RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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कमिशनर के हमारे पास आते ही, सब-इनस्पेक्टर ने उसे सल्यूट मारा. लेकिन कमिशनर उसे अनदेखा करते हुए, सीधे वाणी दीदी के पास आ गया और उनसे हाथ मिलाते हुए कहा.
कमिशनर बोला “मिस वाणी, मैने आपके बारे मे जैसा सुना था. आपको उस से कहीं ज़्यादा बढ़ कर पाया है. आप ने तो मौका-ए-वारदात पर ही दो, अपराधियों को मार गिराया और एक को जिंदा गिरफ्तार कर लिया.”
“वरना हमारे निकम्मे ऑफीसर तो, अपराधियों को पकड़ना दूर की बात है, ये तक पता नही लगा पाते है कि, ये अपराध किया किसने है. अब हमें पूरा यकीन हो गया है कि, हम ने सीआइडी से आप जैसी ऑफीसर की माँग करके कुछ ग़लत नही किया.”
कमिशनर की बात सुनकर, वाणी दीदी मुस्कुराने लगी और उनके साथ साथ हम सब के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. लेकिन जब उस सब-इनस्पेक्टर ने वाणी दीदी की तारीफ होते देखी तो, उसने कमिशनर से कहा.
सब-इनस्पेक्टर बोला “सर, इन्हो ने आपको ग़लत सूचना दी है. मौका-ए-वारदात पर दो नही, सिर्फ़ एक आदमी मारा गया है और दो को हम ने जिंदा गिरफ्तार किया है.”
सब-इनस्पेक्टर की बात सुनकर, कमिशनर ने वाणी दीदी की तरफ देखा. वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए हां मे सर हिला दिया. जिसके बाद कमिशनर ने सब-इनस्पेक्टर को फटकार लगाते हुए कहा.
कमिशनर बोला “शट उप, क्या इतनी भी तमीज़ नही है कि, जब दो बड़े लोग बातें कर रहे हो तो, बीच मे नही बोलना चाहिए और यदि इन्हो ने बोला है कि, इन्हो ने दो को मार गिराया है तो, कुछ सोच समझ कर ही बोला होगा.”
“तुम इनकी किसी बात मे अपना दिमाग़ लगाने की कोसिस मत करो और ये बार बार हम ने हम ने कहना भी बंद करो. उन मुजरिमो को तुमने या तुम्हारी टीम ने गिरफ्तार नही किया है.”
“यदि तुम्हारे अंदर इतनी ही क़ाबलियत होती तो, तुम इनस्पेक्टर से सब-इनस्पेक्टर नही बन गये होते. मैं यदि तुम जैसे निकम्मे ऑफीसर के भरोसे रहा तो, एक दिन तुम्हारे साथ साथ मेरी वर्दी भी उतर जाएगी.”
कमिशनर के मूह मे उस समय जो भी आ रहा था. वो उस सब-इनस्पेक्टर प्रीतम को बके जा रहा था. कमिशनर की फटकार सुनकर, प्रीतम का चेहरा छोटा सा हो गया था और वो सर झुका कर खड़ा हो गया.
लेकिन कमिशनर के मूह से प्रीतम के इनस्पेक्टर से सब-इनस्पेक्टर बनने की बात सुनकर, मेहुल ने हंसते हुए, धीरे से मुझसे कहा.
मेहुल बोला “अबे ये प्रीतम तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला. लोग तरक्की करके, नीचे से उपर जाते है. लेकिन ये इतना होनहार है कि, तरक्की करके उपर से नीचे आ रहा है.”
मेहुल की बातों से, मुझे भी हँसी आ रही थी. इसलिए मैने उसे चुप कराया और वाणी दीदी लोगों की बातें सुनने लगा. कमिशनर ने प्रीतम को खरी खोटी सुनाने के बाद, वाणी दीदी से कहा.
कमिशनर बोला “मिस वाणी, इस केस को तो आपने हल कर दिया है. अपराधी पकड़े जा चुके है और अब इस केस को कोई भी देख सकता है.”
लेकिन वाणी दीदी ने उनकी बात को बीच मे ही काट कर, मुझे अपने पास आने का इशारा करते हुए उस से कहा.
वाणी बोली “नही सर, ये केस अभी हल नही हुआ है और इस केस मे मेरी व्यक्तिगत दिलचस्पी भी है.”
ये कहते हुए वाणी दीदी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और फिर कमिशनर से मुझे मिलाते हुए कहा.
वाणी बोली “असल मे वो हमला मेरे इस भाई पर किया गया था. लेकिन उनके हमला करने के पहले ही, मौसी ने उन लोगों को देख लिया और उनके हमले से इसे बचाने के लिए वो खुद सामने आकर, उनके हमले का शिकार बन गयी.”
“मुझे इस हमले के पिछे कोई गहरी साजिश नज़र आ रही है और उस साजिश के तार मुंबई तक जुड़े होने का अंदेशा है. जिस वजह से ये केस मैं अपने तरीके से, अपने स्तर पर ही सुलझाना चाहती हूँ.”
वाणी दीदी की बात सुनकर, कमिशनर ने मुस्कुराते हुए कहा.
कमिशनर बोला “मेरी तरफ से आपको इस केस को सुलझाने की पूरी इजाज़त है. आज से, बल्कि अभी से, ये सब-इनस्पेक्टर और इसका इनस्पेक्टर दोनो आपके हाथ के नीचे काम करेगे और आपके किसी काम मे कोई दखल अंदाज़ी नही करेगे.”
कमिशनर की ये बात सुनकर, प्रीतम का छोटा चेहरा और भी छोटा हो गया.
अभी कमिशनर और वाणी दीदी की बातें चल ही रही थी कि, तभी 50-55 साल का एक रोबीला सा आदमी हमारे पास आ गया.
देखने मे वो भी पोलीस का कोई बड़ा ऑफीसर ही लग रहा था. लेकिन उसके साथ आए 3-4 आदमी मे से एक आदमी के चेहरे पर नज़र पड़ते ही, मैं थोड़ा चौंक गया. क्योकि ये पड़ोस वाले बंगलो के दो गन-मॅन मे से एक था. उस रोबीले आदमी को देखते ही कमिशनर ने हंसते हुए कहा.
कमिशनर बोला “आइए सक्सेना जी, मुझे तो लगता था कि, हम पोलीस वाले ही, हर जगह पर देर से पहुचते है. लेकिन आपको देख कर कहना पड़ेगा कि, आप सीआईडी वाले भी इस मामले मे हम से पिछे नही है.”
कमिशनर की इस बात से इतना तो पता चल गया था कि, सक्सेना जी सीआइडी के कोई ऑफीसर है और उस गन-मॅन को देख कर, मुझे ये भी समझ मे आ गया कि, ये ही सक्सेना जी हमारे पड़ोसी है.
क्योकि कीर्ति मुझे पहले ही बता चुकी थी कि, हमारे पड़ोस मे कोई सक्सेना जी आए है और उनकी छोटी लड़की अमि निमी के साथ खेलने आती है. इसके आगे ना तो, उसने कुछ बताया था और ना ही मैने कुछ जानने की कोसिस की थी.
सक्सेना जी ने आकर कमिशनर ने हाथ मिलाया और फिर उसकी बात का जबाब देते हुए कहा.
सक्सेना जी बोले “विभूति जी, आप अपनी पोलीस का मुकाबला हमारी सीआइडी से मत कीजिए. हमारी सीआइडी कितनी तेज है. इसका एक नमूना तो वाणी बेटी दिखा ही चुकी है और दूसरा नमूना वो आपको उस केस को सुलझा कर, दिखा देगी. जिसके लिए आपकी स्पेशल रिक्वेस्ट पर उसे यहाँ बुलाया गया है.”
“जब मैं पुणे मे था तो, वाणी मेरी टीम की सबसे काबिल ऑफीसर थी और मुझे पूरा यकीन है कि, ये आपके उस स्कूल स्टूडेंट भारती के गॅंग-रेप के केस को भी चुटकियों मे सुलझा देगी. जिसकी गुत्थी को सुलझाने मे आपकी पोलीस पूरी तरह से नाकाम रही है.”
सक्सेना जी की बात सुनकर, वाणी दीदी ने उन्हे उम्मीद बाँधते हुए कहा.
वाणी बोली “आप यकीन रखिए अंकल, मैं आपको इस बार भी निराश नही होने दूँगी.”
सक्सेना जी बोले “मुझे तुमसे ऐसी ही उम्मीद थी. मैं तुम्हारे इस काम के लिए तुम्हे अपने तीन काबिल ऑफीसर दे रहा हूँ. ये अनिरूद्ध, माणिक और निरंजन है. इसके अलावा आज हुए हमले को देखते हुए, मैं अपने गन-मॅन विश्वा को भी तुम्हारे घर की सुरक्षा के लिए लगा रहा हूँ.”
सक्सेना जी की बात सुनकर, वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.
वाणी बोली “अंकल आपके दोनो ही गन-मॅन बहुत निडर है. मुझे उन हमलावरों से लड़ते देख कर, दोनो ही फ़ौरन मेरी मदद के लिए पहुच गये थे. इनकी इस बहादुरी को मेरा सलाम है.”
वाणी दीदी के मूह से अपनी तारीफ सुनकर, गन-मॅन विश्वा ने उन से कहा.
विश्वा बोला “थॅंक्स मेडम, लेकिन आपके जाने के बाद, ये सब-इनस्पेक्टर साहब हमारे पास आए थे. हम ने इन्हे आपके बारे मे सब कुछ बता दिया था और ये भी कह दिया था कि, आपसे कुछ बात करने के पहले कमिशनर साहब से ज़रूर बात कर ले. लेकिन ये हम पर अपनी वर्दी का रोब झाड़ कर, आपसे पुछ ताछ करने यहाँ तक आ गये.”
विश्वा की बात सुनकर, प्रीतम गुस्से मे उसे खा जाने वाली नज़रों से घूर्ने लगा. लेकिन ये बात सुन कर उस से ज़्यादा गुस्सा कमिशनर को आ गया और उसने प्रीतम पर भड़कते हुए कहा.
कमिशनर बोला “तुम्हारी इस हरकत को देख कर, दिल तो कर रहा है कि, तुम्हे इस वक्त गोली मार दूं. मगर तेरी नज़र तो, मेरी वर्दी उतरवाने पर ही है और मैं तेरे इस सपने को कभी पूरा नही होने दूँगा. मैं तुझे अभी इसी वक्त नौकरी से बर्खास्त करता हूँ.”
कमिशनर की बात सुनते ही, प्रीतम के पिछे खड़े दोनो हवलदार, उसके पास से ऐसे दूर जाकर खड़े हो गये, जैसे कि यदि वो वहाँ खड़े रहे तो, बर्खास्त होने का अगला नंबर उन्ही का लग जाएगा.
लेकिन इस से भी बुरी हालत प्रीतम की हुई थी. नौकरी से बर्खास्त होने का नाम सुनते ही, उसका दिमाग़ हिल गया और उसने गिडगिडाते हुए, कमिशनर से कहा.
प्रीतम बोला “प्लीज़ सर ऐसा मत कीजिए, मेरी तीन बीबी और एक बच्चा है. यदि मैं नौकरी से बर्खास्त हो गया तो, उन सबका क्या होगा.”
प्रीतम के मूह से तीन बीबी होने वाली बात सुनकर, सब फ़टीफटी आँखों से उसे देखने लगे. सबकी हैरानी को देखते हुए, एक हवलदार ने आगे आकर कमिशनर से कहा.
हवलदार बोला “सर लगता है कि, बर्खास्त होने की बात सुनकर, प्रीतम साहब का दिमाग़ ठिकाने नही है. इसलिए ये ऐसी बहकी बहकी बात कर रहे है. इनकी तीन बीबी और एक बच्चा नही, बल्कि एक बीबी और तीन बच्चे है.”
उस हवलदार की बात सुनते ही हम सबकी हैरानी दूर हो गयी. वहीं वाणी दीदी ने कमिशनर से कहा.
वाणी बोली “सर, मुझे लगता है कि, इसकी इतनी सी ग़लती के लिए, ये बहुत बड़ी सज़ा है. यदि आप इसे सज़ा ही देना चाहते है तो, ऐसा कीजिए, कुछ दिन के लिए इसे मेरा ड्राइवर बना दीजिए. इस से इसकी अकल भी ठिकाने आ जाएगी और ये सही तरीके से काम करना भी सीख लेगा.”
कमिशनर बोला “ठीक है, आज से ये आपका ड्राइवर है. लेकिन यदि आज के बाद, मुझे इसकी कोई और शिकायत मिली तो, इसकी वर्दी जाने से कोई भी नही बचा पाएगा.”
ये बात सुनकर, प्रीतम सिर झुका कर खड़ा हो गया. उसे देख कर मेहुल ने धीरे से मुझसे कहा.
मेहुल बोला “अबे ये प्रीतम तो वाणी दीदी से भी तेज निकला. सब-इनस्पेक्टर बन कर आया था और यही खड़े खड़े ड्राइवर बन गया.”
ये कह कर, मेहुल मूह दबा कर हँसने लगा. मैने उसके पेट पर मुक्का मार कर, उसे चुप कराया और तभी ऑपरेशन थियेटर से वो दोनो डॉक्टर बाहर निकल आए. उन्हो ने हमारे पास आते हुए कहा.
हार्ट सर्जन बोला “देखिए, हम ने गोली निकालने की पूरी कोसिस की है. लेकिन हम गोली निकालने मे कामयाब नही हो पाए. ज़्यादा कोसिस करने पर गोली के फटने या फिर दिल की धड़कन रुकने का ख़तरा भी है.”
“इसलिए हमे ये ऑपरेशन रोकना पड़ गया है. हम जितना कर सकते थे, हम ने उतना कर दिया है. लेकिन अब स्तिथि हमारी पकड़ से बाहर है. इनके बचने का अब एक ही रास्ता है कि, इन्हे मुंबई ले जाकर किसी बड़े हार्ट सर्जन को दिखाया जाए.”
“लेकिन इनका हार्ट अभी खुला हुआ है और ऐसी हालत मे इन्हे मुंबई ले जा पाना संभव नही है. यदि आप कहे तो, मैं मुंबई से एक हार्ट सर्जन को यहाँ बुला सकता हूँ. मगर उनके यहाँ आने जाने मे आपका बहुत खर्चा आ जाएगा.”
डॉक्टर की बात सुनते ही, छोटी माँ ने डॉक्टर के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “डॉक्टर साहब, आप पैसों की चिंता मत कीजिए. आप जितना पैसा कहेगे, हम लगाने के लिए तैयार है. बस आप किसी भी तरह से हमारी मौसी को बचा लीजिए.”
डॉक्टर बोला “तब ठीक है. मैं अभी आपके सामने ही उनसे बात कर लेता हूँ.”
इतना कह कर, उस डॉक्टर ने मुंबई के किसी दूसरे हार्ट सर्जन को कॉल लगा दिया. उधर से कॉल उठते ही, उसने कहा.
डॉक्टर बोला “हेलो निशा जी.”
डॉक्टर के मूह से निशा नाम सुनते ही, मैने हैरानी से मेहुल की तरफ देखा. मेरी तरह मेहुल भी ये नाम सुनकर, चौक गया. पता नही, दूसरी तरफ से क्या कहा गया. जिसके जबाब मे डॉक्टर ने कहा.
डॉक्टर बोला “निशा जी, मैं कोलकाता से हार्ट सर्जन दीपेन्दु घोष बोल रहा हूँ.”
ये कहते हुए, वो यहाँ की सारी स्तिथि बताने लगा. लेकिन उसकी बात सुनकर, शायद वहाँ से भी अपनी कोई परेशानी बताई जा रही थी. जिसके जबाब मे डॉक्टर मरीज की गंभीर स्तिथि के बारे मे बता रहा था. ये सब देख कर, मैने थोड़ा परेशान होते हुए, डॉक्टर दीपेन्दु से कहा.
मैं बोला “क्या आप हार्ट सर्जन डॉक्टर. निशा खन्ना से बात कर रहे है.”
डॉक्टर बोला “नही, ये पीडिट्रिक आंड अडल्ट हार्ट सर्जन डॉक्टर. निशा मेहता है.”
ये सुनते ही, मैने फ़ौरन उसके हाथ से मोबाइल छीन लिया और अपने हाथ मे मोबाइल लेते हुए कहा.
मैं बोला “हेलो.”
मेरी आवाज़ सुनकर, दूसरी तरफ से कहा गया “हेलो कौन.”
मैं बोला “भाभी, मैं हूँ.”
निशा भाभी बोली “अरे हीरो, तू वहाँ क्या कर रहा है और तू इतना परेशान सा क्यो दिख रहा है. वहाँ सब ठीक तो है ना.”
उनकी बात सुनते ही, मेरी आँखें आँसुओ से भर गयी और मैने उनसे कहा.
मैं बोला “भाभी, वो क्या है, वो….”
लेकिन मैं कुछ कह नही पा रहा था और मेरी आवाज़ लड़खड़ा रही थी. ये देखते ही, मेहुल ने मेरे हाथ से मोबाइल ले लिया और निशा भाभी को यहाँ हुए हादसे की सारी बातें बताने लगा.
जिसे सुनते ही निशा भाभी ने मेहुल से डॉक्टर को फोन देने को कहा और फिर वो उसे कुछ ज़रूरी हिदायत देने लगी. उसके बाद डॉक्टर ने फोन रख कर, हम से कहा.
डॉक्टर बोला “डॉक्टर. निशा अभी एरपोर्ट पर ही है. वो सूरत जा रही थी, लेकिन अब अगली ही फ्लाइट से यहाँ आ रही है.”
ये बात सुनते ही, मुझे याद आया कि, एरपोर्ट पर तो इस समय सभी होंगे. कहीं निशा भाभी सबको ये बात ना बता दे. ये बात दिमाग़ मे आते ही, मैने फ़ौरन निशा भाभी को कॉल लगा दिया. मेरा कॉल उठाते ही, उन्हो ने कहा.
निशा भाभी बोली “तू बिल्कुल मत घबरा, हम अगली ही फ्लाइट से वहाँ आ रहे है.”
मैं बोला “नही भाभी, आप अभी ये बात वहाँ किसी को नही बताएगी. यदि आपने ये बात वहाँ बता दी तो, फिर शिखा दीदी लोग सूरत नही जा पाएगी. आप उन लोगों को सूरत जाने दीजिए. आप बस यहा आ जाइए.”
निशा भाभी बोली “तू ये कैसी बात कर रहा है. वो लोग सूरत बाद मे भी जा सकते है. अभी उनका सूरत जाने से ज़्यादा ज़रूरी तेरे पास आना है.”
मैं बोला “नही भाभी, आप अभी ये बात किसी को नही बताएगी. आज शिखा दीदी पहली बार अपनी ससुराल मे कदम रखने जा रही है और बहुत समय बाद, अज्जि का परिवार पूरा होने जा रहा है. मैं उनकी खुशियों मे खलल नही डाल ना चाहता हू.”
निशा भाभी बोली “तू समझता क्यो नही है. यदि मैने किसी को कुछ नही बताया तो, बाद मे सब मुझ पर बहुत नाराज़ होगे और ये बात उनको पता चलने से किसी की खुशियों मे कोई खलल नही पड़ेगा.”
मैं बोला “भाभी, मैं कुछ नही जानता. आप ये बात किसी को नही बताएगी तो, मतलब किसी को नही बताएगी. आपको मेरी कसम है.”
मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने हंसते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “तू सच मे शिखा का भाई है. वो भी हर छोटी बड़ी बात मे अपनी कसम देती रहती है और अब तू भी वैसा ही कर रहा है. चल मैं तेरी ये बात मान लेती हूँ. लेकिन अमन को तो मुझे ये बात बताना ही पड़ेगी.”
मैं बोला “हां, आप उनको ये बात बता सकती है. उनको ये बात बताने से मुझे कोई परेशानी नही है.”
फिर थोड़ी बहुत बात करके निशा भाभी ने कॉल रख दिया. शिखा दीदी लोगों के साथ, वो और सीरू दीदी लोग भी सूरत जा रही थी. लेकिन अब वो सूरत ना जाकर, अगली फ्लाइट से सीधे मेरे पास आ रही थी.
निशा भाभी का कॉल रखने के बाद, मैने छोटी माँ को वहाँ का पूरा हाल बताया. जिसे सुनने के बाद, छोटी माँ ने कहा.
छोटी माँ बोली “ये तूने बिल्कुल ठीक किया. शिखा पहली बार अपनी ससुराल मे कदम रखने जा रही थी. ऐसे मे उसके जाने मे अचानक रुकावट आ जाने से एक तरह का अपशकुन ही होता.”
इतना कह कर छोटी माँ मुझे दिलासा देने लगी. वाणी दीदी भी हमारे पास ही खड़ी हमारी बातें सुन रही थी. अचानक उन्हे कुछ याद आया और उन्हो ने प्रीतम से कहा.
वाणी बोली “मिस्टर. प्रीतम, उन दोनो मुजरिमो को आपने कहाँ छोड़ा है.”
प्रीतम बोला “जी, अभी तो मैं उनको इलाज करवाने इसी हॉस्पिटल मे लेकर आया हूँ.”
वाणी बोली “ठीक है, आप जाकर ज़रा उनको देख कर आइए और वापस आकर उनकी रिपोर्ट मुझे दीजिए.”
वाणी दीदी की ये बात सुनकर, प्रीतम जाने लगा. लेकिन वाणी ने उसे रोक कर गुस्से मे घूरते हुए कहा.
वाणी बोली “क्या आपको इतनी भी तमीज़ नही है कि, अपने से किसी बड़े ऑफीसर के पास से जाते समय क्या किया जाता है.”
वाणी दीदी की बात सुनते ही, प्रीतम सकपका गया. उसने फ़ौरन वाणी दीदी को सॉरी बोला और सल्यूट मारते हुए वहाँ से ऐसे सरपट भागा, जैसे उसके पिछे कोई भुतनी लग गयी हो.
उसके पिछे पिछे उसके दोनो हवलदार भी, गधे के सर से सींग की तरह गायब हो गये. उनके जाते ही, मेहुल ने धीरे से मेरे कान मे कहा.
मेहुल बोला “देखा तूने, प्रीतम ने वाणी दीदी को सल्यूट मारा या नही. अब तो वो वाणी दीदी का ड्राइवर भी बन गया है. अब मैं भी उसके साथ थोड़ा खेल लूँगा.”
हम लोग यहाँ आपस मे बात करने मे लगे थे और वहाँ वाणी दीदी अपने जूनियर को कुछ ज़रूरी बातें समझा रही थी. तभी प्रीतम वापस आकर उन्हे कुछ बताने लगा. जिसे सुनने के बाद, वाणी दीदी और बाकी लोग उनके साथ जाने लगे.
उन्हे जाते देख कर, मेहुल भी उनके साथ जाने लगा. मैने उसे रोकना चाहा. लेकिन उसने मेरी बात नही मानी और उन लोगों के साथ चला गया. मेहुल के जाते ही, निशा भाभी का कॉल आ गया.
निशा भाभी ने बताया कि शिखा दीदी लोग सूरत के लिए निकल गयी है और वो 12 बजे की फ्लाइट से हमारे यहाँ आ रही है. उनसे बात करने के बाद, मैने ये बात छोटी माँ को बताई.
निशा भाभी के आने की बात सुनकर, छोटी माँ ने मुझसे उनको एरपोर्ट लेकर आने की बात जताई और फिर वो इस हादसे की खबर पापा को देने के लिए कॉल लगाने लगी. लेकिन मैने उनको ऐसा करने से रोकते हुए कहा.
मैं बोला “जब पापा मुंबई मे थे और निमी की तबीयत खराब हुई थी. क्या तब आपने उन्हे निमी की तबीयत की खबर दी थी.”
छोटी माँ बोली “हाँ, उसकी तुमसे बात नही हो पाई थी. इसलिए मैने उसकी तुम्हारे पापा से बात करवा दी थी.”
मैं बोला “लेकिन ये बात जानते हुए भी, वो मुंबई मे आराम से रिया लोगों के साथ पार्टी कर रहे थे और मुझे रिया लोगों से झूठ कहना पड़ा था कि, आपने ये बात पापा को नही बताई होगी.”
“अब आप खुद ही सोचिए कि, जब उन्हे निमी की तबीयत से कोई फरक नही पड़ा था तो, फिर उन्हे चंदा मौसी की तबीयत से क्या फरक पड़ेगा. आपको यदि ये बात किसी को बताना ही है तो, रिचा आंटी और अनु मौसी को बताइए. वो सुनते ही, यहाँ भागी चली आएगी.”
छोटी माँ बोली “उनको कीर्ति ने ये बात बता दी है और वो लोग यहाँ के लिए निकल चुकी है. लेकिन तेरे पापा को भी ये बात बताना ज़रूरी है.”
मैं बोला “नही, पापा को ये बात बताने की कोई ज़रूरत नही है. उनको उनके हाल पर खुश रहने दीजिए. वैसे भी चंदा मौसी को पापा की नही, बल्कि एक अच्छे डॉक्टर की ज़रूरत है और इसके लिए निशा भाभी यहाँ आ रही है.”
लेकिन छोटी माँ ने मुझे समझाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “देख, ऐसा नही कहते. वो घर के बड़े है और उन्हे इस बात की खबर होना ज़रूरी है.”
छोटी माँ की इस बात को सुनकर, मैने गुस्से मे भन्नाते हुए कहा.
मैं बोला “वो घर के बड़े है तो, उन्हे घर मे ही रहने दीजिए. उनको यहाँ आने की कोई ज़रूरत नही है. यहाँ मेरी भाभी आ रही है और मैं नही चाहता कि, मेरे बाप की गंदी नज़र मेरी भाभी या मेरी बहनो पर पड़े.”
मेरी बात सुनकर छोटी माँ सन्न रह गयी. पापा के लिए मेरी नफ़रत कोई नयी बात नही थी. मगर आज मेरी आँखों मे, पापा के लिए नफ़रत के साथ साथ, एक गुस्सा भी नज़र आ रहा था. जिसकी वजह वो चाह कर भी, समझ नही पा रही थी.
कीर्ति हम लोगों से कुछ ही दूरी पर अमि निमी के साथ बैठी थी. उसने जब किसी बात पर मुझे, छोटी माँ से बहस करते देखा तो, वो अमि निमी के पास से उठ कर हमारे पास आ गयी.
वो चुप चाप हमारे पास खड़ी होकर, मेरी और छोटी माँ की बातों को सुन रही थी. लेकिन जैसे ही उसने मुझे छोटी माँ से ये बात कहते सुना तो, वो फ़ौरन मेरा हाथ पकड़ कर, मुझे खिचते हुए, छोटी माँ से दूर ले आई.
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