RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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प्रिया छोटी माँ का साथ छोड़ने को तैयार नही थी. इसलिए नेहा को बरखा की जगह रिया लोगों के साथ बैठना पड़ गया था. एक कार मे राज, रिया, नितिका और नेहा थे. जबकि दूसरी कार मे मैं, बरखा, प्रिया और छोटी माँ थे.
अभी हम कुछ ही दूर पहुचे थे कि, निक्की का कॉल आ गया. उसने बताया कि, बारात वहाँ से निकल चुकी है. मैने भी उसे बताया कि, हम लोग सीधे निशा भाभी के घर ही पहुच रहे है. निक्की से थोड़ी बहुत बातें करने के बाद, मैने कॉल रख दिया.
मेरे कॉल रखते ही, छोटी माँ ने मुझे निशा भाभी को देने के लिए एक नेकलेस बॉक्स थमा दिया. मैने उसे खोल कर देखा तो, उसमे एक डाइमंड नेकलेस था. उस नेकलेस की कीमत लाखों मे थी. जिसे देख कर मैं एक बार फिर सोच मे पड़ गया.
मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, छोटी माँ के पास इतना पैसा कहाँ से आ गया. ऐसा नही कि हमारे पास पैसो की कोई कमी थी या छोटी माँ पहली बार इस तरह का कोई काम कर रही थी.
ये सब तो छोटी माँ के काम करने का अंदाज़ था. वो किसी क्वीन की तरह ही थी. जिनके होने से ही उनके आस पास एक राजसी जगमगाहट सी हो जाती थी. वो हर किसी की मदद दिल खोल कर किया करती थी और उनके लिए इंसानी ज़ज्बात के सामने पैसो का कोई मोल नही था.
मेरा बाप लाख बुरा सही, लेकिन छोटी माँ का ये कहना सही था कि, उसने छोटी माँ को कभी कुछ करने से नही रोका था. वो एक बिज़्नेसमॅन था और उसे इस सब मे उनका ही फ़ायदा नज़र आता था.
मैं अपने बाप को भी अच्छे से जानता था. वो अपना रुतबा और कद दूसरो के सामने उँचा करने के लिए 10-20 लाख आसानी से खर्च कर सकता था. लेकिन बात यहाँ लाखों से आगे बढ़ कर, करोरों पर आ गयी थी.
छोटी माँ का हाथ यहाँ आकर कुछ ज़्यादा ही खुल गया था. वो हर काम मे पैसा पानी की तरह बहा रही थी. उनकी इस हरकत ने मुझे ये सोचने पर मजबूर कर दिया था कि, उन्हो ने इस सब के लिए मेरे बाप को कैसे तैयार कर लिया है.
मैं चाहते हुए भी ना तो ये बात छोटी माँ से पुच्छ पा रहा था और ना ही इस बारे मे कीर्ति से बात करने का कोई मौका निकल पा रहा था. इन्ही सब बातों मे उलझा हुआ मैं, निशा भाभी के घर पहुच गया.
उनके आलीशान घर मे महमानो की बहुत ज़्यादा भीड़ भाड़ थी. मैं पहली बार निशा भाभी के घर आ रहा था, इसलिए मैं यहाँ किसी को जानता नही था. लेकिन बरखा शायद यहा सबको जानती थी. इसलिए वो यहाँ आते ही सबसे मिलने जुलने लगी.
बरखा को देख कर, एक लड़की महमानो के बीच से बाहर आई. वो बहुत सजी धजी थी और देखने से ही उस घर की कोई खास सदस्य लग रही थी. बरखा के पास आते ही उसने बरखा को गले से लगा लिया और देर से आने की बात को लेकर उसे बातें सुनाने लगी.
बरखा ने उसे अपने देर से आने की वजह बताई. इसके बाद बरखा ने उस से हमारा परिचय कराया और फिर हमे बताया कि, ये निशा दीदी की छोटी बहन निधि है. हमारा परिचय पाते ही निधि हम सबको लेकर निशा भाभी के पास आ गयी.
बरखा ने निशा भाभी का परिचय छोटी माँ से करवाया तो, वो छोटी माँ से मिलकर बहुत खुश दिखाई दे रही थी. छोटी माँ ने उन्हे शादी के गिफ्ट के रूप मे एक डाइमंड दी.
इसके बाद सब उनसे मिलने लगे. जब उनसे मिलने की मेरी बारी आई तो मैने उन्हे वो डाइमंड नेकलेस सेट दे दिया. लेकिन निशा भाभी मुझसे वो सेट लेने मे आनाकानी करने लगी. उन्हे मुझसे इतना महगा गिफ्ट लेना सही नही लग रहा था. जिसे देख कर प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “भाभी, आपको ये सेट बहुत महगा लग रहा है. इसलिए आपको इस से ये लेना अच्छा नही लग रहा है. लेकिन आपको पता नही की, इसने शिखा दीदी को बहुत सारे गहने और एक कार गिफ्ट मे दी है.”
प्रिया की ये बात सुनकर, निशा भाभी ने ऐसे चौकने का नाटक किया, जैसे उन्हे इस बात का पता ही नही था. जबकि मैं ये बात अच्छे से जानता था कि, निक्की ने उन्हे ये सब बता दिया है. निशा भाभी ने प्रिया की बात के जबाब मे आखें मटकाते हुए मुझसे कहा.
निशा भाभी बोली “क्यो हीरो, मैं ये क्या सुन रही हूँ. मुझे शादी मे सिर्फ़ एक नेकलेस सेट देख कर टाला जा रहा है और उधर शिखा को ढेर सारे गहने और कार गिफ्ट जा रही है.”
निशा भाभी की बात सुनकर, मैने भी मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “भाभी आपको शादी मे अज्जि BMW कार दे रहा है. फिर भला आपकी BMW कार के सामने मेरी ऑडी कार की क्या औकात है.”
मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने प्यार से मेरे गाल पर एक थपकी मारते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “पागल, किसी के गिफ्ट की कीमत नही बल्कि, उसके गिफ्ट मे छुपा उसका प्यार देखा जाता है. मेरे लिए तो तुम्हारा दिया हुआ, ये ही गिफ्ट बहुत बड़ा है. तुम इस मे सच मे हीरो लग रहे हो.”
ये कहते हुए निशा भाभी ने मेरे पहने हुए कपड़ो की तरफ इशारा किया. जो उन्हो ने मुझे शादी मे पहनने के लिए दिए थे. उनके इस इशारे को समझते ही मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी.
तभी कुछ लड़कियाँ भागती हुई आई और बताने लगी कि, बारात आ गयी है. बारात का सुनते ही हम सब बाहर आ गये. बाहर आकर हम लोग सबसे मिले और बारात मे शामिल हो गये.
बारात के आते ही शादी की रसमें सुरू हो गयी और हम सब उसमे व्यस्त हो गये. बीच बीच मे मैं मेहुल को कॉल करके वहाँ का हाल भी पूछता रहा. ऐसे ही शादी की रसमें चलते चलते 2 बज गये.
अब मुझे वापस लौटने की जल्दी थी. इसलिए मैने निक्की को बुला कर ये बात बताई. उसने जाकर अमन से ये बात कही तो, अमन ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझे जाकर अपना काम देखने की इजाज़त दे दी.
अमन की बात सुनकर, मुझे राहत महसूस हुई. मैं बरखा और छोटी माँ को जाता कर वापस आने लगा तो, राज भी मेरे साथ वापस चलने की बात करने लगा. मैने उसे भी अपने साथ लिया और फिर मैं शादी से वापस आ गया.
लेकिन वापस आकर चल रही तैयारियों को देख कर मेरा दिमाग़ ही घूम गया. अब बारात आने मे 6 घंटे से कम का समय बचा था और अभी कोई भी काम पूरा नही हुआ था. मैने आते ही मेहुल पर भड़कना सुरू कर दिया.
मेहुल और हीतू दोनो मुझे समझाने की कोसिस करने लगे. लेकिन मेरे अंदर की घबराहट इतनी ज़्यादा थी कि, वो मुझे कुछ समझने ही नही दे रही थी. मुझे इस तरह परेशान होते देख, राज मुझे पकड़ कर घर के अंदर ले आया और समझाते हुए कहा.
राज बोला “वो लोग सही काम कर रहे. ये कोई तीन चार सौ लोगों के स्वागत की तैयारी नही चल रही है कि, पलक झपकी और तैयारी पूरी हो गयी. ये तीन चार हज़ार लोगों के स्वागत की तैयारी चल रही है. ऐसे मे इस मे समय तो लगेगा ही, लेकिन विस्वास रखो, सब काम समय पर पूरा हो जाएगा.”
राज की बातों से आंटी और शिखा दीदी भी सारा माजरा समझ गयी थी. शिखा दीदी मेरा ध्यान इस तरफ से हटाने के लिए, मुझसे निशा भाभी की शादी के बारे मे सवाल करने लगी और मैं उनको वहाँ की शादी का हाल चाल बताने लगा.
मुझे शिखा दीदी के साथ बातों मे लगा देख कर, राज बाहर चला गया. शिखा दीदी ने मुझसे खाने का पुछा तो, मैने बताया कि, खाना हम लोग वहाँ से खा कर आए है.
मेरी ये बात सुनकर, शिखा दीदी ने आंटी को चाय बना देने को कहा और मेरे मना करने के बाद भी आंटी चाय बनाने चली गयी. फिर शिखा दीदी ने मुझे समझाते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “भैया, इस तरह ज़रा ज़रा सी बात पर गुस्सा होना अच्छी बात नही है. मेहुल भैया सुबह से ही काम मे लगे हुए है और उन्हो ने एक पल के लिए भी आराम नही किया है. ऐसे मे उनको आपके इस तरह गुस्सा करने से बुरा भी लग सकता है.”
शिखा दीदी की इस बात पर मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, लगता है कि, आपने अभी तक मेरी और मेहुल की दोस्ती को ठीक से परखा ही नही है. यदि परखा होता तो, आपको ऐसा बिल्कुल भी नही लगता. आइए मैं आपको दिखाता हूँ कि, मेहुल को मेरी बात का बुरा लगा है या नही.”
ये कहते हुए मैं शिखा दीदी को पकड़ कर, वहाँ ले आया, जहा पर मेहुल काम कर रहा था. मेहुल ने मुझे आते देख लिया था. लेकिन फिर भी ऐसा जाहिर कर रहा था. जैसे की उसने मुझे देखा ही ना हो. मैं शिखा दीदी के साथ उसके पास पहुचा और फिर उस से कहा.
मैं बोला “सॉरी, मैने बेवजह तुझ पर गुस्सा किया. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था.”
मेरे इतना कहते ही मेहुल हैरानी से मुझे देखने लगा और फिर मेरा मूह सूंघते हुए शिखा दीदी से कहा.
मेहुल बोला “दीदी, ये सुबह सुबह पीकर आया हुआ तो लग नही रहा है. फिर इसे किसी बात के लिए मुझे सॉरी बोलने की ज़रूरत कब से पड़ने लगी. लगता है कि बारातियों के स्वागत की चिंता ने इसकी तबीयत खराब कर दी है या खाना खाने के बाद इसे चाय नही मिली, जिसकी वजह से इसका दिमाग़ काम करना बंद कर दिया है. आप इसे लेकर चाय पिलाइए, तभी इसका दिमाग़ ठिकाने आएगा.”
मेहुल की ये बात सुनकर, मैं उस पर भड़कते हुए शिखा दीदी के साथ घर के अंदर आ गया. अंदर आकर बैठते हुए मैने शिखा दीदी से कहा.
मैं बोला “देख लिया ना दीदी, उसने मेरी किसी बात का बुरा नही माना था. हम दोनो मे ऐसा ही है. जब मैं किसी बात पर उस पर गुस्सा होता हूँ तो, वो इस बात को दिल से नही लगाता और जब वो किसी बात पर मुझ पर गुस्सा होता है तो, मैं उसे दिल से नही लगाता हूँ. इसलिए हमे कभी किसी बात के लिए एक दूसरे से सॉरी कहने की ज़रूरत ही नही पड़ती है.”
मेरी बात सुनकर शिखा दीदी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. तभी आंटी चाय लेकर आ गयी और हम लोग चाय पीने लगे. चाय पीने के बाद, मैं बाहर आकर बाकी की तैयारियों मे लग गया.
ऐसे ही काम मे लगे लगे, 5 बज गये और छोटी माँ लोग भी वापस आ गयी. उनके आने तक बारातियों के स्वागत की तैयारियाँ अंतिम दौर मे चल रही थी. ये देख कर सब के चेहरे पर रौनक आ गयी.
बरखा ने बताया कि निशा दीदी की शादी की सभी रस्मे पूरी हो गयी है और अब वो लोग दूसरी शादी की तैयारीओं मे लग गये है. हमारे यहाँ बारात 8 बजे तक पहुच जाएगी. इसलिए अब बची हुई तैयारियों को हमे जल्दी ही पूरा कर लेना चाहिए.
बरखा की इस बात के जबाब मे, मेहुल उसे सारी तैयारियाँ दिखाने लगा. जिसे देख कर बरखा ने भी राहत की साँस ली और फिर सब अंदर चले गये. उनके जाने के बाद, हम सब फिर से अपने काम मे लग गये.
शाम को 6 बजे तक रही सही सारी तैयारियाँ भी पूरी हो गयी. जिसे देख कर, मैने सुकून की साँस ली. लेकिन तभी राज ने छोटी माँ की सभी बारातियों को गोल्ड रिंग देने वाली बात याद दिला कर, मुझे सोच मे डाल दिया था. लेकिन उस समय रिया हमारे पास ही थी. उसने राज की बात सुनी तो कहा.
रिया बोली “तुम लोगों को इसकी चिंता करने की ज़रूरत नही है. आंटी ने उसके बारे मे कल रात को ही अजय भैया से बात कर ली थी और उन्हो ने अपने ज्यूयेलर्स से उसका इंतज़ाम करवाने की बात कह दी थी. अभी आते समय आंटी ने उसका पेमेंट कर दिया है और कुछ देर मे वो ज्यूयेलर्स खुद ही वो सारी रिंग इधर देने आ जाएगा.”
रिया अभी अपनी बात बता ही रही थी कि, तभी बरखा आ गयी. उसने आते ही सब से कहा.
बरखा बोली “तुम सब को बारात के स्वागत के लिए तैयार होना है या फिर ऐसे ही बारात का स्वागत करोगे.”
बरखा की बात सुनकर, रिया तैयार होने के लिए घर जाने की बात करने लगी. मैने मेहुल, राज और हीतू से भी तैयार होकर आने को कहा. जिसके बाद, रिया ने प्रिया लोगों को बुलाया और फिर सब लोग तैयार होने घर चले गये.
उनके जाने के बाद, बरखा मुझे भी तैयार होने का कह कर शिखा दीदी को तैयार करने चली गयी. लेकिन बरखा के जाने के बाद, मैं छोटे मोटे कामों मे ऐसा फसा की मुझे तैयार होने का समय ही नही मिल पाया.
देखते ही देखते 7:30 बज गये और मेहुल लोग तैयार होकर वापस भी आ गये. उन के साथ प्रिया नही थी. उनके साथ प्रिया को ना पाकर, मैने उन से कहा.
मैं बोला “क्या हुआ, प्रिया तुम लोगों के साथ दिखाई नही दे रही है.”
मेरी बात के जबाब मे रिया ने कहा.
रिया बोली “मोम और दादा जी भी यहाँ आ रहे है. इसलिए प्रिया उनको यहाँ लाने के लिए रुक गयी है. वो उनके साथ ही आएगी. लेकिन तुम अभी तक यहीं के यही क्यो खड़े हो. क्या तुम्हे तैयार नही होना है. जाओ और जाकर जल्दी से तैयार होकर आओ.”
रिया की बात सुनकर, मैने भी ज़्यादा समय बर्बाद करना ठीक नही समझा और उपर आकर फ्रेश होने लगा. फ्रेश होने के बाद, मैं तैयार होने लगा. अब मैं शिखा दीदी की दी हुई शेरवानी पहन रहा था.
अभी मैं तैयार हो ही रहा था कि, तभी नितिका ने आकर बताया कि, बारात आ गयी है. मैने उसे चलने को कहा और मैं जल्दी जल्दी तैयार होने लगा. मैं तैयार होकर नीचे पहुचा तो बारात के स्वागत की तैयारी चल रही थी.
बरखा ने मुझे देखा तो, जल्दी बाहर जाने को कहा और मैं फ़ौरन ही बाहर आ गया. बाहर द्वार पर बारात खड़ी थी. दूल्हा बना अजय किसी शहज़ादे कम नही लग रहा था. अमन जो अभी कुछ देर पहले खुद दूल्हा बना था. अभी अपनी माँ और चाचा चाची के साथ बराती बना खड़ा था.
लेकिन इन सबसे ज़्यादा नूर अजय की बहनो के चेहरे से टपक रहा था. उनकी खुशी उनके चेहरे से ही झलक रही थी. सीरू दीदी, सेलू, आरू, हेतल और निक्की सब एक से बढ़ कर एक दिख रही थी. अमन की शादी से ज़्यादा उत्साह उन सब मे अजय की शादी को लेकर दिखाई दे रहा था.
मैने स्वागत द्वार पर पहुचते ही बारातियों का स्वागत करना सुरू कर दिया और सबको फूल मालाएँ पहनाने लगा.तब तक बरखा लोग भी वहाँ आ गयी और बारात की आगवानी की दूसरी रस्मे पूरी करने लगी.
उन रस्मो के पूरा होते ही सभी बराती अंदर आना सुरू हो गये. लेकिन इस सब के बीच भी सीरू दीदी अपनी शैतानी दिखाने से बाज नही आई. मैं जब उनके पास पहुचा तो, उन्हो ने अमन को मेरी शेरवानी दिखाते हुए कहा.
सीरत बोली “देख लो भैया, कल इसने अज्जि भैया की दी हुई शेरवानी पहन ली. आज दिन मे निशा भाभी का दिया हुआ सूट भी पहन लिया और अब शिखा भाभी की दी हुई शेरवानी भी पहन ली. लेकिन आपके दिए हुए सूट का तो कुछ अता पता ही नही है. लगता है इसके दिल मे आपके लिए कोई प्यार ही नही है.”
उनकी बात सुनकर, मैं बुरा सा मूह बना कर उनको देखने लगा. लेकिन उन्हो ने मुझे आँख मारी और फिर मुस्कुराती हुई आरू लोगों का हाथ पकड़ कर, उनको अंदर ले गयी. उनके जाने के बाद, मैने अमन की तरफ देखा तो, वो बड़े गौर से मुझे ही देख रहा था.
अमन के इस तरह से मुझे देखने से, मैं समझ नही पा रहा था कि, अब मैं उसे इस बात को लेकर, अपनी क्या सफाई दूं. लेकिन तभी अमन ने मुस्कुराते हुए, मेरे कंधे पर हाथ रख कर कहा.
अमन बोला “तुम सीरू की बात का बुरा मत मानना. वो सबसे बड़ी ज़रूर है, लेकिन शैतानी करने मे वो आरू से भी छोटी बन जाती है.”
अमन की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “सीरू दीदी की आदत तो मैं अच्छे से जानता हूँ. मुझे तो बस इस बात का डर था कि, कही आपको इस बात का बुरा ना लगा हो.”
मेरी बात सुनकर, अमन ने मुस्कुराते हुए ना मे सर हिला दिया. इसके बाद मैं अजय से मिला और उसे अंदर लेकर आ गया. अजय को बैठाने के बाद, मैं वरमाला की तैयारी मे लग गया.
सभी बराती बेचैनी से, वरमाला के लिए दुल्हन के आने का इंतजार कर रहे थे. तभी अचानक पूरे पंडाल मे फूलों की बारिश होना सुरू हो गयी और दुल्हन आ रही है, दुल्हन आ रही है, का शोर होने लगा.
ये शोर सुनकर, सभी बारातियों की नज़रे उस तरफ जाने लगी, जहाँ से दुल्हन को आना था. मगर जिसकी भी नज़र एक बार उस तरफ गयी, वो फिर वहाँ का नज़ारा देख कर, वहाँ से अपनी नज़रे हटाना ही भूल गया. सब बिना पलके झपकाए, बस उस नज़ारे को देखे जा रहे थे. ये शिखा दीदी को लेकर, शेखर भैया का एक और सपना था, जो अब पूरा होने जा रहा था.
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