Kamukta kahani अनौखा जाल
09-12-2020, 12:41 PM,
#16
RE: Kamukta kahani अनौखा जाल
भाग १६)

घर पहुँचा और हाथ मुँह धो कर सीधे छत पर | आते समय एक पैकेट सिगरेट लेते आया था | तय था की रात को नींद जल्दी और आसानी से आने वाली है नहीं | कुछ पहले से ही थे और पूरा एक अभी ले आया | कुछ देर टहलने के बाद वहीँ रखे एक चेयर पर बैठ गया | दूसरों का पता नहीं, पर जब भी मेरा दिमाग उलझ जाता या चीज़ों को बारीकी से समझने की ज़रुरत महसूस होती; मैं कश लगाने लगता | और चूँकि अभी मैं बिल्कुल ऐसी ही स्थिति में था इसलिए शुरू हो गया कश लगाने |

और साथ ही चालू हुआ दिमाग के घोड़े दौड़ाने .. |

उस शख्स की बातें बार बार दिमाग में गूँज रही थी, “पिछले कुछ महीनो से शहर में अंडरवर्ल्ड और टेररिस्ट आर्गेनाइजेशन के लोग काफ़ी सक्रिय हो गए हैं और एकदम से बाढ़ आई हुई सी लग रही है इन लोगों की | चरस, कोकेन, गांजा, और कई तरह के दूसरे ड्रग्स सप्लाई किये जा रहे हैं मार्किट में... पुलिस भी कुछ खास नहीं कर पा रही क्यूंकि इन लोगों के काम करने का ढंग काफ़ी अलग और समझ से परे है | सिर्फ़ इतना ही नहीं.. ये लोग आर्म्स .. यानि की हथियारों की स्मगलिंग में भी शामिल हैं --- और ऐसे काम में ये खुद शामिल ना होकर यहाँ के भोले भाले स्टूडेंट्स, बच्चे और यहाँ तक की घर की औरतों को भी शामिल कर रहे हैं.. और मुझे लगता है की तुम्हारी चाची भी ऐसे लोगों के साथ या तो मिली हुई है या फिर इनके चंगुल में फंस गई है |”

और इन्ही बातों में उसके द्वारा जिक्र किये गए कुछ शब्द बार बार दिमाग पर हथौड़े से पड़ रहे थे ...

१) अंडरवर्ल्ड

२) टेररिस्ट आर्गेनाइजेशन

३) चरस

४) कोकेन

५) गाँजा

६) ड्रग्स

७) आर्म्स..

८) हथियारों की स्मगलिंग

९) भोले भाले स्टूडेंट्स, बच्चे और यहाँ तक की घर की औरतों को भी शामिल कर रहे हैं

१०) तुम्हारी चाची

११) मिलीं हुई है या चंगुल में फंस गई है

सभी प्रमुख बिन्दुओं पर बहुत अच्छे से ध्यान दे रहा था पर हर बार दो बिंदुओ पर आ कर ठहर जाता .. पहला ये कि भोले भाले स्टूडेंट्स, बच्चे और घर की औरतों को शामिल किया जाना और दूसरा यह की मेरी चाची का इनसे मिला होना या फिर इनके चंगुल में फंसा होना.. | ऐसे लोगों के साथ चाची जैसी एक सुदक्ष एवं संस्कारी गृहिणी का मिला होना समझ से परे है, मतलब ऐसा नहीं हो सकता, पर पता नहीं क्यों मैं ऐसे किसी सम्भावना से इंकार भी नहीं कर पा रहा था --- पर चंगुल में फंसा होना...

इस बात पर गौर करने की आवश्कता है ; क्योंकि ऐसा हो तो सकता है पर ये हुआ कैसे; ये पता लगाना है और यही पता लगाना फिलहाल तो टेढ़ी खीर सा प्रतीत हो रहा है | इसके बाद जो सबसे बड़ा प्रश्न मेरे समक्ष आ खड़ा हो रहा है वो यह कि स्टूडेंट्स, बच्चे और घर की औरतों को क्यों इन कामों में लगाया जा रहा है.. क्योंकि सिंपल सी बात है की स्मगलिंग के लिए वेल ट्रेंड लोगों की आवश्यकता होती है और स्टूडेंट्स और छोटे बच्चे; ख़ास कर घर की गृहिणियां-औरतें तो बिल्कुल भी ऐसे कामों के लिए ट्रेंड नहीं होतीं और इन सब चीज़ों से अनभिज्ञ भी होती हैं .... ह्म्म्म, कहीं ऐसा तो नहीं की इन्हें इन कामों के लिए किसी खास तरह से ट्रेनिंग मुहैया कराया जा रहा है ... पर कैसे ... कैसे... ??

सोचते सोचते अचानक से टैक्सी वाले की याद आ गई और साथ ही उसे दिया गया काम जो मैंने ही उसे करने को कहा था.. एक मोटी टिप दे कर | सुबह जब मैं होटल में घुसा था तब मेरा टैक्सी वाला अपनी टैक्सी को चाची वाले टैक्सी के बिल्कुल बगल में खड़ा कर दिया और फिर कुछ देर इधर उधर की गप्पे हांकने के बाद उसने उस टैक्सी वाले से होटल और यहाँ आने वाले लोगों के बारे में घूमा फिरा कर पूछना शुरू कर दिया | थोड़ा से खुलने पर कुछ ही देर में उस टैक्सी वाले ने बहुत सी जानकारियाँ दे दी थीं मेरे टैक्सी वाले को |

बाद में जो मुझे जानने को मिला वो ये था कि,
‘उस होटल में बहुत पहले से ही अवैध गतिविधियाँ चल रही हैं --- पुलिस और प्रशासन को भी लगभग सब कुछ पता है पर मामला काफ़ी हाई प्रोफाइल होने के कारण कोई कुछ करने से बचता है --- अक्सर गलत कामों में संलिप्त लोग, अंडरवर्ल्ड के लोग यहाँ आते और दावत उड़ाते हुए देखे गए हैं | होटल के मालिक का भी कई सरगनाओ के साथ उठना-बैठना है और बहुत ही अच्छे सम्बन्ध हैं .. | सुनने में आया है की पड़ोसी और दूसरे मुल्कों के भी अंडरवर्ल्ड या अपराधी सरगना यहाँ आने लगे हैं.. पिछले काफ़ी समय से इसी होटल में कई अवैध चीज़ों की खरीद-फ़रोख्त भी हो रही है | डायमंड्स, सोने के बिस्किट्स, आर्म्स (हथियार) और दूसरे कई तरह के नशीली दवाईयों और ड्रग्स धरल्ले से बिक और बेचे जा रहे हैं यहाँ.. कहने को तो होटल है ठहरने, राहगीरों के आराम करने, खाने पीने के लिए पर अब सिर्फ़ नाम का है ...

और तो और काफ़ी समय से यहाँ, इस होटल में वेश्यावृति भी चालू है | कम उम्र की या कॉलेज जाने वाली लड़कियां यहाँ लायी जाती हैं; सरगनाओं के रातें रंगीन करने के लिए | कुछ, जिनके आगे पीछे कोई नहीं, बेचीं भी गई हैं | सुनने में आ रहा है की आज कल संभ्रांत घर की गृहिणीयों-औरतों को भी यहाँ लाया जाने लगा है | ऐसे कई अपराधी और सरगनायें हैं जिन्हें लड़कियों की तुलना में खेली खिलाई अच्छे घरों की औरतों में ज़्यादा दिलचस्पी है और उनका साथ ही उन्हें अच्छा लगता है | सिर्फ़ यही नहीं, ये लोग इन्हीं औरतों और कुछ बेहद स्मार्ट और अंग्रेजी बोलने वाली लड़कियों के माध्यम से स्मगलिंग की डीलिंग को अंजाम देते हैं |

ऐसे लोगों के चंगुल में जो भी फंसा या फंसी, उसे दो ही बचा सकते हैं,... एक, या तो ऊपरवाला ... दूसरा, ये लोग.. ऊपरवाले का तो पता नहीं, पर ये लोग अपने मोहरों को सिर्फ़ मौत दे कर ही छोड़ते हैं |’

-----------

सोचते सोचते चेयर से उठ कर, छत की बाउंड्री वॉल तक पहुँच गया था मैं | चार सिगरेट ख़त्म कर चुका था | अभी और भी बहुत कुछ सोचना चाहता था पर कुछ देर के लिए अपने सभी विचारों पर विराम लगा दिया | बस, चाँदनी रात में छत पर खड़े रह कर इस क्षण का भरपूर आनंद लेने को दिल चाह रहा था | आँखें बंद कर धीमी चलती हवा के झोंकों का आनंद लेने लगा | कुछ ही मिनट्स बीते थे की तभी लगा, जैसे की वहां आस पास एक बहुत ही प्यारी सी खुशबू फ़ैल गई है | बहुत ही मदमस्त कर देने वाली खुशबू थी यह... कहाँ से आने लगी ये सोचने के बजाए उस खुशबू को भर भर कर अपने मन और दिलो दिमाग में ले लेने को जी करने लगा |

और तभी....,

किसी ने मेरे दाएँ कंधे पर बहुत मुलायम सा हाथ रखा... मैं चौंक कर पलटा और अपने दाएँ तरफ़ देखा... चाची थी..! उसी नाईट गाउन... ओह्ह .. सॉरी.. नाईट रोब में थी, मुस्कुराती हुई.. मुझे ज़बरदस्त तरीके से चौंकते देख कर उनकी हंसी निकल गई | ‘हाहाहाहाहा’ कर खिलखिला कर हँस दी... कसम से, बहुत ही प्यारी और साथ ही बहुत ही कातिलाना लग रही थी वो ...

“क्या हुआ भतीजे जी... इतनी बुरी तरह से कब से डरने लगे..?” हँसते हुए पूछा उन्होंने...|

“जी... वो... आप आएँगी, सोचा नहीं था मैंने... अचानक से हाथ रख दिया आपने... लगता है डराने के लिए ही किया था...|” ज़ोरों से धड़कने लगे दिल को शांत करने के असफल प्रयास में लगा मैं बच्चों सी टोन में बहाने गिना दिए |

चाची अब भी हँसे जा रही थी | हँसते हुए ही पूछा उन्होंने,

“अच्छा, ये बताओ.. यहाँ कर क्या रहे हो और कितनी देर तक खड़े रहोगे?”

“बस, जाने ही वाला था... आप कहिये.. आप यहाँ कैसे... और चाचा आयें की नहीं?”

मेरे इस प्रश्न पर चाची ने अपनी हंसी बंद कर मुझे ऐसे घूर कर देखा जैसे की मैंने बहुत ब्लंडर वाला कोई बात पूछ लिया | आवाज़ में आश्चर्य का भाव लिए पूछी,

“अरे... तुम्हें तो टाइम का बिल्कुल भी कोई अंदाजा नहीं.. जानते हो.. पूरे डेढ घंटे बीत गए हैं... तुम्हारे चाचा कब के आ भी गए और खा-पी कर सो भी गए हैं... अब चलो.. जल्दी से नीचे चल कर कुछ खा लो... मुझे भी बहुत भूख लगी है |”

“आपने खाया नहीं?” मैंने पूछा |

इसपर मेरे दाएँ गाल पर चिकोटी काटते हुए चाची बोली, “ अपने प्राण प्यारे राजा भतीजे को छोड़ कर मैं भला कैसे खा सकती हूँ ?” उनके आवाज़ में शरारत के साथ साथ शिकायत वाला लहजा भी था | उनके लम्बे नाखून मुझे मेरे गाल पर चुभते हुए से लगे पर न जाने क्यों मुझे ये चुभन बहुत प्यारा सा लगा | कुछ कह तो नहीं सकता था इसलिए सिर्फ़ मुस्करा कर रह गया | चाची को शायद मेरा शर्माना बहुत अच्छा लगा, इसलिए मेरे बहुत पास आ कर मेरे आँखों में झाँकने का प्रयास करती हुई बोली,
“वैसे इतनी रात को यहाँ अकेले अकेले कर क्या रहे हो... किससे मिलने गए थे अचानक से... कहीं कोई इश्क विश्क का चक्कर तो नहीं?”

आवाज़ में अजब सी मिठास और शरारत का मिश्रण था |

मैंने थोड़ा हँसते हुए जवाब दिया,

“नहीं चाची... ऐसी कोई बात नहीं... और वादा रहा .. जिस दिन और जिससे ऐसी कोई बात होगी.. सबसे पहले आप ही को पता चलेगा.. यहाँ तो मैं बस हर दिन आने वाली चुनौतियों के बारे में सोच रहा था... हर नया दिन.. नई चुनौती.. नए संघर्ष... नए मुश्किलें ले कर आती हैं... सोच रहा था की इन सबसे कैसे निपटू .. कैसे सुलझाऊं हरेक परेशानियों को | कुछ बातें ऐसी भी होती हैं, जिन्हें खुद से सुलझाना आसान नहीं... किसी से शेयर करने को जी चाहता है.. क्या पता किसी एक की परेशानियो का हल किसी दूसरे के पास हो... |”

ये कहते हुए मैं तिरछी निगाहों से चाची की ओर देखा...

चाची दूर क्षितिज में, बड़े बड़े बिल्डिंग्स में छोटे छोटे चमकते से रोशनी और आस पास के पेड़ पौधों को एकटक देखे जा रही थी... ऐसा लग रहा था मानो, मेरी एक एक बात उनके जेहन, उनकी जिस्म में उतरती चली जा रही हो | कुछ देर की चुप्पी के बाद वो बोली,

“परेशानियो को शेयर करने का जी सबका चाहता है अभय.. संघर्षों से मिलकर लड़ने को जी सबका चाहता है ... मेरा भी... पर... पर... कुछ बातें ऐसी भी हो जाती हैं कि चाह कर भी हम जो चाहते है... वो लाख चाहने पर भी कर नहीं पाते..|”

कहते हुए उनका गला भर आया था.. बहुत रुआंसा सी हो कर बोली,
"ज़िंदगी इम्तेहान लेती हैं.... अभय... ज़िंदगी इम्तेहान लेती हैं |” ऐसा लगने लगा था की जैसे अब किसी भी क्षण उनकी रुलाई फूटने वाली है ---

बात को अलग मोड़ देने के लिए मैं उनसे पूछ बैठा,

“आपको ऐसी क्या परेशानी है जो आप किसी से शेयर नहीं कर सकती... कौन से संघर्ष हैं जो मिलकर नहीं लड़ सकती...?? किसी और को नहीं तो कम से कम मुझे ही बता दीजिए... एस अ भतीजा ओर अ फ्रेंड समझ कर... आप ही तो कभी कभी कहती हैं न की मैं आपके लिए आपके फ्रेंड जैसा हूँ... तो फिर मुझी से अपनी परेशानी शेयर कर लिया कीजिए | और अगर वैसी ज़रूरत ही आन पड़ी तो मैं आपके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर संघर्ष के साथ दो दो हाथ करूँगा... |”

बेहद अपनेपन और आत्म विश्वास के साथ कहा मैंने |

मेरे सवाल करने पर जैसे उन्हें होश आया और ऐसी प्रतिक्रिया दी कि मानो उन्होंने कुछ ऐसी बात कह दी जो उन्हें नहीं कहनी चाहिए थी...

बात को संभालते हुए उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा,

“अरे नहीं अभय... ऐसा कुछ नहीं है मेरे साथ... फिलहाल के लिए... पर मेरी तरफ़ से भी वादा रहा की जिस दिन किसी को पता चलेगा... तो वो पहला व्यक्ति तुम होगे..|”

एक पल के लिए मेरी ओर देख कर वो दूसरी ओर देखने लगी... होंठों पर एक हल्की मुस्कान दिखी | उस मुस्कान में कोई बात छिपी थी | शायद कुछ और भी कहना था उन्हें पर शायद कहना ठीक नहीं लगा होगा |

उनकी मुस्कान को देखते हुए मेरी नज़र उनके चेहरे से फ़िसल कर उनके वक्षस्थल पर अटक गई | दूधिया चाँद की रोशनी में नहाया उनका बदन किसी संगमरमर की तराशी हुई मूर्ति की भांति लग रही थी | उनके रोब (नाईट गाउन) के आगे से बांधे जाने वाले फ़ीतों के थोड़ा ढीला हो जाने से उनके रोब से उनकी कसी चूचियों के बीच की थोड़ी सी घाटी, उनका सुन्दर क्लीवेज जैसे आमंत्रण सा देता हुआ प्रतीत हो रहा था | जी तो चाहा की अभी इन्हें अपनी बाँहों में कस लूं और इनके पूरे बदन, ख़ास कर इनके चेहरे पर चुम्बनों की बारिश कर दूँ |

पर रोक लिया खुद को ... सही समय नहीं था अभी | क़िस्मत में है या नहीं, ये तो पता नहीं पर फ़िलहाल तो सिर्फ़ इंतज़ार ही दिख रहा है सामने ... उनके बायीं कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,
“चलो चाची... खा लें... बहुत देर हो गई है |”

इसपर चाची मेरे चेहरे की तरफ़ एक बार देखी, कुछ पलों के लिए रुकी, फिर ‘हाँ’ कहते हुए मुड़ कर चल दी.. मैं रोब में उनके उभरे हुए नितम्बों को देखता हुआ आहें भरता हुआ मुड़ने ही वाला था की तभी मेरी छठी इंद्रिय सतर्क हो उठी.. मैंने तुरंत मोड़ वाले रास्ते की तरफ़ देखा ---- एक काली रंग की कार खड़ी थी वहाँ.. जो कि अब धीरे धीरे पीछे हो रही थी..................................................................|

क्रमशः

************************************
Reply


Messages In This Thread
RE: Kamukta kahani अनौखा जाल - by desiaks - 09-12-2020, 12:41 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,460,933 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,886 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,215,911 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 919,552 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,629,961 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,061,853 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,918,642 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,950,074 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,990,548 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 281,046 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)