RE: Kamukta kahani अनौखा जाल
फ़िर धीरे से उसी आदमी ने कहा,
“तो क्या अब मैं जाऊँ, साहब?”
“हाँ, जाओ... और अभी से ही काम पर लग जाओ |” एक लम्बा धुंआ छोड़ते हुए विनय काफ़ी सख्त लहजे में आदेश देते हुए कहा |
“जी सरकार”
बोल कर वह आदमी उस दूकान के सामने से हट कर तेज़ी से एक ओर बढ़ गया और जल्दी ही बाज़ार के भीड़ में गायब हो गया |
इंस्पेक्टर विनय कुछ देर तक वहीँ खड़े रह कर गहन सोच की मुद्रा में सिगरेट के कश लगाता रहा और सिगरेट के खत्म होते ही अपनी जीप की ओर बढ़ गया |
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दो दीन और बीत गए..
थाने में अपने टेबल के सामने वाली कुर्सी में बैठा विनय, अपने सामने कुछ फ़ाइलों को टेबल पर रखकर किसी सोच में डूबा हुआ था -- और देख के ही साफ़ जाहिर हो रहा था कि वह अपने किसी सोच को उसके मुकाम में पहुँचाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है | अपनी सोच में इस कदर डूबा हुआ था विनय कि अभी कुछ ही मिनट पहले उसका दोस्त और उसी के साथ काम करने वाला सब इंस्पेक्टर सुशील दत्ता ‘गुड मोर्निंग’ बोल कर उसके विपरीत कुर्सी पर बैठ कर उसके जवाब का इंतज़ार कर रहा था इस बात का उसे पता ही नहीं चला |
कुछ देर के इंतज़ार के बाद इंस्पेक्टर दत्ता ने जोर से खांसते हुए उसे फ़िर से ‘गुड मोर्निंग’ कहा तो एकदम से विनय अपने सोच से बाहर आया और सामने अपने मित्र/सहयोगी को देख चौंक सा गया | इधर उधर देख कर खुद को संयत करते हुए अपने कुर्सी पर ठीक से बैठते हुए अपने मित्र की ओर मुखातिब होते हुए बात शुरू की,
“बोल यार, कैसे हो?”
दत्ता बोला- “मैं तो ठीक ही हूँ यार, पर तुम बताओ ... किस सोच में डूबे थे?”
विनय- “अरे एक केस है यार ... उसी में थोड़ा उलझा हुआ हूँ |”
“अच्छा !!.. कैसा केस भाई... हमें भी बताओ.. ”
“ह्म्म्म... तो सुन; एक दम्पति है.. उनके बच्चे बाहर बोर्डिंग स्कूल में पढ़ते हैं | उनका भतीजा उनके साथ ही रहता है, अच्छा लड़का है.. पढ़ा लिखा है, एक कोचिंग सेंटर भी चलाता है जिससे उसे एक अच्छी आमदनी भी होती है , फैमिली बहुत ही अच्छी है और उनका हिस्ट्री और बैकग्राउंड भी बढ़िया है ; पर कुछ दिन से उनका भतीजा लापता है -- एकदम अचानक से.. कहीं कोई ख़बर नहीं, हर संभावित जगह ढूँढा और पता लगाने की पूरी कोशिश की गई ; पर नतीजा कुछ नहीं -- अभी दो तीन पहले ही मेरे ख़बरी ने मुझे सुप्रसिद्ध योर होटल में धावा बोलने की सलाह दी है ; उसका कहना है कि कुछ सवालों के जवाब मुझे वहीँ से मिल सकते हैं |” – एक साँस में कह गया विनय |
सब कुछ ध्यान से सुनने के बाद दत्ता कुछ देर ख़ामोश रहा, फिर बड़े ही सोचने वाली निगाहों से विनय की आँखों में देखते हुए पूछा,
“तो क्या सोचा तुमने?”
“किस बारे में?” – एक किंग साइज़ सुलगाते हुए, सिगरेट का पैकेट और लाइटर दत्ता की ओर बढ़ाते हुए विनय बोला |
“केस के बारे में.. योर होटल जाने का इरादा है क्या? ” – सिगरेट सुलगाने की बारी अब इंस्पेक्टर दत्ता की थी |
“सोच तो वही रहा हूँ .. अगले आधे घंटे में वहीं जाऊँगा |”
“तो फ़िर ठीक है.. जब जाओ तो मुझे भी बुला लेना | ”
“नहीं यार... मेरे दो तीन केस और पेंडिंग हैं .. दो जमानत की अर्जी भी आने वाली है .. ऐसा करो, तुम आज मेरी जगह उन कामों को संभाल लो | मैं कुछ सिपाहियों के साथ योर होटल का एक चक्कर मार कर आता हूँ... आ के सब सुनाऊंगा.. फ़िर अगर तुम्हे लगे की ये केस दिलचस्प है और इस केस के साथ जुड़ने का मन करे तब ही हाथ लगाना केस को... ओके?”
दत्ता मुस्कराते हुए बोला, “ओके .. नो प्रोब्लम | तू चिंता ना कर दोस्त... तेरा ये दोस्त तेरे कामों को संभाल लेगा | यू कैन काउंट ऑन मी |”
इस बात दोनों ठहाके लगा कर हँस पड़े |
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एक घंटे बाद,
योर होटल में पंद्रह सिपाहियों के साथ इंस्पेक्टर विनय ...... --
सभी सिपाही सभी कमरों की तलाशी ले रहे थे और इधर होटल का मेनेजर थोड़े घबराये अंदाज़ में विनय के सामने खड़ा था -- विनय गिद्ध की तरह उसपर दृष्टि जमाए उसके हरकत को देख रहा था -- मैनेजर का यूँ नर्वस होना विनय को कहीं न कहीं उसके पॉवर का एहसास करा रहा था पर साथ ही एक सम्भावना भी बन रही थी कि हो सकता है इस होटल में ज़रूर कुछ गड़बड़ है जिस कारण ये मैनेजर ऐसे घबरा रहा है -- पसीने की एक बूँद मैनेजर के माथे से दांये तरफ़ से होते हुए गाल तक आ पहुँची और मैनेजर काँपते हाथों से अपने ब्लेजर के सामने के पॉकेट से रुमाल निकाल कर, पसीने को पोंछ कर रूमाल वापस अपने पॉकेट में रख लिया |
अपने ओहदे और औकात पर मन ही मन गर्व करता हुआ विनय गंभीर आवाज़ में मैनेजर से पूछा,
“दो बार पूछ चुका हूँ .. ये तीसरी और आखिरी बार है ; सच सच बताओ... यहाँ क्या क्या चलता है रातों को?”
“मैं सच कह रहा हूँ साहब.. यहाँ किसी भी तरह की कोई भी गलत एक्टिविटी नहीं होती है | सब अच्छे पोस्ट पर काम करने वाले और अच्छे घरानों के लोग आते हैं यहाँ | हाँ, फ़रमाइश पर ड्रिंक्स भी परोसी जाती है.... और साहब, ड्रिंक्स रखने और पिलाने की हमें लाइसेंस प्राप्त है |” – हिम्मत करते हुए मैनेजर बोला |
“लाइसेंस मैं देख चुका हूँ और यहाँ किस और कितने अच्छे घराने के लोग आते हैं उसका अंदाज़ा मुझे है ... बस प्रूफ नहीं है | जिस दिन कोई सबूत मिला न, इतनी कठोर कार्रवाई करूँगा की शहर और जिला तो छोड़ो, पूरे देश भर में एक मिसाल होगा |” – हेकड़ी दिखाते हुए विनय बोला |
मैनेजर चुप रहने में ही भलाई समझा |
विनय फिर बोला,
“सुना है यहाँ लडकियाँ और औरतें भी वेटर का काम करती हैं ?”
“हाँ साब... जिन लड़कियों या फिर महिलाओं को पैसों की ज़रुरत होती है वो यहाँ पार्ट टाइम सर्विस देती हैं |”
“कौन सी सर्विस?” विनय ने आँखें तरेरा |
“वेटर वाली सर्विस सर, वेटर वाली....” मैनेजर घबराते हुए बात को संभालने की कोशिश करता हुआ बोला |
“ह्म्म्म... ठीक है... अच्छा .. जिन लड़कियों और महिलाओं की ‘सर्विस’ लिया जाता है इस होटल में ; उन लोगों का कोई रिकॉर्ड तो रखते होगे ना तुम लोग??”
“जी साब .. एक मिनट..” कह कर मैनेजर अपने डेस्क के पीछे गया और तीन चार रजिस्टर को इधर उधर करने के बाद एक नीली जिल्द लगी बड़ी सी रजिस्टर ले कर विनय के पास आया और उसके हाथो में रजिस्टर थमाते हुए बोला,
“आज तक जितनी भी महिलाओं और लड़कियों ने हमारे यहाँ काम किया है उन सबके नाम और फ़ोटो इस रजिस्टर में हैं |”
“हम्म, पता नहीं रखते? आई मीन उनक एड्रेस?”
“नहीं साब |”
“ह्म्म्म...”
कहते हुए विनय सबसे दूर हट कर एक कुर्सी पर जा बैठा और रजिस्टर का एक एक पन्ना ध्यानपूर्वक पलट पलट कर देखने लगा | काफ़ी देर तक बहुत से पन्ने पलटने के बाद विनय एकाएक रुक गया और एक पन्ने को बड़े ही ध्यान से देखने लगा | उस पन्ने में लगे नाम ... और ख़ास कर उस नाम के साथ लगे फ़ोटो को बार बार आरी तिरछी कर अच्छे से देख रहा था | आश्चर्य से आँखें गोल और बड़ी बड़ी हो गई थी उसकी... शायद उस फ़ोटो को पहचान गया था, “ये क्या... नाम ..’चमेली’? प..पर.. इसका नाम तो .......|” कुछ देर तक आश्चर्य से उस फ़ोटो को देखने के बाद सहसा विनय के चेहरे पर एक कुटिल और मतलबी मुस्कान छा गई | अपने आस पास पैनी नज़र दौड़ाई, सब इधर उधर देख रहे थे ... विनय पर किसी का ध्यान नहीं था .. विनय ने चुपके से उस फ़ोटो को पन्ने से उखाड़ा और जल्दी से अपने पॉकेट में डाल लिया |
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