RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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पापा जब कभी अमि निमी के खाने के लिए कुछ लाते तो, निमी अपनी चटोरी जीभ से मजबूर होकर, अपनी चीज़ को फ़ौरन चाट कर जाती थी. लेकिन अमि अपनी चीज़ को बचा कर रखती और उसे मेरे पास लाकर कहती कि, “भैया मुझे ये खाना है. मगर मैं इसे पूरा नही खा पाउन्गी. क्या इसमे आधा आप खा लेगे.”
मैं उसे वो निमी को खिला देने को कहता. मगर निमी इसके लिए पहले से तैयार रहती और उसे खाने से मना कर देती. मैं दोनो की इस हरकत को समझ जाता था. लेकिन फिर भी मैं इस सब से अंजान बन कर, अमि की लाई हुई चीज़ को थोड़ा सा खा लेता था.
अपनी चीज़ मुझे खिलाने के लिए उस समय जो भाव अमि के चेहरे पर होते थे. वैसे ही कुछ भाव अभी मुझे प्रिया के चेहरे पर भी दिख रहे थे. इस समय वो पिंक सलवार सूट मे बहुत प्यारी लग रही थी और बीच पर चल रही हवाए, उसके बालों को बिखेर कर, उसे ऑर भी ज़्यादा प्यारा बना रही थी.
मैने उसके इस मनमोहक रूप को देख कर, मुस्कुराते हुए पाव भाजी का एक नीवाला उसके मूह की तरफ बढ़ा दिया. मेरे ऐसा करते ही उसके चेहरे पर चमक आ गयी और उसने फ़ौरन ही वो नीवाला खाते हुए, पाव भाजी का एक नीवाला लेकर मेरे मूह की तरफ बढ़ा दिया. मैने भी उसके हाथ से पाव भाजी का वो नीवाला खा लिया.
वो मुझे अपने हाथ से पाव भाजी खिला रही थी और मैं उसे अपने हाथ से पाव भाजी खिला रहा था. हम दोनो बस एक दूसरे को अपने हाथों से पाव भाजी खिला रहे थे और एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे.
इसके अलावा इस समय ना तो मेरे मन मे ऐसा वैसा कुछ चल रहा था और ना ही शायद प्रिया के मन मे ऐसा वैसा कुछ चल रहा था. ये बस एक ऐसा लम्हा था, जो हम दोनो को सुकून दे रहा था और हम इस लम्हे को किसी बात की परवाह किए बिना, पूरी तरह से जी लेना चाहते थे.
खैर कोई लम्हा कितना भी हसीन क्यो ना हो. उस लम्हे का अंत हो ही जाता है. ऐसे ही इस लम्हे का भी अंत हमारी पाव भाजी के ख़तम होने के साथ ही हो गया. उसने मुझसे पैसे लेकर, दुकान वाले के पैसे चुकाए और फिर हम दोनो टहलते हुए बीच पर आ गये.
हमारे पास अब एक दूसरे के साथ बिताने के लिए ज़्यादा समय नही था. इसलिए ना तो, मैने प्रिया से कुछ ऑर देखने की बात कही और ना ही प्रिया ने मुझसे कहीं ऑर चलने की बात कही. हम दोनो बस ऐसे ही बीच पर बात करते हुए टहलते रहे और फिर एक जगह पर बैठ कर समुंदर का नज़ारा देखने लगे.
समुंदर का नज़ारा देखते देखते प्रिया ने अपना सर मेरे कंधे पर टिका दिया और मेरे हाथ को पकड़ लिया. मुझे प्रिया की ये हरकत कुछ अच्छी सी नही लगी थी. लेकिन मैं जाते जाते उसके दिल को ठेस भी लगाना नही चाहता था. इसलिए मैं उसकी इस हरकत को अनदेखा कर, फिर समुंदर की तरफ देखने लगा.
मगर शायद प्रिया मेरी इस हालत को समझ गयी थी. उसने मेरे कंधे से अपने सर को हटाया और फिर मेरी हथेली को अपनी हथेली से ऐसे सॉफ करने लगी. जैसे कि मेरी हथेली पर कुछ लग गया हो. मैं बड़े ध्यान से उसकी इस हरकत को देखने लगा. तभी उसने अपने चेहरे पर एक फीकी सी मुस्कान बिखेरते हुए, मुझसे कहा.
प्रिया बोली “बहुत ही मुश्किल होता है ना.”
प्रिया की ये बात सुनते ही, मेरे कानो मे निशा भाभी की बात गूँज गयी. क्योकि उन्हो ने भी मुझसे ऐसा ही कुछ सवाल किया था. लेकिन तब से अब तक हालत बहुत बदल चुके थे और शायद इस सवाल का जबाब भी बदल चुका था.
मैं प्रिया की इस बात के मतलब को अच्छी तरह से समझ गया था. लेकिन फिर भी मैने इस बात से अंजान बनते हुए कहा.
मैं बोला “क्या मुश्किल होता है.”
मेरी बात को सुनकर, प्रिया ने अपनी नज़र मेरी हथेली पर ऐसे टिका ली, जैसे कि मेरी हथेली मे कुछ दूध रही हो. फिर मेरी हथेली को अपने दुपट्टे से सॉफ करते हुए, एक फीकी सी मुस्कान के साथ कहा.
प्रिया बोली “जिस से प्यार हो, उस से दूर रहना और जिस से प्यार ना हो, उसके साथ रहना.”
मैं इस समय प्रिया के दिल की हालत को अच्छी तरह से समझ रहा था. उसे ऐसा लग रहा था कि, मैं किसी मजबूरी या किसी हमदर्दी मे इस समय उसके साथ यहाँ पर आया हूँ. लेकिन उसकी इस बात मे ज़रा भी हक़ीकत नही थी. इसलिए मैने एक ठंडी साँस भर कर, इस बात की सच्चाई प्रिया के सामने रखते हुए कहा.
मैं बोला “नही, ऐसा बिल्कुल नही है. जब मैं यहाँ आया था, तब मुझे ज़रूर ऐसा लग रहा था कि, अपने प्यार से दूर रहना एक सज़ा है. मगर यहाँ आकर मैने जाना कि, प्यार मे कभी कभी दूरी होना भी ज़रूरी है. क्योकि ये दूरी ही है, जो हमे हमारे प्यार की कीमत का अहसास करती है.”
“यदि मैं अपने प्यार से इतने दिन दूर ना रहा होता तो, शायद मुझे इसकी कीमत का अहसास कभी ना हो पाता और मैं जाने अंजाने मे अपनी किसी ग़लती से अपने प्यार को खो भी सकता था. मगर इस कुछ दिन की जुदाई ने मुझे मेरे प्यार की उस कीमत का अहसास दिलाया है. जिसे मैं साथ रह कर शायद कभी समझ ही नही सकता था.”
“मेरा मानना था कि, मैं उसे अपनी जान से ज़्यादा प्यार करता हूँ. लेकिन यहाँ आकर मैने जाना कि, जान से ज़्यादा प्यार करने का मतलब ये है कि, मैं उसे खुद से अलग मानता हूँ. जबकि मैं जिस लड़की से प्यार करता हूँ. वो मुझे अपनी जान से ज़्यादा प्यार नही करती, बल्कि वो तो मुझे ही अपनी जान मानती है.”
“उसके सपने, उसके अपने, उसकी खुशी, उसके गम, उसका प्यार, उसका विस्वास, जो कुछ भी हूँ, सिर्फ़ मैं ही हूँ. इसलिए उसके मुक़ाबले मे मेरा प्यार कुछ भी नही है और ये सब बातें मैने उस से दूर रह कर ही जानी है. मेरे लिए ये दूरी एक सज़ा नही, बल्कि एक सौगात थी. जिससे मैने अपने प्यार की कदर करना सीखा है.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने फिर फीकी सी मुस्कान के साथ कहा.
प्रिया बोली “ये बात तो उसके लिए है, जिस से प्यार हो उस से दूर रहना पड़े. लेकिन जिस से प्यार ना हो, उसके साथ रहने वाली बात का तो, तुमने कोई जबाब नही दिया.”
प्रिया की इस बात का जबाब मैने बड़ी ही संजीदगी से देते हुए कहा.
मैं बोला “तुम्हारा ये सवाल ही ग़लत है. क्योकि जिस से प्यार ना हो, उसके साथ रहने या ना रहने से कोई फरक नही पड़ता है.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया का चेहरा उतर गया. शायद उसे मुझसे इस तरह के खुले जबाब की उम्मीद नही थी. लेकिन मैने अपनी बात को बदलते हुए, उस से कहा.
मैं बोला “तुम्हारा सवाल ये होना चाहिए था कि, कोई तुम्हे प्यार करे और तुम्हे उस से प्यार ना हो. ऐसे मे उसके साथ रहना बहुत मुश्किल हो जाता है ना.”
मेरी ये बात सुनकर प्रिया हैरानी से मेरी तरफ देखने लगी. उसका इस तरह हैरान होना भी स्वाभाविक था. वो जिस बात को घुमा कर पुच्छ रही थी. उसी बात को मैने सीधे शब्दों मे उसके सामने लाकर रख दिया था. उसको इस तरह से हैरान होते देख कर, मैने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.
मैं बोला “जो अभी मैने कहा है. यदि तुम्हारा सवाल वही है तो, मेरा जबाब है कि, हाँ, बहुत मुस्किल होता है. यदि कोई आपको अपनी जान से बढ़ कर प्यार करे और आप उसके इस प्यार के बदले मे, अपना प्यार ना दे पाओ तो, बहुत तकलीफ़ होती है.”
“फिर यदि वो प्यार करने वाला तुम्हारे जैसा कोई मासूम हो तो, ये दर्द सहन करना और भी ज़्यादा मुश्किल हो जाता है. तब ऐसा लगता है, जैसे कि सीने के अंदर कोई आग जल रही हो और उस आग मे दिल जल रहा हो.”
मेरी इस बात को सुनकर, शायद प्रिया के दिल को कुछ सुकून मिला था. उसने पहली बार दिल खोल कर हंसते हुए कहा.
प्रिया बोली “मेरे लिए तुम अपना दिल मत जलाओ. मुझे तुमको हासिल करना था, वो मैने कर लिया. अब मुझे किसी बात का कोई गम नही है.”
प्रिया की इस बात ने इस बार मुझको हैरानी मे डाल दिया. मुझे उसकी ये बात ज़रा भी समझ मे नही आई और हैरानी भरी नज़रों से उसकी तरफ देखता रह गया. लेकिन वो मेरी इस हैरानी को समझ गयी थी. इसलिए उसने मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “ज़्यादा मत सोचो, इसमे हैरानी वाली कोई बात नही है. तुम मेरे साथ हो. तुम्हे मेरे दर्द से दर्द होता है. तुम्हे मेरी फिकर रहती है. यदि इसे प्यार नही कहते है तो, फिर मुझे तुमसे तुम्हारा प्यार चाहिए भी नही है. मुझे तुम्हारा बस इतना साथ ही मिलता रहे, मेरे लिए ये ही बहुत है.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मैं गौर से उसका चेहरा देखने लगा और ये समझने की कोसिस करने लगा की, ये बात कही वो मेरा दिल रखने के लिए तो, नही कह रही है. मगर उसके चेहरे की मासूमियत देख कर, मुझे यकीन हो गया कि, वो जो कुछ भी कह रही है, अपने दिल से कह रही है.
इसलिए इस समय उसके चेहरे की मुस्कान मे मुझे कही कोई दर्द नज़र नही आ रहा था. अपने दर्द की परवाह किए बिना, अपने प्यार के दर्द की परवाह करने का नाम ही तो प्यार है और यही प्रिया भी कर रही थी.
प्रिया की इस बात को सुनकर, मैं बहुत भावुक हो गया था. उसने थोड़े से ही शब्दों मे ही बहुत कुछ कह दिया था. मगर आज अपने जाने से पहले मेरे पास भी उस से कहने के लिए बहुत कुछ था. मैने उसके हाथ से अपना हाथ छुड़ाया और फिर उसका हाथ पकड़ कर सहलाते हुए कहा.
मैं बोला “प्रिया, मैं जानता हूँ कि, तुम मुझे बहुत प्यार करती हो. लेकिन उस रास्ते पर चलने का फ़ायदा ही क्या, जिस रास्ते की कोई मंज़िल ही ना हो. तुम अच्छे से जानती हो कि, मेरी मंज़िल कोई ऑर है. ऐसे मे मुझे प्यार करके तुम्हे दर्द के सिवा कुछ नही मिलेगा.”
“तुम्हारे लिए अच्छा ये ही होगा कि, तुम मुझे हमेशा के लिए भूल जाओ और अपनी जिंदगी मे किसी ऐसे लड़के को आने का मौका दो, जो तुम्हे इतना प्यार करे कि, तुम्हे कभी भूले से भी मेरी याद ना आए.”
इतना कह कर, मैं प्रिया का चेहरा देखने लगा. मेरी बात सुनकर, वो भी कुछ गंभीर दिखने लगी थी और कुछ सोच मे पड़ गयी थी. थोड़ी देर बाद उसने अपनी खामोशी को तोड़ते हुए कहा.
प्रिया बोली “एक बात बताओ, यदि किसी वजह से तृप्ति तुम्हे ना मिल पाए तो, क्या तब ऐसी हालत मे तुम मेरे प्यार को अपना लोगे.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मेरा दिमाग़ ही घूम गया और मैने उस पर झल्लाते हुए कहा.
मैं बोला “तुम पागल हो क्या है. उसके मिलने या ना मिलने से क्या होता है. यदि किसी वजह से मैं उसके प्यार को खो भी देता हूँ. तब भी मेरे दिल से उसका प्यार तो ख़तम नही हो जाएगा. वो मुझे मिले या ना मिले, लेकिन उसके अलावा किसी के प्यार को अपनाने का सवाल ही पैदा नही होता है.”
“वो मुझे मिले या ना मिले. मगर मैं उसके अलावा किसी के बारे मे सोच भी नही सकता हूँ. इसलिए तुम अपने दिल से ये वहाँ हमेशा के लिए निकाल दो कि, उसके ना मिलने से मैं तुम्हारे प्यार को अपना सकता हूँ.”
उस समय मुझे प्रिया की इस नादानी भरी बात पर बहुत गुस्सा आ रहा था. इसलिए मुझे जो कुछ भी समझ मे आया, मैं प्रिया को बोलता चला गया. लेकिन मेरे चुप होते ही, प्रिया ने अपनी बात के लिए मुझसे माफी माँगते हुए कहा.
प्रिया बोली “सॉरी, मेरे मन मे तुम दोनो के प्यार को लेकर ऐसी कोई भी बात नही है. मुझे ये बात बोलने के लिए भगवान माफ़ करे और तुम दोनो के प्यार को कभी किसी की भी नज़र ना लगे. लेकिन अब एक बार तुम खुद ही अपनी कही बात को सोच कर देख लो.”
“एक तरफ तो तुम तृप्ति को खो देने के बाद भी, उसको भूलने या किसी ऑर के प्यार को अपनाने के लिए तैयार नही हो. वही दूसरी तरफ तुम मुझसे कहते हो कि, मेरे प्यार की कोई मंज़िल नही है, इसलिए मैं अपने प्यार को भूल जाउ. क्या सिर्फ़ तुम्हारा प्यार ही प्यार है और मेरा प्यार कुछ भी नही है. आख़िर तुम्हारी नज़रों मे प्यार का ये दोहरा माप-दंड क्यो है.”
“यदि तुम दोनो का प्यार सच्चा है तो, झूठा मेरा प्यार भी नही है. तुम्हरे मेरे पास होने ना होने का अहसास मुझे दिल से महसूस होता है. यदि मेरी आँखें बंद भी हो, तब भी मैं बिना आँखे खोले बता सकती हूँ कि, तुम मेरे पास आ रहे हो. क्योकि मुझे तुम्हारे आने की आहट मेरे कानों से नही, बल्कि मेरे दिल से सुनाई देती है.”
“तुमसे इतना प्यार होने के बाद भी, जब मुझे तुम्हारे प्यार का पता चला तो, मैने खुद ही, अपने प्यार को, अपने सीने मे दफ़न करके रख दिया. लेकिन अब यदि तुम्हे मेरा तुमको याद रखना भी एक बोझ लगता है तो, तुम्हारी खुशी के लिए मैं तुम्हारी याद को भी अपने सीने मे दफ़न कर दुगी. मगर मेरी एक बात याद रखना कि दिल पर किसी का कोई ज़ोर नही होता. कही ऐसा ना हो की, तुमको भुलाते भुलाते ये दिल धड़कना ही भूल जाए.”
ये बात कहते कहते प्रिया की आँखें छलक गयी और उसका दर्द महसूस करके मेरा दिल भी तड़प गया. उसकी कही गयी, कोई भी बात ग़लत नही थी. मैं कभी कभी खुद भी इस बात को देख कर, हैरान रह जाता था कि, वो चाहे मेरी तरफ पीठ करके ही क्यो ना खड़ी हो, मगर जब मैं उसके आस पास पहुचता था तो, वो पलट कर मुझे ही देखने लगती थी.
ऐसा क्यों होता था, इस बात को मैं कभी समझ नही सका. लेकिन मेरे साथ भी प्रिया को लेकर, एक ऐसी ही अजीब बात जुड़ी हुई थी. वो बात ये थी की, प्रिया चाहे अपने दर्द को, अपनी हँसी के पिछे छुपाने की लाख कोसिस कर ले. मगर फिर भी मुझे उसकी मुस्कान के पिछे छुपि खुशी और गम का अहसास हो जाता था.
ऐसा ही कुछ अभी भी मेरे साथ हो रहा था. उसके बहते हुए आँसुओं ने मुझे मेरी ग़लती का अहसास करा दिया और मैने उसके हाथ को थामते हुए कहा.
मैं बोला “सॉरी, मेरा इरादा तुम्हारा दिल दुखाने का हरगिज़ नही था. मुझे तुम्हारी कोई भी बात बोझ नही लगती. तुम इतने दिन से साए की तरह मेरे साथ हो. लेकिन मुझे कभी भी तुम्हारा साथ बोझ नही लगा और ना ही मैने कभी तुमसे पिछा छुड़ाने की कोसिस की है.”
“ऐसा मैने किसी मजबूरी या हमदर्दी मे नही किया. बल्कि मुझे तुम्हारे साथ रहने से खुशी होती थी. तुम भले ही अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान का मुखौटा लगा कर, सबसे अपने दर्द को छुपा लेती हो. लेकिन जैसे तुम्हे मेरे आने का अहसास पहले से हो जाता है. वैसे ही मुझे भी तुम्हारी मुस्कान मे छुपे दर्द और खुशी का अहसास हो जाता है.”
“तुम्हे खुश देख कर मेरी खुशी दुगनी हो जाती है. लेकिन तुम्हे दुखी देख कर मेरा गम दुगना नही, बल्कि चार गुना हो जाता है. ये सच है कि, मैं बहुत ज़्यादा भावुक इंसान हूँ, इसलिए किसी के दिल मे छुपि भावना को महसूस करना मेरे लिए कोई बड़ी बात नही है.”
“मगर उस से भी बड़ा सच ये है कि, मुझे तुमसे मिले हुए, अभी सिर्फ़ 15 दिन ही हुए है. लेकिन इस 15 दिन की जान पहचान मे, मैं तुम्हारे दिल मे छुपि भावनाओ को जितना ज़्यादा महसूस कर पाया हूँ. उतना ज़्यादा मैं आज तक, किसी के दिल मे छुपि भावनाओ को महसूस नही कर पाया हूँ.”
“मेरे साथ ऐसा क्यो हुआ, ये मैं खुद भी नही जानता. मगर मुझे ऐसा लगता है कि, शायद पिच्छले जनम मे मेरा तुमसे कोई रिश्ता था. जिस वजह से तुम्हे दर्द मे देख कर, मैं भी तड़प उठता हूँ और तुम्हे खुश देख कर, मैं भी खुश हो जाता हूँ.”
“कहीं ना कहीं, तुम्हारी खुशी से मेरी खुशी और तुम्हारे गम से मेरा गम जुड़ा हुआ है. जिसकी वजह से मैने कहा था कि, तुम मुझे भूल जाओ. क्योकि यदि तुम खुश नही रहोगी तो, इसका अहसास मुझे भी खुश नही रहने देगा.”
“अब तुम चाहो तो, इन सब बातों को मेरा पागलपन कह लो या फिर चाहो तो, इसे प्यार के लिए मेरा दोहरा माप-दंड कह लो. लेकिन मैने अभी तुमसे जो भी कहा, वो ही मेरा सच है और इस पर यकीन करना या ना करना तुम्हारी मर्ज़ी पर है.”
अपनी इतनी बात कह कर, मैं चुप हो गया. लेकिन मेरी ये सब बातें सुनकर, प्रिया हैरानी से मुझे देखती रह गयी. उसे शायद अब भी इस बात पर यकीन नही आ रहा था कि, मेरे दिल मे उसको लेकर इतनी सब बातें छुपि हुई थी.
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