RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मगर उनकी इस कोसिस के बाद भी ये बात मेरे दिमाग़ से नही निकल सकी थी. सबका हँसना रुकते ही, मैने फिर से उसी बात पर वापस आते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, मैं कोई बच्चा नही हूँ, जो आप मुझे इन बातों से बहलाना चाहती है. यदि आप एक सीआइडी ऑफीसर की हैसियत से मुंबई नही आना चाहती थी तो, आपको यहाँ आना ही नही चाहिए था.”
“आपको मेरी वजह से इस्तीफ़ा देकर मुंबई आने की कोई ज़रूरत नही थी. मुझे आपके सीआइडी ऑफीसर होने का बहुत घमंड था. लेकिन आज आपने इस्तीफ़ा देकर मेरे सारे घमंड को चूर चूर कर दिया.”
मेरी बात सुनकर, वाणी दीदी के चेहरे की मुस्कुराहट गंभीरता मे बदल गयी और उन्हो ने मुझे समझाते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “देखो, मेरे लिए मेरे फ़र्ज़ से बढ़ कर, कुछ भी नही है. मैने अपने हर फ़र्ज़ को पूरी ईमानदारी के साथ निभाया है और अपने फ़र्ज़ को निभाने से कभी पिछे नही हटी.”
“अभी मैने जो भी किया है, वो मेरे परिवार के लिए मेरा फ़र्ज़ था. मेरे इस फ़र्ज़ को निभाने मे मेरी नौकरी एक दीवार बन कर खड़ी थी और मैने उस दीवार को तोड़ दिया. जिसका मुझे ज़रा भी अफ़सोस नही है.”
इतना कहने के बाद, उनके चेहरे पर वापस वही मुस्कान थिरकने लगी. उनकी इस बात मे गहरी सच्चाई थी और इसकी गवाही उनका चेहरा दे रहा था. जिसमे उनकी नौकरी चले जाने के बाद भी, एक शिकन नज़र नही आ रही थी.
उन्हो ने बिना किसी सोच विचार के और बिना किसी को इस बात की खबर लगे, मेरे लिए वो सब कुछ कर दिया था. जिसे लाख बार सोचने के बाद भी, मेरा बाप कभी नही कर सकता था.
मुझे हमेशा से यही लगता था कि, वाणी दीदी सबसे ज़्यादा कीर्ति को प्यार करती है. लेकिन आज उनकी इस बात ने साबित कर दिया था कि, उनके दिल मे मेरे लिए भी कीर्ति से कम प्यार नही है.
शायद उन्हे किसी से अपना प्यार जताना आता ही नही था या फिर उन्हे कभी इस बात की परवाह ही नही रही कि, उनके बारे मे कौन क्या सोचता है. वो बस अपने ही बनाए उसूलों पर चलती रही.
उनकी इतनी ज़्यादा कामयाबी की एक वजह शायद ये भी थी कि, उन्हो ने घर या बाहर किसी की भी बात की कोई परवाह नही की थी. लेकिन मुझे उनकी परवाह हो रही थी और उनके इस कदम से मेरे दिल को ठेस भी पहुचि थी.
शायद वाणी दीदी इस बात को अच्छी तरह से समझ रही थी. इसलिए जब उन्हो ने मुझे अपनी बात सुनने के बाद भी, खामोश देखा तो, फिर से मुझे समझाते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “अब तुम किस सोच मे पड़े हो. क्या तुम ये नही जानते की, मैं शादी करके यूएसए मे बसना चाहती थी. मगर अपनी नौकरी की वजह से ऐसा कर नही पा रही थी. लेकिन अब नौकरी छोड़ देने से मेरी शादी का रास्ता भी सॉफ हो गया है.”
“तुम्हे तो खुश होना चाहिए कि, तुम्हारी वजह से मेरे शादी करने का रास्ता खुल गया है. अब यदि इसके बाद भी तुम्हे मेरी नौकरी जाने का दुख हो रहा है तो, मेरे पास तुम्हारे इस दुख को दूर करने का भी एक रास्ता है.”
वाणी दीदी की ये बात सुनकर, मेरे साथ साथ बाकी सब भी सवालिया नज़रों से वाणी दीदी की तरफ देखने लगे. वाणी दीदी ने हमारी इस हैरानी को दूर करते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “मेरे पास सीआइडी ऑफीसर से भी बड़ी एक नौकरी की पेशकश आई है.सरकार मेरे काम करने के तरीकों से प्रभावित होकर मुझे अंडरकवर एजेंट बनाना चाहती है.”
वाणी दीदी की ये बात सुनकर, सबके मूह खुले के खुले रह गये. किसी की समझ मे नही आ रहा था कि, आख़िर वाणी दीदी क्या बला है. उन्हो ने एक नौकरी को लात मारी तो, उस से बड़ी दूसरी नौकरी खुद ही उनके पास चल कर आ गयी.
मैं भी उनकी इस बात को सुनकर, बस उन्हे देखता रह गया. उन्हो ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “अब तुम खुद ही फ़ैसला ले लो कि, मुझे अब शादी कर लेना चाहिए या फिर अभी भी ये ही सब काम करते रहना चाहिए.”
वाणी दीदी की इस बात को सुनकर, सबके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी. क्योकि अब वो दोनो मे से चाहे कोई भी काम करती बात खुशी की ही थी. लेकिन उनकी इस बात ने मुझे उलझन मे डाल दिया था.
क्योकि मैं दिल से चाहता था कि, वो शादी कर ले. लेकिन उनके काम से उनकी खुद की एक पहचान थी और शादी के बाद, उनकी वो पहचान ख़तम होने वाली थी. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि, मैं उन्हे क्या जबाब दूं.
मैं अपनी इसी उलझन मे उलझा हुआ था कि, तभी कीर्ति ने हमारी बात के बीच मे कूदते हुए कहा.
कीर्ति बोली “दीदी आप शादी कर लो. हम लोग कब से आपकी शादी होने का इंतजार कर रहे है.”
कीर्ति की इस बात पर छोटी माँ और नितिका ने भी हां मे हां मिला दी. उन सबको ऐसा करते देख कर, मैने भी इस बात पर अपनी सहमति की मोहर लगा दी. जिसके बाद वाणी दीदी ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “ठीक है, मैं अभी से बात करती हूँ. वैसे भी वो प्रिया को देखने आने ही वाला है. उसी समय हम बाकी सब बातें भी तय कर लेगे.”
वाणी दीदी की बात सुनते ही, पहली बार अमि की आवाज़ सुनाई दी. वो वाणी दीदी की शादी होने की बात सुनकर, बहुत खुश नज़र आ रही थी. लेकिन निमी कीर्ति की गोद मे बैठी बैठी सो चुकी थी.
यदि इस समय निमी जाग रही होती तो, उसने ज़रूर ये बात सुनते ही नाचना सुरू कर दिया होता. इन सब बातों के चलते 3 कब बज गये, किसी को पता ही नही चला. जब निधि दीदी ने घर जाने की इजाज़त माँगी, तब सबका ध्यान इस तरफ गया.
इसके बाद, बाकी सब भी घर जाने की तैयारी करने लगे. राज भी अपने घर वालों को घर जाने के लिए कहने लगा. पहले तो कोई भी घर जाने को तैयार नही हो रहा था. लेकिन बाद मे राज के समझाने पर वो भी घर जाने के लिए तैयार हो गये.
लेकिन निक्की और रिया दोनो फिर से हॉस्पिटल मे रुकने की बात पर आपस मे बहस करने लगी. उन्हे बहस करते देख, राज ने निक्की को समझाया और उसे भी बाकी लोगों के साथ घर जाने के लिए तैयार कर लिया.
कुछ ही देर बाद, मुझे राज और रिया को छोड़ कर बाकी सब घर जाने लगे. सबसे पहले निधि दीदी घर के लिए निकली. उनके जाने के बाद दादा जी, आकाश अंकल, पद्मिपनी आंटी, मोहिनी आंटी, नितिका, नेहा और निक्की घर के लिए निकले.
इसके जाने के बाद, छोटी माँ, वाणी दीदी, कीर्ति, अमि, निमी और बरखा दीदी भी घर चली गयी. फिर सबसे आख़िरी मे खालिद भाई, अजय, अमन, निशा भाभी, शिखा दीदी, अलका आंटी और सीरू दीदी भी घर चले गयी.
अजय मेरे साथ हॉस्पिटल मे ही रुकना चाहता था. लेकिन कल उसे अपने नये हॉस्पिटल की तैयारी भी देखना था. जिस वजह से मैने ज़बरदस्ती उसे घर भेज दिया था. अब रिया अंदर प्रिया के पास बैठी थी और मैं राज के साथ बाहर बैठा था.
बीच बीच मे मैं और राज अंदर प्रिया को देखने चले जाते और फिर वापस आकर वही बैठ कर बातें करने लगते. मेरी रात भर राज से यहाँ वहाँ की बातें होती रही और ऐसे ही हमारा सारा समय कट गया.
सुबह के 7 बजते ही आकाश अंकल हॉस्पिटल आ गये. उनकी आँखे बता रही थी कि, हमने उन्हे ज़बरदस्ती घर तो भेज दिया था. लेकिन वो घर जाकर भी शुकून की नींद सो नही पाए और सुबह होते ही वापस हॉस्पिटल आ गये.
वो आते ही, हम लोगों से घर जाने की बोलने लगे. लेकिन हम उन्हे अकेला छोड़ कर जाना नही चाहते थे. इसलिए हम उनके साथ वही रुके रहे. फिर 7:30 बजे अजय और शिखा दीदी भी आ गये.
उनके आते ही, आकाश अंकल फिर हम लोगों से घर जाने को कहने लगे. अंकल की बात सुनकर, शिखा दीदी ने हमसे कहा कि, अब वो प्रिया के पास रहेगी. हम लोग बेफिकर होकर घर जाए.
अजय ने अपने ड्राइवर को हमे घर छोड़ने को कहा और फिर हम लोग घर के लिए निकल पड़े. पहले मैने राज और रिया को उनके घर छोड़ा और फिर मैं अजय के बंगलो के लिए निकल पड़ा.
मुझे वहाँ पहुचते पहुचते 8:30 बज चुके थे. जब मैं वहाँ पहुचा तो, छोटी माँ और वाणी दीदी तैयार बैठी हुई थी. मैने उन्हे इतनी सुबह सुबह तैयार बैठे देखा तो, छोटी माँ से कहा.
मैं बोला “छोटी माँ, आप सब इतनी सुबह सुबह कहाँ जा रही है. क्या आप लोग हॉस्पिटल जा रही है.”
मेरी बात सुनकर, छोटी माँ ने कहा.
छोटी माँ बोली “हां, हम लोग अभी हॉस्पिटल ही जा रहे है और वही से चंदा मौसी को देखने घर भी जाना चाहते है. हम सोच रहे थे कि, आज ही मौसी को देख कर वापस आ जाते.”
“मगर ये अमि निमी हमारे साथ घर जाने को तैयार ही नही हो रही है. दोनो ज़िद किए बैठी है कि, वो तुम्हारे साथ यहाँ आई थी और तुम्हारे साथ ही घर वापस जाएगी. बरखा और कीर्ति उनको दूसरे कमरे मे समझा रही है.”
“इन दोनो लड़कियों ने तो मेरी नाक मे दम करके रख दिया है. दोनो की ज़िद दिनो दिन बढ़ती जा रही है. अब इनको संभालना मेरे लिए मुश्किल होता जा रहा है. मेरी समझ मे नही आता कि, मैं इन दोनो लड़कियों का क्या करूँ.”
छोटी माँ की बात सुनकर, वाणी दीदी ने उन्हे समझाते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “मौसी, उनके बिगड़ने मे आपका कोई दोष नही है. उनको बिगाड़ने मे पूरा हाथ इसी का है. इसने ही उनको सर पर चढ़ा रखा है. जिस वजह से उन की ज़िद दिनो दिन बढ़ती जा रही है.”
“यदि मैं चाहती तो, मेरे चुटकी बजाते ही, वो दोनो हमारे साथ जाने को तैयार हो जाती है. मगर तब हमे इनकी ड्रामेबाजी देखने को नही मिल पाती. अब ये लाट-साब आ गये है तो, इनकी और इनकी लाडलियो की ड्रामेबाजी भी देख लीजिए.”
ये कहते हुए, वाणी दीदी ने कीर्ति को आवाज़ लगाई और उस से अमि निमी को बाहर ले आने को कहने लगी. उसी समय सीरू दीदी, सेलू दीदी और आरू आ गयी और वो लोग छोटी माँ से चलने के बारे मे पुच्छने लगी.
छोटी माँ उनको अमि निमी के बारे मे बता ही रही थी कि, तभी कीर्ति और बरखा दीदी, अमि निमी के साथ बाहर आ गयी. उन ने मुझे देखा तो, सीधे मेरे पास आ गयी और मुझसे छोटी माँ की सीकायत करने लगी.
सीरू दीदी उनकी बात सुनकर, कुछ बोलने ही वाली थी कि, वाणी दीदी ने उनको चुप रहकर, हमारी बात सुनने का इशारा किया. जिसके बाद वो भी चुप चाप अमि निमी की बातें सुनने लगी.
जब अमि निमी की सीकायत करना बंद किया तो, मैने भी उनकी तरफ़दारी करते हुए कहा.
मैं बोला “तुम दोनो की बात बिल्कुल सही है. तुम दोनो मेरे साथ यहाँ आई हो और तुम्हे मेरे साथ ही घर वापस जाना चाहिए. मेरे रहते तुम्हे किसी बात की चिंता करने की ज़रूरत नही है.”
“मैं शाम को सोकर उठने के बाद, तुम दोनो को घुमाने भी ले जाउन्गा. लेकिन मैं तो दिन भर यहाँ सोता रहूँगा और आज नये हॉस्पिटल की वजह से सीरू दीदी लोगों के पास समय नही है. ऐसे मे तुम दोनो यहाँ दिन भर बोर हो जाओगी.”
“छोटी माँ सिर्फ़ दिन भर के लिए ही घर वापस जा रही है. यदि तुम दोनो दिन भर के लिए उनके साथ जाना चाहती हो तो, जा सकती हो. मुझे तुम्हारे जाने का ज़रा भी बुरा नही लगेगा और मैं तुम्हारे आने के बाद, तुम्हे घुमाने ले जाउन्गा.”
मेरी बात सुनकर, अमि सोच मे पड़ गयी और निमी, उसका चेहरा देखने लगी. अमि शायद मेरे दिन भर और अपने अकेले बोर होने की बात सोच रही थी. कुछ देर सोचने के बाद, उसने मुझसे कहा.
अमि बोली “ठीक है भैया, यदि आपको हमारे जाने का बुरा नही लग रहा है तो, हम दोनो मम्मी के साथ घर चले जाते है. आप फिकर मत करना, हम लोग मम्मी के पिछे पड़ कर, उन्हे शाम तक ज़रूर वापस ले आएगे.”
अमि की बात सुनते ही सबके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. वहीं वाणी दीदी ने छोटी माँ से कहा.
वाणी दीदी बोली “देख लिया मौसी, मुझे पता था कि, ये ही सब होना है. मैं इसी वजह से चुप थी और आपसे भी शांति बनाए रखने को कह रही थी. अब आप अपना गुस्सा ख़तम कीजिए और जल्दी चलिए. हमे अपनी फ्लाइट भी पकड़ना है.”
वाणी दीदी की बात सुनकर, छोटी माँ उठ कर खड़ी हो गयी. उन्हो ने मुझे कुछ ज़रूरी बातें समझने लगी और बरखा दीदी सोकर उठने पर खाने के लिए कॉल लगाने की बात जताने लगी. इसके बाद सब छोटी माँ के साथ चले गये.
उनके जाने के बाद, मैने दरवाजा बंद किया और कमरे मे आकर मूह हाथ धोने लगा. मूह हाथ धोने के बाद, मैने कपड़े बदले और आकर बेड पर लेटते हुए मेहुल को कॉल लगा दिया.
मेहुल से बात करके मैने उसका कॉल रखा ही था कि, तभी कीर्ति का कॉल आ गया. वो मुझे उस से सही से बात ना करने की वजह से लड़ती रही. उसके कॉल रखने के बाद, मैं उसके और प्रिया की तबीयत के बारे मे सोचते सोचते सो गया.
फिर मेरी नींद किसी के डोरबेल बजने की आवाज़ सुनकर खुली. कोई लगातार डोरबेल बजाए जा रहा था. मैने समय देखा तो, 4:30 बज गये थे. मैं उठ कर दरवाजा खोलने चला गया.
मैने दरवाजा खोला तो सामने बरखा दीदी और निक्की खड़ी थी. वो मेरे लिए खाना लेकर आई थी. उन्हे खाना लिए देख कर, मैने बरखा दीदी से कहा.
मैं बोला “दीदी, आपको मेरे खाने के लिए परेशान होने की ज़रूरत नही थी. मैने आपसे कहा तो था कि, मैं सोकर उठते ही आपको कॉल कर दूँगा.”
बरखा दीदी बोली “मुझे पता है और मैं ये बात शिखा दीदी को भी समझा रही थी. मगर वो 12 बजे के बाद से ही, मेरे पिछे पड़ी थी. फिर जब वो खुद ही यहाँ खाना लेकर आने की बात कहने लगी तो, मुझे यहाँ आना ही पड़ गया.”
उनकी बात सुनकर, मैने उन्हे बताया कि, मैं अभी सोकर उठा हूँ और मुझे तैयार होने मे समय लगेगा. मैं नहाने के बाद खाना खा लूँगा. इसके बाद, मुझसे थोड़ी बहुत बात करने के बाद, वो वापस चली गयी.
उनके जाने के बाद, मैं फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होने के बाद, मैने खाना खाया और फिर तैयार होकर हॉस्पिटल के लिए निकल गया. मुझे हॉस्पिटल पहुचते पहुचते 6:30 बज गये.
अभी हॉस्पिटल मे पद्मिननी आंटी, राज, रिया, निक्की और बरखा दीदी थी. शिखा दीदी को पुच्छने पर पता चला कि, वो बरखा दीदी के मेरे पास से वापस आते ही, घर चली गयी थी. जबकि निशा भाभी और सीरू दीदी लोग नये हॉस्पिटल मे थी.
इस समय प्रिया के पास रिया थी. सबसे मिलने के बाद, मैं बरखा दीदी के साथ प्रिया के पास चला गया. अभी मुझे प्रिया के पास थोड़ी ही देर हुई थी कि, फिर से उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे.
ये देखते ही, बरखा दीदी ने फ़ौरन निधि दीदी को कॉल लगा दिया. निधि दीदी भी इस समय नये हॉस्पिटल मे थी. उन्हो ने सारी बात सुनने के बाद कहा कि, उन्हे आने मे थोड़ा समय लगेगा. वो प्रिया की जाँच करने ड्यूटी डॉक्टर को भेज रही है.
उनके कॉल रखने के थोड़ी ही देर बाद, एक डॉक्टर आया और प्रिया की जाँच करने लगा. प्रिया की जाँच करने के बाद, उस ने निधि दीदी को कॉल करके सारी रिपोर्ट दे दी. तब तक रिया ने भी बाहर जाकर सबको ये बात बता दी.
सभी भागते हुए, प्रिया के पास आ गये. अभी भी प्रिया की आँखों से आँसू बहने के अलावा, उसके शरीर मे कोई हरकत नही हो रही थी. मगर इस समय उसके ये आँसू सबको इस बात की उम्मीद दिला रहे थे कि, शायद वो होश मे आ जाए.
पिच्छले 48 घंटों से बेहोश पड़ी, प्रिया के आँसू भी, इस समय सबके लिए उसकी मुस्कान से कुछ कम कीमती नही थे. मगर उसकी इस हालत को सहन कर पाना मेरे बस मे नही था.
जब मेरे सहन करने की शक्ति ख़तम होने लगी और मेरी आँखों मे नमी छाने लगी तो, मैं वहाँ से बाहर आ गया. मैं बाहर समुंदर के किनारे आकर बैठ गया और तन्हाई मे प्रिया के बारे मे सोचने लगा.
मैं देख तो समुंदर की तरफ रहा था. लेकिन मुझे नज़र सिर्फ़ प्रिया का चेहरा आ रहा था. मेरी आँखों मे प्रिया का हंसता हुआ चेहरा नज़र आ रहा था और मैं उस चेहरे को देख देख कर आँसू बहाए जा रहा था.
मेरे आँसू बहते जा रहे थे और मैं उन्हे पोंछने की कोसिस भी नही कर रहा था. मैं प्रिया को याद करने मे इतना खोया हुआ था कि, मुझे अहसास ही नही हुआ कि, कब कोई मेरे पास आकर खड़ा हो गया.
मुझे इस बात का अहसास तब हुआ, जब किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा. मैने जब अपना सर उठा कर पिछे देखा तो, मेरे पिछे कीर्ति खड़ी थी. उसे अपने सामने देखते ही, मैं फ़ौरन अपने आँसू पोन्छ्ने लगा.
मेरा आँसुओं से भरा चेहरा देख कर, कीर्ति की आँखों मे भी आँसू झिलमिलाने लगे थे. उसने मेरे पास बैठते हुए कहा.
कीर्ति बोली “क्या हुआ, मुझे देख कर चुप क्यो हो गये. समझ लो मैं तुम्हारे पास हूँ ही नही और इस तूफान को अपने अंदर से बाहर निकल जाने दो. अपनी बहन के दर्द मे आँसू बहाना कोई बुरी बात नही है.”
“मगर तुम ना जाने क्यो, कब से इस तूफान को अपने अंदर छुपाये हुए हो और अंदर ही अंदर घुटे जा रहे हो. आज इसे बाहर निकल जाने दो और अपने हर दर्द को इसमे बह जाने दो. शायद इस से तुम्हारे दिल का बोझ कुछ कम हो जाए.”
कीर्ति की बात सुनकर, मैने अपना चेहरा उसके कंधों मे छुपा लिया और एक बार फिर मेरी आँखों से आँसू छलकने लगे. अब मुझसे प्रिया का दर्द सहन नही हो पा रहा था और मैने इस दर्द से कराहते हुए कहा.
मैं बोला “मुझसे अब प्रिया की हालत देखी नही जा रही है. वो उपर वाला पता नही, उस से किस बात का बदला ले रहा है. पहले उसे जनम लेते ही, उसके माता पिता से दूर कर दिया. वो इस बात से अंजान होने की वजह से खुश थी.”
“मगर उस उपर वाले से उसकी ये खुशी भी नही देखी गयी. उसने उसे एक ऐसी बीमारी दे दी, जिसकी वजह से उसे उसके सबसे बड़े सपने स्विम्मिंग को भूलना पड़ गया. फिर भी उस लड़की ने उस उपर वाले पर से विस्वास नही उठाया.”
“मगर उस उपर वाले को इतने के बाद भी उस मासूम पर रहम नही आया और उसने उसके दिल मे मेरे लिए प्यार पैदा कर दिया. वो शायद इसे एक सुंदर सपना समझ कर भूल भी जाती.”
“लेकिन फिर उस उपर वाले ने मुझे उसके सामने लाकर खड़ा कर दिया और मेरे ही हाथों से उसका दिल तुडवा दिया. मगर इतना सब हो जाने के बाद भी उस मासूम ने किसी से कोई शिकायत नही की और हर दर्द सहकर भी मुस्कुराती रही.”
“शायद उस उपर वाले को उसका मुस्कुराना ही पसंद नही था. उसने अबकी बार उस लड़की को पालने वाले माँ बाप को ही, उस से पराया कर दिया और जिस लड़के को वो अपनी जान से ज़्यादा प्यार करती है, उसे उसका भाई बना कर उसके सामने लाकर खड़ा दिया.”
“बस उस उपर वाले ने उस बेजुबान पर एक मेहरबानी कर दी की, उसे कोमा मे भेज दिया. वरना इस सच्चाई को जानने के बाद, वो चाह कर भी मुस्कुरा नही पाती और सुनते ही, अपना दम तोड़ देती.”
“हम दोनो जुड़वा भाई बहन है. फिर उस उपर वाले का ये कैसा इंसाफ़ है कि, मैं हमेशा ही खुशियों मे पलटा रहा और मेरी मासूम जुड़वा बहन हमेशा ही दुख दर्द सहती रही.”
“तुम सब मुझसे हमेशा पुछ्ते थे ना कि, मैं ज़रा सी बात पर लड़कियों की तरह क्यो रोने लगता हूँ. आज मुझे समझ मे आ रहा है कि, मैं ज़रा ज़रा सी बात पर क्यो रोने लगता था.”
“मैं इसलिए रोता था, क्योकि मेरी बहन को दर्द मे भी रोना नही आता. अपनी बहन के हिस्से के आँसू भी मैं ही बहा लिया करता था. मैं अभी भी जिंदगी भर ऐसे ही रोने को तैयार हूँ.”
“बस वो उपर वाला मेरी बहन के हर दुख दर्द का अंत कर दे और उसके चेहरे की मुस्कुराहट उसे वापस कर दे. उस मासूम पर वो रहम कर दे. इसके बदले मे वो चाहे तो, मेरी जान ले ले.”
मैं कीर्ति के कंधे पर अपना चेहरा छुपाए, रोते हुए, अपने दिल का हर गुबार बाहर निकाले जा रहा था और कीर्ति चुप चाप मेरी बात सुनती जा रही थी. उसकी आँखें भी आँसुओं से भरी हुई थी.
लेकिन वो ना तो खुद के आँसुओं को बहने से रोक रही थी और ना ही मेरे आँसुओं को बहने से रोक रही थी. जब मैं अपनी बात कहते हुए शांत हो गया तो, उसने अपने आँसू पोन्छे और फिर मेरी आँखों को सॉफ करते हुए कहा.
कीर्ति बोली “निक्की बता रही थी कि, प्रिया सिद्धि विनायक को बहुत मानती है. हम ऐसा करते है की, कल सिद्धि विनायक मंदिर चलते है. वो हमारी प्रार्थना ज़रूर सुनेगे और उनके आशीर्वाद से प्रिया जल्दी ठीक हो जाएगी.”
कीर्ति की बात सुनकर, मैं उसके चेहरे को देखने लगा. मुझे भी उसकी ये बात सही लग रही थी. इस समय प्रिया को दुआओं की बहुत ज़रूरत थी. लेकिन कल प्रिया को नये हॉस्पिटल मे भी ले जाया जाना था. इसी बात को ध्यान मे रखते हुए मैने कहा.
मैं बोला “लेकिन कल तो प्रिया को नये हॉस्पिटल मे शिफ्ट किया जाना है और कल ही नये हॉस्पिटल की सुरुआत भी है. क्या ऐसे मे हमारा वहाँ जाना ठीक होगा.”
कीर्ति बोली “प्रिया को 2 बजे के बाद यहाँ से शिफ्ट किया जाएगा और नये हॉस्पिटल का इनॉग्रेषन का समय10:30 बजे का है. हम सुबह जल्दी वहाँ चलेगे और 10:30 बजे के पहले वापस भी आ जाएगे.”
कीर्ति की ये बात सुनकर, मैने उसे चलने की सहमति दे दी. अभी हमारी इस बारे मे बात चल ही रही थी कि, तभी हमे ढूँढते हुए, बरखा दीदी के साथ अमि निमी हमारे पास आ पहुचि. उन्हो ने आते ही कीर्ति से कहा.
अमि बोली “दीदी, आप यहाँ भैया को बुलाने आई थी और आप खुद ही यहाँ बैठ कर रह गयी.”
अमि की बात सुनकर, कीर्ति ने अपनी सफाई देते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मैं तो इसे बुलाने ही आई थी. लेकिन इसके सर मे दर्द था तो, ये थोड़ी देर और यहाँ बैठने की बात करने लगा. इसलिए मैं भी इसके साथ यही बैठ गयी और तुम लोगों को घूमने ले चलने की बात करने लगी.”
कीर्ति की बात सुनकर, अमि गौर से मेरा चेहरा देखने लगी. मुझे लगा कि वो ये देख रही है कि, कहीं कीर्ति उस से झूठ तो नही बोल रही है और अब शायद वो इस बारे मे मुझसे कुछ सवाल करेगी.
लेकिन जैसा मैं सोच रहा था, वैसा कुछ भी नही था. अमि ने मेरा चेहरा गौर से देखने के बाद, मुझसे तो कुछ नही कहा. लेकिन बरखा दीदी की तरफ देखते हुए, उनसे पुछा.
अमि बोली “दीदी, क्या आज भैया ने खाने के बाद, चाय नही पी थी.”
अमि की ये बात सुनकर, बरखा दीदी ने अपना सर पीटते हुए कहा.
बरखा दीदी बोली “सॉरी, शिखा दीदी ने मुझसे कहा भी था कि, खाने के बाद इसे चाय देना ना भूलु. लेकिन इसने खाना लेकर हम लोगों वापस भेज दिया था. मैने भी सोचा था कि, जब ये यहा आएगा तो, तब यही से चाय लेकर इसे पिला दुगी. मगर जब ये यहाँ आया तो, ये बात मुझे याद ही नही रही.”
बरखा दीदी की बात सुनकर, निमी ने अमि से एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा.
निमी बोली “हमारे भैया को जब खाने के बाद, चाय नही मिलती तो, उनका सर दर्द करने लगता है. मैं अभी शिखा दीदी को जाकर बताती हूँ कि, बरखा दीदी ने भैया को चाय नही दी थी.”
ये कह कर निमी हॉस्पिटल के अंदर जाने के लिए मूड गयी. लेकिन बरखा दीदी ने फ़ौरन उसका हाथ पकड़ कर, उसे रोकते हुए कहा.
बरखा दीदी बोली “मेरी माँ, तू शिखा दीदी से कुछ मत बोल, वरना वो अभी सबके सामने मुझे खरी खोटी सुनाने लगेंगी. तू चल मेरे साथ, मैं अभी इसे चाय लेकर देती हूँ.”
ये कहते हुए, बरखा दीदी निमी का हाथ पकड़ कर, चाय लेने जाने लगी. मैने उन्हे रोकने की कोसिस करता रहा, मगर वो नही रुकी. बरखा दीदी और निमी को जाते देख, अमि भी उनके पिछे पिछे चली गयी. मैं और कीर्ति तब तक उन्हे जाते हुए देखते रहे, जब तक कि वो लोग हमारी आँखों से ओझल नही हो गये.
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