RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मैं बोला “नही, पापा को ये बात बताने की कोई ज़रूरत नही है. उनको उनके हाल पर खुश रहने दीजिए. वैसे भी चंदा मौसी को पापा की नही, बल्कि एक अच्छे डॉक्टर की ज़रूरत है और इसके लिए निशा भाभी यहाँ आ रही है.”
लेकिन छोटी माँ ने मुझसे समझाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “देख, ऐसा नही कहते. वो घर के बड़े है और उन्हे इस बात की खबर होना ज़रूरी है.”
छोटी माँ की इस बात को सुनकर, मैने गुस्से मे भन्नाते हुए कहा.
मैं बोला “वो घर के बड़े है तो, उन्हे घर मे ही रहने दीजिए. उनको यहाँ आने की कोई ज़रूरत नही है. यहाँ मेरी भाभी आ रही है और मैं नही चाहता कि, मेरे बाप की गंदी नज़र मेरी भाभी या मेरी बहनो पर पड़े.”
मेरी बात सुनकर छोटी माँ सन्न रह गयी. पापा के लिए मेरी नफ़रत कोई नयी बात नही थी. मगर आज मेरी आँखों मे, पापा के लिए नफ़रत के साथ साथ, एक गुस्सा भी नज़र आ रहा था. जिसकी वजह वो चाह कर भी, समझ नही पा रही थी.
कीर्ति हम लोगों से कुछ ही दूरी पर अमि निमी के साथ बैठी थी. उसने जब किसी बात पर मुझे, छोटी माँ से बहस करते देखा तो, वो अमि निमी के पास से उठ कर हमारे पास आ गयी.
वो चुप चाप हमारे पास खड़ी होकर, मेरी और छोटी माँ की बातों को सुन रही थी. लेकिन जैसे ही उसने मुझे छोटी माँ से ये बात कहते सुना तो, वो फ़ौरन मेरा हाथ पकड़ कर, मुझे खिचते हुए, छोटी माँ से दूर ले आई और मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.
कीर्ति बोली “तुम्हारे मूह मे लगाम है या नही. जो भी मूह मे आता है, बकते चले जाते हो. जानते भी हो कि, तुम मौसी से क्या बोल रहे थे.”
कीर्ति की इस बात पर, मैने उल्टे उस से ही सवाल करते हुए कहा.
मैं बोला “तू तो सब कुछ जानती है. फिर भी तुझे मेरा बोलना ग़लत लग रहा है. तू ही बता कि, मैने क्या ग़लत बोला है.”
कीर्ति बोली “ना तो मैं तुमको ग़लत बोल रही हूँ और ना ही तुमने कुछ ग़लत बोला है. लेकिन तुम्हे ये तो सोचना चाहिए कि, तुम किस से क्या बोल रहे हो. लेकिन अब मैं तुमसे पूछती हूँ कि, जिन बातों की वजह से, तुम मौसा जी पर इतना गुस्सा कर रहे थे. क्या तुम वो बातें मौसी को बताने की हिम्मत रखते हो.”
कीर्ति की बात सुनकर, मैं चुप होकर रह गया. उसका कहना ज़रा भी ग़लत नही था. मैं चाह कर भी वो सब बातें छोटी माँ को नही बता कर, उन्हे दुख नही पहुचा सकता था. मुझे चुप देख कर कीर्ति ने मुझे समझाते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मैं तुम्हारे दर्द को समझ सकती हूँ. तुम कहीं भी ग़लत नही हो. लेकिन तुम्हे अपना ये गुस्सा अपने दिल मे ही दबा कर रखना होगा. इसी मे हम सबकी भलाई है.”
कीर्ति की इस बात को सुनकर, मैने उसे यकीन दिलाया कि, अब मैं ऐसी ग़लती दोबारा नही करूगा. अभी मेरी कीर्ति से बात चल ही रही थी की, तभी अनुराधा मौसी, रिचा आंटी और मोहिनी आंटी आ गयी.
वो आते ही छोटी माँ से चंदा मौसी की हालत पुछ्ने लगी. उन्हे देख कर, मैं और कीर्ति भी उनके पास आ गये और मैने रिचा आंटी से कहा.
मैं बोला “आप और मेहुल यहाँ है तो, फिर अंकल के पास कौन है.”
रिचा आंटी बोली “हम कमल और नितिका को उनके पास छोड़ कर आए है. लेकिन मेहुल कहाँ है. क्या वो कहीं गया है.”
मैं बोला “नही, वो भी यही है. अभी वो वाणी दीदी के साथ है.”
इसके बाद कीर्ति रिचा आंटी लोगों से बात करने लगी. तभी मुझे मेहुल आते हुए दिखा. वो भागते हुए आया और हम से कुछ दूरी पर खड़े होकर हाफने लगा. उसे देख कर, मैं उसके पास आ गया और उसे हान्फ्ते देख कर, मैने उस से कहा.
मैं बोला “अबे तुझे क्या हुआ. तू इतना हाँफ क्यो रहा है.”
मेहुल बोला “कुछ मत पुछ. वाणी दीदी ने एक को और टपका दिया.”
मैं बोला “अबे सॉफ सॉफ बोल, क्या हुआ.”
मेहुल बोला “वो वाणी दीदी ने जिन दो लोगों को पकड़ा था. उनमे से एक ने माणिक नाम के ऑफीसर की गन छीन ली और प्रीतम की कनपटी पर रख कर, वहाँ से भागने की कोसिस करने लगा. मगर उसके वहाँ से भाग पाने के पहले ही, वाणी दीदी की रेवोल्वेर से निकली गोली ने उसका भेजा उड़ा दिया.”
“लेकिन उस समय उसकी खोपड़ी और प्रीतम की खोपड़ी इतनी पास थी कि, यदि वाणी दीदी का निशाना ज़रा भी चुकता तो, उसकी जगह प्रीतम का ही भेजा उड़ जाता. बस इसी दहशत मे प्रीतम की पॅंट गीली हो गयी.”
इतना बोल कर, मेहुल पेट पकड़ कर हँसने लगा. लेकिन उसकी इस हरकत पर मैने उस पर भड़कते हुए कहा.
मैं बोला “वहाँ वाणी दीदी ने एक को हमेशा के लिए सुला दिया और तुझे हँसी आ रही है.”
मेहुल बोला “वाणी दीदी ने तो पहले ही कह दिया था कि, उन्हो ने दो को मार गिराया है. इसलिए उन मे से एक का मरना तो उसी समय पक्का हो गया था. मुझे तो उस प्रीतम की हालत पर हँसी आ रही है.”
मैं बोला “अब तू प्रीतम पर बाद मे हंस लेना. अभी जाकर वाणी दीदी से बोल कि, 1:30 बजे की फ्लाइट से निशा भाभी आ रही है और उनको लेने के लिए वाणी दीदी को हमारे साथ एरपोर्ट चलना है.”
मेरी बात सुनकर, मेहुल वाणी दीदी के पास चला गया. कुछ देर बाद, वो प्रीतम के साथ वापस आते दिखा. उसके मेरे पास आने पर, मैने उस से कहा.
मैं बोला “क्या हुआ, वाणी दीदी ने क्या कहा. क्या वो हमारे साथ नही चल रही है.”
मेहुल बोला “नही, वो अभी उस मुजरिम से पुछ ताछ कर रही है. उन्हो ने हमारे साथ जाने के लिए इनको भेजा है.”
इतना बोल कर, मेहुल दबी मुस्कान मे मुस्कुराने लगा. वाणी दीदी ने उसे खेलने के लिए प्रीतम नाम का खिलोना दे दिया था. जिसके वो मज़े लिए जा रहा था. मैं उसको प्रीतम के पास ही छोड़ कर छोटी माँ के पास आ गया.
मैने छोटी माँ को अपने एरपोर्ट जाने की बात जताई और फिर मैं मेहुल के साथ एरपोर्ट के लिए निकल गया. मेहुल प्रीतम के साथ आगे की सीट पर बैठा था और मैं पिछे की सीट पर बैठा था.
वो पूरे रास्ते भर, प्रीतम को वाणी दीदी के किस्से सुना सुना कर डराता रहा. प्रीतम उसे बीच बीच मे गुस्से मे घूर कर देखता. लेकिन वाणी दीदी की वजह से वो मेहुल को कुछ बोल नही पा रहा था.
ऐसे ही मेहुल की बक-बक सुनते सुनते हम लोग एरपोर्ट पहुच गये. प्रीतम को गाड़ी के पास ही छोड़ कर हम दोनो अंदर पहुच गये. प्रीतम से दूर होते ही, मैने मेहुल से कहा.
मैं बोला “तू उसे ज़्यादा परेशान मत कर, वरना वाणी दीदी के जाते ही, वो तुझसे गिन गिन कर बदले लेगा.”
मेहुल बोला “तू उसकी फिकर क्यो करता है. वाणी दीदी के यहाँ से जाने के बाद भी, उसके दिल दिमाग़ से वाणी दीदी का ख़ौफ़ नही निकल पाएगा. वो चाहते हुए भी मुझसे पंगा लेने की ग़लती नही करेगा.”
मेहुल की बात सुनकर, मैं उसे समझाने लगा और वो मुझे समझाने लगा. इसी बीच निशा भाभी की फ्लाइट भी आ गयी. मुझे लगा था कि, वो अकेली आएगी. लेकिन उनके साथ, बरखा दीदी को भी देख कर, मेरी खुशी दुगनी हो गयी.
मगर साथ ही साथ इस बात को भी लेकर, परेशान हो गया कि, बरखा दीदी के अलावा ये बात किस किस को पता चली है. मैं इसी सोच मे गुम था की, निशा भाभी ने आकर, मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “हे हीरो, ये तुम किस सोच मे खो गये. बरखा को देख कर, कहीं ये तो नही सोचने लगे कि, बरखा को मैने कुछ बताया है. मैने बरखा को कुछ भी नही बताया.”
“मैने ये बात सिर्फ़ अमन को बताई थी. अमन ने ये सोच कर, ये सोच कर बरखा को बता दी कि, शिखा को ये बात पता चलते ही वो घबराने लगी. लेकिन बरखा के यहाँ होने पर उसे कुछ तसल्ली रहेगी.”
निशा भाभी की ये बात सुनते ही, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मैं खुशी खुशी बरखा दीदी से मिला और फिर बरखा दीदी और निशा भाभी को लेकर, एरपोर्ट से बाहर आ गया.
हम जैसे ही अपनी कार के पास पहुचे, वहाँ एक एसआइ को देख कर, बरखा दीदी और निशा भाभी दोनो चौक गये. लेकिन किसी ने कुछ कहा नही. मेहुल आगे जाकर प्रीतम के पास बैठ गया.
मैं पिछे की सीट पर बरखा दीदी और निशा भाभी के साथ बैठ गया. हमारी कार के आगे बढ़ते ही निशा भाभी ने मुझसे कहा.
निशा भाभी बोली “ये कार तो नयी लग रही है. ये पोलीस की कार नही लगती.”
मैं बोला “नही भाभी, ये पोलीस की कार नही है. ये छोटी माँ की कार है. आप जब भी आएगी, आपको उनकी कार नयी ही मिलेगी.”
निशा भाभी बोली “वो क्यो.?”
मैं बोला “वो इसलिए, क्योकि छोटी माँ को नयी कार का शौक है. वो कुछ ही दिन मे अपनी कार बदल देती है.”
मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने हंसते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “उनकी भी आदत सीरू की तरह है.”
मैं बोला “क्या मतलब, क्या सीरू दीदी को भी नयी कार का शौक है.”
निशा भाभी बोली “हां, सीरू को नयी कार का बहुत शौक है. लेकिन अमन के सामने उसकी चल नही पाती है. इसलिए उसे जब भी नयी कार चाहिए रहती है. वो आरू को अज्जि के सामने खड़ी कर देती है.”
निशा भाभी की ये बात सुनकर, मुझे आरू कि BMW कार ले लेने वाली बात याद आ गयी और मैं वो ही बात निशा भाभी को बताने लगा. जिसे सुनकर, वो भी हँसने लगी. फिर उन्हो ने प्रीतम के बार मे पुछ्ते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “क्या ये एसआइ तुम्हारा कोई रिश्तेदार है.”
मैं बोला “नही भाभी, ये मेरी दीदी के आसिटेंट है. दीदी किसी काम मे फसि होने की वजह से आपको लेने नही आ पा रही थी. इसलिए उन्हो ने आपको लेने इन्हे भेजा है.”
ये कह कर, मैं उन्हे वाणी दीदी के बारे मे बताने लगा. ऐसे ही बात करते करते, हम हॉस्पिटल पहुच गये. हॉस्पिटल पहुच कर, निशा भाभी और बरखा दीदी छोटी माँ से मिलने लगी.
निशा भाभी के हॉस्पिटल मे पहुचने की, खबर मिलते ही, डॉक्टर की एक टीम उनके पास आ गयी और वो उन्हे चंदा मौसी की हालत के बारे मे बताने लगी. जिसके बाद, निशा भाभी उनके साथ चंदा मौसी को देखने चली गयी.
छोटी माँ सबको बरखा दीदी से मिलने लगी. लेकिन जैसे ही बरखा दीदी ने कीर्ति को देखा तो, हैरानी से बस देखती रह गयी. कीर्ति ने उन्हे हैरान देख कर, मुस्कुराते हुए कहा.
कीर्ति बोली “दीदी, ऐसे क्या देख रही है. मैं निक्की नही, बल्कि पुनीत की मौसी की लड़की कीर्ति हूँ. मेरी शकल बस निक्की से मिलती है.”
कीर्ति की बात सुनकर, बरखा दीदी ने मुस्कुराते हुए उसे गले से लगा लिया. इसके बाद वो अमि निमी से मिलने लगी. बरखा दीदी का सबसे मिलना जुलना हो चुका था. लेकिन निशा भाभी अभी तक चंदा मौसी के पास से वापस नही आई थी.
तभी एक नर्स हमारे पास आकर, हम से ओ+ (ओ पॉज़िटिव) ब्लड का इंतेजाम करने को कहने लगी. इत्तेफ़ाक से मेहुल का ब्लड ग्रूप ओ+ (ओ पॉज़िटिव) ही था. वो फ़ौरन ब्लड देने के लिए तैयार हो गया.
हम ने नर्स से निशा भाभी के बारे मे पुछा तो, उसने बताया कि, अंदर चंदा मौसी के ऑपरेशन की तैयारी चल रही है और डॉक्टर. निशा साथी डॉक्टर को कुछ ज़रूरी हिदायत दे रही है. वो शायद अब ऑपरेशन के बाद ही बाहर आएगी.
इतना कह कर वो मेहुल को ब्लड के लिए लेकर चली गयी. तभी वाणी दीदी अपने बाकी साथियों और उस मुजरिम के साथ आ गयी. उन्हो ने आते ही छोटी माँ ने कहा.
वाणी बोली “मौसी, मैं कुछ ज़रूरी काम से जा रही हूँ. लेकिन जब तक मैं वापस नही आ जाती, तब तक आप या पुन्नू दोनो मे से कोई यहाँ से बाहर नही निकलेगा. यदि आपको यहाँ कोई भी परेशानी हो तो, आप मुझे कॉल कर दीजिएगा.”
वाणी दीदी की बात सुनकर, छोटी माँ ने कुछ परेशान होते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “वाणी बेटा, तुम ऐसा क्यो कह रही हो. क्या अभी भी किसी बात का ख़तरा है.”
वाणी बोली “मौसी, किसी को कोई ख़तरा नही है. मैं सिर्फ़ आपकी सुरक्षा को ध्यान मे रख कर, ये बात कह रही हूँ. आप किसी बात की कोई फिकर मत कीजिए. मैं हूँ ना.”
छोटी माँ से इतना कहने के बाद, उन्हो ने प्रीतम से कहा.
वाणी बोली “मिस्टर. प्रीतम, मुझे वापस आने मे कुछ ज़्यादा समय लग सकता है. मेरी गैर मौजूदगी मे, आप पूरी मुस्तैदी से मेरे परिवार का ख़याल रखेगे और मुझसे बिना पुछे मीडीया को कोई बयान जारी नही करेगे.”
“यदि इन मे से किसी को कहीं आना जाना हो तो, आप खुद उसे लेकर जाएगे. आपके साथ विश्वा भी यही रहेगा. मैं अपने परिवार की तरफ से कोई भी लापरवाही सहन नही करूगी. इस बात को अच्छे से याद रखिएगा.
इतना कह कर, वाणी दीदी जाने लगी. लेकिन फिर अचानक ही उन्हे कुछ याद आया और उन्हो ने वापस पलट कर, प्रीतम से कहा.
वाणी बोली “मिस्टर. प्रीतम, मेरे बारे मे एक बात अच्छे से जान लीजिए. मैं समुंदर मे उतरने के पहले ही उसकी गहराई नाप लेती हूँ. मैं सिर्फ़ मुजरिमो की ही नही, बल्कि अपने साथ काम करने वालों की भी पूरी जानकारी रखती हूँ.”
“आप क्या है और क्या नही है. ये बात भी मुझसे छुपि नही है. मैं आपको अपनी ग़लतियाँ सुधारने के एक मौका दे रही हूँ. लेकिन इसके बाद भी यदि आप कोई ग़लती करते है तो, फिर आपके लिए मुझसे बुरा कोई नही होगा.”
प्रीतम को इतनी चेतावनी देने के बाद, वाणी दीदी अपने साथियों और उस मुजरिम के साथ चली गयी. लेकिन वाणी दीदी की बात सुनकर, प्रीतम के पसीने छूट गये थे. शायद उसकी किसी ग़लती को वाणी दीदी ने पकड़ लिया था.
उस समय वाणी दीदी कुछ तनाव मे थी. इसलिए उन्हो ने बरखा दीदी की तरफ कोई ध्यान नही दिया था. मगर बरखा दीदी उनको गौर से देख रही थी. उनके हमारे पास से जाते ही बरखा दीदी ने कहा.
बरखा बोली “क्या ये ही तुम्हारी वाणी दीदी है.”
मैं बोला “जी दीदी.”
बरखा बोली “लेकिन, ये तो बिल्कुल छुयि मुई सी दिखती है. तुम तो कहते थे कि, ये बहुत ख़तरनाक है.”
इस से पहले कि, मैं बरखा दीदी की इस बात का कोई जबाब दे पता, मेहुल हमारे पास आ गया. उसने बरखा दीदी की इस बात का जबाब देते हुए कहा.
मेहुल बोला “दीदी, आप उनके छुई मुई वाले रूप पर मत जाइए. आपकी तरह गुस्सा उनकी नाक पर ही बैठा रहता है. आप दोनो मे फरक सिर्फ़ इतना है कि, आप हम लोगों पर रहम कर लेती हो और वो हम लोगों पर भी रहम नही करती.”
कीर्ति ने भी मेहुल की बात का समर्थन किया और वो बरखा दीदी को वाणी दीदी के बारे मे बताने लगी. जिसे सुनकर, बरखा दीदी भी हँसे बिना ना रह सकी. उन से बात करते करते, हमे समय का पता ही नही चला और 4 बज गये.
तभी हमे निशा भाभी आती हुई दिखाई दी. उनके चेहरे की मुस्कुराहट देख कर पता चल रहा था कि, सब कुछ ठीक है. उन्हो ने मुस्कुराते हुए छोटी माँ के पास आकर कहा.
निशा भाभी बोली “आंटी, अब आपको फिकर करने की कोई ज़रूरत नही है. उनके हार्ट से गोली निकल चुकी है और अब वो ख़तरे से बाहर है. बस कुछ दिन के आराम के बाद, वो फिर से पहले की तरह हो जाएगी.”
निशा भाभी की बात सुनकर, हम सबके चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. हम लोग निशा भाभी से बात करने मे लगे थे और अमि निमी वहीं बैठी टीवी देख रही थी. तभी अमि ने छोटी माँ को पुकारा.
उसकी आवाज़ सुनते ही, छोटी माँ के साथ साथ हम सबका ध्यान भी अमि निमी की तरफ चला गया. हमारे उनकी तरफ देखते ही, अमि ने कहा.
अमि बोली “मम्मी, ये देखिए, टीवी मे वाणी दीदी का फोटो दिखा रहे है.”
अमि निमी की बात सुनकर, हम सब अमि निमी के पास आ गये और टीवी देखने लगे. टीवी मे इस समय न्यूज़ आ रही थी. जिसमे वाणी दीदी का फोटो दिखा रहे थे और अब तक के उनके कारनामे बता रहे थे. फिर न्यूज़ रीडर ने आज हुई घटना के बारे मे बताते हुए कहा.
न्यूज़ रीडर “आज भी हमारे शहर की सुबह की सुरुआत हमेशा की तरह अपराधियों के अपराध करने से ही सुरू हुई थी. लेकिन आज की सुबह मे अपराध के अलावा भी बहुत कुछ खास शामिल था और वो था, अपराधियों को उनके अपराध का मूह तोड़ जबाब देना.”
“पोलीस सूत्रों से ग्यात हुआ है कि, आज सुबह माफ़िया सरगना गौरंगा के आदमियों द्वारा कोलकाता के मशहूर उद्योगपति अमरनाथ रॉय के एक्लोते बेटे पुनीत रॉय पर जान लेवा हमला किया गया. जिसकी शिकार एक महिला हो गयी.”
“इस से पहले की अपराधी अपने मंसूबों को अंजाम दे पाते, पुणे की मशहूर सीआइडी ऑफीसर वाणी रॉय ने 3 मे से 2 अपराधियों को मौका-ए-वार्दाद पर ही मार गिराया और एक को घायल कर दिया. जिसे इलाज के बाद, पोलीस हिरासत मे रखा गया है.”
“पुनीत रॉय, सीआइडी ऑफीसर वाणी रॉय के कज़िन है. वाणी रॉय का इस समय शहर मे होना कोई इत्तेफ़ाक नही था. बताया जाता है कि, पोलीस कमिशनर की स्पेशल रिक्वेस्ट पर सरकार द्वारा वाणी रॉय को स्कूल स्टूडेंट भारती के गॅंग-रेप की गुत्थी सुलझाने के लिए भेजा गया है.”
“लेकिन उनके भाई पर किए गये हमले का केस भी उन्ही को सौंप दिए जाने का ख़ामियाजा माफ़िया सरगना गौरंगा को भोगना पड़ गया. वाणी रॉय ने पिच्छले 3 घंटो मे गौरंगा के 8 ठिकानों पर ताबड तोड़ छापा मार कार्यवाही करते हुए, गौरन्गा सहित उसके सौ से भी ज़्यादा आदमियों को गिरफ्तार किया है.”
“इस हमले मे घायल हुई महिला की हालत के बारे मे मीडीया कोई जानकारी नही दी जा रही है और ना ही मीडीया को हॉस्पिटल के अंदर जाने दिया जा रहा है. आइए हम हॉस्पिटल चल कर, वहाँ का ताज़ा हाल लेते है.”
इसके बाद, हॉस्पिटल के बाहर का नज़ारा दिखाया जाने लगा. लेकिन हॉस्पिटल के बाहर का नज़ारा देखते ही, हम सब चौक गये. हॉस्पिटल के बाहर का नज़ारा तो एक-दम पोलीस की छावनी की तरह का नज़र आ रहा था.
हॉस्पिटल के बाहर बहुत सारा पोलीस बल था. जो मीडीया वालों और किसी भी संदिग्ध आदमी को हॉस्पिटल के अंदर नही आने दे रहा था. ये सब नज़ारा दिखाने के बाद, कॅमरा एक महिला पत्रकार के उपर आकर रुक गया और उसने अपनी रिपोर्ट देते हुए कहा.
महिला पत्रकार “जैसा कि आप देख रहे है कि, हॉस्पिटल के बाहर का नज़ारा किसी पोलीस छावनी की तरह का नज़र आ रहा है और हॉस्पिटल के अंदर मीडीया वालों या किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को नही जाने दिया जा रहा है.”
“बताया जाता है कि, ऐसा सिर्फ़ माफ़िया सरगना गौरन्गा की गिरफ्तारी को ध्यान मे रख कर किया जा रहा है. हमले मे घायल महिला का नाम चंदा सिंग बताया जा रहा है और उसकी हालत ही बहुत गंभीर बनी हुई है.”
“चंदा सिंग को दो गोलियाँ लगी थी. जिनमे से एक गोली अभी भी उनके हार्ट मे धँसी हुई है. जिसे निकालने मे यहाँ के डॉक्टर पूरी तरह से नाकाम रहे और इसके लिए मुंबई की मशहूर पीडिट्रिक आंड अडल्ट हार्ट सर्जन डॉक्टर. निशा मेहता को बुलाया गया है.”
“उद्योगपति अमरनाथ रॉय के पड़ोसियों से पता चला है कि, चंदा सिंग उनके घर मे काम करने वाली एक मामूली सी नौकरानी है. जिसकी जान बचाने के लिए उद्योगपति अमरनाथ रॉय की पत्नी, सुनीता रॉय पानी की तरह पैसे बहा रही है और डॉक्टर. निशा मेहता को भी इसके लिए मूह माँगे पैसे दिए जा रहे है.”
उस महिला पत्रकार की आख़िरी बात सुनते ही, मुझे गुस्सा आ गया और मैने गुस्से मे टीवी बंद कर दिया. लेकिन निशा भाभी ने फिर से टीवी चालू करते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “इन मीडीया वालों की बातों पर ज़्यादा ध्यान मत दिया करो. हर खबर को मिर्च मसाला लगा कर दिखाना इनकी आदत है.”
मैं बोला “लेकिन भाभी, ये तो आधा सच और आधा झूठ दिखा रहे है.”
निशा भाभी बोली “यदि ये सब सच सच दिखाएगे तो, फिर इनकी खबर को देखेगा कौन. तुम एक बहुत बड़े उद्योगपति के बेटे हो और तुम्हे आगे चल कर भी बहुत बार इन सब बातों का सामना करना पड़ेगा. इसलिए तुम्हे अभी से इन सब बातों की आदत डाल लेनी चाहिए.”
तभी फिर से कॅमरा वापस न्यूज़ सेंटर की न्यूज़ रीडर पर आ गया और उसने आगे कहा.
न्यूज़ रीडर “अभी आपने हॉस्पिटल के बाहर का ताज़ा हाल देखा. अब हम आपको पोलीस कमिशनर ऑफीस ले चलते है. जहाँ इस समय मीडीया से वार्ता करने के लिए, पोलीस कमिशनर, सी.आइ.डी. के डीएसपी मिस्टर. सक्सेना और सीआइडी ऑफीसर वाणी रॉय सहित अन्य पोलीस ऑफीसर उपस्तिथ है.”
इसके बाद टीवी पर पोलीस कमिशनर ऑफीस का दृश्य दिखाई देने लगा और वहाँ वाणी दीदी भी दिखाई दे रही थी. वाणी दीदी के दिखाई देते ही, निमी ने वाणी दीदी का नाम लेते हुए, तालियाँ बजाना सुरू कर दिया.
निमी की इस हरकत पर छोटी माँ ने उसे गुस्से मे आँख दिखाई तो, वो फिर से चुप चाप बैठ कर टीवी देखने लगी. तभी एक पत्रकार ने वाणी दीदी से पुछा.
पहला पत्रकार “मिस वाणी, आपने माफ़िया सरगना गुरांगा के सिर्फ़ 4 ठिकानो पर छापा मारे जाने की सूचना मीडीया को दी थी, जबकि आपके द्वारा 8 ठिकानो पर छापा मारा गया है. क्या आपका इस तरह से मीडीया को गुमराह करना, देश की जनता के साथ धोका नही है.”
पहले पत्रकार के सवाल के जबाब मे वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “अभी तक सीआईडी की तरफ से मीडीया को कोई सूचना या बयान जारी नही किया गया है. वो सूचना पोलीस की तरफ से जारी की गयी थी और उसकी सीआईडी को कोई जानकारी नही है.”
“लेकिन देश की जनता के लिए ये चौकाने वाली बात ज़रूर है कि, जिन 4 जगह पर पोलीस ने मीडीया को सूचित करके छापे मारने की कार्यवाही की थी. उन 4 जगह पर पोलीस एक दर्जन से भी कम अपराधियों को पकड़ने मे कामयाब हो पाई.”
“जबकि जिन ठिकानो पर सीआइडी ने मीडीया को बिना सूचित किए छापे मारे थे, उनमे हम 100 से भी ज़्यादा अपराधियों को पकड़ने मे सफल हुए है. कहीं इसका ये मतलब तो नही कि, अपराधियों और मीडीया के बीच मे पहले से ही सान्ठ गाँठ थी, जिस वजह से पोलीस उन जगह पर अपराधियों को पकड़ने मे कामयाब नही हो सकी.”
वाणी दीदी की ये बात सुनते ही एक दूसरे पत्रकार ने उन पर भड़कते हुए कहा.
दूसरा पत्रकार “मिस वाणी, आप ये मत भूलिए कि, ये कार्यक्रम देश की सारी जनता देख रही है और आप देश की जनता के सामने हम पत्रकारों की निष्ठा पर शक़ करके और हम पर ऐसा बेबुनियाद इलज़ाम लगा कर, हम पत्रकारों को ही नही, बल्कि देश की जनता को भी नाराज़ करके, अपने लिए मुसीबत मोल ले रही है.”
उस पत्रकार की बात सुनकर, वाणी दीदी ने आश्चर्या चकित होने का नाटक करते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “ये तो आप पत्रकारों की दोगली नीति ही है. आप यदि सीआइडी पर बिना किसी सबूत के देश की जनता को गुमराह करने का इल्ज़ाम लगाए तो, वो ग़लत नही है. लेकिन यदि मैने कोई ठोस वजह बताते हुए, आपके सामने अपना सवाल रखा तो, वो मेरे लिए देश की जनता और आप पत्रकारों की नाराज़गी का सबब बन रहा है.”
वाणी दीदी की ये बात सुनते ही एक तीसरा पत्रकार बोल उठा.
तीसरा पत्रकार “मिस वाणी, आप शायद भूल रही है कि, हम पत्रकार देश की जनता की आवाज़ है और देश की जनता ही आपसे ये सवाल देश की जनता पुछ्ना चाहती है.”
वाणी दीदी बोली “मैं देश की जनता के हर सवाल का जबाब देने के लिए तैयार हूँ. लेकिन हमारी मीडीया ने पोलीस की द्वारा की जा रही पल पल की कार्यवाही और पोलीस द्वारा उठाए जाने वाले अगले कदम का जो प्रसारण किया है.”
“उस प्रसारण को देश की आम जनता के साथ साथ, उन अपराधियों ने भी देखा. जिस वजह से वो पोलीस के आने से पहले ही, सावधान हो गये और वहाँ से भाग निकले. जबकि जिस जगह पर सीआइडी ने छापे मारे, उस से अपराधी अंजान थे और सीआइडी को इतनी बड़ी सफलता मिली.”
“मैं आप पत्रकारों से पुछ्ना चाहती हूँ कि, आप लोगों ने अपनी न्यूज़ मे पोलीस द्वारा की जा रही कार्यवाही और पोलीस द्वारा उठाए जाने वाले अगले कदम को दिखाने के पहले, क्या एक पल के लिए भी इस बात को सोचना ज़रूरी समझा कि, इस न्यूज़ को देश की आम जनता के साथ साथ, वो अपराधी भी देख रहे होगे.”
“क्या मीडीया की ये नैतिक जबाब्दारी बनती थी कि, वो अपने प्रसारण मे ऐसी कोई भी चीज़ ना दिखाए, जिस से पोलीस के काम पर असर पड़े और वो अपराधियों के लिए मददगार साबित हो.”
“मैं जानती हूँ कि, मीडीया देश की जनता की आवाज़ है. लेकिन ये भी मत भूलिए कि, पोलीस हो या सीआइडी हो. हम पर देश की जनता की सुरक्षा का भार है और हम ने वो ही किया, जो जनता की सुरक्षा के लिए सही था.”
“इसके बाद भी यदि आपको लगता है कि, मैने देश की जनता को गुमराह किया है तो, मैं देश की जनता से माफी मांगती हूँ. मुझे आप लोगों से जो बोलना था, मैने वो बोल दिया है. अब आप अपने बाकी के सवालों के जबाब मेरे सीनियर ऑफिसर्स से ले लीजिए.”
इतना बोल कर वाणी दीदी चुप हो गयी और मीडीया वाले पोलीस कमिशनर से सवाल करने लगे. इसी बीच एक लड़का सभी के सामने चाय समोसे रखने लगा. तभी निमी वाणी दीदी से बात करने की ज़िद करने लगी.
छोटी माँ ने उसे डाँट कर चुप करना चाहा तो, उसने रोना सुरू कर दिया. निमी को रोते देख, कीर्ति ने उसे चुप कराया और वाणी दीदी को कॉल लगा दिया. वाणी दीदी ने कीर्ति का कॉल देखते ही, फ़ौरन कॉल उठा लिया.
वाणी दीदी के कॉल उठाते ही, कीर्ति ने उनसे निमी से बात करने को कहा और फिर निमी को मोबाइल पकड़ा दिया. निमी ने कॉल पर आते ही, वाणी दीदी से कहा.
निमी बोली “दीदी, मुझे भी समोसे खाना है.”
वाणी दीदी बोली “क्यो, क्या तूने अभी तक कुछ नही खाया.”
निमी बोली “दीदी, मैने और अमि ने सुबह से कुछ नही खाया.”
वाणी दीदी बोली “तू रुक, मैं अभी कुछ लेकर आती हूँ.”
ये कहते हुए वाणी दीदी ने कॉल रखा और फिर सक्सेना जी को जता कर, उस पत्रकार-वार्ता से बाहर निकल आई. उनके बाहर निकलते ही, हम ने भी टीवी बंद कर दिया. टीवी बंद होते ही, मेहुल ने निमी से कहा.
मेहुल बोला “मोटी, तुझे कुछ खाना ही था तो, मुझसे बोल देती. इस तरह वाणी दीदी को परेशान करने की क्या ज़रूरत थी.”
लेकिन निमी ने मेहुल की बात सुनते ही, रोना सुरू कर दिया. मैने बड़ी मुस्किल से किसी तरह से उसे चुप कराया और फिर कुछ देर बाद, एक हवलदार खाना लेकर आ गया. निमी सारा खाना खोल खोल कर देखने लगी.
लेकिन उसे उसमे समोसा कहीं नज़र नही आया और वो फिर से रोने लगी. उसे रोता देख कर, छोटी माँ उस पर गुस्सा करने लगी. छोटी माँ को निमी पर गुस्सा होते देख, मुझे लगा कि, अब कहीं वो निमी पर हाथ ना उठा दे. इसलिए मैं निमी को बहलाने के लिए बाहर लाने लगा.
लेकिन प्रीतम ने मुझे बाहर जाने से रोक दिया. अभी मैं प्रीतम से बात कर ही रहा था कि, तभी वाणी दीदी आ गयी. उनने हमारे पास आते ही समोसे निमी की तरफ बढ़ा दिए और निमी खुशी खुशी समोसे लेकर दौड़ती हुई, अमि के पास चली गयी.
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