MmsBee कोई तो रोक लो
09-11-2020, 12:01 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मुझे सबका इस तरफ से मुझे देखने का मतलब समझ नही आ रहा था. इसलिए मैं भी सबको हैरानी से देखे जा रहा था. तभी आकाश अंकल ने मेरी तरफ इशारा करते हुए निधि दीदी से कहा.

अंकल बोले “अब तो आप लोगों ने खुद देख लिया ना कि, कैसे पुनीत के आते ही, प्रिया की आँखों से आँसू बहने लगे. क्या अब भी आपको लगता है कि, प्रिया की आँखों से आँसू दवाइयों की वजह से आ रहे है.”

अंकल की इस बात को सुनकर, निधि दीदी ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा.

निधि दीदी बोली “अंकल, हम ये बात पहले से ही जानते है कि, प्रिया के आँसू पुनीत की वजह से ही निकल रहे है और इस बारे मे मेरी डॉक्टर. रॉबर्ट से भी चर्चा हो चुकी है. उन्हो ने भी इस बात पर अपनी सहमति दे दी है.”

“हमने आप लोगों से ये बात सिर्फ़ इसलिए कहना ठीक नही समझा. क्योकि कहीं आपको ये ना लगे कि, जिस लड़की को आपने इतने साल तक पाला है. उसे आप मे से किसी के भी होने का कोई अहसास नही है.”

“मगर वो कोमा की हालत मे भी अपने जुड़वा भाई के आने का अहसास कर लेती है और उसके आते ही, आँसू बहाना सुरू कर देती है. इस बात से आपके दिल को कोई चोट ना पहुचे. बस इसी वजह से हमने ये बात आप लोगों से नही कही थी.”

निधि दीदी की ये बात सुनकर, आकाश अंकल ने उन से कहा.

अंकल बोले “निधि बेटा, तुम ये कैसी बात कर रही हो. मैं जुड़वा बच्चों की ख़ासियत को अच्छी तरह से जानता हूँ. कुछ जुड़वा बच्चे तो ऐसे भी होते है, जिन्हे अपने जुड़वा को लगी चोट का अहसास तक होता है.”

“बस इसी वजह मैं इस बात पर ज़ोर दे रहा था कि, प्रिया भले ही कोमा मे हो. लेकिन उसे पुन्नू के आने का कुछ ना कुछ अहसास ज़रूर होता है और तुम लोगों को इस बात को अनदेखा नही करना चाहिए.”

अंकल की बात सुनकर, अजय ने उनको समझाते हुए कहा.

अजय बोला “अंकल, आपकी बात बहुत हद तक सही है. लेकिन आप जुड़वा बच्चों की जिस ख़ासियत की बात कर रहे है. वो सिर्फ़ एक-समान जुड़वा (आइडेंटिकल ट्विन्स) मे ही देखने को मिलती है.”

“जब माँ के पेट मे भ्रूण (एंब्रीयो) बनने वाला अंडा किसी ख़ास परिस्तिथि, मे भ्रूण (एंब्रीयो) बनने के पहले ही, दो हिस्सो मे विभाजित हो जाता है तो, एक ही अंडे से दो भ्रूण का विकास होना सुरू हो जाता है.”

“इस तरह एक ही अंडे से बने जुड़वा बच्चों को एक-समान जुड़वा (आइडेंटिकल ट्विन्स) कहते है. ऐसे बच्चों के चेहरो और उनकी हरकतों मे बहुत ज़्यादा समानता देखने को मिलती है.”

“लेकिन एक-समान जुड़वा (आइडेंटिकल ट्विन्स) हमेशा एक ही लिंग के होते है. वो या तो लड़के लड़के ही हो सकते है या फिर लड़की लड़की हो सकते है. एक लड़का एक लड़की कभी एक-समान जुड़वा (आइडेंटिकल ट्विन्स) नही होते है.”

“प्रिया और पुन्नू आसमान जुड़वा (फ्रेटर्नल ट्विन्स) है. जब माँ के पेट मे एक ही समय मे दो अलग अलग अन्डो से, दो भ्रूण (एंब्रीयो) का विकास होता है तो, उसे आसमान जुड़वा (फ्रेटर्नल ट्विन्स) कहते है.”

“असमान जुड़वा (फ्रेटर्नल ट्विन्स) बच्चे एक समान लिंग के भी हो सकते है और अलग अलग लिंग के भी हो सकते है. आम तौर पर ऐसे बच्चों के चेहरो और उनकी हरकतों मे कोई समानता देखने को नही मिलती है.”

“मगर ये जुड़वा बच्चे ही एक साथ एक ही समय मे अपनी माँ के गर्भ मे रहते है. इसलिए इनकी 50 प्रतिशत आदतें और हरकतें आपस मे मिलती है. लेकिन प्रिया हमे इस बात का अपवाद बनती नज़र आ रही है.”

“उसके दिमाग़ ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया है. लेकिन उसका दिल धड़क रहा है और अच्छी तरह से काम भी कर रहा है. उसका दिल ही उसे पुन्नू के उसके पास होने का अहसास करता है और उसके आँसू निकलना सुरू हो जाते है.”

“इस तरह की बातें अक्सर एक-समान जुड़वा (आइडेंटिकल ट्विन्स) बच्चों मे ही देखने को मिलती है और आसमान जुड़वा (फ्रेटर्नल ट्विन्स) बच्चो मे ऐसी कोई बात कभी देखने को नही मिलती है.”

“मगर प्रिया के साथ ऐसा होने की वजह शायद उसके दिल का शरीर के बाएँ तरफ (लेफ्ट साइड) होने की जगह दाहिनी तरफ (राइट साइड) होना भी हो सकता है. जिस वजह से उसके दिल को माँ के पेट से ही पुन्नू के दिल को महसूस करने की आदत पड़ गयी है.”

इतना बोल कर, अजय चुप हो गया. लेकिन उसकी बात सुनकर, छोटी माँ, कीर्ति और मैं उसे हैरानी से देखने लगे. छोटी माँ ने अजय के पास आते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “प्रिया के दिल के दाहिनी तरफ (राइट साइड) होने से क्या मतलब है. क्या प्रिया का दिल हम सबकी तरह नही है. क्या उसे इस से कोई ख़तरा है.”

छोटी माँ की इस बात को सुनकर, अजय ने उन्हे दिलासा देते हुए कहा.

अजय बोला “आंटी, प्रिया का दिल हम सबकी तरह शरीर के बाएँ तरफ (लेफ्ट साइड) ना होकर, उसके शरीर के दाहिनी तरफ (राइट साइड) मे है. ऐसा हज़ारों लोगों मे से किसी एक इंसान मे ही देखने को मिलता है.”

“प्रिया का दिल बीमारी की वजह से कमजोर ज़रूर है. लेकिन उसका दिल अच्छी तरह से काम कर रहा है. अपने दिल की वजह से उसे कोई ख़तरा नही है. वो अपने इरादों की बहुत मजबूत लड़की है और उसकी यही बात उसके कमजोर दिल को भी मजबूत बनाती है.”

“हम सबके शरीर से एक मानसिक तरंग निकलती है. लेकिन हम एक दूसरे की तरंगो को महसूस नही कर पाते है. मगर एक-समान जुड़वा (आइडेंटिकल ट्विन्स) बच्चों मे एक दूसरे की मानसिक तरंगो को महसूस करने की ताक़त होती है.”

“बिल्कुल वो ही ताक़त हमे प्रिया मे भी देखने को मिल रही है. उसका दिल पुन्नू के शरीर से निकलने वाली तरंगो को महसूस कर लेता है. अक्सर किसी सदमे का असर हमारे दिल पर पड़ता है और हमे दिल का दौरा पड़ जाता है.”

“लेकिन प्रिया ने जब पुन्नू के साथ हुए हादसे की न्यूज़ देखी तो, इसका असर सिर्फ़ उसके दिमाग़ पर पड़ा और उसके दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया. मगर इस न्यूज़ का कोई असर उसके दिल पर नही पड़ा.”

“क्योकि कहीं ना कहीं प्रिया के दिल को इस बात का पूरा अहसास था कि, पुन्नू को कुछ भी नही हुआ है और इसी वजह से उसका दिल अपना काम करता रहा. अभी भी जब पुन्नू उसके करीब आता है तो, उसके दिल की धड़कने बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है.”

“उसका दिल पुन्नू को अपने पास पाना चाहता है. लेकिन उसके दिमाग़ के काम ना करने की वजह से बेबसी मे उसके आँसू निकलने लगते है. इस समय वो खुद से ही एक जंग लड़ने मे लगी हुई है.”

“डॉक्टर. रॉबर्ट को ये सारी बातें हमने विस्तार से बता दी है और आज से उन्हो ने प्रिया का इलाज सुरू भी कर दिया है. उनका कहना है कि, यदि सब कुछ उनके मुताबिक चलता रहा तो, प्रिया जल्दी ही कोमा से बाहर आ जाएगी.”

अजय की बात सुनकर, सबके चेहरे पर उम्मीद की एक किरण जगमगा उठी. लेकिन प्रिया की हालत को जान कर, मेरा दिल रोने को कर रहा था. अपना ध्यान इस बात पर से हटाने के लिए, मैने बात बदलते हुए छोटी माँ से कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, वाणी दीदी यहाँ दिखाई नही दे रही है. वो कहाँ गायब है.”

मेरी बात सुनकर, छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “वो अभी और उसके पापा को लेने एरपोर्ट गयी है.”

छोटी माँ की बात सुनते ही, मैने चौुक्ते हुए कहा.

मैं बोला “क्या जीजू यहाँ आ गये है. लेकिन वाणी दीदी ने ये बात पहले क्यो नही बताई. मैं भी उनके साथ जीजू को लेने चला जाता. वाणी दीदी की ये बात ज़रा भी अच्छी नही है.”

अभी मैं इतना ही बोल पाया था कि, तभी मुझे वाणी दीदी की आवाज़ सुनाई दी.

वाणी दीदी बोली “किसे मेरी कौन सी आदत अच्छी नही लगती है.”

वाणी दीदी की आवाज़ सुनते ही, सबकी नज़र दरवाजे की तरफ चली गयी. वो अभी जीजू और उनके पिताजी के साथ आ रही थी. मैने उन्हे देखा तो, देखता ही रह गया. वो वाइट कलर के सूट मे बिल्कुल किसी हीरो की तरह दिख रहे थे.

मैने अब तक उन्हे सिर्फ़ फोटो मे ही देखा था और उनका फोटो देख कर ही, मैं उन्हे वाणी दीदी के लिए पसंद भी कर चुका था. मेरी अभी उन से एक दो बार फोन पर बात हो चुकी थी. लेकिन उन्हे अपने सामने देखने का ये मेरा पहला मौका था.

उन्हो ने आते ही, छोटी माँ के पैर छुए और फिर प्रिया को देखने, उसके पास चले गये. वाणी दीदी ने उन्हे प्रिया की तबीयत के बारे मे बताया और फिर उनका सबसे परिचय करवाने लगी. अभी जीजू ने सबसे मिलने के बाद, निधि दीदी से कहा.

अभी जीजू बोले “मुझे वाणी ने बताया था कि, प्रिया का इलाज डॉक्टर. रॉबर्ट करेगे. इसलिए मैने डॉक्टर. रॉबर्ट के यहाँ आने के पहले ही, उन से यहाँ रह कर, प्रिया का इलाज करने के बारे मे बात कर ली थी. अब डॉक्टर. रॉबर्ट यही रह कर प्रिया का इलाज करेगे.”

“इसके बाद भी यदि आप लोगों को प्रिया के इलाज के लिए यूएसए तो क्या, दुनिया के किसी भी कोने से, किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो, आप बेहिचक होकर मुझे कह सकते है. मैं पलक झपकते ही, उसे आपके सामने हाजिर कर दूँगा.”

अभी अभी जीजू की बात पूरी भी नही हो पाई थी कि, तभी ना जाने वाणी दीदी को क्या हुआ कि, उनके तेवर अचानक ही बदल गये. उन ने गुस्से मे भड़कते हुए अभी जीजू से कहा.

वाणी दीदी बोली “ये लोग पिछ्ले चार दिन से प्रिया के लिए रात दिन एक कर रहे है और तुम ने आते ही, अपनी बातों से इन्हे नीचा दिखाना सुरू कर दिया. मुझे तुमसे ऐसी बात की ज़रा भी उम्मीद नही थी.”

“ये जो अजय तुम्हारे सामने खड़ा है, इसकी गिनती देश के टॉप 5 उद्योगपतिओं मे होती है. अभी तुम जिस हॉस्पिटल मे खड़े हो. ये हॉस्पिटल भी अजय का ही है. प्रिया के लिए अजय के प्यार का अंदाज़ इसी बात से लगाया जा सकता है कि, उसने प्रिया को भी इस हॉस्पिटल के ट्रस्टीस मे शामिल किया है.”

“ये ही नही, यदि तुम दौलत की बात करो तो, प्रिया की छोटी माँ की दौलत मे इतने ज़ीरो है कि, यदि तुम्हारी और अजय की सारी दौलत को भी मिला दिया जाए तो, वो प्रिया की छोटी माँ की दौलत से एक ज़ीरो को भी कम नही कर सकती.”

“वो प्रिया के इलाज के लिए यूएसए तो क्या, दुनिया के किसी भी कोने से, कुछ भी पलक झपकते ही मॅंगा सकती है. लेकिन उन्हे प्रिया के इलाज मे कहीं कोई कमी नज़र नही आ रही है. इसलिए वो इस मामले मे खामोश है.”

इतना कह कर, वाणी दीदी चुप हो गयी. उनकी इस बात ने वहाँ खड़े सभी लोगों की भी बोलती बंद कर दी थी. वाणी दीदी कि इस बात से अभी जीजू और उनके पिता जी का चेहरा भी छोटा सा हो गया था.

वाणी दीदी के स्वाभाव को सभी अच्छे से जानते थे. उनको किसी बात को समझाने की कोसिस करना, सिर्फ़ उनके गुस्से को बढ़ाना ही था. इसलिए हम मे से कोई भी, उनको समझाने की हिम्मत नही कर पा रहा था.

छोटी माँ, अजय और बाकी लोगों को भी समझ मे नही आ रहा था कि, इस महॉल को कैसे फिर से पहले जैसा बनाया जाए. तभी कीर्ति ने सीरू दीदी को कुछ करने का इशारा किया. जिसके बाद, सीरू दीदी ने हंस कर, ताली पीटते हुए अभी जीजू से कहा.

सीरत बोली “वाह जीजू, आपने भी क्या खूब वाणी दीदी को बेवकूफ़ बनाया है. उनकी तो समझ मे ही नही आया की, हम सब मिले हुए है और उनको गुस्सा दिलाने के लिए ही ये नाटक कर रहे थे.”

सीरू दीदी की ये बात सुनते ही, सब सीरू दीदी की तरफ देखने लगे. लेकिन सीरू दीदी ने उल्टे सबकी तरफ सवाल दागते हुए कहा.

सीरत बोली “अरे आप लोगों को क्या अब भी समझ मे नही आया कि, अभी जीजू सिर्फ़ वाणी दीदी को गुस्सा दिलाने के लिए ये नाटक कर थे. उन्हो ने पहले ही, कॉल करके, ये बात हमको बता दी थी. यदि आपको मेरी बात पर यकीन ना हो तो, कीर्ति से पुछ लो. जीजू ने उसको ही कॉल किया था.”

सीरू दीदी की इस बात को सुनकर, सब कीर्ति की तरफ देखने लगे. कीर्ति ने भी फ़ौरन सीरू दीदी की बात पर हां मे हां मिला दी. जिसके बाद सबके चेहरे पर हँसी वापस आ गयी.

सबको अच्छे मूड मे देख कर, अभी जीजू के चेहरे पर भी राहत आ गयी. वही वाणी दीदी का चेहरा ऐसा हो गया. जैसे कि उन्हे सच मे किसी ने बेवकूफ़ बना दिया हो. कुछ देर सीरू दीदी इसी मामले को सुलझाने मे लगी रही.

जब सब कुछ पहले की तरह हो गया तो, अभी जीजू ने इस बात को संभालने के लिए, कीर्ति और सीरू दीदी को थॅंक्स बोला. कुछ देर बाद वाणी दीदी, अभी जीजू और उनके पिताजी को अपने साथ लेकर चली गयी.

उनके जाने के बाद, निधि दीदी, अजय, शिखा दीदी भी चले गये. फिर 7 बजे के बाद, छोटी माँ, बरखा दीदी और कीर्ति भी अमि निमी के साथ घर चले गये. रात के 10 बजे तक सब घर जा चुके थे.

अब हॉस्पिटल मे मैं, रिया और राज ही थे. आज हम सब घर मे ही खाना खा कर आए थे. इसलिए हमे किसी के आने की उम्मीद नही थी. लेकिन आज भी अजय रात 10:30 बजे आ गया और रात को 12:30 बजे घर वापस चला गया.

अजय के जाने के बाद, हम तीनो प्रिया के पास ही रहे. लेकिन आज मेरे और राज के प्रिया के पास ही रहने की वजह से रिया सो गयी थी. नींद तो मुझे और राज को भी बहुत ज़्यादा सता रही थी.

मगर एक दूसरे से बात करते रहने की वजह हमे जागने मे ज़्यादा परेशानी नही हो रही थी. बस ऐसे ही बात करते करते सुबह के 7 बज गये. सुबह होते ही, आकाश अंकल और निक्की आ गये.

आज सनडे था और आज हेतल दीदी की सर्जरी भी होना थी. इसलिए मुझे आज दिन भर हॉस्पिटल मे ही रुकना था. निक्की लोगों के आते ही, मैं उनको जता कर, फ्रेश होने के लिए घर आ गया.

घर आने के बाद, मैने फ्रेश हुआ और तैयार होने लगा. मेरे तैयार होते ही, कीर्ति चाय नाश्ता लेकर आ गयी. मैने कीर्ति से बात करते हुए, चाय नाश्ता किया और फिर मैं कीर्ति के साथ कमरे से बाहर आ गया.

छोटी माँ, वाणी दीदी, बरखा दीदी और अमि निमी पहले से ही तैयार बैठी थी. मेरे आते ही वो उठ कर खड़ी हो गयी और फिर 8:15 बजे हम सब हॉस्पिटल जाने के लिए निकल पड़े.

हमारे पहुँचने के कुछ ही देर बाद, हेतल दीदी की सर्जरी सुरू हो गयी. उनकी सर्जरी 3 बजे तक चली. सर्जरी हो जाने के बाद, उनको प्रिया के पास वाले रूम मे ही, शिफ्ट कर दिया गया.

उनको रूम मे शिफ्ट करने के बाद, मैं अमि निमी और कीर्ति के साथ 3:30 बजे घर आ गया. आज अभी जीजू को वापस भी जाना था. लेकिन अब मुझे बहुत नींद सता रही थी. इसलिए मैं घर वापस आते ही सो गया.

फिर मेरी नींद 9:30 बजे कीर्ति के जगाने पर खुली. उसने मुझे बताया कि, अभी जीजू और उनके पिताजी शाम की फ्लाइट से जा चुके है. कीर्ति से थोड़ी बहुत बात करने के बाद, मैं फ्रेश होने चला गया.

फ्रेश होने के बाद, मैं तैयार हुआ और फिर सबके साथ, डिन्नर करने बैठ गया. डिन्नर के बाद, मैं 10:30 हॉस्पिटल पहुच गया. हॉस्पिटल पहुचते ही, मैं सबसे पहले हेतल दीदी से मिलने उनके पास गया. उन्हे अभी भी होश नही आया था.

इस समय उनके पास उनकी मम्मी, सीरू दीदी, सेलू दीदी, आरू, और शिखा दीदी थी. उनसे मिलने के बाद, मैं प्रिया के पास आ गया. प्रिया के पास इस समय आकाश अंकल, पद्मि नी आंटी, अजय, निक्की, नितिका, रिया और राज थे.

मेरे पहुचने के कुछ ही देर बाद, आकाश अंकल, पद्मिानी आंटी और नितिका के साथ घर वापस चले गये. उनके जाने के कुछ ही देर बाद, सेलू दीदी, आरू, और शिखा दीदी भी अजय के साथ घर वापस चली गयी.

अब हॉस्पिटल मे हेटल दीदी के पास उनकी मम्मी, सीरू दीदी और निक्की थी. जबकि प्रिया के पास मैं, राज और रिया थे. लेकिन बीच बीच मे सीरू दीदी, निक्की, रिया, राज और मैं इस कमरे से उस कमरे मे होते रहते थे.

रात को 1 बजे के बाद, हेतल दीदी को होश आ गया. उनके होश मे आते ही, मैं उनसे जाकर मिला. मैने उन्हे बताया कि, अजय ने हमारे रुकने के लिए एक कमरा खुलवा दिया है और हम उसी मे रुके हुए है.

मेरी ये बात सुनकर, वो बहुत ज़्यादा खुश हुई. इसके बाद हम सब थोड़ी थोड़ी देर मे यहाँ से वहाँ होते रहते थे. हेतल दीदी दवाइयों के असर की वजह से ज़्यादातर समय सोती ही रही.

ऐसे ही करते करते रात बीत गयी और सुबह के 7 बज चुके थे. आज मंडे था और प्रिया के कोमा मे रहने का 6वाँ दिन था. लेकिन उसने अब तक अपने आँसू बहाने के सिवा, कोई भी हरकत नही की थी.

मैं इसी बारे मे सोच रहा था कि, तभी अंकल और नितिका आ गये. मैने उनको घर जाने की बात जताई और हेतल दीदी से मिलने आ गया. हेतल दीदी से मिलकर, मैने उन्हे शाम को आने की बात जताई और मैं घर आ गया.

मैं जब घर पहुचा तो, कीर्ति ने मुझे चाय लाकर दी. मैं चाय पीने लगा तो, कीर्ति ने मेरे सामने आज का अख़बार रख दिया. अख़बार देखते ही, मैं समझ गया कि, आज मंडे होने की वजह से वो मुझे अख़बार दे रही है.

मैं चाय पीते पीते अख़बार मे तृप्ति की रचना ढूँढने लगा. लेकिन पूरा अख़बार देख लेने के बाद भी, मुझे कहीं भी तृप्ति की रचना नज़र नही आई और मैने मायूस होकर अख़बार को एक किनारे रख दिया.

आज के अख़बार मे तृप्ति की रचना को ना पाकर, अब मुझे भी कीर्ति की ये बात सही लगने लगी थी कि, प्रिया ही तृप्ति है. लेकिन मेरा दिमाग़ अभी भी इस बात को मानने के लिए तैयार नही था.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-11-2020, 12:01 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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