RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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कुछ ही देर मे बरखा उपर आई और मेरे पास आकर बैठ गयी. वो गौर से मुझे देख रही थी और मैं इन सब बातों को सोचने मे लगा था. उसने मुझे इस तरह किसी सोच मे खोया देखा तो, मुझे टोकते हुए कहा.
बरखा बोली “क्या सोच रहे हो. यही कि जिस आदमी की 5 टेक्सटाइल मिल्स और ना जाने कितने टेक्सटाइल शोरूम्स हो, उसे भला हम लोग दहेज मे क्या दे सकते है या फिर ये कि, जिसकी बारात मे चीफ मिनिस्टर और मिनिस्टर जैसी हस्तियाँ शामिल हो रही हो. उसके बारातियों का स्वागत हम कैसे करें.”
मैने बरखा की इस बात पर मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “नही दीदी, मैं जानता हूँ कि, ये सब इतनी जल्दी मे कर पाना मुमकिन नही है. यदि हमे इसके लिए थोड़ा समय मिलता तो, हम ये भी करके दिखाने से पिछे नही हटने वाले थे.”
बरखा बोली “तो फिर किस बात की इतनी गहरी सोच मे पड़े हो.”
मैं बोला “दीदी, मैं तो बस ये सोच रहा था कि, जब भैया ने दीदी की शादी बड़े घर मे करने का सोचा होगा तो, तब वो खुद भी नही जानते होगे कि, दीदी की किस्मत उनको इतने बड़े घर मे लेकर जाएगी. भैया ने वो धूम धाम और बारातियों का स्वागत वाली बात तो, दीदी के मान सम्मान को सोच कर कही होगी.”
“लेकिन हमारी दीदी जिस घर मे जा रही है. वहाँ उनको किसी चीज़ की कोई कमी नही रहना है और हमारी दीदी के मान सम्मान को भी वहाँ कोई आँच नही आना है. क्योकि वहाँ सब हमारी दीदी को बहुत प्यार करते है और हमारी दीदी को कभी किसी बात के लिए, किसी के सामने नीचा नही देखना पड़ेगा.”
“इसलिए मैं इन सब बातों के बारे मे नही सोच रहा. मैं तो भैया की उन बातों के बारे मे सोच रहा हूँ. जिन बातों मे भैया के दीदी के लिए दिली ज़ज्बात झलकते है. मैं उन सब बातों को पूरा करना चाहता हूँ. ताकि ये शादी सिर्फ़ दीदी के लिए ही नही, बल्कि हम सब के लिए भी एक यादगार पल बन कर रह जाए.”
मेरी बात सुनकर बरखा भी सोच मे पड़ गयी. कुछ देर तक इस बात को सोचने के बाद उसने मुझसे कहा.
बरखा बोली “बात तो तुम्हारी सही है. लेकिन क्या तुम अकेले ये सब कर सकोगे.”
मैं बोला “दीदी, आप बस मेरा साथ दीजिए, मैं सब कुछ कर लूँगा. वैसे भी मैं अकेला नही हूँ. मेरा एक दोस्त यहाँ मेरे साथ है और मुझे उम्मीद है कि, प्रिया, रिया, राज और निक्की भी मेरा साथ ज़रूर देगे.”
बरखा बोली “मैं तुम्हारे साथ हूँ. तुम जैसा बोलॉगे, वैसा करवाने की सारी ज़िम्मेदारी मेरी है.”
मैं बोला “तो फिर ठीक है दीदी. हम कल से इन बातों को पूरा करना सुरू करते है.”
ये कह कर, मैने बरखा को सारी बातें समझाई. उसके बाद मैने निक्की को कॉल लगाया. लेकिन निक्की बहुत ज़्यादा शोर शराबे के बीच थी. इसलिए उसने थोड़ी देर से कॉल लगाने की बात कह कर कॉल रख दिया. बरखा ने इतनी जल्दी कॉल काटते देखा तो, मुझसे पुछा.
बरखा बोली “क्या हुआ. क्या निक्की से बात नही हुई.”
मैं बोला “अभी हो जाएगी. वो अभी वहाँ पर बहुत शोर शराबे के बीच थी. इसलिए उसने थोड़ी देर बाद कॉल करने को कहा है.”
मैने इतना बोला ही था कि, निक्की का कॉल आने लगा. मैं निक्की को अपनी सारी बातें बताने लगा. उसने मेरी बात सुनकर, मेरा साथ देने की हामी भर दी. उस से थोड़ी बहुत बातें करने के बाद, मैने कॉल रख दिया और फिर बरखा से कहा.
मैं बोला “लो एक काम तो हो गया.”
बरखा बोली “प्रिया से भी बात करके देख लो. वो अभी जाग ही रही होगी.”
मैं बोला “उस से बात करने की कोई ज़रूरत नही है. मैं उसको जैसा बोलुगा, वो वैसा करने के लिए खुशी खुशी तैयार हो जाएगी.”
मेरी इस बात को सुनकर, बरखा ने मुझे छेड़ते हुए कहा.
बरखा बोली “सब ख़ैरियत तो है ना. प्रिया पर बहुत ज़्यादा भरोसा है. कहीं ये आग दोनो तरफ से तो नही लगी है.”
मैं बोला “क्या दीदी, अब आप भी सुरू हो गयी. आप तो सब कुछ जानती है. फिर भी ऐसा कह रही है. मुझे आपसे ऐसी उम्मीद नही थी. लगता है, अब आपको कुछ भी बताना बंद करना पड़ेगा.”
मेरी बात सुनते ही, बरखा ने फ़ौरन अपनी ग़लती मानते हुए कहा.
बरखा बोली “सॉरी मेरे भाई, मैं तो सिर्फ़ थोड़ा मज़ाक कर रही थी. मैं अच्छे से जानती हूँ कि, तुम्हारे दिल मे प्रिया के लिए ऐसा कुछ नही है. तुम ये बात इसलिए बोले हो, क्योकि प्रिया तुम्हारी कोई बात नही काटती है.”
मैं बोला “हां ये बात तो है दीदी. लेकिन प्रिया सच मे बहुत अच्छी लड़की है. इसलिए अब मैं भी उसकी बात को रखने की कोसिस करता हूँ. मगर आज मुझे आपकी ये बात समझ मे नही आई कि, आप तो प्रिया से पहली बार मिली थी. फिर पार्क मे आपने उसका साथ क्यो दिया. क्या आपको उसके बारे मे सब कुछ पहले से ही मालूम था.”
बरखा बोली “सब कुछ तो नही, मगर प्रिया की तबीयत का ज़रूर मुझे मालूम था. आज सुबह तुमने जब दीदी को कॉल लगा कर, अपने साथ प्रिया को लाने की बात पुछि थी. तब निक्की भी यही पर थी. उसे जब पता चला कि, प्रिया यहाँ आ रही है तो, उसने मुझे प्रिया की तबीयत के बारे मे बताया और उसका ख़याल रखने को कहा था.”
“इसलिए जब मैने पार्क मे प्रिया को नेहा की बातों से परेशान होते देखा तो, मुझे लगा कि, इस समय मुझे प्रिया की मदद करना चाहिए. जिसकी वजह से मैने तुम्हे प्रिया की तरफ से बोलने के लिए उकसाया था. मगर ये मेरी प्रिया से पहली मुलाकात नही थी. मैं प्रिया को पहले से ही जानती थी. बस ये नही जानती थी कि, निक्की ने जिस प्रिया के बारे मे कहा है, वो ये ही प्रिया है.”
बरखा की इस बात ने मुझे कुछ हैरान सा कर दिया. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, जब बरखा निक्की की सहेली के रूप मे प्रिया को नही जानती है तो, फिर वो प्रिया को कैसे जानती है.
क्योकि मुझे नेहा की बातों से भी ऐसा नही लगा था कि, इसके पहले उसने कभी भी बरखा को प्रिया से मिलाया हो. अपनी इसी हैरानी को दूर करने के लिए मैने बरखा से पुछा.
मैं बोला “दीदी, यदि आप प्रिया को निक्की की वजह से नही जानती तो, क्या प्रिया को नेहा की वजह से जानती है.”
बरखा बोली “ना मैं प्रिया को निक्की की वजह से जानती हूँ और ना ही नेहा की वजह से जानती हूँ.”
मैं बोला “तो फिर आप प्रिया को कैसे जानती है.”
बरखा ने मेरी इस बात के जबाब मे मुस्कुराते हुए कहा.
बरखा बोली “मैं प्रिया को इसलिए जानती हूँ, क्योकि हम दोनो ही किसी ना किसी स्पोर्ट्स से जुड़े हुए है और पिच्छले साल तुम्हारे शहर मे, जो नॅशनल गेम्स हुए थे, उसमे हम दोनो मुंबई की टीम की तरफ से गये थे.”
बरखा की इस बात ने मेरी इस हैरानी को कम करने की जगह ओर भी ज़्यादा बड़ा कर रख दिया. क्योकि बरखा को देख कर तो ये लगता था कि, वो किसी गेम से जुड़ी हुई है. लेकिन प्रिया को देख कर कही से भी ऐसा नही लगता था कि, वो किसी गेम से जुड़ी हुई है और नॅशनल गेम्स तक खेल चुकी है. मैने बड़ी उत्सुकता के साथ बरखा से पुछा.
मैं बोला “दीदी, आप दोनो किस गेम के लिए गये थे.”
बरखा बोली “मैं बॉक्सिंग और प्रिया स्विम्मिंग के लिए गयी थी.”
बरखा की इस बात पर मैं अपनी हँसी ना रोक सका और मैने हंसते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, आप तो एक बॉक्सर लगती हो. मगर प्रिया को देख कर तो, कही से भी ऐसा नही लगता कि, वो एक स्विम्मर है और नॅशनल गेम्स मे भी भाग ले चुकी है.”
मगर प्रिया के स्विम्मर होने की बात पर, मेरा इस तरह से हसना बरखा को अच्छा नही लगा. उसने मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.
बरखा बोली “हँसो मत, ये कोई हँसने की बात नही है. जिसे तुम सिर्फ़ एक स्विम्मर समझ कर हंस रहे हो, वो सिर्फ़ एक स्विममर नही, बल्कि स्विम्मिंग चॅंपियन है. नॅशनल गेम्स मे, टॉप 10 मेडल विन्नर्स मे उसका 1स्ट रॅंक था. उसने 9 गोल्ड मेडल्स और 1 सिल्वर मेडल्स जीता था. इसके अलावा नॅशनल अक्वाटिक चॅंपियन्षिप मे बेस्ट स्विम्मर अवॉर्ड भी उसी के नाम है.”
“उसके इतने मेडल देख कर तो, उस समय मुझे खुद उस से जलन होने लगी थी कि, मुझे एक सिल्वर मेडल हासिल करने के लिए इतना खून पसीना बहाना पड़ा गया और इसने तो गोल्ड मेडल्स की झड़ी लगा दी है. मगर आज उसको देख कर इस बात का अफ़सोस भी हो रहा है कि, इतनी होनहार लड़की को अपनी तबीयत की वजह से स्विम्मिंग छोड़ना पड़ गयी. वरना ये एशियन गेम्स और ओलिमपिक्स मे भी अपने जलवे दिखा रही होती.”
बरखा की बात सुनकर, मेरी हँसी को रोक लग गयी और मेरा चेहरा उतर गया. मेरा उतरा हुआ चेहरा देख कर, बरखा को लगा कि शायद मुझे उसकी बात का बुरा लग गया है. इसलिए उसने मुझसे कहा.
बरखा बोली “क्या हुआ.? क्या तुमको मेरी बात बुरी लगी.”
मैं बोला “नही दीदी, मुझे आपकी कोई बात बुरी नही लगी. मुझे तो ये सब सुनकर, बस इस बात का दुख हो रहा है कि, प्रिया अपनी बीमारी की वजह से, उन बुलंदियों को नही छु पाई, जिन्हे वो आसानी से छु सकती थी.”
अभी मेरी बात पूरी भी नही हो पाई थी कि, तभी प्रिया का कॉल आने लगा. बरखा ने प्रिया का कॉल आते देखा तो, उसने मुझसे कहा.
बरखा बोली “प्रिया की बड़ी लंबी उमर है. अभी हम इसकी बात ही कर रहे है और इसका कॉल आ गया. उस से कह दो कि, तुम आ रहे हो.”
मैने अभी जाने से मना करने की कोसिस की, मगर बरखा ने मेरी बात मानने से मना कर दिया. आख़िर मे मुझे उसकी बात मान कर, प्रिया से कहना ही पड़ा कि, मैं घर आ रहा हूँ.
प्रिया के कॉल रखने के बाद, मैं बरखा के साथ नीचे आ गया. नीचे आकर मैं कुछ देर शिखा दीदी से बात करता रहा. फिर उनसे जाने की इजाज़त लेकर मैं प्रिया के घर के लिए निकल गया.
रास्ते मे मैं कीर्ति से बातें करने लगा. थोड़ी बहुत बात करने के बाद, मैने उसे आराम करने को कहा, मगर वो अभी ओर बात करना चाहती थी. लेकिन मेरे समझाने पर उसने मेरी बात मान ली और प्रिया का घर आते ही उसने कॉल रख दिया.
मैं 12:30 बजे प्रिया के घर पहुच गया. वहाँ पहुचने के बाद, मैने प्रिया को कॉल लगाया तो, उसने फ़ौरन नीचे आकर दरवाजा खोल दिया. इस समय वो ब्लू शॉर्ट नाइटी मे थी और बहुत ज़्यादा सेक्सी लग रही थी.
उस नाइटी मे उसका अंग अंग दमक रहा था. मैने उसे देखा तो देखता ही रह गया. इसकी एक वजह शायद ये भी थी कि, ब्लू मेरा मन पसंद कलर था. उसने मुझे इस तरह घूरते देखा तो, उसके चेहरे की मुस्कुराहट और भी ज़्यादा बढ़ गयी.
उसने मुस्कराते हुए मुझे अंदर आने को कहा और मेरे अंदर आते ही दरवाजा बंद करने लगी. वो दरवाजा बंद करके पलटी तो, मैं अभी भी उसी को देख रहा था. ये देख कर उसने मुझसे इशारे से पुछा कि क्या हुआ तो, मैने उसे छेड़ते हुए कहा.
मैं बोला “ऐसी ड्रेस मे मेरे सामने मत आया करो, किसी दिन कुछ उल्टा सीधा हो गया तो फिर मुझे दोष मत देना.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने फ़ौरन मुझे सावधान करते हुए कहा.
प्रिया बोली “आए अभी मेरी तबीयत सही नही है. अभी ऐसा कुछ करने की बात सोचना भी मत.”
मैं बोला “याने कि तुम्हारे कहने का मतलब है कि, यदि तुम्हारी तबीयत सही हो तो, मैं ऐसा कर सकता हूँ.”
मेरी इस बात पर प्रिया ने मुस्कुरा कर मुझे आँख मारते हुए कहा.
प्रिया बोली “तुम करने का तो बोलो, मेरी तबीयत अभी सही हो जाएगी.”
मैने भी उसकी की तरह शरारत भरे अंदाज़ मे कहा.
मैं बोला “यदि ऐसी बात है तो, हम अभी मेरे कमरे मे चलते है.”
प्रिया बोली “शुभ काम मे देरी करनी भी नही चाहिए. चलो, जल्दी चलो.”
ये कह कर वो मेरे कमरे की तरफ बढ़ने लगी. लेकिन मैने फ़ौरन उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए कहा.
मैं बोला “अरे मैं तो मज़ाक कर रहा था और तुम इसे सच मान रही हो.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने ज़ोर से हंसते हुए कहा.
प्रिया बोली “तो मैं कौन सा सच बोल रही हूँ. मैं भी तो मज़ाक ही कर रही हूँ.”
मैं बोला “तुम्हारे मज़ाक से तो भगवान ही बचाए. मुझे तो पता ही नही चलता कि, तुम कब मज़ाक कर रही हो और कब सच बोल रही हो. ठीक है, अब बहुत रात हो गयी है. तुम जाकर आराम करो.”
प्रिया बोली “अरे अभी तो आए हो. कम से कम थोड़ी देर तो मेरे साथ बात करो.”
प्रिया ने मेरे आने का बहुत इंतजार किया था. इसलिए मुझे उसकी बात काटना अच्छा नही लगा और मैं वही सोफे पर बैठ कर उस से बात करने लगा. बातों बातों मे उसने मुझसे कहा.
प्रिया बोली “आज मैं तुमको कैसी लग रही हूँ.”
मैं बोला “तुम तो मुझे हमेशा ही सुंदर लगती हो. मगर आज इस नाइटी मे तुम बहुत ज़्यादा सेक्सी लग रही हो.”
मेरी ये बात सुनकर, प्रिया ने थोड़ा सा शरमाते हुए कहा.
प्रिया बोली “ये नाइटी मैने आज ही ली है.”
मैं बोला “अच्छा तो, आज दिन मे तुम इसके लिए ही बाजार गयी थी.”
प्रिया बोली “नही, वो मेरी शादी वाली ड्रेस की फिटिंग कुछ सही नही थी. इसलिए उसे बदलने गयी थी. वहाँ मुझे ये नाइटी दिख गयी और मुझे बहुत पसंद आई तो, मैने इसे भी ले लिया.”
मैं बोला “ये नाइटी सच मे बहुत अच्छी है और तुम्हरे बाकी के नाइटवेर से बिल्कुल भी अलग है. मगर मैने इसके पहले कभी तुमको ब्लू ड्रेस मे नही देखा. लगता है तुमको ब्लू कलर ज़्यादा पसंद नही है.”
मेरी इस बात पर प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “मुझे तो सभी कलर पसंद है. लेकिन आज नितिका दीदी ने बताया कि, किसी को ब्लू कलर कुछ ज़्यादा ही पसंद है. इसलिए मैने सोचा कि, क्यो ना आज कुछ ब्लू ही पहन लिया जाए.”
प्रिया की इस बात से मैं इतना तो समझ गया था कि, उसका ये इशारा मेरी ही तरफ है. क्योकि कीर्ति ने जब अपने ब्लू सलवार सूट वाली बात नितिका को बताई थी तो, उसने सॉफ कहा था कि, ब्लू मेरा मन पसंद कलर है.
अभी मैं इस बारे मे प्रिया से कुछ सवाल करने ही वाला था कि, तभी मुझे रिया आती दिखी. वो भी इस समय एक ब्लॅक नाइटी मे थी और उसकी भी नाइटी प्रिया जितनी ही शॉर्ट थी. मगर उसने नाइटी के उपर एक पारदर्शी गाउन पहना हुआ था. जिससे उसकी सुंदरता छन कर बाहर आ रही थी.
वो सीडियाँ उतरती हुई हम लोगों के पास आ रही थी. मगर प्रिया की मौजूदगी की वजह से मैने उस पर ज़्यादा ध्यान देना ज़रूरी नही समझा. हमारे पास आने के बाद, उसने बताया कि वो प्रिया को देखने उसके कमरे मे गयी थी. लेकिन प्रिया उसे वहाँ नही दिखी तो, वो उसे देखने नीचे आ गयी.
इसके बाद हम तीनो की यहाँ शिखा दीदी की शादी के बारे मे बातें होने लगी. उन दोनो से भी मैने बताया कि, मैं शिखा दीदी की शादी मे क्या करना चाहता हूँ. जिसे सुनने के बाद, दोनो के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और वो भी इसमे मेरा साथ देने को तैयार हो गयी.
उसके बाद, हम लोग थोड़ी देर इसी बारे मे बातें करते रहे. फिर 1:15 बजे रिया ने प्रिया को सोने जाने को कहा मगर प्रिया अभी जाने को तैयार नही थी. इसलिए मैने भी प्रिया को अब आराम करने का कहा. जिसके बाद वो हम दोनो को गुड नाइट बोल कर चली गयी.
उसके जाने के बाद रिया ने मुझसे कहा कि, वो मुझसे कुछ ज़रूरी बात करना चाहती है. मैने उससे अपनी बात बोलने को कहा तो, उसने कहा कि, यहाँ नही, तुम अपने कमरे मे चलो, मैं थोड़ी देर बाद, तुम्हारे कमरे मे आती हूँ.
मुझे इतनी रात को अकेले मे रिया से अपने कमरे मे मिलना सही नही लग रहा था. लेकिन उसकी ज़िद के आगे मेरी एक नही चली और मुझे इसके लिए हां करना पड़ गया. मैं उसे जल्दी आने का बोल कर, अपने कमरे मे आ गया.
अपने कमरे मे आने के बाद, मैने अपने कपड़े बदले और फिर बेड पर लेट कर रिया के आने का इंतजार करने लगा. थोड़ी ही देर बाद, रिया आ गयी. उसे देखते ही मैं उठ कर बैठ गया.
रिया ने तेज़ी से कमरे के अंदर आते हुए, कमरे का दरवाजा अंदर से बंद किया और फिर अपना गाउन उतार कर, बेड पर फेकते हुए मेरी तरफ बढ़ गयी. इस से पहले मैं कुछ समझ पाता कि, रिया मेरे सामने आकर बैठ गयी.
ये सब इतना अचानक हुआ था कि, मैं थोड़ा सा हड़बड़ा गया और अभी मेरी ये हड़बड़ाहट दूर हो पाती कि, उस से पहले ही रिया ने मेरे चेहरे को पकड़ा और अपने होठ मेरे होठों पर लगा दिए.
मैं इस सबके लिए ज़रा भी तैयार नही था. इसलिए मैं उस से अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करने लगा. लेकिन उसकी पकड़ मे जितनी ज़्यादा मजबूती थी, उसके चुंबन मे उतनी ही ज़्यादा शिद्दत थी. जिसके आगे मेरा विरोध करना बेकार साबित हुआ और कुछ ही देर मे, मैं उसके सामने हथियार डाल कर उसके होठों का रस्पान करने मजबूर हो गया.
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