RE: MmsBee कोई तो रोक लो
159
लेकिन ये सब सिर्फ़ एक पल के लिए ही था. क्योकि अगले ही पल मेरे मोबाइल की मेसेज टोन बज उठी. जिसे सुनते ही मेरा ध्यान रिया के चुंबन से हट गया और मैं अपने आपको रिया से अलग कर मेसेज देखने लगा.
आने वाले एसएमएस को देखते ही, मेरी सारी उत्तेजना ऐसे शांत पड़ गयी. जैसे किसी ने उफनते हुए दूध मे ठंडा पानी डाल दिया हो. ये प्रिया का मेसेज था और उसके इस मेसेज ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया था.
प्रिया के इस एसएमएस से सॉफ पता चल रहा था कि, रिया के इस समय मेरे कमरे मे, मेरे साथ होने की बात को, वो जानती है और इसलिए उसे इस बात का डर सता रहा है कि, मेरे और रिया के बीच भी वो सब ना हो जाए, जो पापा और रिया के बीच मे हुआ था.
मुझे मेसेज पढ़ने के बाद, इस तरह से सोच मे खोया देख कर, रिया ने मेरे हाथ से मोबाइल ले लिया और मेसेज को देखने लगी.
प्रिया का एसएमएस
“रिश्तों का भरोसा कभी टूटने ना देना.
दोस्ती का साथ कभी छूटने ना देना.
रोक लेना खुद को ग़लती करने से पहले,
अपनी किसी ग़लती से मुझे रूठने ना देना.”
प्रिया का मेसेज पढ़ कर, रिया के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. लेकिन उसे ये समझ मे नही आया था कि, ये एसएमएस प्रिया ने भेजा है. क्योकि प्रिया का नंबर मेरे मोबाइल मे स्वीट फ्रेंड के नाम से सेव था. रिया ने मुझे मोबाइल वापस देते हुए पुछा.
रिया बोली “ये क्या लफडा है. तुम्हारी ये स्वीट फ्रेंड कौन है. तुमने तो इसके बारे मे हम लोगों से कभी कुछ नही बताया.”
मैं रिया को प्रिया के बारे मे कुछ भी बताना नही चाहता था. इसलिए मैने बात को बदलते हुए कहा.
मैं बोला “मैं तुम्हे कब और कैसे कुछ बताता. जब से मैं आया हूँ, तब से तुम्हारे पास मेरे से बात करने का समय ही कहाँ था.”
रिया बोली “समय हो या ना हो. लेकिन यदि किसी के मन मे बात करने की चाहत हो तो, समय निकल ही जाता है. जैसे कि आज मैने अपनी बात कहने के लिए समय निकाला है.”
मैं बोला “चलो तुम्हे मेरे लिए समय तो मिला. अब बताओ, तुम्हे मुझसे क्या ज़रूरी बात करनी है.”
अभी रिया मेरी इस बात का कोई जबाब दे पाती कि, तभी प्रिया का दूसरा एसएमएस आ गया. रिया मुस्कुराते हुए, मुझे देखने लगी और मैं प्रिया का मेसेज पढ़ने लगा.
प्रिया का एसएमएस
“बस इतना चाहती हूँ जुदा होने से पहले.
तुम खुद ना खो जाना अपनी मंज़िल पाने से पहले.
रूठे ना कभी तुमसे मोहब्बत तुम्हारी,
इसलिए रोकती हूँ ग़लती होने से पहले.”
प्रिया के इस मेसेज ने मुझे ओर भी ज़्यादा उसके बारे मे सोचने के लिए मजबूर कर दिया था. पहले मेसेज मे जहाँ वो अपनी दोस्ती का वास्ता दे रही थी. वही इस दूसरे एसएमएस मे वो मुझे मेरे प्यार का वास्ता दे रही थी.
लेकिन दोनो ही एसएमएस मे समानता ये थी कि, उसके दोनो हीमेसेज मुझे कोई ग़लती करने से रोकने के लिए किए गये थे. ऐसा लग रहा था, जैसे कि प्रिया इस समय रिया के मेरे कमरे मे होने की बात से बहुत ज़्यादा परेशान थी.
मैं उसकी इस परेशानी को दूर करना चाहता था. लेकिन रिया के मेरे पास होने की वजह से मैं ऐसा कर नही पा रहा था. इधर रिया ने जब मुझे फिर से मेसेज पढ़ने के बाद, कुछ उलझन मे देखा तो, उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा.
रिया बोली “लगता है तुम्हारी ये दोस्त, तुम्हारी किसी बात को लेकर बहुत परेशान है. पहले तुम इस से बात कर लो, फिर हम अपनी बात करते है.”
रिया ने कही तो मेरे दिल की बात थी. लेकिन उसके सामने प्रिया से बात करना मुझे सही नही लग रहा था. इसलिए कुछ देर सोचने के बाद, मैने एक मेसेज टाइप किया और प्रिया को भेज दिया.
मेरा एसएमएस
“इस दोस्ती को सदा ऐसे ही निभाती रहना.
दिल की हर बात मुझे ऐसे ही बताती रहना.
तुम्हारी दुआओं से मंज़िल भी पा जाउन्गा मैं.
भटकने ना देना रास्ता ऐसे ही दिखाती रहना.”
प्रिया को ये एसएमएस भेजने के बाद, मैं बेचैनी से उसके मेसेज का इंतजार करने लगा. रिया मेरे पास ही बैठी थी और मेरी इस बेचैनी को देख कर मुस्कुरा रही थी. कुछ ही देर बाद प्रिया का एसएमएस आ गया.
प्रिया का एसएमएस
“दुआ मांगती हूँ खुदा से एक अहसान लिख दे.
तुम्हारी तकदीर मे तुम्हारा प्यार लिख दे.
ना मिले तुम्हे कभी दर्द मोहब्बत मे,
वो चाहे तो मेरी तकदीर मे गम तमाम लिख दे.”
प्रिया का ये मेसेज देख कर, मुझे प्रिया के बड़े दिल का अहसास हो रहा था. दुनिया मे हर कोई अपने प्यार को हासिल करने के लिए दुआएँ माँगता है. लेकिन प्रिया की ये दुआ उसके प्यार को, उस से दूर कर देने वाली दुआ थी.
मैं इस वक्त प्रिया की चाहत और उसके दर्द को अच्छी तरह से महसूस कर सकता था. लेकिन मैं चाह कर भी उसके लिए कुछ नही कर सकता था. अपनी इस बेबसी को देख कर, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट और आँखों मे नमी आ गयी और मैने एक एसएमएस टाइप करके प्रिया को भेज दिया.
मेरा एसएमएस
“काश खुशियों की कोई दुकान होती.
और उसमे मेरी पहचान होती.
खरीद लेता सारी खुशियाँ तुम्हारे लिए.
चाहे उसकी कीमत मेरी जान होती.”
मेरे ये एसएमएस भेजने के थोड़ी ही देर बाद, प्रिया का एसएमएस भी आ गया. लेकिन शायद उसे इस बात का अहसास हो गया था कि, मैं उसकी वजह से परेशान हो गया हूँ. इसलिए इस बार उसका एसएमएस उसके उसी अंदाज़ मे आया, जिसके लिए वो जानी जाती थी.
प्रिया का एसएमएस
“अर्ज़ किया है,
इतने कमजोर हुए तेरी जुदाई से.
गौर फरमाइए,
इतने कमजोर हुए तेरी जुदाई से.
कि चिंटी भी अब खीच ले जाती है चारपाई से.”
“गुड नाइट..स्वीट ड्रीम..”
उसका ये एसएमएस पढ़ कर, एक पल के लिए मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. मैने भी उसको गुड नाइट का एसएमएस भेज दिया. जिसके बाद प्रिया का कोई एसएस नही आया. लेकिन मैं इस बात को अच्छी तरह से समझता था कि, वो तब तक जागती रहेगी, जब तक कि रिया मेरे कमरे से नही चली जाती है.
इसलिए मैने अब मैं जल्दी से जल्दी रिया को अपने कमरे से भगाना चाहता था. वही रिया मेरे और प्रिया के बीच हुई इस बात चीत को देख कर हैरान और कुछ सोच मे पड़ी हुई थी.
उसे ये बात अच्छी तरह से समझ मे आ चुकी थी कि, मेरी जिंदगी मे कोई दो लड़कियाँ है. इसलिए जैसे ही उसने मुझे मोबाइल रखते देखा तो, फ़ौरन ही मुझसे इस बारे मे सवाल करना सुरू कर दिया.
मैं रिया से कोई झूठ बात बोलना नही चाहता था. मगर चाह कर भी मैं उसे सब सच सच नही बता सकता था. इसलिए मैने उसे एक ऐसी कहानी बना कर सुना दी. जिसमे पूरी सच्चाई थी मगर फिर भी कीर्ति या प्रिया का नाम नही आ रहा था.
मेरी बात सुनकर, रिया हैरानी से मुझे देख रही थी. वो शायद इस बात से हैरान थी कि, उसके जाने के बाद, मेरी जिंदगी मे इतना सब कुछ हो गया है. लेकिन वो इस बात से पूरी तरह से अंजान थी कि, मेरी जिंदगी मे जो कुछ भी हुआ है. वो सब उसके आने के बाद ही हुआ है.
कुछ देर तक रिया हैरानी से मुझे देखती रही. लेकिन फिर जब उसने अपनी हैरानी को छोड़ कर, बोलना सुरू किया तो, मुझे ही हैरान करके रख दिया. रिया अपने दिल की बात बोलती जा रही थी और मैं उसकी बात सुनता जा रहा था. अपनी बात कहते कहते उसकी आँखें भीग गयी थी और मैं भी अपनी आँखों को नम होने से नही रोक सका था.
मैं आज तक जिस लड़की को एक गिरी हुई लड़की समझ रहा था. वो ही लड़की आज मेरी नज़रों मे इतनी उँची हो गयी थी कि, अब मुझे अपनी पुरानी सोच पर पछ्तावा हो रहा था. मैने अपनी आँखों मे छाइ नामी पर हाथ फेरते हुए उसे सॉफ किया और रिया से कहा.
मैं बोला “सॉरी, मैं आज तक तुमको बहुत ग़लत समझता रहा. हो सके तो मुझे इसके लिए माफ़ कर दो.”
रिया ने मुझे ये कहते सुना तो अपने आँसू पोच्छने लगी. फिर मुस्कुराने की कोसिस करते हुए उसने कहा.
रिया बोली “इसमे सॉरी बोलने की कोई बात नही है. तुमने जो देखा था, वही समझा था. तुम्हारी जगह यदि मैं होती तो मैं भी तुमको ऐसा ही समझती.”
मैं बोला “हां, तुम ठीक कहती हो. लेकिन आज मैं एक बात को अच्छी तरह से समझ गया हूँ कि, आँखों देखा और कानो सुना हमेशा पूरी तरह से सच नही होता और हर बात के पीछे कोई ना कोई वजह छुपि होती है.”
रिया बोली “अब इन सब बातों को छोड़ो. चलो अब वो काम पूरा कर लेते है. जो एसएमएस आने की वजह से अधूरा रह गया था.”
रिया की इस बात ने मुझे ज़ोर का झटका सा दिया और मैं उसे गौर से देखने लगा. वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी और अपने होंठों पर जीभ फेर रही थी. मैने उसे समझाते हुए कहा.
मैं बोला “तुमको तो मैने सारी सच्चाई बता दी है. इसके बाद भी तुम मेरे साथ ऐसा क्यो करना चाहती हो. क्या तुमको ये नही लगता कि, मैं तुम्हारे साथ ये सब करके उस लड़की के साथ धोका करूगा, जो मुझसे सच्चा प्यार करती है.”
रिया बोली “मैं आज़ाद ख़यालों की लड़की हूँ और मुझे ऐसा कुछ नही लगता. मगर अब मेरा मूड भी कुछ करने का नही है. इसलिए आज तो मैं तुमको छोड़ देती हूँ. लेकिन दोबारा ऐसा नही होगा. अपनी इज़्ज़त को सभाल कर रखना. क्योकि मेरे रहते तुम्हारी इज़्ज़त को हमेशा ख़तरा बना रहेगा.”
इतना कह कर वो मुस्कुराते हुए, मेरे पास से उठ कर खड़ी हो गयी और मुझे गुड नाइट बोल कर जाने लेगी. लेकिन जाते जाते वो अचानक रुक गयी और मेरी तरफ पलट कर देखते हुए कहने लगी.
रिया बोली “एक शायरी तुम्हारी स्वीट फ्रेंड के लिए. उसे मेरी तरफ से ज़रूर सुना देना.”
रिया की शायरी
“ज़िंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यो किया जाए.
शौक जीने का है मगर इतना भी नही कि, मर मर के जिया जाए.
जब जलेबी की तरह उलझ ही रही है तू आए ज़िंदगी,
तो फिर क्यो ना तुझे चासनी मे डुबो कर मज़ा ही ले लिया जाए.”
ये शायरी बोलने के बाद, रिया ने मुझे आँख मारी और हंसते हुए मेरे कमरे के बाहर निकल गयी. मैं उसके बारे मे सोचता हुआ, बस उसे जाते हुए देखता रह गया.
आज रिया की बातें सुनने के बाद, मेरे उसके बारे मे सारे ख़यालात बदल चुके थे और आज वो मुझे प्रिया या निक्की की तरह ही अच्छी लग रही थी. कुछ देर रिया के बारे मे सोचते रहने के बाद, मैने टाइम देखा तो 2:30 बज गये थे.
मैने दरवाजा बंद किया और फिर आकर सोने की कोसिस करने लगा. लेकिन आँख बंद करते ही मेरी आँखों मे कीर्ति का चेहरा आ गया और मुझे उसके ख़यालों ने घेर लिया.
मुझे ये तो याद नही कि, ऐसा कब से था, मगर मैने इस बात को आजमाया था कि, मैं जब कभी उसकी नज़रो से दूर हो जाता था तो, उसकी तबीयत को कुछ ना कुछ ज़रूर हो जाता था और ऐसा ही कुछ अभी भी हुआ था.
कीर्ति खाने पीने की बहुत शौकीन थी और घर मे ज़्यादा तेल मसाले की चीज़ें खाने को ना मिलने पर, वो अपने इस सौक को चोरी छिपे बाहर पूरा करती थी. जिसके लिए उसे बाद मे घर मे बातें भी सुनना पड़ती थी. लेकिन उस पर इन सब बातों का कोई असर नही पड़ता था.
मगर इस बार उसकी तबीयत खराब होने पर वो छोटी माँ की देख रेख मे थी और छोटी माँ किसी की भी तबीयत को लेकर ज़रा भी लापरवाही पसंद नही करती थी और वो खाने पीने का खास ख़याल रखती थी.
यही वजह थी कि, अब कीर्ति को छोटी माँ की देख भाल से परेशानी होने लगी थी. मुझे कीर्ति की इस हालत पर बहुत दुख हो रहा था. लेकिन साथ साथ इस बात की खुशी भी थी कि, छोटी माँ उसके साथ सख्ती से पेश आ रही है और उसकी तबीयत को लेकर ज़रा भी लापरवाही नही कर रही है.
मेरा मन उसको देखने के लिए तड़प रहा था. दिल तो कर रहा था कि, मैं अभी उसके पास पहुच जाउ. लेकिन ऐसा हो पाना अभी किसी तरह से भी संभव नही था. मैं इस समय अपने आपको बहुत बेबस महसूस कर रहा था और मेरी इसी बेबसी ने मेरी आँखों से नींद उड़ा दी थी.
मैं पल पल करवट बदल रहा था और सोने की कोसिस कर रहा था. मगर किसी भी पहलू मे मुझे सुकून नही मिल रहा था और जब ऐसा करते बहुत देर हो गयी तो, मैं उठ कर बैठ गया.
लेकिन अब करूँ तो, क्या करूँ, ये बात मेरी समझ मे नही आ रही थी. अभी रात के 3:15 बजे थे, ऐसे मे बाहर जाकर टहलने का भी सवाल पैदा नही होता था. इसलिए मैने अपना मोबाइल उठाया और कीर्ति के भेजे हुए एसएमएस पढ़ने लगा.
कीर्ति के एसएमएस पढ़ते पढ़ते मेरे सामने वो एसएमएस आ गया, जो कीर्ति ने मुंबई आती आती समय मुझे अपना ख़याल रखने के लिए ट्रेन मे भेजा था.
कीर्ति का वो एसएमएस
“उदास लम्हो का भी ना कोई मलाल रखना.
तूफ़ानो मे भी अपना हौसला संभाल रखना.
मेरे लिए शर्त ए जिंदगानी हो तुम.
इसी खातिर ही सही खुद का ख़याल रखना.”
उसके इस एसएमएस को देख कर, मैं सोचने लगा कि, मुझे मेरी तबीयत का ख़याल रखने को कहा और खुद की तबीयत खराब कर ली. ये एसएमएस तो अपनी तबीयत का ख़याल रखने के लिए, अब मुझे इसको भेजना चाहिए.
ये बात मेरे दिमाग़ मे आते ही मेरा मन किया कि, मैं ये एसएमएस कीर्ति को भेज दूं. लेकिन मुझे इस बात का डर भी लग रहा था कि, कहीं मेरा एसएमएस जाने से उसकी नींद ना टूट जाए. इसलिए मैं चाह कर भी उसे मेसेज भेजने की हिम्मत नही जुटा पा रहा था. मैं मेसेज भेजू या ना भेजू की अजीब सी कशमकश मे फसा हुआ था.
मगर फिर मेरे दिमाग़ मे ख़याल आया कि, मैं कीर्ति के दूसरे मोबाइल पर बहुत कम कॉल या एसएमएस करता हूँ और उस मोबाइल का इस्तेमाल कीर्ति सिर्फ़ मुझे कॉल करने के लिए करती है. ऐसे मे यदि मैं उस मोबाइल पर एसएमएस करता हूँ तो, कीर्ति को, मेरा मेसेज तभी दिखाई देगा, जब वो मुझे कॉल करने के लिए मोबाइल उठाएगी.
ये बात सोचते हुए, मैने अपनी सारी ताक़त जुटाई और डरते डरते कीर्ति के दूसरे मोबाइल पर वो एसएमएस भेज दिया. अब धड़कते दिल से ये देखने लगा कि, कहीं कीर्ति का कोई एसएमएस या कॉल तो नही आ रहा है. जब थोड़ी देर तक कीर्ति का कोई कॉल या एसएमएस नही आया तो, मैने राहत की साँस ली और फिर से लेट कर सोने की कोसिस करने लगा.
मगर हुआ वो ही, जिस से मैं डर रहा था. अभी मुझे आँख बंद किए कुछ ही देर हुई थी कि, कीर्ति का कॉल आने लगा. मैं फ़ौरन उठ कर बैठ गया और कीर्ति का कॉल उठाते हुए कहा.
मैं बोला “हेलो.”
कीर्ति बोली “जान, इतनी रात को क्या तुमको मेसेज मेसेज खेलना है.”
उसकी आवाज़ से वो उनीदी सी लग रही थी और उसकी आवाज़ बहुत रुक रुक कर आ रही थी. मुझे अब अपने एसएमएस करने की ग़लती पर पछतावा हो रहा था. इसलिए मैने उस से कहा.
मैं बोला “सॉरी, वो मैने ऐसे ही मेसेज कर दिया था. तू अपनी नींद खराब मत कर और सो जा.”
कीर्ति बोली “आइ लव यू जान, मुऊऊऊहह.”
मैं बोला “आइ लव यू, मुउउहह. अब तू सो जा.”
कीर्ति बोली “ओके जान, लेकिन तुम क्यो जाग रहे हो. क्या तुमको सोना नही है.”
मैं बोला “मुझे नींद नही आ रही है. लेकिन तू मेरी फिकर मत कर और अब कॉल रख.”
कीर्ति बोली “लेकिन तुम क्यो बैठे हो. तुम भी सो जाओ ना.”
मैं बोला “ठीक है, मैं भी सो जाता हूँ, पर अब तू कॉल रख.”
कीर्ति बोली “नही, मुझे कॉल नही रखना. तुम मुझे पकड़ कर सो जाओ.”
वो बहुत ज़्यादा नींद के नशे मे लग रही थी. इसलिए अब मुझे उस से ज़्यादा बहस करना ठीक नही लगा. इसलिए मैने लेटते हुए कहा.
मैं बोला “ये ले, मैं भी लेट गया. अब तू सो जा.”
कीर्ति बोली “अब अपनी आँख बंद करो और मुझे ज़ोर से पकड़ लो. मैं तुम्हारे सर पर हाथ फेरती हूँ.”
कीर्ति उनीदी सी हालत मे बुदबुड़ाए जा रही थी. मैने उसकी बात सुनकर अपनी आँख बंद कर ली. उसका बुदबुदाना और उसकी सांसो की आवाज़ से मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि, जैसे वो मेरे पास ही है.
कुछ देर मे मे उसका बुदबुदाना बंद हो गया और वो सो गयी. मगर उसकी साँसों की आवाज़ अभी भी सुनाई दे रही थी. जिस से मुझे बहुत सुकून मिल रहा था और इस सुकून को महसूस करते करते, पता नही कब, मैं भी गहरी नींद की आगोश मे चला गया.
|