RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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जब मुझे अमि निमी की इस बात पर कोई सवाल ना करने की वजह समझ मे नही आई तो, मैने धीरे से कीर्ति से कहा.
मैं बोला “ये क्या है, छोटी माँ को वीडियो मे देख कर भी, अमि निमी कुछ बोल क्यो नही रही है.”
कीर्ति बोली “मौसी ने मुंबई से वापस आते ही, अमि निमी को सच बता दिया था कि, वाणी दीदी अपनी मम्मी के साथ यहाँ आ रही थी. इसलिए वो वही से अंकल को देखने मुंबई चली गयी थी. लेकिन उसी दिन शिखा दीदी की शादी थी और उन्हो ने ज़बरदस्ती उनको शादी मे शामिल होने के लिए रोक लिया था.”
मैं बोला “लेकिन मेहन्दी के वीडियो मे तो छोटी माँ दिखाई दी होगी. क्या तब भी इन ने कोई सवाल नही किया.”
मेरी इस बात पर कीर्ति ने झुंझलाते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अब तुम अपना बेकार का दिमाग़ मत चलाओ और मुझे शादी का वीडियो देखने दो.”
मैं बोला “अरे बस ये बात बता दे, फिर मैं कुछ नही पुछुन्गा.”
कीर्ति बोली “हां, मौसी को मेहन्दी मे देख कर, अमि ने ये सवाल किया था. लेकिन मौसी ने कह दिया था कि, वो मेहन्दी की रात मे ही वहाँ पहुचि थी और इसी वजह से उन्हे दूसरे दिन वहाँ शादी के लिए रुकना पड़ा था.”
“अब इसके बाद, तुमको जो भी पुच्छना हो, रात को पुच्छ लेना. मैने शिखा दीदी की शादी नही देखी. कम से कम शादी का वीडियो तो देख लेने दो.”
कीर्ति को नाराज़ होते देख, मैं भी चुप चाप वीडियो देखने लगा. तभी वाणी दीदी भी उपर से आ गयी और मेरे पास बैठ कर वीडियो देखने लगी. अब वीडियो मे वरमाला के लिए दुल्हन का इंतजार हो रहा था.
तभी पंडाल मे फूलों की बारिश होते देख, निमी ताली बजाने लगी और जैसे ही, उसने दो छोटी छोटी लड़कियाँ परियों की ड्रेस पहन कर आते देखा तो, उसने छोटी माँ से कहा.
निमी बोली “मम्मी मुझे भी ऐसी ड्रेस चाहिए.”
छोटी माँ ने उसे डांटा और चुप चाप बैठने को कहा. वो मूह लटका कर चुप चाप बैठ गयी. मैं अभी निमी का लटका हुआ चेहरा ही देख रहा था कि, तभी कीर्ति ने मुझे कोहनी मारते हुए कहा.
कीर्ति बोली “तुम उसके इस तरह से चेहरा लटकाने पर मत जाओ. वो बहुत देर से ऐसे ही, वीडियो देख देख कर परेशान कर रही है. अभी जब तुम मेहंदी मे डॅन्स कर रहे थे तो, इसने पूरा घर सर पर उठा लिया था. अभी जैसे ही तुम नज़र आओगे, ये फिर से शोर मचाना सुरू कर देगी.”
कीर्ति की बात सुनकर, मैं फिर से वीडियो देखने लगा. लेकिन जैसे ही वीडियो मे मैं दुल्हन की डॉली को कंधा देकर लाते हुए नज़र आया. वैसे ही निमी ने शोर मचाना और नाचना सुरू कर दिया.
उसकी इस हरकत पर कीर्ति मेरी तरफ देख कर, मुस्कुराने लगी और मेरी भी हँसी छूट गयी. छोटी माँ ने फिर से उसे चुप करके, वीडियो देखने को कहा और वो फिर से मूह लटका कर वीडियो देखने लगी.
अब वीडियो मे दुल्हन को डॉली से उतारे जाने की तैयारी चल रही थी. मैने बरखा दीदी को दुल्हन को डॉली से उतारने का इशारा किया. फिर उसी समय मेरे पास निशा भाभी और प्रिया आ गयी.
नीचा भाभी के आने के पहले कॅमरा पहले मेरे चेहरे पर था. लेकिन निशा भाभी के आते ही, कॅमरा उनके चेहरे पर चला गया और उसके बाद, प्रिया के चेहरे से होते हुए, दुल्हन की डॉली पर जाकर रुक गया.
अभी हम सब बैठे दुल्हन के डॉली से उतरने का इंतजार कर रहे थे कि, तभी ना जाने वाणी दीदी को क्या हुआ कि, वो उठ कर छोटी माँ के पास गयी और उनसे रिमोट लेकर, वापस मेरे पास बैठ कर, वीडियो को पिछे करने लगी.
उन्हो ने वीडियो को पिछे किया और फिर उस जगह से सुरू किया जब निशा भाभी और प्रिया आई थी. प्रिया के चेहरे पर कॅमरा आते ही, उन्हो ने वीडियो पॉज़ कर दिया और बड़ी गौर से प्रिया का चेहरा देखने लगी.
सब बड़े गौर से अब वाणी दीदी को ही देख रहे थे कि, उन्हो ने प्रिया के चेहरे पर वीडियो को क्यो रोक दिया. वो थोड़ी देर तक प्रिया को गौर से देखती रही और फिर जब उनकी नज़र सब पर पड़ी तो, उन ने वीडियो चालू करते हुए, मुझसे कहा.
वाणी बोली “ये इतनी खूबसूरत लड़की कौन है.”
वाणी दीदी की इस बात को सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, वो प्रिया है और उस ड्रेस मे वो सच मे ही सबसे सुंदर लग रही थी. हम लोग मुंबई मे इसी के घर मे रुके थे.”
मेरी बात सुनकर, वाणी मुस्कुराते हुए, वापस वीडियो देखने लगी. वीडियो मे वरमाला के समय, जब मेहुल ने शिखा दीदी को अपनी गोद मे उपर उठाया तो, निमी ने फिर से शोर मचाना सुरू कर दिया.
उसकी हरकत को देख कर, छोटी माँ ने उसे फिर से गुस्सा किया और सब हँसने लगे. वीडियो मे शिखा दीदी को देख कर, मुझे शिखा दीदी की याद आ गयी और मैं वहाँ से उठ कर अपने कमरे मे आ गया.
मेरा मन उनसे बात करने का हो रहा था. मैने समय देखा तो, अभी 8 बजे थे. मैने कुछ सोचते हुए, शिखा दीदी के मोबाइल पर कॉल लगा दिया. लेकिन कॉल अजय ने उठाया. उसे कॉल उठाते देख, मैने उस से कहा.
मैं बोला “क्या हुआ, क्या दीदी घर पर नही है.”
अजय बोला “क्यो, क्या तुम्हे मुझसे बात करने मे परेशानी हो रही है.”
मैं बोला “नही, ऐसी बात कोई बात नही है.”
अजय बोला “तो फिर मेरे कॉल उठाने पर शिखा को क्यो पुछ रहे हो. शिखा नही है तो, मुझसे ही बात कर लो.”
मैं बोला “वो क्या है कि, घर मे सब शादी का वीडियो देख रहे थे और वीडियो देख कर, मेरा मन दीदी से करने का हुआ तो, उनको कॉल लगा दिया. अब उनका कॉल तुमने उठाया तो, मन मे ये बात तो आएगी ही कि, दीदी घर पर है या नही.”
मेरी बात सुनकर, अजय हँसने लगा और फिर उसने कहा.
अजय बोला “हम कल शाम को सूरत जा रहे है. शिखा उसी की पॅकिंग कर रही है. वो अभी अभी किसी काम से निशा के पास गयी है और इसी बीच तुम्हारा कॉल आ गया. मैने सोचा कि, जब तक शिखा नही आ जाती तो, चलो मैं ही तुमसे बात कर लेता हूँ. लेकिन शायद तुमको मेरा कॉल उठाना ही पसंद नही आया.”
अजय की इस बात पर मैने उसे अपनी सफाई देते हुए कहा.
मैं बोला “ऐसी बात नही है यार, मैं शिखा दीदी के बाद, तुमसे ही बात करता.”
मेरी बात सुनकर, अजय हँसने लगा. तभी सीखा दीदी वहाँ आ गयी. अजय ने उन्हे बताया कि, मेरा कॉल आया है. ये सुनते ही शिखा दीदी ने फ़ौरन अजय से मोबाइल लेते हुए, मुझसे कहा.
शिखा दीदी बोली “भैया, अच्छा हुआ कि, आपने कॉल कर लिया. मैं अभी आपको ही कॉल करने का सोच रही थी.”
मैं बोला “क्यो, क्या हुआ. क्या आपको मुझसे कोई खास बात करना थी.”
शिखा दीदी बोली “हां भैया, वो क्या है कि, कल हम सब सूरत जा रहे है. ये चाहते थे कि, मम्मी और बरखा भी हमारे साथ चल कर वही रहे. बरखा तो हमारे साथ जाने को तैयार है.”
“लेकिन मम्मी जाने को तैयार नही हो रही है. हम सबने उन्हे समझाने की बहुत कोसिस की है. मगर वो हमारी बात मानने को तैयार नही है. अभी निशा दीदी ने भी उनसे बात की है.”
“लेकिन उन्हो ने निशा दीदी से भी इस बात के लिए मना कर दिया है. मुझे लगता है कि, यदि आप मम्मी से बात करेगे तो, वो ज़रूर हमारे साथ सूरत जाने को तैयार हो जाएगी. बस इसी वजह से मैं आपको कॉल लगाने वाली थी.”
शिखा दीदी की बात के जबाब मे मैने उनसे कहा.
मैं बोला “लेकिन दीदी, जब वो आप सबकी बात नही मान रही है तो, फिर मेरी बात कैसे मान लेगी.”
शिखा दीदी बोली “भैया, मेरा दिल कहता है कि, वो आपकी बात ज़रूर मान लेगी. आप एक बार उनसे बात करके तो देखिए.”
मैं बोला “ठीक है दीदी, आप कहती है तो, मैं अभी आंटी से बात कर लेता हूँ.”
इसके बाद, मैने शिखा दीदी का कॉल रखा और अलका आंटी को कॉल लगा दिया. पहले मैने उनसे थोड़ी बहुत यहाँ वहाँ की बातें की और फिर अपनी असली बात पर आते हुए, उन से कहा.
मैं बोला “आंटी, अभी मेरी शिखा दीदी और अज्जि से बात हुई थी. वो लोग सूरत जा रहे है. दीदी बता रही थी कि, वो लोग आपको और बरखा को भी साथ ले जाना चाहते है. लेकिन आप जाना नही चाहती.”
आंटी बोली “हां, शिखा मुझसे भी सूरत चलने की ज़िद कर रही थी. लेकिन मैने उसके साथ जाने से मना कर दिया.”
मैं बोला “लेकिन क्यो आंटी, आपको उनके साथ जाने से क्या परेशानी है.”
आंटी बोली “अब तुम भी शिखा की तरह बात करने लगे. तुमको इस बात को समझना चाहिए कि, वो मेरी बेटी है. मैं भला अपनी बेटी के ससुराल मे कैसे रह सकती हूँ. मेरा जमीर मुझे ऐसा करने की इजाज़त नही देता है.”
मैं बोला “आंटी आपका ऐसा सोचना ज़रा भी ग़लत नही है. आज यदि शेखर भैया होते तो, शिखा दीदी के मन भी आपको साथ ले जाने की सोच नही आई होती. मगर आपको साथ ले जाने की सोच शिखा दीदी की नही, बल्कि अज्जि की है.”
“उसके माँ पिता तो, उसे बचपन मे ही छोड़ कर चले गये थे और आरू जिसे वो अपना सब कुछ मानता है, वो भी उस से दूर ही है. ऐसे मे जब वो आपके साथ रहा तो, उसे अपना परिवार पूरा होते नज़र आया था.”
“बस इसी वजह से वो आपको और बरखा दीदी को साथ ले जाना चाहता है. आप एक बार इस बात को, अज्जि को अपना बेटा समझ कर सोचिए. मुझे यकीन है कि, फिर आपको अज्जि के साथ जाने मे कोई परेशानी नही होगी और उसका अधूरा परिवार एक बार फिर से पूरा हो सकेगा.”
मेरी बात सुनकर, आंटी सोच मे पड़ गयी. फिर उन्हो ने कुछ देर बाद मुझसे कहा.
आंटी बोली “ठीक है, यदि तुम सब यही चाहते हो तो, मैं अपनी ज़िद को छोड़ देती हूँ. तुम खुद ही शिखा से फोन करके बता दो कि, मैं उनके साथ चलने को तैयार हूँ.”
आंटी अभी मुझसे इतना ही बोल पाई थी कि, तभी बरखा दीदी ने उनसे फोन छीन लिया और खुशी मे चहकते हुए मुझसे कहा.
बरखा दीदी बोली “मेरे भाई, तुम तो जादूगर निकले. हम सब मम्मी को समझाते समझाते थक गये. मगर वो हमारी बात मान ही नही रही थी. लेकिन तुमने तो पल भर मे ही मम्मी को जाने के लिए तैयार कर लिया.”
मैं बोला “दीदी, ये सब तो आंटी का मेरे लिए प्यार है. जो वो मेरी बात को मान कर जाने के लिए तैयार हो गयी है.”
बरखा दीदी से थोड़ी बहुत बात करने के बाद, मैने उनका कॉल रखा और शिखा दीदी को कॉल लगा दिया. जब मैने उनको आंटी के उनके साथ जाने की बात बताई तो, वो बहुत खुश हुई.
उनसे थोड़ी बहुत बात करने के बाद, मेरी अजय और निशा भाभी से भी बात हुई. इसी बीच सीरू दीदी आ गयी और मेरा मज़ाक उड़ाने लगी. उनसे बात करने के बाद, मैने कॉल रखा और सुकून की साँस ली.
ना जाने सीरू दीदी मे ऐसी क्या बात थी कि, उनसे बात करके दिल खुशी से और चेहरा मुस्कान से भर जाता था. अभी मैं सबके बारे मे सोच ही रहा था कि, तभी कीर्ति मेरे कमरे मे आ गयी. उसने मुझे ऐसा अकेले बैठे बैठे मुस्कुराते देखा तो, कहा.
कीर्ति बोली “तुम पागल हो गये हो क्या. जो अकेले बैठे बैठे मुस्कुरा रहे हो.”
मैं बोला “तेरे पास तो, मेरे लिए टाइम ही नही है. ऐसे मे मैं अकेला बैठ कर ना मुस्कुराऊ तो, और क्या करूँ.”
कीर्ति बोली “ज़्यादा नाटक मत करो. मुझे मुंबई के सब लोगों को देखना था और मैने शिखा दीदी की शादी भी नही देखी थी. इसलिए वीडियो देख रही थी.”
मैं बोला “वीडियो तो तूने देख लिया. लेकिन तू वहाँ के लोगों को जानती कहाँ है. जो वीडियो मे उनको पहचान लेगी.”
कीर्ति बोली “मैं नही जानती तो क्या हुआ. मौसी तो सबको जानती है. उन्हो ने ही हमें बताया कि, वीडियो मे कौन कौन है. लेकिन तुम ये बताओ कि, तुम यहाँ अकेले क्यो बैठे हो. वहाँ हमारे साथ बैठ कर वीडियो भी तो देख सकते थे.”
मैं बोला “मैं शिखा दीदी से बात करने के लिए कमरे मे आ गया था.”
ये कहते हुए, मैं कीर्ति को सारी बातें बताने लगा. अभी मेरी और कीर्ति की बात चल ही रही थी कि, तभी अमि खाने के लिए बुलाने आ गयी और फिर हम सब खाने के लिए नीचे आ गये.
नीचे आकर हम सब खाना खाने लगे और खाना खाने के बाद, सब आपस मे बातें करते रहे. फिर 10:30 बजे सब अपने अपने कमरे मे जाने लगे तो, छोटी माँ ने अमि निमी को नीचे ही सो जाने को बोल दिया.
छोटी माँ की बात सुनकर, अमि निमी उनके कमरे मे चली गयी. वाणी दीदी ने चंदा मौसी से दूध का बताया और वो उपर चली गयी. कीर्ति ने चंदा मौसी से वाणी दीदी के लिए दूध लिया और उपर चलने लगी तो, मैने उस से कहा.
मैं बोला “तू वाणी दीदी के साथ कल की तरह कोई हरकत मत करना.”
कीर्ति बोली “क्यो, क्या हुआ.”
मैं बोला “देख, हमें तो हमेशा साथ ही रहना है. फिर हमारे कुछ दिन ना मिल पाने की बात को लेकर, वाणी दीदी को परेशान करना अच्छी बात नही है. यदि तुझे फिर भी लगता है कि, तेरा ऐसा करना ठीक है तो, तू ऐसा कर सकती है.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.
कीर्ति बोली “ओके, मैं कल जैसा कुछ भी नही करूगी. अब तो खुश.”
कीर्ति की बात सुनकर, मैं भी मुस्कुरा दिया. उपर आकर कीर्ति वाणी दीदी के कमरे मे चली गयी और मैं अपने कमरे मे आ गया. कमरे मे आकर मैने कपड़े बदले और फिर बेड पर लेट कर, कीर्ति के बारे मे सोचने लगा.
कीर्ति को अभी मेरे कमरे मे आने मे समय लगना था. इसलिए मैने प्रिया को कॉल लगा दिया. मेरे खुद से कॉल लगाने की, वजह से प्रिया बहुत खुश नज़र आ रही थी. उस समय निक्की भी उसके पास थी तो, उसने निक्की से भी मेरी बात करवाई.
उनसे बात चलते चलते, 11:30 बज गये और कीर्ति आ गयी. कीर्ति के आते ही, मैने प्रिया से कल बात करने को कह कर कॉल रख दिया. इसके बाद, मेरी कीर्ति से यहाँ वहाँ की बातें चलती रही.
मैने उसे शीन दीदी के घर जाने की बातें बताई. ऐसे ही यहाँ वहाँ की बात करते करते, हमें 1 बज गया और फिर हम एक दूसरे को गुड नाइट कह कर, एक दूसरे की बाहों मे सो गये.
लेकिन रात को 3 बजे अचानक निमी के रोने की आवाज़ सुनकर, हम दोनो की ही नींद खुल गयी. हम ने नीचे जाने के लिए जैसे ही दरवाजा खोला तो, हम दोनो ही वाणी दीदी को सीडियों से नीचे उतरते देख कर चौक गये और मैने कीर्ति से कहा.
मैं बोला “क्या दीदी ने आज नींद की गोली नही खाई थी.”
कीर्ति बोली “उन्हो ने मेरे सामने ही नींद की दो गोलियाँ खाई थी.”
मैं बोला “ये कैसी नींद की गोलियाँ थी कि, वो निमी की आवाज़ सुनकर हम से पहले नींद से जाग गयी.”
कीर्ति बोली “तुम खुद ही उनकी नींद को देख लो. तुम्हे तो उन्हे एक गोली ज़्यादा देने से तकलीफ़ हो रही थी और वो नींद की दो गोलियाँ हाजमोला समझ कर हजम कर गयी.”
ऐसे ही बात करते करते हम, छोटी माँ के कमरे मे पहुच गये. छोटी माँ निमी को चुप करा रही थी. लेकिन वो चुप होने का नाम नही ले रही थी और लगातार रोए जा रही थी.
मैं फ़ौरन उसके पास गया और उसे शांत करवाने लगा. थोड़ी ही देर मे वो चुप हो गयी और फिर से सो गयी. उसके सोते ही, छोटी माँ ने उसे अपने सीने से चिपका लिया. लेकिन अमि अभी बैठी हुई थी और बहुत गुस्से मे लग रही थी. उसे इस तरह से बैठे देख कर, वाणी दीदी ने उस से कहा.
वाणी बोली “अब तू क्यो बैठी हुई है. निमी सो गयी है तो, अब तू भी सो जा.”
लेकिन अमि ने गुस्से मे भनभनाते हुए कहा.
अमि बोली “मुझे इसके साथ नही सोना है. ये खुद तो सपना देख कर डरती है और उपर से इतनी रात को अचानक रोना सुरू कर देती है. किसी दिन इसका रोना सुनकर, डर के मारे मेरी जान ही निकल जाएगी.”
अमि की बात सुनकर, सब हँसने लगे. लेकिन मैने उसे समझा कर फिर से सुला दिया. अमि के सोने के बाद, वाणी दीदी ने छोटी माँ से कहा.
वाणी बोली “मौसी, क्या अमि सही बोल रही है. क्या निमी के साथ हमेशा ही ऐसा होता है.”
मैं बोला “जी दीदी, निमी को एक सपना आता है कि, मुझे कोई मार रहा है और उस सपने को देख कर, ये रोना सुरू कर देती है. ऐसा पहले कभी कभी होता था. लेकिन इस बार तो ये एक महीने मे ही तीसरी बार हुआ है.”
मेरी बात सुनने के बाद, वाणी दीदी ने कहा.
वाणी बोली “क्या निमी को किसी डॉक्टर को नही दिखाया.”
मैं बोला “दीदी, अब वो सपना देख कर डरती है तो, इसके लिए डॉक्टर को क्या दिखाना. सुबह तो, वो सब कुछ भूल कर बिल्कुल सही हो जाएगी.”
वाणी बोली “ऐसी लापरवाही करना ठीक बात नही है. वो अभी बहुत छोटी है और एक ही सपने को बार बार देख कर डरती है. इस बात का आगे चल कर उसके उपर बुरा असर भी पड़ सकता है. कल तुम मेरे साथ इसे डॉक्टर के यहा लेकर चलो.”
मैं बोला “जी दीदी.”
इसके बाद, वाणी दीदी अपने कमरे मे चली गयी और थोड़ी देर बाद मैं और कीर्ति भी अपने कमरे मे आ गये. कमरे मे आने के बाद, मेरी कीर्ति से एक दो बातें हुई और फिर हम दोनो सो गये.
सुबह जब मेरी नींद खुली तो, अमि निमी दोनो को आज भी घर मे देख कर मैं चौंक गया. क्योकि छोटी माँ इस मामले मे बहुत सख़्त थी. अमि निमी तो दूर की बात थी. वो मुझे तक स्कूल के नाम से कोई छूट नही देती थी.
मैं लेटा लेटा इसी बारे मे सोच रहा था कि, तभी अमि मुझे जगाने आ गयी. उसने मुझे जागा देखा तो, वो वापस जाने लगी. लेकिन मैने उसे रोकते हुए कहा.
मैं बोला “आज कल तुम्हारे स्कूल की छुट्टी चल रही है क्या. जो कल से दोनो घर मे ही दिख रही है.”
अमि बोली “नही भैया, कल आपके आने की वजह से हम ने छुट्टी ली थी तो, आज निमी को डॉक्टर को दिखाने की वजह से वाणी दीदी ने हमारी छुट्टी करवा दी है.”
अमि की बात सुनते ही, मुझे वाणी दीदी की रात की बात याद आ गयी और अमि को जाने की बोल कर, मैं फ्रेश होने चला गया. मैं फ्रेश होकर आया तो, थोड़ी ही देर बाद, चंदा मौसी नाश्ता लेकर आ गयी.
ना जाने मैं कितने साल से ये देखता आ रहा था कि, मैं फ्रेश होकर निकलता था और कुछ ही देर बाद चंदा मौसी चाय नाश्ता लेकर आ जाती थी. मैने चंदा मौसी को चाय नाश्ता के साथ देख कर, मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “मौसी आप तो नीचे रहती हो. फिर आपको कैसे पता चल जाता है कि, मैं फ्रेश हो चुका हूँ. जो आप मेरे बाहर निकलते ही, नाश्ता लेकर आ जाती है.”
मौसी बोली “बाबा, आपको फ्रेश होने मे कितना समय लगता है, मुझे अच्छे से पता है. बस उसी अंदाज़ से मैं नाश्ता लेकर चली आती हूँ.”
चंदा मौसी की बात सुनकर, मैं मुस्कुराते हुए चाय नाश्ता करने लगा और चंदा मौसी वापस नीचे चली गयी. मैने चाय नाश्ता किया और फिर तैयार होकर नीचे आ गया.
मैं नीचे पहुचा तो, नीचे वाणी दीदी, कीर्ति और अमि निमी पहले से ही तैयार बैठी थी. मैने उन सबको तैयार देखा तो, उनसे कहा.
मैं बोला “अभी तो सिर्फ़ 9 बजे है. क्या हमे अभी ही डॉक्टर के यहाँ के लिए निकलना है.”
वाणी बोली “हां, मैने सोचा है कि, आज अमि निमी को थोड़ी शॉपिंग भी करवा दूं. पहले हम थोड़ी सी शॉपिंग करेगे और फिर 10:30 बजे के बाद, डॉक्टर के पास चलेगे. अब देर मत करो और जल्दी चलो.”
इतना बोल कर वो उठ कर खड़ी हो गयी और उनके साथ साथ बाकी सब भी उठ कर खड़े हो गये. हम सब बाहर आए और वाणी दीदी छोटी माँ की कार निकालने लगी. उन्हो ने कार निकाली और हम सब उसमे बैठने लगे.
कीर्ति और अमि निमी पिछे वाली सीट पर बैठ गये और मैं आगे वाणी दीदी के पास जाकर बैठने ही वाला था कि, तभी वाणी दीदी ने मुझसे कहा.
वाणी बोली “अरे मैं कल अपना हॅंडबॅग मौसी के कमरे मे ही भूल गयी थी और तब से वो वही पड़ा है. उसमे मेरा कुछ ज़रूरी समान है. तुम ऐसा करो कि, मौसी के कमरे से वो ले आओ.”
अभी वाणी दीदी मुझसे ये बात बोल ही रही थी कि, तभी उन्हे चंदा मौसी हमारे पास आ गयी. उन्हो ने हमारे पास आकर, मुझसे कहा.
चंदा मौसी बोली “बाबा, थोड़ी देर रुक जाना. मेहुल की अभी बहूरानी से बात हुई है. वो भी तुम लोगों के साथ जाने के लिए आ रहा है.”
चंदा मौसी की बात सुनकर, वाणी दीदी ने उनसे रुक जाने के लिए हां कह कर, उन से छोटी माँ के कमरे से अपना हॅंडबॅग लाने को कह दिया. जिसे सुनकर, चंदा मौसी अंदर चली गयी.
वाणी दीदी लोग कार मे बैठी थी और मैं कार के बाहर खड़ा होकर, चंदा मौसी के आने का इंतजार करने लगा. थोड़ी देर बाद, चंदा मौसी आती नज़र आई. लेकिन आते आते अचानक उन्हो ने दौड़ लगा दी.
मैं हैरानी से उनकी हरकत को देखने लगा. तभी मेरे पास आते ही अचानक उन्हो ने मुझे गाड़ी से दूर धकेल दिया. उनके ऐसा करते ही, एक धाय की आवाज़ के साथ एक गोली उनके हाथ मे जा लगी.
उनका हाथ खून से लहू लुहान हो गया और वाणी दीदी का हॅंडबॅग उनके हाथ से छूट कर नीचे गिर गया था. चंदा मौसी को गोली लगते देख कर, मैने पलट कर, मेन गेट की तरफ देखा.
मेन गेट पर दो नकाब-पोश हाथ मे रेवोल्वेर लेकर खड़े थे और उन दोनो के निशाने पर मैं था. वहीं दूसरी तरफ कार मे बैठी अमि निमी ने चंदा मौसी को गोली लगते देखी तो, उन्हो ने रोना सुरू कर दिया और कीर्ति वाणी दीदी को आवाज़ लगाने लगी.
वाणी दीदी को जैसे ही बाहर का नज़ारा समझ मे आया. वो एक पल की भी देर किए बिना कार से निकली और अपना हॅंडबॅग देखने लगी. इसी बीच एक नकाब-पॉश ने फिर से मेरे उपर फाइयर कर दिया.
लेकिन एक बार फिर चंदा मौसी मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी. ये गोली सीधे आकर, उनकी पीठ मे समा गयी और वो मेरी बाहों मे झूल गयी. मैने दोनो हाथों से चंदा मौसी को संभाल लिया.
अब मैं उन दोनो नकाब-पोशो के निशाने पर था. लेकिन तब तक वाणी दीदी ने, अपने हॅंडबॅग से रेवोल्वेर निकाल कर, उन दोनो नकाब-पॉश पर दना-दन गोलियाँ बरसाना सुरू कर दिया.
उन दोनो नकाब पोशो को शायद इस बात की ज़रा भी उम्मीद नही थी और वो दोनो वाणी दीदी के किए गये, इस पलटवार से हड़बड़ा गये. एक नकाब-पॉश ने वाणी दीदी को निशाना बनाना चाहा.
लेकिन वाणी दीदी ने दोनो नकाब-पोशो मे से, किसी को भी संभलने का मौका नही दिया और जो नकाब-पॉश वाणी दीदी को अपना निशाना बनाना चाहता है. उन्हो ने अपनी गोली से उसका ही भेजा उड़ा दिया.
अपने साथी की ये दुर्गति देख, दूसरा नकाब-पोश वहाँ से भागने लगा. उसे भागते देख, वाणी दीदी भी उसके पिछे भागी. वो शायद उसे जिंदा ही पकड़ना चाहती थी. इसलिए वो उस पर गोली नही चला रही थी.
मगर जब वो उन्हे एक कार की तरफ भागते नज़र आया. तब वाणी दीदी को समझते देर नही लगी कि, ये कार उसी की है और वो उसमे बैठ कर भागना चाहता है. ये बात समझ मे आते ही, उन्हो ने उसके पैर पर गोली मार दी.
लेकिन गोली लगने के बाद भी, वो किसी तरह लड़खड़ाते हुए, अपनी कार तक पहुचने मे सफल हो गया. शायद उसके साथ, उस कार मे कोई दूसरा आदमी भी था. इसलिए उसके कार मे बैठते ही, उसकी कार हवा से बातें करने लगी. वाणी दीदी ने उसे कार मे भागते देखा तो, उन्हो ने उस कार पर अँधा-धुन्ध गोलियाँ बरसाना सुरू कर दिया.
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