RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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शिखा दीदी के साथ सीरू दीदी, सेलू, आरू और नेहा अंदर जा रही थी. लेकिन निक्की हमारे पास ही खड़ी थी. उसे यहीं पर खड़े देख कर बरखा ने कहा.
बरखा बोली “क्या हुआ, क्या तुम्हे इनके साथ वापस घर नही जाना है.”
निक्की बोली “मुझे भी जाना है दीदी. लेकिन मैं ज़रा रिया से बात करने के लिए रुक गयी हूँ.”
ये कहते हुए वो रिया को यहाँ वहाँ देखने लगी. बरखा ने छोटी माँ से खाने के बारे मे पुछा तो, उन्हो ने थोड़ी देर बाद खाना खाने की बात कह दी. फिर बरखा ने बाकी लोगों से खाना खाने को कहा, मगर सबने छोटी माँ के साथ खाना खाने की बात कही. तब तक रिया और राज भी हमारे पास आ गये. रिया के आते ही निक्की ने कहा.
निक्की बोली “ये क्या था, आपको पता था ना कि, पुन्नू को डॅन्स नही आता और आपको गोरी है कलाइयाँ पर अकेले डॅन्स करना था. फिर आपने अचानक अपना गाना क्यों बदल दिया था.”
निक्की की ये बात सुनकर, रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.
रिया बोली “अरे तो इसमे क्या हो गया. मेरा मन इसके साथ डॅन्स करने का था, इसलिए मैने अपना गाना बदल दिया और तुम सब ने देखा नही कि, इसने कितना अच्छा डॅन्स किया है. ये हम सब से झूठ कहता है कि, इसे डॅन्स करना नही आता.”
लेकिन रिया की इस बात पर निक्की ने गुस्सा करते हुए कहा.
निक्की बोली “क्या आपको ये नही लगा कि, आपकी इस हरकत से हमारा सारा बना बनाया खेल भी बिगाड़ सकता है.”
मुझे लग रहा था कि, निक्की को इस तरह से गुस्सा करते देख कहीं रिया का दिमाग़ खराब हो ना हो जाए. मगर ऐसा कुछ नही हुआ. रिया ने निक्की को गुस्सा करते देखा तो, उसने अपने दोनो कान पकड़ कर कहा.
रिया बोली “सॉरी मेरी बहना, मुझसे ग़लती हो गयी. अब जैसा तुम बोलोगि, मैं बिल्कुल वैसा ही करूगी. अब तुम अपना गुस्सा थूक दो, वरना मेरे आँसू निकालने लगेगे.”
रिया की बात सुनकर, सब हँसने लगे और निक्की के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. वही छोटी माँ ने जब ये सब बातें सुनी तो कहा.
छोटी माँ बोली “तो क्या ये सब तुम लोगों ने पहले से ही तय करके रखा था कि, कौन, कब और किस गाने पर डॅन्स करेगा.”
निक्की बोली “जी आंटी, रिया के डॅन्स को छोड़ कर बाकी सबको किस डॅन्स पर किसके बाद डॅन्स करना है, हम ने सब तय करके रखा था.”
निक्की की इस बात पर छोटी माँ ने हैरान होते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “जब ये सब पहले से ही तय था तो, फिर तुम सबके पास जा जाकर उसको डॅन्स के लिए क्यो मना रही थी.”
निक्की बोली “आंटी, सीधे सीधे सब डॅन्स करने लग जाते तो डॅन्स का मज़ा कम होता. लेकिन इस तरह मना मना कर डॅन्स करवाने से ये मज़ा दुगना हो गया.”
निक्की की ये बात सुनकर, छोटी माँ ने कहा.
छोटी माँ बोली “वैसे ये मना मना कर डॅन्स करवाने का आइडिया किसका था.”
छोटी माँ की इस बात का जबाब रिया ने देते हुए कहा.
रिया बोली “आंटी, इस सब के पीछे सीरू दीदी का दिमाग़ था और मुझे अपना गाना बदलने के लिए भी उन्हो ने ही कहा था. अब वो तो अपना कमाल दिखा कर भाग निकली और मुझे निक्की की दाँत सुनने के लिए छोड़ गयी.”
रिया की बात सुनकर, सब हँसने लगे और मैं सीरू दीदी के बारे मे सोचने लगा. तभी नेहा आ गयी और निक्की को बुला कर ले गयी. उसके जाने के बाद, छोटी माँ ने रिया से कहा.
छोटी माँ बोली “तुम्हारी ये बहन देखने मे ही नही, बल्कि समझदारी और गुस्से मे भी मेरी कीर्ति की ही तरह है.”
छोटी माँ की बात पर रिया ने कहा.
रिया बोली “आंटी, आपको कीर्ति को भी अपने साथ ले आना था. सब इन दोनो को एक साथ देखते तो, इनको जुड़वा बहने ही समझते.”
छोटी माँ बोली “बात तो तुम्हारी सही है. मैं भी यहाँ सबके साथ आना चाहती थी. लेकिन एक घरेलू वजह से मेरे अलावा किसी का आना नही हो सका. लेकिन अगली बार मैं ज़रूर सबको साथ लेकर आउगि.”
इसके बाद, छोटी माँ की ऐसे ही रिया और बाकी लोगों से बात चलती रही. साथ ही साथ डॅन्स भी चल रहा था. फिर 11:30 बजे सीरू दीदी लोग खाना खा कर वापस आ गयी. सीरू दीदी ने हमारे पास आकर छोटी माँ से कहा.
सीरत बोली “आंटी हमारे भैया आपसे मिलने आए है. वो अभी यहा अंदर नही आ सकते, इसलिए वो आपका बाहर ही इंतजार कर रहे है.”
सीरू दीदी की बात सुनकर, हम सब लोग छोटी माँ के साथ बाहर आ गये. घर से कुछ दूर डॉक्टर. अमन की कार खड़ी दिखाई दी. हमारे कार के पास पहुचते ही अजय और अमन दोनो कार से नीचे उतर कर आ गये.
दोनो ने छोटी माँ को देखा तो, हैरानी से बस देखते ही रह गये. क्योकि छोटी माँ उमर मे उन दोनो से ही छोटी थी और ये किसी भी तरह से नही लगता था कि, वो मेरी माँ है.
मैने दोनो का छोटी माँ से परिचय कराया तो, अमन ने छोटी माँ से नमस्ते किया, लेकिन अजय आगे बढ़ कर उनके पैर छुने लगा. छोटी माँ ने उसे ऐसा करने से रोकने की कोसिस की, मगर उसने छोटी माँ की बात नही सुनी और उनके पैर पड़ने के बाद कहा.
अजय बोला “पुनीत से आपकी तारीफ सुन सुन कर मेरे कान पक गये थे. ये हमेशा कहता था कि, मेरी माँ देवी है. लेकिन आज जब आपको देखा तो, पाया की पुनीत सच ही कहता था. फिर भला मैं आप जैसी देवी के पैर छुने से खुद को कैसे रोक सकता था.”
ये कहते हुए अजय ने अमन की तरफ देख और उनका छोटी माँ से परिचय कराया. जिसके बाद अमन ने छोटी माँ से कहा.
अमन बोला “आपको देख कर मैं समझ नही पा रहा हूँ कि, मैं आपको क्या कह कर बुलाऊ. आप मेरे दोस्त की माँ है तो, मुझे आपको आंटी कहना चाहिए, लेकिन आप तो उमर मे मुझसे हम दोनो से ही छोटी है. ऐसे मे आपको आंटी कह कर बुलाना, कुछ अटपटा सा लग रहा है.”
अमन की बात सुनकर, छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “आप को जिस नाम से बुलाने मे अटपटा ना लगे. आप मुझे उस नाम से बुला सकते है. आप चाहे तो, मेरा नाम लेकर भी मुझे बुला सकते है. मुझे किसी भी नाम से पुकारे, मुझे कोई परेशानी नही है.
अमन बोला “आप मेरी बात का बुरा मत मानिए, मेरा कहने का सिर्फ़ ये मतलब था कि, आप उमर मे हमसे छोटी है. यदि हम आपको आंटी कहेगे तो शायद आपको ये बात अच्छी ना लगे.”
अमन की इस बात पर भी छोटी माँ ने मुस्कुरा दिया और फिर मुझे खीच कर अपने पास किया और मुझे खुद से सटाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “आप नाम पर मत जाइए. नाम तो सिर्फ़ पहचान के लिए होते है और मेरे लिए मेरी ये ही पहचान काफ़ी है कि, ये मैं इसकी माँ हूँ. मैं दुनिया की वो खुशनशिब माँ हूँ, जिसने अपनी संतान को जनम बाद मे दिया. लेकिन उसे माँ कहलाने का सुख उसके पहले ही मिल गया. मेरे बेटे के दोस्त भी मेरे लिए मेरे बेटे जैसे है. मुझे इस से कोई फरक नही पड़ता कि, वो मुझसे उमर मे छोटे है या बड़े है.”
छोटी माँ की बात सुनकर, अमन सोच मे पड़ गया. लेकिन अजय ने दोनो की बात के बीच मे आते हुए कहा.
अजय बोला “आप लोग ये सब बातें फुरसत मे करते रहना. अभी रात ज़्यादा हो रही है और हमे घर भी जल्दी वापस जाना है. इसलिए अभी आप सिर्फ़ इतना बताइए कि, आपने कहाँ पर रुकने का सोचा है. आप यहीं पर रुकेगी या फिर हमारे साथ हमारे घर चलना पसंद करेगी.”
अजय की ये बात सुनते ही बरखा ने बात को बीच मे काटते हुए कहा.
बरखा बोली “आपको आंटी के रुकने की चिंता करने की ज़रूरत नही है. दीदी ने आंटी का रुकने का इंतज़ाम आपके कमरे मे कर दिया है. इसलिए अब आंटी हमारे साथ ही रहेगी.”
बरखा का ये जबाब सुनकर, अजय और अमन दोनो हँसने लगे. फिर अजय ने बरखा को अपनी सफाई देते हुए कहा.
अजय बोला “मैं तुम्हारी आंटी को कही नही ले जा रहा हूँ. मैने तो ये बात सिर्फ़ इसलिए कही कि, उनको यदि यहाँ रुकने मे कोई तकलीफ़ हो रही हो तो, वो हमारे साथ रुक सकती है. अब क्या अपने घर आए मेहमान का ख़याल रखना भी बुरा है.”
बरखा ने भी अजय की इस बात का जबाब उसी के अंदाज़ मे देते हुए कहा.
बरखा बोली “पहली बात तो आंटी मेहमान नही है और दूसरी बात आंटी हमारे साथ ही रहेगी. उन्हे हमारे साथ रहने मे कोई परेशानी नही है.ये बात खुद आंटी ने हमसे कही है.”
बरखा की बात सुनकर, अजय ने उसके सामने हार मान ली और फिर छोटी माँ से कहा.
अजय बोला “मेरी शिखा से बात हुई थी. उसने आपके आने का बताया और ये भी बताया कि, आप शादी मे कितना कुछ खर्च कर रही है. मुझे लगता है कि, सिर्फ़ थोड़े दिनो की जान पहचान मे इतना सब कुछ करना सही नही है. यदि आपको बुरा ना लगे तो, आप इतना सब खर्च मत कीजिए.”
अजय की इस बात के जबाब मे छोटी माँ ने उसे समझाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “देखिए, मैं आपकी इस परेशानी का मतलब समझ सकती हूँ. लेकिन ये आपकी ग़लतफहमी है कि, मैं शिखा की शादी मे कुछ खर्च कर रही हूँ. मैं शिखा के लिए सिर्फ़ एक जोड़ी ल़हेंगा चोली लेकर आई हूँ. इसके अलावा मैं कुछ भी खर्च कर नही कर रही हूँ.”
छोटी माँ की ये बात सुनकर, अजय कुछ परेशान सा हो गया. उसने अपनी इस परेशानी को छोटी माँ के सामने रखते हुए कहा.
अजय बोला “ये आप क्या बोल रही है, मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रहा है. निक्की ने दिन मे मुझे बताया था कि, आपने शिखा को देने के लिए एक कार ली है. फिर अभी जब मेरी शिखा से बात हुई तो, उसने मुझे बताया कि आप उसे 20-25 लाख के गहने (ज्यूयेल्री) और हर बराती को विदाई मे गोल्ड रिंग दे रही है. क्या निक्की और शिखा ने जो कहा, वो सब झूठ है.”
अजय की इस बात के जबाब मे छोटी माँ ने एक छोटा सा जबाब देते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “हां वो झूठ है.”
छोटी माँ के ये जबाब सुनकर, तो बाकी सब के साथ साथ मैं खुद भी हैरान रह गया. वही निक्की ने छोटी माँ के सामने आते हुए कहा.
निक्की बोली “लेकिन आंटी, कार लेने तो मैं खुद गयी थी और आपकी ली हुई कार वो सामने खड़ी है.”
ये कहते हुए निक्की ने कार की तरफ इशारा कर दिया. जिसे देखने के बाद, अजय फिर से सोच मे पड़ गया. लेकिन शैतानो की नानी सीरू दीदी के दिमाग़ मे ना जाने क्या आया कि, उन्हो ने मुस्कुराते हुए छोटी माँ से कहा.
सीरत बोली “आंटी यदि मैं ग़लत नही हूँ तो, वो जो कार खड़ी है, पुन्नू शिखा भाभी को दे रहा है ना.”
छोटी माँ बोली “हां, दे रहा है.”
सीरत बोली “ऑर वो जो गहने (ज्यूयेल्री) और गोल्ड रिंग देने की बात थी. वो भी पुन्नू ही दे रहा है.”
छोटी माँ बोली “हां, ये सब पुन्नू ही दे रहा है. मैने कभी भी नही कहा कि, ये सब मैं दे रही हूँ.”
छोटी माँ की इस बात से सबकी जान मे जान आ गयी. थोड़ी देर के लिए तो छोटी माँ की बात ने सबकी जान ही निकाल कर रख दी. मैं भी उनके इस गोल मोल जबाब देने का मतलब नही समझ पा रहा था. अजय थोड़ी देर तक कुछ सोचता रहा और फिर उसने छोटी माँ से कहा.
अजय बोला “आंटी, यदि आप बुरा ना माने तो, मैं आपसे अकेले मे कुछ बात करना चाहता हूँ.”
अजय की बात सुनकर, छोटी माँ ने उसे अकेले मे बात करने की सहमति दे दी. जिसके बाद, अजय, अमन और छोटी माँ हम लोगों से थोड़ी दूर जाकर कुछ बात करने लगे. हम सब उनको दूर से ही बात करते देख रहे थे.
पहले अजय ने छोटी माँ से कुछ कहा, जिसके जबाब मे छोटी माँ ने बोलना सुरू किया तो वो बहुत देर तक बोलती ही रही. हम लोगों को ये तो समझ मे नही आ रहा था कि, उनके बीच क्या बात चल रही है. लेकिन इतना ज़रूर समझ मे आ रहा था कि, उनके बीच कोई बहुत ही गंभीर बात चल रही है.
उन लोगों मे लगभग आधे घंटे तक बातें होती रही. फिर उसके बाद, वो लोग हमे वापस आते दिखे. हम सब इस बात को जानने के लिए बेचैन थे कि, इनकी इस बात चीत का नतीजा क्या निकला है.
वो जब हमारे पास आए तो तीनो के चेहरे पर मुस्कुराहट थी. जिसे देख कर हम लोगों के इतना समझ मे तो आ गया था कि, वो जिस बात पर इतनी देर तक आपस मे बात कर रहे थे, उस पर उनकी आपसी सहमति बन गयी है.
लेकिन हम अब भी इस बात से अंजान थे कि, उनके बीच इतनी देर तक क्या बात चल रही थी. मगर हमको उनके बीच चल रही बात चीत से ज़्यादा उसका नतीजा जानने की बेचैनी थी और हमारी इस बेचैनी को अजय ने आते ही दूर करते हुए कहा.
अजय बोला “तुम सब ये जानने के लिए बेचैन होगे कि, हम लोग इतनी देर अकेले मे क्या बात कर रहे है. असल मे मैं और अमन आंटी को समझाने की कोसिस कर रहे थे कि, वो इस शादी मे इतना खर्च ना करे. लेकिन आंटी की बात सुनने के बाद हमे इस बात को मानना पड़ा कि, पुन्नू को अपनी बहन की शादी मे कुछ भी करने का पूरा हक़ है. इसलिए वो जो कुछ भी करना चाहता है, कर सकता है. अब हम उसे कुछ भी करने से नही रोकेगे.”
अजय की बात सुनकर, सब खुश हो गये. लेकिन अजय की बात ख़तम होते ही अमन ने उस से भी बड़ी बात सुनते हुए कहा.
अमन बोला “मेरी शादी तो दिन की है और अज्जि की शादी रात की है. इसलिए मैने सोचा है कि, यदि पुन्नू इतने कम समय मे बारातियों का स्वागत करने की तैयारी कर सकता है तो, हम बारात यही ले आएगे.”
अमन की ये बात सुनते ही, मैं, बरखा और निक्की हैरानी से एक दूसरे को देखने लगे. हमे समझ मे नही आ रहा था कि, ये अचानक क्या और कैसे हो गया. हम मे से किसी ने भी नही सोचा था कि, शिखा दीदी की बारात उनके दरवाजे पर आने का, शेखर भैया का ये सपना भी पूरा हो सकता है.
मगर अब हमारे पास इतना समय नही था कि, हम बारातियों के स्वागत करने का इंतज़ाम कर सकें. क्योकि अब बारात लगने मे 20 घंटे से भी कम का समय बाकी था. ऐसे मे इतने सारे बारातियों का इंतेजाम करना नमुकिन ही था. इसलिए अमन की बात सुनकर भी, हमारे चेहरे पर रौनक नही आई. वही अमन ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.
अमन बोला “पुन्नू चाहे तो, इंतज़ाम करने मे मैं पुन्नू की मदद कर सकता हूँ. लेकिन इसमे होने वाला सारा खर्च उसे खुद उठाना पड़ेगा.”
अमन की ये बात सुनकर, मैने छोटी माँ की तरफ देखा तो, उन्हो ने हां मे सर हिलाया. उनकी सहमति मिलने से खर्च उठाने की परेशानी तो दूर हो गयी थी. लेकिन फिर भी ये इतना आसान काम नही था. तभी राज ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.
राज बोला “यदि ऐसा करना चाहते हो तो, इंतज़ाम की फिकर मत करो. हम सारा इंतज़ाम कर लेगे.”
राज की बात सुनकर, हीतू ने भी मेरे पास आते हुए कहा.
हितेश बोला “राज ठीक कहता है. ये काम मुश्किल ज़रूर है. मगर मुझे यकीन है कि, हम ऐसा कर लेगे.”
राज और हीतू दोनो ने मेरा हौसला बढ़ा रहे थे. लेकिन ये जोश मे नही, होश मे फ़ैसला लेने का समय था. क्योकि यहा बात सिर्फ़ बारातियों के स्वागत की नही, बल्कि दो परिवार के मान सम्मान की थी और मैं इसलिए कोई जोखिम उठाना नही चाहता था.
सब मेरे जबाब का इंतजार कर रहे थे और मैं अपनी इसी उलझन मे उलझा हुआ था. तभी छोटी माँ ने मेरे पास आकर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “क्या तुम जानते हो, बाज़ीगर किसे कहते है.”
मैं समझ गया था कि, छोटी माँ मेरा हौसला बढ़ाना चाहती है. इसलिए मुझसे ये सवाल कर रही है. मगर उनकी इस बात से भी मुझे हौसला नही मिल रहा था. मैने उनकी बात का जबाब देते हुए कहा.
मैं बोला “हां, मैं जानता हूँ. जो हार को भी जीत मे बदलना जानता हो, वो बाज़ीगर कहलाता है. मगर यहाँ पर हार का मतलब सिर्फ़ और सिर्फ़ दो परिवारों के मान सम्मान को ठेस पहुचाना है. इसलिए मैं कोई बाज़ीगर बनना नही चाहता.”
मेरी इस बात पर छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “गुड, मैं भी तुम्हे बाज़ीगर बनते नही देखना चाहती. क्योकि बाज़ीगर कभी वो बाज़ी नही खेलता, जिसमे उसे उसकी जीत नज़र ना आ रही हो. मगर क्या तुम ये जानते हो कि सिकंदर किसे कहते है.”
छोटी माँ के इस सवाल का जबाब सच मे मेरे पास नही था. मैने उनकी तरफ देखते हुए, ना मे सर हिला दिया. तब उन्हो ने मुस्कुराते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “जो सिर्फ़ जीतना जानता हो, वो सिकंदर कहलाता है. उसे कभी हार का डर नही होता, क्योकि वो कभी हार के बारे मे सोचता ही नही है. उसका मकसद सिर्फ़ जीत हासिल करना रहता है और वो हर हाल मे जीत हासिल करके ही रहता है.”
“तुम्हारे पापा की सोच हमेशा एक बाज़ीगर की तरह की रही. उन्हो ने वो बाज़ी कभी नही खेली, जिसमे उन्हे उनकी जीत दिखाई ना देती हो और आज वो ही सोच मुझे तुम्हारी भी नज़र आ रही है.”
“लेकिन मैं तुम्हे कोई बाज़ीगर नही, बल्कि एक सिकदर बनते देखना चाहती हूँ. अब ये फ़ैसला तुम्हारे उपर है कि, तुम एक बाज़ीगर की तरह, इस बाज़ी मे तुम्हे अपनी जीत नज़र ना आने के डर से इस से पिछे हट जाते हो या फिर एक सिकंदर की तरह सिर्फ़ जीत के लिए आगे बढ़ कर जीत हासिल करते हो.”
इतना कह कर छोटी माँ चुप हो गयी. लेकिन उनकी कही पापा वाली बात ने मेरे दिल पर तीर की तरह असर किया. मैं दुनिया का ऐसा एकलौता बेटा था, जो अपने बाप की तरह बनना नही चाहता था.
मैं हर हाल मे अपने बाप को नीचा दिखाना चाहता था और मेरे दिल मे मेरे बाप के लिए जो नफ़रत थी, उसने मेरे अंदर एक नया जोश भर दिया था. इसलिए मैने अमन से उसकी बात की हामी भरते हुए कहा.
मैं बोला “हम बारातियों के स्वागत का सारा इंतज़ाम करने को तैयार है. लेकिन यदि यहाँ पर शादी हुई तो, फिर निशा भाभी इस शादी मे कैसे शामिल हो पाएगी.”
मेरी बात सुनकर, अमन ने मुस्कुराते हुए कहा.
अमन बोला “इसकी फिकर तुम बिल्कुल मत करो. शादी मे जो सब बदलाव हुआ है, उससे होने वाली परेशनियों से निपटना मेरा काम है. लेकिन अब तुम्हारे पास समय कम है. तुमको अभी से अपनी तैयारियों मे लग जाना चाहिए. जहाँ भी तुम्हे मेरी, अजय या निशा की ज़रूरत महसूस हो हमे कॉल कर देना. अब हम चलते हैं, घर मे सब हमारा इंतजार कर रहे होगे.”
अमन की बात सुनकर, अजय ने भी सबसे इजाज़त ली और फिर सीरू दीदी लोगों से भी घर चलने का कहा. जिसे सुनकर सीरू दीदी लोग अपनी कार मे बैठ गयी. सब अपनी अपनी कार मे बैठे, जाने को तैयार थे और हमे बाइ कर रहे थे.
लेकिन अचानक ही अमन ने अपनी कार बंद की और कार से उतार कर वापस हमारे पास आने लगा. हमे लगा कि, शायद वो हमसे कोई बात कहना भूल गया है. इसलिए वो हमारे पास वापस आ रहा है.
लेकिन अमन हमसे नही, बल्कि छोटी माँ से मिलने वापस आया था. अमन छोटी माँ के पास आया और अचानक ही नीचे झुक कर, उनके पैर छु लिए. छोटी माँ ने उसको पकड़ कर उपर उठाया तो, उसने छोटी माँ से कहा.
अमन बोला “पुनीत और मेरा भाई सच कहते है कि, आप सच मे देवी है. फिर भला मैं एक देवी के पैर छुने का मौका अपने हाथ से कैसे जाने दूं. मेरी कोई बात यदि आपको बुरी लगी हो तो, उसके लिए मैं दिल से माफी चाहता हूँ.”
ये कहते कहते उसकी आँखों मे आँसू आ गये. उसने जल्दी से अपने आँसू सॉफ किए और फिर छोटी माँ का कोई जबाब सुने बिना ही वापस चला गया. हम सब हैरानी से उसकी इस हरकत को देखते रह गये.
अजय भी उसकी इस हरकत से कुछ अचंभित सा होकर उसे देख रहा था. मगर उसने कार मे बैठते ही कार आगे बढ़ा दी और उनके पिछे पिछे सीरू दीदी लोगों की कार भी हमारी नज़रों से ओझल हो गयी.
आज तक मैं जिस अमन को पत्थर दिल समझता था. आज उस पत्थर दिल को मैने पहली बार आँसू बहाते देखा था और ये सब देख कर, मुझे खुद पर नाज़ सा हो रहा था कि, मैं एक ऐसी माँ का बेटा हूँ, जिसके आगे हर कोई श्रद्धा से अपना सर झुका देता है.
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