RE: DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
सालों पहले की बात है। कर्नल साहब की शादी भी तो ऐसे ही हुई थी। एक समारोह में युवा कर्नल की जब ज्योति से पहली बार मुलाक़ात हुई तो उनमें ज्यादा बात नहीं हो पायी थी। किसी पारस्परिक दोस्त ने उनका एक दूसरे से परिचय करवाया और बस। पर उनकी आंखें जरूर मिलीं। और आँखें मिलते ही आग तो दोनों ही तरफ से लगी। कर्नल साहब को ज्योति पहली नजर में ही भा गयी थी। ज्योति की आँखों में छिपी चंचलता और शौखपन जसवंत सिंह के दिल को भेद कर पार गयी थी। ज्योति के बदन को देखकर उनपर जैसे बिजली ही गिर गयी थी। कई दिन बीत गए पर उन दोनों की दूसरी मुलाक़ात नहीं हुई।
जसवंत सिंह की नजरें जहां भी आर्मी वालों का समारोह या प्रोग्राम होता था, ज्योति को ढूंढती रहती थीं। ज्योति का भी वही हाल था।
ज्योति के नाक नक्श, चाल, वेशभूषा, बदन का आकार और उसका अल्हड़पन ने उन्हें पहेली ही मुलाक़ात में ही विचलित कर दिया। ज्योति ने भी तो कप्तान जसवंत सिंह (उस समय वह कप्तान जसवंत सिंह के नाम से जाने जाते थे) के बारे में काफी सुन रखा था।
जसवंत सिंह से ज्योति की दूसरी बार मुलाक़ात आर्मी क्लब के एक सांस्कृतिक समारोह के दौरान हुई। दोनों में परस्पर आकर्षण तो था ही। जसवंत सिंह ने ज्योति के पापा, जो की एक निवृत्त आर्मी अफसर थे, उनके निचे काफी समय तक काम किया था, उनके बारे में पूछने के बहाने वह ज्योति के पास पहुंचे। कुछ बातचीत हुई, कुछ और जान पहचान हुई, कुछ शोखियाँ, कुछ शरारत हुई, नजरों से नजरें मिली और आग दावानल बन गयी।
ज्योति जसवंत सिंह की पहले से ही दीवानी तो थी ही। बिच के कुछ हफ्ते जसवंत सिंह को ना मिलने के कारण ज्योति इतनी बेचैन और परेशान हो गयी थी की उस बार ज्योति ने तय किया की वह हाथ में आये मौके को नहीं गँवायेगी। बिना सोचे समझे ही सारी लाज शर्म को ताक पर रख कर डांस करते हुए वह जसवंत सिंह के गले लग गयी और बेतकल्लुफ और बेझिझक जसवंत सिंह के कानों में बोली, "मैं आज रात आपसे चुदवाना चाहती हूँ। क्या आप मुझे चोदोगे?"
जसवंत सिंह स्तंभित हो कर ज्योति की और अचम्भे से देखन लगे तो ज्योति ने कहा, "मैं नशे में नहीं हूँ। मैं आपको कई हफ़्तों से देख रही हूँ। मैंने आपके बारे में काफी सूना भी है। मेरे पापा आपके बड़े प्रशंषक हैं। आज का मेरा यह फैसला मैंने कोई भावावेश में नहीं लिया है। मैंने तय किया था की मैं आपसे चुदवा कर ही अपना कौमार्य भंग करुँगी। मैं पिछले कई हफ़्तों से आपसे ऐसे ही मौके पर मिलने के लिए तलाश रही ही।"
ज्योति की इतनी स्पष्ट और बेबाक ख्वाहिश ने जसवंत सिंह को कुछ भी बोल ने का मौक़ा नहीं दिया। वह ज्योति की इतनी गंभीर बात को ठुकरा ना सके। कप्तान जसवंत सिंह ने ने वहीँ क्लब में ही एक कमरा बुक किया। पार्टी खत्म होने के बाद ज्योति अपने माता और पिताजी से कुछ बहाना करके सबसे नजरें बचा कर जसवंत सिंह के कमरे में चुपचाप चली गयी। ज्योति की ऐसी हिम्मत देख कर जसवंत सिंह हैरान रह गए।
उस रात जसवंत सिंह ने जब ज्योति को पहली बार नग्न अवस्था में देखा तो उसे देखते ही रह गए। ज्योति की अंग भंगिमा देख कर उन्हें ऐसा लगा जैसे जगत के विश्वकर्मा ने अपनी सबसे ज्यादा खूबसूरत कला के नमूने को इस धरती पर भेजा हो। ज्योति के खुले, काले, घने बाल उसके कूल्हे तक पहुँच रहे थे। ज्योति का सुआकार नाक, उसके रसीले होँठ, उसके सुबह की लालिमा के सामान गुलाबी गाल उसके ऊपर लटकी हुई एक जुल्फ और लम्बी गर्दन ज्योति की जवानी को पूरा निखार दे रही थी।
लम्बी गर्दन, छाती पर सख्ती से सर ऊंचा कर खड़े और फुले हुए उसके स्तन मंडल जिसकी चोटी पर फूली हुई गुलाबी निप्पलेँ ऐसे कड़ी खड़ी थीं जैसे वह जसवंत सिंह को कह रही थीं, "आओ और मुझे मसल कर, दबा कर, चूस कर अपनी और मेरी बरसों की प्यास बुझाओ।"
पतली कमर पर बिलकुल केंद्र बिंदु में स्थित गहरी ढूंटी जिसके निचे थोड़ा सा उभरा हुआ पेट और जाँघ को मिलाने वाला भाग उरुसंधि, नशीली साफ़ गुलाबी चूत के निचे गोरी सुआकार जाँघें और पीछे की और लम्बे बदन पर ज़रा से उभरे हुए कूल्हे देख कर जसवंत सिंह, जिन्होंने पहले कई खूब सूरत स्त्रियों को भली भाँती नंगा देखा था, उनके मुंह से भी आह निकल गयी।
ज्योति भी जब कप्तान जसवंत सिंह के सख्त नग्न बदन से रूबरू हुई तो उसे अपनी पसंद पर गर्व हुआ। जसवंत सिंह के बाजुओं के फुले हुए डोले, उनका मरदाना घने बालों से आच्छादित चौड़ा सीना और सीने की सख्त माँस पेशियाँ, उनके काँधों का आकार, उनकी चौड़ी छाती के तले उनकी छोटी सी कमर और सबसे अचम्भा और विस्मयाकुल पैदा करने वाला उनका लंबा, मोटा, छड़ के सामान खड़ा हुआ लण्ड को देख कर ज्योति की सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी। ज्योति ने जो कप्तान जसवंत सिंह के बारे में सूना था उससे कहीं ज्यादा उसने पाया।
जसवंत सिंह का लण्ड देख कर ज्योति समझ नहीं पायी की कोई भी औरत कैसे ऐसे कड़े, मोटे, लम्बे और खड़े लण्ड को अपनी छोटी सी चूत में डाल पाएगी? कुछ अरसे तक चुदवाने के बाद तो शायद यह संभव हो सके, पर ज्योति का तो यह पहला मौक़ा था। जसवंत सिंह ने ज्योति को अपने लण्ड को ध्यान से ताकतें हुए देखा तो समझ गए की उनके लण्ड की लम्बाई और मोटाई देख कर ज्योति परेशान महसूस कर रही थी। जसवंत सिंह के लिए अपने साथी की ऐसी प्रतिक्रया कोई पहली बार नहीं थी।
उन्होंने ज्योति को अपनी बाँहों में लिया और उसे पलग पर हलके से बिठाकर कर ज्योति के सर को अपने हाथों में पकड़ कर उसके होँठों पर अपने होँठ रख दिए। ज्योति को जैसे स्वर्ग का सुख मिल गया। उसने अपने होँठ खोल दिए और जसवंत सिंह की जीभ अपने मुंह में चूस ली। काफी अरसे तक दोनों एक दूसरे की जीभ चूसते रहे और एक दूसरे की लार आपने मुंह में डाल कर उसका आस्वादन करते रहे।
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