RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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जिसका नतीजा ये हुआ कि, वाणी दीदी की गोली कार के टाइयर पर लगी और टाइयर फट गया. टाइयर के फटते ही कार लहराती हुई रोड डिवाइडर से टकरा गयी. वाणी दीदी फ़ौरन कार के पास पहुच गयी और अपनी रेवोल्वेर तान कर, कार मे सवार लोगों से हाथ उपर करके बाहर निकलने को कहने लगी.
उसी समय पड़ोस वाले बंगलो के दो गन-मॅन भी भागते हुए, वाणी दीदी के पास पहुच गये. उन मे से एक ने अपनी गन कार की तरफ तान दी. लेकिन वाणी दीदी ने उसकी गन को नीचे करते हुए कहा.
वाणी बोली “इन्हे मारना नही है. मुझे ये जिंदा चाहिए है.”
इसके बाद, वाणी दीदी ने कार मे सवार लोगों को बिना कोई ग़लत हरकत किए, कार से बाहर आने की चेतावनी दी. वाणी दीदी की ये चेतावनी सुनने के बाद, जिस नकाब-पोश को गोली लगी थी, वो हाथ उपर करके बाहर आ गया.
उसके बाहर निकलते ही, वाणी दीदी ने उसका कॉलर पकड़ कर गन-मॅन की तरफ धकेल दिया. जिसे गन-मॅन ने फ़ौरन अपने हाथों की गिरफ़्त मे ले लिया. लेकिन जो कार चला रहा था, वो अभी भी बाहर नही आ रहा था.
वाणी दीदी ने गुस्से मे उसे आख़िरी चेतावनी दी. जिसके बाद, वो अपने हाथ उपर किए, वाणी दीदी के पास आ गया. लेकिन वाणी दीदी के पास आते ही, अचानक उसने कहीं से चाकू निकाल कर वाणी दीदी के उपर वार करना चाहा.
मगर उसका ऐसा करना, उसे और भी ज़्यादा महँगा पड़ गया. उसकी हरकत देखते ही, वाणी दीदी की रेवोल्वेर चीख उठी और गोली सीधे उसके हाथ मे जा लगी. उसके हाथ मे गोली लगते ही, उसका चाकू दूर जा गिरा और उसका हाथ लहू-लुहान हो गया.
दूसरे गन-मॅन ने फ़ौरन आगे बढ़ कर, उसे भी दबोच लिया. इसी बीच गोलियों की आवाज़ सुनकर, छोटी माँ भी बाहर आ चुकी थी. उन्हो ने चंदा मौसी की हालत देखी तो, एक पल के लिए वो घबरा गयी.
लेकिन अगले ही पल उन्हो ने खुद को संभाला और ड्राइवर को टाटा सफ़ारी निकालने के लिए आवाज़ लगाने लगी. तब तक कीर्ति भी अमि निमी के साथ कार से बाहर आ चुकी थी और अमि निमी को संभालने की कोसिस कर रही थी. उसने छोटी माँ की बात सुनी तो, उनसे कहा.
कीर्ति बोली “मौसी आज आपकी कार वाणी दीदी के पास रहनी थी. इसलिए आपने ड्राइवर को छुट्टी दे दी थी.”
कीर्ति की बात सुनकर, छोटी माँ को ये बात याद आई और वो खुद ही टाटा सफ़ारी को निकालने चली गयी. उन्हो ने टाटा सफ़ारी निकाली और मेरे पास आ गयी. इसी बीच मेहुल भी अपनी बाइक मे आ गया.
उसने चंदा मौसी की हालत देखी तो, अपनी बाइक को एक किनारे खड़ा किया और फ़ौरन चंदा मौसी को उठा कर टाटा सफ़ारी मे ले जाने लगा. इसी बीच वाणी दीदी भी उस नकाब-पोश और उसके साथी के साथ हमारे पास आ गयी. उन्हो ने हमारे पास आते ही, उन दोनो गन-मॅन से कहा.
वाणी बोली “यहाँ गोलियाँ चली है तो, पोलीस भी यहाँ पहुचने ही वाली होगी. तुम लोग किसी बात से घबराना मत और जो कुछ यहाँ हुआ है, पोलीस को सब कुछ बता देना. इन दोनो को और उस मुर्दे को भी पोलीस के हवाले कर देना.”
“यदि पोलीस की तरफ से कोई परेशानी हो तो, उनकी मुझसे बात करवा देना और सक्सेना अंकल से कह देना कि, वाणी ने अपना काम आज से ही सुरू कर दिया है.”
ये कहते हुए, वाणी दीदी ने उन दोनो गन-मॅन को अपना मोबाइल नंबर दिया और फिर मुझे चंदा मौसी के साथ बैठने को कहने लगी. वाणी दीदी की बात सुनकर, मैं चुप चाप टाटा सफ़ारी की तरफ बढ़ गया.
मेहुल टाटा सफ़ारी मे चंदा मौसी को अपने हाथों मे थामे बैठा था. मैं भी उसके पास जाकर बैठ गया और चंदा मौसी का हाथ, अपने हाथ मे थाम कर, एक-टक उनका चेहरा देखने लगा.
किसी छोटी से छोटी बात पर भी आँसू बहा देने वाला मैं, आज इतना बड़ा हादसा हो जाने के बाद भी, किसी पत्थर की बुत की तरह बैठा हुआ था. आज ना तो मेरी आँखों मे कोई आँसू थे और ना ही मेरे चेहरे पर कोई भाव थे.
आज जो औरत मेरे सामने एक जिंदा लाश की तरह पड़ी थी. वो भले ही मेरी माँ नही थी. लेकिन मैने उनकी ही गोद मे, होश संभाला था और बचपन से लेकर आज तक, वो एक माँ की तरह ही, मेरा ख़याल रखती आ रही थी.
मेरी रगों मे भले ही, उनका खून और दूध नही था. लेकिन आज मेरे लिए, उन्हो ने अपना खून बहा कर, अपनी इस कमी को भी पूरा कर दिया था. उन्हो ने अपनी जान की परवाह किए बिना, मेरी तरफ बढ़ने वाली मौत को अपने उपर ले लिया था.
मुझे चंदा मौसी की इस हालत से बहुत गहरा सदमा पहुचा था. जिसने मेरे दिमाग़ की सोचने की ताक़त और मेरे दिल की महसूस करने की ताक़त को पूरी तरह से ख़तम कर के रख दिया था.
मैं बस उनका चेहरा देखे जा रहा था और मेहुल मुझे सब ठीक हो जाने का दिलासा दे रहा था. उधर छोटी माँ की गाड़ी हवा से बातें कर रही थी और वाणी दीदी की कार हमारे पिछे पिछे आ रही थी.
कुछ ही देर मे हम हॉस्पिटल पहुच गये. लेकिन हॉस्पिटल वाले इसे पोलीस केस बता कर, चंदा मौसी का इलाज सुरू करने से मना करने लगे. तभी वाणी दीदी कीर्ति लोगों के साथ हमारे पास आ गयी.
उन्हो ने हॉस्पिटल वालों को इलाज सुरू करते नही देखा तो, अपना आइडी कार्ड निकाल कर उन्हे दिखाया और फ़ौरन चंदा मौसी का इलाज सुरू करने को कहा. वाणी दीदी का परिचय पाते ही, हॉस्पिटल वाले फ़ौरन ही, चंदा मौसी को ऑपरेशन थियेटर मे ले गये.
उसके बाद, डॉक्टर की एक टीम भी ऑपरेशन थियेटर मे जाती हुई नज़र आई. हम सब बेसब्री से ऑपरेशन थियेटर के बाहर चहल कदमी कर रहे थे और वाणी दीदी लगातार यहाँ वहाँ फोन करने मे लगी हुई थी.
मुझे और वाणी दीदी को छोड़ कर, हर एक की आँखें आँसुओं से भीगी हुई थी. छोटी माँ ने मुझे इस तरह देखा तो, उन्हो ने मेरे पास आकर, मुझे अपने गले से लगाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “घबराता क्यो है. चंदा मौसी को कुछ भी नही होगा. वो बिल्कुल सही हो जाएगी.”
छोटी माँ का सहारा पाकर, मुझे पहली बार अपने अंदर जान होने का अहसास हुआ और मेरा सीना दर्द से भर गया. मेरी आँखें आँसुओं से भीग गयी और मैने रोते हुए छोटी माँ से कहा.
मैं बोला “मम्मी, चंदा मौसी ने मेरी मौत को अपने उपर ले लिया है. आज मेरी वजह से ही, वो मौत के मूह मे है.”
इतना कह कर, मैं छोटी माँ से लिपट कर रोने लगा. मुझे रोते देख कर, उनके आँसू भी बहने लगे. लेकिन उन्हो ने अपने आँसुओं को पोन्छ्ते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “ऐसी अशुभ बातें नही कहते. तेरी वजह से कुछ भी नही हुआ. ये तो होनी थी, जो हो गयी. लेकिन हम चंदा मौसी का अच्छे से अच्छा इलाज करवायगे और उन्हे कुछ भी नही होने देंगे.”
मगर छोटी माँ के इस दिलासा देने का मेरे उपर कोई असर नही पड़ा. मैने फिर से बिलखते हुए कहा.
मैं बोला “मैं सच कह रहा हूँ मम्मी. वो लोग मुझे ही मारने आए थे. लेकिन चंदा मौसी बीच मे आ गयी और सारी गोलियाँ अपने शरीर पर खा ली. आपको भी लगता है कि, मेरी जान को किसी से ख़तरा है. तभी तो, आप मुंबई आई थी. लेकिन मम्मी मैने किसी का क्या बिगाड़ा है, जो कोई मेरी जान लेना चाहता है.”
ये कहते हुए मैं फिर छोटी माँ से लिपट कर रोने लगा. मेरी बातों ने छोटी माँ को भी परेशान कर के रख दिया था. वही अमि निमी भी छोटी माँ के पास आकर, उन से लिपट कर रोने लगी.
कीर्ति अमि निमी को समझाने लगी और मेहुल आकर मुझे समझाने लगा. उस समय वाणी दीदी फोन पर किसी से बात कर रही थी. लेकिन जैसे ही, उन्हो ने मेरी ये बात सुनी तो, फ़ौरन कॉल काट कर हमारे पास आ गयी.
उन्हो ने आकर पहले मुझे और अमि निमी को चुप कराया और फिर छोटी माँ के पास आकर, उनसे कहा.
वाणी बोली “मौसी, ये क्या बोल रहा है. क्या मुंबई मे इसके साथ कोई हादसा हुआ था.”
वाणी की बात सुनकर, छोटी माँ ने उन्हे मेरे साथ मुंबई मे हुए हादसो के बारे मे बता दिया. जिसे सुनकर, वाणी ने कुछ परेशान होते हुए कहा.
वाणी बोली “मौसी, इतनी बड़ी बात हो गयी और आपने मुझे बताया तक नही. यदि आपने ये बात पहले मुझे बता दी होती तो, आज ये इतना बड़ा हादसा नही हुआ होता. लेकिन ये तो मुंबई कभी गया ही नही है. फिर मुंबई मे इस पर हमला कौन कर सकता है.”
इतना बोल कर, वाणी दीदी सवालिया नज़रों से छोटी माँ को देखने लगी. वाणी दीदी को अपनी तरफ देखते पाकर, छोटी माँ ने अपना सर झुका लिया. छोटी माँ को सर झुकाते देख, वाणी दीदी ने उनसे कहा.
वाणी बोली “मौसी, मुझे आपसे कुछ ज़रूरी बात करना है. आप मेरे साथ आइए.”
ये कह कर, वाणी दीदी ने हम लोगों को वहीं खड़े रहने को कहा और वो छोटी माँ के साथ दूसरी जगह, जाकर बात करने लगी. कुछ देर बाद, छोटी माँ और वाणी दीदी हमारे पास आ गयी.
हम सबका रोना तो, थाम चुका था. लेकिन निमी अभी भी सिसक रही थी. वाणी दीदी ने निमी को अभी तक सिसकते देखा तो, वो उसके सामने घुटनो के बल बैठ गयी और उसके गालों को सहलाते हुए कहा.
वाणी बोली “छोटी, तुझे तो मेरी तरह निडर और साहसी बनना चाहिए. तू अपने भैया की तरह रोट्डू और डरपोक क्यो बनती है.”
वाणी दीदी की ये बात सुनकर, निमी ने उनका हाथ अपने गालों से अलग करके अपने हाथ मे ले लिया. निमी की इस हरकत को देखते ही, कीर्ति और अमि ने फ़ौरन कहा.
कीर्ति बोली “निमी, नही.”
अमि बोली “निमी, नही.”
हम सब कीर्ति और अमि की बात सुनकर, हैरानी से उनको देखने लगे कि, ये किस बात के लिए निमी को मना कर रही है. वाणी दीदी भी यहीं बात जानने के लिए, निमी की तरफ से ध्यान हटा कर, अमि और कीर्ति को देखने लगी थी.
लेकिन इस से पहले की, हम सब उन लोगों से कुछ पुछ पाते, वाणी दीदी के मूह से चीख निकल गयी. जब हम ने वाणी दीदी की तरफ देखा तो, उनका हाथ निमी के मुँह मे था और वो गुस्से मे उनको दाँत गढ़ाए जा रही थी.
निमी की इस हरकत को देख कर, हम सब सकपका गये. उसे वाणी दीदी के उपर गुस्सा आ गया था और वो उनके हाथ को काट रही थी. निमी के अचानक किए इस हमले से वाणी दीदी के मूह से चीख ज़रूर निकल गयी थी.
लेकिन अब वो निमी को देख कर, मुस्कुरा रही थी और अपना हाथ भी छुड़ाने की कोसिस नही कर रही थी. वहीं निमी भी गुस्से मे भरी उनके हाथ पर अपने दाँत गढ़ाए जा रही थी.
मैने जैसे निमी को ऐसा करते देखा, मैं फ़ौरन उसके पास पहुचा और वाणी दीदी के हाथ को उस से आज़ाद करवाने लगा. लेकिन वाणी दीदी ने मेरे हाथ को झटकते हुए, मुझसे कहा.
वाणी बोली “बिल्ली के काटने से शेरनी घायल नही होती. फिर अभी तो इसके दूध के दाँत भी नही टूटे है. इसे अपना गुस्सा निकाल लेने दो.”
लेकिन मैने वाणी दीदी की इस बात को अनसुना कर, निमी को नाम लेकर पुकारा और उसे जैसे ही आँख दिखाई. उसने फ़ौरन ही वाणी दीदी का हाथ छोड़ दिया. अपने हाथ के निमी से छूटते ही, वाणी दीदी ने प्यार से उसके बालों पर हाथ फेरा और फिर मुस्कुराते हुए उस से कहा.
वाणी बोली “छोटी, मेरा तुझसे वादा है कि, आज के बाद, तुझे वो सपना फिर कभी नही आएगा और तेरे सपने मे भी, कोई तेरे भैया को मार नही पाएगा.”
वाणी दीदी की ये बात सुनते ही, निमी का सारा गुस्सा भाग गया और वो मुस्कुराते हुए, वाणी दीदी के गले से लग गयी. मेरी निम्मो सुरू से ऐसी ही थी. ज़रा ज़रा भी बात पर गुस्सा हो जाती थी और ज़रा ज़रा सी बात पर खुश भी हो जाती थी.
अभी हम वाणी दीदी और निमी का ये मिलन देख ही रहे थे कि, तभी ऑपरेशन थियेटर से एक डॉक्टर बाहर निकला. उसे देखते ही, वाणी दीदी और छोटी माँ उसके पास जाकर, उस से चंदा मौसी का हाल पुछा तो, उसने कहा.
डॉक्टर बोला “देखिए, इनको दो गोलियाँ लगी थी. जो गोली इनके हाथ मे लगी थी, उसे तो हम ने निकल दिया है. लेकिन जो गोली इनकी पीठ पर लगी थी. वो गोली सीधे हार्ट के पिछ्ले हिस्से मे जाकर धँस गयी है.”
“हम ने अपने हार्ट सर्जन से इस बारे मे बात की है. वो अभी आकर, इसे देखेगे. तभी हम मरीज की हालत के बारे मे कुछ सही निर्णय ले सकेगे. अभी तो मरीज की स्तिथि बहुत ही गंभीर है.”
इतना कह कर, डॉक्टर कहीं चला गया. लेकिन हम सबके चेहरे का रंग उड़ा गया. थोड़ी देर बाद वो, किसी दूसरे डॉक्टर के साथ बतियाते हुए, हमारे पास आया और बताया कि ये ही हार्ट सर्जन है.
इतना बोल कर वो दोनो डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर के अंदर चले गये और हम बेचैनी की हालत मे उनके ऑपरेशन थियेटर से वापस बाहर निकलने का इंतेजार करने लगे.
अभी हम डॉक्टर के बाहर निकलने का इंतजार कर रहे थे कि, तभी हमे एक सब-इनस्पेक्टर, दो हवलदार के साथ हमारी तरफ आते हुए दिखा. उसने हमारे पास आकर, हम से कहा.
सब-इनस्पेक्टर बोला “आप मे से मिस वाणी रॉय कौन है.”
वाणी बोली “मैं हू, वाणी रॉय.”
सब-इनस्पेक्टर बोला “आपको पुछ-ताछ के लिए हमारे साथ पोलीस स्टेशन चलना पड़ेगा.”
वाणी दीदी ने उस सब-इनस्पेक्टर का नाम देखा और फिर बड़ी ही विनम्रता से कहा.
वाणी बोली “मिस्टर. प्रीतम, क्या आप जानते है कि, मैं कौन हूँ.”
प्रीतम बोला “जानता हूँ, तभी आपको इतनी शराफ़त से अपने साथ ले जा रहा हूँ. वरना जो कुछ आपने यहाँ किया है. उसके बाद तो, आपको सीधा गिरफ्तार करके ले गया होता.”
प्रीतम की ये बात सुनते ही, मेहुल हँसने लगा. उसे हंसते देख, मैने उसके पेट मे कोहनी मारी और धीरे से उस से कहा.
मैं बोला “वो सब-इनस्पेक्टर वाणी दीदी से ऐसी बात कर रहा है और तुझे उसकी बात पर हँसी आ रही है.”
मेरी बात सुनकर, मेहुल ने अपनी हँसी को दबाने की नाकाम कोसिस करते हुए कहा.
मेहुल बोला “तू सिर्फ़ इसकी बात सुनकर, गुस्सा हो रहा है. जबकि मुझे इसका अंजाम सोच सोच कर हँसी आ रही है. ये प्रीतम, अब वाणी दीदी को प्यारा होने वाला है.”
मेहुल की बात सुनकर, मैने उसे गुस्से मे घूरते हुए कहा.
मैं बोला “तू ये क्या बकवास कर रहा है. तेरा दिमाग़ तो ठिकाने है.”
मेहुल बोला “अबे तू मेरी बात का मतलब नही समझा. ये साला पक्का वाणी दीदी से पिटने वाला है. तू बस चुप चाप तमाशा देख.”
मेहुल की बात सुनकर, मैं फिर से उस सब-इनस्पेक्टर की बातें सुनने लगा.उस ने वाणी दीदी से कहा.
प्रीतम बोला “आपकी भलाई इसी मे है कि, आप शराफ़त से हमारे साथ चले. वरना हमें ज़बरदस्ती आपको ले जाना पड़ेगा.”
सब-इनस्पेक्टर की ये बात सुनते ही, वाणी दीदी का दिमाग़ घूम गया. अभी वो उस से आप आप कह कर बात कर रही थी. लेकिन इस बात को सुनने के बाद, उन्हो ने सीधे तू-तडाक पर आकर, चुटकी बजाते हुए उस से कहा.
वाणी बोली “तू अपनी औकात भूल रहा है. जा, मैं तेरे साथ नही जाती. अब तेरे से मेरा जो उखाड़ते बने, उखाड़ ले.”
लेकिन उस सब-इनस्पेक्टर ने अभी भी सबर से ही काम लिया और वाणी दीदी से फिर कहा.
प्रीतम बोला “देखिए मेडम, एक सब-इनस्पेक्टर के साथ ये बदतमीज़ी आपको बहुत महँगी पड़ सकती है. बेहतर यही होगा कि….”
लेकिन उसकी बातों से वाणी दीदी का दिमाग़ पहले ही ठिकाने नही था. उन्हो ने उसे लताड़ते हुए कहा.
वाणी बोली “अबे तू पागल है क्या. तू सब-इनस्पेक्टर की बात कर रहा है. मैं तो तेरे इनस्पेक्टर से तमीज़ से बात ना करूँ. तेरे जैसे सब-इनस्पेक्टर मेरी कार का दरवाजा खोलने के लिए, मेरी कार के पास खड़े रहते है. जा और जाकर वहीं खड़ा हो जा.”
वाणी दीदी की ये बात सुनकर, अब उस सब-इनस्पेक्टर को भी गुस्सा आ गया. उसने अपने हवलदारों से कहा.
प्रीतम बोला “तुम लोग खड़े खड़े क्या तमाशा देख रहे हो. ये महाराष्ट्र की ऑफीसर है और ये इसका महाराष्ट्र नही, बल्कि हमारा बेस्ट बेंगाल है. इसे हमारे राज्य (स्टेट) मे गोली चलाने का कोई अधिकार नही है. इसे हथकड़ी लगाओ और थाने ले चलो.”
सब-इनस्पेक्टर की बात सुनकर, दोनो हवलदार वाणी दीदी की तरफ बढ़ने लगे. ये देख कर, मुझे तो घबराहट होने लगी. लेकिन वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए, उन दोनो हवलदरों से कहा.
वाणी बोली “तुम्हारा सब-इनस्पेक्टर तो पागल हो गया है. ये तुम्हे क़ानून सिखा रहा है और खुद क़ानून भूल गया कि, एक महिला को हथकड़ी लगाने से, इसके साथ साथ तुम दोनो की भी वर्दी उतर सकती है और यदि वो महिला वाणी रॉय हो तो, फिर तुम्हारी वर्दी वापस मिलने की भी कोई उम्मीद नही है.”
वाणी दीदी की इस धमकी मे इतना दम था कि, उसकी तरफ बढ़ते दोनो हवलदार वही के वही रुक गये और उस सब-इनस्पेक्टर को भी अपनी ग़लती का अहसास हो गया. उसने फ़ौरन महिला पोलीस भेजने के लिए, कंट्रोल रूम कॉल लगा दिया.
लेकिन वाणी दीदी पर अभी भी इन सब बातों का कोई असर नही पड़ा. मगर छोटी माँ ज़रूर ये सब देख कर, थोड़ा घबरा गयी थी. उन्हो ने वाणी दीदी को समझाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “वाणी बेटा, क्यो बेकार की बहस कर रही है. वो पुछ ताछ के लिए पोलीस स्टेशन ले चलना चाहते है तो, हम चल चलते है. इसमे ग़लत क्या है.”
वाणी बोली “मौसी, किसी बात मे कुछ ग़लत नही है और मेरे रहते, मैं कुछ ग़लत होने भी नही दूँगी. आप मुझ पर यकीन रखिए, अभी ये जिस हाथ से मुझे हथकड़ी लगाने की सोच रहा था. थोड़ी देर बाद, उसी हाथ से ये मुझे सल्यूट करता नज़र आएगा.”
वाणी दीदी की बात सुनकर, छोटी माँ चुप तो हो गयी. लेकिन छोटी माँ के चेहरे पर घबराहट सॉफ नज़र आ रही थी. एक शरीफ आदमी की, ये ही ख़ासियत होती है कि, वो अपनी ग़लती ना होते हुए भी, पोलीस से घबराता है.
जबकि जिन गुंडे बदमाशों के लिए पोलीस को बनाया गया है. उन्हे पोलीस का ज़रा भी ख़ौफ़ नही रहता और पोलीस से इतनी निडरता से मिलते है, जैसे कि अपने किसी खास दोस्त से मिल रहे हो.
ऐसा ही कुछ इस वक्त यहाँ भी हो रहा था कि, ये सब-इनस्पेक्टर उन हमला करने वाले बदमाशों से पुछ ताछ करना छोड़ कर, हमे परेशान करने मे लगा हुआ था. शायद इसी वजह से शरीफ लोग पोलीस से ख़ौफ़ खाते थे.
मगर वाणी दीदी ऐसी इंसान थी, जिनसे ख़ौफ़, खुद ख़ौफ़ ख़ाता था. अब इसकी एक मिसाल इसी बात को ले लो. जब हम सबके चेहरे का रंग उड़ा हुआ था. तब वो बस खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी.
लेकिन मुस्कुराने वाली अकेली वाणी दीदी नही थी. उनके साथ साथ मेहुल भी बिना किसी बात के मुस्कुरा रहा था. उसे मुस्कुराते देख कर, मैने उस पर गुस्सा करते हुए कहा.
मैं बोला “यहाँ हम सबकी लगी पड़ी है और तू खड़ा खड़ा मज़ा ले रहा है. तुझे किस बात पर इतनी हँसी आ रही है.”
मेहुल बोला “तू बेकार मे डर रहा है. क्या तू जानता नही है कि, वाणी दीदी तो खुद एक मुसीबत का नाम है. वो भला कैसे किसी मुसीबत मे फस सकती है. वो तो बस इस प्रीतम के साथ खेल रही है.”
“कुछ ही देर बाद, वो इसे इसकी औकात दिखा कर, वापस भेज देगी. यदि उन्हो ने कहा है कि, ये सब-इनस्पेक्टर उनको सल्यूट करेगा तो, तू देखना कि ये उनको सल्यूट किए बिना यहाँ से जा नही सकता.”
मेहुल की ये बात ज़रा भी ग़लत नही थी. वाणी दीदी सच मे ही एक मुसीबत का नाम था. अपने हो या पराए, अच्छे हो या बुरे, सब उनसे दूर ही भागते थे. वो सिर्फ़ हवा मे तीर चलाने वालों मे से नही थी.
वो जो कहती थी, उसे करके दिखाने वालों मे से थी. लेकिन उस सब-इनस्पेक्टर का कहना भी सही था कि, ये उनका राज्य (स्टेट) महाराष्ट्र नही, बल्कि उस सब-इनस्पेक्टर का राज्य (स्टेट) बेस्ट बेंगाल है.
जहाँ वाणी दीदी के पास किसी तरह का कोई पॉवर नही था और अपने इस रवैये से वो बहुत बड़ी मुसीबत मे भी फस सकती थी. अब महिला पोलीस के आने के बाद, यहाँ क्या होने वाला है. मैं यही सोच सोच के परेशान था.
अभी मैं इसी उधेड़ बुन मे लगा था कि, तभी हमें, अपने दल बल के साथ पोलीस कमिशनर हमारी तरफ आते दिखाई दिए. उन्हे आते देख कर, सब-इनस्पेक्टर के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान आ गयी.
लेकिन ऐसी ही कुछ मुस्कान वाणी दीदी के चेहरे पर भी थी. अब देखने वाली बात ये थी कि, पोलीस कमिशनर के हमारे पास पहुचने के बाद, वाणी दीदी की मुस्कान फीकी पड़ती है या फिर उस सब-इनस्पेक्टर प्रीतम की मुस्कान फीकी पड़ती है.
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