RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मुझे तो लग रहा था कि, अभी सब सो रहे होगे. इसलिए मैने घर आने के बाद, डोरबेल बजाने की जगह, कीर्ति को कॉल लगा कर दरवाजा खुलवाया था.
मगर यहाँ का नज़ारा तो मेरी सोच के बिल्कुल ही उल्टा था. इस वक्त घर मे सब कहीं जाने की तैयारी करते नज़र रहे थे. जिस वजह से घर मे काफ़ी चहल पहल का महॉल बना हुआ था.
उस से भी बड़ी हैरानी की बात ये थी कि, इस समय निक्की और नितिका भी यही होना थी. मैं खड़े खड़े हैरानी से सबको देख रहा था कि, तभी बरखा दीदी ने मेरे पास आते हुए कहा.
बरखा दीदी बोली “अरे, तुम आते ही खड़े क्यो हो गये. हम सब तैयार है, तुम भी जाकर जल्दी से तैयार हो जाओ.”
बरखा दीदी की बात सुनकर, मुझे इतना तो समझ मे आ गया कि, शायद वो सब भी हमारे साथ ही जा रहे है. लेकिन ये सब कब और कैसे हुआ. ये बात मेरी समझ मे नही आ रही थी.
मैने भी इस समय इस बात मे समय गवाना ठीक नही समझा और अपने कमरे मे आकर फ्रेश होने चला गया. मैं जब नहा कर बाथरूम से बाहर निकला तो, अमि निमी मेरे बेड पर बैठी थी.
मुझे देखते ही, निमी फ़ौरन दौड़ लगा कर बाहर भाग गयी. जबकि अमि वही बैठी रही. मैने तैयार होते हुए अमि से कहा.
मैं बोला “बेटू, ये निम्मो मुझे देख कर क्यो भाग गयी. क्या इसने सुबह सुबह कोई शरारत की है.”
अमि बोली “नही भैया, वो कीर्ति दीदी ने हमे यहा बैठाया था और कहा था कि, जैसे ही आप नहा कर बाहर निकले, हम उनको आकर बता दे. वो आपके लिए चाय लेकर आ जाएगी.”
मुझे अमि की बातों से समझ मे तो आ गया था कि, निमी मुझे देख कर, इस तरह क्यो भागी है. फिर भी मैने अंजान बनते हुए अमि से कहा.
मैं बोला “लेकिन बेटू, इसके लिए निम्मो को भागने की क्या ज़रूरत थी. वो आराम से जाकर भी तो कीर्ति को ये बात बता सकती थी.”
अमि बोली “भैया, निमी को लगा कि, कहीं उस से मैं जाकर कीर्ति दीदी को ये बात ना बता दूं. इसलिए उसने आपको देखते ही दौड़ लगा दी.”
इतना कह कर, वो खुद ही अपनी बात पर खिलखिला कर हँसने लगी और उसकी इस हँसी मे मैं भी उसका साथ देने लगा. मेरे तैयार होते ही कीर्ति चाय लेकर आ गयी. मैने चाय पी और फिर मैं अमि निमी और कीर्ति के साथ बाहर आ गया.
मुझे देखते ही, सब जाने के लिए उठ कर खड़े हो गये और हम घर को ताला लगा कर बाहर आ गये. लेकिन हम इतने लोग हो चुके थे कि, एक गाड़ी मे नही आ सकते थे. इसलिए निक्की छोटी माँ से एक कार और निकाल लेने को कहने लगी.
निक्की की बात सुनकर, छोटी माँ ने एक कार और निकाल ली. लेकिन अब सवाल ये उठ रहा था कि, कौन किसके साथ बैठेगा. क्योकि सबके सब छोटी माँ के साथ ही बैठने ले लिए खड़े हुए थे.
क्योकि वाणी दीदी से अभी भी सबको दहशत लग रही थी. वाणी दीदी ने हमे गाड़ी मे बैठने की आवाज़ लगाई तो, मैने कीर्ति को वाणी दीदी की कार मे चलने इशारा किया और बरखा दीदी को भी अपने साथ ले आया.
हम तीनो आकर वाणी दीदी की गाड़ी मे बैठ गये और बाकी सब छोटी माँ के साथ हो गये. हम सबके गाड़ियों मे बैठते ही, हमारी गाड़ियाँ सिद्धिविनायक मंदिर जाने के लिए निकल पड़ी.
अभी सुबह के 6:15 बजे थे, इसलिए रास्ते मे ज़्यादा भीड़ नही थी. हम 6:30 बजे सिद्धिविनायक मंदिर पहुच गये. लेकिन वहाँ इतनी सुबह सुबह भी अच्छी ख़ासी भीड़ नज़र आ रही थी.
गाड़ियों को पार्किंग मे लगाने के बाद, छोटी माँ प्रसाद लेने लगी. वाणी दीदी ने भीड़ से बचने के लिए, छोटी माँ से वीआइपी दर्शन करने की बात कही तो, छोटी माँ ने उनको समझाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “हम कोई फिल्म देखने नही आए है कि, भीड़ से बचने के लिए ब्लॅक से टिकेट ले ले. हम भगवान के दर्शन करने आए है और भगवान के डर पर कोई छोटा बड़ा, अमीर ग़रीब नही होता है.”
“भगवान छोटा बड़ा, आमिर ग़रीब नही देखते. वो तो केवल भक्ति भाव देखते है और जो उन के दर्शन पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ करता है. वो उसे अपने दर्शनों का फल ज़रूर देते है.”
“इसलिए हम सब भी आम लोगों की तरह ही बप्पा के दर्शन करेगे. मुझे विस्वास है कि, बप्पा हमे अपने दर्शनों का फल ज़रूर देगे और हमारी प्रिया जल्दी ही कोमा से बाहर आ जाएगी.”
छोटी माँ की इस बात को सुनने के बाद वाणी दीदी ने कुछ नही कहा और फिर हम सब आकर दर्शन करने वालों की कतार मे खड़े हो गये. लेकिन दर्शन करने वालों की कतार मे लगने के कुछ ही देर बाद, निमी की नौटंकी सुरू हो गयी.
वो अपने पैरों मे दर्द होने की बात कह कर, कीर्ति की गोद मे आ गयी. अब निमी इतनी छोटी भी नही थी कि, कीर्ति ज़्यादा देर तक उसे अपनी गोद मे ले सके. कुछ ही देर बाद, कीर्ति के हाथ दर्द करने लगे और उसने निमी को नितिका की गोद मे थमा दिया.
मगर कुछ ही देर बाद, नितिका को भी हाथों मे दर्द महसूस होने लगा तो, उसने निमी को निक्की की गोद मे दे दिया. लेकिन कुछ देर बाद, निक्की की हिम्मत भी जबाब दे गयी और निमी बरखा दीदी की गोद मे आ गयी.
बरखा दीदी को निमी को गोद मे लेने से ज़्यादा परेशानी नही हुई. लेकिन जब वो बहुत देर तक उसे गोद मे लिए रही तो, वाणी दीदी उनसे निमी को अपनी गोद मे देने की बात कहने लगी.
निमी ने जैसे ही वाणी दीदी की गोद मे जाने की बात सुनी तो, उसने फ़ौरन बरखा दीदी की गोद से नीचे उतरते हुए कहा.
निमी बोली “दीदी, अब मेरे पैर का दर्द ठीक है. मैं अमि दीदी के पास जाती हूँ.”
ये कहते हुए, वो दौड़ कर अमि के पास चली गयी और बाकी सब उसकी इस हरकत को देखते रह गये. निमी की इस हरकत पर नितिका ने बुरा सा मूह बनाते हुए कहा.
नितिका बोली “ये निमी भी बड़ी अजीब है. हम सबकी गोद मे रहकर, हमारे हाथों मे दर्द कर दिया और जब वाणी दीदी की उसे गोद मे लेने की बारी आई तो, उसके पैरों का दर्द ही गायब हो गया.”
नितिका की ये बात सुनकर, सब हँसने लगे और कुछ ही देर मे हम कतार मे चलते चलते बप्पा के सामने पहुच गये. हम सब ने बारी बारी से बप्पा के दर्शन किए. फिर छोटी माँ के प्रसाद चढ़ाने के बाद हम बाहर आ गये.
अभी सिर्फ़ 8 बजे थे. हमारे सुबह जल्दी यहाँ आ जाने की वजह से हमे ना तो ज़्यादा भीड़ भाड़ का सामना करना पड़ा था और ना ही हमे दर्शन करने मे ज़्यादा समय नही लगा था.
मगर सुबह जल्दी उठने और नाश्ता ना करने की वजह से अब सबको भूख लगने लगी थी. बरखा दीदी नाश्ता करने के लिए सबसे घर चलने की बात कहने लगी. लेकिन वाणी दीदी ने उनकी बात काटते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “नही, हमे 10 बजे के पहले हॉस्पिटल के इनॉग्रेषन मे भी पहुचना है और यदि हमने घर जाकर नाश्ता किया तो, हमे हॉस्पिटल के लिए निकलने मे देर भी हो सकती है.”
“इसलिए अच्छा यही होगा कि, हम यही आस पास के किसी रेस्टोरेंट मे चल कर नाश्ता कर ले और वही से प्रिया को देखते हुए, नये हॉस्पिटल चल चलेगे.”
वाणी दीदी की ये बात हम सबको सही लगी. हमने पास के ही एक रेस्टोरेंट मे नाश्ता किया और नाश्ता करने के बाद, हम सब 9:15 बजे प्रिया को देखने हॉस्पिटल पहुच गये.
इस समय हॉस्पिटल मे आकाश अंकल, मोहिनी आंटी और दादा जी थे. दादा जी और मोहिनी आंटी बाहर बैठे थे. जबकि आकाश अंकल प्रिया के पास थे. हम सब दादा जी और आंटी से मिलने लगे.
उनसे मिल लेने के बाद, छोटी माँ, अमि निमी और निक्की प्रिया के पास चली गयी. थोड़ी देर बाद, छोटी माँ और अमि निमी, प्रिया को देख कर वापस आई तो, वाणी दीदी और बरखा दीदी प्रिया को देखने चली गयी.
उनके प्रिया के पास से लौटने के बाद, कीर्ति और नितिका प्रिया को देखने गयी. जब वो लोग भी प्रिया को देख कर, आ गयी तो, फिर मैं प्रिया के पास पहुचा. आकाश अंकल उसके पास बैठे थे और निक्की उसके बेड पर ही बैठी थी.
लेकिन वो इस सब बेख़बर बेहोशी की नींद मे सोई हुई थी. उसके चेहरे पर कोई भाव नही था. फिर भी वो हमेशा की तरह बहुत प्यारी लग रही थी और ऐसा लग रहा था कि, जैसे वो अभी आँख खोल कर मुझसे बातें करने लगेगी.
मैं उसके चेहरे को देखने मे खोया हुआ था कि, तभी उसकी आँखों से आँसू बहने लगे. उसके आँसू बहते देख, अंकल ने काँपती आवाज़ मे निक्की से कहा.
आकाश अंकल बोले “निक्की बेटा, जल्दी से निधि को कॉल लगाओ. ये देखो फिर से प्रिया के आँसू आ रहे है.”
निक्की ने प्रिया के आँसू देखे तो, उसकी आँखों मे नमी आ गयी और उसने प्रिया के आँसू पोन्छ्ते हुए अंकल से कहा.
निक्की बोली “अंकल, निधि दीदी को कॉल लगाने का कोई फ़ायदा नही है. वो पहले ही बता चुकी है कि, प्रिया के आँसू दवाइयों की वजह से आ रहे है. जब तक इसका शरीर कोई हरकत नही करता, तब तक ये कोमा मे ही है.”
निक्की की ये बात सुनकर, अंकल की आँखों ने बरसना सुरू कर दिया. वो प्रिया का हाथ अपने हाथों मे लेकर, उसे अपनी आँखों मे लगाए, रोए जा रहे थे. ना जाने कितनी बार मैं उन्हे प्रिया के लिए रोते देख चुका था.
मैं पहले से इस प्रिया के लिए उनके इस प्यार की कदर करता था. लेकिन आज उनके इन आँसुओं की कीमत बहुत ज़्यादा बाद गयी थी. क्योकि आज उनकी आँख से गिरने वाला हर आँसू सिर्फ़ उनकी बेटी के लिए ही नही, बल्कि मेरी बहन के लिए भी गिर रहा था.
वो रोए जा रहे थे और निक्की उनको चुप करने की कोसिस कर रही थी. उनका रोना देख कर मेरी आँखों मे भी नमी आ रही थी. लेकिन मैने अपनी आँखों की नमी को सॉफ किया और अंकल को पकड़ के अपने साथ बाहर ले आया.
मैं उनको दिलासा देते हुए बाहर सबके पास ले आया और नितिका को अंदर भेज दिया. अंकल की ये हालत देख, छोटी माँ और वाणी दीदी उनको दिलासा देने लगी. उनकी बात सुनकर, अंकल ने आँसू भरी आँखोने से अपनी बेबसी जाहिर करते हुए कहा.
अंकल बोले “प्रिया मेरी सबसे लाडली बेटी है और उसकी हँसी से मेरा सारा घर गूँजता रहता था. लेकिन आज उसकी हँसी के बिना मेरा घर, घर ही नही लगता. मैने अपने इन्ही हाथों के झूलों मे मैने उसे झूलाया है और मेरी इन्ही उंगलियों को पकड़ कर उसने चलना सीखा है.”
“लेकिन आज ये हाथ इतने बेबस और लाचार हो गये है कि, अपनी बेटी को उसकी नींद से जगा भी नही पा रहे है. पता नही, मेरे किस गुनाह की सज़ा मेरी इस मासूम बेटी को मिल रही है. मुझसे उसकी ये हालत देखी नही जा रही है.”
अपनी बात कहते कहते अंकल के सबर का बाँध टूट गया और बिलख कर रोने लगे. उनका रोना देख कर, हम सबकी आँखें भी आँसुओं से भीग गयी. दादा जी ने उन्हे आगे बढ़ कर अपने गले से लगा लिया और उन्हे समझाने लगे.
तभी कहीं से निधि दीदी आ गयी. उनको इस समय यहाँ देख कर, हम सबको थोड़ी हैरानी हो रही थी. लेकिन वो खुद भी यहाँ का महॉल देख कर कुछ हैरान और परेशान सी हो गयी. उन ने हमारे पास आते ही कहा.
निधि दीदी बोली “क्या हुआ, यहा सब ठीक तो है ना.”
निधि दीदी की बात सुनकर, मैने उन्हे सारी बात बता दी. जिसे सुनने के बाद, उन्हो ने अंकल को दिलासा देते हुए कहा.
निधि दीदी बोली “अंकल आप प्रिया की ज़रा भी फिकर मत कीजिए. प्रिया की जितनी फिकर आपको है. उतनी ही उसकी फिकर मुझे भी है. तभी तो मैं डॉक्टर. रॉबर्ट के यहा पहुचते ही, उन्हे पहले प्रिया को दिखाने लेकर आई हू.”
ये कहते हुए, निधि दीदी ने अपने साथ आए डॉक्टर. रॉबर्ट का परिचय अंकल से करवाया और फिर वो डॉक्टर. रॉबर्ट को लेकर, प्रिया के कमरे की तरफ बढ़ गयी. हम लोग भी उनके पिछे प्रिया के कमरे तक आए.
लेकिन निधि दीदी ने हम सबको बाहर ही रोक दिया. निधि दीदी के अंदर जाने के थोड़ी देर बाद, निक्की और नितिका भी बाहर आ गयी. उन्हो ने बाहर आकर बताया कि, निधि दीदी के साथ आए, डॉक्टर ने उन लोगों को बाहर भेज दिया.
इसके बाद, हम सब बड़ी बेचैनी से निधि दीदी के बाहर आने का इंतजार करने लगे. करीब 10 मिनट बाद, निधि दीदी बाहर आई और आकाश अंकल को अपने पास बुलाया. उनकी कुछ देर आकाश अंकल से बातें होती रही.
फिर आकाश अंकल ने हमारे पास आकर निक्की को निधि दीदी के पास भेज दिया. निक्की के निधि दीदी के पास पहुचने पर निधि दीदी ने उस से कुछ बातें की और फिर उसे अपने साथ प्रिया के कमरे मे ले गयी.
शायद उनके साथी डॉक्टर को निक्की से कुछ पूछना था. करीब 10 मिनट बाद निक्की बाहर आई और छोटी माँ को अपने साथ बुला कर ले गयी. अब अंदर शायद छोटी माँ से मेरे बारे मे कुछ पुछा जाना था.
छोटी माँ के अंदर जाने के करीब 15 मिनट बाद, निक्की को छोड़ कर, बाकी सब बाहर निकल आए. छोटी माँ हमारे पास आकर खड़ी हो गयी और निधि दीदी, डॉक्टर. रॉबर्ट को लेकर अपने रूम मे चली गयी.
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