RE: MmsBee कोई तो रोक लो
185
निक्की एक ऐसी लड़की थी, जिसकी वजह से, मेरा मुंबई का मुस्किल सफ़र भी, इतना आसान हो गया था और मुझे इतने सारे लोगों का प्यार मिला था. वो एक सच्चे दोस्त की तरह, पहले दिन से आज तक, हर कदम, हर बात पर मेरा साथ निभाती चली आ रही थी.
वो एक ऐसी लड़की थी, जिसके चेहरे को देख कर, मेरे मुंबई मे गुज़ारे हर दिन की सुरुआत होती थी और जिसको मेरी इस बात की खबर रहती थी कि, मैं कब, कहाँ, किसके साथ हूँ और क्या कर रहा हूँ.
एक तरह से वो कीर्ति की हम-शकल होने के साथ साथ, उसकी तरह ही मेरा ख़याल भी रख रही थी. मेरी वजह से ही वो अपने स्कूल की छुट्टियों ख़तम होने के बाद भी वापस नही गयी थी.
उसका गुस्सा भी कीर्ति से कुछ कम नही था. प्रिया ने मुझे बताया था कि, निक्की बहुत गुस्से वाली है और मैं खुद भी उसके इस गुस्से का दो तीन बार शिकार बन चुका था. इसलिए मैं उसके गुस्से वाले रूप को भी अच्छे से जानता था.
मैं ये भी अच्छी तरह से जानता था कि, मेरे यहाँ से जाने पर, सबसे ज़्यादा मेरी कमी, निक्की को ही अखरेगी. लेकिन इस बात का तो, मुझे भी अंदाज़ा नही था कि, मेरे जाने पर वो इस तरह से आँसू बहाएगी.
प्रिया उसे खुद को सभालने के लिए कह रही थी. मगर वो खुद को संभाल नही पा रही थी. उसको इस तरह आँसू बहते देख कर, मेरे लिए भी अपने आँसू रोक पाना मुस्किल सा हो गया था.
मगर मैं जाने से पहले उसकी आँखों मे आँसू नही, मुस्कुराहट देखना चाहता था. इसलिए मैने खुद को संभाला और फिर उसका हाथ पकड़ कर अपने हाथ मे लेते हुए उस से कहा.
मैं बोला “मैं तो सोच रहा था कि, मेरे जाने पर प्रिया रोएगी और तुम उसको सम्भालोगी. लेकिन यहाँ तो तुमने उल्टी गंगा बहा दी.”
मेरी ये बात सुनते ही, निक्की का रोना रुक गया और वो हैरानी से इस तरह मेरी तरफ देखने लगी, जैसे उसके कानो ने कोई ग़लत बात सुन ली हो. मैने उसको अपनी तरफ हैरानी देखते देख कर, मुस्कुराते हुए उस से कहा.
मैं बोला “इसमे हैरान होने वाली बात नही है. तुमने जो सुना है, वो सच है.”
मेरी ये बात सुनते निक्की के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. लेकिन अब प्रिया हैरान होकर गयी. उसे समझ नही आ रहा था कि, मैने ऐसा क्या बोल दिया, जो निक्की का रोना रुक गया और वो रोते रोते मुस्कुराने लगी.
इधर प्रिया हैरानी से हमे देख रही थी और उधर मैने अपनी अधूरी बात को पूरा करते हुए निक्की से कहा.
मैं बोला “तुमको रोना है तो, मेरे सामने जी भर के रो लो. लेकिन मेरे जाने के बाद बिल्कुल मत रोना. क्योकि मेरे जाने के बाद, तुम्हे उसके आँसू पोंछना पड़ेंगे, जो अभी मुझे मुस्कुरा कर विदा करने वाली है.”
मेरी इस बात का मतलब प्रिया और निक्की दोनो समझ गयी थी. इसलिए मेरी इस बात पर निक्की की मुस्कुराहट गहरी हो गयी और प्रिया ने मुझ पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
प्रिया बोली “हे, मैं कोई नाटक नही कर रही हूँ. जब मेरे आँसू आ ही नही रहे है तो, मैं सबकी तरह आँसू बहाने का नाटक क्यो करूँ.”
प्रिया की बात सुनकर, मैने भोलेपन का नाटक करते हुए कहा.
मैं बोला “तुम कहना क्या चाहती हो. कहीं तुम ये तो नही कह रही हो कि, निक्की आँसू बहाने का नाटक कर रही थी.”
मेरी ये बात सुनते ही, निक्की प्रिया की तरफ देखने लगी और प्रिया ने मुझ पर भड़कते हुए कहा.
प्रिया बोली “हे, तुम हम दोनो के बीच मे झगड़ा लगाने की कोसिस मत करो और सीधे तरह से ये बताओ कि, तुमने निक्की से ऐसा क्या कहा था, जिस से इसका रोना रुक गया और ये रोते रोते मुस्कुराने लगी.”
प्रिया की इस बात पर मैने मुस्कुराते हुए उस से कहा.
मैं बोला “मैने तो जो कुछ भी कहा, तुम्हारे सामने ही कहा है. अब मुझे क्या पता कि, निक्की मेरी बात सुनकर, रोते रोते क्यो मुस्कुराने लगी.”
प्रिया बोली “ज़्यादा भोले बनने की कोसिस मत करो. तुमने मुस्कुराने वाली कोई बात नही की थी. लेकिन तुम्हारी बात को सुनकर, निक्की का रोना रुक गया और उसने तुम्हारी तरफ देखा. जिसके बाद तुमने उस से कहा कि, तुमने जो सुना है, वो सच है.”
“इस बात का सॉफ मतलब है कि, तुम दोनो ने किसी कोड वर्ड मे बात की है और मैं तुम्हारी उस बात को समझ नही पाई हूँ. अब सीधे तरह से मुझे ये बताओ कि, तुम दोनो मे क्या कोड वर्ड मे क्या बात हुई है.”
मैं बोला “अरे तुम तो बेकार मे शक़ कर रही हो. मेरी बात का मतलब वो ही था, जो तुमने सुना है. हम दोनो के बीच मे किसी कोड वर्ड मे कोई बात नही हुई है. तुम चाहो तो, निक्की से पुछ कर देख लो.”
लेकिन प्रिया ने मेरी इस बात पर अपना मूह फूला कर, मुझसे कहा.
प्रिया बोली “नही, अब मुझे किसी से कुछ नही पुच्छना. तुम दोनो मुझे गैर समझते हो तो, मैं क्यो तुम्हारी बातों के बीच मे अपनी टाँग अड़ाऊँ.”
ये कह कर प्रिया हमारी तरफ पीठ कर के खड़ी हो गयी. प्रिया को इस तरह नाराज़ होते देख, निक्की ने अपना चेहरा सॉफ किया और फिर प्रिया का मूह वापस हमारी तरफ घुमा कर उस से कहा.
निक्की बोली “तू जैसा सोच रही है. ऐसी कोई बात नही है. इनकी बात का मतलब सच मे वो ही था, जो इन्हो ने कहा था. मेरा रोना तो इनके उस बात को बोलने के तरीके को सुनकर रुक गया था.”
प्रिया अभी भी निक्की की इस बात का मतलब नही समझ पाई थी. लेकिन इस से पहले कि वो कुछ बोल पाती, मैने निक्की को टोकते हुए कहा.
मैं बोला “अब ये तो तुम ग़लत कर रही हो. तुमने कहा था कि, मैं जिस दिन ऐसा करना बंद कर दूँगा, तुम भी उस दिन से ऐसा करना बंद कर दोगि.”
इस से पहले की निक्की मेरी इस बात के जबाब मे मुझसे कुछ बोल पाती, प्रिया ने हम दोनो पर ही भड़कते हुए कहा.
प्रिया बोली “तुम दोनो मिल कर, मुझे बेवकूफ़ बना रहे हो. मेरे सामने ही कोड वर्ड मे बात कर रहे हो और मुझसे कहते हो कि, ऐसा कुछ नही है.”
प्रिया की इस बात पर निक्की ने मुस्कुरा कर उस से लिपटते हुए कहा.
निक्की बोली “अरे तू अभी भी ग़लत सोच रही है. असल मे बात ये है कि, हम दोनो एक दूसरे को अभी तक आप कह कर बात करते थे. लेकिन अभी इनके मूह से मेरे लिए तुम सुनकर, मैं चौक गयी और मेरा रोना रुक गया था. अब तो तेरी समझ मे इनकी बात आ गयी ना.”
निक्की की ये बात सुनते ही प्रिया का गुस्सा शांत हो गया और वो भी मुस्कुराने लगी. लेकिन मैने अपनी शिकायत को फिर से निक्की के सामने दोहराते हुए कहा.
मैं बोला “प्रिया तो अब बात को समझ गयी है. लेकिन लगता है कि, अभी तक तुम्हारी समझ मे मेरी बात नही आई है. तभी तुम अभी तक इनके इनके कर रही हो.”
मेरी इस बात पर निक्की ने मुस्कुराते हुए कहा.
निक्की बोली “मेरी समझ मे भी बात आ गयी है. लेकिन अब मेरे मूह से ये ही निकल रहा है तो, मैं क्या कर सकती हूँ.”
मैं बोला “ये तो ग़लत बात है. तुमने कहा था कि, जिस दिन मैं तुमको तुम कहने लगुगा, तुम भी मुझे उस दिन से तुम कहना सुरू कर दोगि.”
मेरी बात सुनकर, निक्की कुछ उलझन सी महसूस कर रही थी. उसे उलझन मे पड़े देख कर, प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “अब दोस्ती की है तो, निभानी ही पड़ेगी.”
प्रिया की बात सुनकर, निक्की ने उसकी पीठ पर प्यार से एक मुक्का मारा और फिर मुस्कुराते हुए मुझसे कहा.
निक्की बोली “ओके ओके, आज से मैं तुमको, तुम ही बोलुगी. अब तो खुश हो ना.”
मैं बोला “हां, अब मैं खुश हूँ. ऐसा लग रहा है, जैसे आज दिल से कोई बोझ उतर गया हो.”
मेरी बात सुनकर प्रिया और निक्की दोनो हँसने लगी. इसके बाद निक्की ने टाइम देखा तो 5 बजने वाला था. इसलिए वो हम लोगों को बात करता हुआ छोड़ कर, फ्लाइट का पता करने चली गयी. निक्की के जाने के बाद प्रिया ने मुझसे कहा.
प्रिया बोली “तुमने अपने जाने के पहले, निक्की के साथ अपने इस फ़ासले को ख़तम करके बहुत अच्छा किया है. मुझे भी ये देख कर बहुत खुशी हो रही है. निक्की जैसी दोस्त बड़े किस्मत वालो को ही मिलती है.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मैने भी मुस्कुराते हुए उस से कहा.
मैं बोला “तुम्हारी ये बात तो सही है. लेकिन तुम्हारा खुद के बारे मे क्या ख़याल है.”
मेरी ये बात सुनकर, प्रिया ने फीकी सी मुस्कान के साथ कहा.
प्रिया बोली
“कोई तो रोक लो उसको, किसी बहाने से.
निकल ना जाए मेरी जान, उसके जाने से.
बड़ा नादान है वो, उसको तो ये खबर ही नही.
कि उसके बिन मेरी, जिंदगी का कोई सफ़र ही नही.
भटक ना जाउ कहीं मैं, उसके हाथ छुड़ाने से.
कोई तो रोक लो उसको, किसी बहाने से.
ये मानती हूँ कि, उसको मुझसे प्यार नही.
लेकिन बिन उसके, मेरे दिल को कही करार नही.
चलती है साँस मेरी, उसके मुस्कुराने से.
कोई तो रोक लो उसको, किसी बहाने से.
चला गया तो, वो फिर लौट कर ना आएगा.
कि मुझको भूल कर वो, किसी और का हो जाएगा.
मैं मिट ज़ाउन्गी उसके, इस तरह भूलने से.
कोई तो रोक लो उसको, किसी बहाने से.
कोई तो रोक लो उसको, किसी बहाने से.
निकल ना जाए मेरी जान, उसके जाने से.”
इतना बोल कर प्रिया चुप हो गयी और मैं उसकी इस रचना को सुन कर गहरी सोच मे पड़ गया. उसकी इस रचना की हर एक पंक्ति मे, उसके दिल का दर्द, उसकी बेबसी सॉफ नज़र आ रहा थी और उसकी इस बेबसी ने मुझे भी बेबस करके रख दिया था.
मैं उसके इस दर्द को महसूस तो कर सकता था. लेकिन उसके इस दर्द को दूर करने के लिए कुछ कर नही सकता था. मुझसे तो, उसको दिलासा तक देते नही बन रहा था. मैं खामोशी से उसके पास खड़ा रह गया.
लेकिन अब मेरे चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो चुकी थी और उसकी जगह मेरे चेहरे पर मेरी बेबसी सॉफ झलक रही थी. मुझे इस तरह मायूस देख कर, प्रिया ने थोड़ा संजीदा होते हुए मुझसे कहा.
प्रिया बोली “क्या हुआ, क्या ये रचना तुमको पसंद नही आई.”
प्रिया की इस बात पर मैने हँसने की नाकाम कोसिस करते हुए, उस से कहा.
मैं बोला “नही, ऐसी बात नही है. लेकिन वो क्या है कि, मुझे ये शेर और शायरी बिल्कुल भी समझ मे नही आती है.”
मेरी इस बात पर प्रिया ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा.
प्रिया बोली “लेकिन तुम तो कहते थे कि, तुम्हे तृप्ति की हर रचना समझ मे आ जाती है. इसीलिए तो मैने तुम्हे तृप्ति की ही रचना पढ़ कर सुनाई थी.”
प्रिया की इस बात को सुनकर, मैं हैरानी से प्रिया की तरफ देखने लगा. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, प्रिया मुझसे सच कह रही है या फिर मेरी उदासी को देख कर, मेरा दिल बहलाने के लिए, अब बात को बदलने की कोसिस कर रही है.
मुझे इस तरह सोच मे पड़ा देख कर, प्रिया ने मुस्कुराते हुए, मेरे हाथ मे आज का अख़बार थमा दिया. मैने अख़बार को देखा तो, ये सच मे ही तृप्ति की ताजी रचना थी. जो आज के अख़बार मे छपी थी.
उसकी इस रचना का शीर्षक कोई तो रोक लो था. मैं एक बार फिर तृप्ति की इस रचना को पढ़ने लगा और मुझे उसकी रचना मे एक बार फिर प्रिया का चेहरा नज़र आने लगा. तृप्ति की इस रचना मे प्रिया के दिल की, वो बात छुपि हुई थी. जो प्रिया चाह कर भी मुझसे कह नही सकती थी.
तृप्ति की रचनाओं से मेरा एक रिश्ता सा जुड़ने लगा था. उसकी रचनाओं मे मुझे कभी कीर्ति तो, कभी प्रिया का चेहरा नज़र आता था. ना जाने वो कौन थी, कैसी थी. मगर वो जो भी थी, उसके दिल मे प्यार की एक गहरी तड़प थी. जो उसकी रचनाओं मे सॉफ नज़र आती थी.
मैं अभी तृप्ति की रचना मे खोया हुआ था कि, तभी प्रिया ने मुझे टोकते हुए कहा.
प्रिया बोली “अब ज़्यादा सोचो मत, तुम्हे इसकी रचना पसंद थी और आज तुम जल्दी जल्दी मे अख़बार पढ़ नही पाए थे. इसलिए मैं इसे तुम्हारे लिए ले आई थी. लेकिन मुझे तो ये तृप्ति कोई पागल ही लगती है. पता नही, क्या क्या, लिखती रहती है.”
प्रिया की इस बात को सुनकर, मैं हैरानी से उसकी तरफ देखने लगा. मैं ये समझने की कोसिस कर रहा था कि, क्या प्रिया को सच मे तृप्ति का रचना समझ मे नही आई है, जो वो मुझसे तृप्ति के बारे मे इस तरह से बोल रही है.
मुझे इस तरफ से खुद को घूरता देख कर, प्रिया ने अपनी कही बात पर, मुझे सफाई हुए कहा.
प्रिया बोलीी “अब तुम मुझे ऐसा क्यो देख रहे हो. मैं तुम्हारी तृप्ति को नही, बल्कि इस अख़बार वाली तृप्ति को पागल कह रही हूँ. तुम अपनी तृप्ति के उपर इस बात को मत ले जाना.”
प्रिया की इस बात को सुनकर, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और मैने उस से कहा.
मैं बोला “नही, मैं ऐसा कुछ नही समझ रहा हूँ. मैं तो ये सोच रहा था कि, तुम्हे इतना अच्छा लिखने वाली लड़की पागल क्यो लगती है.”
प्रिया बोली “उसको पागल नही तो क्या बोलू. तुमने देखा नही है, किसी भी बात पर कितना लंबा लिख देती है. जो भी कहना हो, दो चार लाइन की शायरी मे भी तो कह सकती थी.”
प्रिया की इस बात पर मैने मुस्कुराते हुए उस से कहा.
मैं बोला “अच्छा चलो, मैं मान लेता हूँ कि, तृप्ति पागल है. लेकिन यदि तुमको यदि अपनी बात शायरी मे कहना होती तो, तब तुम भी तो ऐसे ही कहती ना.”
प्रिया बोली “ना, मुझे इतनी लंबी शेर शायरी पसंद नही है और रोने धोने वाली शायरी तो बिल्कुल भी पसंद नही है. यदि मुझे शायरी मे रोने धोने वाली बात भी कहना होती तो, मैं कुछ ऐसी कहती.”
“टूट कर चाहा जिसे, वो मेरा बन पाया नही.
दिल को मेरे, उसके सिवा, कोई दूसरा भाया नही.
प्यार के इस सौदे मे, हम दोनो बराबर ही रहे.
उसने कुछ खोया नही और मैने कुछ पाया नही.”
ये कह कर, प्रिया मुझे देख कर मुस्कुराने लगी. उसने एक बार फिर बात ही बात मे अपने दिल की बात कह दी थी. लेकिन अपनी कहीं बात पर मुस्कुरा कर, वो खुद अपने दर्द का मज़ाक बना रही थी.
ना जाने वो किस मिट्टी की बनी लड़की थी. जिसके अंदर इतना दर्द होने के बाद भी, वो इस तरह से मुस्कुरा लेती थी. लेकिन मैं उसकी तरह का नही था और उसकी इस बात को सुनने के बाद, ना चाहते हुए भी मेरी आँखें आँसुओं से भीग गयी.
मेरी आँखों मे आँसू देखते ही प्रिया के चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो गयी और उसने मेरे हाथ को थामते हुए कहा.
प्रिया बोली “प्लीज़ अपने आँसू रोको, वरना मैं खुद को संभाल नही पाउन्गी. मेरे दर्द को तुम महसूस करते हो, मेरे लिए इस से बाद कर दुनिया की कोई खुशी नही है. मैं इसी खुशी के साथ, हंसते हंसते तुम्हे यहा से विदा करना चाहती हू. मेरी ये खुशी मुझसे मत छीनो.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मेरे लिए अपने आँसू रोक पाना और भी ज़्यादा मुस्किल हो गया था. लेकिन इस समय प्रिया का दर्द मेरे दर्द से कहीं ज़्यादा था और उसके इस दर्द ने मुझे अपने आपको संभालने पर मजबूर कर दिया.
मगर मैं जाते जाते प्रिया को समझाने की, एक आख़िरी कोसिस और करना चाहता था. इसलिए मैने अपने आँसुओं को पोंच्छ कर, प्रिया पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा
मैं बोला “तुम मेरी बात को समझती क्यो नही हो. मैं तुम्हारी कोई खुशी, नही छीन रहा हूँ और ना ही मेरा तुमसे कोई रिश्ता है, जो मैं तुम्हारे लिए आँसू बहाउन्गा. मैं खुशी खुशी अपनी दुनिया मे वापस जा रहा हूँ और अब कभी यहाँ वापस नही आउगा. इसलिए तुम्हारे लिए बेहतर ये ही होगा कि, तुम भी अपने इस प्यार के पागलपन को भूल कर, अपनी नयी जिंदगी सुरू करो और मुझको हमेशा हमेशा के लिए भूल जाओ. इसी मे तुम्हारी भलाई है.”
ये बात कहते कहते एक बार फिर मेरी आँखें छलक गयी और मैं अपने चेहरे को सॉफ करने लगा. मेरी इस बात के जबाब मे प्रिया ने प्रिया ने फिर एक बार फीकी सी मुस्कुराहट के साथ कहा.
प्रिया बोली
“मेरी रूह मे ना समाए होते, तो भूल जाती तुम्हे.
इतना करीब ना आए होते, तो भूल जाती तुम्हे.
ये कहते हुए कि मेरा, ताल्लुक़ नही तुमसे कोई.
तुम्हारी आँख मे आँसू ना आए होते, तो भूल जाती तुम्हे.”
उसके इस पागलपन को देख कर, मेरी आँखें पूरी तरह आँसुओं से भीग चुकी थी. मैं अब अपने आपको ना रोक सका और मैने आगे बढ़ कर प्रिया को अपने गले से लगा लिया. शायद उसे भी इसी पल का इंतजार था और मेरे उसे गले लगते ही, उसने भी मुझे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया.
इस समय मुझे किसी की किसी बात की कोई परवाह नही थी और मैं बस प्रिया से लिपट कर जी भर कर रोना चाहता था. मुझे इस बात तक का ख़याल नही था कि, इस समय मैं कहाँ हूँ और मेरे साथ यहाँ पर कौन कौन है.
लेकिन शायद, निक्की की नज़र हम पर ही टिकी हुई थी. इसलिए जैसे ही मैने प्रिया को गले लगाया. वैसे ही थोड़ी देर बाद, निक्की हमारे पास आ गयी और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.
निक्की बोली “बस, अब बहुत गले मिलना हो गया है. यहाँ हम लोगों के अलावा और भी बहुत से लोग है.”
निक्की की बात सुनते ही, मैने प्रिया को छोड़ा और अपने चेहरे को सॉफ करते हुए निक्की से कहा.
मैं बोला “अब तुम ही इसको कुछ समझाओ. ये तो मेरी कोई बात समझने को तैयार ही नही है.”
मेरी इस बात के जबाब मे निक्की ने बड़ी ही संजीदगी से कहा.
निक्की बोली “कुछ बातें वक्त के हाथों पर ही छोड़ देना सही रहता है. जब सही समय आएगा तो, ये खुद ही सब कुछ समझ जाएगी. इसलिए तुम इसकी बात की ज़रा भी फिकर मत करो. यहाँ पर इसका ख़याल रखने के लिए मैं इसके साथ हूँ.”
अभी मेरी निक्की से बात चल ही रही थी कि, तभी हमारी फ्लाइट की घोषणा हो गयी. मैने पिछे पलट कर सबकी तरफ देखा तो, मुझे कोई भी नज़र नही आया. मैने हैरान होते हुए, निक्की से कहा.
मैं बोला “ये सब अचानक कहाँ गायब हो गये है.”
मेरी बात सुनकर, निक्की ने मुस्कुराते हुए कहा.
निक्की बोली “सीरू दीदी जिंदाबाद, उनके लिए तो पूरा एरपोर्ट भी खाली कराना, कोई बड़ी बात नही है.”
निक्की की बात सुनकर, मैं ये तो समझ गया कि, सीरू दीदी ने फिर अपना कोई दिमाग़ चलाया है. इसलिए मैने हैरान होते हुए निक्की से कहा.
मैं बोला “मैं कुछ समझा नही, सीरू दीदी ने क्या और क्यो किया.”
मेरी इस बात पर निक्की ने मुस्कुराते हुए कहा.
निक्की बोली “ये सब उन्हो ने मेरे कहने पर किया है. मैं चाहती थी कि, तुम दोनो सुकून से मिल सको. इसलिए मैने सीरू दीदी से सबको यहाँ से गायब करने को कहा और उन्हो ने पालक झपकते ही सबको यहाँ से गायब कर दिया.”
निक्की की बात सुनकर, मेरी भी हँसी छूट गयी. तभी फ्लाइट की घोषणा सुन कर, बाकी सब भी हमारे पास वापस आने लगे. सबको आते देख कर, मैने उदास मन से प्रिया से कहा.
मैं बोला “मेरा फ्लाइट पकड़ने का समय हो गया और अब मुझे जाना होगा. लेकिन तुम अपनी तबीयत को लेकर ज़रा भी लापरवाही मत करना और अपनी तबीयत का पूरा ख़याल रखना.”
मेरी बात के जबाब मे प्रिया ने भी मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “यदि तुम यहाँ से ऐसे मूह लटका कर जाओगे तो, ज़रूर मेरी तबीयत खराब हो जाएगी. यदि तुम मेरी तबीयत को अच्छा देखना चाहते हो तो, हंसते हंसते यहाँ से जाओ.”
प्रिया की बात सुनकर, मैं मुस्कुराने की कोसिस करने लगा. लेकिन ऐसे समय मे मेरे लिए रोने से कहीं ज़्यादा मुश्किल काम मुस्कुराना था. लेकिन फिर भी मैने मुस्कुराते हुए, प्रिया की बात की हामी भर दी.
तभी सब मेरे पास आ गये और मैं सबसे एक बार फिर गले मिल कर विदा लेने लगा. मैं जिस से भी मिलता, वो मुझे आते रहने और अपना ख़याल रखने के लिए कह रहा था. सब से विदा लेने के बाद हम अपनी फ्लाइट की तरफ बढ़ गये.
लेकिन मैं जाते जाते अचानक मुझे ऐसा लगा, जैसे की मैं कुछ भूल गया हूँ. ये ख़याल मेरे दिमाग़ मे आते ही, मैं जाते जाते रुक गया और वापस प्रिया के पास आने लगा.
सब मेरी इस हरकत को हैरानी से देखने लगे. लेकिन मैं अपनी जेब मे यहाँ वहाँ कुछ तलाश करते वापस प्रिया के पास आया और उस से कहा.
मैं बोला “मुझे लगता है कि, मैं कोई ज़रूरी चीज़ भूल गया हूँ.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया कुछ सोच मे पड़ गयी. लेकिन निक्की ने फ़ौरन कहा.
निक्की बोली “हां, वो सीरू दीदी लोगों के गिफ्ट देना था. वो हम घर मे ही भूल आए है.”
निक्की की बात सुनकर, मैने कहा.
मैं बोला “नही, वो नही, गिफ्ट का तो प्रिया ने मुझसे कहा था कि, वो खुद जाकर सीरू दीदी लोगों को ये गिफ्ट देकर आएगी. मुझे लगता है कि, मैं कुछ और भूल गया हूँ.”
मेरी इस बात को सुनकर, प्रिया ने मुझसे कहा.
प्रिया बोली “तुम इस बात को लेकर परेशान मत हो. मैं घर जाकर, तुम्हारे कमरे मे एक बार फिर से देख लूगी. यदि उधर कुछ मिलता है तो, मैं अपने पास संभाल कर रख लुगी. अब तुम बेफिकर होकर अपने घर जाओ.”
निक्की ने भी प्रिया की बात मे हां मे हां मिलाई. लेकिन मुझे अभी भी ऐसा ही महसूस हो रहा था, जैसे कि मैं अपनी कोई बहुत ही कीमती चीज़ भूल कर जा रहा हूँ. मगर दिमाग़ पर बहुत ज़ोर देने के बाद भी, मुझे याद नही आ रही थी कि, मैं क्या भूल कर जा रहा हूँ.
इसी उलझन के साथ मैं वापस अपनी फ्लाइट की तरफ जाने लगा. मैं जाते जाते भी सबको पलट पलट कर देख रहा था. जहाँ हमारे जाने से सबकी आँखों मे नमी थी, वही प्रिया के चेहरे पर एक फीकी सी मुस्कुराहट थी.
ना जाने कैसा पत्थर दिल था उसका, जो उसने अपनी आँख से एक आँसू भी नही टपकने दिया. लेकिन उसकी इस मुस्कुराहट के पिछे छुपे दर्द को मैं अच्छी तरह से समझ रहा था. मैं जानता था कि, मेरे जाने के बाद, उसका क्या हाल होने वाला है. इस बात को सोचते ही, उसकी मुस्कुराहट को देख, मेरे आँसू निकल आए.
मैं उसकी इसी दर्द भरी मुस्कान को देखते देखते, उसकी आँखों से ओझल हो गया और अपनी फ्लाइट पर आकर बैठ गया. लेकिन अभी भी उसकी ये मुस्कान मुझे दर्द दे रही थी और मैने अपनी सीट पर आते ही, फफक कर रोना सुरू कर दिया.
मुझे रोते देख कर, मोहिनी आंटी मुझे समझाने लगी. मैं एक ऐसा अनोखा बंदा था. जो अपने घर से यहाँ आते समय तो रोया ही था और अब यहाँ से अपने घर वापस जाते समय भी रो रहा था.
मेरी आँखों मे शिखा दीदी से लेकर नेहा तक, हर किसी का चेहरा घूम रहा था. लेकिन जो चेहरा मुझे सबसे ज़्यादा दर्द दे रहा था, वो प्रिया का चेहरा था. क्योकि सबने अपने आँसू और अपने दर्द को मेरे सामने जाहिर कर दिया था.
लेकिन प्रिया किसी पत्थर के बुत की तरह, मेरे सामने हर पल सिर्फ़ मुस्कुराती रही थी. उसकी इस समय बिल्कुल वो ही हालत थी, जो मेरे घर से निकलते समय कीर्ति की हालत थी. लेकिन इसके बाद भी दोनो की हालत मे बहुत फरक था.
क्योकि कीर्ति को मुझसे दूर होते समय इस बात की तसल्ली थी कि, मैं कुछ दिन बाद, उसके पास वापस आ जाउन्गा. लेकिन प्रिया मुझसे दूर होते समय, ये नही जानती थी कि, अब इसके बाद वो मुझे, फिर से दोबारा कब देख पाएगी.
शायद दोनो के बीच के इसी फरक ने, प्रिया के मेरे सामने ना रोने के इरादे को इतना ज़्यादा मजबूत बना दिया था कि, वो मेरे सामने किसी पत्थर के बुत की तरह, हर पल सिर्फ़ मुस्कुराती रही थी.
लेकिन अब उसकी यही मुस्कुराहट मुझे बहुत ज़्यादा दर्द पहुचा रही थी. आज जितना दर्द लेकर, मैं अपने घर वापस जा रहा था. इतना दर्द तो मुझे अपने घर से दूर होते हुए भी महसूस नही हुआ था.
|