RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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इधर नेहा अपनी बात कह कर चुप हुई थी की, उधर प्रिया जाकर राज से लिपट कर रोने लगी. राज को उसके रोने की वजह समझ मे नही आ रही थी. लेकिन जैसे ही नेहा ने उसे प्रिया के रोने की वजह बताई तो, राज का भी खून खौल उठा और उसने गुस्से मे भड़कते हुए कहा.
राज बोला “तुम लोगों, ने उस कुत्ते को ठीक मारा है. उसे तो मैं अपने तरीके सबक सिखाउन्गा. लेकिन तुम लोग उसको कम मत समझो. वो कमीना किसी मामूली गुंडे का नही, बल्कि यहाँ के डॉन खालिद का भाई है. इसलिए तुम लोगों का यहाँ से जल्दी निकल जाना ही सही होगा. वरना हम सब मुसीबत मे फँस सकते है.”
राज इस समय दिमाग़ से काम ले रहा था. लेकिन मेरा दिमाग़ इस समय छुट्टी पर गया हुआ था. इसलिए मैने उसकी बात को काटते हुए कहा.
मैं बोला “नही, उस से और उसके भाई से मेरा जो उखड़ते बने, वो उखाड़ ले. लेकिन मैं ऐसे पीठ दिखा कर नही जा सकता.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने मुझे समझाने की कोसिस करते हुए कहा.
प्रिया बोली “भैया सही कह रहे है. तुम्हारा यहाँ रुकना ख़तरे से खाली नही है. फिर तुम्हारी फ्लाइट का समय भी हो रहा है. अच्छा यही होगा कि, तुम इन सब बातों को भूल कर, सीधे एरपोर्ट निकल जाओ.”
प्रिया की इस बात को सुनकर, मुझे गुस्सा आ गया और मैने उस पर चिल्लाते हुए कहा.
मैं बोला “तुम तो अपना मूह बंद ही रखो. यदि तुमने ये बात हम लोगों से छुपाई नही होती तो, आज उसकी इतनी हिम्मत नही होती. अब मुझे क्या करना है और क्या नही करना है. मैं कम से कम तुमसे तो सुनना नही चाहता.”
मैने अपनी ये बात इतनी बुरी तरह से की थी कि, मेरी ये बात सुनते ही प्रिया का मुँह छोटा सा हो गया. मगर मेरी इस बात पर बरखा ने मुझ पर भड़कते हुए कहा.
बरखा बोली “तुम्हे प्रिया पर इस तरह भड़कने की ज़रूरत नही है. उसने कोई ग़लत बात नही कही है और अब तुमको भी कुछ करने की ज़रूरत नही है. मैं जानती हूँ कि, मुझे इस मामले को कैसे निपटाना है. इसलिए अब तुम बिना कोई बहस किए, सीधे घर के अंदर चलो.”
ये कहते हुए बरखा ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे खिचते हुए घर लाने लगी. हमारे पिछे पिछे बाकी सब भी आने लगे. घर मे आते ही, बरखा ने सबसे पहले दरवाजा बंद किया और उसके बाद अजय को कॉल लगा कर सारी बातें बताई.
अजय ने सारी बातें सुनने के बाद, बरखा से कहा कि, घबराओ मत, किसी को कुछ नही होगा. बस मेरे आने तक तुम किसी को बाहर नही निकालने देना. अजय से बात करने के बाद, बरखा ने दुर्जन को भी कॉल करके सारी बातें बताई.
दुर्जन ने भी उस से यही कहा कि, वो अभी आ रहा है. तब तक किसी को बाहर नही निकलने देना. दुर्जन से बात हो जाने के बाद, हम सब गहरी सोच मे पड़ गये. आने वाले पल की कल्पना कर कर के, सभी घबरा रहे थे.
तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया, बरखा ने जाकर देखा तो, वो दुर्जन था. बरखा ने दरवाजा खोला और उसे सारी बातें एक बार फिर बताने लगी. जिसे सुन ने के बाद, दुर्जन ने उसे समझाते हुए कहा.
दुर्जन बोला “देखो, खालिद मुझे अच्छे से जनता है. लेकिन इस समय खालिद का सामना करने की हिम्मत किसी मे नही है. फिर भी मैं अपनी तरफ से उसे समझाने की कोसिस करता हूँ. वो तुम्हे एक दो थप्पड़ मारे तो, चुप चाप सह लेना. इस बात को यही पर ख़तम करने का बस ये ही एक रास्ता है.”
मुझे दुर्जन की ये बात पसंद नही आई थी. लेकिन सबकी भलाई के लिए मैं ये भी करने को तैयार हो गया. तभी बाहर गाड़ियों का शोर सुनाई दिया. हम ने बाहर देखा तो, 3-4 गाड़ियों से लड़के उतर रहे थे. उनके हाथों मे हथियार भी थे.
फिर एक गाड़ी मे से पठानी सूट पहने एक लंबा चौड़ा लड़का उतरा. लेकिन दुर्जन के मुक़ाबले मे उसका शरीर कुछ भी नही था. उसे देखते ही दुर्जन ने कहा.
दुर्जन बोला “ये ही खालिद है. तुम लोग यहीं रूको, मैं उस से बात करके आता हूँ.”
उधर खालिद के गाड़ी से उतरते ही सलीम भी गाड़ी से उतर कर बाहर आ गया. उसने हमारे घर की तरफ इशारा किया और खालिद अपने लड़को के साथ हमारे घर की तरफ बढ़ने लगा. इसी बीच दुर्जन भी घर का दरवाजा खोल कर बाहर निकल गया.
अभी दुर्जन मेन गेट तक पहुच भी नही पाया था कि, तभी मेन गेट पर सरसराती हुई आरू की BMW कार आकर रुकी. आरू की कार को देखते ही बरखा दीदी ने अपना सर पीटते हुए कहा.
बरखा बोली “ओह्ह शिट, मैं ये कैसे भूल गयी कि, आरू लोग यहाँ के लिए निकल चुकी है और वो कभी भी यहाँ आ सकती है.”
लेकिन उनकी ये बात सुनते ही, मैं भी किसी अनहोनी से काँप गया. अब मेरे लिए खुद को अंदर रोक पाना मुश्किल हो गया और मैं बाहर जाने के लिए बढ़ा. लेकिन तभी बरखा दीदी ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा.
बरखा बोली “ये क्या कर रहे हो. तुम से कहा ना कि, तुम बाहर नही जाओगे.”
मैं बोला “बहनों की हिफ़ाज़त के लिए भाई होते है. उन्हे किसी मुसीबत मे डालने के लिए नही होते. आज यदि मेरी वजह से उन्हे कोई आँच आ गयी तो, मैं अपने आपको जिंदगी भर माफ़ नही कर पाउन्गा.”
ये कहते हुए मैने बरखा दीदी के हाथ को झटका और बाहर की तरफ दौड़ लगा दी. मेरे पिछे पिछे मेहुल, राज और बाकी लोग भी आने लगे. वही मुझे दरवाजे से बाहर निकलते देख, सलीम की नज़र मुझ पर पड़ गयी.
वो मेरी तरफ इशारा करते हुए खालिद से कुछ कह रहा था और वो हमारे घर की तरफ बढ़े चले आ रहे थे. तभी घर के सामने खड़ी कार का दरवाजा खोल कर सीरू दीदी बाहर आई.
उन्हे देखते ही खालिद के हमारी तरफ बढ़ते कदम रुक गये और उसने अपने लड़को को भी रुकने का इशारा किया. सीरू दीदी का ध्यान खालिद की तरफ नही था. वो कार मे बैठी आरू लोगों से कुछ बात कर रही थी.
इसके बाद, एक एक करके कार से सेलू, आरू, निक्की और हेतल बाहर निकली. तब तक मैं भी उनके पास पहुच चुका था. मैने उसके पास पहुचते ही सीरू दीदी से कहा.
मैं बोला “आप लोग जल्दी से अंदर चलिए. आप लोगों का यहाँ रुकना ठीक नही है.”
मेरी ये बात सुनकर, सीरू दीदी ने अपनी आदत के अनुसार मेरा मज़ाक उड़ाते हुए कहा.
सीरत बोली “क्यो तुम्हे हम लोगों के अंदर जाने की इतनी जल्दी क्या है. कहीं हमारी कार चोरी करने का इरादा तो नही है.”
सीरू दीदी की ये बात सुनते ही मेरा दिमाग़ घूम गया. मुझे कभी उनके किसी मज़ाक का बुरा नही लगा था. लेकिन इस समय के माहौल मे मुझे उनका ये मज़ाक करना ज़रा भी पसंद नही आया और मैने पहली बार गुस्से मे उन पर चिल्लाते हुए कहा.
मैं बोला “अपनी बेकार की बकवास बंद कीजिए. आपसे मैने कहा ना कि, आप लोग फ़ौरन अंदर जाइए.”
मुझे इस तरह गुस्सा करते देख, सीरू दीदी भी हैरान रह गयी. उन्हे मेरा ये बर्ताव कुछ अजीब लगा और वो यहाँ वहाँ देखने लगी. तभी उनकी नज़र खालिद पर पड़ी और मुझे अनदेखा कर उसकी तरफ बढ़ने लगी.
उन्हे खालिद की तरफ बढ़ते देख, मैं ऑर भी ज़्यादा घबरा गया. मैने उनका हाथ पकड़ कर, उनको रोकते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, आप उधर मत जाइए, वो यहाँ मुझे मारने ही आया है. आप सब लोग प्लीज़ अंदर चली जाइए.”
मेरी बात सुनते ही सीरू दीदी ने मुझे हैरानी से देखा और फिर मेरा हाथ पकड़ कर खिचते हुए, खालिद के पास ले आई. उनकी इस हरकत ने तो, मेरी जान ही निकाल कर रख दी. मुझे अपनी कोई परवाह नही थी. मुझे परवाह थी तो, सिर्फ़ उनकी थी.
लेकिन मेरे पास अब करने को कुछ नही बचा था. मैं खालिद के सामने खड़ा था. मगर उसने मुझे देखा तक नही. उसकी नज़र सिर्फ़ सीरू दीदी पर टिकी हुई थी और सीरू दीदी के उसके पास पहुचते ही, उसने सीरू दीदी से कहा.
खालिद बोला “छुटकी तू यहाँ क्या कर रही है.”
खालिद की बात सुनकर, सीरू दीदी ने बुरा सा मूह बनाते हुए कहा.
सीरत बोली “भाई जान, मैं छुटकी नही हूँ. मेरे बाद दो ऑर भी छोटी है.”
सीरू दीदी की इस बात पर खालिद ने पहली बार हंसते हुए कहा.
खालिद बोला “मेरे लिए तो, तू ही छुटकी है. अब ये बता कि, तू यहाँ क्या कर रही है.”
खालिद की बात सुनकर, सीरू दीदी ने शिखा दीदी के घर की तरफ इशारा करते हुए कहा.
सीरत बोली “अरे ये भैया का ससुराल है. हम सब यहीं पर आए है.”
सीरू दीदी की ये बात सुनते ही, खालिद ने हैरानी से कहा.
खालिद बोला “क्या ये अमन का ससुराल है. लेकिन वो तो…”
अभी खालिद अपनी बात पूरी भी नही कर पाया था कि, सीरू दीदी ने उसकी बात को बीच मे ही काटते हुए कहा.
सीरत बोली “अरे नही, ये तो अजय भैया का ससुराल है. उनका ससुराल तो वही है, जहाँ होना चाहिए था.”
ये कह कर सीरू दीदी खिलखिलाने लगी. उनके साथ साथ खालिद भी हंस पड़ा और फिर हंसते हुए सीरू दीदी से कहा.
खालिद बोला “दोनो कमिनो ने शादी कर ली और मुझे बताया तक नही. आने दो उनको, यही टपका डालुगा.”
ये कहते हुए, खालिद ने रिवॉल्वार निकाल ली. उसके हाथ मे रिवॉल्वार देखते ही, सीरू दीदी गुस्से मे उसकी तरफ देखने लगी. उसने सीरू दीदी को गुस्से मे देखा तो, फ़ौरन रिवॉल्वार जेब मे रख कर, अपने कान पर हाथ रखते हुए कहा.
खालिद बोला “सॉरी मेरी माँ, मैं भूल गया था कि, तुझे ये सब पसंद नही है.”
खालिद का ये रूप देख, कर सीरू दीदी के चेहरे पर फिर मुस्कुराहट आ गयी और उन्हो ने खालिद से कहा.
सीरत बोली “वो सब तो ठीक है. लेकिन आप यहाँ क्या कर रहे है.”
सीरू दीदी की ये बात सुनकर, खालिद ने बात बदलते हुए कहा.
खालिद बोला “मैं यहाँ किसी काम से आया था. लेकिन तुझे देख कर रुक गया.”
अभी खालिद की बात पूरी भी नही हो पाई थी कि, तभी हम से कुछ दूरी पर अमन की कार आकर रुकी. उसे देखते ही खालिद ने सीरू से कहा.
खालिद बोला “लो ये दोनो भी आ गये. अब तू ही मुझे इनसे बचा, वरना ये दोनो शादी मे शामिल ना होने की बात को लेकर मुझे कच्चा चबा जाएगे.”
खालिद की बात सुनते ही, सीरू दीदी ने हैरानी से कहा.
सीरत बोली “अरे अभी तो आप कह रहे थे कि, इन्हो ने आपको शादी का बताया ही नही है. फिर ये आपको क्यो कुछ कहेगे.”
खालिद बोला “मुझे शादी का पता था. लेकिन मुझे अचानक दुबई जाना पड़ गया और मैं नही आ पाया. मैं तो बस तुझे मामू बना रहा था. मुझे क्या पता था कि, ये दोनो भी यहाँ आ धम्केगे.”
खालिद की ये बात सुनते ही, सीरू दीदी ने आँख दिखाते हुए कहा.
सीरत बोली “अभी आपने मुझे मामू बनाया ना. अब आप देखो मैं आपका मामू कैसे बनाती हूँ.”
ये बोल कर, सीरू दीदी अमन और अजय की तरफ देखने लगी. अमन और अजय कार से उतरते ही तेज़ी से हमारी तरफ चले आ रहे थे. उनके हमारे पास पहुचते ही, सीरू दीदी ने उनसे कहा.
सीरत बोली “भैया, खालिद भाई जान अभी आप दोनो के बारे मे पता नही क्या क्या बोले जा रहे थे. ये कह रहे थे कि, मैं इस लिए तेरे भाइयों की शादी मे नही आया, क्योकि तेरे दोनो भाई जेब-कतरे है.”
“एक अपने कारखाने मे रद्दी कपड़े बना कर लोगों की जेब कतरता है तो, दूसरा मरीजों को हॉस्पिटल मे अच्छी शकल के सपने दिखा कर उसकी जेब काट लेता है. मैं तो एक डॉन हूँ और भला एक डॉन का जेबकतरों से क्या मुकाबला है.”
सीरू दीदी की ये बात सुनते ही खालिद ने उन्हे खिसियाते हुए देखा और वो पिछे हटने को हुआ. मगर तब तक अमन ने आकर उसे पकड़ लिया और अजय ने उसके पेट मे एक जोरदार मुक्कों की बरसात कर दी. मुक्के की मार खाते ही, खालिद ने अपनी सफाई देते हुए कहा.
खालिद बोला “अबे तुम दोनो, किस की बातों मे आ रहे हो. क्या तुम दोनो को इसकी आग लगा कर, तमाशा देखने की आदत का पता नही है. मैने इस से ज़रा सा मज़ाक किया था. ये उसी का मुझसे बदला निकाल रही है.”
खालिद की ये बात सुनते ही, दोनो को उसकी बात का यकीन हो गया और उन्हो ने उसको छोड़ दिया. खालिद अपने कपड़े सही करने लगा. तभी अजय ने उस से कहा.
अजय बोला “ये मैं क्या सुन रहा हूँ. तू यहाँ किसका गेम बजाने आया था.”
अजय की बात सुनकर, खालिद ने थोड़ा शर्मिंदा सा होते हुए कहा.
खालिद बोला “यार, मुझे कुछ भी नही पता. मैने सलीम को खून से सना देखा तो, मेरा दिमाग़ सरक गया और मैं उस लड़के को सबक सिखाने यहाँ आ गया. मुझे ज़रा भी नही पता था कि, ये मुझे किसके घर लेकर जा रहा है.”
खालिद की बात सुनकर, अजय ने बरखा और आरू लोगों को पास आने का इशारा किया. इसके बाद, उसने सलीम को अपने पास बुला कर, उसके कंधे पर हाथ रख कर, उस से कहा.
अजय बोला “मैं तुम्हारा कौन हूँ.”
सलीम ने सर झुका कर अजय की बात का जबाब देते हुए कहा.
सलीम बोला “जी, आप मेरे भाई जान है.”
इसके बाद अजय ने सीरू दीदी लोगों की तरफ इशारा करते हुए कहा.
अजय बोला “इन सबको पहचानते हो, ये कौन है.”
सलीम बोला “जी नही भाई जान, मैं बस सीरू बाजी को जानता हूँ.”
सलीम की इस बात के जबाब मे अजय ने उसे सेलू, आरू, हेतल और निक्की का परिचय करवाते हुए कहा.
अजय बोला “सीरू की तरह ये भी मेरी बहन है और जिस लड़की को तुमने परेशान किया था, वो निक्की की सबसे खास सहेली है और उसके लिए बहन की तरह ही है.”
अजय की इस बात पर सलीम ने शर्मिंदा होते हुए कहा.
सलीम बोला “मैने सिर्फ़ निक्की बाजी को देखा था. लेकिन खुदा कसम मुझे नही पता था कि, वो मेरी बाजी है, वरना मैं ऐसी हरकत कभी नही करता.”
सलीम की इस बात को सुनकर, अजय ने मुझे अपने पास बुलाया और फिर सलीम को समझाते हुए कहा.
अजय बोला “कोई बात नही, अंजाने मे सबसे ग़लती हो जाती है. अब इस लड़के से भी मिल लो. ये तुम्हारी भाभी का भाई है. अब यदि तुम्हारे मन मे इसके लिए कोई गुस्सा हो तो, उसे हमारे सामने ही निकाल लो.”
सलीम बोला “नही भाई जान, मेरे मन मे अब किसी बात को लेकर कोई मैल नही है. मैं अपनी ग़लती के लिए शर्मिंदा हूँ.”
सलीम की बात सुनने के बाद, अजय ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.
अजय बोला “सलीम मेरे छोटे भाई की तरह है. यदि तुम्हारे मन मे इसके लिए कोई गुस्सा हो तो, तुम भी अभी अपना गुस्सा निकाल सकते हो.”
अजय की बात सुनकर, मैने भी अपना सर ना मे हिला दिया. जिसके बाद अजय ने हम दोनो को गले मिलने को कहा तो, हम आपस मे गले मिले. इसके बाद सलीम ने खुद से ही आगे बढ़ कर, प्रिया से भी माफी माँग ली.
तभी हमे एक कार और आती दिखी. सब कार की तरफ देखने लगे. कार के रुकते ही, कार मे से निशा भाभी और शिखा दीदी उतरी. जिन्हे देखते ही अजय ने खालिद को शिखा दीदी का परिचय दिया. जिसे सुनते ही खालिद ने कहा.
खालिद बोला “आज तो लगता है, मेरी शामत ही आने वाली है. अब दोनो भाभी जान भी यहीं पर आ रही है.”
मुझे खालिद की ये बात कुछ अजीब सी लगी. क्योकि अजय ने खालिद को सिर्फ़ शिखा दीदी का परिचय दिया था. मगर खालिद को दो भाभी वाली बात से ये समझ मे आ रहा था कि, वो शायद निशा भाभी पहले से जानता है.
निशा भाभी तो, मुस्कुराते हुए हमारी तरफ आ रही थी. लेकिन शिखा दीदी के चेहरे पर कुछ परेशानी झलक रही थी. उनके मन मे शायद मुझे लेकर कोई डर समाया हुआ था. वो बहुत घबराई हुई सी लग रही थी और उन्हो ने हमारे पास आते ही खालिद के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “भाई जान, मेरा छोटा भाई अभी बच्चा ही है. आप इसके लिए अपने मन मे कोई मैल मत रखिएगा. इसने अंजाने मे आपके भाई पर हाथ उठा दिया था. इसकी ग़लती के लिए मैं आपसे माफी मांगती हूँ.”
शिखा दीदी का अपने लिए इतना प्यार देख कर, मेरी आँखें छल छला गयी. वही खालिद ने उनको अपने सामने हाथ जोड़ा देखा तो, फ़ौरन उनके पास आते हुए कहा.
खालिद बोला “भाभी जान, आप मुझसे माफी माँग कर, मेरे गुनाहों का बोझ मत बढ़ाइए. मैं बुरा ही सही लेकिन इन दोनो का जिगरी हूँ.”
अभी खालिद की ये बात पूरी हो पाती कि, तभी हम सबको किसी की आवाज़ ने चौका दिया.
आवाज़ “अछा बेटा, तीन से अब दो हो गये. लगता है तेरा यही पर एनकाउंटर करना पड़ेगा.”
ये आवाज़ सुनते ही, हम सबने पलट कर देखा तो, सामने एस.पी की वर्दी मे एक लंबा सा आदमी खड़ा था. ये एस.पी. कोई और नही, अजय का सूरत वाला दोस्त अभय था. उसे देखते ही अमन, अजय और निशा की हँसी छूट गयी. लेकिन खालिद ने बुरा सा मूह बनाते हुए कहा.
खालिद बोला “साले तू मेरा एनकाउंटर बाद मे करेगा, उस से पहले मैं तेरे नाम की सुपारी निकाल दूँगा.”
ये कहते हुए खालिद ने उसे गले से लगा लिया. पोलीस और मुजरिम का ऐसा दोस्ताना मैं पहली बार देख रहा था. इस सब मे मैं दुर्जन को तो भूल ही गया था. वो भी हैरानी से इस सब नज़ारे को देख रहा था.
जब उसने सब कुछ ठीक होते देखा तो, वो शिखा दीदी को बता कर वहाँ से चला गया. खालिद ने भी अपने लड़को को सलीम के साथ वापस भेज दिया. उन लोगों के जाने के बाद, शिखा दीदी ने सब को अपने घर चलने को कहा.
जिसके बाद सब शिखा दीदी के घर आ गये. शिखा दीदी के घर पहुचते ही अजय ने टाइम देखा तो, अब 5 बज गये थे. ये देखते ही अजय ने मुझसे कहा.
अजय बोला “तुम्हारी आज की फ्लाइट का समय तो निकल चुका है. अब तो तुम्हे कल की ही फ्लाइट मिल सकेगी.”
मैं बोला “कोई बात नही. हम लोग कल चले जाएगे.”
अजय बोला “ठीक है, मैं कल की टिकेट करवा देता हूँ. लेकिन तुम अपने घर मे बता दो कि, तुम लोग आज नही आ पा रहे हो. वरना वो लोग बेकार मे परेशान होते रहेगे.”
अजय की ये बात सुनते ही, मेहुल ने उस से कहा.
मेहुल बोला “मैने ये बात घर मे बता दी है कि, पापा की एक रिपोर्ट ना मिल पाने की वजह से हम लोगों को यहाँ आज ऑर रुकना पड़ रहा है.”
मेहुल की ये बात सुनते ही, अजय मेहुल के दिमाग़ की तारीफ करने लगा. फिर चाय पानी करने के बाद, बहुत देर तक बातों का दौर चलता रहा. फिर 7 बजे के बाद, एक एक करके सब वापस जाने लगे.
पहले अभय और उसके बाद खालिद गया. फिर अमन, निशा भाभी, अजय और शिखा दीदी भी चले गये. उनके जाने के ही कुछ देर बाद सीरू दीदी लोग भी चली गयी. उनके बाद, रिया, राज और मेहुल भी घर लौट गये.
मैने दिन का खाना नही खाया था और रात के खाने का समय हो रहा था. इसलिए मैने राज लोगों के साथ जाने से मना कर दिया था. मेरे साथ साथ प्रिया भी यहीं रुक गयी थी.
लेकिन मेरे उस पर चिल्ला देने की वजह से, वो मुझसे कुछ नाराज़ थी और मुझसे बात नही कर रही थी. उसकी ये नाराज़गी ग़लत नही थी. मगर अभी मेरे लिए प्रिया की नाराज़गी दूर करने से ज़्यादा ज़रूरी काम, कीर्ति को आज अपने ना आ पाने की वजह को समझाना था.
इसलिए मैं प्रिया को बरखा के पास छोड़ कर, उपर आकर कीर्ति को कॉल लगाने लगा. लेकिन कीर्ति ने मेरा कॉल उठाते ही, मुझ पर भड़कना सुरू कर दिया. उसे यहाँ की सारी बातों का नितिका से पहले ही पता चल चुका था.
वो आज मेरे वापस ना आने की वजह से रोए जा रही थी और मुझे हज़ारों जली कटी बातें सुनती जा रही थी. मैं उसे अपनी बात समझाना चाहता था. लेकिन वो मेरी कोई बात सुनने को तैयार ही नही थी. मैने उस पर, मेरी बात ना सुनने को लेकर थोड़ा सा गुस्सा कर दिया तो, वो मुझ पर ऑर भी ज़्यादा भड़क गयी और मुझे उल्टा सीधा बकते हुए, मेरा कॉल काट दिया.
मैने उसे वापस कॉल लगाया तो, उसके दोनो मोबाइल बंद हो चुके थे. मैने उसके दोनो बंद मोबाइल पर एक एक एसएमएस भेज दिया. ताकि जैसे ही वो अपने मोबाइल चालू करे तो, मुझे इसका पता चल जाए. इतना करने के बाद, वही बेबस सा होकर, बैठ गया और कीर्ति को समझाने के बारे मे सोचने लगा.
तभी प्रिया उपर आ गयी. प्रिया को देख कर, मैने सोचा कि जब तक कीर्ति के मोबाइल चालू नही हो जाते, तब तक क्यो ना, प्रिया की नाराज़गी को ही दूर कर लिया जाए. ये सोच कर, मैं प्रिया से बात करने की कोसिस करने लगा.
लेकिन प्रिया ने मेरी बात को सुन कर भी अनसुना कर दिया और यहाँ वहाँ कुछ ढूँढने लगी. फिर बिना कुछ लिए ही वापस नीचे चली गयी. उसकी इस हरकत से, मुझे इतना तो समझ मे आ गया था कि, वो यहाँ कुछ ढूँढने नही, बल्कि ये देखने आई थी कि, मैं यहाँ अकेला बैठा क्या कर रहा हूँ.
अभी प्रिया नीचे गयी ही थी कि, तभी मेरे मोबाइल पर कीर्ति को भेजे गये एसएमएस की डेलिवरी रिपोर्ट आ गयी. ये देखते ही, मैने फ़ौरन कीर्ति को कॉल लगा दिया. उसके दोनो मोबाइल चालू हो चुके थे. लेकिन मेरे कॉल लगते ही, उसने फिर से अपने मोबाइल बंद कर दिए.
मैने फिर से कीर्ति के दोनो मोबाइल पर एक एक एसएमएस भेजा और उसके मोबाइल चालू करने का इंतजार करने लगा. कुछ देर तक इंतजार करने के बाद, कीर्ति के मोबाइल तो चालू नही हुए, लेकिन प्रिया ज़रूर अपने हाथ मे पानी की बॉटल लिए उपर आ गयी.
उसने एक नज़र मुझे देखा और फिर पानी की बॉटल मेरे पास रखने लगी. मैने उस से कहा कि, मेरे पास पानी की बॉटल पहले से है. मगर उसने मेरी बात को फिर से अनसुना करते हुए, पानी की बॉटल मेरे पास रखी और वापस नीचे चली गयी.
उसके जाने के कुछ देर बाद, फिर कीर्ति के मोबाइल चालू हुए. लेकिन मेरे कॉल लगाते ही उसने फिर से अपने मोबाइल बंद कर दिए. कीर्ति और प्रिया की इस हरकत को देख कर मैं अपना सर पीटे बिना ना रह पाया.
एक तरफ तो दोनो ही मुझसे बात करना चाह रही थी. दूसरी तरफ दोनो ही मुझे अनदेखा करती जा रही थी. खालिद को लेकर मैं जितना परेशान नही था, उस से ज़्यादा अब ये दोनो मुझे परेशान कर रही थी.
कुछ घंटे पहले मैं जहाँ प्रिया के साथ हँसी मज़ाक करते हुए, कीर्ति के पास पहुचने की तैयारी मे लगा था. वही अब मैं उन दोनो की ही नाराज़गी झेलने पर मजबूर था और उनको मनाने की कोसिस मे लगा हुआ था. आज की सुबह मेरे लिए जितनी ज़्यादा उजाले भरी थी. अब रात मुझे उतनी ही ज़्यादा काली होती नज़र आ रही थी.
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