MmsBee कोई तो रोक लो
09-11-2020, 01:54 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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उसने प्रिया की तरफ देखा तो, प्रिया आँख बंद करके लेटी हुई थी. वही दूसरी तरफ अमि मेरा हाथ पकड़ कर खड़ी हुई थी. उन दोनो की हरकत को देख कर, कीर्ति मुस्कुराए बिना ना रह सकी.

उसने मुझे शांत रहने का इशारा किया और खुद निक्की को अमि निमी को घुमाने ले जाने की बात बताने लगी. जिसे सुनकर प्रिया ने अपनी आँखें खोल ली और मन लगा कर कीर्ति की बातें सुनने लगी.

कीर्ति ने प्रिया को बातें सुनते देखा तो, उसने अपनी बातों का रुख़ निक्की से हटा कर प्रिया की तरफ कर दिया. कीर्ति की बातें सुनकर, प्रिया की मुझसे नाराज़गी दूर हो गयी और उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा.

प्रिया बोली “सॉरी, मेरी तबीयत की वजह से तुम अमि निमी को ठीक से मुंबई नही घुमा पाए.”

प्रिया की ये बात सुनकर, मेरे कुछ बोलने के पहले ही निमी बोल पड़ी.

निमी बोली “दीदी, आपकी तबीयत खराब होने की वजह से ही हम लोगों को मुंबई घूमने मिला है. अब आप जब तक बीमार है, हम लोग रोज मुंबई घूमने जाएगे.”

निमी की ये बात सुनते ही, वहण खड़े सभी लोग हँसने लगे. वही अमि उसे घूर कर देखने लगी. शायद अमि को निमी का प्रिया से बात करना पसंद नही आया था. वही प्रिया ने निमी की बात का समर्थन करते हुए कहा.

प्रिया बोली “ये ठीक है, अब जब तक तुम लोगों का मुंबई घूमना पूरा नही हो जाता, तब तक मैं बीमार ही पड़ी रहूगी.”

ये कह कर प्रिया खुद भी हँसने लगी. थोड़ी देर सब मे इसी बात को लेकर बातें होती रही. फिर पद्‍मिनी आंटी आ गयी तो, मैं अमि निमी के साथ प्रिया के कमरे से दूसरे कमरे मे आ गया.

मैं अमि निमी को प्रिया के बारे मे समझाने की सोच ही रहा था कि, तभी कीर्ति और निक्की भी वही आ गयी. उनको देख कर, मैं अपनी बात कहते कहते रुक गया और उनसे यहाँ वहाँ की बातें करने लगा.

मेरी उनसे बात चल ही रही थी कि, तभी मेरी नज़र सामने पड़े अख़बार पर पड़ी. आज बुधवार (वेडनेसडे) था, इसलिए मैं अख़बार उठा कर उसमे तृप्ति की रचना देखने लगा. तभी निक्की ने मुझे टोकते हुए कहा.

निक्की बोली “जो तुम उसमे ढूँढ रहे हो, वो नही है.”

निक्की की बात सुनकर, मैं चौक गया और मैने अपनी बात पर परदा डालते हुए कहा.

मैं बोला “मैं कुछ नही ढूँढ रहा. मैं तो बस ऐसे ही पन्ने पलट रहा था.”

मेरी बात के जबाब मे निक्की ने कहा.

निक्की बोली “मुझे लगा कि, तुम उसमे तृप्ति की रचना ढूँढ रहे हो. तृप्ति की रचना अब सोमवार (मंडे) को ही आएगी.”

निक्की की बात सुनकर, मैने अख़बार एक किनारे रखते हुए कहा.

मैं बोला “मुझे उसकी रचना पढ़ने की लत लग गयी है. लेकिन उसे मत बताना कि मैं उसकी सच्चाई को जान गया हूँ.”

निक्की बोली “मैं उसे नही बताउन्गी. क्योकि वो भी यही चाहती है कि, तुमको उसकी सच्चाई का पता ना चले.”

निक्की से ऐसे ही मेरी तृप्ति के बारे मे बातें होती रही. अमि निमी गौर से मेरी बात सुन रही थी. लेकिन उन्हे मेरी बातें समझ मे नही आ रही थी. इसलिए अमि ने मुझे टोकते हुए कहा.

अमि बोली “भैया ये आप क्या बातें कर रहे है. मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रही है.”

अमि की बात सुनकर मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “तू मेरी बातों मे क्यो अपना दिमाग़ लगा रही है. तू मेरी बातों मे दिमाग़ मत लगा और जाकर हेतल दीदी से मिल ले.”

मेरी बात सुनकर, अमि निमी को लेकर हेतल दीदी के पास चली गयी. अमि निमी के ना होने से मुझे निक्की को अपनी सफाई देने का मौका मिल गया और मैने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए निक्की से कहा.

मैं बोला “सॉरी, उस दिन मैं तुम्हारे कहने पर भी यहाँ नही आ पाया था. लेकिन उस दिन मैं मजबूर था. वरना निशा भाभी के साथ ही यहाँ आ गया होता.”

मेरी बात सुनकर, निक्की ने मुस्कुराते हुए कहा.

निक्की बोली “तुमको इस बात मे अपनी सफाई देने की कोई ज़रूरत नही है. कीर्ति पहले ही मुझे तुम्हारी परेशानी बता चुकी है. सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए कि, मैने तुम्हे बेकार मे ही ग़लत समझा.”

निक्की की बात सुनकर, मुझे इस बात का सुकून हुआ कि, उसकी मेरे से नाराज़गी दूर हो गयी है. लेकिन अभी भी मेरे सामने अमि एक परेशानी का सबब बनी हुई थी. मैने अपनी ये ही बात निक्की के सामने रख दी.

मेरी ये बात सुनकर, निक्की ने मुझे यकीन दिलाया कि, वो अमि निमी के मन मे प्रिया के लिए प्यार जगाने की पूरी कोसिस करेगी. इसके बाद, मेरी कीर्ति और निक्की से इसी बारे मे बातें होती रही.

इसके बाद का मेरा सारा समय ऐसे ही बीत गया और रात के 8:30 बजे मैं, अमि निमी, कीर्ति और बरखा दीदी घर वापस आ गये. घर आकर हम लोगों ने खाना खाया और फिर आपस मे बातें करने लगे.

इसी बीच छोटी माँ का कॉल आ गया. उनसे हम सबने बातें की और फिर उसके बाद 10 बजे सब अपने अपने कमरो मे आ गये. मैने अपने कमरे मे आकर कपड़े बदले और फिर लेट कर आज दिन भर की बातें याद करने लगा.

मैं इन्ही सब बातों मे उलझा हुआ था कि, तभी 10:45 बजे कीर्ति मेरे कमरे मे आ गयी. मैने उस से अमि निमी के बारे मे बात की तो, उसने कहा कि सबर रखो, प्रिया अमि निमी को बहुत पसंद करती है. उसकी यही बात धीरे धीरे अमि निमी को उसके पास ले आएगी.

मेरे पास भी अभी इसके सिवा कोई रास्ता नही था. इसलिए मैने अभी इस बात पर चुप रहना ही थी समझा. इसके बाद मेरी कीर्ति से देर रात तक बातें होती रही. फिर 1बजे रात को कीर्ति सोने चली गयी. उसके जाने के बाद, मैं फिर अपनी सोच मे गुम हो गया और ना जाने कब मुझे नींद आ गयी.

अगले दिन सुबह फिर हम लोग मुंबई घूमने चले गये और दोपहर के खाने के बाद हॉस्पिटल पहुचे. हॉस्पिटल पहुचने पर हमें पता चला कि, कल प्रिया की हॉस्पिटल से छुट्टी हो जाएगी.

मैने ये बात कॉल करके छोटी माँ को बताई तो, उन ने कहा कि, वो कल सुबह वाहा पहुच जाएगी. इसके बाद वहाँ कोई खास बात नही हुई. रात को हम सबने घर आकर खाना खाया और फिर सब अपने अपने कमरे मे सोने चले गये.

मेरी देर रात तक कीर्ति से बातें होती रही. अब उसकी तबीयत मे बहुत ज़्यादा सुधार हो चुका था. लेकिन उसकी दवा अभी भी चल रही थी. जिस वजह से वो मेरे पास सोने से परहेज कर रही थी.

देर रात तक मुझसे बात करने के बाद, कीर्ति अपने कमरे मे सोने चली गयी. उसके जाने के बाद मैं भी सोने की कोसिस करने लगा. लेकिन आज रात को मेरी आँखों से नींद ना जाने कहाँ गायब हो गयी थी.

मेरी नींद गायब होने की वजह ये थी कि, प्रिया की हॉस्पिटल से छुट्टी होने के बाद, एक दो दिन के अंदर मेरी भी अपने घर को वापसी होना तय थी. जबकि मैं अभी प्रिया को छोड़ कर वापस जाना नही चाहता था.

मैं छोटी माँ को तो इसके लिए आराम से मना सकता था. लेकिन अमि ने पिच्छले कुछ दिनो मे प्रिया को लेकर अपना जो रूप मुझे दिखाया था, उसने मुझे अंदर तक डरा कर रख दिया था.

मैं पहली बार किसी बात को लेकर अपनी लड़ली अमि से इतना डरा हुआ था कि, उस से खुल कर बात करने तक की हिम्मत नही कर पा रहा था. मुझे डर सता रहा था कि, कहीं मेरी किसी बात का उसके नन्हे मन पर बुरा असर ना पड़े.

मैं चाह कर भी इन बातों को अपने दिमाग़ से निकल नही पा रहा था और मेरी इसी सोच ने मेरी नींद उड़ा कर रख दी थी. मैं देर रात तक इसी उलझन मे उलझा रहा और इसी उलझन मे उलझे उलझे मुझे नींद आ गयी.

सुबह मेरी 9 बजे मेरी नींद मेरी नटखट निमी के जगाने पर खुली. वो मेरी पीठ पर बैठ कर, मुझे हिला हिला कर जगाने की कोसिस कर रही थी. मेरी नींद खुली तो, मैने उस से कहा.

मैं बोला “निम्मो अब बस कर, मैं जाग गया हूँ.”

मेरी बात सुनकर, उसने मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.

निमी बोली “भैया, जल्दी उठो, मम्मी आने वाली है.”

मैं बोला “मैं तब उठुगा ना, जब तू मेरे उपर से उठेगी. चल अब मेरे उपर से अलग हो और मुझे उठने दे.”

मेरी बात सुनकर, निमी मेरे उपर से उठ गयी और मैने उठ कर बैठते हुए कहा.

मैं बोला “बाकी सब कहाँ है.”

निमी बोली “बरखा दीदी, कीर्ति दीदी और अमि दीदी नाश्ता कर रही है. उन्हो ने मुझे आपको उठाने भेजा है.”

मैं बोला “चल ठीक है, अब मैं उठ गया हूँ. तू भी जाकर नाश्ता कर ले.”

इतना कह कर, मैं फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होने के बाद मैं तैयार हुआ और कमरे से बाहर निकला तो, छोटी माँ और वाणी दीदी आ चुकी थी. छोटी माँ ने बताया कि, आज चंदा मौसी की भी हॉस्पिटल से छुट्टी होना है और वो अभी मौसी के साथ उनके घर मे रहेगी.

छोटी माँ की ये बात सुनकर, मुझे नेहा और दुर्जन की याद आ गयी. मैने फ़ौरन ही छोटी माँ से कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, अभी तो दुर्जन मामा और नेहा भी वही पर है. वो दोनो अभी किसके पास रह रहे है.”

मेरी बात के जबाब मे छोटी माँ ने कहा.

छोटी माँ बोली “वो दोनो अभी दीदी (अनु मौसी) के साथ ही है. इसलिए चंदा मौसी को भी अभी दीदी के पास ही रखा गया है.”

छोटी माँ की ये बात सुनकर, मैं उनसे और भी बातें पुछ्ना चाहता था. लेकिन वो उठ कर मूह हाथ धोने चली गयी. उनके जाने के बाद, वाणी दीदी भी मूह हाथ धोने चली गयी और मैं नाश्ता करने लगा.

जब तक मेरा नाश्ता करना हुआ, तब तक छोटी माँ और वाणी दीदी भी वापस आ गयी. इसके बाद हम सब हॉस्पिटल के लिए निकल गये. हॉस्पिटल मे सभी लोग थे. कुछ ही देर मे प्रिया की हॉस्पिटल से छुट्टी हो गयी और हम सब प्रिया के साथ उसके घर आ गये.
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