RE: MmsBee कोई तो रोक लो
209
जिनके जबाब छोटी माँ, वाणी दीदी, कीर्ति या निक्की मे से ही कोई दे सकता था. मगर छोटी माँ से मुझे कुछ पुच्छना नही था और वाणी दीदी से कुछ पुच्छने की मेरे अंदर हिम्मत नही थी.
मैं सिर्फ़ कीर्ति और निक्की से ही कुछ पुच्छ सकता था. लेकिन इस समय अपनी नाराज़गी के चलते, मैं कीर्ति से बात करना नही चाहता था. जबकि निक्की अपनी नाराज़गी के चलते, मुझसे बात नही कर रही थी.
मैं अभी इसी सोच मे खोया हुआ था कि, तभी सबके क़हक़हे सुनकर, मैं अपनी सोच से बाहर निकल आया और ये देखने लगा कि, अचानक सब हँसने क्यो लगे है. सबकी नज़र अमन और निशा भाभी पर टिकी हुई थी.
मुझे इतना तो समझ मे आ गया था कि, सब इन्ही की वजह से हंस रहे है. लेकिन ये समझ मे नही आया कि, आख़िर हुआ क्या है. जब मेरी कुछ समझ मे नही आया तो, मैने मेरे बगल मे बैठी बरखा दीदी से कहा.
मैं बोला “दीदी, क्या हुआ.? सब लोग अमन और निशा भाभी को देख कर, हंस क्यो रहे है.”
मेरी बात सुनकर, बरखा दीदी ने मुझे हैरानी से देखते हुए कहा.
बरखा दीदी बोली “तुम यहाँ बैठे बैठे सो रहे हो क्या, जो तुमको नही मालूम नही कि, यहाँ पर अभी क्या हुआ है.”
बरखा दीदी की बात सुनकर, मैने थोड़ा शर्मिंदा सा होते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, मैं किसी सोच मे खोया हुआ था. इसलिए मेरा ध्यान यहाँ की बातों पर नही था.”
मेरी बात सुनकर, बरखा दीदी ने हंसते हुए कहा.
बरखा दीदी बोली “जैसा अभी तुम्हारा हाल है, वैसा ही अमन जीजू का भी हाल था. निधि दीदी उनसे कुछ पुच्छ रही थी. मगर वो बस एक-टक वाणी दीदी को देखने मे खोए हुए थे.”
“जब निधि दीदी के दो तीन बार पुच्छने पर भी उन ने कोई जबाब नही दिया तो, निशा भाभी ने उन्हे ज़ोर से कोहनी मारी और वो हड़बड़ा कर, यहाँ वहाँ सबको देखने लगे. बस इसी वजह से हम सबको हँसी आ गयी.”
बरखा दीदी की बात सुनकर, मैं भी अमन और निशा भाभी की तरफ देखने लगा. निशा भाभी धीरे धीरे उन्हे खरी खोटी सुना रही थी और अमन उनको अपनी सफाई देने की कोसिस कर रहा था.
अमन की बात सुनने के बाद, निशा भाभी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और उन्हो ने मुस्कुराते हुए, वाणी दीदी से कहा.
निशा भाभी बोली “वाणी, तुम अपने जीजू का इस तरह से तुमको घूर्ने का कोई ग़लत मतलब मत निकाल लेना. असल मे तुम्हारे जीजू एक प्लास्टिक आंड कॉसमेटिक सर्जन्स है और इन्हे लोगों के चेहरे की सुंदरता ज़्यादा प्रभावित करती है.”
“इन्हो ने खालिद भाई से सुना था कि, वाणी एक बहुत ख़तरनाक सीआइडी ऑफीसर है. इनको लगा था कि, वाणी कोई बहुत सख़्त मिज़ाज की कठोर चेहरे वाली लड़की होगी. लेकिन तुम तो देखने मे बहुत सुंदर और बहुत नाज़ुक लगती हो.”
“तुमको देख कर, इन्हे यकीन नही हो रहा है कि, एक छुयि मुई और नाज़ुक सी दिखने वाली लड़की, ख़तरनाक से भी ख़तरनाक मुजरिम के छक्के छुड़ा देती है. ये इसी सोच मे गुम थे कि, तुम इतना सब कुछ बिना किसी डर के कैसे कर लेती हो.
निशा भाभी की बात सुनकर हम सबकी हँसी छूट गयी. वहीं वाणी दीदी ने मुस्कुरा कर, अमन की तरफ देखते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “ऐसा नही है. सबकी तरह मुझे भी डर लगता है. मगर मुझे किसी मुजरिम का नही, बल्कि इस बात का डर लगता है कि, मेरे हाथ से कभी कोई मासूम या बेगुनाह ना मारा जाए.”
वाणी दीदी की ये बात सुनते ही, नेहा ने पहली बार अपना मूह खोलते हुए कहा.
नेहा बोली “दीदी, मेरे बाबा बेगुनाह है. मैं मानती हूँ कि, उन्हो ने मुझे मेरे माता पिता से दूर कर दिया था. लेकिन उन्हो ने मेरी परवरिश मे कभी कोई कमी नही की है और मुझे बड़े लाड प्यार से पाला है.”
“यहाँ तक कि, ग़रीबी के महॉल मे रहने के बाद भी, उन्हो ने मुझे बड़े से बड़े स्कूल मे पढ़ाया और मेरी हर छोटी बड़ी ख्वाहिश को पूरा किया है. उन्हो ने एक पल के लिए भी मुझे अहसास नही होने दिया कि, मैं उनकी बेटी नही हूँ.”
“फिर भला मेरे बाबा गुनहगार कैसे हो सकते है. आप अलका बुआ और शिखा दीदी से पुच्छ कर देख लीजिए कि, मेरे बाबा कैसे है. इस सबको करने के पिछे ज़रूर उनकी कोई मजबूरी रही होगी. वरना मेरे बाबा इतना बुरा काम कभी नही करते.”
ये कहते कहते नेहा की आँखें आँसुओं से भीग गयी. उसकी भीगी आँखों को देख कर ही पता चल रहा था कि, वो दुर्जन से कितना ज़्यादा प्यार करती है. उसे रोते देख कर, वाणी दीदी उसके पास आई और उसे समझाते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “मुझे किसी से कुछ पुछ्ने की ज़रूरत नही है. तुम्हे सही सलामत देख कर ही, मुझे समझ मे आ गया कि, उन्हो ने तुम्हारे साथ कुछ भी बुरा नही किया है.”
“लेकिन तुम ये बात क्यो भूलती हो कि, उन की वजह से एक माँ ने अपनी बच्ची के लिए तड़प तड़प कर जान दे दी और तुम्हे अपनी माँ के होते हुए भी, उसकी छाती से लग कर दूध पीना नसीब नही हुआ. तुम जिंदगी भर माँ के प्यार के लिए तरसती रही.”
“एक बच्चे को उसकी माँ से दूर करना, सिर्फ़ क़ानून ही नही, बल्कि इंसानियत की नज़र मे भी गुनाह है. फिर ये भी तो देखो कि, उन ने पुन्नू के उपर भी जान लेवा हमला करवाया है.”
मगर नेहा पर वाणी दीदी की इस समझाइश का कोई असर नही हुआ. उसने फिर दुर्जन का बचाव करते हुए कहा.
नेहा बोली “दीदी, मैं नही जानती, मेरे बाबा ने ऐसा क्यो किया. मैं बस इतना जानती हूँ कि, जब से होश संभाला है. तब से मैने मेरे बाबा को कभी कोई ग़लत काम करते नही देखा.”
“ये भी तो हो सकता है कि, आप सबको कोई ग़लतफहमी हो रही हो. मेरे बाबा ने ऐसा कुछ किया ही ना हो और उनको फसाने की कोसिस की जा रही हो. मेरे बाबा कभी ऐसा काम कर ही नही सकते.”
“वो बेचारे अभी बहुत बीमार चल रहे है. उन्हे अभी इलाज की बहुत ज़रूरत है. यदि मेरे बाबा को कुछ हो गया तो, मैं उनके बिना जी नही पाउन्गी.”
इतना कह कर, नेहा फिर बिलख कर रोने लगी. उसे इस तरह से दुर्जन के लिए रोता देख कर, मुझे भी उसके उपर तरस आने लगा और अब मेरा दिल भी यही चाह रहा था कि, दुर्जन को उसके किए की, सज़ा ना दी जाए.
वहीं नेहा को रोते देख कर, शिखा दीदी और अलका आंटी उसके पास आ गयी. शिखा दीदी नेहा को चुप करवाने लगी और अलका आंटी ने नेहा के सर पर हाथ फेरते हुए वाणी दीदी से कहा.
अलका आंटी बोली “वाणी बेटा, नेहा ठीक कह रही है. दुर्जन भैया पहले चाहे जो रहे हो और पहले उन्हो ने चाहे जो किया हो. लेकिन अब वो वैसे बिल्कुल भी नही है. वो पूरी तरह से बदल चुके है.”
“किसी समय वो मंबई के माने हुए गुंडे हुआ करते थे. लेकिन जैसे जैसे नेहा बड़ी होती गयी. उनके अंदर का बुरा इंसान मरता गया और उसकी जगह एक बाप ने ले ली. उन्हो ने नेहा की देख भाल बिल्कुल सगे बाप की तरह की है.”
“मैने नेहा को अपने इन्ही हाथों ने पाला है. मुझसे इस बच्ची का दुख देखा नही जा रहा है. तुम से यदि हो सके तो, दुर्जन भैया को छोड़ दो. पुन्नू मेरा भी बेटा है और मैं जबाब्दारी लेती हूँ कि, पुन्नू को उनसे कोई ख़तरा नही होगा.”
अपनी बात कहते कहते अलका आंटी की आँखे भी आँसुओं से भीग चुकी थी. नेहा और अलका आंटी के आँसुओं ने हम सबकी आँखों मे भी नमी ला दी थी. वहीं इस महॉल को देख कर, वाणी दीदी भी कुछ परेशान सी नज़र आने लगी थी.
शायद वो इस बारे मे कुछ सोच रही थी. वाणी दीदी अभी अपनी सोच मे ही खोई हुई थी कि, तभी छोटी माँ ने उनके पास आते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “वाणी बेटा, यदि गुनाह करने वाला गुनहगार है तो, गुनाह करने के लिए मजबूर करने वाला भी उतना ही बड़ा गुनहगार है.”
“यदि गुनाह करने वाले को सज़ा मिल रही है तो, फिर गुनाह करने के लिए मजबूर करने वाले को भी सज़ा मिलनी चाहिए और यदि गुनाह के लिए मजबूर करने वाले को सज़ा नही दी जा रही है तो, फिर गुनाह करने वाले को भी सज़ा नही दी जानी चाहिए.”
छोटी माँ की बात सुनकर, वाणी दीदी फटी फटी आँखों से छोटी माँ को देखने लगी. लेकिन उस समय छोटी माँ के चेहरे पर कोई भाव नही थे. उनका चेहरा बहुत सख़्त सा हो गया था.
मुझे छोटी माँ की ये बात समझ मे नही आई और मैं हैरानी से उनको देखता रह गया. मगर शायद वाणी दीदी उनकी बात का मतलब समझ चुकी थी. उन्हो ने छोटी माँ की इस बात के जबाब मे कहा.
वाणी दीदी बोली “मौसी, मैं आपकी बात को मानती हूँ. लेकिन क़ानून सिर्फ़ सबूतों को मानता है और अभी सारे सबूत उनके खिलाफ है. गौरंगा और मोहिनी आंटी के बयान ही, उनको सज़ा दिलवाने के लिए काफ़ी है.”
वाणी दीदी की ये बात सुनते ही, मोहिनी आंटी ने फ़ौरन ही कहा.
मोहिनी आंटी बोली “यदि सब नही चाहते कि, उनको सज़ा मिले तो, मैं अपना बयान बदलने के लिए तैयार हू. मैं कह दूँगी कि, मुझसे उनको पहचान ने मे ग़लती हो गयी थी.”
मोहिनी आंटी की बात सुनकर, वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “आंटी सिर्फ़ आपके बयान बदल लेने से कुछ नही होगा. उनके सबसे बड़े गुनाह का गवाह तो गौरंगा है और वो भला अपना बयान क्यो बदलने लगा.”
अभी वाणी दीदी की बात पूरी भी नही हो पाई थी कि, एक आवाज़ ने हम सबको चौका दिया.
आने वाली आवाज़ “गौरंगा क्या, अपुन तो गौरंगा के बाप का भी बयान बदलवा देगा.”
इस आवाज़ को सुनते ही, हम सबने पिछे पलट कर देखा. खालिद भाई अपनी मस्त चाल मे, हमारे पास ही चले आ रहे थे. उनकी नज़र अजय और अमन पर थी और उन्हो ने अपनी उस बात के बाद, अमन लोगों से कहा.
खालिद बोला “मैं वहाँ प्रिया और दादा जी के पास बैठा, तुम लोगों के आने का इंतजार कर रहा था और तुम दोनो चिंदी चोर यहाँ महफ़िल जमा कर बैठे हो.”
ये कहते हुए खालिद भाई अजय और अमन की तरफ बड़े आ रहे थे. लेकिन तभी सीरू दीदी को ना जाने क्या सूझा कि, वो दौड़ कर खालिद भाई के सामने जाकर खड़ी हो गयी और उनसे कहा.
सीरत बोली “भाई जान, अच्छा हुआ आप आ गये. हम यहाँ महफ़िल सज़ा कर नही बैठे है. हम सबको पोलीस ने हिरासत मे ले लिया है.”
सीरू दीदी की बात सुनते ही, खालिद भाई को गुस्सा आ गया. उन्हो ने गुस्से मे आग बाबूला होकर अपनी रेवोल्वेर निकलते हुए कहा.
खालिद बोला “मेरे रहते किसी पोलीस वाले की इतनी औकात नही की, वो तुम लोगों को हाथ भी लगा सके. कौन है वो साला, जिसने तुम लोगों को हिरासत मे लिया है.”
ये कहते हुए खालिद भाई यहाँ वहाँ देखने लगे. वहीं सीरू दीदी ने बड़ी ही मासूमियत से कहा.
सीरत बोली “भाई जान, वो साला नही, साली है.”
ये कहते हुए, सीरू दीदी उनके सामने से हट गयी. सीरू दीदी के उनके सामने से हटते ही, खालिद भाई की नज़र सीधे वाणी दीदी पर पड़ी और उन्हे सीरू दीदी की सारी शरारत समझ मे आ गयी.
उन्हो ने अपनी रेवोल्वेर को वापस जेब मे वापस रखा और सीरू दीदी की तरफ बढ़ने लगे. उन्हे अपनी तरफ बदते देख, सीरू दीदी क़हक़हे लगाते हुए निशा भाभी के पिछे आकर खड़ी हो गयी. खालिद भाई ने सीरू दीदी को घूरते हुए कहा.
खालिद बोला “तूने फिर अपुन को मामू बना दिया.”
सीरू दीदी से इतना कहने के बाद, खालिद भाई वाणी दीदी के पास आए और उनसे कहा.
खालिद बोला “मेडम आप और मुंबई मे, मुझे अभी भी अपनी आँखों पर यकीन नही हो रहा है. आप ने तो कसम खाई थी कि, आप एक सीआइडी ऑफीसर की हैसियत से कभी मुंबई मे कदम नही रखेगी.”
खालिद की ये बात सुनते ही, अमन ने आगे आते हुए खालिद से कहा.
अमन बोला “अबे तू आते ही ये क्या बकवास लेकर बैठ गया. क्या तुझे पता नही है कि, पुनीत इनका भाई है. उसके लिए तो इनको यहाँ आना ही था.”
अमन की बात सुनकर, खालिद भाई ने शर्मिंदा सा होते हुए कहा.
खालिद बोला “सॉरी मेडम, मेरा इरादा आपको चोट पहुचने का नही था. असल मे मुझे आपकी पिच्छली बातें याद आ गयी थी. पुनीत आपका ही नही, मेरा भी भाई है. मैने जब टीवी पर न्यूज़ देखा तो, मेरा भी खून खौल गया था.”
“यदि आपने गौरंगा को नही पकड़ा होता तो, उसकी इस ग़लती के लिए, मैं खुद वहाँ जाकर उसका गेम बजा डालता. आपको यदि उस से कोई बयान दिलवाना है तो, मुझे बताइए. मेरे एक इशारे पर वो कोई भी बयान देने को तैयार हो जाएगा.”
खालिद की बात सुनकर, वाणी दीदी छोटी माँ की तरफ देखने लगी. छोटी माँ ने उन्हे हां मे सर हिला कर, इशारा किया. जिसके बाद, वाणी दीदी ने खालिद से कहा.
वाणी दीदी बोली “नेहा के पिता ने गौरंगा को पुन्नू के नाम की सुपारी दी थी. जिस वजह से उसने पुन्नू पर जान लेवा हमला किया था. इसके जबाब मे मैने गौरंगा के चार साथियों का ख़ात्मा करके, उसके पूरे गिरोह को हिरासत मे ले लिया.”
“गौरंगा के बयान के अनुसार हमने सुपारी देने वाले की तस्वीर बनाई और उसी आधार पर हमने नेहा के पिता को हिरासत मे ले लिया है. लेकिन ये सब चाहते है कि, नेहा के पिता को इसकी सज़ा ना मिले और उनको सुधरने का एक मौका दिया जाए.”
इतना कह कर वाणी दीदी चुप हो गयी. मगर खालिद भाई जैसे डॉन के समझने के लिए इतनी ही बात काफ़ी थी. उन्हो ने वाणी दीदी की इस बात के जबाब मे कहा.
खालिद बोला “मेडम समझिए कि, आपका ये काम हो गया. अपने दिए गये बयान से मुकरना मुजरिमो के लिए कोई नयी बात नही है. पुन्नू पर हमला गौरंगा ने करवाया था तो, अब उसकी सज़ा भी वो या उसका कोई आदमी ही भोगेगा.”
खालिद की ये बात सुनते ही, नेहा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और वो आकर वाणी दीदी से लिपट गयी. वाणी दीदी ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “मैं इस सबके सख़्त खिलाफ हूँ. मगर सिर्फ़ तुम्हारी वजह से एक मुजरिम का साथ दे रही हूँ. कल सुबह तक तुम्हारे बाबा तुम्हारे पास होंगे. लेकिन ये अब तुम्हारी जबाब्दारी है कि, तुम अपने बाबा को सही रास्ते पर लेकर आओ.”
वाणी दीदी की बात सुनते ही, नेहा ने चहकते हुए कहा.
नेहा बोली “थॅंक्स दीदी, आप फिकर मत करो. मैं कहूँगी तो, मेरे बाबा आपकी सब बात मानेगे. वो कभी मेरी कोई बात नही काटते है. वो आपको शिकायत का कोई मौका नही देगे.”
नेहा की बात सुनकर, खालिद भाई ने भी दुर्जन की वकालत करते हुए कहा.
खालिद बोला “मेडम, मैं दुर्जन को अच्छी तरफ से जानता हूँ. वो एक बहुत अच्छा और दिलेर इंसान है. पता नही, उसने ऐसा घटिया काम किस खुन्नस मे आकर कर दिया. मैं भी उसे अपनी तरफ से समझाने की कोसिस करूँगा.”
“आपको यदि मेरी पहली वाली बात बुरी लगी हो तो, मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. आप यकीन मानिए, आपको एक सीआइडी ऑफीसर की हैसियत से, एक बार फिर से मुंबई मे देख कर, मुझे सच मे बहुत खुशी हो रही है.”
खालिद भाई की इस बात पर वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “मैं मुंबई मे ज़रूर हूँ. लेकिन अब मैं एक सीआइडी ऑफीसर नही हूँ. मुंबई आने के पहले ही, मैने अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था और मेरे अनुरोध पर मेरा इस्तीफ़ा मंजूर भी कर लिया गया है.”
वाणी दीदी की इस बात ने एक-दम से सबको चौका दिया था. नितिका और मोहिनी आंटी के अलावा, सभी से वाणी दीदी को मिले एक दो दिन से ज़्यादा नही हुआ थे. इसके बाद भी इस बात को सुनते ही सबके चेहरे मुरझा गये.
लेकिन इस बात ने सबसे बड़ा झटका मुझे पहुचाया था. क्योकि एक तो उनकी ये नौकरी मेरी वजह से ही गयी थी और दूसरा मुझे उनके सीआइडी ऑफीसर होने से, अपने आप पर बहुत नाज़ था.
मैं उनके कारनामे अपनी स्कूल मे बहुत बढ़ा चढ़ा कर बताया करता था. उनके गौरंगा को पकड़ने के कारनामे ने भी पूरे वेस्ट बंगाल मे तहलका मचा कर रखा कर रखा था और जिस वजह से मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया था.
मुझे उम्मीद थी कि, वो स्कूलगर्ल के रेप-केस को भी चुटकियों मे हल कर देगी. लेकिन उनके इस्तीफ़ा देने की बात ने मेरा सारा घमण्ड चूर चूर करके रख दिया था और इसी गुस्से मे मैं उनको खा जाने वाली नज़रों से घूर कर देख रहा था.
मगर वो मेरी इस हालत से अंजान, ऐसे मुस्कुराए जा रही थी, जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो. अचानक ही उनकी नज़र मुझ पर पड़ी और उन्हो ने मुझे इस तरफ से घूरते देखा तो, हंसते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “ये तुम्हे क्या हुआ. तुम ऐसे खा जाने वाली नज़रों से मुझे क्यो देख रहे हो.”
वाणी दीदी की बात को सुनकर, मैं तो खामोश ही रहा. लेकिन अजय ने पहली बार अपना मूह खोलते हुए कहा.
अजय बोला “आपके इस्तीफ़े की बात सुनकर, जब हम लोगों को इतना बड़ा झटका लगा है तो, फिर पुनीत को तो और भी बड़ा झटका लगा होगा. आख़िर आपने ये सब उसी की वजह से ही तो किया है.”
मगर अजय की ये बात सुनकर भी वाणी दीदी के चेहरे पर कोई शिकन नही आई. वो मेरे पास आई और मेरे कंधे पर हाथ रख कर, पहले की तरह ही, मुस्कुराते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “तुम्हे तो मेरे काम की वजह से मैं वाणी नही, सूनामी लगती थी ना. लो अब मैने सूनामी वाला काम छोड़ दिया और अपनी ज़ुबान को भी शिखा की तरह मीठा कर लिया है.”
“अब मेरे ‘आइ लव यू’ बोलने पर तुम्हारे होने वाले जीजू को ना बोलने की हिम्मत भी आ जाएगी और उन्हे शादी के बाद, यूएसए छोड़ कर इंडिया भी नही आना पड़ेगा. अब तो तुम्हारे जीजू की किस्मत खराब नही होगी ना.”
वाणी दीदी ये बात सिर्फ़ मुझे छेड़ने के लिए कह रही थी. लेकिन उनकी इन बातों से समझ मे आ रहा था कि, उन्हो ने मेहुल के घर मे मेरे और कीर्ति के बीच, उनके बारे मे हुई सारी बातें सुन ली थी.
इस बात का अहसास होते ही, मेरा सर शरम से झुक गया और मैने इस बात पर शर्मिंदा होते हुए उनसे कहा.
मैं बोला “दीदी, मैं कीर्ति से वो बातें सिर्फ़ मज़ाक मे कह रहा था और जब आप आई तब मैं जीजू की किस्मत खराब होने की बात नही कह रहा था. मैं कीर्ति से कहने वाला था कि, हमारे जीजू की किस्मत अच्छी है. लेकिन मेरी बात पूरी भी नही हो पाई और आप मेरे सामने आ गयी. जिस वजह से मेरी बात अधूरी रह गयी थी.”
मेरी बात सुनकर, वाणी दीदी ने कहा.
वाणी दीदी बोली “तो अपनी उस बात को अभी सबके सामने पूरा कर लो.”
लेकिन मैं वाणी दीदी की ये बात सुनकर, भी चुप ही खड़ा रहा तो, उन्हो ने फिर से मुझे इस बात को पूरा करने को कहा और उनके साथ साथ सीरू दीदी भी मुझे बात पूरा करने के लिए उकसाने लगी.
क्योकि वाणी दीदी की बातों से शायद वो भी समझ चुकी थी कि, मैं दिल खोल कर वाणी दीदी की बुराई करने मे लगा हुआ था और आगे की बात भी ऐसी ही कुछ निकलेगी. आख़िर मे उनके बार बार कहने पर मैने अपनी उस बात को पूरा करते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, उस दिन मैं कीर्ति से कहने वाला था कि, हमारे जीजू की किस्मत अच्छी है, जो उनकी शादी हमारी दीदी से हो रही है. उन्हे शादी के बाद, दुनिया मे किसी से भी डर नही लगेगा.”
इतना कह कर मैं रुक गया. मुझे बात पूरी करते ना देख कर, वाणी दीदी ने मुझसे कहा.
वाणी दीदी बोली “आगे बोलो, तुम्हारे जीजू क्यो किसी से डर नही लगेगा.”
मैं बोला “क्योकि………”
लेकिन इसके आगे कहने की मेरी हिम्मत ही नही हो रही थी. मुझे आगे की बात कहने से हिचकते देख कर, सीरू दीदी समझ गयी कि असली बात अब ही आने वाली है. उन्हो ने मेरे पास आकर, मेरा हाथ हिलाते हुए कहा.
सीरत बोली “हां, हां, रुक क्यो गये. तुम तारीफ ही तो कर रहे हो. अब क्योकि के भी आगे बोलो.”
सीरू दीदी की बात सुनकर, मैं उनको घूर्ने लगा. लेकिन वो मुझे छेड़ते हुए बात पूरी करने को कहने लगी. जिसके बाद, मैने अपनी बात को पूरा करते हुए कहा.
मैं बोला “क्योकि आप खुद ही डर का दूसरा नाम हो. शादी के बाद, जीजू आप से ही इतना डर जाएगे कि, उन्हे आपके डर के अलावा कोई डर परेशान नही कर पाएगा.”
मेरी ये बात सुनते वहाँ खड़े सभी लोग हँसने लगे और मैं सर झुका कर खड़ा हो गया. आज पहली बार मैने वाणी दीदी से इतनी मज़ाक भरी बातें की थी. लेकिन अब अंदर ही अंदर मुझे उनसे डर भी लग रहा था.
क्योकि वाणी दीदी इन सब बातों मे वो बहुत सख़्त थी और उन्हे छोटों का बडो का मज़ाक उड़ाना ज़रा भी पसंद नही था. यदि और कोई समय होता तो, इस बात के कहने पर उन्हो ने अभी तक मेरे कान के नीचे एक दो बजा दिए होते.
लेकिन आज अपने इस्तीफ़े की वजह मुझे परेशान देख कर, उन्हो ने मेरा दिल हल्का करने के लिए खुद ही इस बात को छेड़ा था. ताकि मैं उनकी इस बात मे उलझ जाउ और उनके इस्तीफ़े वाली बात मेरे दिमाग़ से निकल जाए.
|