RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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हम सब बेचैनी से उनके वापस आने का इंतेजार करने लगे. कुछ देर बाद, वो अपने कमरे से बाहर निकली. उनके चेहरे पर खुशी झलक रही थी. उन ने हमारे पास आकर मुस्कुराते हुए कहा.
निधि दीदी बोली “अंकल, एक खुश-खबरी है. डॉक्टर. रॉबर्ट तो यहाँ सिर्फ़ आज के लिए आए थे. लेकिन प्रिया को देखने के बाद, उन्हो ने अपना इरादा बदल दिया है और उन्हो ने फ़ैसला किया है कि, वो कुछ दिन यही रहकर, खुद ही प्रिया का केस देखेगे.”
“उनके बारे मे तो मैं आपको पहले ही बता चुकी हूँ कि, वो अपने किसी भी केस मे असफल नही रहे है और ये हम सबके लिए बहुत खुशी की बात है कि, उन्हो ने खुद ही प्रिया का केस अपने हाथ मे ले लिया है.”
निधि दीदी की बात सुनकर, हम सबके चेहरे पर रौनक आ गयी. वही इस बात को सुनते ही नितिका ने कहा.
नितिका बोली “ये सब आज बप्पा के दर्शन करने का फल है. उन्हो ने ही डॉक्टर. रॉबर्ट के मन को बदल दिया होगा.”
नितिका की इस बात के जबाब मे निधि दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.
निधि दीदी बोली “ये सच है कि, सच्चे मन से की गयी प्रार्थना कभी बेकार नही जाती और ये भी सच है कि, उपर वाला अच्छों के साथ कभी बुरा नही करता है. इसलिए विस्वास रखो कि, प्रिया जल्दी ठीक हो जाएगी.”
निधि दीदी की ये बात सुनकर, सबको बहुत हौसला मिला. लेकिन मेरा ध्यान इस समय इन सब बातों पर ना होकर, छोटी माँ के उपर था. वो प्रिया के कमरे से बाहर आने के बाद से चुप चुप सी थी.
अभी भी निधि दीदी की बात से उन पर कोई असर पड़ते नही दिखा. वो हम सब के साथ होते हुए भी, ना जाने किस सोच मे खोई हुई थी. वो अपनी सोच मे गुम थी कि, निधि दीदी ने अपनी बात का रुख़ उनकी तरफ मोड़ते हुए कहा.
निधि दीदी बोली “आंटी, इनॉग्रेषन का समय तो कब का हो चुका है. क्या आप वहाँ नही जाएगी.”
निधि दीदी की इस बात को सुनकर, छोटी माँ ने चौंकते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “हां, हां, हम सब भी वही के लिए निकालने वाले थे कि, तभी तुम आ गयी. अब देर करना ठीक नही है, चलो चलते है.”
ये कह कर, छोटी माँ ने आकाश अंकल, दादा जी और मोहिनी आंटी से जाने की इजाज़त ले ली. मगर कीर्ति ने हमारे साथ आने से मना कर दिया. उसने कहा कि, वो प्रिया के साथ ही वहाँ आएगी.
छोटी माँ ने भी उसे यही रुकने की इजाज़त दे दी. इसके बाद, निक्की को बुलाया गया तो, उसने भी सबसे यही बात कही. लेकिन निधि दीदी ने जब उसे हेतल दीदी के बारे मे समझाया तो, वो हमारे साथ चलने को तैयार हो गयी.
इसके बाद, कीर्ति और नितिका को प्रिया के पास ही छोड़ कर, हम सब निधि दीदी के साथ नये हॉस्पिटल के जाने के लिए निकल पड़े. कुछ ही देर मे हम सब नये हॉस्पिटल पहुच गये.
मैं पहली बार इस हॉस्पिटल मे आ रहा था. इसलिए इसे देख कर, मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी. हॉस्पिटल की इमारत तीस मंज़िला होने के साथ साथ, उसके आस पास का महॉल भी हॉस्पिटल के हिसाब से ही था.
हॉस्पिटल के एक तरफ विशाल समुंदर तो, दूसरी तरफ एक बहुत बड़ा गार्डन था. इस समय गार्डन मे अच्छी ख़ासी भीड़ नज़र आ रही थी. इनॉग्रेषन प्रोग्राम उसी गार्डन मे चल रहा था.
जिस हॉस्पिटल मे अभी प्रिया थी, ये हॉस्पिटल उस से चार गुना बड़ा था. हॉस्पिटल के सामने गाड़ियों की पार्किंग के लिए बहुत बड़ी जगह दी गयी थी. जो अभी गाड़ियों से पूरी तरह से भरी हुई थी.
हम भी अपनी गाड़ियाँ वही पार्क करने लगे. गाड़ी से उतरते समय मेरी नज़र उस पार्किंग के पिछे बनी एक आलीशान इमारत पर पड़ी. जो किसी होटेल से कम नही लग रही थी. उसे देख कर, मैने बरखा दीदी से उसके बारे मे पुछा तो, उन्हो ने कहा.
बरखा दीदी बोली “ये एक धरमशाला है. इसे बाहर से आने वाले मरीजों को ध्यान मे रख कर बनाया गया है. जिस से कि मरीज के साथ आने वालों को यहा रुकने मे कोई परेशानी ना हो. यहाँ रुकने के साथ साथ खाने पीने की भी सुविधा है.”
बरखा दीदी से बात करते हुए हम सब उसी गार्डन मे पहुच गये. अजय ने अपने खास मेहमानो से हमारा परिचय कराया. इस समय वहाँ संतरी से लेकर मंत्री तक सभी मौजूद थे.
मगर मेरे जानने वालो मे, अजय, अमन, निशा भाभी, शिखा दीदी, अमन की मोम, चाचा, चाची, सीरू दीदी, सेलू दीदी, आरू, हेतल दीदी, हेटल दीदी की मोम, धीरू शाह, अभय, खालिद और अजय अमन के कुछ रिश्तेदार के अलावा कोई नही था.
इसलिए मैं छोटी माँ को सबसे मिलता छोड़ कर, शिखा दीदी के पास आ गया. मेरी शिखा दीदी से बात चल रही थी कि, तभी सीरू दीदी और हेतल दीदी आ गयी. हेतल दीदी ने मुस्कुराते हुए मुझे अपने गले से लगा लिया.
अमि निमी उनको देख कर, थोड़ा घबरा रही थी और उनकी इस घबराहट को देख कर, मैं उनका परिचय हेतल दीदी से करवाने से बच रहा था. क्योकि मैं अमि निमी की किसी हरकत की वजह से हेतल दीदी के दिल को चोट पहुचाना नही चाहता था.
लेकिन हेतल दीदी की नज़र अमि निमी पर पड़ गयी और उन्हो ने खुद ही मुझसे उनके बारे मे पुच्छ लिया. आख़िर मे मजबूर होकर, मैने उनका परिचय अमि निमी से करवाते हुए कहा.
मैं बोली “दीदी, ये अमि निमी है.”
इसके साथ ही मैने अमि निमी को भी हेतल दीदी का परिचय देते हुए कहा.
मैं बोला “बेटू, छोटी ये हेतल दीदी है.”
मेरे मूह से हेतल दीदी का नाम सुनते ही, अमि निमी का सारा डर भाग गया और उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. उनके चेहरे पर मुस्कुराहट देख कर, मेरा चेहरा भी फिर से खिल उठा.
असल मे उनके इस डर के भाग जाने की दो वजह थी. पहली सबसे ज़रूरी वजह तो ये थी कि, यहाँ वालों के भेजे गये, गिफ्ट और खिलोनो मे से उन्हे सबसे ज़्यादा, हेतल दीदी के भेजे हुए खिलोने ही पसंद आए थे.
जबकि दूसरी वजह ये थी कि, वो वीडियो मे हेतल दीदी को पहले ही देख चुकी थी. उस समय मैं उनको बता चुका था कि, तुमको इतने प्यारे गिफ्ट भेजने वाली हेतल दीदी यही है और जल्दी ही सर्जरी से इनका ये चेहरा ठीक हो जाएगा.
उस समय तो उन दोनो ने भी बड़े जोश मे कह दिया था कि, चेहरा खराब होने से क्या होता है. हमारी सबसे अच्छी दीदी तो यही है. लेकिन यहाँ अचानक उनको अपने सामने देख कर, वो शायद उन्हे पहचान नही पाई और घबरा गयी.
मगर जब उन्हे हेतल दीदी का नाम पता चला तो, उनका डर खुद-ब-खुद भाग गया और उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मगर यहाँ भी निमी अपनी हरकत से बाज नही आई. उसने हेतल दीदी के सामने अपना रोना रोते हुए कहा.
निमी बोली “दीदी, आपने अमि दीदी को कितनी अच्छी नाचने वाली गुड़िया दी है. लेकिन मुझे ढोल बजाने वाला, ऐसा गुड्डा दिया है कि, वो ढोल बजाते बजाते ही गिर जाता है और सब मेरा मज़ाक उड़ाते है.”
निमी की बात सुनकर, सब हँसने लगे और हेतल दीदी ने उसके सामने बैठ कर, प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा.
हेतल दीदी बोली “तुम फिकर मत करो. मैं तुम्हे उस से भी प्यारी गुड़िया दूँगी.”
हेतल दीदी की बात सुनते ही, निमी ने खुश होते हुए कहा.
निमी बोली “दीदी, जल्दी से दे देना. नही तो आप हॉस्पिटल मे…….”
अभी निमी अपनी बात पूरी भी नही कर पाई थी कि, तभी सीरू दीदी ने उसे अपनी गोद मे उठा लिया. ये देख कर हेतल दीदी ने, सीरू दीदी को टोकते हुए कहा.
हेतल दीदी बोली “अरे उसे कहाँ ले जा रही हो. उसे उसकी बात तो पूरी करने दो.”
लेकिन सीरू दीदी ने उनकी बात को अनसुना करते हुए कहा.
सीरू दीदी बोली “अरे ये जब से आई है, तुम से ही बतियाए जा रही है. इस से थोड़ा मुझे भी तो बात करने दो. तब तक तुम पुन्नू से अपनी ज़रूरी बात को पूरा कर लो.”
ये कहते हुए, सीरू दीदी ने अमि को अपने साथ आने का इशारा किया और उन दोनो को हमारे पास से दूर लेकर चली गयी. हेतल दीदी को सीरू दीदी की ये हरकत समझ मे नही आई और वो हैरानी से उन्हे देखती रह गयी.
लेकिन मैं उनकी इस हरकत को समझ चुका था. असल मे निमी शायद बातों बातों मे हतेल दीदी के भरती होने की बात बोलने वाली थी. जिसे वक्त रहते सीरू दीदी ने बोलने से रोक दिया था और इसी वजह से वो उन्हे हम से दूर ले गयी थी.
हेतल दीदी को इस तरह हैरान देख कर, मैने बात का रुख़ अपनी तरफ मोड़ ते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, वो लोग अभी वापस आ जाएगी. आप ये बताइए कि, आपको मुझसे क्या ज़रूरी बात करनी है.”
मेरी बात सुनकर, हेतल दीदी का ध्यान सीरू दीदी की तरफ से हट गया और उन्हो ने मुस्कुराते हुए कहा.
हेतल दीदी बोली “पहले तुम ये बताओ कि, तुम कितने दिन के लिए यहाँ आए हो. तब ही मैं तुम्हे अपनी बात बताउन्गी.”
मैं उनकी बात का मतलब समझ रहा था. फिर भी मैने अंजान बनते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, मैं तो हॉस्पिटल के इनॉग्रेषन के लिए आया हू और इसके बाद चला जाउन्गा.”
हेतल दीदी बोली “तब तुम अपना जाना कुछ दिन के लिए टाल दो.”
मैं बोला “क्यो दीदी.”
हेतल दीदी बोली “क्योकि कल मेरी सर्जरी होने वाली है. ऐसे मे तुम्हे एक दो दिन तो मेरे पास रुकना ही पड़ेगा.”
हेतल दीदी की ये बात सुनकर, मैने भी थोड़ा नखरा करते हुए कहा.
मैं बोला “नही दीदी, मैं तो यहाँ खुद से आया हूँ. आपने तो मुझे ये बात बताने की ज़रूरत ही नही समझी. यदि मैं यहा नही आया होता तो, मुझे ये बात पता भी नही चलती और आपकी सर्जरी भी हो गयी होती.”
मेरी बात सुनते ही, हेतल दीदी ने कसम खाते हुए कहा.
हेतल दीदी बोली “अरे नही नही, मैं तुमको कॉल करने ही वाली थी. तभी निशा भाभी ने बताया कि, तुम यहाँ आ रहे हो. तुमको चौकाने के लिए ही, हमने ये बात अभी तक छुपा कर रखी थी.”
“लेकिन अब यदि तुमने मेरी सर्जरी के पहले यहाँ से जाने की बात सोची भी तो, मैं सर्जरी से सच मे भाग जाउन्गी और तुम जानते हो कि, मेरे लिए ऐसा करना कोई बड़ी बात नही है.”
उनकी ये बात सुनकर, मुझे मन ही मन हँसी आ गयी. क्योकि इसी डर की वजह से तो, सब उनसे प्रिया की बात को छुपा कर रखे हुए थे. मैने उनकी इस बात को सुनकर, उन्हे यकीन दिलाया कि, मैं उनकी सर्जरी के बाद भी यही रुकुंगा.
इसके बाद, मेरी उनसे इसी बारे मे बात चलती रही. तभी निधि दीदी हमे बुलाने आ गयी. अब कार्यक्रम के मुख्य-अतिथि हॉस्पिटल का लोकार्पण करने वाले थे. हम सब उन्ही के पास आकर खड़े हो गये.
उन्हो ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच के संग-मरमर के शीला-लेख का अनावरण किया और फिर से तालियों की गड़गड़ाहट गूँज गयी. लेकिन जैसे ही मेरी नज़र शिला-लेख पर लिखे हॉस्पिटल के ट्रस्टीस के नाम पर पड़ी, मैं चौके बिना ना रह सका.
हॉस्पिटल के ट्रस्टीस मे मेरा नाम भी लिखा हुआ था. ट्रस्टीस मे अपना नाम देख कर मैने चौुक्ते हुए निशा भाभी से कहा.
मैं बोला “भाभी ये सब क्या है. हॉस्पिटल के ट्रस्टीस मे मेरा नाम क्यो लिखा हुआ है.”
मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “तुम ट्रस्टीस मे शामिल हो. इसलिए तुम्हारा नाम लिखा हुआ है. तुम पूरे नाम पढ़ो, तुम्हे और भी नये नाम नज़र आएगे.”
निशा भाभी की बात सुनकर, मैं एक बार फिर से हॉस्पिटल ट्रस्टीस का नाम पड़ने लगा. ट्रस्टीस मे सबे पहले अजय, फिर अमन, फिर निशा भाभी, फिर शिखा दीदी, फिर निधि दीदी, फिर बरखा दीदी, फिर हेतल दीदी, फिर सीरू दीदी, फिर सेलू दीदी, फिर आरू, फिर निक्की, फिर प्रिया और सबसे आख़िरी मे मेरा नाम था.
पहले हॉस्पिटल के 7 ट्रस्टीस बनाए गये थे. जिनमे कि अजय और आरू का नाम जोड़ा जाना था. लेकिन अब हॉस्पिटल के 13 ट्रस्टीस थे. जिनमे अजय और आरू के साथ साथ, निधि दीदी, निक्की, प्रिया और मेरा नाम भी जोड़ दिया गया था.
मुझे उसमे किसी के नाम पर कोई ऐतराज नही था. लेकिन फिर भी अपना और प्रिया का नाम जोड़े जाने पर कुछ अजीब ज़रूर लग रहा था. मैने अपनी इस हैरानी को निशा भाभी पर जाहिर करते हुए कहा.
मैं बोला “भाभी, इसमे बाकी नाम तो ठीक है. लेकिन इसमे मेरा और प्रिया का नाम क्यो जोड़ा गया है.”
निशा भाभी बोली “प्रिया निक्की की सहेली है और उसका नाम निक्की के कहने पर जोड़ा गया था. इसलिए प्रिया का नाम देख कर तुमको हैरान होने की ज़रूरत नही है. हां तुम अपने नाम का ज़रूर पुच्छ सकते हो कि, वो किसके कहने पर जोड़ा गया.”
मैं बोला “इसमे पुछ्ना क्या है. मेरा नाम शिखा दीदी या बरखा दीदी के कहने पर जोड़ा गया होगा.”
मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “नही, तुम्हारा नाम हम मे से किसी के कहने पर नही जोड़ा गया. असल मे तुम्हारे जाने के बाद, हम सब तुम्हारी हॉस्पिटल का नाम बदलने की बात पर चर्चा कर रहे थे.”
“शिखा और बरखा तो इस बात पर अपनी सहमति दे चुकी थी. लेकिन अलका आंटी से इस बारे मे बात करना बाकी रह गया था. जब हमने उनसे इस बारे मे बात की तो, उन्हो ने भी इस पर कोई ऐतराज नही जताया.”
“उन्हो ने सिर्फ़ इतना कहा कि, उन्हे हॉस्पिटल का नाम शेखर के नाम पर ना रखे जाने से कोई ऐतराज नही है. लेकिन वो चाहती है कि, पुन्नू उनके बेटे जैसा है और उसने शेखर की जगह, शिखा के भाई का फ़र्ज़ निभाया है.”
“यदि इस हॉस्पिटल मे किसी तरह से उसको भी जोड़ लिया जाए तो, उन्हे बेहद खुशी होगी. उनकी ये बात सुनकर, हम सबके चेहरे खुशी से खिल उठे और अमन ने तुम्हारा नाम ट्रस्टीस मे जोड़े जाने की बात रख दी.”
“तुम्हारा नाम ट्रस्टीस मे नाम जोड़े जाने के बाद, अजय, आरू और निक्की का नाम भी वापस ट्रस्टीस मे जोड़े जाने की बात चल रही थी कि, तभी बरखा ने निधि का और निक्की ने प्रिया नाम जोड़ने की बात रख दी.”
“प्रिया का नाम ट्रस्टीस जोड़े जाने की सहमति हमने आकाश अंकल से ले ली थी. जबकि तुम्हारा नाम जोड़े जाने की सहमति सीरू ने सुनीता आंटी से ली थी. इस तरह ये सारे नाम सबकी सहमति से ही जोड़े गये है.”
निशा भाभी की इस बात से याद आया कि, जब यहाँ से जाने के बाद, हम मेहुल के घर मे थे, तब सीरू दीदी ने छोटी माँ से बात करके, उनका गुस्सा शांत किया था. शायद यही बात करके उन्हो ने छोटी माँ गुस्सा शांत किया था.
लेकिन निक्की का नाम वापस जोड़े जाने की बात मेरी समझ मे नही आ रही थी. क्योकि निशा भाभी ने पहले जिन 7 ट्रस्टीस के नाम बताए थे, उनमे निक्की का नाम नही था. मैने जब निशा भाभी के सामने ये बात बात रखी तो, उन्हो ने कहा.
निशा भाभी बोली “निक्की का नाम पहले ट्रस्टीस मे शामिल किया जाना था. लेकिन जब अजय और आरू का नाम उसमे शामिल नही किया गया तो, निक्की ने भी अपना नाम शामिल करने से मना कर दिया था.”
मेरी निशा भाभी से बात चल रही थी कि, तभी शिखा दीदी मेरे पास आ गयी और मेरी उनसे बात होने लगी. अब सभी लोग हॉस्पिटल मे थे और अमन सबको हॉस्पिटल मे प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के बारे मे बता रहा था.
इस सबके चलते चलते 1 बज गया और लोगों का जाना सुरू हो चुका था. कुछ ही देर मे कुछ खास लोगों को छोड़ कर, बाकी लोग जा चुके थे. अब अमन नये हॉस्पिटल के डॉक्टर और नर्स से चर्चा कर रहा था और उन्हे कुछ ज़रूरी निर्देश दे रहा था.
जब अमन का सबको निर्देश देना हो गया तो, वो हमारे पास आ गया और हेतल दीदी से घर जाकर आराम करने को कहने लगा. मगर हेतल दीदी हम सबको छोड़ कर घर जाने को तैयार नही हो रही थी.
तब अमन ने मुझसे और सीरू दीदी से हेतल दीदी के साथ घर जाने को कहा. हम अमन के ऐसा करने का मतलब समझ रहे थे. इसलिए हम बिना कोई सवाल जबाब किए, हेतल दीदी के साथ जाने को तैयार हो गये.
निशा भाभी हमसे अमि निमी को अपने साथ घर ले जाने को कहने लगी. जिसके बाद, मैं, अमि निमी, सीरू दीदी और हेतल दीदी घर के लिए निकल गये. अमन के घर पहुच कर, हम सब यहाँ वहाँ की बातें करते रहे.
इसी बीच हम लोगों ने एक साथ मे खाना खाया. फिर 5 बजे के बाद सेलू दीदी, आरू, अमन और निशा भाभी घर वापस आ गयी. उन्हो ने बताया कि प्रिया को नये हॉस्पिटल मे शिफ्ट कर दिया गया और अब हम लोग वहाँ जा सकते है.
निशा भाभी से इजाज़त मिलने के बाद, मैं सीरू दीदी और अमि निमी के साथ हॉस्पिटल आ गया. प्रिया का रूम हॉस्पिटल के 25थ फ्लोर पर था. हम लोग सीधे 25थ फ्लोर पर पहुच गये.
प्रिया इस समय जिस रूम मे थी, उसे देख कर, लग ही नही रहा था कि, वो इस समय किसी हॉस्पिटल मे है. उसका रूम किसी होटेल के सूयीट से कम नही लग रहा था. इस समय प्रिया के पास सभी लोग मौजूद थे.
अजय उन से कुछ बात कर रहा था और किसी ने भी हमे आते हुए नही देखा था. लेकिन तभी प्रिया की आँखों से फिर आँसू बहने लगे और प्रिया के आँसू देखते ही, एक एक करके, सबकी नज़र खुद-ब-खुद दरवाजे की तरफ बढ़ती चली गयी.
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