RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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एक तरफ प्रिया के आँसू थे और एक तरफ मेरी हैरानी थी. ना प्रिया अपने आँसुओं से पिच्छा छुड़ा पा रही थी और ना मैं अपनी हैरानी से पिच्छा छुड़ा पा रहा था. मैं प्रिया के मोबाइल मे जो पिक देख रहा था, वो मेरी ही पिक थी.
मेरी वो पिक जहाँ पर ली गयी थी, वो कोई जानी पहचानी सी जगह लग रही थी. लेकिन बहुत कोसिस करने के बाद भी, मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, ये पिक किस जगह की है और कब ली गयी है.
मैं अभी इसी सोच मे खोया हुआ था कि, तभी प्रिया ने अपनी खामोशी को तोड़ कर, मेरी हैरानी को दूर करते हुए कहा.
प्रिया बोली “ये पिक ईद के दिन की ही है. पिच्छले साल रमज़ान के महीने मे चलने वाले रोज़े के समय मैं वही थी और मैने ईद के दिन तुम्हारी ये पिक ली थी.”
प्रिया के ईद का नाम लेते ही, मुझे याद आ गया कि, ये पिक बाजी के घर के सामने वाले रेस्टोरेंट की है. क्योकि मैं रमज़ान के महीने मे बाजी के घर आफ्तरी करने के बाद, अक्सर असलम के साथ चाय कॉफी के लिए वहाँ जाया करता था.
ये बात समझ मे आते ही, मुझे इस पिक की कहानी भी कुछ कुछ समझ मे आ चुकी थी और ये बात भी पूरी तरह से सॉफ हो चुकी थी, प्रिया मुझे मुंबई मे आने के पहले से ही जानती थी.
मेरे मन मे प्रिया से करने के लिए हज़ारों सवाल थे. लेकिन उसका रोता हुआ चेहरा देख कर, मुझे अभी उस से कोई सवाल करना ठीक नही लगा. इसलिए मैने अपने उन सवालों को एक किनारे रख कर बात को बदलते हुए, उस से कहा.
मैं बोला “तो तुम मुझे मेरे यहाँ आने के पहले से जानती थी. लेकिन तुमने ये कैसे सोच लिया कि, मैं ये बात नही जानता कि, ये पागल लड़की एक स्विम्मिंग चॅंपियन है और मेरे शहर मे भी स्विम्मिंग टूर पर आ चुकी है.”
मेरी इस बात ने प्रिया के जख़्मो पर मरहम लगाने का काम किया था. उसके आँसू थमने लगे थे और अब वो मेरी तरफ ऐसे देख रही थी, जैसे जानना चाहती हो कि, मुझे ये बात किसने बताई. मैने भी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उस से कहा.
मैं बोला “बरखा दीदी ने जिस दिन तुमको यहाँ देखा था, उन्हो ने उसी दिन मुझे ये बात बता दी थी कि, पिच्छले साल वो तुम्हारे साथ हमारे शहर मे नॅशनल गेम्स के लिए आई थी. जिसमे तुम्हारा टॉप 10 मेडल विन्नर्स मे 1स्ट रॅंक था और तुमने 9 गोल्ड मेडल्स और 1 सिल्वर मेडल्स जीता था.”
“उस दिन मुझे ये सब सुनकर, जितनी खुशी हुई थी. उतना ही इस बात का दुख भी हुआ कि, तुम्हारी बीमारी की वजह से तुम वो मुकाम हासिल नही कर सकी, जो तुम हासिल कर सकती थी. साथ ही मुझे तुम पर और निक्की पर गुस्सा भी आया था कि, तुम दोनो ने कभी मुझे ये बात क्यो नही बताई.”
प्रिया अब कुछ हद तक खुद को संभाल चुकी और उसके आँसू बहना बंद हो गये थे. उसने नम (टियरफुल) लहजे मे अपनी खामोशी तोड़ते हुए कहा.
प्रिया बोली “इसमे निक्की का कोई कसूर नही है. स्विम्मिंग मे ये मुकाम हासिल करने मे मेरी कयि सालों की मेहनत लगी थी. लेकिन बीमारी की वजह से स्विम्मिंग छोड़ने देने के बाद, मैं स्विम्मिंग का नाम सुनते ही बेहद तनाव मे आ जाती थी. जिस वजह से घर मे सबने स्विम्मिंग का जिकर तक करना छोड़ दिया था.”
प्रिया का मन इस बात मे लगते देख कर, मैने भी इस विषय पर बात करना ठीक समझा और उस से कहा.
मैं बोला “लेकिन तुम्हारे जीते हुए सारे मेडल्स और ट्रोफीस कहाँ है. मुझे वो ना तो तुम्हारे कमरे मे नज़र आए और ना ही नीचे कहीं नज़र आए.”
प्रिया बोली “मुझे स्विम्मिंग चॅंपियन बनाने मे राज भैया ने बहुत मेहनत की थी. लेकिन जब मुझे स्विम्मिंग के नाम से ही परेशानी होने लगी तो, पापा वो सारे मेडल्स और ट्रोफीस भी हटाने लगे. तब राज भैया वो सारे मेडल्स और ट्रोफीस अपने कमरे मे ले गये और आज भी वो उनके कमरे मे किसी सुनहरे सपने की तरह सजे हुए है.”
प्रिया अब बहुत हद तक पहले की हालत मे वापस आ चुकी थी. इसलिए मैने फिर से पहले वाली बात पर वापस आते हुए कहा.
मैं बोला “तो तुमने मुझे पहली बार इस रेस्टोरेंट मे देखा और मैं तुम्हे इतना पसंद आया कि, तुमने मेरी फोटो ले ली.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने एक पल के लिए मेरी तरफ देखा और फिर अपनी नज़रें झुका कर, मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.
प्रिया बोली “नही, मैने पहली बार तुम्हे इस रेस्टोरेंट मे नही, बल्कि एक मार्केट मे देखा था. तब तुम अपनी बहनो के साथ कुछ खरीदी कर रहे थे. मुझे उनका चुलबुलापन बहुत अच्छा लग रहा था और मैं उनको देख रही थी. तभी मेरी नज़र तुम पर पड़ी थी. उस समय मुझे तुम्हारा भोलापन भी बहुत पसंद आया था.”
“उसके बाद मैने एक दिन तुम्हे अपनी होटेल के सामने वाले घर से निकलते देखा. तुम वहाँ से निकल कर हमारे होटल के नीचे बने रेस्टोरेंट मे आ गये. उस दिन के बाद से मैने ऐसा होते रोज देखा. पता नही, उस समय मुझ पर तुमको देखने का कैसा भूत सवार हो गया था कि, मैं रोज तुम्हारा उस घर मे आने का इंतजार करती रहती थी.”
“एक दिन तुमको रेस्टोरेंट मे आते देख कर मैं भी वहाँ गयी. फिर ऐसा रोज ही होने लगा. मैं चाहती थी कि, तुम्हारी नज़र भी मुझ पर पड़े. लेकिन ऐसा कभी हुआ ही नही. फिर ईद के दिन अपनी सहेली से बात करते करते, मैने उसकी पिक लेने के बहाने से, तुम्हारी ये पिक ले ली थी.”
“कुछ दिन बाद हम सब की घर वापसी हो गयी. मगर तब तक तुम मेरे सीने मे एक मीठी याद बन कर बस चुके थे. मेरी तुमसे कभी बात भी नही हुई थी. फिर भी मुझे ऐसा लगता था कि, जैसे मैं तुमको बरसो से जानती हूँ.”
“दिन ऐसे ही गुजर रहे थे कि, दीदी ने एक दिन हम सबको तुम्हारी कज़िन के निक्की के हमशकल होने की बात बताते हुए, हमे उसकी फोटो दिखाने लगी. तभी तुम्हारी कज़िन के साथ, मैने तुम्हारी फोटो भी देखी थी.”
“मुझे अपनी आँखों पर यकीन नही हो रहा था कि, जो मैं देख रही हूँ, वो सब एक सपना नही सच है. सबको लग रहा था कि, मैं तुम्हारी कज़िन को देख कर हैरान हूँ. लेकिन मेरी हैरानी की वजह तो तुम थे और तब मैने फ़ैसला कर लिया था कि, अब चाहे जो हो जाए, मैं अपनी चाची के घर ज़रूर जाउन्गी.”
“मगर मेरे वहाँ जाने के पहले ही तुम यहाँ हमारे ही घर मे आ गये. उस दिन तुम्हे अपने घर मे देख कर मैं खुशी से फूली नही समा रही थी और मुझे लग रहा था कि, अब तुम्हे मेरे होने से कोई नही रोक सकता. लेकिन ये खुशी सिर्फ़ कुछ दिनो की थी. क्योकि उसके बाद जो कुछ भी हुआ, वो सब तुम जानते ही हो.”
इतना कह कर, प्रिया चुप हो गयी. अब वो किसी पत्थर के बुत की तरह नज़रे झुका कर, बिल्कुल शांत बैठी थी. लेकिन उसकी इस कहानी को सुनकर, उसके दर्द के अहसास ने मेरी आँखों मे नमी पैदा कर दी थी.
अब मैं ना तो प्रिया से अब कुछ कह पा रहा था और ना ही कुछ पुच्छ पा रहा था. प्रिया ने जब मुझे खामोश देखा तो, नज़र उठा कर मेरी तरफ देखने लगी और मुझ पर नज़र पड़ते ही, उसे मेरी हालत का अहसास भी हो चुका था.
लेकिन शायद वो अपनी वजह से मुझे इस तरह परेशान होते देखना नही चाहती थी. इसलिए वो अपने चेहरे पर एक फीकी सी मुस्कान सजाते हुए एक शायरी कहने लगी.
प्रिया की शायरी
“एक दर्द है जो मुझे जीने नही देता.
दिल सबर का आदि है मुझे रोने नही देता.
मैं उनकी हूँ ये राज़ तो वो जान गये है.
वो किसके है ये सवाल मुझे सोने नही देता.”
प्रिया की ये शायरी सुनकर, मुझे उसके दर्द का अहसास हो रहा था. लेकिन जब मैने उसकी तरफ देखा तो, उसके चेहरे पर एक फीकी सी हँसी थी और वो अपनी आँखे मटका इशारे से मुझसे पुच्छ रही थी कि, वो लड़की कौन है.
उसकी इस हरकत को देख कर कोई भी ये ही कहता कि, वो मेरे साथ मज़ाक कर रही है. लेकिन उसकी इस हरकत से मैं आज सही मायने मे उसकी झूठी हँसी का मतलब समझ पाया था. उसकी इस झूठी हँसी हमेशा एक ही मतलब होता था कि, ना खुद उदास रहो और ना ही दूसरो को उदास रहने दो.
आज मुझे सच मे उसकी इस हँसी को झूठा कहने पर अफ़सोस हो रहा था. इसलिए मैने भी उसकी हँसी मे उसका साथ निभाते हुए उस से कहा.
मैं बोला “हम लोगों को यहाँ आए काफ़ी देर हो चुकी है. मुझे लगता है कि, अब हमे यहाँ से चलना चाहिए. वरना अभी कोई हमे यहाँ बुलाने आ जाएगा.”
मेरी बात के जबाब मे प्रिया ने खड़े होते हुए कहा.
प्रिया बोली “हां ठीक है, मैं थोड़ा मूह धो लू, फिर हम चलते है.”
इतना कह कर वो बाथरूम की तरफ चली गयी. तब तक मैं भी अपना चेहरा सही सा करने लगा. थोड़ी देर बाद प्रिया मूह धो कर वापस आ गयी और फिर हम नीचे आ गये. लेकिन नीचे आने के बाद, उसने मुझे कुछ देर रुकने को कहा और घर के अंदर चली गयी.
कुछ देर बाद, जब वो वापस आई तो, मैं उसे देख कर समझ गया कि, उसने अभी मूह धोया था, इसलिए वो फिर से मेक-अप करने अंदर गयी थी. अब वो फिर से पहले वाली प्रिया ही नज़र आ रही थी.
हम दोनो पार्टी मे वापस आ गये. पार्टी मे आते ही प्रिया निक्की के पास चली गयी. अब 1:30 बज गये थे और पार्टी मे महमानो के नाम पर एक दो लोग ही नज़र आ रहे थे. इसलिए अब मेहुल लोग सब घर वालों के लिए खाना लगाने मे लगे थे और सबको बुला बुला कर ले जा रहे थे.
मैं खड़े खड़े चारो तरफ का मुआयना कर रहा था कि, तभी मेरी नज़र हेतल दीदी पर पड़ी. वो मेरी ही तरफ देख रही थी और मुझसे नज़र मिलते ही उन्हो ने मुझे अपने पास आने का इशारा किया.
उनका इशारा समझते ही मैं उनकी तरफ बढ़ गया. वो इस समय किसी अंजान दंपत्ति के साथ खड़ी थी. वो पति पत्नी किसी बहुत बड़े घर के नज़र आ रहे थे. मैने हेतल दीदी के पास पहुच कर कहा.
मैं बोला “जी, दीदी.”
मेरी बात सुनकर, हेतल दीदी ने मुस्कुराते हुए मेरा परिचय उन दंपत्ति से कराया और फिर उनका परिचय मुझसे करवाते हुए कहा.
हेटल दीदी बोली “ये मेरे मम्मी पापा है.”
उनका परिचय पाते ही, मैने फ़ौरन उनसे नमस्ते किया और उनका हाल चाल पुच्छने लगा. हेतल दीदी के मम्मी पापा दोनो ही बहुत खुश मिज़ाज लग रहे थे. वो दोनो खुले दिल से, इस सारे इंतेजाम के लिए, मेरी तारीफ करने लगे.
तभी निक्की हमे खाने के लिए, बुलाने आ गयी और हम लोग भी खाने की टेबल के पास पहुच गये. जहाँ पर अजय का पूरा परिवार पहले से ही मौजूद था. उनके साथ आंटी, बरखा, छोटी माँ और पद्मिपनी आंटी लोग भी बैठी थी.
उधर का नज़ारा कुछ ऐसा था कि, एक बड़ी सी डाइनिंग टेबल के एक तरफ बीच मे अमन और दूसरी तरफ अजय बैठा था. अमन के दाहिनी तरफ निशा भाभी और बाईं तरफ उसकी चाची बैठी थी. जबकि अजय के बाईं तरफ शिखा दीदी और दाहिनी तरफ धीरू शाह बैठे थे.
निशा भाभी के बगल मे निधि, उसके बाद सेलू, फिर सीरू दीदी, उसके बाद हेतल दीदी, फिर निक्की और प्रिया बैठी थी. जबकि अमन की चाची जी के बगल मे उसकी मोम, उसके बाद हेतल दीदी की मम्मी, फिर शिखा दीदी की मम्मी, उसके बाद पद्मिूनी आंटी और मोहिनी आंटी बैठी थी.
शिखा दीदी के बगल मे आरू, उसके बाद बरखा, फिर नेहा, फिर रिया और उसके बाद नितिका बैठी थी. जबकि धीरू शाह के बगल मे हीतू, उसके बाद राज, फिर मेहुल और छोटी माँ बैठी थी.
मैं सीधे जाकर छोटी माँ के पास बैठ गया. मेरे सामने मोहिनी आंटी बैठी थी. मेरी नज़र उन पर पड़ी तो, उन ने मुझे एक प्यारी सी मुस्कान देते हुए कहा.
मोहिनी आंटी बोली “इतने बड़े हो गये हो. मगर लगता है कि, अभी तक अपनी मम्मी का पल्लू पकड़े रहने की आदत नही गयी है.”
मैने भी मोहिनी आंटी की इस बात जबाब मुस्कुरा कर देते हुए कहा.
मैं बोला “आंटी, मैं इनका पल्लू नही पकड़ता हूँ. बल्कि इनका पल्लू मुझे पकड़ कर अपनी तरफ खीच लेता है. मैं उस से कहता हूँ कि, अब मैं बड़ा हो गया हूँ. लेकिन वो मेरी ये बात समझता ही नही है. अब आप ही उसको समझाइये कि, मैं बड़ा हो गया हूँ.”
मेरी बात सुनकर, सब हँसने लगे. वही मोहिनी आंटी को मेरे साथ इस तरह हँसी मज़ाक करते देख कर, मेहुल कुछ हैरान सा हो गया था. उसे समझ मे नही आ रहा था कि, मोहिनी आंटी मेरे साथ इतनी अच्छे से बात कैसे कर रही है.
असल मे उसे मोहिनी आंटी के अंदर हुए बदलाव का पता नही था. जिस समय मोहिनी आंटी के साथ हादसा हुआ था, वो काम मे व्यस्त था और उसे किसी ने उनके बारे मे कुछ नही बताया था.
लेकिन जब उसने मोहिनी आंटी को मेरे साथ इतने अच्छे से बात करते देखा तो, उसने अपनी ये हैरानी राज के सामने जाहिर की और राज उसे धीरे धीरे सब कुछ बताने लगा. अभी राज और मेहुल मे ख़ुसर फुसर चल रही थी कि, तभी निक्की और प्रिया किसी बात को लेकर आपस मे बहस करने लगी.
इस से पहले की कोई उनकी इस बहस को समझ पाता कि, वो किस बात पर बहस कर रही है. उस से पहले ही उनकी ये बहस झगड़े मे बदल गयी. उनको इस तरह आपस मे झगड़ते देख कर, हेतल दीदी ने दोनो को शांत होने को कहा और वो दोनो को समझाने लगी.
जिसके बाद प्रिया निक्की के पास से उठ कर, मेरे पास आकर बैठ गयी. किसी को भी समझ मे नही आया कि, दोनो के बीच क्या हुआ है. दोनो ही बहुत गुस्से मे लग रही थी और सब उनके इस झगड़े की वजह से हैरान थे.
इस से पहले की कोई इस बारे मे दोनो से कुछ पुच्छ पाता, उस के पहले ही सेलू ने अपनी जगह पर खड़े होते हुए प्रिया और निक्की से कहा.
सेलिना बोली “आए अब तुम दोनो ये झगड़े का नाटक करना बंद करो. देखो सब कितने परेशान हो रहे है.”
सेलू की बात सुनकर, सब हैरानी से उसकी तरफ देखने लगे और उसने हंसते हुए सबकी इस हैरानी को दूर करते हुए कहा.
सेलू बोली “आप लोग हैरान मत होइए. सीरू दीदी को बिना किसी हंगामे के ये पार्टी अच्छी नही लग रही थी. इसलिए वो कोई हंगामा करने के लिए निक्की और प्रिया के साथ मिलकर ये झगड़े का नाटक कर रही थी. लेकिन मुझे आप सबको इस तरह परेशान करना अच्छा नही लग रहा है. इसलिए मैं इन लोगों को ये नाटक बंद करने को कह रही हूँ.”
सेलू की ये बात सुनते ही अमन सीरू दीदी को इस सब के लिए गुस्सा करने लगा. जिसके बाद वो मुस्कुराते हुए सबको सॉरी कहने लगी. निक्की और प्रिया ने भी इस बात के लिए सॉरी कहा और वो दोनो भी मुस्कुराने लगी.
निक्की और प्रिया की दोस्ती ऐसी थी कि, कभी कोई उनके आपस मे झगड़ने की बात सोच भी नही सकता था. इसलिए सबने इस बात पर विस्वास कर लिया कि, ये सब सीरू दीदी का ही एक नाटक था और सब सब फिर से हँसी मज़ाक करते हुए खाना खाने लगे.
मैने खाना खाते हुए प्रिया से बात करने की कोसिस की तो, मेरी किसी बात का सही से जबाब नही दे रही थी और चुप चाप सर झुका कर खाना खाने मे लगी थी. फिर मेरी नज़र निक्की पर पड़ी तो, वो भी चुप चाप खाना खाने मे लगी थी.
इसके बाद मैने सीरू दीदी की तरफ देखा तो, वो बहुत गंभीर नज़र आ रही थी और बार बार निक्की और प्रिया की देख रही थी. मगर निक्की और प्रिया मे से कोई भी सीरू दीदी से नज़र नही मिला रहा था.
इस सब को देख कर, अब मुझे ऐसा लग रहा था कि, यहाँ अभी जो कुछ हुआ है, वो सीरू दीदी का नाटक नही था. सीरू दीदी ने सिर्फ़ सबको इस झगड़े के तनाव से बाहर निकालने के लिए सारी बात अपने उपर ले ली थी.
लेकिन मेरी समझ मे ये बात नही आ रही थी कि, दोनो के बीच मे अचानक ऐसी क्या बात हो गयी, जिसकी वजह से एक दूसरे की बात पर, आँख बंद करके विस्वास करने वाली निक्की और प्रिया, आज आपस मे ही झगड़ गयी थी.
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