RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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हमारे घर वापसी की टिकेट्स अजय ने करवाई थी. इसलिए उसने बातों बातों मे सबको बताया कि, कल शाम को 5 बजे की फ्लाइट से हम लोग घर वापस जा रहे है. वैसे तो ये बात सभी जानते थे कि, कल हम लोगों को वापस जाना है. बस हमारे जाने का कोई समय तय नही था. लेकिन जैसे ही अजय ने ये बात सबको बताई, वैसे ही सबके चेहरे उतर गये.
अजय, शिखा दीदी, निशा भाभी, बरखा, निक्की, प्रिया और रिया का मुझसे बहुत लगाव होने की बात तो मैं जानता था. लेकिन अजय के ये बात कहने से सबके चेहरे उतर जाने से, मुझे ये बात भी समझ मे आ रही थी, बाकी सब को भी मुझसे कम लगाव नही था.
उन सबका अपने लिए इतना लगाव देख कर, मैं समझ नही पा रहा था कि, मैं क्या कहूँ और क्या ना कहूँ. वही निशा भाभी ने अचानक ही इस हँसी खुशी के महॉल को संजीदा होते देखा तो, सबका ध्यान अपनी तरफ खिचते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “अरे आप सब ने इसके जाने की बात सुनकर, इस तरह से अपना चेहरा क्यो उतार लिया है. हम सबको तो खुश होना चाहिए कि, ये जिस काम से यहाँ आया था, उसे पूरा करके जा रहा है.”
उनकी इस बात मे सीरू दीदी ने भी, उनका साथ देते हुए सब से कहा.
सीरत बोली “भाभी ठीक ही तो कह रही है और ये हम से कौन सा ज़्यादा दूर है. तुम सब लोगों का जब इसको देखने का मन करे, मुझे बताना. मैं पालक झपकते ही इसको वहाँ से उठवा लुगी.”
सीरू दीदी की ये बात सुनकर, सबके साथ साथ मेरे चेहरे पर भी हँसी आ गयी और हम लोगों मे इसी बात को लेकर बातों का दौर सुरू हो गया. हमारी बातों का ये सिलसिला देर रात तक चलता रहा.
फिर 11 बजे राज ने घर वापस चलने की बात कही तो, हम सब ने अजय लोगों से घर जाने की इजाज़त ली और राज के साथ वापस उसके घर के लिए निकल पड़े. कुछ ही देर मे हम राज के घर पहुच गये.
जब हम वहाँ पहुचे तो, पद्मिकनी आंटी और मोनिनी आंटी बैठी बातें कर रही थी. हमारे पहुचते ही पद्मि नी आंटी ने हमारी आज की पार्टी के बारे मे पुछा तो, रिया उन्हे पार्टी के बारे मे बताने लगी.
सब बैठ कर पद्मिीनी आंटी से बातें करने लगे. लेकिन प्रिया की नाराज़गी अभी भी मुझसे दूर होते नज़र नही आ रही थी. अब रात के 12 बजने वाले थे और दो रातों से जागने की वजह से मुझे अब नींद सताने लगी थी. इसलिए मैने सबको गुड नाइट कहा और अपने अपने कमरे मे आ गया.
अपने कमरे मे आकर, मैने अपने कपड़े बदले और फिर बेड पर लेटते हुए कीर्ति को कॉल लगा दिया. मेरे कॉल लगाते ही, कीर्ति ने मेरा कॉल काट दिया और फिर उसका कॉल मेरे मोबाइल पर आने लगा.
लेकिन उसका ये कॉल उसके पहले वेल मोबाइल से आ रहा था. इसलिए मैं थोड़ा सोच मे पड़ गया. मगर फिर मैने मौके की नज़ाकत को समझते हुए, उसका कॉल उठा लिया. मेरे कॉल उठाते ही, कीर्ति ने मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “सॉरी जान, उस मोबाइल मे कुछ नेटवर्क प्राब्लम हो गयी है. जिस वजह से, उस से कॉल नही जा रहा है.”
मैं बोला “कोई बात नही, तू रुक, मैं तुझे वापस कॉल करता हूँ.”
इतना कह कर, मैने कीर्ति का कोई जबाब सुने बिना ही, उसका कॉल काट कर, उसे वापस कॉल लगा दिया. उसने मेरा कॉल उठाते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अरे तुमने मेरा कॉल क्यो काट दिया. मेरे मोबाइल मे बहुत बॅलेन्स है.”
मैं बोला “मेरे मोबाइल मे भी बहुत बॅलेन्स है और अभी तो मेरे पास तेरे दिए हुए, रीचार्ज कार्ड भी जैसे के तैसे ही रखे हुए है. इसलिए अब तू मेरे बॅलेन्स की चिंता करना छोड़ दे और ये बता कि, अब तेरी तबीयत कैसी है.”
कीर्ति बोली “मेरी तबीयत तो अच्छी है. लेकिन मैं तुमसे नाराज़ हूँ.”
मैं बोला “क्यो, क्या हुआ.? मैने ऐसा क्या कर दिया, जो तू मुझसे नाराज़ है.”
कीर्ति बोली “ज़्यादा भोले मत बनो. शाम को मैने तुम्हे कितने कॉल लगाए थे. तुमने एक भी कॉल नही उठाया.”
मैं बोला “सॉरी, मेरी बहुत गहरी नींद लगी थी. इसलिए मुझे तेरा कॉल आने की बात पता ही नही चली.”
कीर्ति बोली “लेकिन सोकर, उठने के बाद तो, तुम कॉल लगा कर, ये बात पुछ सकते थे ना की, मैं तुमको इतने कॉल क्यो लगा रही थी.”
मैं बोला “हां, मुझसे ये ग़लती ज़रूर हुई है.”
ये बोलते हुए, मैने कीर्ति को अपने जागने से लेकर अभी तक की सारी बातें बताई और फिर उसके कॉल करने की वजह पुछि तो उसने कहा.
कीर्ति बोली “वो कॉल मैं नही, अमि लगा रही थी. पहले उसने मौसी के मोबाइल से कॉल लगाया था. लेकिन जब तुमने कॉल नही उठाया तो, मौसी ने उसको बार बार कॉल लगाने से मना कर दिया था. इसलिए फिर वो मेरे पास उपर आकर तुमको कॉल लगा रही थी. लेकिन तुमने मेरे मोबाइल से भी कॉल नही उठाया.”
मैं बोला “क्या वो अभी जाग रही है.”
कीर्ति बोली “नही, वो सो गयी है. लेकिन तुम उसकी फिकर मत करो. जब तुमने उसका कॉल नही उठाया तो, मैने नितिका को कॉल लगा कर, उसकी बात नितिका से करवा दी थी. नितिका ने उसे बता दिया था कि, तुम सो रहे हो और शिखा दीदी लोग भी तुमको कॉल लगा लगा कर परेशान हो गयी है. क्योकि रात को उन्हो ने सबको खाने के लिए बुलाया है.”
कीर्ति की ये बात सुनकर, पहले तो मैने सुकून की साँस ली. फिर उस पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
मैं बोला “झूठी, चार सौ बीस, तुझे सब पहले से ही पता था. फिर भी मुझसे नाराज़ होने का नाटक कर रही थी.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति हँसने लगी. फिर अचानक उसे प्रिया की बात याद आ गयी और उसने मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “प्रिया का क्या हुआ. वो तुम्हारे साथ शॉपिंग पर गयी थी या नही गयी.”
मैं बोला “तूने जो मेसेज भेजा था. उस मेसेज भेजने के बाद, उसने मुझे मेसेज भी किया और मेरे साथ गयी भी थी. लेकिन वो अभी भी मुझसे कोई बात नही कर रही है.”
कीर्ति बोली “इसमे इतना ज़्यादा नाराज़ होने वाली बात तो नही है. वो तुमसे बेवजह ही नाराज़ है.”
मैं बोला “नही, वो बेवजह नाराज़ नही है. अभी तुम उसकी नाराज़गी की पूरी वजह नही जानती हो.”
ये कहते हुए, मैने कीर्ति को मेरी रात को प्रिया से हुई सारी बातें बता दी. जिसे सुनकर, कीर्ति भी सोच मे पड़ गयी. जब थोड़ी देर तक, जब वो कुछ नही बोली तो, मैने उस से कहा.
मैं बोला “क्या हुआ.? अब तू किस सोच मे पड़ गयी.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने एक ठंडी सी साँस भरते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मैं ये सोच रही थी कि, प्रिया तुमको तब से चाहती है. जब तुमने शिल्पा को देखा तक नही था. यदि तुमको उसी समय प्रिया के इस प्यार का पता चल गया होता तो, आज शायद मैं प्रिया की जगह पर और प्रिया मेरी जगह पर होती.”
कीर्ति की ये बात सुनकर, मैने चिड़चिड़ाते हुए कहा.
मैं बोला “तू ये कैसी बहकी बहकी बातें कर रही है. यदि तुझे ऐसी ही बातें करना है तो, तू फोन रख, मुझे नींद आ रही है.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने घबराते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अरे तुम फोन मत रखना. मैं तो बस ऐसे ही बोल रही थी.”
अभी मेरी कीर्ति से बात चल ही रही थी कि, तभी दूसरे मोबाइल पर उसका कॉल आने लगा और उसने मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “देख क्या रहे हो. बड़ी मुश्किल से कॉल लगा है. जल्दी से कॉल उठाओ.”
मैने फ़ौरन उसका कॉल उठाया और उसने मेरा कॉल काटते हुए मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “आख़िर कॉल लग ही गया. कितनी देर से कॉल लगाने की कोसिस कर रही थी.”
मैं बोला “तू मुझसे बात कर रही थी या तेरा सारा ध्यान कॉल लगाने पर ही लगा हुआ था.”
कीर्ति बोली “अरे मैं बात करते करते कॉल भी लगा कर देख रही थी कि, कॉल जा रहा है या नही. आख़िर इतनी देर बाद कॉल लग ही गया.”
मैं बोला “हां, तेरे लिए मुझसे बात करने से ज़्यादा ज़रूरी काम, मेरा बॅलेन्स बचाना था. इसलिए तेरा ध्यान मेरी बातों पर नही बल्कि कॉल लगाने पर लगा हुआ था.”
कीर्ति मेरे इस तरह ज़रा सी बात पर चिड़चिडाने का मतलब समझ गयी थी. इसलिए उसने मुझे अपनी पहले की बात को समझाते हुए कहा.
कीर्ति बोली “सॉरी बाबा, लेकिन तुम मेरी बात का ग़लत मतलब मत निकालो. असल मे मुझे प्रिया की ये बात सुनकर, वो दिन याद आ गया, जब मुझे तुम्हारे शिल्पा को पसंद करने की बात चली थी. उस दिन मैं रात भर बहुत रोई थी.”
“उस दिन मुझे मेरे बचपन का प्यार, मुझसे दूर होते नज़र आ रहा था और मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी जिंदगी से सब कुछ ख़तम हो गया हो. मैं इस बात को सह नही पा रही थी और रो रो कर, उपर वाले से अपने लिए सिर्फ़ मौत ही माँगे जा रही थी.”
“उस दिन के बाद, मैं जब भी तुम्हे देखती, मेरा दिल रोने लगता था. लेकिन तुम मेरे दर्द से अंजान, मुझसे पुछ्ते रहते कि, मुझे क्या हुआ, क्या मैं तुमसे किसी बात को लेकर नाराज़ हूँ. तब मुझे ना चाहते हुए भी, तुमसे कहना पड़ जाता कि, मुझसे कुछ नही हुआ और तुम्हारी खुशी के लिए, तुम्हारे सामने मुस्कुराना पड़ जाता.”
“मगर अंदर ही अंदर तुमको खो देने के दर्द से मेरा दिल रोता रहता. मेरा दिल करता कि, मैं एक बार तुम्हे अपने गले से लगा कर खूब रो लूँ. अपने दिल का सारा हाल तुम्हे सुना दूं. लेकिन ऐसा करने की मेरी हिम्मत ही नही होती थी. मैं बस अंदर ही अंदर रात दिन घुटती रहती थी.”
“शायद मेरी इस घुटन को देख कर, उपर वाले को भी मुझ पर रहम आ गया. उसने तुम्हे शिल्पा का नही होने दिया और मेरी इस दर्द भारी घुटन का अंत हो गया. लेकिन आज भी जब मैं उस दिन की बात सोचती हूँ तो, मेरी आँखों मे आँसू आ जाते है.”
इतनी बात कह कर कीर्ति चुप हो गयी. शायद सच मे उसकी आँखों मे आँसू आ गये थे. लेकिन उसकी इस बात को सुनकर, मैं उन दिनो की याद मे खो गया. उन दिनो वो अक्सर ज़रा ज़रा सी बात पर मेरे घर आ जाया करती और मेरे आस पास मढ़राती रहती थी. मेरे कमरे मे तान्क झाँक करना और मुझे चोर नज़रों से देखते रहना, उसकी आदत सी बन गयी थी.
मैं उसकी इस बेचैनी को कभी समझ ही नही सका कि, वो ऐसी हरकत क्यो कर रही है. मैं तो बस उसकी इस हरकत को देख कर, उस से यही कहता कि, तू क्या यहाँ पर मेरी जासूसी करने आती है. मेरी इस बात को सुनकर, वो हँसने लगती और ये बात वही पर आई गयी हो जाती.
मगर आज जब मुझे उसकी उन हरकतों और उसकी उन बुझी बुझी आँखों का मतलब समझ मे आया तो, मैं अपनी आखों को छलकने से ना रोक सका. मैं भी उस समय कितना नादान था, जो उसके इस प्यार को कभी महसूस ही ना कर सका.
मैं अपनी आँखों मे आँसू लिए, उन दिनो को याद कर रहा था. तभी कीर्ति की आवाज़, मुझे उन यादों से बाहर खिच लाई. कीर्ति ने खुद को संभालते हुए मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “सॉरी, मैं तुम्हारे दिल को कोई ठेस लगाना नही चाहती थी. मैं जानती हूँ कि, तब तुम मेरे दिल की बातों से पूरी तरह से अंजान थे. लेकिन इसके बाद भी तुम मुझे बहुत प्यार करते थे. मेरे तुमसे इतना लड़ने झगड़ने और परेशान करने के बाद भी, तुम मेरे एक बार बुलाने पर ही दौड़े चले आते थे.”
“मुझे तुम्हारा इस तरह, मेरी इतनी ज़्यादा परवाह करना बहुत अच्छा लगता था और इसलिए मैं जान बुझ कर, तुम्हे परेशान किया करती थी. हमेशा तुम्हारे साथ रहने के बहाने ढूँढा करती रहती थी. तुम्हारे साथ ये सब करते करते, मुझे बस रात दिन बस तुम्हारी ही सोच रहने लगी थी.”
“मैं तुम मे इतना खो गयी थी कि, मुझे ये पता ही नही चला कि, कब मेरी तुम्हे देखने वाली नज़र बदल गयी और मैं तुम्हे दिल ही दिल प्यार करने लगी हूँ. मुझे तुमसे इतना ज़्यादा प्यार हो गया था कि, मुझे तुम्हारे बिना जीने से अच्छा, मरना लगने लगा था.”
“आज किस्मत से मुझे मेरा प्यार मिल गया है. मगर आज भी जब कभी मेरे मन मे तुमसे दूर होने का ख़याल आता है तो, मेरी जान निकलने लगती है. इसलिए जब मैने प्रिया की बात सुनी तो, मेरा दिल उसके दर्द को महसूस करके तड़प उठा था. अपनी किसी बात से तुमको दुख पहुचाने का मेरा कोई इरादा नही था.”
मैं खामोशी से कीर्ति की ये बातें सुन था और उसकी बातें सुनते सुनते मेरे चेहरे पर खुद ही मुस्कुराहट आ गयी. उसकी बात ख़तम होते ही, मैने उस से कहा.
मैं बोला “मैं ये तो नही कहता कि, मैं भी तेरी तरह, तुझे शुरू से ऐसे ही प्यार करता था. क्योकि मेरे मन मे ये बात कभी आई ही नही थी कि, हमारे बीच ऐसा कुछ हो सकता है. लेकिन ये बात सच है कि, तू मुझे शुरू से ही सबसे अच्छी लगती थी और मैं हर लड़की की सुंदरता की तुलना भी शुरू से, तुझसे ही करता आ रहा हूँ.”
“तू बस मुझे बहुत अच्छी लगती थी और तेरा साथ मुझे बहुत सुकून देता था. इसलिए तेरे लड़ने, झगड़ने और परेशान करने के बाद भी, मैं तेरे एक बार बुलाने पर ही दौड़ा दौड़ा तेरे पास पहुच जाता था.”
“मैं जब कभी भी तुझे देखता तो, एक बात ज़रूर मेरे मन मे आती थी कि, काश तू मेरी बहन ना होती तो, मैं तुझे जिंदगी भर के लिए अपना बना कर रख लेता. लेकिन इसका मतलब ये हरगिज़ नही था कि, मैं तेरे बारे मे कुछ उल्टा सीधा सोचता था. मैने तेरे बारे मे कभी कुछ ग़लत नही सोचा. बस तू मेरे लिए………..”
अभी मेरी बात पूरी भी नही हुई थी कि, कीर्ति मेरी बात पर खिलखिला कर हँसने लगी. उसे हंसते देख मुझे लगा कि, शायद उसे मेरी इस बात पर यकीन नही है. इसलिए मैने उसे अपनी बात का यकीन दिलाने की कोसिस करते हुए, उस से कहा.
मैं बोला “क्या हुआ, क्या तुझे मेरी इस बात विस्वास नही हो रहा है. मेरा यकीन मान, मैं सच कह रहा हूँ. मेरे मन मे आज तक तेरे लिए कभी कोई बुरा विचार नही आया. तू चाहे तो, मुझसे किसी की भी कसम ले सकती है.”
मेरी इस बात को सुनते ही कीर्ति की हँसी रुक गयी और उसने मुझ पर गुस्सा होते हुए कहा.
कीर्ति बोली “आए तुम्हे किसी की भी कसम खाने की ज़रूरत नही है. मुझे खुद से ज़्यादा तुम पर विस्वास है. तुम नही जानते, मुझे सबसे सुकून भरी नींद तब आई, जब मैं पहली बार तुम्हारे पास सोई थी. तुमने प्यार से मेरे माथे को चूमा और फिर बहुत देर तक मेरे सर पर हाथ फेरते रहे. उस रात को मैं अपने जीवन मे कभी नही भूल सकती और यही चाहती हूँ कि, वैसी रात मेरे जीवन मे रोज आए.”
कीर्ति की ये बात सुनते ही, मेरी नज़र मे उस रात का नज़ारा घूम गया और मैने कीर्ति से कहा.
मैं बोला “जब उस समय तू जाग रही थी तो, फिर यू सोने का नाटक क्यो करती रही. मूह से कुछ बोली क्यो नही.”
कीर्ति बोली “जब तुमने मेरे माथे पर किस किया, तब मैं अपनी आँख खोलने ही वाली थी कि, उसके बाद तुम प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरने लगे. तुम्हारा ऐसा करने से मुझे इतना सुकून मिला कि, मैं आँख खोलना ही भूल गयी और फिर मुझे पता ही नही चला कि, कब मैं मीठी नींद मे सो गयी.”
“वो रात मेरी जिंदगी की सबसे यादगार रात बन गयी और फिर मैं तुम्हारे इसी प्यार के लालच मे रोज तुम्हारे पास आकर सोने लगी. अब दोबारा कभी ऐसा मत सोचना कि, मुझे तुम पर विस्वास नही है. मेरे तो विस्वास का दूसरा नाम ही तुम हो. जिस दिन मेरा ये विस्वास टूट जाएगा, उस दिन मेरी सांसो की ये डोर भी टूट जाएगी.”
कीर्ति की इन बातों को सुनकर, मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था. यदि इस समय वो मेरे पास होती तो, अब तक मैने उसे अपनी बाहों मे भर लिया होता. मगर इस समय उसके मेरे पास ना होने से मैं एक ठंडी सी आह भर कर रह गया. ये ही हाल वहाँ शायद कीर्ति का भी था. इस बात के बाद, वो भी खामोश सी हो गयी थी.
हम दोनो ही खामोश थे कि, तभी मेरे मोबाइल की एस एमएस टोन बज उठी. मैने मोबाइल उठा कर देखा तो, प्रिया का एसएमएस था. कीर्ति ने एसएमएस पढ़ कर सुनाने को कहा तो, मैं वो एसएमएस कीर्ति को पढ़ कर सुनाने लगा.
प्रिया का एसएमएस
“मैने उसे इशारा किया.
उसने “सलाम” लिख भेजा.
मैने पुछा तुम्हारा नाम क्या है.
उसने “चाँद” लिख भेजा.
मैने पुछा तुम्हारी आँखें कैसी है.
उसने “जाम” लिख भेजा.
मैने पुछा तुम्हे क्या चाहिए.
उसने “सारा आसमान” लिख भेजा.
मैने पुछा कब मिलोगे.
उसने “कयामत की शाम” लिख भेजा.
मैने पुछा किस से डरते हो.
उसने “मोहब्बत का अंजाम” लिख भेजा.
मैने पुछा तुम्हे नफ़रत किस से है.?
कम्बख़्त ने “मेरा नाम” लिख भेजा.”
प्रिया का एसएमएस कीर्ति को पढ़ कर सुनाने के बाद, मैने उस से कहा.
मैं बोला “तूने इसका एसएमएस सुना ना. ये लड़की खुद भी पागल है और मुझे भी पागल करके रहेगी. मुझे तो याद ही नही कि, मैने उस से ये नफ़रत करने वाली बात कब कह दी.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने हंसते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अरे मुझे तो इस एसएमएस मे ऐसी कोई बात नज़र नही आ रही. ये तो उसने मज़ाक मे भेजा है.”
मैं बोला “मैं उस से कह चुका हूँ कि, मुझे शायरी समझ मे नही आती तो, फिर उसे ऐसा एसएमएस करना ही नही चाहिए था.”
कीर्ति बोली “हो सकता है कि, उसने तुमको परेशान करने के लिए ये शायरी वाला एसएमएस किया है. चलो आज तुम्हारी तरफ से मैं उस से बात करती हूँ.”
कीर्ति की बात सुनकर, मैने चौुक्ते हुए कहा.
मैं बोला “तेरा दिमाग़ तो ठिकाने है. तू उस से क्या बात करेगी और उसे क्या बताएगी कि, तू कौन है.”
कीर्ति बोली “इसमे इतना परेशान होने की बात नही है. वो खुद ही समझ जाएगी कि, मैं कौन हूँ. तुम बस उस से मेरी कान्फरेन्स मे बात करवाओ. पहले अपने मोबाइल से मुझे कॉल करो और उसके बाद उसको कॉल लगाओ. बाकी सब मुझ पर छोड़ दो.”
मैं बोला “यहाँ एक पागल कम है, जो तुझे भी पागलपन करने की सूझ रही है.”
कीर्ति बोली “तुम डरो मत, कुछ नही होगा. तुम बस कॉल करो.”
मैने कीर्ति को समझाने की बहुत कोसिस की, मगर अब उसने भी प्रिया से बात करने की ज़िद पकड़ ली थी. जब वो मेरी बात सुनने को तैयार नही हुई तो, फिर मुझे उसकी बात माननी ही पड़ गयी.
मैने पहले अपने दूसरे मोबाइल से कीर्ति को कॉल किया. उसके कॉल उठा लेने के बाद, मैने धड़कते दिल से प्रिया को कॉल लगा दिया. कीर्ति होल्ड पर थी और प्रिया के मोबाइल पर कॉल जा रहा था. जैसे जैसे प्रिया के मोबाइल की रिंग बज रही थी. वैसे वैसे अब क्या होगा, ये सोच सोच कर मेरे दिल की धड़कने भी बढ़ रही थी.
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