RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मुझे इतनी ज़्यादा सुकून भरी नींद आई कि, सुबह 8:30 बजे किसी के दरवाजा खटखटाने पर ही मेरी नींद खुली. मैने दरवाजा खोला तो सामने प्रिया खड़ी थी. उसने बताया कि मेहुल लोग अमन के घर से सुबह वापस लौटे है.
मैने उस से निक्की के बारे मे पुछा तो उसने बताया कि, निक्की वही पर है. लेकिन 11 बजे तक आने का बोली है. इसके बाद वो मुझे फ्रेश होने का बोल कर वापस चली गयी और मैं फ्रेश होने चला गया.
मैं फ्रेश होकर तैयार होने लगा और तभी प्रिया चाय नाश्ता लेकर आ गयी. लेकिन आज उसके चेहरे से उसकी जानी पहचानी मुस्कान गायब थी. उसने फीकी सी मुस्कान के साथ मुझे चाय नाश्ता करने को कहा और मेरे पास ही बैठ गयी.
शायद कल देर रात तक रिया के मेरे कमरे मे रहने की वजह से उसके मन मे बहुत से सवाल थे. मगर शायद वो मेरे नाराज़ हो जाने के डर से, चाह कर भी कुछ पुच्छ नही पा रही थी. मैं उसकी इस परेशानी को समझ रहा था. इसलिए मैने उसकी इस परेशानी को दूर करने के लिए बात बनाते हुए उस से कहा.
मैं बोला “यार तुमने मुझे इतनी जल्दी क्यो जगा दिया. आज मेरी नींद पूरी नही हो पाई है.”
मुझे लगा था कि, प्रिया मुझसे मेरी नींद पूरे ना होने की वजह पुछेगि और मुझे इसी बहाने रिया की बात बताने का मौका मिल जाएगा. लेकिन उसने मेरी इस बात का सीधा सा जबाब देते हुए कहा.
प्रिया बोली “सॉरी, वो निक्की 11 बजे आने का बोली थी और तुम 8:30 बजे तक सोकर नही उठे थे. मुझे लगा कि तुमको तैयार होने और नाश्ता वग़ैरह करने मे देर ना हो जाए, इसलिए मैने तुमको जगा दिया, वरना मैं तुमको सोने देती. वैसे भी तुमको जगाने का ठेका तो निक्की ने ही लेकर रखा है.”
ये कह कर वो ज़ोर से खिलखिलाने लगी. मगर अब मैं उसकी इस हँसी को अच्छे से समझने लगा था. उसकी हँसी, उसके असली जज्बातों को छिपाने का सिर्फ़ एक परदा थी और ये परदा उसके चेहरे पर हमेशा रहता था.
मगर अब उसकी ये हँसी मेरे दिल को चोट पहुचाती थी. मैं उसके चेहरे पर नकली हँसी नही, बल्कि हमेशा असली हँसी देखना चाहता था. इसलिए अब मैने प्रिया के कोई सवाल करने का इंतजार करना ठीक नही समझा और खुद ही उसे रात को रिया से हुई वो बातें बताना सुरू कर दिया, जो बातें उसके लिए जानना ज़रूरी था.
वो बड़े गौर से मेरी बातें सुन रही थी और धीरे धीरे उसकी आँखें आँसुओं से भीग गयी. मेरी बात ख़तम होने के बाद, उसने अपने चेहरे से आँसुओं को सॉफ किया और फिर बिना कुछ कहे उठ कर जाने लगी. उसे इस तरह जाता देख, मैने फ़ौरन उसका हाथ पकड़ कर, उसे रोकते हुए कहा.
मैं बोला “तुम कहाँ जा रही हो. मैने ये बात सिर्फ़ तुमसे इसलिए बताई है, ताकि तुम्हारे मन मे रिया की किसी बात की वजह से कोई ग़लतफहमी ना रहे. लेकिन यदि ये सब बातें तुम रिया से जाकर करोगी तो, उसे ये जान कर बहुत दुख होगा कि, उसकी छोटी बहन उसके बारे मे इतना सब कुछ जानती है. वो बेचारी ये बात जानने के बाद खुद की ही नज़रो मे गिर जाएगी.”
मेरी बात सुनकर प्रिया वापस अपनी जगह पर बैठ गयी. लेकिन उसकी आँखों से आँसू अभी भी बह रहे थे. इस समय उसके दिल की जो हालत थी, मैं अच्छी तरह समझ रहा था. फिर भी मैने माहौल को हल्का बनाने के लिए प्रिया के आँसू पोछ्ते हुए कहा.
मैं बोला “तुम्हारी आँखों मे आँसू अच्छे नही लगते. तुम हँसती हुई ही अच्छी लगती हो. इसलिए हमेशा हँसती ही रहा करो. मेरी मोम कहती है कि, जो रिश्ते दिल से निभाए जाते है, उनमे प्यार और अपनापन हमेशा बना रहता है. ऐसे रिश्ते अपने दिल की बात कहने के लिए शब्दो के मोहताज नही होते. इसलिए तुम रिया से इस बारे मे कुछ मत कहो. ये ही तुम दोनो के लिए अच्छा है.”
अभी मैं प्रिया को समझा ही रहा था कि, तभी मेरा मोबाइल बजने लगा. मैने कॉल उठाया तो, छोटी माँ का कॉल था. मैने प्रिया को ये बात बताई और फिर छोटी माँ का कॉल उठाते हुए कहा.
मैं बोला “जी छोटी माँ.”
छोटी माँ बोली “क्या कर रहा था तू.”
मैं बोला “कुछ नही छोटी माँ, बस आपकी ही बात याद कर रहा था.”
छोटी माँ बोली “आज कल तू बहुत बातें बनाने लगा है. जब भी कॉल करो, बस एक ही बात बोलता है कि, आपको ही याद कर रहा था.”
छोटी माँ की इस बात पर मुझे हँसी आ गयी. मैं उनको अपनी सफाई देते हुए कहा.
मैं बोला “अब इसमे मैं क्या कर सकता हूँ. मैं जब भी आपको याद करता हूँ, आप कॉल कर देती हो.”
छोटी माँ बोली “चल ठीक है. मैने ये बताने के लिए कॉल किया था कि, मैने कार बुक्ड कर दी है और पेमेंट भी कर दी है. तुम आज 12 बजे के बाद ऑडी कार शोरुम मे जाकर कार उठा लेना.”
ये बात सुनकर, मेरी खुशी का ठिकाना नही रहा. अब तक प्रिया भी अपने आपको संभाल चुकी थी. उसने अचानक मुझे इतना खुश देखा तो इशारे से पुछ्ने लगी. मैने उसे थोड़ा रुकने का इशारा किया और छोटी माँ से कहा.
मैं बोला “छोटी माँ, ये तो आपने बहुत अच्छी खबर दी है. मगर आपने मुझसे बिना पुच्छे ही कार क्यो बुक्ड कर दी. कम से कम मुझसे कार का कलर ही पुच्छ लेती. अब पता नही आपने कौन सा कलर लिया है.”
मेरी बात सुनकर छोटी माँ ने हंसते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “तू नाराज़ क्यो होता है. कीर्ति ने मुझे बताया था कि, तूने रेड कलर की ऑडी कार लेने की बात सोची है. इसलिए मैने रेड कलर ही लिया है.”
छोटी माँ की इस बात ने मुझे हैरान कर दिया. मुझे समझ मे नही आया कि, मैने कब कीर्ति से ये बात कह दी थी. क्योकि ना तो मैने ऐसा कुछ सोचा था और ना ही ऐसा कुछ कीर्ति से कहा था.
फिर भी कीर्ति ने छोटी माँ के सामने मेरा नाम लेकर ये बात कह दी थी तो, मुझे भी छोटी माँ के सामने चुप रह जाना पड़ा. इसके बाद मैने छोटी माँ से इस बारे मे कोई ओर बात नही की और उनसे थोड़ी बहुत ज़रूरी बातें करके कॉल रख दिया.
छोटी माँ से बात हो जाने के बाद, मैने प्रिया की तरफ देखा तो, अब उसके चेहरे पर वो ही पहले वाली मुस्कान थी. शायद मेरी और छोटी माँ की बातें सुनकर, उसका मूड ठीक हो गया था. मेरे कॉल रखते ही उसने मुझसे कहा.
प्रिया बोली “क्या तुम कोई कार ले रहे हो.”
मैं बोला “हां, मेरी मोम शादी मे शिखा दीदी को एक कार गिफ्ट कर रही है. उन्हो ने ये बताने के लिए कॉल किया था कि, मैं ऑडी कार शोरुम मे जाकर कार उठा लूँ.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया फटी फटी सी आँखों से मुझे देखने लगी. जैसे मैने कोई बहुत बड़ी हैरानी वाली बात कह दी हो. उसे इस तरह से हैरान देख कर मैने उस से कहा.
मैं बोला “क्या हुआ.? तुम इस तरह मुझे क्यो देख रही हो.”
प्रिया बोली “तुम ठीक कहते थे. तुम्हारी मोम सच मे दुनिया की सबसे अच्छी मोम है.”
उसकी ये बात सुनकर मुझे हँसी आ गयी और मैने उस से पुछा.
मैं बोला “क्यो ऐसा क्या हुआ, जो आज तुमको मेरी ये बात सच लगने लगी. क्या शिखा दीदी को कार गिफ्ट कर देने से तुमको ऐसा लग रहा है.”
प्रिया बोली “नही, बात सिर्फ़ कार गिफ्ट करने की नही है. बात ये है कि, तुम्हारी मोम शिखा दीदी को जानती तक नही है. वो सिर्फ़ तुम्हारी खुशी के लिए ये सब कर रही है. वो एक माँ की तरह तुम्हारी देख भाल करती है और एक दोस्त की तरह तुम्हारा साथ भी देती है. तुमने पिच्छले जनम मे ज़रूर बहुत अच्छे करम किए होगे, इसलिए तुम्हे इस जनम मे ऐसी मोम मिली है.”
प्रिया के मूह से छोटी माँ के लिए ये सब बातें सुनकर, मेरा दिल खुश हो गया. मैने मुस्कुराते हुए, प्रिया से कहा.
मैं बोला “मेरी मोम की इतनी तारीफ के लिए थॅंक्स.”
इसके आगे हम लोग कोई और बात कर पाते कि, हमे बाहर से शोर शराबे की आवाज़ें आने लगी. ये आवाज़ें सुन कर हम एक दूसरे को देखने लगे. फिर प्रिया ने बाहर चल कर देखने को कहा तो, मैं उसके साथ उठ कर बाहर हॉल मे आ गया.
वहाँ नितिका और उसकी मोम मोहिनी के बीच किसी बात को लेकर कहा सुनी चल रही थी. राज, रिया, मेहुल, दादा जी और पद्मिनी आंटी सभी वहाँ पर मौजूद थे. नितिका इस समय एक ब्लॅक मिनी स्कर्ट टॉप मे थी. जो बेहद ही भड़कीला था.
उसे इस ड्रेस मे देख कर मुझे समझते देर नही लगी कि, हो ना हो सारी कहा सुनी इसी बात पर चल रही है. फिर भी मामले को समझने के लिए मैं खामोश होकर उन सबकी बातें सुनने लगा.
आंटी और दादा जी उन दोनो को शांत करवाने की कोसिस कर रहे थे. लेकिन पता नही मोहिनी आंटी ने ऐसी क्या बात बोल दी थी, जिसकी वजह से नितिका कुछ ज़्यादा ही गुस्से मे नज़र आ रही थी. उसने अपनी मोम पर गुस्से मे चीखते हुए कहा.
नितिका बोली “आप अपने आपको समझती क्या है. आप जब चाहे जिसकी बेज़्जती कर देगी और आप को कोई कुछ नही कहेगा. आज आपने आंटी के उपर उंगली उठा कर अच्छा नही किया. अब आप भी कान खोल कर सुन लीजिए. आज से मैं आपकी कोई भी बेहूदा बात नही सुनूँगी. मुझे क्या पहनना है, क्या खाना है, इसका फ़ैसला मैं खुद ही करूगी. आपको मेरी किसी बात मे टाँग अडाने की ज़रूरत नही है.”
नितिका ने बुरी तरह से मोहिनी आंटी को झिड़का था और उसकी इस बात को सुनकर मोहिनी आंटी का पारा भी बहुत चढ़ गया था. वो गुस्से मे नितिका को बकते हुए कहा.
मोहिनी आंटी बोली “बित्ते भर की छोरि और अपनी माँ से ज़ुबान लड़ाती है.”
ये कहते हुए मोहिनी आंटी ने नितिका को थप्पड़ मारने के लिए अपना हाथ उठाया, मगर नितिका ने उनका हाथ बीच मे ही पकड़ कर थप्पड़ पड़ने से रोक लिया. मोहिनी आंटी अपना हाथ छुड़ाने की कोसिस करने लगी. मगर नितिका ने मजबूती से उनका हाथ पकड़ा रखा.
नितिका का ये रूप मेरे लिए बिल्कुल ही नया था और एक तरह से वो अपनी मोम की सबके सामने खुल कर बेइज़्ज़ती कर रही थी. लेकिन मोहिनी आंटी ने जो बातें कीर्ति और निक्की के लिए बोली थी. उन बातों की वजह से मुझे उनके साथ ये सब होते देख कर खुशी हो रही थी.
मगर नितिका को ऐसा करते देख कर प्रिया आगे बड़ी और उसने नितिका से मोहिनी आंटी का हाथ छुड़ाते हुए, गुस्से मे सब से कहा.
प्रिया बोली “आप सब खड़े होकर ये तमाशा देख रहे है. आप सब से ये भी नही हुआ कि, दीदी को ऐसा करने से रोक दे.”
लेकिन किसी के कुछ बोलने के पहले ही, प्रिया की इस बात का जबाब नितिका ने देते हुए कहा.
नितिका बोली “कोई तमाशा नही देख रहा है. ये औरत इसी लायक है कि, सब इसकी बेज़्जती करते रहें. सीरू दीदी ठीक ही कहती थी कि, ये गाओं की गँवार है और इसे तो यहाँ मुंबई मे घुसने ही नही देना चाहिए था.”
नितिका की इस बात पर प्रिया ने गुस्से मे उसको घूरते हुए कहा.
प्रिया बोली “खबरदार दीदी, यदि आपने चाची के साथ ज़रा भी बदतमीज़ी की तो, मुझसे बुरा कोई नही होगा. वो आपकी माँ है और उनके साथ तमीज़ से बात कीजिए.”
मगर नितिका पर प्रिया की इस बात का ज़रा भी असर नही पड़ा. उसने उल्टा प्रिया को समझाते हुए कहा.
नितिका बोली “तुझे पता भी है, इस औरत ने तेरे बारे मे कितनी गंदी बात कही है. यदि तू सुन लेती तो, तू इसका मूह ही नोच लेती. मुझे तो अब इसको अपनी माँ कहते हुए भी शरम आ रही है.”
नितिका की इस बात ने मुझे भी सोचने पर मजबूर कर दिया कि, आख़िर मोहिनी आंटी ने ऐसी क्या बात बोल दी थी. जिसकी वजह से नितिका ही अपनी मोम के खिलाफ खड़ी हो गयी थी और इतना ज़्यादा भड़की हुई थी. लेकिन प्रिया ने नितिका की इस बात को सुनकर भी अनसुना करते हुए उस से कहा.
प्रिया बोली “बस दीदी, अब बहुत हो गया. चाची ने मुझे क्या बोला और क्या नही बोला, मुझे कुछ नही जानना. आप अभी के अभी चाची से अपनी ग़लती की माफी माँगो.”
नितिका बोली “मैने कोई ग़लती नही की और ना ही मैं इस औरत से अपनी किसी बात के लिए माफी माँगूंगी.”
लेकिन प्रिया भी कम जिद्दी नही थी. उसने अपनी बात को दोहराते हुए कहा.
प्रिया बोली “दीदी, आपको मेरी कसम है. आप चाची से अपनी ग़लती की माफी माँगो.”
मगर नितिका ने उसकी बात मानने से इनकार करते हुए कहा.
नितिका बोली “नही, मैं किसी बात की माफी नही माँगूंगी. तुझे जो समझना है, समझ ले.”
प्रिया बोली “दीदी, आपको मैने अपनी कसम दी है. आप अभी के अभी चाची से माफी माँगो, वरना आप मेरा मरा हुआ मूह देखोगी.”
प्रिया की इस ज़िद के आगे नितिका को झुकना ही पड़ गया. उसने मोहिनी आंटी को सॉरी कहा और फिर गुस्से मे पलट कर, अपने कमरे मे चली गयी. उसके जाते ही दादा जी भी अपने कमरे मे चले गये.
मोहिनी आंटी शांत खड़ी थी और पद्मिनी आंटी की आँखों मे नमी छाइ हुई थी. मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था कि, यहाँ हुआ क्या है. मगर प्रिया को जैसे ये सब जानने की कोई उत्सुकता ही नही थी. उसने मोहिनी आंटी का हाथ पकड़ कर उन्हे बैठाते हुए कहा.
प्रिया बोली “चाची, नीति दीदी ने आपके साथ जो बदतमीज़ी की है, उसके लिए मैं आपसे माफी मांगती हूँ. मैं जानती हूँ कि, आपको मैं और मेरी हरकतें पसंद नही है. मगर मैं आपसे वादा करती हूँ कि, आज के बाद आपको मेरी वजह से नीति दीदी से कोई शिकायत नही होगी.”
ये कहते कहते प्रिया की आँखों मे नमी छा गयी और वो अपनी आँखों की इस नमी को सबसे छुपाने के लिए, वहाँ से उठ कर जाने लगी. मगर राज जो अभी तक खामोशी से सब कुछ देख रहा था. उसने प्रिया का हाथ पकड़ कर उसे जाने से रोकते हुए आंटी से कहा.
राज बोला “चाची, आज नीति ने जो कुछ किया, मैं उसमे उसकी ज़रा भी ग़लती नही मानता. ये उसका अपनी बहन के लिए प्यार था, जो गुस्से के रूप मे बाहर निकल कर आया था और आज मैं भी आपसे ये जानना चाहता हूँ कि, मेरी जिस बहन की मुस्कान मेरी जान है, आप उसे बार बार आँसू क्यो देती हो. आपको मेरी इस भोली भाली बहन से इतनी नफ़रत क्यो है. आज आपको मेरे इस सवाल का जबाब देना ही होगा.”
ये कह कर राज मोहिनी आंटी को देखने लगा. वही प्रिया ने मोहिनी आंटी का बचाव करते हुए राज से कहा.
प्रिया बोली “भैया चाची मुझसे नफ़रत नही करती. बस उन्हे मेरी हरकतें पसंद नही है. इसलिए वो मुझे पसंद नही करती है.”
मगर राज ने प्रिया को डाँट कर चुप करते हुए कहा.
राज बोला “तू अपना मूह बंद रख. मैं कोई छोटा बच्चा नही हूँ, जो इनकी इस नफ़रत को भी ना समझ सकूँ. यदि इन्हे तेरे छोटे कपड़े पहनने से परेशानी है तो, फिर ये रिया को क्यो कभी कुछ नही कहती. रिया के साथ तो ये बड़े प्यार से पेश आती है. उसे तो ये कभी तेरी तरह जलील नही करती है. फिर तेरे साथ ये ऐसा क्यो करती है. आज मैं ये जान कर रहूँगा.”
राज की बात सुनकर, मोहिनी आंटी यहाँ वहाँ देखने लगी. उन्हे देख कर ऐसा लग रहा था कि, जैसे राज ने उनकी कोई चोरी पकड़ ली हो. मगर एक बार फिर प्रिया ने एक बार फिर मोहिनी आंटी का बचाव करते हुए कहा.
प्रिया बोली “भैया, वो मेरी चाची है और उन्हे मुझे कुछ भी बोलने का पूरा हक़ है. आपको मेरी कसम है. अब आप चाची से इस बारे मे कुछ नही पुछेगे. आप क्या, कोई भी उनसे कुछ नही पुछेगा.”
प्रिया की इस बात पर राज गुस्से मे उसकी तरफ देखने लगा. मगर प्रिया ने उसे गुस्से मे देखा तो, बड़ी मासूमियत से अपने कान पकड़ लिए और अपना सर हिला कर उसे गुस्सा ना करने के लिए कहने लगी.
प्रिया की इस मासूमियत और उसकी कसम के सामने राज बेबस हो गया. मगर उसका गुस्सा कम नही हुआ और वो वहाँ से चला गया. राज के वहाँ से चले जाने के बाद वहाँ खामोशी छा गयी.
अब वहाँ के इस तनाव भरे महॉल मे एक पल के लिए भी रह पाना मेरे लिए मुश्किल हो गया था. मैने मेहुल की तरफ देखा तो, उसने वहाँ से चलने का इशारा किया और फिर हम दोनो वहाँ से अंकल के कमरे मे आ गये.
अंकल के पास आते ही, अंकल इस शोर शराबे की वजह पुच्छने लगे. तब मेहुल ने बताया कि, हम सब नाश्ता कर रहे थे. नाश्ते के बाद, नितिका ने बताया कि, प्रिया ने उसे एक ड्रेस गिफ्ट की है. इतना बोल कर वो हम सब को दिखाने के लिए ड्रेस पहनने चली गयी.
जब वो ड्रेस पहन कर वापस आई तो, उसकी ड्रेस देख कर, मोहिनी आंटी का गुस्सा भड़क गया. उन्हो ने गुस्से मे प्रिया को उलट सीधा बकते हुए कहा कि, डायन खुद तो रंडी की तरह अपना जिस्म दिखाते फिरती है और अब मेरी बेटी को भी वैसा ही बनाना चाहती है. पता नही इसकी रगों मे किसका गंदा खून बह रहा है.
मोहिनी आंटी की इस बात को सुनकर, राज उनको ऐसी बात बोलने के उपर से गुस्सा करने लगा. मगर उस से ज़्यादा गुस्सा नितिका को आ गया. उसने तो सारा घर ही सर पर उठा लिया और मोहिनी आंटी को अपनी माँ मानने से ही इनकार करते हुए उल्टा सीधा बकने लगी.
वो प्रिया को ये सब बोले जाने की वजह से बहुत गुस्से मे थी. उसका कहना था कि, उसकी माँ ने सिर्फ़ प्रिया को ही नही, बल्कि आकाश अंकल और पद्मिनी आंटी के खून को भी गाली दी है और इसके लिए वो अपनी माँ को कभी माफ़ नही करेगी.
नितिका को इस तरह बकते देख दादा जी और पद्मिनी आंटी उसे समझाने की कोसिस करते रहे. लेकिन वो किसी बात सुनने को तैयार नही थी और तभी प्रिया भी वहाँ आ गयी और उसने ये सब झगड़ा शांत कराया. इसके बाद मेहुल वो सब बातें अंकल को बताने लगा, जो मेरे सामने हुई थी.
आज सुबह सुबह ही मोहिनी आंटी ने ऐसा धमाका कर दिया था कि, मेरा सारा मूड खराब हो गया था और ऐसा लग रहा था कि, अब बाकी का सारा दिन भी ऐसा ही गुजरने वाला है.
ये बात सोचते ही मुझे याद आया कि, अभी तो निक्की भी यहाँ आने वाली है. कहीं ऐसा ना हो कि, यहाँ के तनाव की वजह से उसका मूड भी खराब हो जाए. ये बात दिमाग़ मे आते ही, मैं फ़ौरन अपने कमरे मे आ गया.
अपने कमरे मे आते ही मैने फ़ौरन निक्की को कॉल लगा दिया. निक्की से बात करने पर पता चला कि, वो यहंन आने के लिए निकलने ही वाली थी. मगर मैने उसे यहाँ आने से रोकते हुए, उसे सीधे शिखा दीदी के घर पहुचने को कह दिया.
इसके बाद मैने प्रिया को कॉल करके निक्की के यहाँ ना आने के बारे मे बता दिया. जिसके बाद उसने कहा कि, वो अभी तैयार होकर आती है. फिर मैने राज, रिया और मेहुल को भी तैयार होने का बोलने के बाद, मैं उनके आने का इंतजार करने लगा.
कुछ ही देर मे राज और मेहुल तैयार होकर मेरे कमरे मे आ गये. मैं उन्हे कार के बारे मे बता रहा था. तभी रिया भी आ गयी और उसे भी प्रिया की तरह कार के बारे मे सुनकर, बहुत हैरत हुई.
हमारी बात चल ही रही थी कि, तभी राज गुस्से मे दरवाजे की तरफ देखने लगा. उसे इस तरह गुस्से मे दरवाजे की तरफ देखते देख कर, हम सब की नज़र भी दरवाजे की तरफ चली गयी.
लेकिन दरवाजे की तरफ देखते ही, मेरी और मेहुल की आँखे हैरत से खुली की खुली रह गयी. वही जब रिया की नज़र दरवाजे पर पड़ी तो, उसके चेहरे पर भी वो ही भाव आ गये, जो कि राज के चेहरे पर थे.
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