RE: DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
जब सुनील ने ज्योति से बात शुरू की तब उसे पता चला की बाहर से एकदम गंभीर, संकोचशील और अमिलनसार दिखने वाली ज्योति वाकई में काफी बोल लेती थी और कभी कभी मजाक भी कर लेती थी। जब उन्होंने पोलिटिकल विज्ञान और इतिहास की बातें शुरू की तो ज्योति अचानक वाचाल सी हो गयी। सुनील को ऐसा भी लगा की शायद अपने पति कर्नल साहब के प्रति उनके मन में कुछ रंजिश सी भी है। सुनील ने मन ही मन तय किया की वह जल्द ही पता करेगा की उन दोनों में रंजिश का क्या कारण हो सकता था।
समय बीतता ही गया पर कर्नल साहब और सुनील की पत्नी सुनीता को जैसे समय का कोई पता ही नहीं था। कर्नल साहब की बातें ख़तम होने का नाम नहीं ले रही थीं और सुनीता एक के बाद एक बड़ी ही उत्सुकता से प्रश्न पूछ कर उनको गजब का प्रोत्साहन दे रही थी। इधर सुनील और ज्योति की बातें जल्द ही ख़त्म हो गयीं। सुनील अपनी घडी को और देखने लगा तब ज्योति ने एक बात कही जिससे शायद ज्योति की रंजिश के बारेमें सुनील को कुछ अंदाज हुआ।
कर्नल साहब की पत्नी ज्योति ने कहा, "इनका (कर्नल साहब का) व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा अनोखा है की कोई भी सुन्दर स्त्री से यह जब बात करने लगते हैं तब उनकी बातें ख़तम ही नहीं होतीं। और जब कोई सुन्दर स्त्री उनसे बात करने लगती है तो वह स्त्री भी उनसे सवाल पूछते थकती नहीं है। इनकी बातें ही इतनी रसीली और नशीली होती हैं की बस।"
सुनील कर्नल साहब की बीबी ज्योति की बात सुनकर समझ नहीं पाया की ज्योति अपने पति की तारीफ़ कर रही थी या शिकायत। जाहिर है की पत्नी कितनी ही समझदार क्यों ना हो, कहीं ना कहीं जब किसी और औरत के साथ अपने पति के जुड़ने की बात आती है तो वह थोड़ा नकारात्मक तो हो ही जाती है।
उनकी बात सुनकर सुनील हँस पड़ा और बोला, "देखिये ना ज्योति जी, हम दोनों भी तो काफी समय से बातचीत में इतने तल्लीन थे की समय का कोई ध्यान ही नहीं रहा। मैं भी आपके पति जैसा ही हूँ। बस एक फर्क है। आप जैसी खूबसूरत और सेक्सी औरत को देखकर मैं भी बोलता ही जा रहा हूँ। पर क्या इसमें मेरा कसूर है? कौन भला आपकी और आकर्षित नहीं होगा? मैं भी तो अपने आप पर नियत्रण नहीं रख पा रहा हूँ।" फिर थोड़ा रुक कर सुनील ने कहा, "ज्योति जी मेरी बात का कहीं आप बुरा तो नहीं मानेंगे ना?"
ज्योति ने सुनील की और शर्माते हुए तिरछी नज़रों से देखा और मुस्कुरायी और बोली, "वाह रे सुनील साहब! आप ने तो एक ही वाक्य में मुझे बहुत कुछ कह दिया! पहले तो आप ने बातों बातों में ही अपनी तुलना मेरे पति के साथ कर दी। फिर आपने मुझे सेक्सी भी कह डाला।और आखिर में आप ने यह भी कह दिया की आप मेरी और आकर्षित हैं। ज़रा ध्यान रखिये। आप कांटो की राह पर मत चलिए, कहीं पाँव में कांटें न चुभ जाएँ। आप का मुझे पता नहीं पर मेरे पति को आप नहीं जानते। वह इतने रोमांटिक हैं की अच्छी से अच्छी औरतें भी उनकी बातों में आ जाती हैं। देखिये कहीं आपकी पत्नी उनके चक्कर में ना फँसे।"
सुनील जोर से हँस पड़ा। उसने पट से जवाब दिया, "मुझे कोई चिंता नहीं है ज्योति जी। पहले तो मैं मेरी पत्नी को बहुत अच्छी तरह जानता हूँ। वह ऐसे ही किसीकी बातों में फँसने वाली नहीं है। दूसरे अगर मान भी लिया जाए की ऐसा कुछ हो सकता है तो आप हैं ना मेरा बीमा। अगर उन्होंने मेरी पत्नी को फाँस दिया तो वह कहाँ बचेंगे?" इतना कह कर सुनील चुप हो गया। ज्योति सुनील की बात जरूर समझ गयी होंगी, पर कुछ न बोली।
कर्नल साहब के घर पर हुई पहली मुलाकात के चंद दिन बाद सुनील की पत्नी सुनीता के पिता, जो एक रिटायर्ड आर्मी अफसर थे, का हार्ट अटैक के कारण अचानक ही स्वर्गवास हो गया। सुनीता का अपने पिता से काफी लगाव था। पिता के देहांत के पहले रोज सुनीता उनसे बात करती रहती थी। देहांत के एक दिन पहले ही सुनीता की पिताजी के साथ काफी लम्बी बातचीत हुई थी। पिताजी के देहांत का समाचार मिलते ही सुनीता बेहोश सी हो गयी थी। सुनील बड़ी मुश्किल से उसे होश में ला पाया था।
सुनीता के लिए यह बहुत बड़ा सदमा था। सुनीता की माताजी का कुछ समय पहले ही देहांत हुआ था। पिताजी ने कभी सुनीता को माँ की कमी महसूस नहीं होने दी। सुनील अपनी पत्नी सुनीता को लेकर अपने ससुराल पहुंचा। वहाँ भी सुनीता के हाल ठीक नहीं थे। वह ना खाती थी ना कुछ पीती थी। पिताजी के क्रिया कर्म होने के बाद जब वह वापस आयी तो उसका मन ठीक नहीं था। सुनील ने सुनीता का मन बहलाने की बड़ी कोशिश की पर फिर भी सुनीता की मायूसी बरकरार थी। वह पिता जी की याद आने पर बार बार रो पड़ती थी।
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