Kamukta kahani अनौखा जाल
09-12-2020, 01:07 PM,
#44
RE: Kamukta kahani अनौखा जाल
भाग ४१)

आदत अनुसार चाय दुकान में मिले हम.

गोविंद थोड़ा बुझा बुझा सा लग रहा था ...

शायद एक साथ बहुत से काम के प्रेशर में आ गया होगा बेचारा.

मैं – “कैसे हो गोविंद?”

गोविंद – “ठीक हूँ..”

मैं – “तो फ़िर इतने बुझे बुझे से क्यों लग रहे हो?”

गोविंद – “कौन मैं?”

मैं – “नहीं तो क्या मैं?”

गोविंद - “हम्म... क्या करूँ भाई... काम ही कुछ ऐसा थमा दिया है तुमने?”

मैं – “हाँ, समझ सकता हूँ.. हम लोग फंसे ही ऐसे केस में हैं की करने को सिवाय मेहनत के और कुछ नहीं है.”

गोविंद – “कभी कभी सोचता हूँ की हम ही क्यों ...?”

मैं – “कोई न कोई तो फँसता ही.. और जो कोई भी फँसता.. वही यह कहता कि ‘मैं ही क्यों फंसा?’ इसलिए खुद को या किस्मत को कोसने से अच्छा है कि हम अपने दम पर जो और जितना हो सके.. कुछ करने की कोशिश करें.”

गोविंद – “तुम्हारे इस बात से मैं सहमत हूँ और मानता भी हूँ .. अब जब फंसे हम हैं तो हमें ही कुछ करने का प्रयास करना चाहिए. हाथ पर हाथ धरे बैठ कर किसी चमत्कार के होने या किसी फरिश्ते के आ कर हमारी सहायता करने की अपेक्षा तो बेहतर हैं की अपने स्तर से ही कुछ किया जाय.”

बोलते बोलते गोविंद के आँखों के कोनों में आँसू आ गए. ज़बान थोड़ी लड़खड़ाई.. और परे दूर कहीं देखने लगा.

मुझसे उसकी ऐसी हालत देखी नहीं जा रही पर करूँ क्या.. मैं तो खुद ऐसी ही विषम परिस्थिति में फंसा हुआ हूँ.. और परिस्थिति तो जैसे स्वयं में एक भँवरजाल हो. ख़ुद की स्थिति कुछ बेहतर होती तो उसे सब कुछ ठीक हो जाने का दिलासा भी देता .... पर....

चाय आया..

सिगरेट भी..

और थोड़ा थोड़ा कर दोनों लेने का दौर चला कुछ देर तक.

खत्म करने के बाद फ़िर से एक एक भांड़ चाय और सिगरेट मंगाया गया.

दोनों ही चुपचाप अपने अपने हिस्से का ख़त्म करने में बिजी रहे..

साथ ही मैं अपने चिंता में मग्न और वह अपने.

शुरू मैंने ही किया,

“तो क्या ख़बर है?”

गोविंद (तनिक चौंकते हुए) – “किस बारे में?”

“जो काम तुम्हें सौंपा था मैंने...”

“ओह! वो...”

“हाँ.. वो.”

“हाँ... अपने स्तर से जितना हो सका मैंने पता लगाया...”

“गुड.”

“पर अब ये कह पाना मुश्किल है कि मैंने जो और जितना पता लगाया.. वो कितना काम आएगा?!”

“ठीक है, गोविंद.. पहले बताना तो शुरू करो. काम की है या नहीं ये बाद में तय करेंगे.”

“अभय, तुमने जैसा बताया था करने को मैंने बिल्कुल वैसे ही किया. इंस्पेक्टर दत्ता और बिंद्रा, दोनों पर ही कड़ी निगरानी किया अपनी तरफ़ से.बिंद्रा तो मुझे फ़िर भी कुछ ठीक सा लगा पर ... ये....”

“दत्ता!”

“हाँ, वही ... दत्ता.. ये पता नहीं कुछ ठीक सा नहीं लगता..”

“ठीक सा नहीं लगता से मतलब तुम्हारा?”

“मतलब की गतिविधियाँ.. इसका उठाना बैठना, चलना ... सब.. सब...”

“ओफ्फ्फ़.. गोविंद ... क्या कर रहे हो.. एक ही बात रिपीट क्यों कर रहे हो और बीच बीच में रुक क्यों जाते हो?.. आगे बोलो.”

“अब क्या बोलूँ... बात है ही ऐसी की बोलने से पहले दो तीन बार कर के सोचना पड़ रहा है.”

“बात क्या है ?” इस बार मैंने झल्ला कर ज़ोर देते हुए कहा.

थोड़ा रुक कर बोलना शुरू किया गोविंद,

“तुमने जैसा संदेह किया था; लगभग वैसा ही कुछ कुछ मुझे देखने को मिला.”

“यानि की...

“यानि की जाने अनजाने में इंस्पेक्टर दत्ता के हावभाव कई बार ठीक वैसे ही होते हैं जैसे की इंस्पेक्टर विनय का हुआ करता था. कुर्सी पर बैठने का अंदाज़, अँगुलियों से टेबल को बजाने का स्टाइल, सिगरेट या चाय लेने का तरीका.. सब.. सब कुछ लगभग विनय के तरीकों जैसे ही हैं.”

“पक्का?”

“पक्का तो नहीं पर लगा ऐसा ही कुछ..”

“अच्छा ये बताओ की मैंने जो कुछ भी तुम्हें इंस्पेक्टर विनय के बारे में बताया था, उसके अलावा तुमने दत्ता में कोई चेंज नोटिस किया..?”

“देखो, तुम्हारे कहे मुताबिक मैंने अपनी तरफ़ से बहुत बारीक़ निगहबानी की है दत्ता की.. और इसके अलावा भी मैं खुद इंस्पेक्टर विनय से २-३ बार मिल चुका हूँ .. अपने केस के सिलसिले में. थोड़ा बहुत तो मैंने भी उस समय विनय को नोटिस किया था और बहुत नहीं तो कुछ तो जानता ही हूँ .. आई मीन, उसके बॉडी लैंग्वेज के बारे में ... बोलने , बात करने के अंदाज़ के बारे में.....”

गोविंद की बात को बीच में काटते हुए मैंने कहा,

“तो क्या तुम्हें कुछ संदेह हुआ? दत्ता को लेकर??”

“कुछ ख़ास तो नहीं पर... थोड़ा अंदेशा ज़रूर हो रहा है..”

“किस बात को ले कर अंदेशा?”

“इंस्पेक्टर दत्ता के इंस्पेक्टर दत्ता होने को लेकर.”

“ह्म्म्म.”

गोविंद की बात को सुन कर मैं अपने सोच में खोने लगा. कुछ डॉट्स को कनेक्ट करने की कोशिश करने लगा. कुछ डॉट्स कनेक्ट होते.. तो कुछ नहीं.. फ़िर ऐसा लगता की शायद वो डॉट्स वहाँ हैं ही नहीं जिन्हें मैं कनेक्ट करने कोशिश या उनके होने की सोच रहा हूँ.

कुछ मिनट हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे.

फ़िर एकाएक गोविंद पूछ बैठा,

“एक बात बताओ अभय, तुम्हें इंस्पेक्टर दत्ता को लेकर कब से शक होने लगा?”

“जब मैंने पहली बार उन्हें चाय पीते हुए देखा था.. वो चाय के ग्लास के मुहाने पर ठीक वैसे ही गोल गोल ऊँगली फेर रहा था जैसे इंस्पेक्टर विनय किया करता था. हालाँकि ये एक संयोग हो सकता है पर विनय का इतने दिनों तक गायब रहना और कोई ख़बर बिल्कुल ही नहीं मिलना; संदेह के बीज अपने आप ही बो दे रहे हैं. और फ़िर उस एक दिन, जिस दिन मैं थाने में दत्ता के सामने बैठा था तब दत्ता ने अपने हवालदार से मेरे ही सामने कुछ प्रश्न किये थे. यहाँ प्रश्न से अधिक गौर करने वाली बात है प्रश्न पूछने का तरीका. दत्ता एक विशेष ढंग से प्रश्न कर रहा था... जैसे की मानो कोई विशेष उत्तर ढूँढ रहा है. मतलब की कुछ ऐसा जिससे की सिर्फ़ उसे ही किसी तरह का कोई खास फ़ायदा हो सकता है.”

बोलते बोलते तनिक रुका मैं और इतने में ही गोविंद ने उत्सुकता में पूछा,

“ओह्ह.. तो ये बात है..”

“नहीं, एक बात और है.” मैं सोचने वाले मुद्रा में बोला.

गोविंद थोड़ा हैरान हुआ और अगले ही क्षण तत्परता से पूछा,

“और क्या बात है?”

“तुम्हें याद है, हम पहली बार कब मिले थे?”

“हाँ..”

“कहाँ?”

“बिंद्रा सर के ऑफिस में.”

“राईट... जिस दिन बिंद्रा ने मुझे तुमसे मिलाया, उसी समय, उन्होंने तुम्हारी ओर इशारा करते हुए ये भी कहा था कि, ‘इसका केस भी तुम्हारे (अभय) जैसा ही है.’ मतलब की मेरी चाची और तुम्हारी मम्मी..”

“मम्म.. हाँ... याद है..”

“यही.. यही एक बात मुझे उस दिन से कचोटे जा रही है ..... कि बिंद्रा को ये बात कैसे मालूम हुई.. चाची के बारे में.. बाद में पता चला की बिंद्रा को दत्ता ने बताया था.. तो फ़िर से वही सवाल रह रह के परेशान करने लगा की दत्ता को कैसे पता चला होगा... क्या विनय ने बताया ... सम्भावना तो यही बनती दिखाई दे रही थी.. पर सटीक बैठती प्रतीत नहीं हो रही थी. क्योंकि अगर विनय ने दत्ता को इस केस के बारे में.. मतलब की चाची के बारे में बताया होता तो चाची एज़ ए सस्पेक्ट पुलिस की नज़रों में कब का आ गई होती. और हालिया वारदातों के बाद तो उनका पुलिस की हिट लिस्ट ... आई मीन सस्पेक्ट हिट लिस्ट में आना तो एकदम ‘डन’ होता ... पर ऐसा हुआ नहीं... और अगर... आई रिपीट.. अगर विनय को ही दत्ता मान लिया जाए, तब तो चाची पर शिकंजा कसना चाहिए था.. और अगर दत्ता, दत्ता ही है और वाकई उसे चाची के बारे में विनय से ही पता चला है तो उसे अब तक चाची को हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर देना चाहिए था.. या कम से कम एक इन्क्वारी ही सही. पर अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ ... कुछ भी नहीं..! पुलिस की यही ढील मेरे संदेह को और अधिक संदेहास्पद बना रही है.”

“ओह्ह.. तो ये परेशानी है?”

पूरी बात सुनकर गोविंद भी सोच में पड़ गया.

पेशानियों पर उसके ऐसे बल पड़े की मानो ये विकट समस्या उसके सिर आ पड़ा हो.

मैंने धीरे से कहा,

“और...”

“और??”

संशययुक्त चेहरा लिए मेरी ओर देख कर बोला गोविंद.

लाइटर से अपना ‘कास्टर’ धराते हुए बोला,

“और तो मुझे ये भी नहीं मालूम की चाची के बारे में विनय को क्या पता था और विनय से दत्ता को कितना और क्या क्या पता चला है.”

“तो?”

“तो ये की चाची और उनसे संलिप्त लोगों पर पुलिसिया ढीलाई शक के दायरे में आता भी है और नहीं भी..”

“तो?” गोविंद ने फ़िर पूछा.

“तो ये कि दत्ता मेरे संदेह के घेरे में आता है भी और नहीं भी.”

“हे भगवान!” कहते हुए गोविंद ने अपना सर पीट लिया.

थोड़ा रुक कर पूछा,

“तो अब क्या करने का सोचे हो?”

“बताता हूँ, पहले तुम मुझे दत्ता के टाइमिंग के बारे में बताओ.”

“सुबह नौ बजे आता है और शाम के पांच होते होते निकल जाता है. एकाध बार शायद काम की अधिकता होने के कारण ही उसे लेट भी हुआ है. तब छह बज जाते हैं उसे निकलने में. दोपहर में १ बजे ही वह लंच शुरू कर देता है. घर से ही टिफ़िन में ले आता है. सारा दिन थाने में ही रहता है.”

“हम्म... ओके.. और बिंद्रा.?”

“उसका भी सेम है. बिल्कुल दत्ता के जैसा. बस इतना सा फ़र्क है की दत्ता नौ बजे थाने आता है तो बिंद्रा दस बजे अपने ऑफिस!”

“हम्म.. गुड.. वैरी गुड.. अच्छी जानकारी हासिल किया है तुमने पर इतना ही काफ़ी नहीं है. कुछ दिन और नज़र रखो.. ख़ास कर उस इंस्पेक्टर दत्ता पर.”

“ओके.”

“कुछ पूछना है?”

“नहीं.”

“पक्का.. ?! और भी कुछ पूछना चाहते हो तो पूछ लो. पर इतना ध्यान ज़रूर रखना की दत्ता पर से तुम्हारी नज़र नहीं हटनी चाहिए.”

“पर दत्ता ही क्यों?”

“क्योंकि वह पुलिस है और थाने में ही रहता है.”

“तो?”

“हमें अपने मतलब की जो भी ख़बर मिलनी होगी.. थाने से ही मिलेगी. चाहे चाची के बारे में हो या मम्मी के बारे में.”

“हम्म.”

“एनीथिंग एल्स?”

“नो.”

“ओके देन .. लेट्स बकल अप एंड गेट टू वर्क.!”

“श्योर.”

“चलो, तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देता हूँ.” मैं उठते हुए बोला.

“थैंक्यू.”

“योर वेलकम..”

--

थोड़ी ही देर बाद,

गोविंद को उसके घर के बाहर ड्राप कर मैं अपने घर की ओर चला गया.

इधर गोविंद अपने घर के दरवाज़े तक गया.

डोर बेल बजाया.

कोई आवाज़ नहीं भीतर से.

फ़िर बजाया.

कोई आवाज़ नहीं.

२-३ बार और बजाया...

नतीजा वही रहा.

झल्ला कर दरवाज़ा पीटने ही वाला था की तभी उसकी नज़र दरवाज़े से लटकते छोटे से ताले पर गई.

छोटे ताले का मतलब ये की उसकी मम्मी आस पड़ोस में ही कहीं गई है; कुछ देर में लौट आएँगी.

ताले का एक और चाबी गोविंद के पास हमेशा ही रहता है.

सो उसने जेब से चाबी निकाला और ताले को खोल कर अन्दर घुसा.

घुसते ही अपने पीछे दरवाजा लगाते हुए पास मौजूद स्विच बोर्ड को ढूँढ़ते हुए लाइट ऑन किया.

लाइट ऑन होते ही उसकी नज़र सामने रखी कुर्सी पर गई और कुर्सी पर बैठे शख्स को देख कर उसकी एक घुटी हुई सी चीख निकल गई.

“त...तुम... म..में..मेरा मतलब .... अ...आ...आप?!!!”

आगंतुक मुस्कराते हुआ बोला,

“हाँ.. मैं..दत्ता.. इंस्पेक्टर दत्ता.. मुझे भूले तो नहीं होगे तुम...”

“न..नहीं...”

“गुड.. आओ गोविंद.. तुमसे कुछ बात करनी है.. आराम से.”

बगल में ही रखे एक कुर्सी की ओर इशारा करते हुए दत्ता ने कहा.

क्रमशः

****************************
Reply


Messages In This Thread
RE: Kamukta kahani अनौखा जाल - by desiaks - 09-12-2020, 01:07 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,458,436 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,588 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,214,903 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 918,707 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,628,527 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,060,730 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,916,644 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,943,797 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,988,006 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,826 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)