RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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अभी मेरी आँखों ने बरसना सुरू ही किया था कि, तभी मुझे मेहुल मेरी तरफ आते दिखा. उसे देखते ही, मैं अपनी आँखों को सॉफ करने लगा. मेहुल ने मेरे पास आते ही कहा.
मेहुल बोला “अभी निक्की का कॉल आया था. उसने बताया है कि, निधि दीदी ने कहा है कि, कभी कभी दिमाग़ पर चोट लगने या किसी मानसिक आघात की वजह से, मरीज गहरी बेहोशी मे चला जाता है.”
“लेकिन कुछ ही समय बाद, वो बेहोशी से बाहर भी आ जाता है. इसलिए अभी हमे प्रिया के कोमा मे जाने की बात सोच कर, निराश नही होना चाहिए और प्रिया के होश मे आने की पूरी उम्मीद रखना चाहिए.”
मेहुल की इस बात को सुनकर, मैं समझ गया कि, निक्की भले ही मुझसे नाराज़ थी. लेकिन वो मुझे परेशान होते भी नही देखना चाहती थी. इसलिए उसने मेहुल को कॉल करके ये सब बातें बताई थी.
अभी मेरी मेहुल से बात चल ही रही थी कि, तभी अनु मौसी ने आकर बताया कि, चंदा मौसी को होश आ रहा है. अनु मौसी की ये बात सुनते ही, मैं और मेहुल फ़ौरन ही, उनके साथ चंदा मौसी के पास आ गये.
चंदा मौसी को होश मे आते देख कर, मेरी आँखों मे खुशी के आँसू छलक आए और मैं आकर उनके पास बैठ गया. चंदा मौसी के आँख खोलते ही, उनकी नज़र सबसे पहले मेरे उपर ही पड़ी.
वो अपने हाथों से मेरे शरीर को टटोल कर देखने लगी. मेहुल ने चंदा मौसी को मेरे शरीर को टटोलते देखा तो, मुस्कुराते हुए उन से कहा.
मेहुल बोला “मौसी, आप इसकी फिकर मत करो. ये बिल्कुल ठीक है. आपने इसके बदन पर एक खरॉच तक नही आने दी. ये बहुत खुशनसीब है कि, इसे आप जैसी प्यार करने वाली मौसी मिली है. मुझे तो कोई प्यार ही नही करता.”
मेहुल की बात सुनकर, चंदा मौसी ने हौले से मुस्कुराते हुए, उसे अपने पास बुलाया और फिर उसके सर पर भी हाथ फेरने लगी. फिर वो छोटी माँ और बाकी लोगों के बारे मे पुछ्ने लगी. उनकी इस बात के जबाब मे अनु मौसी ने उन से कहा.
अनु मौसी बोली “चंदा, अभी थोड़ी देर पहले सब यही तुम्हारे पास थे. तुम्हारे ऑपरेशन के लिए मुंबई से निशा और बरखा आई थी. सुनीता को किसी काम से अचानक उनके साथ मुंबई जाना पड़ गया. कीर्ति और वाणी भी सुनीता के साथ मुंबई गयी है.”
अनु मौसी की ये बात सुनकर, चंदा मौसी कुछ सोच मे पड़ गयी. उन्हे सोच मे पड़ा देख कर, अनु मौसी ने उन्हे टोकते हुए कहा.
और मौसी बोली “क्या हुआ चंदा, तुम किस सोच मे पड़ गयी.”
अनु मौसी की बात सुनकर, चंदा मौसी अपनी सोच से बाहर निकल आई. लेकिन उन्हो ने अनु मौसी की इस बात का कोई जबाब नही दिया. हमारे घर मे पापा के अलावा सभी चंदा मौसी को चंदा मौसी कह कर बुलाते थे.
लेकिन चंदा मौसी उमर मे अनु मौसी और रिचा आंटी से छोटी थी. जिस वजह से ये लोग चंदा मौसी को उनका नाम लेकर बुलाती थी. मगर ये लोग भी चंदा मौसी को वो ही मान सम्मान देती थी, जो उन्हे छोटी माँ देती थी.
अनु मौसी ने जब चंदा मौसी को उनकी बात का जबाब देते नही देखा तो, वो शायद उनकी इस खामोशी का मतलब समझ गयी थी. उन ने चंदा मौसी को समझाते हुए कहा.
अनु मौसी बोली “चंदा, तुम किसी बात की फिकर मत करो. सुनीता जल्दी ही वापस आ जाएगी. तब तक तुम्हारा ख़याल रखने के लिए, मैं तुम्हारे पास हूँ और फिर तुम्हारे ये दोनो बच्चे भी तो तुम्हारे पास ही है.”
“तुम नही जानती की, निशा तो पुन्नू को भी अपने साथ मुंबई ले जाना चाहती थी. लेकिन इसने तुम्हे ऐसी हालत मे छोड़ कर जाने से सॉफ मना कर दिया. क्या ये सब जानने के बाद भी, तुम्हे किसी बात की चिंता करने की ज़रूरत है.”
अनु मौसी की ये बात सुनकर, चंदा मौसी की आँखों मे आँसू आ गये और वो अनु मौसी से अमि निमी के बारे मे पुच्छने लगी. उनकी इस बात के जबाब मे अनु मौसी ने कहा.
अनु मौसी बोली “रिचा और अमि निमी भी अभी यही थे. कुछ देर पहले पुनीत उनको घर छोड़ कर आया है. अमि निमी अभी रिचा के पास ही है और अब वो सुबह रिचा के साथ तुमसे मिलने आएगी.”
इसके बाद, अनु मौसी ने चंदा मौसी से आराम करने को कहा तो, वो आँख बंद कर के लेट गयी. थोड़ी ही देर मे उनकी नींद लग गयी. उनकी नींद लगते ही, मैं और मेहुल बाहर आ गये. बाहर आते ही मेहुल ने मुझसे कहा.
मेहुल बोला “एक बात बता, क्या पहले कभी तुझे किसी ने बताया था कि, तेरी कोई जुड़वा बहन भी है.”
मेहुल की बात इस बात के जबाब मे मैने उस से कुछ कहा तो नही, लेकिन उसे घूर कर देखने लगा. मेरे इस तरह घूर्ने से मेहुल समझ गया कि, मुझे उसकी इस बात पर गुस्सा आ रहा है.
क्योकि हम दोनो के बीच कभी किसी बात का परदा नही था. यदि कीर्ति की बात को छोड़ दिया जाए तो, मेरी कोई भी बात मेहुल से छुपि नही थी. अपनी बात पर मुझे गुस्सा होते देख, मेहुल ने फ़ौरन ही अपनी बात को बदलते हुए कहा.
मेहुल बोला “आबे गुस्सा क्यो होता है. मैने तो ऐसे ही इस बात को पुच्छ लिया था. लेकिन अब तू जान गया है कि, तेरी कोई जुड़वा बहन भी है और वो कोई ऑर नही, बल्कि प्रिया ही है तो, ऐसे मे तेरा उसके पास जाना बनता है.”
“अब तो चंदा मौसी को भी होश आ गया है. ऐसे मे अब तू बेफिकर होकर वहाँ जा सकता है. मेरी बात मान और तू कल ही मुंबई निकल जा. यदि अमि निमी तेरे साथ जाना चाहे तो, उन्हे भी ले जा. मैं यहाँ सब कुछ संभाल लूँगा.”
मुझे भी मेहुल की ये बात ठीक लग रही थी. इसलिए मैने इस बात पर थोड़ा गंभीर होते हुए कहा.
मैं बोला “तू कह तो ठीक रहा है. लेकिन तूने देखा नही कि, मेरी जुड़वा बहन की बात खुलते ही, छोटी माँ, रिचा आंटी और अनु मौसी किस तरह से घबरा गयी थी. उन्हो ने कुछ सोच कर ही, आज तक इस बात को हमसे छुपा कर रखा था.”
“मोहिनी आंटी की बात से हमे ये तो समझ मे आ गया कि, कोई आदमी हॉस्पिटल से मेरी जुड़वा बहन को लेकर भागा था. लेकिन वो आदमी कौन था और उसने ऐसा क्यो किया, ये बात अभी तक एक राज़ ही है.”
“कहीं ऐसा तो नही की, इस सब के पिछे छोटी माँ का ही कोई हाथ हो और इस सब मे रिचा आंटी और अनु मौसी भी उनके साथ हो. तभी तो इस बात के खुलते ही, तीनो इस तरह से घबरा गयी थी.”
मेरी बात अभी पूरी भी नही हो पाई थी कि, मेहुल ने मेरा गिरेबान पकड़ लिया और मुझे फटकारते हुए कहा.
मेहुल बोला “अपनी ज़ुबान को लगाम दे. यदि तूने आंटी के बारे मे एक शब्द की ग़लत कहा तो, मैं तेरा मूह तोड़ दूँगा. उन्हो ने अमि निमी से ज़्यादा तुझे प्यार किया है और मेरी मम्मी ने भी मुझसे ज़्यादा तुझे प्यार किया है.”
“अनु मौसी ज़रूर तुझे पसंद नही करती थी. लेकिन उन ने भी कभी तेरे साथ कुछ ग़लत नही किया. ये बात उन लोगों ने तुझसे छुपाइ ज़रूर है. मगर हो सकता है कि, वो लोग ये बात तुझे बताने के लिए किसी सही समय का इंतजार कर रही हो.”
“उन्हो ने इस तरह से इस बात के तेरे सामने आ जाने की कभी उम्मीद नही की होगी. इसलिए वो लोग उस समय घबरा गयी थी. मगर आज तुझे तेरी बहन का पता क्या चला गया कि, तूने एक पल मे ही उन सबके प्यार को पराया कर दिया.”
“मुझे मेरी मम्मी और अनु मौसी पर तेरे शक़ करने की बात का ज़रा भी बुरा नही लगा. मुझे बुरा इस बात का लगा कि, तूने आंटी के प्यार पर शक़ किया. आज तुझे अपना दोस्त कहते हुए मुझे शरम आ रही है.”
मेहुल उस समय बहुत गुस्से मे था, इसलिए मैने उसे कुछ भी कहने से नही रोका. लेकिन अपनी आख़िरी बात कहते कहते, उसकी आँखों मे नमी आ गयी. मैने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा.
मैं बोला “जितनी तकलीफ़ तुझे मेरी इस बेहूदा बात को सुनकर पहुचि है. उस से भी ज़्यादा तकलीफ़ मुझे छोटी माँ, रिचा आंटी और अनु मौसी का घबराया हुआ चेहरा देख कर पहुचि थी.”
“तू कहता है की, अनु मौसी मुझे पसंद नही करती. लेकिन उन्हो ने भी कभी मेरे साथ कुछ ग़लत नही किया. मैं भी तेरी इस बात को ग़लत नही मानता और मुझे लगता है कि, वो भी मुझे किसी से कम प्यार नही करती है.”
“इसलिए उस समय मैं उन सब के घबराए हुए चेहरे को देख कर, अपने मन मे उठ रहे, हर सवाल को भूल गया था. मुझे याद था तो, सिर्फ़ इतना याद था कि, वो तीनो मेरी माँ है.”
“उनके मन से इस घबराहट को मिटाने के लिए, मैने अपने मन के हर सवाल को हँसी मे उड़ा दिया था. यदि प्रिया मेरी बहन ना होती तो, चंदा मौसी के होश मे आते ही, मेरा मुंबई जाना बहुत आसान था.”
“लेकिन अब प्रिया के मेरी बहन होने की वजह से मेरा मुंबई जा पाना इतना आसान नही है. मैं कुछ पल पहले मिली बहन के लिए, मैं इन सबके बरसो के प्यार को छोटा नही दिखा सकता.”
इतना बोल कर मैं चुप हो गया. लेकिन मेरी बात सुनते ही, मेहुल ने मुझे अपने गले से लगाते हुए कहा.
मेहुल बोला “मैं बेकार मे ही तुझे ग़लत समझ रहा था. मम्मी सही कह रही थी. तू तो सच मे बहुत समझदार हो गया है. लेकिन फिर भी प्रिया हमारी बहन है और तुझे इस समय उसके पास रहना ही चाहिए.”
मैं बोला “मुझे कब मुंबई जाना है, इसका फ़ैसला मुझे नही, बल्कि छोटी माँ, रिचा आंटी या फिर अनु मौसी को करना है. इनके बोले बिना मैं मुंबई जाने की बात सोच भी नही सकता.”
मेहुल बोला “यदि तू मुंबई नही जा सकता तो, फिर मैं मुंबई जाउन्गा और कल ही जाउन्गा.”
अभी मेहुल इतनी ही बात बोल पाया था कि, तभी हमे अनु मौसी की आवाज़ सुनाई दी. उन्हो ने मेहुल की इस बात को सुनने के बाद, हमे टोकते हुए कहा.
अनु मौसी बोली “नही, तुमको मुंबई जाने की कोई ज़रूरत नही है. मुंबई पुन्नू ही जाएगा और तुम यही रह कर चंदा का ख़याल रखोगे.”
अनु मौसी की इस बात सुनकर, हम दोनो ही चौक बिना ना रह सके. पता नही वो कब से, हम दोनो के पिछे खड़ी, हमारी बातें सुन रही थी. अनु मौसी को अपने सामने देख कर, हम दोनो से ही कुछ कहते नही बन रहा था. लेकिन अनु मौसी ने हमारे पास आते हुए कहा.
अनु मौसी बोली “प्रिया की जितनी फिकर तुम लोगों को है. उस से ज़्यादा हमे प्रिया की फिकर है. हमने भले ही, इस बात को तुम बच्चों से छुपा कर रखा था. लेकिन फिर भी हम लोग हमेशा प्रिया की तलाश मे लगे रहे थे.”
“जो आदमी प्रिया को लेकर भागा था. उसे कुछ साल पहले उसके एक परिचित ने मुंबई मे देखा था. उसका वो परिचित तुम लोगों के मुंबई जाने के कुछ दिन पहले हमसे मिला था और उसने ये बात हमे बताई थी.”
“हमने इस बारे मे वाणी से बात की थी. उस समय वो किसी केस मे बिज़ी थी और उसने कहा था कि, वो जल्दी ही कोलकाता आ रही है और यहाँ आकर, वो उस आदमी की नये सिरे से तलाश सुरू करेगी.”
“उसी समय तुम लोग भी मुंबई जा रहे थे. लेकिन उस आदमी को तलाश करने की बात यदि तुम्हारे सामने सुनीता या रिचा रखती तो, तुम इस बात को लेकर उन से सवाल करना सुरू कर देते.”
“इसी वजह से उन्हो ने ये काम मुझे करने को कहा था और मैने तुमको उसका मुंबई मे पता करने का काम सौंपा था. लेकिन तुम्हारी इस तलाश से हमे निराशा ही हाथ लगी थी.”
“मगर शिखा से बात करके इस बात की खुशी भी हुई थी कि, मैने तुम्हे जिस पते पर उस आदमी को तलाश करने का काम दिया था. वहाँ शिखा रहती है. मेरी शिखा से इसी बारे मे थोड़ी बहुत हुई थी.”
“मैने शिखा से बताया था कि, मैं जिस आदमी की तलाश कर रही हूँ, वो मेरी सहेली का पति है और अपनी बच्ची को लेकर गायब है. हमारे पास उसकी कोई तस्वीर नही है. जिस वजह से हम उसे अभी तक ढूँढ नही पाए है.”
“लेकिन अब उसकी तलाश करने के लिए मेरी भतीजी वाणी वहाँ आ रही है. वो एक सीआइडी ऑफीसर है और हमे उम्मीद है कि, वो उसे ज़रूर ढूँढ निकालेगी. इसलिए अब इस बारे मे पुन्नू से कोई बात ना की जाए.”
“इसके बाद हम लोग वाणी के यहाँ आने का इंतजार करने लगे. लेकिन वाणी के यहाँ आने के पहले ही, तुम्हारे साथ वहाँ एक के बाद एक हादसे हो गये. जिसे देख कर, हमे लगा कि, कहीं इन सब हादसो के पिछे उसी आदमी का हाथ तो नही है.”
“बस इसी डर की वजह से सुनीता फ़ौरन वहाँ पहुच गयी थी. मगर इसके बाद वहाँ कोई हादसा ना होने से हमे लगा कि, शायद ये सब हम लोगों का वहम था और हमने इस बात को अपने दिमाग़ से निकाल दिया था.”
“मगर आज जब तुम पर हुए हमले के बाद, वाणी को उन हादसों का पता लगा तो, उसने उसी आधार पर सारी कार्यवाही करना सुरू किया. तुम पर हमला गौरंगा ने करवाया था, इसलिए वाणी ने उसे उसके गिरोह के साथ गिरफ्तार कर लिया.”
“गौरंगा से की गयी पुछ ताछ मे ये सॉफ हो गया कि, उसने तुम्हारे नाम की सुपारी लेकर, तुम पर हमला किया था और तुम्हारे नाम की सुपारी मुंबई से एक आदमी देकर गया था.”
“वाणी ने गौरंगा और उसके साथियों के बयान के आधार पर उस सुपारी दे जाने वाले आदमी की तस्वीर बनवाई और वो तस्वीर हमे दिखाई तो, हमने फ़ौरन पहचान लिया कि, ये वो ही आदमी है, जो तुम्हारी बहन को लेकर भागा था.”
“तुम इतने दिन मुंबई मे रहे. लेकिन तुमने एक बात पर ज़रा भी गौर नही किया की, वहाँ तुम्हारे घर के जो भी बड़े थे. वो निक्की के कीर्ति के हमशक्ल होने के बाद भी, उसे देख कर जितना नही चौुक्ते थे, उस से ज़्यादा प्रिया को देख कर चौुक्ते थे.”
“प्रिया पहली नज़र मे ही सबकी लाडली बन जाती थी. सबका झुकाव प्रिया के तरफ होने की वजह ये थी कि, जैसे निक्की की शक्ल कीर्ति से मिलती थी. वैसे ही प्रिया की शकल भी बहुत कुछ तुम्हारी मम्मी से मिलती है.”
“यहाँ तक कि प्रिया की मुस्कुराहट, उसका चुलबुलापन और उसकी शरारातें भी बहुत कुछ तुम्हारी मम्मी से मिलती जुलती है. लेकिन इस सबके बाद भी, हमारे दिमाग़ मे ये बात नही आई थी कि, प्रिया ही तुम्हारी बहन हो सकती है.”
“लेकिन वाणी ने जैसे ही, शिखा की शादी के वीडियो मे प्रिया को देखा, उसके मन मे प्रिया के बारे मे जानने की उत्सुकता बढ़ गयी थी. बस इसी वजह से उसने तुमसे प्रिया की जनम तारीख और जानम स्थान के बारे मे सवाल किया था.”
“लेकिन इस सवाल को करते समय, उसे भी शायद इस बात की उम्मीद नही थी की, उसका किया ये एक सवाल ही, तुम्हारी खोई हुई जुड़वा बहन को, इतनी जल्दी हम सबके सामने लाकर खड़ा देगा.”
“मोहिनी की बातों से ये बात तो सॉफ हो गयी थी कि, प्रिया ही तुम्हारी जुड़वा बहन है और जो मोहिनी की असली भतीजी है, वो इस समय उस आदमी के पास है. मगर अभी हम इस सच्चाई को नही जानते है कि, ये राज़ मोहिनी के परिवार मे कौन कौन जानता है.”
“बस इसी वजह से वाणी और सुनीता मुंबई गयी है. वो पहले मोहिनी की असली भतीजी को ढूँढना चाहती है. इसके बाद ही, वो प्रिया के तुम्हारी जुड़वा बहन होने की बात मोहिनी के परिवार के सामने रखना चाहती है.”
“हमे इस वक्त सबसे ज़्यादा इस बात का डर सता रहा है कि, जो आदमी तुम्हे देखते ही, तुम्हारे खून का प्यासा हो गया था. उसने मोहिनी की भतीजी के साथ, तुम्हारी जुड़वा बहन के धोखे मे, पता नही क्या सलूक किया होगा.”
“हम लोग इस समय सिर्फ़ प्रिया की सलामती के लिए ही नही, बल्कि पद्मि्नी की असली बेटी के लिए भी, ये दुआ माँग रहे है कि, उसके साथ कोई अनहोनी ना हुई हो. क्योकि हमने एक माँ को अपनी बच्ची की जुदाई मे घुट घुट के मरते देखा है.”
“हम नही चाहते कि, ऐसा ही कुछ पद्मि नी के साथ भी हो. यदि पद्मि नी की बेटी के साथ कोई अनहोनी हो गयी होगी तो, हमारे लिए प्रिया के तुम्हारी जुड़वा बहन होने की बात उसके सामने रख पाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा.”
इतना बोल कर अनु मौसी चुप हो गयी. उनका ये रूप मेरे लिए बिल्कुल ही नया था. उनकी बातों से सॉफ समझ मे आ रहा था कि, वो सिर्फ़ मेरी माँ को ही अच्छे से नही जानती थी, बल्कि मेरे अतीत की बातों को भी अच्छे से जानती थी.
लेकिन इस समय उनके मूह से मेरी मौसी नही, बल्कि एक माँ बोल रही थी. जिसके मन मे एक दूसरी माँ के दर्द का अहसास छुपा हुआ था. मैं भी इस पद्मिलनी आंटी को पहुचने वाले दर्द का अहसास कर सकता था. इसलिए मैने अनु मौसी से कहा.
मैं बोला “मौसी, आपका कहना ज़रा भी ग़लत नही है. पद्मिपनी आंटी की हालत ऐसी नही है कि, वो अपनी बेटी को खोने का दर्द सह सके. यदि ऐसी को स्तिथि आती है तो, मैं यही चाहूँगा कि, पद्मिननी आंटी के सामने प्रिया की सच्चाई को कभी ना खोला जाए.”
“मैं ये तो नही जानता कि, उनके परिवार मे इस सच्चाई को कौन कौन जानता है. लेकिन मैने ये अपनी आँखों से देखा है कि, दादा जी इस सच्चाई को जानते हुए भी, प्रिया को बहुत प्यार करते है और उसे रिया, राज से ज़रा भी अलग नही समझते है.”
“सिर्फ़ दादा जी ही नही, बल्कि आकाश अंकल, पद्मिईनी आंटी, राज और रिया की भी वो बहुत लाडली है. वो उनके घर की रौनक है और उन सबकी जान है. प्रिया भी उन सबको बहुत प्यार करती है.”
“ना तो वो लोग प्रिया के बिना रह सकते है और ना ही प्रिया उनके बिना रह सकती है. ऐसे मे ये सच्चाई उन सबके सामने रखने का मतलब, सिर्फ़ उन सबकी खुशियों को ख़तम करना ही होगा.”
“प्रिया वहाँ उन सबके साथ बहुत खुश है और मैं यहाँ अपनी बहनो के साथ बहुत खुश हूँ. इसलिए अच्छा यही होगा कि, आप लोग भी इस बात को भूल जाए कि, प्रिया मेरी बहन है और उन सब को पहले की तरह खुश रहने दे.”
मेरी बात सुनकर, अनु मौसी ने आगे बढ़ कर, मुझे अपने गले से लगा लिया. मेरी जिंदगी मे ये पहला मौका था, जब अनु मौसी ने इतने प्यार से मुझे अपने गले लगाया था. उन्हो ने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा.
अनु मौसी बोली “मुझे माफ़ कर दे. मैने हमेशा तुझे दुख ही दिया है. मुझे लगता था कि, तू भी अपने बाप की तरह ही निकलेगा. लेकिन मैं बिल्कुल ग़लत थी. तू अपने बाप की तरह नही, बल्कि अपनी माँ की तरह है. तेरी माँ सच मे बहुत खुशनसीब थी, जिसे तेरा जैसा बेटा मिला.”
अनु मौसी की बात सुनकर, इतने सालों मे पहली बार, मेरी आँखों मे जनम देने वाली माँ को याद करके, आँसू आ गये. लेकिन मैने आँसू भरी आँखों से, एक दर्द भरी मुस्कान के साथ मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “मौसी, आप मेरी माँ की किस खुशनशिबी की बात कर रही हो. मेरी माँ तो दुनिया की सबसे बदनसीब माँ थी. जिनके बेटे ने उन्हे उनके मरने के बाद ही, भुला दिया. यहाँ तक कि मुझे तो, उनका चेहरा तक याद नही है.”
“तभी तो प्रिया को देखने के बाद, मैं उस से कहता था कि, ऐसा लगता है कि, जैसे मेरा तुमसे पिच्छले जनम का कोई रिश्ता है. लेकिन मैं उस से ये कभी ना कह सका कि, तुम्हारी सूरत मेरी माँ से मिलती है.”
“लेकिन मैं प्रिया से ये बात कहता भी तो कैसे कहता. मुझे तो अपनी माँ का चेहरा तक याद नही था. अब आप ही बताओ, जिस माँ के बेटे को उसका चेहरा तक याद नही है. वो माँ एक खुशनसीब माँ कहलाएगी या फिर बदनसीब माँ कहलाएगी.”
मेरी बात सुनकर, अनु मौसी ने मेरे आँसू पोछ्ते हुए कहा.
अनु मौसी बोली “जिस माँ का तेरा जैसा बेटा हो. वो कभी बदनसीब हो ही नही सकती. फिर तेरी माँ पूर्णिमा तो किसी पूनम के चाँद की तरह थी. जितना उजला उसका तन था, उस से भी ज़्यादा उजला उसका मन था. वो, मैं और रिचा तीनो बहुत पक्की सहेलियाँ थी.”
“वो अपनी बेटी की जुदाई सह नही पाई और इसी गम मे उसने घुट घुट कर अपनी जान दे दी. लेकिन मरने के बाद भी, वो अपने बेटे को रोज अपनी आँखों से देखती है और आज बरसों बाद, अपनी खोई हुई बेटी को भी अपनी आँखों से देखेगी.”
अनु मौसी की बातें सुनकर, मेरे साथ साथ मेहुल की आँखें भी पूरी तरह से भीग चुकी थी. लेकिन अनु मौसी की आख़िरी बात सुनकर, हमे कुछ समझ मे नही आया और हम दोनो हैरानी से उनकी तरफ देखने लगे.
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