RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मैं बोला “मैं उस से कह चुका हूँ कि, मुझे शायरी समझ मे नही आती तो, फिर उसे ऐसा एसएमएस करना ही नही चाहिए था.”
कीर्ति बोली “हो सकता है कि, उसने तुमको परेशान करने के लिए ये शायरी वाला एसएमएस किया है. चलो आज तुम्हारी तरफ से मैं उस से बात करती हूँ.”
कीर्ति की बात सुनकर, मैने चौुक्ते हुए कहा.
मैं बोला “तेरा दिमाग़ तो ठिकाने है. तू उस से क्या बात करेगी और उसे क्या बताएगी कि, तू कौन है.”
कीर्ति बोली “इसमे इतना परेशान होने की बात नही है. वो खुद ही समझ जाएगी कि, मैं कौन हूँ. तुम बस उस से मेरी कान्फरेन्स मे बात करवाओ. पहले अपने मोबाइल से मुझे कॉल करो और उसके बाद उसको कॉल लगाओ. बाकी सब मुझ पर छोड़ दो.”
मैं बोला “यहाँ एक पागल कम है, जो तुझे भी पागलपन करने की सूझ रही है.”
कीर्ति बोली “तुम डरो मत, कुछ नही होगा. तुम बस कॉल करो.”
मैने कीर्ति को समझाने की बहुत कोसिस की, मगर अब उसने भी प्रिया से बात करने की ज़िद पकड़ ली थी. जब वो मेरी बात सुनने को तैयार नही हुई तो, फिर मुझे उसकी बात मानना ही पड़ गयी.
मैने पहले अपने दूसरे मोबाइल से कीर्ति को कॉल किया. उसके कॉल उठा लेने के बाद, मैने धड़कते दिल से प्रिया को कॉल लगा दिया. कीर्ति होल्ड पर थी और प्रिया के मोबाइल पर कॉल जा रहा था. जैसे जैसे प्रिया के मोबाइल की रिंग बज रही थी. वैसे वैसे अब क्या होगा, ये सोच सोच कर मेरे दिल की धड़कने बढ़ रही थी.
मैं मान ही मान ये ही दुआ कर रहा था की, प्रिया कॉल ना उठाए और कीर्ति का प्रिया से बात करना ताल जाए. लेकिन मेरी ये दुआ काम नही आई और प्रिया ने कॉल उठाते हुए कहा.
प्रिया बोली “हेलो, हां बोलो, तुमको क्या बोलना है.”
प्रिया के कॉल उठा लेने के बाद, मेरे पास उसकी कीर्ति से बात करने के अलावा कोई रास्ता नही बचा था. इसलिए मैने सीधे अपनी बात पर आते हुए प्रिया से कहा.
मैं बोला “मुझे तुमसे कुछ नही बोलना है. लेकिन कोई तुमसे बात करना चाहता है. बस उसी की तुमसे बात करने के लिए मैने तुमको कॉल किया है.”
मेरी बात सुनकर, ने कुछ सोचते हुए कहा.
प्रिया बोली “मैं अभी किसी से कोई बात नही करना चाहती. तुम सुबह जिस से चाहो, उस से मेरी बात करवा देना.”
प्रिया शायद समझ गयी थी कि, मैं इस समय उसकी किस से बात करवाना चाहता हूँ. मगर वो शायद खुद को अभी इसके लिए तैयार नही कर पा रही थी. इसलिए इस समय बात करने से मना कर रही थी.
लेकिन कीर्ति मुझे पहले ही दम दे चुकी थी कि, यदि प्रिया कॉल उठाती है और मैं उसकी बात कीर्ति से नही करवाता हूँ तो, उस से बुरा कोई नही होगा. मेरे सामने अब प्रिया को इसके लिए तैयार करने के सिवा कोई रास्ता नही था. इसलिए मैने प्रिया को अपनी बात समझाते हुए कहा.
मैं बोला “मैं खुद तुम्हे इतनी समय परेशान करना नही चाहता था. लेकिन मुझसे बात करते करते, वो अचानक ही तुमसे बात करने की ज़िद करने लगी. मैने उसे समझाने की बहुत कोसिस की मगर जब वो नही मानी तो, फिर मैने उसका कॉल होल्ड पर रख कर, तुमको कॉल लगा दिया.”
“वो तुमसे कान्फरेन्स मे बात करना चाहती थी. यदि तुम उस से अभी बात नही करना चाहती हो तो, कोई बात नही है. तुम उस से कान्फरेन्स मे ये ही बात बोल दो कि, तुम उस से कल बात करोगी. तुम्हारे ऐसा करने से उसकी तुमसे बात भी हो जाएगी और उसे ये भी नही लगेगा कि, मैं उसकी तुमसे बात करवाना नही चाहता था. अब आगे तुम्हारी मर्ज़ी, तुम जो ठीक समझो, कर सकती हो.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने कुछ देर की खामोशी के बाद, एक ठंडी सी साँस छोड़ते हुए मुझसे कहा.
प्रिया बोली “ओके, मैं उस से बात कर लेती हूँ. तुम उसके साथ मेरी कान्फरेन्स करवाओ.”
प्रिया की बात सुनते ही, मैने प्रिया को थॅंक्स कहा और फ़ौरन कीर्ति को कान्फरेन्स मे लाते हुए, कीर्ति से कहा.
मैं बोला “ये लो, प्रिया कॉल पर है. तुम उस से बात कर सकती हो.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुझे ओके कहा और फिर प्रिया से कहा.
कीर्ति बोली “हेलो प्रिया, मेरे बारे मे तो तुम समझ ही गयी होगी कि, मैं कौन हूँ.”
कीर्ति की इस बात पर प्रिया ने भी मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “हाई, हां मैं ये तो समझ गयी हूँ कि, तुम कौन हो. लेकिन पुन्नू ने कभी मुझे तुम्हारा नाम नही बताया. क्या मैं तुम्हारा नाम जान सकती हूँ.”
प्रिया की इस बात को सुनकर, मैं भी कीर्ति के जबाब का बेचैनी से इंतजार करने लगा. उधर कीर्ति ने प्रिया का ये सवाल सुना तो, उसने प्रिया से हंसते हुए कहा.
कीर्ति बोली “हहेहहे, मेरा नाम तुम्हारी तरह प्यारा नही है ना, इसलिए पुनीत ने तुम्हे मेरा नाम नही बताया होगा. मेरा नाम तृप्ति है.”
कीर्ति के मूह से तृप्ति का नाम सुनते ही, मुझे एक झटका सा लगा. मुझे उम्मीद थी कि, प्रिया के इस सवाल के जबाब मे कीर्ति अंकिता का नाम बताएगी. लेकिन कीर्ति के मूह से तृप्ति नाम सुनकर, मैं हैरान रह गया.
मगर ये हैरानी सिर्फ़ मुझे ही नही हो रही थी. बल्कि प्रिया भी इस नाम को सुनकर चौके बिना ना रह सकी और उसने भी हैरान होते हुए कीर्ति से कहा.
प्रिया बोली “क्या तुम वो ही तृप्ति हो, जिसकी कविताएँ पुन्नू पढ़ता है.”
प्रिया की इस बात पर कीर्ति ने हंसते हुए कहा.
कीर्ति बोली “नही, मैं वो तृप्ति नही हूँ. मगर मैने पुनीत से उसकी कविताएँ सुनी ज़रूर है और मुझे खुद भी शेर और शायरी बहुत पसंद है. लेकिन मैं जब भी इसको शायरी भेजती हूँ तो, ये मेरे उपर चिड़चिडाने लगता है.”
कीर्ति की बात सुनकर, प्रिया ने भी हंसते हुए कहा.
प्रिया बोली “मुझे भी शायरी करना बहुत पसंद है. मेरी तो बात बात पर शायरी करने की आदत है और ये मेरे उपर भी इसी तरह चिड़चिड़ाता है.”
कीर्ति बोली “लेकिन मेरे उपर इसके चिड़चिडाने का ज़रा भी असर नही पड़ता. मैं तो इसके बाद भी इसे शायरी भेज ही देती हू.”
प्रिया बोली “मैं भी ऐसा ही करती हूँ. मैने अभी तो अभी थोड़ी देर पहले ही इस एक शायरी भेजी है.”
ये बात बोल कर प्रिया खिलखिलाने लगी और उसकी इस हँसी मे कीर्ति भी उसका साथ निभाने लगी. दोनो मिल कर इस बात को लेकर मेरा मज़ाक उड़ाने लगी. वो दोनो पहली बार एक दूसरे से बात कर रही थी. मगर उनकी बातों से कही से भी ऐसा नही लग रहा था कि, वो पहली बार एक दूसरे से बात कर रही है.
लेकिन उन दोनो की इन बातों मे सबसे अजीब बात ये थी कि, दोनो मे से कोई भी ना तो किसी से मेरी बुराई सुन सकती थी और ना ही किसी को मेरा मज़ाक उड़ाते हुए देख सकती थी. मगर आज दोनो खुद ही एक दूसरे से मेरा मज़ाक भी उड़ा रही थी और मेरी बुराई भी कर रही थी.
शायद दोनो ही ऐसा करके एक दूसरे को खुश करने मे लगी थी. उनकी इस हरकत पर मुझे भी हँसी आ रही थी. इसलिए मैने उन दोनो की इस बात चीत मे बीच मे पड़ना ठीक नही समझा और मैं खामोशी से उनकी बातों का मज़ा लेता रहा. कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही मेरा मज़ाक उड़ाती रही. फिर बात ही बात मे कीर्ति ने प्रिया से कहा.
कीर्ति बोली “ये सब तो ठीक है. लेकिन मुझे तुमसे भी एक शिकायत है. पुनीत इतने दिनो तक मुंबई मे रहा. लेकिन अब बिना मुंबई देखे ही, कल घर वापस आ रहा है. क्या तुम उसे मुंबई की कुछ खास खास जगह भी नही दिखा सकती थी.”
कीर्ति की ये बात सुनते ही प्रिया ने अपनी सफाई देते हुए कहा.
प्रिया बोली “इस सब मे मेरी ग़लती ज़रा भी नही है. इसके पास खुद ही मेरे साथ कहीं आने जाने का समय नही था और जब मैने इसे मुंबई घुमाने की बात सोची तो, इसने मेरा भी मूड खराब करके रख दिया.”
ये कहते हुए प्रिया ने कीर्ति को कल की शॉपिंग वाली सारी बातें बता दी. जिसे सुनकर कीर्ति ने प्रिया की तरफ़दारी करते हुए मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “ये तो तुमने सच मे बहुत ग़लत काम किया है. तुमको समझना चाहिए था कि, प्रिया ने यदि तुमसे किसी को अपने साथ ना ले चलने की बात कही थी तो, उस समय उसके मन मे कोई तो बात रही होगी. तुम्हे अपनी इस ग़लती के लिए प्रिया से अभी सॉरी बोलना होगा. वरना अब मैं भी तुमसे बात नही करूगी.”
कीर्ति की ये बाद सुनकर, मैं हड़बड़ा गया और प्रिया की हँसी च्छुत गयी. मेरी हड़बड़ाहट की वजह ये थी की, सब कुछ जानने के बाद भी, कीर्ति ने प्रिया को ज़रा भी समझने की कोसिस नही की थी और मुझे अपनी सफाई देने का मौका दिए बिना ही सॉरी बोलने की शर्त रख दी थी.
लेकिन इस सब के बाद भी मुझे प्रिया से सॉरी बोलने मे कोई परेशानी नही थी. मुझे तो बस प्रिया की नाराज़गी को दूर करना था. इसलिए मैने भी बिना कोई बहस किए हुए प्रिया से कहा.
मैं बोला “सॉरी, मैं अपनी ग़लती के लिए माफी चाहता हूँ.”
लेकिन प्रिया भी कीर्ति से कुछ कम नही थी. उसने मेरे इस सॉरी को एक सिरे से नकारते हुए कहा.
प्रिया बोली “मुझे तुम्हारे इस सॉरी की कोई ज़रूरत नही है. तुम्हे इस ग़लती की सज़ा ज़रूर मिलेगी और तुम्हारी सज़ा ये ही है कि, तुम मुझे शायरी मे मनाओ.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मुझे फिर एक झटका लगा. दोनो ही लड़कियाँ मुझे झटके पर झटके दिए जा रही थी और मेरी ज़रा भी परवाह नही कर रही थी. यदि यही काम मुझे वो एसएमएस मे करने को कहती तो, मेरे मोबाइल मे ढेर सारी शायरी थी. मैं आसानी से प्रिया को शायरी भेज सकता था.
लेकिन अभी मेरे दोनो ही मोबाइल अभी बिज़ी थे और ऐसे मे मेरे कोई शायरी बोल पाने का सवाल ही पैदा नही होता था. कीर्ति शायद मेरी इस परेशानी को समझ गयी थी. इसलिए उसने हंसते हुए कहा.
कीर्ति बोली “वैसे तो प्रिया ने तुमको बिल्कुल ठीक सज़ा दी है. लेकिन मैं प्रिया की इस सज़ा से तुमको कुछ रियायत दे देती हूँ. तुम यदि प्रिया को शायरी मे नही मना सकते हो तो, उसे कोई गाना गा कर भी मना सकते हो.”
कीर्ति की बात सुनकर, एक बार फिर प्रिया के हासणे की आवाज़ गूँज गयी और उसने भी कीर्ति की इस बात पर अपनी सहमति देते हुए कहा.
प्रिया बोली “ओके, मुझे तृप्ति की ये बात मंजूर है. अब तुम देर मत करो, जल्दी से मुझे मनाना सुरू करो.”
प्रिया और कीर्ति की इस बात के बाद, मेरे पास उनकी बात मनाने के अलावा कोई रास्ता नही था. मगर फिर भी मैने उन्हे सफाई देते हुए कहा.
मैं बोला “मुझे तुम लोगों की इस को मानने मे कोई परेशानी नही है. लेकिन मुझे कोई भी गाना पूरा नही आता.”
प्रिया बोली “कोई बात नही, तुम्हे जितना भी गाना आता है. तुम उतना ही गाना गा दो. लेकिन जल्दी करो, वरना फिर तुम्हे रात भर गाना ही गाने पड़ेंगे.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मैने बहस करना ठीक नही समझा और फिर अपना गला सॉफ करते हुए सुर मे गाना गाना सुरू कर दिया.
मेरा गाना
“मुसु मुसु हसी, देऊ मलाई लाई
मुसु मुसु हसी देऊ
ज़रा मुस्कुरा दे, मुस्कुरा दे
ज़रा मुस्कुरा दे, आए खुशी
गम बाँट ले तू अपने
हमसे तू ले हसी
हो गये हम अभ तेरे
तू हो गयी अपनी
मुसु मुसु हसी, देऊ मलाई लाई
मुसु मुसु हसी देऊ
ज़रा मुस्कुरा दे, मुस्कुरा दे
ज़रा मुस्कुरा दे, आए खुशी
माना हमसे हो गयी
एक छोटी सी खाता
हंस दो ना तुम ज़रा
दो ना हमको तुम सज़ा
माना हमसे हो गयी
एक छोटी सी खाता
हँस दो ना तुम ज़रा
दो ना हमको तुम सज़ा
तुम जो हँस पड़े तो
अब हम भी मुस्कुरायें
आओ मिल के साथ गायें
दिल से दिल भी मिलायें
हे हे, मुसु मुसु हसी, देऊ मलाई लाई
मुसु मुसु हसी देऊ
ज़रा मुस्कुरा दे, मुस्कुरा दे
ज़रा मुस्कुरा दे, आए खुशी
मुसु मुसु हसी, देऊ मलाई लाई
मुसु मुसु हसी देऊ
हे, ज़रा मुस्कुरा दे, मुस्कुरा दे
ज़रा मुस्कुरा दे, आए खुशी.”
मेरे गाना ख़तम होने के बाद, मैं कीर्ति और प्रिया के कुछ बोलने का इंतजार करने लगा. मुझे कीर्ति की तो कोई आवाज़ सुनाई नही दी. लेकिन मेरे चुप होते ही प्रिया की खिलखिलाहट गूँज गयी और उसने चहकते हुए मुझसे कहा.
प्रिया बोली “ओह माइ गॉड, तुम तो बहुत अच्छा गाते हो. मैं तो तुम्हारा गाना सुनकर, उसमे खो सी गयी थी.”
मैं बोला “तो अब तुम्हारी मुझसे नाराज़गी दूर हुई या नही.”
प्रिया बोली “हां, मेरी नाराज़गी दूर हो गयी है. अब यदि तुम चाहो तो, मैं कल तुम्हे मुंबई की कुछ खास जगह दिखाने ले चल सकती हूँ.”
मैं बोला “ओके, तो हम कल सुबह सुबह ही चलते है. लेकिन सुबह उठने के लिए सोना भी ज़रूरी है. इसलिए अब हम लोगों को सोना चाहिए.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने भी इस बात की हामी भरी और फिर उसने कीर्ति से एक दो बातें करने के बाद कॉल रख दिया. प्रिया के कॉल रखने के बाद, मैने उस मोबाइल से कीर्ति का कॉल भी काट दिया और फिर दूसरे मोबाइल पर आते हुए कीर्ति से कहा.
मैं बोला “क्या हुआ, तू अचानक चुप क्यो हो गयी थी. क्या तुझे मेरी किसी बात का बुरा लगा है.”
मेरी इस बात पर कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.
कीर्ति बोली “नही, ऐसी कोई बात नही है. मुझे तुम्हारी कोई बात का बुरा नही लगा.”
मैं बोला “तो फिर तू मेरा गाना सुनने के बाद से चुप चुप सी क्यो है. उसके पहले तो मेरा कितना मज़ाक उड़ा रही थी.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने ठंडी सी साँस भरते हुए कहा.
कीर्ति बोली “वो इसलिए, क्योकि प्रिया सच कह रही थी. मैं भी तुम्हारा गाना सुनकर, उसी मे खो सी गयी थी. मुझे तो पता ही नही था कि, तुम इतना अच्छा गाते हो. अब से तुम्हे मुझे मनाने के लिए भी इसी तरह से गाना गाना पड़ेगा.”
कीर्ति की इस बात पर मैने उस पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
मैं बोला “अब मैं कभी कोई गाना वाना नही गाने वाला हूँ. ये तो तूने ही मुझे फसा दिया था. लेकिन अब तू मुझे ये बता कि, तूने प्रिया को अपना नाम अंकिता की जगह तृप्ति क्यो बताया. अंकिता को तूने मेहुल से मिलने के लिए तैयार किया था. अब मेहुल से मिलने के लिए तृप्ति को कहाँ से लाएगे.”
मेरी इस बात पर कीर्ति ने हंसते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अरे तुम बेकार मे परेशान हो रहे हो. इस मे कौन सी परेशानी वाली बात है. हम मेहुल से अंकिता को ही तृप्ति कह कर मिलवा देगे.”
मैं बोला “लेकिन तुझे एक झूठ के उपर ये दूसरा झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी. तूने प्रिया को अपना नाम अंकिता ही क्यो नही बता दिया.”
कीर्ति बोली “मुझे प्रिया को अपना नाम अंकिता बताने मे कोई परेशानी नही थी. लेकिन अंकिता के साथ तुम्हारा नाम जोड़ा जाना मुझे अच्छा नही लग रहा था. इसलिए मैने ये नाम बता दिया.”
मैं बोला “जब तुझे अपनी सहेली अंकिता के साथ मेरा नाम जोड़े जाने मे तुझे परेशानी थी तो, फिर किसी अंजान लड़की के साथ मेरा नाम क्यो जोड़ दिया.”
कीर्ति बोली “क्योकि तृप्ति नाम की किसी लड़की को हम दोनो मे से कोई भी नही जानता है और फिर तृप्ति नाम को सुनकर, ऐसा ही लगता है, जैसे कि ये मेरा ही नाम हो. अब समझ मे आया कि, मैने ये ही नाम क्यो लिया.”
मैं बोला “तू पूरी पागल है. हमेशा कुछ ना कुछ उल्टा सीधा सोचती रहती है. अब पता नही, तेरे इस एक झूठ के पिछे, हमे ऑर कितने झूठ बोलने पड़ेंगे.”
कीर्ति बोली “हमे इस झूठ के लिए, कोई ऑर झूठ नही बोलना पड़ेगा. अब तुम ये फालतू की बातें मत सोचो. रात बहुत हो गयी है और तुम्हारी दो दिन से नींद भी पूरी नही हुई है. इसलिए अब तुम सिर्फ़ मेरे बारे मे सोचते हुए मीठी नींद मे सो जाओ.”
कीर्ति की ये बात सुनकर, मुझे भी हँसी आ गयी और फिर उसने मुझे गुड नाइट कह कर कॉल रख दिया. उसके कॉल रखने के बाद, मैने आँख बंद की और कीर्ति के बारे मे सोचते सोचते मैं गहरी नींद मे सो गया.
सुबह 6 बजे मेरी नींद प्रिया के जगाने पर खुली. लेकिन उसकी आँखों से मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे कि वो रात भर सोई ना हो. आज उसकी जानी पहचानी मुस्कान भी उसके चेहरे से गायब थी.
वो मुस्कुराने की भरपूर कोसिस कर रही थी. मगर आज उसका चेहरा, उसकी मुस्कुराहट का साथ नही दे रहा था और उसके चेहरे से, उसकी उदासी सॉफ झलक रही थी. वो मुस्कुराते हुए मुझे तैयार होने का कह रही थी.
उसको रात को हंसते बोलते देख कर, मुझे बहुत राहत मिली थी. लेकिन अब सुबह सुबह उसका ऐसा मुरझाया हुआ चेहरा देख कर, मेरा दिल बैठ गया. मुझसे बात करते करते एक पल ऐसा भी आया, जब मुझे लगा कि, प्रिया अभी रो देगी. लेकिन तभी प्रिया पलट कर मेरे पास से चली गयी.
उसके जाने के बाद भी, मैं उसके ही बारे मे सोचता रहा. उसकी ये उदासी, शायद आज मेरे वापस चले जाने की वजह से थी. लेकिन मैं चाहते हुए भी उसके लिए कुछ नही कर सकता था. मैं थोड़ी देर तक बैठा प्रिया की इसी उदासी के बारे मे सोचता रहा और फिर उठ कर फ्रेश होने चला गया.
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