसी से कुछ खास नही कहा. मैने सिर्फ़ इतना कहा कि, अभी तुम वहाँ अंकल को लेकर परेशान हो. ऐसे मे यहाँ की किसी बात से तुमको परेशान करना या फिर किसी सोच मे डालना अच्छा नही होगा. इसलिए मेरी तबीयत के बारे मे तुम्हे कुछ ना बताना ही बेहतर होगा. मेरी ये बात उन दोनो को सही लगी और उन ने ऐसा करने की हामी भर दी.”
“लेकिन उनको अमि निमी की चिंता थी कि, अमि निमी मे से कोई भी, ये बात तुमको बता सकती है. मगर मेरे पास इसका भी रास्ता था. मैने अमि निमी से कहा कि, यदि वो मेरी तबीयत की बात तुमको बताएगी तो, तुम इलाज के लिए मुझे भी वहाँ बुला लोगे और फिर उन दोनो को अकेले यहाँ रहना पड़ेगा. मेरी इस बात को उन दोनो ने सच समझ लिया और इसलिए उन दोनो मे से किसी ने भी तुमको ये बात नही बताई.”
कीर्ति की अमि निमी वाली बात सुनकर, पहली बार मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आई. लेकिन अभी भी मेरे मन मे कुछ सवाल उठ रहे थे. इसलिए मैने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कीर्ति से कहा.
मैं बोला “लेकिन जब तेरी तबीयत खराब है तो, जाहिर सी बात है कि, तू अभी स्कूल नही जा रही होगी, तो फिर कल रात को आंटी ने तुझसे ये क्यो कहा था कि, तू इतनी रात तक फोन पर क्यो लगी हुई है. क्या कल तुझे स्कूल नही जाना है.”
मेरी बात सुनकर कीर्ति को भी हँसी आ गयी. उसने हंसते हुए कहा.
कीर्ति बोली “तुम फोन पर सिर्फ़ सुन सकते हो, देख थोड़ी ही सकते हो. आंटी ने कल जब मुझसे ये बात कही थी, तब मेरी दवाइयों की तरफ इशारा करके ये बात बोली थी. जिसका मतलब था कि, तेरी तबीयत खराब है, फिर तू इतनी रात तक फोन पर बात क्यों कर रही है.”
मैं बोला “तुम सबने मिलकर, अच्छा झूठ बोला था.”
मेरी बात के जबाब मे कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.
कीर्ति बोली “हां बोला तो था, लेकिन इसका कोई फ़ायदा कहाँ हुआ. तुमने हमारा झूठ पकड़ तो लिया ना. लेकिन मेरी समझ मे ये बात नही आ रही कि, अपनी तबीयत ठीक ना होने की बात तो मैने खुद तुम्हे बताई थी. फिर तुमको ये क्यो लग रहा था कि, मेरी तबीयत को कुछ ऑर हुआ है और मैं तुमसे कुछ छुपा रही हूँ.”
मैं बोला “जब तूने मुझे अपनी तबीयत ठीक ना होने की बात बोली और मुझे छोटी माँ से इस बारे मे बात करने से रोक दिया. तब मेरा ध्यान पिच्छली बातों पर गया. जैसे आंटी का देर रात को तेरे कमरे मे आना, जबकि आंटी रात को जल्दी सो जाती है. फिर छोटी माँ का उस समय उपर से आकर कॉल उठाना, जिस समय सब स्कूल गये होते है. फिर छोटी माँ के मोबाइल पर तेरा कॉल उठाना. जो ये बताने के लिए काफ़ी था कि, छोटी माँ अपना मोबाइल तेरे पास भूल गयी है. बस इन्ही बातों की वजह से मुझे लग रहा था कि, तेरी तबीयत को ज़रूर कुछ ओर ही हुआ है, जो तू मुझसे छुपा रही.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने चौुक्ते हुए कहा.
कीर्ति बोली “बाप रे, तुम कहाँ कहाँ अपना दिमाग़ दौड़ा रहे थे. मैने तो इन सब बातों को सोचा भी नही था.”
अभी कीर्ति इस से आगे कुछ बोल पाती कि, तभी मुझे सीडियों से किसी के आने की आहट सुनाई दी. मैने ये बात कीर्ति को बताई और अपना मोबाइल जेब मे रख कर, वही रखा अख़बार देखने लगा.
कुछ ही देर मे मुझे, बरखा चाय लेकर उपर आती हुई नज़र आई. उसे देखते ही मैं उठ कर खड़ा हो गया और उसके हाथ मे चाय देख कर उस से कहा.
मैं बोला “दीदी, इसकी क्या ज़रूरत थी. क्या मैं कोई बाहर वाला हूँ. जो मेरे लिए आप इतनी तकलीफ़ उठा रही है.”
मेरी बात के जबाब मे बरखा ने मुस्कुराते हुए मुझे चाय दी और मुझसे कहा.
बरखा बोली “मेरे भाई, तुम कोई बाहर वाले नही हो और यदि तुमको ये सब तकलीफ़ उठाना लगता है तो, मेरी एक बात कान खोल कर सुन लो. अपने भाई के लिए मैं ये तकलीफ़ बार बार उठाने को तैयार हूँ. अब देख क्या रहे हो, जल्दी से चाय पी लो. वरना चाय ठंडी हो जाएगी और मुझे फिर से चाय गरम करने की तकलीफ़ उठाना पड़ेगी”
ये कह कर वो हँसने लगी और उसके साथ साथ मैं भी हंसते हुए चाय पीने लगा. बरखा भी मेरे पास आकर बैठ गयी. फिर मेरी उस से नीचे चल रही रस्मों के बारे मे बात होने लगी. अभी हमारी बात चल ही रही थी की, तभी मेरा मोबाइल बजने लगा.
मैने मोबाइल निकाल कर देखा तो, प्रिया का कॉल आ रहा था. मैने ये बात बरखा को बताई और प्रिया का कॉल उठाते हुए उस से कहा.
मैं बोला “हां, बोलो प्रिया.”
प्रिया बोली “ज़रा समय देखो 11 बज गया है. तुम अभी तक घर क्यो नही आए. मैं कब से तुम्हारे आने का इंतजार कर रहा हू.”
मैं बोला “सॉरी प्रिया, मैं तुमको ये बात बताना भूल गया. आज यहाँ पर शादी की कुछ रस्मे चल रही है. इसलिए मुझे आने मे देर मे हो जाएगी. तुम मेरे आने का इंतजार मत करो और सो जाओ.”
प्रिया बोली “कोई बात नही, तुम्हे आना हो, तुम तब आ जाना. मैं जाग रही हूँ.”
मैं बोला “प्रिया, तुम क्यो परेशान होती हो. मैं जब आउगा तो मेहुल या निक्की को जगा लुगा. तुम बेकार मे परेशान मत हो और आराम करो.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने हंसते हुए कहा.
प्रिया बोली “उन सबको जगाने का कोई फ़ायदा नही है. क्योकि राज भैया, मेहुल, और नितिका सब लोग निक्की के साथ डॉक्टर. अमन के घर गये है. आज वो लोग रात भर वही पर रहेगे. घर मे मैं और रिया दीदी बस है. रिया दीदी भी सिर्फ़ मेरी वजह से रुकी है, वरना वो भी चली गयी होती.”
मुझे प्रिया ये बात सुनकर, कुछ हैरानी ज़रूर हुई. क्योकि ना तो मेहुल ने मुझे इस बारे मे कुछ बताया था और ना ही निक्की ने कुछ बताया था. फिर भी मैने प्रिया को समझाते हुए कहा.
मैं बोला “प्रिया यदि ऐसी बात है तो, मैं यही दीदी के घर मे रुक जाउन्गा. तुम्हे मेरी फिकर करने की ज़रूरत नही है.”
लेकिन प्रिया ने मेरी इस बात पर नाराज़गी जताते हुए कहा.
प्रिया बोली “मैं घर मे सिर्फ़ तुम्हारे वापस आने की वजह से रुकी हूँ. वरना मैं भी निक्की के साथ ही चली गयी होती और तुम वापस आने को मना कर रहे हो. यदि ऐसा है तो, तुम अभी घर वापस आओ और मुझे भी अपने साथ लेकर चलो. अब मैं शिखा दीदी के ही रहूगी.”
मैं बोला “देखो प्रिया, ऐसी ज़िद नही करते. तुम्हे अभी आराम करने की ज़रूरत है. यदि तुमने मेरी बात नही मानी तो, मैं अभी निशा भाभी को कॉल करके तुम्हारी शिकायत कर दूँगा.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने मुझे धमकाते हुए कहा.
प्रिया बोली “तुम क्या निशा भाभी को कॉल करोगे. मैं खुद ही उनको कॉल करके कह देती हूँ कि, तुम मेरा ज़रा भी ख़याल नही रख रहे हो और यदि अब मेरी तबीयत खराब होती है तो, वो तुमको सीधा जैल करवा दे.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मैं हँसे बिना रह सका. मैं जानता था कि, वो जिद्दी है. इसलिए मैने उसकी ज़िद के सामने अपने हथियार डालते हुए कहा.
मैं बोला “ठीक है प्रिया. मैं आने के पहले तुमको कॉल लगा कर देखुगा. यदि तुम जागती रही तो, मैं घर वापस आ जाउन्गा. लेकिन तुम भी वादा करो कि, यदि तुम्हे नींद आएगी तो, तुम ज़बरदस्ती जागने की कोसिस नही करोगी और सो जाओगी.”
प्रिया बोली “ओके, मैं वादा करती हूँ कि, यदि मुझे नींद आती है तो, मैं ज़बरदस्ती जागने की कोसिस नही करूगी और सो जाउन्गी. फिर तुम कहाँ पर रुके हो, इस बात की भी तुमसे कोई सीकायत नही करूगी.”
इसके बाद मेरी प्रिया से थोड़ी बहुत बातें फिर उसने कॉल रख दिया. प्रिया के कॉल रखने के बाद मैने सारी बातें बरखा को बताई तो उसने मुस्कुराते हुए कहा.
बरखा बोली “ये लड़की खुद तो पागल है और तुमको भी पागल बना कर ही छोड़ेगी.”
बरखा की इस बात पर मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “क्यो दीदी, आपको प्रिया की किस बात मे उसका पागलपन नज़र आ रहा था.”
बरखा बोली “क्यो क्या तुमने उसका हाथ नही देखा था. अपने हाथ मे कितना बड़ा “पी” बना कर रखी है. अब इसे पागलपन नही तो और क्या कहेगे. क्या कोई लड़की अपने झूठे बाय्फ्रेंड के लिए ऐसी हरकत करती है.”
ये कह कर बरखा गौर से मेरा चेहरा देखने लगी. जैसे कि जानना चाहती हो कि कहीं ये सब सच तो नही है. ना जाने क्यो, मगर मैं सच बात बताने से अपने आपको ना रोक सका और मैने बरखा से कहा.
मैं बोला “दीदी, मैं उसका झूठा बाय्फ्रेंड ज़रूर हूँ. लेकिन उसके दिल मेरे लिए जो प्यार है, वो झूठा नही है.”
मेरी बात सुनकर, बरखा कुछ देर के लिए सोच मे पड़ गयी. फिर कुछ सोचते हुए उसने कहा.
बरखा बोली “इसका मतलब तो ये हुआ कि, दीदी कल जो तुम्हारे और प्रिया के एक दूसरे को पसंद करने वाली बात बोल रही थी, वो सच है.”
मैं बोला “हां, उनकी वो बात आधी सच है. प्रिया मुझे प्यार करती है. लेकिन मैं किसी ऑर लड़की को प्यार करता हूँ.”
मेरी बात सुनते ही बरखा के चेहरे का रंग एक दम से उड़ गया और उसने परेशान होते हुए मुझसे पुछा.
बरखा बोली “क्या प्रिया इस बात को जानती है.”
मैं बोला “हां दीदी, प्रिया इस बात को अच्छी तरह से जानती है. उसे जिस दिन से ये बात पता चली कि, मेरी कोई गर्लफ्रेंड है. उस दिन के बाद, उसने कभी मेरे सामने अपने प्यार की बात नही रखी. वो सिर्फ़ मुझसे हमेशा दोस्ती रखना चाहती है और आज भी इसी रिश्ते से वो मुझे अपना बाय्फ्रेंड बना कर नेहा से मिलाने ले गयी थी.”
मेरी बात सुनकर बरखा ने हैरान होते हुए कहा.
बरखा बोली “जब वो सब जानती है तो फिर उसने अपना हाथ क्यो काटा.”
मैं बोला “ये तो मैं भी नही जानता कि उसने ये हरकत कब की है. बल्कि उसके हाथ का “पी” भी मैने आज आपके सामने ही देखा है.”
मेरी इस बात ने बरखा को ऑर भी ज़्यादा हैरान कर दिया. उसने चौुक्ते हुए मुझसे कहा.
बरखा बोली “आज ही देखा से तुम्हारा क्या मतलब है. यदि तुमने उसके हाथ का “पी” पहले कभी नही देखा तो, फिर तुम्हे इस बारे मे कैसे पता कि, उसने अपने हाथ मे “पी” बना कर रखा है.”
मैं बोला “मुझे तो ये बात निशा भाभी ने बताई थी. मगर ये तो मैने भी नही सोचा था कि, उसने इतनी बुरी तरह से अपना हाथ काटा है.”
बरखा बोली “क्या तुम्हारी गर्लफ्रेंड प्रिया के बारे मे जानती है.”
मैं बोला “हां दीदी, उसे प्रिया के बारे मे सब कुछ पता है. मैने तो प्रिया का झूठा बाय्फ्रेंड बनने से पहले सॉफ मना कर दिया था. लेकिन मेरी गर्लफ्रेंड ने कहा कि, प्रिया दोस्ती के रिश्ते से ये बात मुझसे बोल रही है और ऐसे मे मुझे उसकी बात मान लेना चाहिए. इसलिए आज मैने प्रिया के बिना पुच्छे ही उसके बाय्फ्रेंड बनने की बात की हां कर दी थी.”
मेरी बात सुनकर, बरखा एक बार फिर सोच मे पड़ गयी. उसका चेहरा देख कर ऐसा लग रहा था कि, जैसे वो किसी बात को लेकर उलझन मे हो. लेकिन फिर अचानक ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और उनसे मुझसे कहा.
बरखा बोली “तुम सच मे बहुत किस्मत वाले हो. जिसे दो इतना प्यार करने वाली लड़कियाँ मिली है. एक प्रिया, जो ये जानते हुए भी कि, तुम उसके नही हो सकते, तुम्हे हमेशा अपना दोस्त बनाए रखना चाहती है तो, दूसरी वो लड़की जो प्रिया के बारे मे सब कुछ जानते हुए भी, तुम्हे उसके पास जाने से नही रोकती. ऐसा आज के समय मे बहुत कम देखने को मिलता है और सबसे बड़ी बात ये है कि, उन दोनो के अंदर एक दूसरे के लिए कोई जलन की भावना नही है. जो कि एक ही लड़के को प्यार करने वाली दो लड़कियों के बीच मे अक्सर देखने को मिलती है.”
बरखा की ये बात सुनकर, मुझे ना जाने क्या सूझा कि, मैने बरखा की बात को बीच मे ही काटते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी ये भी तो हो सकता है कि, उन दोनो का प्यार ही सच्चा ना हो.”
मेरी बात सुनकर, बरखा ने मुझ पर भड़कते हुए कहा.
बरखा बोली “चुप कर बदतमीज़. एक तो वो दोनो तुझे प्यार करती है और तू है कि उनके प्यार का मज़ाक उड़ा रहा है.”
मैं बोला “दीदी, आप ही तो बोली कि, उन दोनो के अंदर एक दूसरे के लिए कोई जलन की भावना नही है. जो कि एक ही लड़के को प्यार करने वाली दो लड़कियों के बीच मे अक्सर देखने को मिलती है. अब इसका मतलब तो ये ही हुआ कि, उनका प्यार सच्चा नही है. तभी तो दोनो मे ज़रा भी जलन नही है.”
मेरी इस बात को सुनकर, बरखा ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और फिर मुझे समझाते हुए कहा.
बरखा बोली “ऐसा नही मेरे भाई. प्यार मे जलन होना, एक स्वाभाविक सी बात है. लेकिन प्यार की कसोटी जलन नही, बल्कि विस्वास और समर्पण होती है. मुझे इन दोनो लड़कियों मे ये ही नज़र आ रहा है. इसलिए उन दोनो के अंदर एक दूसरे को लेकर ज़रा भी जलन नही है.”
बरखा की ये बात मुझे समझ मे तो आ गयी. लेकिन मुझे ये समझ मे नही आया कि उसे किसमे क्या नज़र आया और क्यो नज़र आया. इसलिए मैने बरखा से पुछा.
मैं बोला “दीदी मुझे समझ मे नही आया कि, आपने किसमे क्या देख लिया और कैसे देख लिया.”
बरखा ने मेरी इस बात पर मुस्कुराते हुए कहा.
बरखा बोली “मेरे प्यारे भाई, इसमे मैने ना समझ मे आने वाली कौन सी बात कह दी. सीधी सी बात तो है कि, एक तरफ तुम्हारी गर्लफ्रेंड ने प्रिया के बारे मे सब कुछ जानते हुए भी, तुम्हे उस से दूर रखने की बात नही सोची, जिसका मतलब है कि, उसे तुम पर पूरा विस्वास है.”
“वही दूसरी तरफ प्रिया तुम्हारे बारे मे सब कुछ जानते हुए भी, तुमसे हमेशा दोस्ती बनाए रखना चाहती है, जिसका मतलब है कि, तुम उसके साथ जिस रूप मे भी रहो, वो उसी रूप मे तुम्हारे साथ रहना चाहती है. ये उसका तुम्हारे लिए समर्पण है. सच्चे प्यार की विस्वास और समर्पण से बढ़ कर कोई कसोटी नही है.”
बरखा की ये बात सुनकर मैं सन्न सा रह गया. अजय, अमन और निशा भाभी ने सिर्फ़ प्रिया के प्यार को समझने के लिए एक घंटे से ज़्यादा का समय लगा दिया था. फिर भी वो किसी नतीजे पर नही पहुच पाए थे. वही बरखा ने कीर्ति और प्रिया दोनो के प्यार को कुछ ही देर मे, बड़ी सरलता से परिभाषित करके रख दिया था.
मैं अभी हैरानी से बरखा को देख ही रहा था कि, तभी हमे सीडियों से किसी के आने की हलचल सुनाई दी. जिसे सुनकर हमारा ध्यान बातों पर से हट गया और हम दोनो सीडियों की तरफ देखने लगे.
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