RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मोहिनी आंटी के अंदर का ये बदलाव सच मे मेरे दिल को छु रहा था. उस समय मेरी आँखों मे नमी और होंठों पर मुस्कुराहट थी. वो मोहिनी आंटी जिसके साए से भी मैं दूर भागता था, इस समय वो मुझे दुनिया की सबसे अच्छी औरत नज़र आ रही थी.
ऐसा शायद इसलिए था, क्योकि इस समय वो सिर्फ़ एक औरत नही, बल्कि एक ममतामयी माँ के रूप मे मेरे सामने थी और अपने बच्चों को दुलार कर रही थी. आज मुझे यकीन हो गया था कि, औरत चाहे कैसी भी हो, मगर जब वो एक माँ के रूप मे होती है तो, उस से सुंदर कोई नही होता है.
हम मोहिनी आंटी के इस रूप मे खोए हुए थे कि, तभी सीरू दीदी की आवाज़ ने हम सबको चौका दिया. हमारे पास ही सीरू दीदी, सेलू, आरू और निक्की की चौकड़ी खड़ी हुई थी. वो पता नही कब हमारे पास आई थी. सीरू दीदी ने बड़ी ही विनम्रता के साथ मोहिनी आंटी से कहा.
सीरत बोली “आंटी, हम सब आपसे अपनी उस दिन की बदतमीज़ी के लिए माफी चाहते है. उस दिन हम लोगों ने जो भी किया, वो किसी भी तरह माफी के लायक नही है. फिर भी हो सके तो, हम लोगों को भी अपनी बेटियाँ समझ कर, हमारी उस ग़लती के लिए माफ़ कर दीजिए.”
इस समय सीरू दीदी की आँखों मे भी नमी थी. जिस से पता चल रहा था कि, वो भी नितिका और आंटी की सारी बातें सुन चुकी है. उस समय सीरू दीदी के मूह से ये सब बातें सुनकर, मुझे उतनी ही खुशी हुई, जितनी खुशी मुझे तब हुई, जब वो मोहिनी आंटी की बेइज़्ज़ती कर रही थी.
शायद इस हादसे ने मोहिनी आंटी के उपर बहुत गहरा असर किया था और उनके अंदर की बुरी औरत को पूरी तरह से ख़तम कर दिया था. इसलिए सीरू दीदी की ये बात सुनकर उन ने मुस्कुराते हुए कहा.
मोहिनी आंटी बोली “नही बेटी, तुम लोगों ने उस दिन कुछ ग़लत नही किया था. मैं ही अपनी मर्यादा भूल कर जो दिल मे आया बकती जा रही थी. उस सब मे तुम लोगों का कोई भी दोष नही है. वो कहते है ना कि,”
“बंदे क्यों करनी करे, क्यों करे पछिताए.
बोए पेड़ बबूल के, आम कहाँ से खाए.”
सभी बड़े गौर से मोहिनी आंटी की बातें सुन रहे थे कि, अचानक प्रिया ने बीच मे कूदते हुए कहा.
प्रिया बोली “नही चाची, आपने जो दोहा कहा है, वो कुछ ऐसा है.”
“बंदे क्यों करनी करे, क्यों करे पछिताए.
बोए पेड़ बबूल के, कोल्गेट कहाँ से आए.”
प्रिया की बात सुनते ही सब हँसने लगे. तभी हम लोगों को ढूँढती हुई नेहा वहाँ आ गयी और हम सब को एक ही जगह पर जमा देख कर उसने कहा.
नेहा बोली “अरे तुम सब लोग यहाँ बैठ कर गप्पे लड़ा रहे हो और वहाँ पर तुम सब के ऐसे अचानक गायब हो जाने से शिखा दीदी कितना परेशान हो रही है.”
तभी नेहा की नज़र मोहिनी आंटी पर पड़ी और उसने कहा.
नेहा बोली “आंटी को ये क्या हुआ. इनको ये चोट कैसे लग गयी.”
नेहा की बात सुनकर, बरखा ने सबसे पार्टी मे चलने को कहा और फिर हमारे साथ खुद भी नेहा को सारी बातें समझाते हुए पार्टी मे आ गयी. हम सब को एक साथ वापस पार्टी मे देख कर शिखा दीदी के चेहरे की रौनक वापस आ गयी.
लेकिन अब शायद वो हमारे इस तरह से गायब हो जाने की वजह जानना चाहती थी. इसलिए उन ने बरखा को इशारे से अपने पास बुलाया और उस से कुछ सवाल करने लगी. जिसके बाद, बरखा उन को सारी बातें बताने लगी.
यहाँ मोहिनी आंटी के सर मे लगी चोट देख कर, पद्मि नी आंटी भी घबरा गयी. लेकिन जब उन्हे सारी सच्चाई का पता चला और उन्हो ने मोहिनी आंटी का बदला हुआ रूप देखा तो, उनके चेहरे पर भी खुशी की चमक आ गयी.
अब रात के 12:30 बाज चुके थे. महमानों का आना बहुत कम हो गया था और जाने वाले महमानों की संख्या बहुत बढ़ गयी थी. अब बहुत कम मेहमान नज़र आ रहे थे और वो भी जाने की तैयारी मे लग रहे थे.
मुझे कुछ थकान सी महसूस हो रही थी और इस खुशी के माहौल मे कीर्ति की कमी भी महसूस हो रही थी. इसलिए मैं एक किनारे आकर बैठ गया और सबको देखने लगा. छोटी माँ, पद्मि नी आंटी और मोहिनी आंटी इस समय अमन की मोम और चाची के साथ बैठी बातों मे लगी थी.
वही राज, मेहुल और हीतू अपने अपने काम मे लगे थे. बरखा, रिया, प्रिया, नितिका और नेहा मंच के नीचे अमन को घेर कर खड़ी थी और किसी बात पर उस से बहस कर रही थी.
उन मे से सरिफ नितिका का ध्यान मेरी तरफ था. लेकिन ये शायद मेरा वहम ही था. क्योकि उस समय वो मोबाइल पर किसी से बात कर रही थी. इसलिए मुझे ऐसा लग रहा था कि, वो मेरी ही तरफ देख रही थी.
इसलिए मैने इस बात को अनदेखा किया और सीरू दीदी लोगों को देखने लगा. सीरू दीदी, सेलू, आरू और हेतल मंच पर अजय, शिखा दीदी और निशा भाभी के साथ थी. मंच पर इस समय उनके अलावा कोई दूसरा नही था. इसलिए मुझे ये समझते देर नही लगी कि, हो ना हो सीरू दीदी की शैतानी यहाँ पर भी चालू है.
मैं अभी ये सब देखने मे लगा था कि, तभी मेरे मोबाइल की एसएमएस टोन बजने लगी. मैने मोबाइल निकल कर देखा तो, ये कीर्ति का एसएमएस था.
कीर्ति का मेसेज
“वक़्त मिले तो याद करते हो.
दिल करता है तो बात करते हो.
एक ज़माना था जब हमारे बिना,
एक पल भी नही रह सकते थे.
पर अब तो एक ज़माने के बाद,
सिर्फ़ पल भर के लिए याद करते हो.”
कीर्ति का मेसेज देखते ही मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. उसकी ये सीकायत सही भी थी. क्योकि पिच्छले दो दिन से मैं उस से बात करने का समय नही निकाल पा रहा था और समय ना होने की वजह से मेरी उस से सही से बात ही नही हो पा रही थी.
लेकिन इस समय मैं बिल्कुल फ्री था और मेरा मन भी कीर्ति से बात करने का कर रहा था. मगर यहाँ इतने शोर गुल के बीच मोबाइल पर बात कर पाना मुमकिन नही था. इसलिए मैने कीर्ति से बात करने की बात सोच कर, बाहर आने लगा.
लेकिन बाहर निकलने से पहले, मैने एक बार छोटी माँ को देख लेना ठीक समझा और बाहर ना जाकर पास ही खड़े मेहुल के पास चला गया. मेहुल से बात करते हुए, मैने छोटी माँ की तरफ देखा तो, छोटी माँ आंटी लोगों से बात ज़रूर कर रही थी. लेकिन उनकी नज़र मुझ पर ही थी.
छोटी माँ की इस बात से समझ मे आ रहा था कि, उनके मन से अभी ये बात नही निकली थी कि, मेरे साथ हुए वो हादसे सिर्फ़ एक इतेफ़ाक थे. ऐसी हालत मे मेरे बाहर जाते ही, मेरे पिछे छोटी माँ का आना भी पूरी तरह से तय था.
इसलिए मैने अब मैने बाहर जाने का फ़ैसला बदल दिया और मैने छोटी माँ के पास जाकर उनसे जताया कि, मैं उपर टाय्लेट के लिए जा रहा हूँ. मुझे कुछ थकान सी हो रही है, इसलिए मैं कुछ देर उपर ही आराम करूगा. यहाँ कोई काम हो तो मुझे बुला लीजिएगा.
छोटी माँ को ये बात जताने के बाद, मैं उपर आ गया. उपर आने के बाद, मैने एक चेयर पर बैठते हुए, अपना मोबाइल निकाला और कीर्ति को कॉल लगा दिया. मेरे कॉल लगते ही कीर्ति का कॉल आने लगा. मैने उसका कॉल उठाते हुए कहा.
मैं बोला “क्या हुआ, तू अभी तक जाग क्यो रही है. मैने तुझसे कहा तो था कि, मैं आज तुझसे बात नही कर पाउन्गा.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने खिलखिलाते हुए कहा.
कीर्ति बोली “झूठे, ये तुम बात नही कर रहे हो तो, क्या कर रहे हो.”
उसकी इस बात पर मैने उस पर झूठा गुस्सा करते हुए कहा.
मैं बोला “अपनी बेकार की बक बक बंद कर, मेरे पास अभी इतना समय नही कि, मैं तेरी ये बक बक सुनने के लिए यहा बैठा रहूं.”
लेकिन कीर्ति मेरी इस बात को गंभीरता से ले गयी और उसने गुस्से मे मुझ पर भड़कते हुए कहा.
कीर्ति बोली “तुम अपने आपको समझते क्या हो. मैं यहाँ तुमसे बात करने के लिए मरी जा रही हूँ और तुम्हारे पास मुझसे बात करने के लिए समय ही नही है. उपर से अब कॉल किया भी है तो, प्यार से दो मीठे बोल बोलने की जगह, मुझ पर उल्टा गुस्सा दिखा रहे हो. मुझे तुमसे कोई बात नही करनी और अब तुम भी मुझे कोई कॉल मत करना. बाइ.”
इतना कह कर, कीर्ति ने बिना मेरी कोई बात सुने ही कॉल काट दिया. मैं तो उसको मज़ाक मे गुस्सा कर रहा था. लेकिन वो मेरी बात को सच समझ कर, मुझसे सच मे गुस्सा हो गयी थी.
मैने उसे मनाने के लिए वापस कॉल किया. मेरे कॉल के जबाब मे कीर्ति ने मेरा कॉल काट कर मुझे वापस कॉल लगाया और मेरे कॉल उठाते ही, उसने मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “हां बको, तुम्हे क्या बकना है.”
कीर्ति की ये बात सुनकर, मुझे कुछ बुरा तो लगा. लेकिन मैने इस बात को अनदेखा करते हुए उस से कहा.
मैं बोला “सॉरी, मैं तो तुझसे मज़ाक मे वो सब बोला था. मुझे नही पता था कि, तू मेरी उस बात को इतनी गंभीरता से ले जाएगी.”
मेरी बात सुनते ही एक बार फिर कीर्ति की खिलखिलाहट गूँज गयी और उसने हंसते हुए मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “तो मैं कौन सा सच बोल रही थी. मैं भी तो मज़ाक कर रही थी. मैं समझ गयी थी कि, तुम मुझ पर झूठा गुस्सा दिखा रहे हो.”
कीर्ति की इस बात को सुनकर, मुझे ज़रा भी विस्वास नही हुआ कि, वो मुझ पर अभी झूठ गुस्सा दिखा रही थी. इसलिए मैने उस से कहा.
मैं बोला “झूठ तो तू अब बोल रही है. तू मेरी बात सुनकर, सच मे मेरे उपर गुस्सा हो गयी थी और तूने जो कुछ भी कहा था, वो मज़ाक नही था.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने अपनी बात की सफाई देते हुए कहा.
कीर्ति बोली “कसम से, मैं सच मे मज़ाक कर रही थी. मैं जानती थी कि, तुम मज़ाक मे मुझे परेशान कर रहे हो. इसलिए मैने उल्टा तुमको ही परेशान कर दिया.”
मैं बोला “तुझे ये क्यो लगा कि, मैं मज़ाक कर रहा हूँ.”
कीर्ति बोली “वो इसलिए, क्योकि अभी जब तुम अंदर थे तो, मैं नितिका से बात कर रही थी. उस ने मुझे बताया कि, तुम अकेले बैठे सब को देख रहे हो. उसकी बात सुनकर, मैं समझ गयी कि, तुमको मेरी याद परेशान कर रही है. इसलिए मैने तुमको एसएमएस किया था. जिसके बाद नितिका ने मुझे बताया कि तुम बाहर जा रहे हो. उसकी बात सुनते ही मैं समझ गयी कि, तुम मुझे कॉल लगाने वाले हो. इसलिए मैं उसका कॉल रख कर तुम्हारा कॉल आने का इंतजार कर रही थी.”
कीर्ति की बात सुनकर, मुझे भी हँसी आ गयी और मैने ठंडी साँस लेते हुए उस से कहा.
मैं बोला “तो तूने मेरे पिछे अपना जासूस लगा कर रखा है. जो तुझे मेरी खबर देता रहता है.”
कीर्ति बोली “ओर नही तो क्या. तुम क्या सोचते हो कि, तुम मुझे अपने साथ नही रखोगे तो, मुझे तुम्हारी कोई खबर नही रहेगी. यदि तुम ऐसा सोचते हो तो, ये तुम्हारी भूल है.”
कीर्ति की बात सुनकर, मुझे हँसी आ गयी और फिर मैं उस से अमि निमी का हाल पुच्छने लगा. अमि निमी का हाल जानने के बाद, मैने उस से कल बात करने की बात कही और फिर उसने कॉल रख दिया.
कीर्ति के कॉल रखने के बाद, मैने सुकून की साँस ली और बैठे बैठे अंगड़ाई लेने लगा. तभी मेरी नज़र सीडियों तरफ पड़ी तो, मुझे वहाँ पर प्रिया खड़ी दिखाई दी. वो खड़े खड़े मुझे ही देख रही थी.
उसने मुझे अपनी तरफ देखते पाया तो, वो मुस्कुराते हुए मेरे पास आकर बैठ गयी. मैने भी मुस्कुराते हुए उस से कहा.
मैं बोला “तुम यहाँ सीडियों पर खड़ी क्या कर रही थी.”
मेरी बात के जबाब मे प्रिया ने सीधा सा जबाब देते हुए कहा.
प्रिया बोली “तुम पर नज़र रख रही हूँ.”
उसकी बात सुनकर, मैने हंसते हुए कहा.
मैं बोला “लेकिन तुम मुझ पर नज़र क्यो रख रही हो. मैं कही भागा तो नही जा रहा हूँ.”
प्रिया बोली “तुम्हारी मोम ने मुझे ज़िम्मेदारी दी थी कि, मैं तुम्हे कहीं भी अकेले ना जाने दूं. इसलिए जब मैने तुम्हे अकेले यहाँ आते देखा तो, मैं भी तुम्हारे पिछे आ गयी.”
प्रिया की ये बात सुनकर मैं मुस्कुरा दिया. उस की इस बात से, ये भी समझ मे आ रहा था कि, वो बहुत देर से यहाँ पर खड़ी है. लेकिन इसके बाद भी उसने मुझसे ये नही पुछा कि, मैं इतनी देर किस से बात कर रहा था.
शायद वो समझ गयी थी कि, मैं किस से बात कर रहा हूँ. इसलिए उसने मुझसे ये सवाल करना ज़रूरी नही समझा था. लेकिन प्रिया के इस बर्ताव ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया था.
जहाँ हर कोई, जिस लड़की से मैं प्यार करता हूँ, उसके बारे मे जानना चाहता था. वही प्रिया साए की तरह मेरे साथ रहते हुए भी, कभी मुझसे उस लड़की के बारे मे कोई सवाल नही करती थी. प्रिया के इस बर्ताव को देख कर, मुझे तृप्ति की कविता की दो लाइन याद आ गयी.
“नही जानती वो चाहते है किसे, इतना दिल ओ जान से.
फिर भी उस “अजनबी से नफ़रत” सी क्यों होती है.”
तृप्ति की कविता की ये लाइन याद आते ही, मुझे लगा कि, शायद इस कविता मे कही गयी बात की तरह प्रिया भी उस लड़की से, जिसे मैं प्यार करता हूँ, मन ही मन नफ़रत करती है. इसलिए वो कभी इस बारे मे मुझसे कुछ पुच्छना पसंद नही करती है. ये बात दिमाग़ मे आते ही मैने प्रिया से कहा.
मैं बोला “तुम सीडियों पर खड़ी, इतनी देर से मुझे किसी से बात करती देख रही हो. लेकिन तुमने मुझसे ये तक नही पुछा की, मैं इतनी देर किस से बात कर रहा था. ऐसा क्यो, क्या मैं जान सकता हूँ.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “चलो आज इतने दिनो के बाद ही सही, लेकिन तुम्हे मुझसे पुच्छने के लिए कोई बात तो मिल ही गयी. मैं बताती हूँ की ऐसा क्यो है. क्योकि मैं ये अच्छी तरह से जानती हूँ कि, तुम अभी किस से बात कर रहे थे.”
मैं ये बात तो पहले ही जानता था कि, प्रिया ये बात जानती है कि, मैं किस से बात कर रहा हूँ. लेकिन उसके मूह से ये बात सुनने के लिए मैने ये बात कही थी. मगर अब मैने अपनी असली बात पर आते हुए उस से कहा.
मैं बोला “जब तुमको ये बात पता थी तो, तुमने मुझसे इस बारे मे कुछ पुछा क्यो नही. क्या उसके बारे मे जानने का तुम्हारा मन नही करता.”
मेरी इस बात के जबाब मे प्रिया ने फिर से मुस्कुरा कर, सीधा सा जबाब देते हुए कहा.
प्रिया बोली “मेरे तुमसे कभी इस बारे मे कोई सवाल ना करने की वजह ये है कि, मैं कभी अपने आपको तुम्हारे दिल मे उस जगह पर नही पाती हूँ, जिस जगह पर निक्की या मेहुल है.”
प्रिया की इस बात मे बहुत हद तक सच्चाई छुपि हुई थी. फिर भी मैने उसकी बात को झुठलाते हुए कहा.
मैं बोला “ऐसी कोई बात नही है. तुम्हे कोई ग़लतफहमी हुई है, वरना मेरे दिल मे तुम्हारी भी वो ही जगह है, जो मेहुल या निक्की की है. फिर तुम ऐसा कैसे कह सकती हो.”
मेरी इस बात को सुनकर, प्रिया ने इसके जबाब मे मुस्कुराते हुए एक शायरी कही.
प्रिया की शायरी
“हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल को खुश रखने को ग़ालिब यह ख़याल.”
मैं प्रिया की शायरी का मतलब समझ गया था. लेकिन फिर भी मैने इस से अंजान बनते हुए कहा.
मैं बोला “देखो, मैं तुमसे पहले ही कह चुका हूँ कि, मुझे ये शेर शायरी की भाषा साँझ मे नही आती है. तुम्हे जो भी कहना हो सॉफ सॉफ कहो.”
मेरी इस बात पर प्रिया ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा.
प्रिया बोली “तुम मानो या ना मानो. लेकिन सच वो ही है, जो मैने तुमसे कहा है और इसकी एक ताज़ा मिसाल शेखर भैया के सपनो से जुड़ी उन बातों को ही ले लो. जिनके बारे मे, तुम्हारे साथ रहते हुए भी, हम मे से कोई नही जानता था. मगर निक्की तुमसे दूर होते हुए भी, इस बारे मे सब कुछ जानती थी.”
“ये ही नही, ऐसी बहुत सी बातें है. जिनसे मैं ये साबित कर सकती हूँ की, तुम्हारे दिल मे जो जगह निक्की की है, वो मेरी नही है. लेकिन कुछ भी साबित करने का कोई फ़ायदा नही है. बस इतना समझ लो कि, तुम्हारी जो दोस्ती निक्की के साथ है, वो ही असली दोस्ती है. बाकी सब तो एक छलावा है.”
प्रिया की इन बातों को सुनकर, मैं सन्न रह गया था. मैं तो प्रिया से मुझे और कीर्ति को लेकर सवाल जबाब करना चाह रहा था. लेकिन उसने तो मेरे सामने निक्की को लेकर एक नया सवाल खड़ा कर दिया था.
मैं सोच भी नही सकता था कि, प्रिया के दिल मे मेरी और निक्की की दोस्ती को लेकर इतना सब कुछ चल रहा है. उसने निक्की को लेकर जो कुछ भी कहा था, वो ज़रा भी ग़लत नही था. मुझे निक्की से अपने दिल की बात कहने मे ज़रा भी हिचक नही होती थी.
लेकिन इस सबका मतलब ये हरगिज़ नही था की, प्रिया के लिए मेरे दिल मे कोई जगह नही है या प्रिया मेरे लिए निक्की से कुछ कम थी. इसलिए मैने प्रिया की इस बात को सुनकर, उस पर झल्लाते हुए कहा.
मैं बोला “तुम्हारी ये बात ग़लत नही है कि, मैं अपने दिल की हर बात बेहिचक निक्की से कर लेता हूँ. लेकिन इसका ये मतलब नही कि, मेरे दिल मे तुम्हारे लिए कोई जगह नही या फिर तुम मेरे लिए निक्की से कुछ कम हो.”
मेरी इस बात के जबाब मे प्रिया ने कहा.
प्रिया बोली “तुम्हारे दिल मे क्या है, ये तो तुम से बेहतर कोई नही जान सकता. मैने तो सिर्फ़ वो बोला, जो मैं महसूस करती हूँ और मुझे क्या महसूस होता है, वो मैने तुम्हे बता दिया.”
प्रिया अब भी अपनी ही बात की तरफ़दारी कर रही थी. इसलिए मुझे उस पर थोड़ा गुस्सा आ गया और मैने उस से कहा.
मैं बोला “मैं तो तुम्हे एक समझदार लड़की समझा था. लेकिन तुम भी बाकी लड़कियों की तरह ही बेवजह का शक़ करने वाली और ग़लतफहमी पालने वाली लड़की हो. दुनिया की हर बीमारी का इलाज है, मगर ग़लतफहमी का कोई इलाज नही है. ग़लतफहमी पालने वाला अपनी ग़लतफहमी की वजह से अंदर ही अंदर खुद भी जलता रहता है और दूसरो को भी जलाता रहता है. इसलिए ये जो ग़लतफहमी तुमने अपने दिमाग़ मे पाल रखी है, उसे अपने दिमाग़ से बाहर निकाल दो.”
मेरे इस तरह गुस्सा करने और बातें सुनने के बाद भी प्रिया पर इसका कोई असर नही पड़ा. उसने मेरी इस बात के जबाब मे मुस्कुराते हुए फिर से एक शायरी कही.
प्रिया की शायरी
“अभी सूरज नही डूबा, ज़रा सी शाम होने दो.
मैं खुद लौट जाउन्गी, मुझे नाकाम होने दो.
मुझे बदनाम करने का, बहाना ढूँढते हो क्यों,
मैं खुद हो जाउन्गी बदनाम, पहले ज़रा नाम होने दो.”
प्रिया की ये शायरी समझ मे आते ही, मुझे लगा कि, वो अभी भी मेरी बात को समझना नही चाहती है. जिस वजह से मैने उस पर भड़कते हुए कहा.
मैं बोला “ये पागलों की तरह हरकत करना बंद करो. मेरे सामने तुम अपने चेहरे पर इस झूठी हँसी का मुखौटा लगा कर मुझे बेवकूफ़ नही बना सकती. मुझे तुम्हारे आँसुओं से उतनी तकलीफ़ नही होती, जितनी तकलीफ़ तुम्हारी इस झूठी हँसी को देख कर होती है. इसलिए कम से कम मेरे सामने तुम अपना ये पागलपन मत दिखाओ.”
मेरी ये बात सुनकर, प्रिया अचानक ही बहुत ज़्यादा गंभीर हो गयी और उसने मुझसे कहा.
प्रिया बोली “तुम क्या सोचते हो कि, ये पागलों की तरह हर बात पर हँसने वाली लड़की कुछ समझती नही है. तुम शायद ये बात भूल गये कि, छेद सिर्फ़ मेरे दिल मे है, मेरे दिमाग़ मे कोई छेद नही है. मैं तुम्हारी इस हमदर्दी को अच्छी तरह से समझ सकती हूँ.”
“तुम्हारे लिए मैं सिर्फ़ एक ऐसी पागल लड़की हूँ, जिसने तुम्हे अपने घर मे देखा और फिर इस सच्चाई को जानते हुए भी कि, तुम किसी ओर से प्यार करते हो, फिर भी तुमसे प्यार करती है. मुझे प्यार ना करते हुए भी तुम मुझे क्यो झेल रहे हो. क्या मैं इसका मतलब नही समझती.”
“तुम मुझे सिर्फ़ इसलिए झेल रहे हो, क्योकि मैं दिल की मरीज हूँ और कोई भी सदमा मेरे लिए जान लेवा साबित हो सकता है. मुझे इस तरह झेल लेने के पिछे तुम्हारी एक सोच ये भी हो सकती है कि, तुम यहाँ सिर्फ़ कुछ दिन के लिए ही आए हो और हो सकता है कि, तुम्हारे जाने के बाद, मेरी जिंदगी मे कोई ओर लड़का आ जाए और मेरे दिमाग़ से तुम्हारे प्यार का ये भूत उतर जाए.”
“अब यदि तुम्हारे मुझे इस तरह झेलने के पिछे तुम्हारी सोच पहली वाली है तो, मैं ये ही कहुगी कि, तुम्हारी सोच ग़लत नही है. लेकिन यदि मुझे झेलने के पिछे तुम्हारी सोच दूसरी वाली है तो, मैं कहुगी कि, तुम्हारी सोच ग़लत है.”
“क्योकि अभी तुम इस पागल लड़की को अच्छी तरह से जानते नही हो. ये पागल लड़की जो तुम्हारे सामने खड़ी है. कुछ समय पहले ये स्विम्मिंग चॅंपियन थी और देश के कयि हिस्सो मे स्विम्मिंग टूर पर जा चुकी है. इन स्विम्मिंग टूर पर ना जाने कितने लड़को ने इस पागल लड़की को अपने प्यार के लिए प्रपोज़ किया और ना जाने कितने लड़के अभी भी प्रपोज़ करते आ रहे है.”
“लेकिन इस पागल लड़की ने कभी किसी की तरफ आँख उठा कर नही देखा. जानते हो क्यो नही देखा. क्योकि ये पागल लड़की ऐसे ही एक स्विम्मिंग टूर पर अपना दिल किसी अजनबी लड़के को दे चुकी थी और सोचती थी कि, क्या ये उस लड़के से जिंदगी मे कभी दोबारा मिल पाएगी या नही मिल पाएगी.”
प्रिया अपनी ये बात कहते कहते बहुत भावुक हो गयी थी और उसकी आँखों से आँसू छलकने लगे थे. आज पहली बार वो मेरे सामने अपने दिल की बात खोल कर रख रही थी. फिर भी उसकी ये हालत देख कर, मुझसे आगे कुछ पुछ्ते नही बन रहा था.
कुछ देर तक वो अपने आपको संभालने की कोसिस करती रही. लेकिन आज उसके सबर का पैमाना छलक चुका था और उसके आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे. फिर भी उसने किसी तरह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.
प्रिया बोली “क्या तुम जानना चाहोगे, वो अजनबी लड़का कौन है. क्या इस पागल लड़की के प्यार को समझने की हिम्मत तुम्हारे अंदर है. यदि तुम्हारे अंदर हिम्मत है तो, लो देखो, उस अजनबी लड़के को देख लो.”
ये कहते हुए प्रिया ने अपने मोबाइल मे कोई पिक खोला और फिर मोबाइल मेरी तरफ बढ़ा दिया. मोबाइल का पिक देखते ही मुझे एक ज़ोर का झटका लगा और मैं उस पिक की जगह को पहचानने की कोसिस करने लगा.
मगर चाहते हुए भी मैं उसे पहचान नही पा रहा था. मेरी आँखों के सामने का इस समय का मंज़र, दुनिया के आठवें अजूबे से कम नही था. जिसे देख कर मैं बहुत ज़्यादा हैरान और परेशान हो गया.
वही प्रिया अपनी आँखों को मसल कर अपने आँसू रोकने की नाकाम कोसिस कर रही थी. मगर प्रिया के आँसू भी उसकी मुस्कुराहट की तरह, उसके साथ पूरी वफ़ादारी निभा रहे थे और किसी भी हाल मे उसका साथ छोड़ने को तैयार नही हो रहे थे.
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