RE: Kamukta kahani अनौखा जाल
भाग १३)
अन्दर घुसते ही देखा, वो आदमी चाची के कमर में हाथ डाले एक टेबल की ओर बढ़ा जा रहा है | ये ऐसा होटल है, जिसके ऊपर वाले फ्लोर पर ठहरने वाले होटल जैसी सारी व्यवस्था है और नीचे, जहां अभी मैं हूँ... वो किसी रेस्टोरेंट और कैफेटेरिया का कॉम्बो जैसा है | यहाँ पिज़्ज़ा, बर्गर, हॉट डॉग्स, नूडल्स से लेकर हाई क्वालिटी की चाय, कॉफ़ी तक और तो और बियर और शराब तक अवेलेबल है | पूरी जगह की एक सरसरी सी नज़र दौड़ा कर मुआयना किया .... वो आदमी चाची को लेकर एक टेबल से लगी तीन कुर्सिओं में से एक पर बैठ गया और चाची को भी खिंच कर अपने से लग रखी दूसरी कुर्सी पर बैठाया | मैं तुरंत उनके ठीक बगल वाले टेबल पर जा कर बैठ गया | बगल में होते हुए भी वो टेबल थोड़ा पीछे था | वहां लोग बहुत नहीं थे पर थे भी | अभी तक मैंने पहली वाली ख़त्म कर एक और सिगार सुलगा लिया था | मेरे टेबल के लिए भी तीन कुर्सी थी जिनमें से एक पर मैं बैठा था ; बाकी दोनों खाली थे | मैं पेपर को सामने लिए पढने का ढोंग करने लगा | मेरे बैठने के कोई दो मिनट ही हुए होंगे की लाल कपड़े पहने एक वेटर आ गया और बड़ी शालीनता से आगे की ओर थोड़ा झुक कर सीधा होगया और बहुत ही शांत लहजे में पूछा, “व्हाट वुड यू लाइक तो हेव सर...?”
“वन कॉफ़ी प्लीज़....लेस शुगर ... एंड अ टोस्ट...!” मैंने भी बड़े ही रोबीले अंदाज़ में अपना ऑर्डर दिया...|
“ओके सर... एनीथिंग एल्स सर...|”
“म्मम्म... या.. गेट अन ऑमलेट आल्सो...|” थोड़ी बेफिक्री से कहा मैंने... |
वेटर एक बार फिर वैसे ही झुक कर सलाम कर के चला गया .. पेपर पढ़ता हुआ मैं बीच बीच में चाची की टेबल की तरफ़ देख लेता | काला चश्मा पहने होने के कारण उन दोनों को पता नहीं चल रहा था की मैं उन्हें देख भी रहा हूँ |
इसी दौरान मैंने देखा की वो आदमी अपने कुरते के पॉकेट से एक स्टील केस बाहर निकाल कर उसे खोला और उसमें से एक सिगार निकाल कर सुलगा लिया... और धुआं चाची के चेहरे पर छोड़ने लगा.. | चाची को परेशानी हो रही थी पर वो बिना कुछ कहे, हाथों से धुआं हटाते हुए थोड़ा खांसती, फिर अपने पल्लू का एक सिरा अपने नाक पर रख लेती | चाची की यह हालत देख कर मेरी भी हंसी छूटने को हो रही थी |
तभी मेरी नज़र उनके टेबल के नीचे गई ... और थोड़ा चौंक उठा ... वो आदमी अपना बायाँ हाथ चाची के दाएँ जाँघ पर रख कर पूरे जांघ को ऊपर से नीचे घुटनों तक और फिर घुटनों से ऊपर कटिप्रदेश तक ले जा रहा था | बड़े आराम से, पर साथ ही थोड़ा तेज़ और रफ़ली हाथ फेर रहा था चाची की जाँघ पर | आदमी को देख कर तो कतई ऐसा नहीं कहा जा सकता था की उसके हाथ नरम होंगे... वहीं इसके उल्ट चाची को तो नरम त्वचा का दूसरा नाम कहा जा सकता था... उस आदमी के खुरदुरे हाथ के अपने जांघ पर स्पर्श से चाची के शरीर में सिहरन दौड़ रही थी ... तभी तो रह रह कर वो काँप उठती थी | इतना ही नहीं, हद तो तब हुई जब उस आदमी ने धुआं छोड़ते हुए चाची की तरफ़ थोड़ा झुक कर उनके दाएँ गाल पर एक किस दे दिया | गाल पर किस होते ही चाची चौंक कर इधर उधर देखी ... किसी को खुलेआम अपने प्यार का इज़हार करने के मूड में था वो आदमी.. पर अच्छे से समझ आ रहा था की ये प्यार व्यार कुछ नहीं... सिर्फ वासना का गन्दा खेल खेलने की बेकरारी है |
अभी ये सब चल ही रहा था की तभी दो काम एक साथ हुआ...
वेटर मेरा ऑर्डर ले आया और उधर एक हैट पहना हुआ, लाइट ब्राउन कलर का ब्लेजर-ट्राउजर , वाइट शर्ट पर रेड टाई लगाया हुआ आदमी, देखने से उम्र यही कोई पचास – पचपन का होगा, आया और चाची वाले टेबल में, खाली वाले चेयर पर बैठ गया.. उसके बैठते ही चाची ने थोड़ा डर और थोड़ा आश्चर्य आँखों में लिए अपने साथ वाले आदमी की ओर देखा और तुरंत ही अपने जांघ पर गोल गोल घूम रहे उसके हाथ को झटक कर दूर किया.. पर उस आदमी ने बड़ी ही बेशर्म वाली मुस्कान लिए फिर से चाची की जांघ पर हाथ रखा और आँखों के इशारों से चुप रहने को कहा | करीब दस मिनट तक शान्ति बनी रही | फिर उस ब्लेजर वाले आदमी ने कोई कोड बोलने को बोला पठानी सूट वाले आदमी को ... पठानी सूट वाला आदमी मुस्कुरा कर चाची की ओर देखा और आँखों के इशारे से कुछ कहा.. चाची सहमी हुई इधर उधर देखते हुए अपने दाएँ तरफ़ से सीने पर से पल्लू को सरका कर नीचे की और बिकिनी ब्लाउज के कप को थोड़ा और नीचे कर दी... वो दोनों आदमी तो बस देखते ही रह रहे थे उस तरफ़...
बिकिनी ब्लाउज कप थोड़ा नीचे होते ही चाची के दाईं चूची के निप्पल के थोड़ा ऊपर एक लाल रंग का दिल बना हुआ था... (शायद लाल रिफिल वाले पेन से)... और उस दिल के ऊपर, ब्लैक या ब्लू कलर से कुछ लिखा हुआ था जो मेरे से पढ़ा नहीं गया | चाची ने अपने निप्पल को अंगूठे से छिपा रखा था .... चेहरे पर शरारत सी शर्मो ह्या की लालिमा छाई हुई थी और साथ ही बेईज्ज़ती और किसी अनहोनी की आशंका का डर भी सताया हुआ था |
कुछ देर तक लगातार देखने के बाद उस आदमी ने खुद को संभाला... और गला साफ़ करते हुए बोला,
“हह्म्म्म... कोड सही है... गुड..जल्दी मुलाकात हो गई |” हैट वाला बोला |
“तो अब काम की बात करें?” पठानी सूट वाला बोला |
हैट – “हाँ.. बिल्कुल... ये बताओ मेरे माल देने के बाद मुझे मेरा माल कब मिलेगा?”
सूट – “पहले माल का डेमो देखेंगे... फिर फैसला करेंगे...”
हैट – “ओके... आज डेमो लाया हूँ... दिखाऊँ ??”
सूट – “बिल्कुल... |”
हैट वाले ने अपने ब्लेजर के अन्दर के पॉकेट से एक छोटा काला डिब्बा निकाला और बड़ी ही सावधानी से टेबल पर रख दिया.. फिर इधर उधर देखते हुए वो बॉक्स खोलना चाहा ... इस पर सूट वाले आदमी ने हँसते हुए कहा... “हाहाहा ... मिस्टर सैम.. डरिये नहीं... ये जगह हम जैसे लोगों के लिए ही है..|” सैम के साथ साथ मैंने भी एक बार हल्का सा नज़र उठा कर अपने चारों तरफ़ देखा ... देखा की वहां मौजूद आधे से ज़्यादा लोग महँगे कपड़ो में थे... पर साले सबके शक्ल एक जैसी थी... माफ़िया जैसी...वो भी कोई ऐरा गेरा नहीं.... एकदम हाई प्रोफाइल...!..
सैम थोड़ा निश्चिन्त होते हुए बोला, “थैंक्स मैन ..” और तुरंत ही उस बॉक्स को खोल दिया... बॉक्स के ढक्कन को खोल कर अलग करते ही उसमें से कुछ चमक कर बाहर आने लगी.. मतलब.. रोशनी... वो रोशनी... वो चमक बाहर आने लगी... और इस चमक में एक अलग ही बात है... सूट वाले आदमी का मुँह खुला का खुला ही रह गया | उसने धीरे से उस बॉक्स में हाथ डाला और और कुछ उठा कर अपने आँखों के बिल्कुल सामने ले आया... अब मैंने अच्छे से देखा ... वो दरअसल छोटे छोटे डायमंड के टुकड़े थे... अच्छी खासी चमक वाले... चाची की भी आँखें चौधिया गईं थीं.. और आँखें फाड़े ऐसे देख रही थी जैसे की उन्हें विश्वास ही नही हो रहा है |
“ह्म्म्म... उम्दा है.. | सूट वाले ने कहा...|
हैट – “तो डील पक्की...??”
सूट – “ह्म्म्म.... हाँ.. |”
हैट – “तो कल कहाँ होंगी माल एक्सचेंज?”
सूट – “वो तुम्हे बता दिया जाएगा...|”
हैट – “ओके...”
उसके लिए भी शायद कॉफ़ी आया था | हैट वाले ने कॉफ़ी ख़त्म की और वहां से ‘गुड बाय’ कह कर चला गया | उसके चले जाते ही सूट वाले ने चाची के दाएँ स्तन पर हाथ रखा और तीन चार बार जल्दी जल्दी पर जोर से दाब दिया | चाची मारे दर्द के बिलबिला उठी, “आःह्हह्ह्ह्ह...ऊऊच्च्च्च...” ... | उस आदमी ने इतनी जोर से दबाया था की चाची की आँखों में आँसू आ गये थे...|
पर उस आदमी को चाची की हालत देख कर मज़ा आया था | वेटर को बुला कर बिल मंगाया और बिल वहीँ टेबल पर देने के बाद वो चाची को धीरे से कुछ कहा और हाथ पकड़ कर पीछे की तरफ़ लगभग खींचते हुए ले गया...| मैं थोड़ी देर बैठने के बाद अपना बिल मंगाया और बिल देने के साथ साथ उस वेटर को बीस रूपए का अलग से टिप भी दिया | वेटर खुश हो गया... दो बार एक्स्ट्रा झुक कर सलाम किया उसने... मैं मुस्करा कर पीछे की तरफ़ चला गया |
पीछे वाशरूम था... टाइल्स, मार्बल्स वाला... जाकर देखा की दरवाज़ा बंद है और अन्दर से ‘आःह्ह्ह....ओफ्फ्फ़... नहीssssssss.... छोड़ोssss .....’ मैंने न आव देखा न ताव... तुरंत दूसरी गेट से पीछे लपका और एकदम बाहर आकर ठीक वाशरूम के पीछे आ पहुँचा... पाइप और दीवारों में बने खांचों के सहारे किसी तरह चढ़ा और वेंटीलेटर से अन्दर देखा ....
अन्दर चाची फर्श पर गिरी/लेटी हुई थी ... और वो आदमी उन पर चढ़ा हुआ था | चाची की बिकिनी ब्लाउज फर्श पर ही एक तरफ़ पड़ी थी ... उसने उनकी एक चूची को चूस चूस कर लाल कर दिया ... फिर दूसरी चूची को मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगा। वह अपना पूरा दम लगा कर उनकी चूचियों को चूसे जा रहा था... ऐसा लग रहा था मानो बस अब कुछ ही पलों का वह मेहमान है और मरने से पहले अपनी आखिरी इच्छा पूरी करना चाहता है | चूसते चूसते वो पुरजोर तरीके से उन्हें दबा भी रहा था |
कुछ देर तक तो वह ऐसे ही चूचियों को दबाता... चूसता ... गले और गालों को चूमता चाटता रहा... फिर थोड़ा उठ कर अपने पजामे के नाड़े को खोल कर नीचे सरकाया... फिर चाची के पैरों को पकड़ कर घुटनों से मोड़ते हुए फैलाया... फिर अपने लंड को सीधे उनकी हसीं चूत के मुँह पर रख दिया। लंड का सुपारा उनकी चूत के मुँह पर रगड़ कर उसने सुपारे को बिल्कुल सही जगह फिट किया ... उसके लंड का छुअन अपने चूत पर पाते ही चाची तेज़ सिसकारी लेने लगी... कसम से ... एकदम सड़क छाप रंडी लग रही थी...
एक अच्छे घर की बहु को इस तरह फर्श पर लेटे किसी और का लंड लेते हुए देखना मुझे जितना बुरा लग रहा था उतना ही मज़ा उस आदमी को आ रहा था | उसने अपने सुपारे को हल्का हल्का रगड़ते हुए धीरे धीरे अन्दर की तरफ धकेलना शुरू किया। हल्के से दबाव के साथ लंड का अगला हिस्सा उनकी चूत के अन्दर आधा जा चुका था। अब उसने उनकी जांघों को अपने हाथों से मजबूती से पकड़ा और एक जोर का झटका दिया और आधा लंड अन्दर घुस गया।
“आआअह्ह .... ऊऊ.....ग्गुऊंन… इस्स स्स्स… ह्म्म्म…” चाची दर्द से कराह उठी...|
उसने बिना रुके एक और झटका मारा और जड़ तक पूरे लंड को उनकी चूत में घुसेड़ दिया। चाची मारे जोर के दर्द से चिहुंक उठी... “आआह्ह्ह्ह..... माsssssss.........” | थोड़ा सा रुक कर उसने लंड को थोड़ा बाहर निकाला और फिर अंदर घुसा कर धीरे धीरे धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ चाची सिसकारियाँ भरती जा रही थीं और उनकी चूत से आती ‘फच्च...फच्च..’ की आवाज़ बता रही थी की उनकी चूत गीली होती जा रही है |
ठप्प्प… ठप्प्प्प… ठप्प्प… ठप्प्प… बस यही आवाजें सुनाई दे रही थीं उस आदमी के जोर जोर से धक्के देने से….
करीब दस मिनट तक ऐसे ही लंड पेलते पेलते उसने उनकी टाँगे छोड़ दीं और अपने रूखे हाथों को आगे बढाकर उनकी चूचियों को थाम लिया। और बहुत मस्ती में भर कर चूचियाँ मसलकर चुदाई का मज़ा लेने लगा....और चाची को तो देख कर लग रहा था जैसे की उनको भी इसमें मज़ा आ रहा है । उनके मुँह से लगातार ‘ऊह्ह्ह्ह...उऊंन्ह्ह....आआह्ह्ह्ह.... ग्गुऊंन......... ग्गुऊंन...............इस्स...स्स्स्स..... ह्ह्म्मम्म...आआह्ह’ | और उनकी इस मदमस्त कराहें उस आदमी को और जोश से बार दे रही थी |
करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद अचानक से चाची बोल पड़ी...
“उफफ्फ… मैं..... आःह... अब्ब..औरररर..... आई… मैं .... नहींsssssss.......आईई… ओह्ह्ह… ओह्ह्हह… आआऐ ईईइ।” चाची के पैर और शरीर अकड़ गए और वो एकदम से ढीली पड़ गईं।
वह आदमी भी एक ज़ोरदार , ‘आआह्ह्ह..’ से कराहा और तेज़ लम्बी साँसे लेता हुआ धीरे धीरे चाची के ऊपर लेट गया...
दोनों कुछ देर तक वैसे ही लेटे रहे... चाची ने उसे हल्का झिंझोड़ कर उठाया... आहिस्ते से कहा, “जल्दी कीजिये... कोई आ जाएगा...|” वो आदमी मुस्कुराता हुआ चाची के दोनों चूचियों को मसलते हुए उनके होंठों पर हलके से किस किया ओर बोला, “क्या चीज़ है तू.... जितना भी रगडूं... उतना और करने को जी चाहता है... ऊम्माह्ह्ह |”
दोनों जल्दी से उठ कर अपने अपने कपड़े पहन कर वाशरूम से बाहर निकल गए.. | मैं भी जल्दी से उतरा और अपने लंड को ठीक करता हुआ होटल के आगे पहुँचा और फिर अपने टैक्सी वाले के पास गया... वो मुझे दूर से देख कर ही अपने हाथ को एक विशेष अंदाज़ में हिला कर मुस्कुरा दिया... ये उसका इशारा था... कि जो काम मैंने उसे दिया था.. वो उसने कर दिया है.... मैं भी मुस्कुरा कर एक सिगार सुलगाते हुए उसकी ओर बढ़ गया |
क्रमशः
****************************
|