RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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प्रिया के इस एस एम एस को देख कर, मुझे याद आया कि, जब कीर्ति ने प्रिया से एस एम एस मे बात की थी. तब प्रिया ने अपने एस एम एस मे कहा था कि, “मैं जाकर खाना खा लेती हूँ. लेकिन तुम अपना वादा मत भूलना.”
मैं ये तो नही जानता था कि, कीर्ति ने प्रिया से क्या वादा किया है. लेकिन इतना ज़रूर जानता था कि, कीर्ति ने प्रिया से जो भी वादा किया है, वो वादा एस एम एस मे किया है. इसलिए मैं उस वादे को जानने के लिए, प्रिया वाला मोबाइल देखने लगा.
लेकिन प्रिया वाला मोबाइल मैं अपनी पॅंट्स की जेब से निकालना भूल गया था और वो अभी मेरी पॅंट्स की जेब मे ही था. मैं उठ कर, अपनी पॅंट्स की जेब से प्रिया वाला मोबाइल निकालने लगा.
तभी कीर्ति वापस आ गयी. उसने कमरे मे आते ही, दरवाजा बंद किया और मेरे हाथ मे पॅंट को देख कर कहा.
कीर्ति बोली “क्या हुआ, अब इतनी रात को कहाँ जाने की तैयारी कर रहे हो.”
उसकी बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “मैं कहीं नही जा रहा. ये प्रिया वाला मोबाइल मेरी जेब मे ही रह गया था. उसे निकाल रहा था.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति बेड पर आकर, टेक लगा कर बैठ गयी और फिर मेरी तरफ शरारत भरी नज़रों से देखते हुए कहा.
कीर्ति बोली “सब ख़ैरियत तो है ना. तुम्हे इतनी रात को प्रिया वाले मोबाइल की ज़रूरत क्यो पड़ गयी.”
कीर्ति ये बात सिर्फ़ मुझे तंग करने के लिए, बोल रही थी. उसने यदि ये बात किसी और समय मुझसे बोली होती तो, मैने यक़ीनन उसकी इस बात पर, उसे अपनी सफाई देना सुरू कर दिया होता.
लेकिन इस समय मेरे दिमाग़ मे, वाणी का गुस्से वाला चेहरा घूम रहा था और अभी कीर्ति का इस तरह मेरे पास बेफिकर होकर, बैठना यही बता रहा था कि, वो सब कुछ ठीक करके आ रही है.
उसकी इस बेफिक्री ने मेरे अंदर की उत्सुकता को बढ़ा दिया था. मैने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और फिर उसके पास आकर बैठते हुए कहा.
मैं बोला “तू अपनी ये सब बातें बाद मे कर लेना. सबसे पहले मुझे ये बता कि, वाणी दीदी इतनी ज़्यादा किस बात के लिए मेहुल पर भड़क रही थी. आख़िर मेहुल ने क्या किया था.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने ठंडी साँस छोड़ते हुए कहा.
कीर्ति बोली “कुछ मत पुछो, बस इतना समझ लो कि, मैने बड़ी मुश्किल से वाणी दीदी को समझाया है. वरना मेहुल के तो लेने के देने पड़ गये होते.”
मैं बोला “ज़्यादा पहेलियाँ मत बुझा और सीधी तरह से बता कि, मेहुल ने क्या किया है.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मेहुल ने वाणी दीदी को लड़कियों वाले कपड़े दिए थे.”
कीर्ति की इस बात पर मैने लापरवाही से कहा.
मैं बोला “तो इसमे गुस्सा होने वाली बात क्या थी. उसने तो वो कपड़े सबके सामने दिए थे और वाणी दीदी तो उसकी बहुत तारीफ कर रही थी.”
मेरी इस बात पर कीर्ति ने एक नज़र मुझे गौर से देखा और फिर अपनी बात को समझाते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अरे तुम मेरी बात को ब्लिकुल भी नही समझे. मेहुल ने वाणी दीदी को लड़कियों के अंदर पहनने वाले कपड़े भी दिए है.”
कीर्ति की इस बात पर मुझे एक ज़ोर का झटका सा लगा. मैने हैरान होते हुए कीर्ति से कहा.
मैं बोला “तेरा कहने का मतलब है कि, मेहुल ने वाणी दीदी को ब्रा और पैंटी दी है.”
मेरी बात सुनते ही, कीर्ति ने मेरी पीठ पर मुक्का मारते हुए कहा.
कीर्ति बोली “छि… गंदे, जो भी मूह मे आता है, बोलते चले जाते हो.”
मैं बोला “इसमे गंदा क्या है. क्या मेहुल ने ये नही दिया.”
कीर्ति बोली “मेहुल ने ये ही दिया है. लेकिन मेरे सामने इनका नाम लेते हुए तुमको ज़रा भी शरम नही आई.”
कीर्ति की ये बात सुनकर मैं हैरानी से उसको देखने लगा. मेरी हैरानी की वजह ये थी कि, मैने आज तक कीर्ति को किसी बात के लिए इस तरह से झिझकते नही देखा था. मेरे और उसके बीच बहुत बार सेक्स से जुड़ी बातें भी हो चुकी थी.
इसी वजह से मैं इस बात को बिना किसी हिचक के कह गया था. लेकिन इस सब मे एक सच ये भी था कि, हर बार ये बात मेरी ही तरफ से की गयी थी. कीर्ति ने कभी इस तरह की कोई बात नही की थी.
मुझे उसका इस बात पर शरमाना अच्छा लगा था. कीर्ति बेड पर पैर फैला कर, टिक कर बैठी हुई थी और मैं बेड से नीचे पैर लटका का बैठा हुआ था. मेरा मन कीर्ति के साथ शरारत करने कर रहा था.
इसलिए मैने कीर्ति को छेड़ने के लिए, अपनी पीठ कीर्ति की तरफ की और अपने दोनो हाथ पर अपने सर को टिका कर बैठते हुए खुद से कहा.
मैं बोला “हे भगवान, मेरी तो किस्मत ही फुट गयी.”
कीर्ति मेरी इस शरारत को समझ नही पाई और उठ कर मेरे पास आ गयी. उसने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “ये अचानक तुमको क्या हो गया. तुम अपनी फूटी किस्मत का रोना क्यो रो रहे हो.”
कीर्ति की इस बात को सुनकर, मैने बड़ी ही गंभीरता से कहा.
मैं बोला “मैं अपनी फूटी किस्मत का रोना ना रोऊ तो, और क्या करू. जो लड़की ब्रा और पैंटी का नाम लेने से ही शरमाती है, वो भला मुझे बुबू कैसे पिलाएगी.”
मेरा इतना कहना था कि, कीर्ति ने धमा-धम मेरी पीठ पर घूसों की बरसात कर दी. लेकिन मैं था कि, अपना पेट पकड़ कर हंसता जा रहा था. वो जब मुझे पीटती पीटती थक गयी तो, उसने अपने दोनो हाथों से मेरे कंधों को थाम कर, मेरी पीठ पर अपना सर टिका लिया.
उसका सर मेरी पीठ से लगते ही, मुझे उसके हांपने का अहसास हुआ. वो शायद मुझे इतना सा पीटने मे ही बहुत थक गयी थी और वो अब मेरी पीठ पर सर रख कर, अपनी साँसों पर काबू पाने की कोसिस कर रही थी.
मैं भी खामोश बैठा बस उसकी इस हरकत को मेहूसुस कर रहा था. कुछ देर बाद, जब उसकी साँसे सामान्य हुई तो, उसने बड़े प्यार से मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “तुम मुंबई जाकर सच मे बहुत बिगड़ गये हो. ये सब रिया की ही संगत का असर है. जो तुम इतना सब कुछ बोलने लगे हो.”
कीर्ति की ये बात सुनकर, मुझे रिया की बात याद आ गयी. लेकिन इस समय मैं किसी और की बात करके इस लम्हे को किसी भी हालत मे खोना नही चाहता था. इसलिए मैने बात को बदलते हुए कीर्ति से कहा.
मैं बोला “अपना दोष किसी दूसरे के सर पर डालने की कोसिस मत कर, ये सब तेरी संगत का असर है. तूने ही मुझे बिगाड़ा है.”
कीर्ति बोली “झूठे, मैने तुमको कब और कैसे बिगाड़ा है.”
मैं बोला “तू ही तो मुझसे बात बात पर क़िस्सी मांगती रहती है और अब खुद ही पुच्छ रही है कि, मैने तुमको कब और कैसे बिगाड़ा है.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति मेरी चाल को समझ नही पाई और उसने बड़े भोलेपन से अपनी सफाई देते हुए कहा.
कीर्ति बोली “हां, मैं तुमसे किस्सी मांगती हूँ. लेकिन तुमको वो सब गंदी बातें मैने तो नही सिखाई है.”
कीर्ति की इस बात पर मैने भी भोलेपन का नाटक करते हुए कहा.
मैं बोला “अरे इसमे गंदी वाली बात क्या है. तू तो किस्सी मे मेरी सारी ताक़त चूस लेती है. मुझे भी तो ताक़त के लिए बुबू पीना मिलना चाहिए ना.”
मेरी इस बात को सुनकर, कीर्ति को मेरी शरारत समझ मे आ चुकी थी. उसने दोबारा मेरी पीठ पर, प्यार से एक मुक्का मारा और फिर अपने दोनो हाथ आगे करके, मुझे अपनी बाहों मे जाकड़ कर, फिर से अपना सर मेरी पीठ पर टिकाते हुए कहा.
कीर्ति बोली “आज तुमको बहुत शरारत सूझ रही है. लेकिन यदि मैने शरारत करना सुरू कर दिया तो, फिर तुम भागते हुए नज़र आओगे.”
ये कह कर उसने मुझे और भी ज़ोर से अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उसके इस तरह से मुझे जकड़ने से, मुझे उसके बूब्स का अहसास, मेरी पीठ पर होने लगा था. मैने फिर से उसे छेड़ते हुए कहा.
मैं बोला “ये क्या कर रही है. क्या तुझे ये भी नही पता कि, बुबू कैसे पिलाया जाता है.”
कीर्ति मेरी इस बात का मतलब समझ गयी थी. उसने मेरी बात सुनते ही, मेरे कंधे पर, अपने दाँत गढ़ा दिए. जिस वजह से मैं खुद को उस से छुड़ाने की कोसिस करने लगा. लेकिन कीर्ति ने मुझ पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अपनी हरकत से बाज आ जाओ, वरना बाद मे बहुत पछ्ताओगे.”
लेकिन उसकी इस धमकी के बाद भी मैने उसे तंग करना बंद नही किया और उसे फिर से छेड़ते हुए कहा.
मैं बोला “अपना खाना तुझे याद रहता है. कभी कभी मेरे पीने का भी कुछ ख़याल कर लिया कर ना.”
मेरी ये बात सुनते ही, कीर्ति ने इस बार मेरी गर्दन पर अपने दाँत गढ़ा दिए. लेकिन इस बार वो यही पर नही रुकी और मेरी गर्दन पर दाँत गढ़ाने के बाद, अपने बूब्स मेरी पीठ पर रगड़ने लगी.
उसकी इस हरकत से मैं सिहर उठा और सच मे मेरी हालत खराब होने लगी. अब यदि मेरे परेशान होने की बात उस पर जाहिर होती तो, वो मुझे परेशान करने से बाज आने वाली नही थी. इसलिए मैने बड़ी ही होशियारी से उसका ध्यान इस बात पर से हटाते हुए कहा.
मैं बोला “ऐसे बात बात पर काटती क्यो है. मैं तो बस तुझे थोड़ा सा तंग कर रहा था. चल अब मज़ाक करना बहुत हो गया. अब मुझे ये बता कि, तूने वाणी दीदी के गुस्से को कैसे शांत किया.”
मेरी इस बात क सुनकर, सच मे ही कीर्ति का ध्यान इस बात पर से हट गया और उसने अपनी हरकत बंद कर के, फिर से मेरी पीठ पर सर टिकाते हुए कहा.
कीर्ति बोली “इसमे करना क्या था. मैने उन्हे सच बता दिया कि, मेहुल शिल्पा से प्यार करता है और वो ये अंदर के कपड़े शिल्पा के लिए ही लाया होगा. वो शायद उन कपड़ो को आपके कपड़ो मे छुपा कर ला रहा होगा. मगर आपको कपड़े देती समय उसे ये बात याद नही रही होगी.”
मैं बोला “कमीना अपनी होशियारी मे खुद ही मर गया. उसने वाणी दीदी के गुस्से से बचने के लिए, उनको शिल्पा के लिए खरीदे हुए, जीन्स और टी-शर्ट दे दिए थे. अब अपने बिच्छाए जाल मे खुद ही फस गया. आख़िर उसे ये सब फालतू की चीज़ें खरीदने की ज़रूरत ही क्या थी.”
मेरी ये बात सुनकर, कीर्ति ने मेहुल का बचाव करते हुए कहा.
कीर्ति बोली “हां, तुम्हारी ये बात सही है कि, मेहुल की ज़रूरत से ज़्यादा होशियारी ने उसे फसा कर रख दिया है. लेकिन तुम्हारी ये बात सही नही है कि, मेहुल ने कुछ फालतू का समान खरीदा था. आज कल तो हर लड़का अपनी गर्लफ्रेंड के लिए, ये ही सब चीज़ें खरीदता है.”
कीर्ति की ये बात सुनकर, मैने मन ही मन मेहुल को हज़ारों गालियाँ दी कि, खुद तो, इन चीज़ों को खरीदने की वजह से फस गया है और अब मुझे इन चीज़ों को ना खरीदने की वजह से फसाने जा रहा है.
अब यदि मैं इस बात को लेकर, कीर्ति से बहस करता तो, वो मुझ पर ही उल्टी चढ़ाई कर देती. इसलिए मैने मेहुल की बात से किनारा कर लेने मे ही अपनी भलाई समझी और बात का रुख़ बदलते हुए कीर्ति से कहा.
मैं बोला “चल मैं तेरी ये बात मान लेता हूँ. लेकिन अभी भी एक बात मेरी समझ ने नही आ रही कि, तूने तो वाणी दीदी के दूध मे नींद की गोलियाँ मिला दी थी. फिर वो अभी तक कैसे जाग रही थी.”
कीर्ति बोली “मैने उनके दूध मे नींद की सिर्फ़ एक गोली ही मिलाई थी. लेकिन मुझे क्या पता था कि, उन्हे रोज नींद की दो गोलियाँ खा कर सोने की आदत है. जिस वजह से उन्हे नींद की एक गोली का असर ही नही हुआ था.”
कीर्ति की इस बात पर मैने थोड़ा परेशान होते हुए कहा.
मैं बोला “फिर तो वो अभी भी जाग रही होगी. ऐसे मे तुझे यहाँ वापस नही आना चाहिए था.”
कीर्ति बोली “अब उन्हे नींद के फरिश्ते भी जगाए तो, वो नही जागने वाली है. उन्हो ने मेरे सामने ही नींद की दो गोलियाँ गटक ली है.”
कीर्ति की इस बात को सुनकर, मैने घबराते हुए कहा.
मैं बोला “अबे ये तूने क्या किया. तूने उन्हे दोबारा गोलियाँ खाने से रोका क्यो नही. कहीं कुछ उल्टा सीधा ना हो जाए.”
कीर्ति बोली “तुम बेकार मे परेशान मत हो. दीदी रोज दो गोलियाँ खाती है. एक गोली ज़्यादा खा लेने से उनका कोई नुकसान नही होगा. लेकिन उनके एक गोली ज़्यादा खा लेने से हमारा ये फ़ायदा ज़रूर हो गया है कि, अब हम बेफिकर होकर एक दूसरे के साथ रह सकते है.”
इतना कहकर, वो अपने गाल मेरी पीठ पर रगड़ने लगी और मैं भी खामोशी से उसकी हरकत को महसूस करने लगा. वो शायद आँख बंद करके, मेरी पीठ पर सर टिका कर बैठी हुई थी.
मैं उसका चेहरा नही देख पा रहा था. क्योकि उसने मुझे अपनी बाहों मे इस तरह से जकड़ा हुआ था, जैसे की उसके छोड़ने ही, मैं उठ कर कही चला ना जाउन्गा. शायद वो इस तरह मुझे अपने सीने से लगा कर, इतने दिन तक मुझसे दूर रहने की कमी को पूरा करना चाह रही थी.
हम दोनो खामोशी से एक दूसरे के दिल की धड़कन को महसूस करने मे लगे थे. तभी बिस्तर पर पड़े मेरे मोबाइल की एस एम एस टोन बजने लगी. मेरे मोबाइल की एस एम एस टोन सुनकर, कीर्ति ने कुन्मूनाते हुए, मोबाइल उठा कर, मेरे हाथ मे थमाया और मुझे फिर से पहले की तरह जकड कर बैठते हुए कहा.
कीर्ति बोली “ज़रूर प्रिया का एस एम एस होगा.”
मैने मोबाइल मे एस एम एस देखते हुए उस से कहा.
मैं बोला “नही, ये निक्की का एस एम एस आया है.”
इतना बोल कर मैं कीर्ति को निक्की का एस एम एस पढ़ कर सुनाने लगा.
निक्की का एस एम एस
“आपसे दूर होने का इरादा ना था.
सदा साथ रहने का वादा ना था.
आप याद ना करोगे, ये जानते थे हम,
पर इतनी जल्दी भूल जाओगे अंदाज़ा ना था.”
अभी मैं कीर्ति को निक्की का एस एम एस पढ़ कर सुना ही रहा था कि, मेरे पास रखे प्रिया वाले मोबाइल की भी एस एम एस टोन बजने लगी. जिसे सुनते ही कीर्ति ने मेरी पीठ पर चुटकी काटते हुए कहा.
कीर्ति बोली “लो अब प्रिया का एस एम एस भी आ गया है.”
निक्की का एस एम एस पढ़ कर सुनाने के बाद, मैने प्रिया वाले मोबाइल का एस एम एस देखा और फिर वो एस एम एस भी कीर्ति को पढ़ कर सुनाने लगा.
प्रिया का एस एम एस
“तुम अगर याद रखोगे तो इनायत होगी.
वरना हमको कहाँ तुमसे शिकायत होगी.
ये तो बेवफा लोगों की दुनिया है.
तुम अगर भूल भी जाओ तो रिवायत होगी.”
प्रिया का एस एम एस सुनते ही, कीर्ति ने खिलखिलाते हुए मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “लगता है, तुमने अभी तक इन दोनो को कॉल नही किया है. वो दोनो बेचारी तुमसे बात करने के लिए तड़प रही है और तुम यहाँ आते ही, उनको भूल कर अपने मे मस्त हो गये. तुम सच मे बहुत बेवफा हो.”
ये कहते हुए, उसने मेरे गाल पर काट लिया. मगर इस बार उसने मुझे सिर्फ़ नाम के लिए नही काटा था. बल्कि सच मे बड़ी ज़ोर से काटा था. उसके अचानक इतनी ज़ोर से काट लेने से मैं हड़बड़ा कर रह गया.
इसी हड़बड़ाहट मे मैने कीर्ति को अपने पास से दूर धकेला और अपने गाल को सहलाते हुए, उसे गुस्से मे घूर कर देखने लगा. मुझे इस तरह से बौखलाता देख कर, कीर्ति और भी ज़्यादा ज़ोर से खिलखिला कर हँसने लगी.
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