RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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कीर्ति और प्रिया की नाराज़गी को ऐसे ही झेलते झेलते 9 बज गये. फिर बरखा दीदी मुझे खाने के लिए बुलाने आ गयी और मैं उनके साथ नीचे आ गया. नीचे आकर मैने सबके साथ खाना खाया और उसके बाद मैं आंटी से बात करने लगा.
मेरी आंटी से बात चल ही रही थी कि, प्रिया ने मेरे हाथ मे, दिन मे खरीदे हुए गिफ्ट थमा दिए. मैं उसके इस इशारे को समझ गया और मैने उन गिफ्ट मे से आंटी और बरखा दीदी के लिए खरीदे हुए गिफ्ट निकाल कर उनको दे दिए.
मेरा दिया गिफ्ट देख कर, बरखा दीदी तो खुश हो गयी. लेकिन आंटी ने इस गिफ्ट वाली बात पर थोड़ी सी नाराज़गी जताई. मगर फिर बाद मे बरखा दीदी और प्रिया के समझाने पर, उन्हो ने भी खुशी खुशी गिफ्ट ले लिया.
प्रिया ने नेहा और हीतू के लिए खरीदा हुआ गिफ्ट, भी बरखा दीदी को देते हुए, वो गिफ्ट उनसे नेहा और हीतू को देने का कह दिया. इसके बाद मेरी थोड़ी बहुत बातें और हुई और फिर मैं प्रिया के साथ घर के लिए निकल पड़ा.
रास्ते मे मैं प्रिया से बात करने की कोशिस करता रहा. लेकिन वो मेरी हर बात का सिर्फ़ हां या ना मे जबाब दे रही थी. अपने जाने से पहले मुझे उसकी ये उदासी अच्छी नही लग रही थी. लेकिन लाख कोशिशो के बाद भी, मैं उसकी ये नाराज़गी दूर नही कर सका और फिर 10 बजे हम लोग घर पहुच गये.
जब हम लोग घर पहुचे तो, सब खाना खा रहे थे. निक्की भी सबके साथ खाने पर बैठी थी. लेकिन वो खाना नही खा रही थी. प्रिया ने उसे देखा तो सीधे उसके पास जाकर बैठ गयी और उस से उसके वापस आने की वजह पुछ्ने लगी.
तब निक्की ने बताया कि, मोहिनी आंटी को भी कल वापस जाना था. इसलिए अजय भैया ने उनके टिकेट भी पुनीत लोगों के साथ ही करवा दिए थे. वो सीरू दीदी लोगों के साथ यहाँ टिकेट देने आई थी. लेकिन मोहिनी आंटी ने उसे वापस ही नही जाने दिया.
निक्की की ये बात सुनकर, प्रिया निक्की को छोड़ कर मोहिनी आंटी के पास आकर, उनसे कुछ दिन और रुकने की ज़िद करने लगी. मगर मोहिनी आंटी ने उसे किसी तरह से समझा बुझा कर, अपने कल वापस जाने की बात के लिए तैयार ही कर लिया.
सबका खाना खाना हो चुका था. अब सिर्फ़ बातों का दौर चल रहा था और सब आज हुई घटना के बारे मे बात कर रहे थे. राज और रिया, मेरी आज की गयी मार पीट के बारे मे सबको बढ़ चढ़ कर बता रहे थे.
लेकिन इस बात के सुरू होते ही प्रिया ने फिर से मूह फूला लिया था. ये बात निक्की से छुपि ना रह सकी और उसने प्रिया को टोकते हुए कहा.
निक्की बोली “अरे जब सब कुछ ठीक हो गया है तो, फिर तेरा मूह ऐसे क्यो फूला है.”
निक्की की ये बात सुनकर, रिया ने हंसते हुए कहा.
रिया बोली “इसका मूह इसलिए फूला है, क्योकि उस समय इसने पुनीत को वहाँ पर ना रुकने और घर वापस जाने के लिए समझाने की कोशिस की थी. मगर तब पुनीत इतने ज़्यादा गुस्से मे था कि, इसने प्रिया को ही बहुत उल्टा सीधा बोल दिया था.”
ये कह कर, रिया सबको मेरे प्रिया पर गुस्सा करने की बात बताने लगी. जिसे सुनने के बाद, सबने प्रिया को गुस्सा ना करने के लिए समझाने लगे. जिसे देख कर, प्रिया ने अपना मूड सही कर लिया.
लेकिन उसका ये मूड सिर्फ़ सबको दिखाने के लिए सही हुआ था. असल मे तो वो अभी भी मुझसे नाराज़ ही थी और मुझसे कोई बात नही कर रही थी. ये बात निक्की के भी समझ मे आ चुकी थी. इसलिए अब वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी.
कल तो मैने प्रिया की नाराज़गी को कीर्ति की मदद से दूर कर दिया था. लेकिन आज तो प्रिया के साथ साथ कीर्ति भी मुझसे नाराज़ थी. ऐसे मे प्रिया को मनाने मे निक्की ही मेरी मदद कर सकती थी.
इसलिए जब मैने निक्की को मेरी तरफ देख कर, मुस्कुराते देखा तो, मैने उसे प्रिया का गुस्सा शांत करने का इशारा किया. लेकिन उसने मेरी इस परेशानी का मज़ा लेते हुए, अपने सर को हिला कर ऐसा करने से सॉफ मना कर दिया.
लेकिन मैं इसके बाद भी, उसे बार बार प्रिया को मनाने के लिए इशारे करता रहा. आख़िर मे उसने मेरी हालत पर तरस खा कर, मुस्कुराते हुए, प्रिया को मनाने मे, मेरी मदद करने के लिए, हां मे सर हिला दिया.
इधर मैं प्रिया को मनाने के लिए निक्की को तैयार करने मे लगा था. उधर प्रिया सबको मेरी तरफ से गिफ्ट देने मे लगी हुई थी. उसने यहा पर मुझसे जुड़े, हर किसी के लिए, कुछ ना कुछ गिफ्ट ज़रूर खरीदा था. लेकिन खुद के लिए, उसने कोई भी गिफ्ट नही खरीदा था.
उसे ये भी नही पता था कि, मैने जो गिफ्ट तृप्ति का कह कर खरीदा है. असल मे वो गिफ्ट उसी के लिए है. मैं उसे ये गिफ्ट घर आकर देना चाहता था. लेकिन उसके पहले ही ये सब लफडा हो गया और वो मुझसे नाराज़ हो गयी.
लेकिन अब उसे सबको गिफ्ट देते देख कर, मुझे भी उसे अपना गिफ्ट देने का यही सही मौका नज़र आया. मैने फ़ौरन ही उन गिफ्ट मे से प्रिया के लिए खरीदा हुआ गिफ्ट निकाला और प्रिया की तरफ बढ़ाते हुए कहा.
मैं बोला “तुमने मेरी तरफ से सबको गिफ्ट दे दिए. लेकिन तुम खुद का गिफ्ट लेना ही भूल गयी. ये गिफ्ट मेरी तरफ से तुम्हारे लिए है.”
प्रिया उस गिफ्ट को देखते ही फ़ौरन पहचान गयी और उसने इतनी देर मे पहली बार मुझसे कोई बात करते हुए कहा.
प्रिया बोली “लेकिन ये गिफ्ट तो तुमने किसी ऑर के लिए खरीदा था.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए उस से कहा.
मैं बोला “नही, ये गिफ्ट मैने तुम्हारे लिए ही खरीदा था. तुमने मुझसे अपने बर्थ’डे की बात च्छुपाई थी. इसलिए मैने भी तुमसे ये बात छुपाइ कि, मैं ये गिफ्ट तुम्हारे लिए खरीद रहा हूँ. अब हम दोनो का हिसाब बराबर हो गया.”
मेरी ये बात सुनकर प्रिया गुस्से मे मुझे घूर्ने लगी और बाकी सब हँसने लगे. थोड़ी देर तक हम सब इसी बात को लेकर हँसी मज़ाक करते रहे. फिर 11 बजे के बाद, सब एक दूसरे को गुड नाइट बोल कर अपने अपने कमरे मे जाने लगे.
मैने भी सबको गुड नाइट कहा और अपने कमरे मे आ गया. कमरे मे आकर मैने कपड़े बदले और फिर कीर्ति को कॉल लगा दिया. लेकिन उसने ना तो मेरा कॉल उठाया और ना ही मुझे कॉल लगाया.
थोड़ी देर तक मैं उसे ऐसे ही कॉल लगाता रहा. लेकिन जब उसने मेरा कॉल नही उठाया तो, फिर मैने उसे मेसेज करके, कॉल उठाने के लिए अपनी कसम दे दी. जिसके बाद फ़ौरन ही उसका कॉल आने लगा.
मैने कॉल उठाते ही, उसे कुछ बोलने का मौका दिए बिना ही, अपनी ग़लती की माफी माँगना सुरू कर दिया. वो मेरी बात को अनसुना कर, मुझ पर गुस्सा करने की कोसिस कर रही थी.
लेकिन मैं उसे कुछ बोलने का मौका ही नही दे रहा था. एक तरह से मैं उसके गुस्सा करने की आदत को, उसको मनाने के लिए इस्तेमाल कर रहा था. मेरे इस तरह लगातार माफी माँगते रहने से पहले तो, चिड़चिड़ाती रही.
मगर उसकी ये चिड़चिड़ाहट ज़्यादा देर तक बनी ना रह सकी और मेरी इन हरकतों से अचानक ही उसकी हँसी छूट गयी. फिर उसने प्यार से आज की बातों को लेकर गुस्सा किया. जिसमे मैने कान पकड़ कर अपनी ग़लती की माफी माँग ली.
जिसके बाद, उसने मुझे इस बात के लिए माफ़ कर दिया और कॉल रखने की बात करने लगी. उसके इतनी जल्दी कॉल रखने की बात सुनकर, मुझे लगा कि, शायद उसकी नाराज़गी अभी मुझसे दूर नही हुई है.
जब मैने ये ही बात उस से कही तो, उसने मुझे कॉल जल्दी रखने की वजह समझाते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मैं तुमसे सच मे नाराज़ नही हूँ. लेकिन आज वाणी दीदी लोग आ गयी है. वाणी दीदी मेरे घर ना जाकर यही मौसी के पास रुक गयी है और उनका कोई भरोशा नही है. वो किसी भी समय मेरे कमरे मे आ धमक सकती है. इसलिए आज मैं अभी तुमसे ज़्यादा बात नही कर सकती.”
मुझे भी कीर्ति की ये बात सही लगी. वाणी एक ऐसी लाइलाज बीमारी थी, जिसका इलाज दुनिया के किसी भी डॉक्टर के पास नही था. इसलिए मैने भी कीर्ति से बात करने की कोई ज़िद नही की और उसको गुड नाइट कह कर कॉल रख दिया.
वाणी की वजह से कीर्ति से मेर ज़्यादा बात तो नही हो सकी थी. लेकिन मुझे इस बात की खुशी थी कि, कम से कम अब वो मुझसे नाराज़ नही है. कीर्ति की नाराज़गी तो, मैने दूर कर दी थी. मगर प्रिया की नाराज़गी अभी भी बनी हुई थी.
निक्की ने मुझे इशारे से उसकी नाराज़गी दूर करने की मदद करने का दिलाषा तो, दे दिया था. लेकिन वो इसके लिए क्या कर रही थी, इसके बारे मे मुझे कुछ पता नही था. इसी बात को जानने के लिए मैने निक्की को कॉल लगा दिया. निक्की के कॉल उठाते ही मैने उस से कहा.
मैं बोला “क्या हुआ, आपकी प्रिया से कुछ बात हुई या नही हुई.”
निक्की बोली “मेरी अभी अभी उस से बात हुई. उसने मुझे बताया कि, आपने उस से कितनी बुरी तरह से बात की थी. उसकी बातें सुनकर, जब मुझे इतना ज़्यादा बुरा लगा है. तब तो उसका ये सब सुनकर, उसका नाराज़ होना बनता ही है.”
मैं बोला “मैं जानता हूँ की, ग़लती मेरी ही है. लेकिन उस समय मैं बहुत गुस्से मे था और मुझे प्रिया पर इस बात को लेकर भी गुस्सा आ रहा था कि, उसने ये बात सबसे छुपा कर क्यो रखी. बस इसी गुस्से मे मैं उसको उल्टा सीधा बक गया था.”
“मगर अब मुझे अपनी ग़लती का पछतावा हो रहा है. लेकिन वो मुझसे बात करने को तैयार ही नही है. प्लीज़ आप कैसे भी करके, उसकी ये नाराज़गी दूर कर दीजिए. वरना मेरे यहाँ से जाने के बाद भी, ये बात मुझे परेशान करती रहेगी.”
निक्की बोली “उसको नाराज़ आपने किया है तो, अब मनाना भी आपको ही पड़ेगा. मैं उसकी नाराज़गी दूर करने के लिए कुछ नही कर सकती.”
मैं बोला “मैं मनाउन्गा तो तब ना, जब वो मुझे मनाने का कोई मौका दे. लेकिन वो तो मुझे कुछ बोलने का मौका ही नही दे रही है.”
मेरी बात सुनकर, निक्की ने हंसते हुए कहा.
निक्की बोली “वो ऐसी ही है. एक तो वो कभी किसी से जल्दी नाराज़ ही नही होती है और यदि किसी से नाराज़ हो जाए तो, फिर उसे मनाना इतना आसान नही है.”
मैं बोला “आप उसके जल्दी नाराज़ ना होने की बात कर रही है. लेकिन वो तो मुझसे बात बात पर नाराज़ हो जाती है. वो तो कल भी मुझसे नाराज़ थी.”
ये कह कर मैने उसे कल की प्रिया की नाराज़गी के बारे मे बता दिया. जिसे सुनकर, उसने और भी ज़्यादा ज़ोर से हंसते हुए कहा.
निक्की बोली “तो फिर इसमे मुस्किल क्या है. आज भी उसे ऐसा ही कोई गाना सुना कर मना लीजिए.”
मैं बोला “आपको मेरी बात मज़ाक लग रही है. मैं कोई सिंगर नही हूँ. जो बात बात पर गाना गाता रहूं.”
निक्की बोली “ओके, ओके, अब आप मुझसे झगरा मत काजिए. रुकिये मैं कुछ सोचती हूँ.”
इतना बोल कर निक्की चुप हो गयी. शायद वो इस समय कुछ सोच रही थी. कुछ देर की खामोशी के बाद, फिर उसने कहा.
निक्की बोली “आप एक काम कीजिए. आप अपने कमरे के पास बनी सीडियों से सीधे छत पर आ जाइए. मैं प्रिया को लेकर वही आती हूँ. फिर आपके उपर है कि, आप उसे कैसे मनाते है.”
निक्की की बात सुनकर, मैने इस बात की हामी भरी और कॉल रख दिया. प्रिया का घर मेरा घुमा हुआ नही था. लेकिन सीडियाँ मेरी देखी हुई थी. इसलिए छत तक पहुचने मे मुझे कोई परेशानी नही थी.
निक्की का कॉल रखते ही, मैं फ़ौरन अपने कमरे से बाहर निकला और सीडियाँ चढ़ता हुआ, छत पर पहुच गया. सीडियों पर लाइट जल रही थी. लेकिन छत की लाइट बंद थी और मुझे छत की लाइट चालू करने का कुछ पता नही था.
छत पर इस समय अंधेरा था. लेकिन आसमान पर चमक रहे चाँद तारों और बाहर सड़क पर जल रही लाइट की वजह से, ये अंधेरा इतना गहरा भी नही था कि, इस अंधेरे मे किसी को कुछ दिखाई ही ना दे सके.
इसलिए मैने भी लाइट के बारे मे ज़्यादा नही सोचा और छत पर आकर यहाँ वहाँ टहलते हुए, निक्की लोगों के आने का इंतजार करने लगा. कुछ ही देर मे निक्की और प्रिया वहाँ आ गयी.
निक्की आकर मेरे पास खड़ी हो गयी. लेकिन प्रिया मेरे सामने से होती हुई, छत की बाल्कनी मे जाकर, मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी. निक्की ने एक नज़र प्रिया की तरफ देखा और फिर मुस्कुराते हुए मुझसे कहा.
निक्की बोली “अब आप देख क्या रहे है. प्रिया आ गयी है. अब कह दीजिए, जो आपको कहना है.”
निक्की की बात सुनकर, मैं प्रिया के पास जाकर खड़ा हो गया. मगर मेरे उसके पास जाते ही, वो वहाँ से जाने को हुई, लेकिन उसके पहले ही मैने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए कहा.
मैं बोला “सॉरी यार, मुझे तुमको इस तरह से नही चिल्लाना चाहिए था. अब मुझे सच मे अपनी उस ग़लती का पछतावा हो रहा है. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.”
ये कहते हुए, मैने अपने दोनो कान पकड़ लिए. ये देख कर निक्की ने हंसते हुए, प्रिया से कहा.
निक्की बोली “देख, अब तो इन ने अपने कान भी पकड़ लिए, अब तो इन्हे माफ़ कर दे ना.”
निक्की की बात सुनकर, प्रिया ने पहली बार मुझ पर, अपना गुस्सा जाहिर करते हुए, निक्की से कहा.
प्रिया बोली “तुमको क्या लगता है. क्या मैं सिर्फ़ इतनी छोटी सी बात को लेकर इस से नाराज़ हूँ. ये बात इतनी छोटी नही है, जितनी छोटी तुम समझ रही हो. क्या तुमने कभी ये बात सोच कर देखी है कि, यदि सीरू दीदी समय पर वहाँ ना पहुचि होती तो, वहाँ क्या हो सकता था.”
“तू ज़रा सोच कर देख कि, यदि खालिद, अजय भैया का दोस्त ना निकला होता तो, उस समय वहाँ पर क्या कुछ नही हो गया होता. क्या वो अपने भाई का खून बहाने वाले को, ऐसे ही जाने देता. क्या ये हमारे सामने ऐसे भला चंगा खड़ा रहता.”
प्रिया के ये सवाल सुनकर, निक्की ने उसको समझाते हुए उस से कहा.
निक्की बोली “तेरी सब बातें सही है. लेकिन जब ऐसा कुछ हुआ ही नही तो, तू इस बात को इतना क्यो बढ़ा रही है.”
निक्की की बात सुनकर, प्रिया ने हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए कहा.
प्रिया बोली “तू भी ये ही समझती है कि, मैं इस बात को बेवजह बढ़ा रही हूँ. क्या तुझे मालूम नही कि, इसकी मोम इसके साथ हुए हादसो की वजह से कितना परेशान थी और जाते जाते भी वो हम लोगों से बस इसका ख़याल रखने का ही जता कर गयी थी.”
“उन्हे हम लोगों पर पूरा विस्वास था कि, हम लोगों के रहते इस पर कोई मुसीबत नही आ सकती. सिर्फ़ इसका ख़याल रखने की वजह से, वो मुझे कितना प्यार दे रही थी. ऐसे मे यदि मेरी वजह से ही, इसके साथ कुछ बुरा हो जाता तो, मैं किस मूह से आंटी का सामना कर पाती.”
ये बात कहते कहते प्रिया की आँखें छलक गयी और वो अपने आँसू रोकने की कोसिस करने लगी. वही मैं और निक्की एक दूसरे को हैरानी से देखने लगे. अभी तक हम दोनो को ऐसा लग रहा था कि, प्रिया की मुझसे जो नाराज़गी है, वो मेरे उस पर चिल्लाने की वजह से है.
लेकिन यहाँ तो उसकी इस नाराज़गी वजह ही कुछ अलग थी और उसकी इस नाराज़गी के पिछे, छुपि गहराई को जान कर, कुछ देर तक ना तो, मुझसे कुछ कहते बन रहा था और ना ही निक्की से कुछ कहते बन रहा था.
फिर जैसे ही निक्की उस से कुछ बोलने को हुई, वैसे ही उसने अपने आँसू पोन्छ्ते हुए निक्की को चुप करते हुए उस से कहा.
प्रिया बोली “मुझे इस से कोई नाराज़गी नही है. यदि मैं इस से नाराज़ होती तो, मुझे इसके साथ बरखा दीदी के यहाँ रुकने की कोई ज़रूरत नही थी. मैं भी रिया दीदी लोगों के साथ ही घर वापस आ गयी होती.”
निक्की से इतनी बात कहने के बाद, प्रिया ने पलट कर मेरी तरफ देखते हुए कहा.
प्रिया बोली “मुझे सच मे तुमसे कोई नाराज़गी नही है. मेरी यदि किसी से कुछ नाराज़गी है तो, वो सिर्फ़ अपने आप से है. क्योकि मेरी वजह से ही तुम्हारे उपर इतनी बड़ी मुसीबत आने वाली थी.”
“तुम्हे किसी बात के लिए मुझसे माफी माँगने की कोई ज़रूरत नही है. तुमसे कभी मेरा दिल दुखाने की ग़लती हुई ही नही है. यदि किसी से को ग़लती हुई है तो, वो सिर्फ़ मुझसे हुई है. मैं ही तुम्हारे दिल मे हमेशा जगह बनाने की कोसिस करती रहती थी.”
“यदि हो सके तो, मुझे मेरी इस ग़लती के लिए माफ़ कर दो और यदि माफ़ ना भी कर सको, तब भी मुझे तुमसे कोई शिकायत नही होगी. मेरे दिल से हमेशा तुम्हारे लिए दुआ ही निकली है और आज भी तुम्हे दुआ देती हूँ कि, तुम जहाँ भी रहो, खुश रहो.”
ये बात कहते कहते एक बार फिर उसकी आँखों मे आँसू आ गये. मगर इस बार उसने अपने आँसू पोंछने की कोसिस नही की और पलट कर हमारे पास से वापस जाने लगी. लेकिन उसके वहाँ से जाने के पहले ही मैने उसका हाथ पकड़ लिया.
वो मुझसे अपना हाथ छुड़ाने की कोसिस कर रही थी और मैं उस से कुछ बोलने की कोशिश कर रहा था. लेकिन उसके दर्द का अहसास करके, मेरी आँखों मे भी नमी आ गयी थी और मैं चाह कर भी उस से कुछ बोल नही पा रहा था.
मैने अंजाने मे ही सही, लेकिन उसके मासूम दिल पर कोई गहरी चोट पहुचाई थी और अब उसकी इस चोट पर मरहम भी मुझे ही लगाना था. जब मुझसे उस से कुछ कहते नही बना तो, फिर मेरे दिल से खुद बा खुद एक गाने के बोल निकल आए.
“हम को मिली हैं आज
ये घड़ियाँ नसीब से
जी भर के देख लीजिए
हम को करीब से
फिर आप के नसीब में
ये रात हो ना हो
शायद फिर इस जनम में
मुलाक़ात हो ना हो
(मेरे मूह से गाने के ये बोल सुनते ही
प्रिया ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिस बंद कर दी
वो मेरी तरफ गौर से देखने लगी
और मैने उसे देखते हुए
आगे सुर मे गाते हुए कहा)
लग जा गले कि फिर
ये हसीन रात हो ना हो
शायद फिर इस जनम में
मुलाक़ात हो ना हो
पास आइए कि हम नहीं
आएँगे बार-बार
बाहें गले में डाल के
हम रो ले ज़ार-ज़ार
(ये कहते हुए मैने
प्रिया को अपनी तरफ खीच लिया)
आँखों से फिर ये प्यार की
बरसात हो ना हो
शायद फिर इस जनम में
मुलाक़ात हो ना हो
लग जा गले कि फिर ये
हसीन रात हो ना हो
शायद फिर इस जनम में
मुलाक़ात हो ना हो.”
गाना पूरा होते होते मेरी आँखें पूरी तरह आँसुओं से भीग चुकी थी. वही प्रिया मेरे गले से लग कर आँसू बहाए जा रही थी. लेकिन ये हाल सिर्फ़ हम दोनो का ही नही था. निक्की का हाल भी कुछ हमारे जैसा ही था. वो भी अपनी आँखों से आँसुओं को छलकने से नही रोक पाई थी.
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