RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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वहीं जब रिचा आंटी ने अमि की ये बात सुनी तो, उसे समझाते हुए कहा.
रिचा आंटी बोली “अमि बेटा, तुम ये कैसी बात कर रही हो. तुम जानती हो कि, प्रिया तुम्हारी दीदी है. अभी इस वक्त उसकी तबीयत सही नही है. ऐसे मे तुम सब का मुंबई जाना बहुत ज़रूरी है.”
लेकिन अमि ने उनकी ये बात सुनकर, तुनक्ते हुए कहा.
अमि बोली “कीर्ति दीदी और वाणी दीदी बस ही हमारी दीदी है. इनके सिवा हमारी कोई दीदी नही है. हमे किसी को देखने मुंबई नही जाना है और हम मुंबई से भी यहाँ किसी को नही आने देगे.”
अमि की इस बात ने उसके दिल का डर खुल कर, हमारे सामने ला दिया था. अभी तक किसी ने भी इस बात पर ध्यान नही दिया था की, छोटी माँ और कीर्ति को मुंबई जाते देख कर भी, अमि निमी ने उनके साथ मुंबई जाने की ज़िद क्यो नही की थी.
लेकिन अब निमी के इस जबाब से उनके मुंबई ना जाने की बात का मतलब समझ मे आ गयी थी, उनके मन मे ये डर घर कर गया है कि, कहीं प्रिया की वजह से मैं उन से दूर ना हो जाउ.
अमि की बात सुनने के बाद, रिचा आंटी ने उन्हे समझाना चाहा. लेकिन मैने रिचा आंटी को चुप रहने का इशारा किया और फिर अमि ने कहा.
मैं बोला “बेटू, ऐसा नही कहते. तू प्रिया को अपनी दीदी नही मानती है तो, तुझे कोई उसे अपनी दीदी मानने के लिए मजबूर नही करेगा. लेकिन तू इस बात को क्यो भूलती है कि, प्रिया के हमारी बहन होने वाली बात हमे अभी पता चली है.”
“जबकि प्रिया तो अभी इस बात को जानती भी नही है. मुंबई से तुम लोगों के लिए सबसे ज़्यादा गिफ्ट उसने ही भेजे है. उसने सिर्फ़ तुम लोगों के लिए गिफ्ट ही नही भेजे है. बल्कि मुंबई मे मेरी जान भी बचाई है.”
“वो हमारी बहन बाद मे, उसके पहले वो मेरी एक बहुत अच्छी दोस्त है. मगर मेरे लिए प्रिया से बाद कर तुम दोनो की खुशी है. यदि ये सब जानने के बाद भी, तुम दोनो मुंबई जाना नही चाहती हो तो, हम हरगिज़ मुंबई नही जाएगे.”
अमि गौर से मेरी बात सुन रही थी. अभी वो कुछ बोलने ही वाली थी कि, तभी शीन बाजी आ गयी. उन्हो ने आते ही कहा कि, चंदा मौसी अमि निमी को पुच्छ रही है. उनकी बात सुनकर, मैने अमि निमी को चंदा मौसी के पास जाने का इशारा किया.
जिसके बाद, अमि ने निमी का हाथ पकड़ा और दोनो चंदा मौसी के पास जाने लगी. उसी समय वो व्हील्चैर वाली लड़की आइ.सी.यू. रूम से वापस निकल आई. वो शायद वहाँ किसी से मिलने आई थी.
मेरे देखते ही देखते वो लड़की हॉस्पिटल से बाहर निकल गयी. वहीं दूसरी तरफ शीन बाजी ने हम सबको किसी गहरी सोच मे देखा तो, हम से इसकी वजह पुच्छने लगी.
मैने उन्हे कल से लेकर अभी तक की सारी बातें बताने लगा. जिसे शीन बाजी और शेज़ा बड़ी हैरानी के साथ सुनती रही. जब मैं अपनी बात बोल कर चुप हुआ तो, शीन बाजी ने कहा.
बाजी बोली “अमि निमी तो अभी बच्ची है. लेकिन तुम तो समझदार हो. तुम्हे अमि निमी को समझाना चाहिए कि, प्रिया उनकी दीदी है और उन्हे इस समय उसके पास रहना चाहिए. मगर तुम हो कि, उनकी हां मे हां मिला रहे हो.”
मैं बोला “बाजी, आपकी बात सही है. लेकिन इस समय उन्हे समझाना से ज़्यादा, उनके दिल से डर को निकालना ज़रूरी था कि, प्रिया के मेरी बहन होने से, मेरे दिल मे उनके लिए जो प्यार है, उसमे कोई कमी नही आई है.”
“मुझे उम्मीद है कि, मेरी इस बात को सुनने के बाद, वो खुद ही खुशी खुशी मुंबई जाने के लिए तैयार हो जाएगी. फिर रही बात उनके प्रिया को अपनी दीदी मानने की तो, इस बात को हम बाद मे भी समझा सकते है.”
मेरी बात सुनकर, रिचा आंटी ने भी मेरी बात की सहमति दी और फिर वो मुझसे घर जाकर आराम करने की बात कह कर, चंदा मौसी के पास चली गयी. कुछ देर बाद, अमि निमी हमारे पास वापस आ गयी.
शीन बाजी और शेज़ा उनसे बात करने लगी. लेकिन अब कोई भी मुंबई के बारे मे बात नही कर रहा था. जब अमि ने किसी को भी मुंबई के बारे मे बात करते नही देखा तो, फिर उसने खुद ही इस बात को सुरू करते हुए कहा.
अमि बोली “भैया, यदि हम तीनो भी मुंबई चले गये तो, फिर यहाँ चंदा मौसी का ख़याल कौन रखेगा.”
अमि की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “चंदा मौसी का ख़याल रखने के लिए यहाँ पर अनु मौसी, मौसा जी, रिचा आंटी और मेहुल है. बाजी भी यहाँ रोज आती रहेगी. लेकिन जब हमे वहाँ जाना ही नही है तो, फिर इसके बारे मे सोचने का क्या फ़ायदा है.”
अमि बोली “नही भैया, उन्हो ने आपकी जान बचाई थी. हम उनको देखने ज़रूर जाएगे. लेकिन आप सारे समय हमारे साथ ही रहोगे.”
अमि की बातों से मेरे साथ साथ शीन बाजी और शेज़ा के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. मैने प्यार से अमि निमी के सर पर हाथ फेरते हुए कहा.
मैं बोला “तुम लोग जैसा चाहती हो, वैसा ही होगा. मैं हम लोगों के चलने की तैयारी कर लेता हूँ.”
अमि, निमी, बाजी और शेज़ा से थोड़ी बहुत बात और करने के बाद, मैं आराम करने मेहुल के घर जाने के लिए हुआ तो, शीन बाजी मुझे हॉस्पिटल के बाहर तक छोड़ने के लिए आ गयी.
मुझे लगा था कि, वो ऐसे ही मुझे बाहर तक छोड़ने आ रही है. लेकिन ऐसा नही था, उन्हो ने बाहर आते ही, मुझे कुछ ऐसी बात बताई. जिसे सुनकर मुझे कीर्ति के उपर गुस्सा आने लगा.
लेकिन मैं अपना गुस्सा दबाए, चुप चाप बाजी की बातें सुनता रहा. अपनी बात ख़तम होने के बाद, बाजी ने मुस्कुराते हुए मेरे हाथ मे एक छोटा सा बॉक्स थमा दिया. जिसे देख कर, मैने बाजी से कहा.
मैं बोला “लेकिन बाजी आपके पास इतने पैसे कहाँ से आए.”
बाजी बोली “अरे मैं जॉब करती हूँ. क्या मेरे पास इतने पैसे भी नही हो सकते. इसे तू अपने जनमदिन का गिफ्ट समझ कर रख ले.”
मैं बोला “कब से आप अपने लिए एक मोबाइल लेने की सोच रही है. लेकिन आज तक आप एक मोबाइल नही ले पाई और आज आपके पास अचानक इतने सारे पैसे आ गये कि, आप मुझे सोना गिफ्ट करने लगी.”
“अब आप बेकार मे मुझे बहलाना बंद कीजिए और सीधी तरह से बताइए कि आपके पास इतने पैसे कहाँ से आए है. यदि आपने मुझे सच नही बताया तो, फिर आज के बाद, मैं भी आपको कुछ नही बताउन्गा.”
बाजी बोली “तुम ज़िद कर रहे हो तो सुनो. मैने जो पैसे अपने मोबाइल के लिए जोड़े थे, उनसे ही ये लिया है.”
मैं बोला “बाजी, आप फिर मुझसे झूठ बोल रही है. यदि आपने इतने पैसे अपने मोबाइल के लिए जोड़ लिए होते तो, आपका मोबाइल कब का आ गया होता. यदि आप सच बताना नही चाहती तो, झूठ भी मत बताइए.”
बाजी बोली “मैं झूठ नही बोल रही. कुछ पैसे मेरे मोबाइल के लिए जोड़े हुए थे और बाकी के पैसों के लिए मैने अपने कान के झाँके गिरवी रखे है.”
बाजी की बात सुनकर, मैं हैरानी से उनकी तरफ देखने लगा. मुझसे तो वो कभी कोई महँगा गिफ्ट लेती नही थी और आज मेरे लिए अपने कान के झुमके तक, गिरवी रख दिए थे. इस से पहले की मैं उनसे कुछ बोलता, उन्हो ने मुझे टोकते हुए कहा.
बाजी बोली “अभी तुम इस सबके बारे मे मत सोचो. ना तो मैं कहीं भागी जा रही हूँ और ना ही मेरे झुमके कहीं भागे जा रहे है. हम इस बारे मे फ़ुर्सत से बैठ कर बातें कर लेगे. अभी तुम घर जाकर आराम करो.”
मैने इसके बदले मे बाजी से कुछ बोलना चाहा तो, उन्हो ने मुझसे चुप करा दिया. मुझे भी उनकी ये बात मानना सही लगा और मैं उनसे अमि निमी का ख़याल रखने की बात बोल कर मेहुल के घर के लिए निकाल लिया.
मैं जब मेहुल के घर पहुचा तो 10:30 बज चुके थे. अंकल अपने कमरे मे थे और मेहुल, कमल के साथ बैठा टीवी देख रहा था. शिल्पा दिखाई नही दी तो, पुछ्ने पर पता चला कि, वो अपने घर जा चुकी है.
मेहुल ने मुझसे खाने का पुछा तो, मैने सोकर उठने के बाद, खाना खाने की बात बोली और फिर मैं मेहुल के कमरे मे आ गया. कमरे मे आकर मैने कपड़े बदले और फिर प्रिया के बारे मे सोचते सोचते मेरी नींद लग गयी.
फिर मेरी नींद 1:30 बजे निमी के जगाने पर खुली. वो और अमि शिल्पा के साथ घर आई थी. मैने उठ कर फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होने के बाद, मैं तैयार होकर बाहर आया तो, अमि, निमी, कमाल और मेहुल खाने पर मेरा इंतजार कर रहे थे.
उनके साथ शिल्पा भी थी. शिल्पा को फिर से यही देख कर, मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, अभी तो नितिका यहाँ नही है. फिर ये अपने घर मे क्या कह कर इस तरह यहाँ रुकी हुई है.
मैं मेहुल से ये बात पुछ्ना चाहता था. लेकिन मैं ये भी जानता था कि, उसके पेट मे ये बात ज़्यादा देर तक नही पच सकती. वो मुझे खुद ही सारी बात बता देगा. इसलिए मैं चुप चाप खाना खाने लगा. खाना खाने के बाद, मैने मेहुल से कहा.
मैं बोला “देख, वाणी दीदी का कॉल आते ही, मुझे कभी भी मुंबई के लिए निकलना पड़ सकता है. मुझे अपने मुंबई जाने के लिए कोई खास तैयारी नही करना है. लेकिन अमि निमी के समान की पॅकिंग करना बहुत ज़रूरी है.”
“तू ऐसा कर कि, शिल्पा और अमि निमी को लेकर घर चला जा. शिल्पा अमि निमी के समान की पॅकिंग कर देगी और तू मेरे समान की पॅकिंग देख लेना. मैं जो बॅग मुंबई ले गया था. वो अभी वैसा का वैसा ही मेरे कमरे मे रखा हुआ है.”
“मैने उसमे से सिर्फ़ पहने हुए कपड़े अलग किए है. तू उसमे सिर्फ़ कुछ कपड़े रख देना, इसके सिवा तुझे कुछ भी नही करना है. मैं कीर्ति को फोन कर देता हूँ, वो शिल्पा को सब बता देगी.”
मैने मेहुल से पॅकिंग के बाद, हमारे बॅग यही लाने की बात भी जताई और फिर कीर्ति को भी कॉल करके सारी बात बता दी. इसके बाद, मेहुल, शिल्पा और अमि निमी को अपने साथ लेकर मेरे घर के लिए निकल गया.
अब मैं और कमाल अकेले ही घर मे थे. थोड़ी देर मैं कमल से यहाँ वहाँ की बातें करता रहा. इसके बाद कमल ने खुद ही शिल्पा के मेहुल के घर मे रुके रहने का सारा राज़ खोल कर दिया.
कमल से ऐसे ही यहाँ वहाँ की बात करते करते 4 बज गया और मेहुल लोग वापस आ गये. मेहुल के आने के बाद मैं उसके साथ हॉस्पिटल जाने लगा तो, अमि निमी भी हॉस्पिटल जाने की ज़िद करने लगी.
लेकिन मैने उन्हे समझाया कि, छोटे बच्चों का हॉस्पिटल मे ज़्यादा देर रहना उनकी सेहत के लिए अच्छा नही होता है. मेरे समझाने पर वो मेरी बात समझ गयी और फिर मैं मेहुल के साथ हॉस्पिटल के लिए निकल गया.
शीन बाजी और शेज़ा, रोज़ की वजह से, मेरे हॉस्पिटल पहुचने के कुछ देर पहले ही घर जा चुकी थी. अब चंदा मौसी की हालत मे भी बहुत कुछ सुधार था. लेकिन अभी उन्हे कम से कम एक हफ्ते आइसीयू मे ही रहना था.
दिन के समय मे चंदा मौसी के पास रिचा आंटी और बुआ जी (वाणी दीदी की मम्मी) थी. जबकि रात के समय मे उनके पास अनु मौसी को रुकना था. छोटी माँ के ना रहने पर भी बहुत अच्छी तरह से चंदा मौसी का ख़याल रखा जा रहा था.
इतने सारे लोगों के चंदा मौसी के पास बने रहने से मुझे किसी बात की कोई चिंता नही थी. शायद अपने परिवार के साथ रहने का सबसे बड़ा फ़ायदा यही होता है की, बड़ी से बड़ी मुसीबत घड़ी भी अपना ज़्यादा असर नही दिखा पाती है.
मैं हॉस्पिटल आने के बाद, बाकी के सारे समय हॉस्पिटल मे ही रहा. बीच बीच मे मेरी छोटी माँ, वाणी दीदी, कीर्ति, शिखा दीदी और राज लोगों से भी बात होती रही. लेकिन निक्की अभी भी मुझसे बात नही कर रही थी.
ऐसे ही देखते देखते शाम के 7 बज गये और मुझे अमि निमी, शिल्पा के साथ हॉस्पिटल के अंदर आती नज़र आई. उन्हे इतनी समय हॉस्पिटल मे देख कर, मैं उन्हे गुस्से मे घूर्ने लगा. लेकिन अमि ने मेरे पास आते ही, अपनी सफाई देते हुए कहा.
अमि बोली “भैया, हमने हॉस्पिटल आने की ज़रा भी ज़िद नही की थी. आंटी ने ही घर फोन करके कहा था कि, तुम दोनो शिल्पा दीदी के साथ यहाँ आ जाओ. फिर हम चारो घर वापस चलेगे.”
अमि की इस बात के बाद, मेरे पास उस पर गुस्सा करने के लिए कुछ नही बचा था. फिर भी मैने अपनी बात रखने के लिए उस से कहा.
मैं बोला “तुम तीनो यहाँ हो तो, फिर अभी अंकल के पास कौन है.”
अमि बोली “अभी अंकल के पास कमाल भैया और अतुल भैया (मेहुल का दोस्त) है. मेहुल भैया ने ही अतुल भैया को अंकल के पास घर भेजा है.”
अमि की बात सुनकर, मैने उसे चंदा मौसी के पास जाने को कहा और मैं मेहुल की तरफ देखने लगा. मेहुल ने इस बात पर सफाई देते हुए कहा.
मेहुल बोला “मैं ये बात तुझे बताने ही वाला था. मगर तू उस समय किसी से फोन पर बात करने मे लगा था. उसके बाद ये बात मेरे दिमाग़ से ही निकल गयी.”
इतना कह कर, वो मुझसे पिछा छुड़ाने के लिए अमि निमी के पिछे पिछे चंदा मौसी के पास चला गया. मैं उसकी इस हरकत को अच्छी तरह से समझ गया था. इसलिए उसकी इस हरकत पर मुस्कुराए बिना ना रह सका.
असल मे शिल्पा अभी एक बार भी चंदा मौसी से मिलने नही आई थी. इसलिए मेहुल ने अमि निमी के बहाने से शिल्पा को हॉस्पिटल बुलाया था. उसने घर मे मुझे अमि निमी को हॉस्पिटल आने से मना करते भी देख लिया था.
जिस वजह से उसे इस बात का डर भी लगा हुआ था कि, कहीं मैं अमि निमी के हॉस्पिटल आने की बात सुनकर, उन्हे हॉस्पिटल आने से मना ना कर दूं. इसलिए उसने अमि निमी के शिल्पा के साथ, यहाँ आने की बात मुझे नही बताई थी.
वो ज़रूरत से बहुत ज़्यादा तेज भाग रहा था और इस तेज़ी मे वो ये तक भूल गया था कि, शिल्पा के बारे मे वाणी दीदी सब कुछ जानती है. अभी वो बहुत सी बातों मे उलझी होने की वजह से इस बात को ठंडे बस्ते मे डाल कर चली गयी है.
लेकिन यहाँ ना होते हुए भी, उनकी बहुत सी आँखें यहाँ लगी हुई है और उन्हे यहाँ की पल पल की खबर मिल रही है. जब वो मुंबई से यहाँ वापस आएगी तो, इसकी ये सारी हरकतें, इसके साथ साथ पता नही किस किस को ले डुबेगी.
मैं अभी इन्ही सब बातों मे खोया हुआ था कि, तभी रिचा आंटी फोन पर बात करते हुए बाहर आई. उन्हो ने मेरे पास आकर मुझे बताया कि, वाणी दीदी का फोन है. मेरे हेलो कहते ही, वाणी दीदी ने कहा.
वाणी दीदी बोली “तुम्हारे लिए एक अच्छी खबर है. अब तुम किसी भी समय यहाँ आ सकते हो. तुम फ़ौरन अपने यहाँ आने की तैयारी कर लो.”
वाणी दीदी की ये बात सुनते ही, मेरे चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी और मैने धड़कते दिल से उन से कहा.
मैं बोला “दीदी, मेरी वहाँ आने की सारी तैयारी है. लेकिन क्या पद्मिनी आंटी की लड़की का पता चल गया है.”
वाणी दीदी बोली “हां, उसका भी पता चल गया है. तुम यहाँ आ जाओ, तुम्हे भी सब पता चल जाएगा. तुम 8 बजे से 10:30 बजे तक की, जिस भी फ्लाइट से यहाँ आना चाहो, उस से आ सकते हो.”
“मैं अभी माणिक को कॉल कर देती हूँ. वो कुछ ही देर मे तुम्हारे पास पहुच जाएगा. तुम उस से जिस फ्लाइट का बोलॉगे, वो उस फ्लाइट से तुम्हारे यहा आने का इंतेजाम कर देगा.”
इसके बाद, वाणी दीदी ने मुझे कुछ ज़रूरी बातें समझा कर, कॉल रख दिया. उनके कॉल रखने के बाद, मैने सारी बातें रिचा आंटी को बताई तो, उन्हो ने कहा.
रिचा आंटी बोली “हां, वाणी मुझे ये सब बातें बता चुकी है. मैने अमि निमी की भी वाणी से बात करवा दी थी. वरना वो फिर से कोई नया नाटक सुरू कर देती.”
रिचा आंटी की ये बात सुनकर, मेरी हँसी छूट गयी. फिर उनके साथ चंदा मौसी से मिलने आ गया. मैने उन से अपने और अमि निमी के मुंबई जाने की बात बताई तो, उन्हो ने बड़े प्यार से मुझे आशीर्वाद दिया.
मेरी चंदा मौसी से बात चल ही रही थी कि, तभी माणिक आ गया. उसने मुझसे फ्लाइट का पुछा तो, मैने उस से 9:30 बजे की फ्लाइट का जता दिया. उसने हम लोगों से एरपोर्ट पर मिलने की बात कही और वो चला गया.
उसके जाते ही, हम चंदा मौसी, रिचा आंटी और बुआ जी से इजाज़त लेकर, मेहुल के घर के लिए निकल पड़े. शिल्पा भी हमारे साथ ही घर वापस जा रही थी. मैने ये बात बताने के लिए, अनु मौसी को कॉल लगा दिया.
लेकिन छोटी माँ ने अनु मौसी को कॉल करके ये बात पहले ही बता दी थी और अब वो मेहुल के घर मे हमारे आने का इंतजार कर रही थी. कुछ ही देर मे हम लोग मेहुल के पहुच गये.
हमे वहाँ अनु मौसी और अंकल से मिलकर सीधे एरपोर्ट के लिए निकलना था. मगर वहाँ खाना लगा देख कर, हम सब चौक गये. हमे हैरान देख कर, अनु मौसी ने टोकते हुए कहा.
अनु मौसी बोली “ज़्यादा चौकने की ज़रूरत नही है. तुम सबको तो देर से खाना खाने की आदत है. लेकिन मैं अमि निमी को खाना खाए बिना यहाँ से नही निकलने दूँगी. इसलिए इनके साथ तुम सबको भी खाना खाना पड़ेगा.”
अनु मौसी की ये बात सुनकर, मेरी आँखों मे कीर्ति का चेहरा आ गया. उसने भी छोटी माँ को बिना खाना खाए, घर से नही निकलने दिया था. मैने अमि निमी से खाना खाने को कहा और मैं भी उनके साथ खाने के लिए बैठ गया.
वैसे तो जब से मैने प्रिया की तबीयत का सुना था, एक नीवाला भी मेरे गले से नही उतरता था. मगर अपनी दोनो बहनो की खुशी के लिए मुझे उनके साथ खाने के लिए बैठना ही पड़ता था.
लेकिन आज अनु मौसी के प्यार ने मुझे खाने के लिए बैठने पर मजबूर कर दिया था. हम सबने एक साथ मिल कर खाना खाया. खाने के बाद, अंकल और अनु मौसी से इजाज़त लेकर, हम एरपोर्ट के लिए निकल पड़े.
हम 9 बजे एरपोर्ट पहुचे. लेकिन माणिक के वहाँ होने से, हमे एरपोर्ट मे कहीं कोई परेशानी नही हुई. कुछ ही देर मे हमारी फ्लाइट की घोषणा भी हो गयी और हम मेहुल से विदा लेकर फ्लाइट की तरफ बढ़ गये.
कुछ ही देर बाद, मैं अमि निमी के साथ प्लेन मे था. अमि निमी का प्लेन मे सफ़र करने का ये पहला मौका था. इसलिए दोनो इस सफ़र को लेकर बहुत ही ज़्यादा उत्साहित नज़र आ रही थी.
हमारी फ्लाइट के उड़ान भरते ही अमि निमी का जोश दुगना हो गया. वो विमान की खिड़की से विमान को धरती से उपर जाते देख रही थी. विमान के उपर जाने से छोटे छोटे मकानो को देख कर निमी शोर मचाने लगी.
मैं निमी को शोर मचाने से मना कर रहा था. लेकिन वो भी अपनी आदत से मजबूर कुछ देर चुप रहने के बाद, फिर से शोर मचाने लगती थी. कुछ देर तक ऐसे ही चलता रहा.
लेकिन कुछ देर बाद, निमी अचानक ही चुप हो गयी और अपने दोनो हाथों से अपने कानो को मसल्ने लगी. फिर अचानक ही उसने रोना सुरू कर दिया और रोते हुए कहा.
निमी बोली “भैया, मेरे कान सुन्न हो गये. मेरे कान खराब हो गये है.”
निमी की बात सुनकर, अमि ने भी उसकी हां मे हां मिलाते हुए कहा.
अमि बोली “भैया, मेरे कान भी सुन्न हो गये है. मुझे भी काम सुनाई दे रहा है.”
उनकी बात सुनकर, मैने उन्हे समझाते हुए कहा.
मैं बोला “छोटी, तुम दोनो बेकार मे डर रही हो. हम हमारा प्लेन अब आसमान मे है और हवा का दबाव कम होने की वजह से ऐसा हो रहा है. तुम्हारे कान को कुछ भी नही हुआ है. वो बिल्कुल सही है.”
मेरी बात सुनकर, दोनो ने राहत की साँस ली और फिर से प्लेन के बाहर देखने लगी. अमि निमी की छोटी मोटी शरारतों के बीच हमारा मुंबई तक का सफ़र पूरा हो गया और 12 बजे फ्लाइट ने उड़ान भरना बंद कर दिया.
मैं अमि निमी के साथ प्लेन से नीचे उतर आया. वाणी दीदी ने कहा था कि, वो हमे लेने आएगी. इसलिए मैं उनको देखते हुए, वेटिंग लाउंज की तरफ बढ़ गया. वेटिंग लाउंज मे हमे वाणी दीदी, कीर्ति और बरखा दीदी नज़र आ गयी.
उनको देखते ही, निमी ने कीर्ति की तरफ दौड़ लगा दी. मैं और अमि भी जल्दी से उनके पास पहुच गये. वाणी दीदी ने मुझे अपने गले से लगा लिया और फिर मेरे बालों पर हाथ फेर कर मेरा स्वागत करने लगी.
बरखा दीदी ने भी मुस्कुराते हुए मेरा स्वागत किया. कीर्ति भी मुझे देख कर, बहुत खुश नज़र आ रही थी. लेकिन मैं उस से नाराज़गी वजह से उस की तरफ देख भी नही रहा था.
कुछ ही देर मे हम एरपोर्ट से बाहर आ गये. बरखा दीदी, कीर्ति और अमि निमी गाड़ी मे पिछे बैठ गयी और मैं वाणी दीदी के साथ गाड़ी मे आगे बैठ गया. लेकिन अब कीर्ति मुझे गुस्से मे देख रही थी.
इसी सबके बीच हम लोग हॉस्पिटल पहुच गये. मेरे मुंबई आने की खबर सबको हो चुकी थी. इसलिए इतनी रात हो जाने के बाद भी, अभी तक सभी लोग हॉस्पिटल मे ही रुके हुए थे.
हॉस्पिटल मे इस समय छोटी माँ, अलका आंटी, शिखा दीदी, निशा भाभी, अजय, अमन, सीरू दीदी, निक्की, आकाश अंकल, पद्मिनी आंटी, मोहिनी आंटी, राज, रिया, नितिका और नेहा मौजूद थे.
छोटी माँ ने मुझे देखते ही अपने गले से लगा लिया. अमि निमी भी आकर छोटी माँ से लिपट गयी. छोटी माँ से मिलने के बाद, मैं शिखा दीदी से मिला. उन्हो ने भी मुझे अपने गले से लगा लिया.
मुझे अपने सामने सही सलामत देख कर, उनकी आँखों से खुशी के आँसू छलक निकल आए. मैने उनके आँसू पोन्छ्ते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, अब तो आपने देख लिया ना कि, मैं बिल्कुल सही सलामत हूँ. अब आप बिल्कुल भी आँसू नही बहाएगी. मुझसे तो आपने बहुत लाड कर लिया. अब अपना थोड़ा सा लाड, मेरी दो नन्ही शैतानो के लिए बचा कर रख लीजिए.”
ये कहते हुए मैने अमि निमी को अपने पास बुलाया और उन्हे शिखा दीदी से मिलने लगा. अमि निमी को शिखा दीदी के पास छोड़ कर, मैं पद्मिनी आंटी के पास आ गया. प्रिया की वजह से उनकी आँखें आँसुओं से भरी हुई थी.
उन्हे दिलासा देने के बाद मैं आकाश अंकल और राज, रिया से मिला. उन से मिलने के बाद, मैं अजय और अमन से मिला. फिर सीरू दीदी से मिलने के बाद, मैं निक्की के पास आ गया. निक्की अभी भी मुझसे नाराज़ लग रही थी.
मैं उसकी नाराज़गी को दूर करना चाहता था. मगर उसके लिए ये समय सही नही था. इसलिए मैने निक्की से प्रिया का हाल पुछ्ते हुए कहा.
मैं बोला “प्रिया अब कैसी है. क्या मैं अभी प्रिया से मिल सकता हूँ.”
निक्की बोली “हां तुम प्रिया से मिल सकते हो. तुम चल कर खुद अपनी आँखों से देख लो कि, वो कैसी है.”
ये कहते हुए, उसने मुझे अपने साथ चलने का इशारा किया. मैं निक्की के साथ प्रिया के पास जाने लगा. हमे प्रिया के पास जाते देख कर, निशा भाभी रिया और कीर्ति भी हमारे पिछे आने लगी.
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