RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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पंडाल मे हो रही, फूलों की बारिश के बीच दो छोटी छोटी लड़कियाँ परियों की ड्रेस पहनी चली आ रही थी. उन्हे देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे की दो नन्ही पारियाँ अपना जादू बिखेरते हुए चली आ रही हो और ये फूलों की बारिश भी उन्ही की देन हो.
उनके पिछे नेहा और उसकी सहेलियाँ एक हाथ मे गुलाब के फूलो की पंखुड़ियों से भरी टोकरी लिए, दूसरे हाथ से अपने पिछे आ रही दुल्हन की डॉली (पालकी) पर उड़ती चली आ रही थी.
दुल्हन की इस डॉली को कंधा देकर लाने वाले कोई ओर नही, बल्कि मैं, मेहुल, राज और हीतू थे. आगे आगे डॉली चल रही थी और पीछे पीछे बरखा और घर के बाकी लोग थे. सब अपलक इस नज़ारे को देख रहे थे.
कुछ ही देर मे हम डॉली लेकर मंच के सामने आ गये और वहाँ डॉली रख कर शिखा दीदी को डॉली से उतारे जाने का इंतजार करने लगे. मैने बरखा को दीदी को डॉली से उतरने का इशारा किया.
लेकिन तभी कहीं से निशा भाभी और प्रिया आ गये. निशा भाभी को यहाँ देख कर मैं हैरान हो गया और अमन की तरफ देखने लगा. उसने मुस्कुरकर हां मे सर हिलाया. जिसका मतलब था कि, उसने अपना वादा पूरा कर दिया.
निशा भाभी अभी भी दुल्हन से कम नही लग रही थी. लेकिन प्रिया को देख कर तो मैं उसे देखता ही रह गया. उसने इस समय ब्लू लहंगा चोली पहना था और उसके उपर से नेट वाला एक गाउन पहना हुआ था. जिसने उसे ओर भी ज़्यादा सुंदर बना था.
निशा भाभी ने डॉली के पास आकर, मुझे किनारे होने का इशारा किया तो, मैं किनारे हो गया. फिर उन्हो ने डॉली के पर्दों को खोला और अपना हाथ देकर, शिखा दीदी को नीचे उतरने का इशारा किया.
शिखा दीदी उनका हाथ पकड़ कर, डॉली से बाहर आ गयी. दुल्हन के रूप मे शिखा दीदी को देख कर, देखने वालों की निगाहे उन्ही पर थम सी गयी. वो सर से लेकर पाँव तक सोने चाँदी से सजी हुई थी. छोटी माँ ने उन्हे सर से लेकर पैर तक सोने से लाद दिया था.
ये ही नही, उनके पहने हुए ल़हेंगा चोली मे भी सोने चाँदी की कारीगरी थी. ये ल़हेंगा चोली अजय ने खास कर शिखा दीदी के लिए, तब तैयार करवाया था, जब उसने आरू से शिखा दीदी को उसकी भाभी बनाने का वादा किया था. इसी बात से पता चल जाता है कि, अजय को शिखा दीदी से किस हद तक प्यार था और वो उनसे शादी को लेकर कितना गंभीर था.
अजय ने जब शिखा दीदी को दुल्हन के रूप मे देखा तो, वो उन्हे देखता ही रह गया. तब तक निशा भाभी, शिखा दीदी को लेकर उस भव्य मंच (स्टेज) पर आ गयी थी. जिस पर इस समय अजय बैठा हुआ शिखा दीदी को निहार रहा था. निशा भाभी ने अजय की आँखों के सामने चुटकी बजाते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “बस कीजिए देवर जी. क्या मेरी बहन को नज़र लगाने का इरादा है.”
निशा भाभी की बात सुनकर, सब हँसने लगे और अजय भी मुस्कुरा दिया. तभी सेलू ने आकर दूल्हा और दुल्हन को वरमाला के लिए एक एक माला पकड़ा दी. निशा भाभी ने शिखा दीदी से माला अजय को पहनाने को कहा. जिसे सुनते ही शिखा दीदी ने अपना हाथ अजय को माला पहनाने के लिए आगे बढ़ा दिया था.
अजय की लंबाई ज़्यादा थी और शिखा दीदी का हाथ उस तक पहुच नही पा रहा था. इसलिए अजय माला पहनने के लिए अपना सर झुकाने लगा. लेकिन सीरू दीदी ने उसको ऐसा करने से रोकते हुए कहा.
सीरत बोली “ये क्या कर रहे हो भैया, यदि आज आपने भाभी के सामने अपना सर झुका दिया तो, फिर जिंदगी भर ऐसे ही अपना सर झुकाते रहोगे.”
सीरू दीदी की बात सुनकर, अजय अपना सर झुकाने से रुक गया. शिखा दीदी ने फिर उसे माला पहनाने के लिए हाथ उठाया. मगर अजय के सर पर सेहरा होने की वजह से अजय की लंबाई कुछ ज़्यादा ही हो गयी थी. जिस वजह से वो उसे माला नही पहना पा रही थी.
अजय ने शिखा दीदी की तरफ देखा तो, उनका मासूम चेहरा देख कर, उस से अब उन्हे और तंग करते ना बना और उसने फिर से उनके सामने अपने सर को झुकाने की कोसिस की, लेकिन सीरू और हेतल ने उसे फ़ौरन पकड़ कर सीधा करते हुए कहा.
सीरत बोली “आपको भाभी पर इतना ही प्यार आ रहा है तो, ये प्यार उनको घर चल कर दिखाना. यहाँ कोई चीटिंग नही चलेगी. भाभी को यदि आपको माला पहनाना है तो, वो अपनी लंबाई बढ़ा ले. लेकिन हम आपको नही झुकने देगे.”
सीरू दीदी की बात सुनकर, शिखा दीदी ने फिर माला पहनाने की कोसिस की, लेकिन इस बार भी वो नाकाम रही. तभी मेहुल ने पास आते हुए सीरू दीदी से कहा.
मेहुल बोला “हमारी दीदी की लंबाई, तो हम बढ़ा देंगे. लेकिन अब आप अपने भैया की लंबाई का कुछ करो. क्योकि अब वो हमारी दीदी को माला नही पहना पाएगे.”
ये कहते हुए मेहुल ने एक झटके मे शिखा दीदी को अपनी गोद मे उठा लिया. शिखा दीदी ने भी मौका पाकर जल्दी से माला अजय के गले मे डाल दी. लेकिन मेहुल इसके बाद भी शिखा दीदी को ऐसे ही लेकर खड़ा रहा और सीरू दीदी से कहा.
मेहुल बोला “हमारी दीदी ने तो माला पहना दी. अब आपके भैया की बारी है.”
सीरत बोली “हां, हां, हमारे भैया के लिए ये कौन सा मुश्किल काम है. भैया जल्दी से माला भाभी के गले मे माला डालिए.”
सीरू की बात सुनकर, अजय ने शिखा दीदी के गले मे माला डालने के लिए हाथ आगे बढ़ाए. लेकिन अजय के हाथ उन तक पहुच ही नही पाए. इस पर सीरू दीदी ने मेहुल से कहा.
सीरत बोली “हमे माला डालने की कोई जल्दी नही है. तुम अपनी दीदी को ऐसे ही लेकर खड़े रहो. हम भी देखते है, कि तुम ऐसे उन्हे कितनी देर तक लेकर खड़े रहते हो.”
सीरू दीदी की बात सुनकर, मेहुल ने मुस्कुराते हुए कहा.
मेहुल बोला “दीदी, आप कुछ भी कह लो. लेकिन मैं तब तक अपनी दीदी को नीचे नही उतारूँगा, जब तक आपके भैया उनके गले मे माला नही डाल देते है. मुझे समझाने से अच्छा है कि, अब आप अपने भैया को समझाओ कि, वो अब मेरी दीदी के गले मे माला डाल कर दिखाए.”
मेहुल की बात सुनकर, अज्जि फिर माला डालने आगे बढ़ा, इस बार शिखा दीदी ने उसे आगे बढ़ते देख खुद ही अपने सर को झुका दिया और अज्जि ने फ़ौरन उनके गले मे माला डाल दी.
शिखा दीदी के गले मे माला पड़ने के बाद, मेहुल ने उनको नीचे उतार दिया. लेकिन शिखा दीदी के गले मे माला पड़ते ही सीरू दीदी लोग शोर मचाने लगी और मेहुल को चिडाने लगी. सीरू दीदी ने मेहुल को चिड़ाते हुए कहा.
सीरत बोली “देखा, तुम्हारी दीदी को ही हमारे भैया के सामने सर झुकाना पड़ा. तुम्हारी दीदी ने ही तुम लोगों को हरा दिया.”
सीरू दीदी की ये बात सुनकर, शिखा दीदी ने मेहुल की तरफ देखा और फिर अपने सर को शर्मिंदगी से झुका लिया. लेकिन मेहुल ने मुस्कुराते हुए सीरू दीदी से कहा.
मेहुल बोला “हां, मैने ही नही, यहा सबने देखा है कि, हमारी दीदी को मज़ाक मे भी जीजू का हारना पसंद नही आया और उन्हो ने खुद ही उनके सामने अपने सर को झुका लिया. अब जिनकी जीत मे हमारी दीदी की जीत छुपि है. फिर भला उनके जीतने से हमारी हार कैसे हो सकती है.”
मेहुल की ये बात सुनकर, सबके साथ साथ शिखा दीदी के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. इसके बाद सीरू दीदी लोग अपने सब परिचितों को मंच पर लाकर अजय और शिखा से मिलाने लगे.
सभी मेहमान वरमाला के बाद, खाने पीने की तरफ बढ़ गये. जिसका सारा इंतज़ाम हीतू देख रहा था. मेहुल और राज सभी महमानों की देख भाल मे लगे थे. महमानो को रिंग गिफ्ट करने का काम भी उन्ही के ज़िम्मे था.
मैं मंच से नीचे आया तो, प्रिया भी मेरे साथ नीचे आ गयी. मैने उसे अपने पास देखा तो, उस से कहा.
मैं बोला “तो ये तुम्हारा वो सूट है, जिसे उस दिन तुम मुझे दिखाने से मना कर रही थी.”
प्रिया बोली “वो तो मैं रिया दीदी के साथ जाकर बदल आई थी. ये तो उसके बदले मे लेकर आई थी.”
मैं बोला “कुछ भी कहो, लेकिन तुम्हारा ये सूट सच मे तुम पर बहुत खिल रहा है.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने मुस्कुराने लगी. तभी निशा भाभी भी हमारे पास आ गयी. उन्हो ने एक नज़र सारे पंडाल पर डाली और फिर मुझसे कहा.
निशा भाभी बोली “तुमने तो सच मे इस शादी मे चार चाँद लगा दिए है. मुझे तो अब भी यकीन नही हो पा रहा है कि, तुमने ये सारा इंतज़ाम एक रात मे किया है.”
मैं बोला “भाभी ये सब मैने अकेले नही किया है. इसमे मुझसे ज़्यादा मेरे दोस्तों की मेहनत लगी है. मेहुल, राज और हीतू की वजह से मेरे लिए ये सब कर पाना संभव हो पाया है. ये सब उनकी ही मेहनत का नतीजा है. मगर उस से भी बढ़कर, इस सब के पीछे अमन भैया का हाथ है. यदि वो हमे ये सब करने का मौका ना देते तो, हम ये सब करने का कभी सोच भी ना पाते.”
मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “नही, इस सब मे अमन का हाथ ज़रा भी नही है. ये सब तो तुम्हारी मोम की वजह से हुआ है. उन्हो ने ही अमन के सामने ये बात रखी थी कि, तुम लोग बारात को अपने घर आते देखना चाहते हो और यदि तुमको इस सब के लिए मौका दिया जाए तो, तुम लोग बखूबी इन ज़िम्मेदारियों को निभा सकते हो.”
“उनकी इस बात पर अमन ने उनसे ये तक कहा था कि, ये सब इतना आसान नही है. ऐसा करने मे आपको एक करोड़ तक का खर्चा आ सकता है और हमारा इतना ही नुकसान हो सकता है. इस पर तुम्हारी मोम ने ये कह कर अमन का मूह बंद कर दिया कि, यदि आप लोग इस सब के लिए तैयार हो जाते है तो, मैं इस शादी मे तीन करोड़ तक खर्च करने को तैयार हूँ और इस सब की वजह से आपको जो भी नुकसान होगा, वो नुकसान भी मैं अलग से भरने को तैयार हूँ.”
“तुम्हारी मोम की इस बात ने अजय और अमन को उनकी बात मानने के लिए मजबूर कर दिया. जिसकी वजह उन लोगों ने, तुम लोगों के सामने ये बात रखी थी. उन्हो ने जैसा कहा था, वैसा करके दिखा दिया. लेकिन अब मुझे लग रहा है कि, इस शादी मे 3 करोड़ से भी ज़्यादा का खर्च आने वाला है. क्योकि उन्हो ने डेढ़ करोड़ पेमेंट तो सिर्फ़ ज्यूयेलर्स को किया है.”
“मगर बुरा मत मानना, मेरी समझ मे ये बात नही आ रही है कि, तुम्हारी मोम तो शिखा से पहली बार मिल रही है. इसके पहले वो शिखा को जानती भी नही थी. फिर भला वो शिखा की शादी मे इतना खर्च क्यो कर रही है.”
निशा भाभी की इस बात मे दम था और उनका ऐसा सोचना ग़लत भी नही था. मगर मेरे मन मे इस सब को लेकर कोई सवाल नही था. क्योकि मैं इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि, छोटी माँ ये सब सिर्फ़ मेरी वजह से ही कर रही है. इसलिए मैने निशा भाभी की इस बात पर मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “भाभी, आपका ऐसा सोचना बिल्कुल सही है. आज के समय मे बिना मतलब के कोई भी, किसी के लिए कुछ नही करता है. ऐसे ही मेरी मोम के भी ये सब करने के पिछे एक मतलब है और वो मतलब मेरी खुशी, मेरी ख्वाहिश पूरी करना है.”
“आपको शायद पता नही कि, मैने जब उनको शिखा दीदी के शादी के बारे मे बताया और उनसे शादी मे देने के लिए गिफ्ट का पुछा तो, उन्होने मेरी कज़िन कहने पर मुझे कार गिफ्ट करने दे दी और मेरे बिना कुछ कहे ही मेरे खाते मे शादी मे खर्च करने के लिए पैसे डाल दिए थे. अब आप खुद ही सोचिए कि, जब उन्हे यहाँ के बारे मे कुछ पता नही था तो, उन्हो ने इतना सब कुछ किसके लिए कर दिया. सिर्फ़ मेरी खुशी के लिए ही किया ना.”
“ये सब शेखर भैया के सपने थे, जो उन्हो ने दीदी की शादी को लेकर देखे थे. हम शेखर भैया के सिर्फ़ उन्ही सपनो को पूरा करने की कोसिस कर रहे थे, जिन्हे पूरा करना हमारे बस मे था. ये बात मैं, बरखा दीदी और निक्की के अलावा सिर्फ़ मेरी कज़िन ही जानती थी.”
“अब आप ज़रा ये बात सोच कर देखिए कि, जब उनको मेरी कज़िन से ये पता चला होगा कि, मैं क्या करना चाहता हूँ और किस वजह से नही कर पा रहा हूँ तो, ऐसी हालत मे उन्हे मेरे लिए, ये सब नही तो, ऑर क्या करना चाहिए था.”
इतनी बात कह कर, मैं निशा भाभी के जबाब का इंतजार करने लगा. लेकिन उन्हो ने मेरी बात का जबाब देने की जगह उल्टे मुझसे फिर से सवाल करते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “तो क्या वो अचानक यहाँ पर ये ही सब करने के लिए आई है.”
उनकी इस बात को सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “इस सब को लेकर, उनके दिल मे क्या था, ये बात तो सिर्फ़ वो ही जानती है. लेकिन मैं इतना ज़रूर जानता हूँ कि, उनका अचानक इस तरह से आना सिर्फ़ प्रिया की वजह से हुआ है.”
मेरी बात सुनकर, निशा भाभी के साथ साथ प्रिया भी मेरी तरफ हैरानी से देखने लगी. उनकी हैरानी को देखते हुए, मैने उन्हे छोटी माँ के यहाँ आने की वो पूरी कहानी सुना दी, जो मुझे कीर्ति ने बताई थी. जिसे सुनने के बाद, प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “अब मुझे समझ मे आया कि, आंटी जब से यहाँ आई है, तब से मुझे इतना प्यार क्यो कर रही है. शायद उन्हे ये लगता है कि, यहाँ पर मैं ही तुम्हारा सबसे ज़्यादा ख़याल रख रही हूँ. अच्छा हुआ कि, उन्हे ये पता नही चला कि, तुम्हारा ख़याल रखने वाली मैं नही, बल्कि निक्की है. वरना निक्की को तो इसके साथ साथ, तुम्हारी कज़िन की हमशकल होने का फ़ायदा भी मिल जाता.”
अभी प्रिया अपनी बात पूरी भी नही कर पाई थी कि, तभी पता नही कहाँ से निक्की आ गयी और उसने प्रिया की बात को काटते हुए कहा.
निक्की बोली “मैं भी यही सोच सोच कर पागल हो रही थी कि, इनके यहाँ से जिसने भी मुझे देखा, हैरान सा रह गया. मगर आंटी ने तो मुझे देख कर, बस इतना ही कहा कि, तुम मेरी भतीजी की जुड़वा बहन लगती हो. इसके बाद उनका पूरा ध्यान तेरे उपर ही रहा. अब मुझे समझ मे आ गया कि, ऐसा क्यो हुआ. अब मैं अपने हक़ पर तुझे डाका नही डालने दुगी और आंटी को ये सच्चाई बता कर रहूगी कि, आपके बेटे का ख़याल रखने वाली प्रिया नही, बल्कि मैं हूँ.”
निक्की के ये बात सुनकर, प्रिया उस से लिपट गयी और उसने निक्की को छिड़ाते हुए कहा.
प्रिया बोली “अब इस सब का कोई फ़ायदा नही मेरी लाडो, मुझे आंटी से तेरे हिस्से का जितना प्यार मिलना था, वो मिल चुका. अब तू सच्चाई बता भी दे, तब भी तुझे कुछ नही मिलेगा. क्योकि आंटी तो सुबह ही वापस चली जाएगी.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मैं चौके बिना ना रह सका. क्योकि छोटी माँ ने मुझसे ऐसा कुछ भी नही कहा था. इसलिए मैने प्रिया से पुछा.
मैं बोला “क्या छोटी माँ ने खुद तुमसे ये बात कही है.”
प्रिया बोली “हां, वरमाला के पहले जब मैं आई तो, मैने अपनी मोम से उनको मिलवाया था. मेरी मोम ने उनसे हमारे घर आने की बात कही तो, उन्हो ने कहा कि, कल सुबह ही वो वापस जा रही है. लेकिन अगली बार वो ज़रूर मेरे घर आएगी. इसके बाद, उन्हो ने मुझसे कहा था कि, तुमको कही भी अकेले ना जाने दूं. उनकी ये बात तब तो मेरी समझ मे नही आई थी. लेकिन अब मेरी समझ मे आ गया कि, उन्हो ने ऐसा क्यो कहा था.”
अभी मैं प्रिया से इस बारे मे कोई ओर सवाल कर पाता कि, तभी होम मिनिस्टर आ गये. निशा भाभी ने उनका स्वागत करने की बात कही और खुद उनकी तरफ बढ़ गयी. हम लोग भी उनके पिछे पिछे हो गये.
निशा भाभी ने उनसे हमारा परिचय करवाया और फिर उन्हे मंच पर अजय ऑर अमन के पास ले जाने लगी. मंच पर इस समय अजय का पूरा परिवार मौजूद था. मैने छोटी माँ को यहाँ वहाँ देखा तो, वो मुझे पद्मि नी आंटी और मोहिनी आंटी से बात करते दिखाई दे गयी. मोहिनी आंटी को यहाँ देख कर मुझे कुछ हैरानी हुई और मैने प्रिया से कहा.
मैं बोला “ये मोहिनी आंटी यहाँ आने के लिए तैयार कैसे हो गयी. मुझे तो लग रहा था कि, ये किसी भी हालत मे यहाँ नही आएगी.”
प्रिया बोली “तुमने बिल्कुल सही सोचा था. लेकिन कल नीति दीदी ने जो धमाल मचाया था. उसके बाद ये कुछ शांत पड़ गयी. मगर नीति दीदी उसके बाद से इनसे कोई बात नही कर रही है. इसलिए मोम के समझाने पर ये यहाँ आने के लिए तैयार हो गयी.”
हम मोहिनी आंटी की बात कर रहे थे और वो यहाँ वहाँ किसी को ढूँढ रही थी. तभी अचानक उनकी नज़र प्रिया पर पड़ी और उन्हो ने प्रिया को अपने पास बुलाया. प्रिया उनके पास पहुचि तो, उन्हो ने प्रिया से कुछ कहा, जिसके बाद, प्रिया के कुछ जबाब देने के बाद, वो प्रिया के साथ जाने लगी.
प्रिया के जाने के बाद, मैं खाने की जगह पर हीतू के पास आ गया. मैने हीतू से वहाँ का सारा हाल चाल लिया और वहाँ सब कुछ ठीक चलता पाकर, मैं उस से थोड़ी बहुत बात कर मैं वापस मंच वाली जगह पर आ गया.
लेकिन अभी मैं वहाँ पहुचा ही था कि, तभी मेरी नज़र प्रिया पर पड़ी. वो घबराई हुई सी राज को अपने साथ ले जा रही थी. मुझे कुछ गड़बड़ सी लगी और मैं भी जल्दी से उनके पास पहुच गया.
प्रिया हमे पंडाल के पिछे ले गयी. वहाँ पर मोहिनी आंटी बेहोश पड़ी हुई थी. उन्हे ऐसी हालत मे देख कर, हमे कुछ समझ मे नही आया. लेकिन मैने और राज ने उन्हे उठाया और घर के अंदर ले आए.
उनके सर से खून बह रहा था. शायद किसी ने उनके सर पर किसी कठोर चीज़ से वार किया था. घर मे लाकर उन्हे लिटाने के बाद, राज ने प्रिया से कहा.
राज बोला “चाची, वहाँ कैसे पहुच गयी और उनके सर पर ये चोट कैसी है.”
प्रिया बोली “चाची को टाय्लेट जाना था तो, मैं इन्हे लेकर यहाँ आई थी. इनके टाय्लेट से आने के बाद, इन्हे थोड़ी देर रुकने का बोल कर मैं भी टाय्लेट चली गयी. लेकिन जब मैं टाय्लेट से बाहर आई तो, ये वहाँ नही थी. मुझे लगा कि ये वापस चली गयी है. इसलिए मैं भी वहाँ वापस जाने लगी.”
“तभी मुझे पंडाल के पिछे से किसी के चीखने की आवाज़ आई और मैं वहाँ देखने लगी. वहाँ इनकी किसी के साथ छिना झपटी चल रही थी. लेकिन अंधेरे की वजह से मैं किसी को पहचान नही पा रही थी. इसलिए मेरी आगे बढ़ने की हिम्मत नही हो रही थी.”
“मगर शायद चाची ने मुझे पहचान लिया था, इसलिए इन्हो ने ज़ोर से मेरा नाम लेकर आवाज़ लगाई. इनकी आवाज़ सुनते ही मुझे समझ मे आ गयी कि, ये चाची ही है और मैं इनकी तरफ भागी. लेकिन वो जो कोई भी था, उसने मुझे अपनी तरफ आते देखा तो, किसी चीज़ से इनके सर पर वार किया, जिस से ये लहराती हुई नीचे गिर गयी. इन्हे गिरते देख, मेरी आगे बढ़ने की हिम्मत नही हुई और मैं भाग कर आपको बुलाने चली आई. उसके बाद जो हुआ, आपके सामने ही है.”
प्रिया की बात सुनने के बाद, मैने प्रिया से कहा.
मैं बोला “ये सब बातें करने का अभी वक्त नही है. तुम फ़ौरन जाकर, निशा भाभी को बुला लाओ और ज़्यादा हड़बड़ी मत मचाना, वरना सब घबरा जाएगे.”
प्रिया बोली “लेकिन वो तो अभी होम मिनिस्टर के साथ है. मैं ऐसा करती हूँ कि, निधि दीदी को बुला लाती हूँ.”
मैं बोला “तो क्या वो…..”
अभी मैं इतना ही कह पाया था कि, प्रिया ने मेरी बात काटते हुए कहा.
प्रिया बोली “हां, वो भी डॉक्टर है.”
इतना कह कर प्रिया फ़ौरन वहाँ से चली गयी. राज मोहिनी आंटी के सर के जख्म को दबा कर उनके पास ही बैठ गया. थोड़ी ही देर मे प्रिया, निधि और बरखा के साथ आ गयी.
निधि ने उनके सर का जख्म देखने के बाद बरखा से फर्स्ट-एड बॉक्स और पानी लाने को कहा. बरखा दौड़ कर प्रिया के साथ ये सब लेने चली गयी. तब तक राज उसे मोहिनी आंटी के साथ हुई घटना के बारे मे बताने लगा.
कुछ ही देर मे प्रिया और बरखा दोनो आ गयी. सब से पहले निधि ने उनके चेहरे पर पानी मारा, जिस से मोहिनी आंटी होश मे आने लगी. उसके बाद, वो उनकी ड्रेसिंग (मरहम-पट्टी) करने लगी.
ड्रेसिंग होते होते मोहिनी आंटी भी पूरी तरह होश मे आ चुकी थी. निधि ने उन्हे दर्द की गोली खाने को दी और फिर हम लोगों से कहा.
निधि बोली “घबराने की कोई बात नही है. ये एक मामूली सी चोट है और ये शायद घबराहट की वजह से बेहोश हुई थी. इसके बाद भी यदि इन्हे कोई परेशानी होती है तो, इन्हे मेरे पास ले आना, मैं इनकी पूरी जाँच कर लुगी.”
निधि की ये बात सुनकर, सबने राहत की साँस ली और मोहिनी आंटी भी उठ कर बैठ गयी. लेकिन अब तक जो प्रिया बहादुरी से इस पूरे हादसे का सामना कर रही थी. मोहिनी आंटी के ठीक होने की बात सुनकर, खुद को सभाल ना पाई और उनसे लिपट कर रोने लगी.
अभी कोई प्रिया से कुछ कह पाता कि, तभी नितिका, रिया, और हेतल दीदी वहाँ आ गयी. हेतल दीदी को उनके साथ देख कर, मुझे अंदाज़ हो चुका था कि, वहाँ क्या हुआ होगा. क्योकि उन्हो ने मुझे राज और प्रिया के पिछे भागते देखा था और फिर उन्हो ने प्रिया को भी निधि और बरखा के साथ यहाँ आते देखा होगा. जिसके बाद, नितिका या रिया के पुच्छने पर उन ने ये बात उनको बताई होगी.
नितिका ने आते ही अपनी मम्मी के सर पर पट्टियाँ बँधी देखी तो, वो भी अपना सारा गुस्सा भूल कर, प्रिया की तरह उन से लिपट कर पुच्छने लगी.
नितिका बोली “मेरी मम्मी को क्या हुआ. इन्हे ये चोट कैसे लग गयी.”
प्रिया और नितिका को इस तरह खुद से लिपट कर रोते देख कर, मोहिनी आंटी की आँखे भीग गयी. लेकिन उन्हो ने दोनो को अपने सीने से चिपकाते हुए, अपनी उसी कड़कदार आवाज़ मे कहा.
मोहिनी आंटी बोली “पागल लड़कियों, मुझे कुछ भी नही हुआ है. वो मरदूत चोर घर से कुछ चुरा कर भाग रहा था तो, मैं उसके पिछे भागी. मगर वो कमीना मुझसे भी हॅटा कट्ता था. वरना मैं उसे ऐसी पटकनी लगाती कि, उसकी सात पुश्ते भी चोरी के नाम से घबराती.”
मोहिनी आंटी की ये बात सुनकर, सब हँसने लगे. लेकिन नितिका ने उन पर गुस्सा करते हुए कहा.
नितिका बोली “क्या ज़रूरत थी, आपको उस चोर का पिच्छा करने की, यदि आपको कुछ हो जाता तो, मेरा क्या होता.”
मोहिनी आंटी बोली “क्या हो जाता, तेरा तेरी इस जाहिल माँ से पिछा छूट जाता.”
मोहिनी आंटी की ये बात सुनकर, नितिका ने ओर भी ज़्यादा बिलख कर रोते हुए कहा.
नितिका बोली “खबरदार जो आपने दोबारा ऐसा कहा. आप जैसी भी हो, मेरी माँ हो. कोई आपके बारे मे कुछ भी सोचता रहे. लेकिन मैं आपके बिना जीने की कभी सोच भी नही सकती. यदि आपको कुछ हो गया तो, आपकी कसम, मैं भी अपने आपको कुछ कर लुगी.”
नितिका की ये बातें सुनकर, पहली बार मोहिनी आंटी की आवाज़ नरम पड़ते दिखाई दी और उन्हो ने नितिका से कहा.
मोहिनी आंटी बोली “मुझे नही पता था कि, मेरी इतनी बदसलुकियों के बाद भी, मेरी बेटियाँ मुझसे इतना प्यार करती है. मैं तुम दोनो से वादा करती हूँ कि, आज से मैं एक अच्छी माँ बनकर दिखाउन्गी और तुम दोनो को बेवजह किसी बात पर नही रोकूगी.”
ये कहते हुए मोहिनी आंटी ने नितिका और प्रिया को अपने सीने से चिपका लिया. शिखा दीदी की शादी मे नितिका को उसकी सुधरी हुई माँ और प्रिया को उसकी चाची के रूप मे एक नया तोहफा मिला था. आज एक बुरी औरत से फिर एक माँ जीत हुई थी. ये देख कर हम सब की आँखों मे भी नमी छा गयी.
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