RE: DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
सुनीता की बात सुनकर सुनील की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा। काफी अरसे के बाद उस रात सुनीता ने अपने पति को सामने चलकर उसे चोदने के लिए आमंत्रित किया। सुनील के लिए यह एक चमत्कारिक घटना थी। सुनील सोचने लगा कहीं ना कहीं कर्नल साहब के बारे में हुई बात का यह असर है। इस का मतलब यह हुआ की सुनीता को कर्नल के बारेमें सेक्स सम्बन्धी बात करने से और उसे प्रोत्साहित करने से सुनीता के मन में भी सेक्सुअल उत्तेजना की चिंगारी काफी समय के बाद फिर भड़क उठी थी। इसके पहले सुनील की कई कोशिशों के बावजूद भी सुनीता का सेक्स करने का मूड नहीं बन पाता था।
सुनील ने जल्द ही अपने पाजामे के बटन खोल दिए और अपना लण्ड अपनी बीबी सुनीता के हाथों में दे दिया। सुनीता ने अपने पति का लण्ड सहलाते हुए उनसे पूछा, "सुनील डार्लिंग, क्या आप शिक्षक की इतनी ज्यादा एहमियत मानते है?"
सुनीता के हाथ में अपने लण्ड को सहलाते अनुभव कर सुनील ने मचलते हुए कहा, "हाँ, बिलकुल। मैं मानता हूँ की माँ के बाद शिक्षक की अहमियत सबसे ज्यादा है। माँ बच्चे को इस दुनिया में लाती है। तो शिक्षक उसको अज्ञान के अन्धकार से ज्ञान के प्रकाश मे ले जाता है। शिक्षक अपने शिष्य को ज्ञान की आँखें प्रदान करता है।
जहां तक आपका सवाल है तो जो विषय (मतलब गणित) आप का सर दर्द था और आप जिससे नफरत करते थे, अब आप उस विषय को प्यार करने लगे हो। जो अड़चन आपकी तरक्की में राह का अड़ंगा बना हुआ था, वह विषय अब आपकी तरक्की को आसान बना देगा। यह गुरु की उपलब्धि है।"
सुनीता ने यह सूना तो सुनील पर और भी प्यार उमड़ पड़ा। उसने बड़े चाव से अपने पति के लण्ड की त्वचा को अपनी मुट्ठी में पकड़ते हुए बड़ी ही कोमलता और स्त्री सुलभ कामुकता से प्यार से हिलाना शुरू किया। सुनील की उत्तेजना बढ़ती गयी। वह अपने आप पर नियत्रण नहीं रख पा रहा था। सुनील का उन्माद और उत्तेजना देख कर सुनीता और भी प्रोत्साहित हुई।
सुनीता ने झुक कर सुनील के लण्ड के चारों और की त्वचा को अपने दूसरे हाथ से सहलाया और झुक कर अपने पति के लण्ड को चूमा। यह महसूस कर सुनील और उन्मादित होने लगा। सुनीता ने अपने पति के लण्ड के अग्रभाग को जब अपने होँठों के बिच लिया तो सुनील उन्माद के चरम पर पहुँच रहा था। उसकी रूढ़िग्रस्त पत्नी उसे वह प्यार दे रही थी जो शायद उसने पहले उसे कभी नहीं दिया।
सुनील भी अपनी कमर को ऊपर उठाकर अपने पुरे लण्ड को अपनी बीबी के होँठों की कोमलता को अनुभव करा ने के लिए व्याकुल हो रहा था। सुनीता ने और झुक कर अपने पति के लण्ड का काफी हिस्सा अपने होँठों के बिच लेकर वह उस लण्ड की कोमल त्वचा को अपने होँठों से ऐसे सहलाने लगी जैसे वह अपने होँठों से ही अपने पति के लण्ड को मुठ मार रही हो। सुनीता ने धीरे धीरे सुनील के लण्ड को मुंह से अंदर बाहर करने की गति तेज कर दी। सुनीता के घने बाल सुनील की कमर और जाँघों पर हर तरफ बिखर रहे थे और एक गज़ब का उन्माद भरा दृश्य पेश कर रहे थे।
सुनील अपना नियत्रण खो चुका था। अब उससे रहा नहीं जा रहा था। सुनील ने अत्योन्माद में अपनी पत्नी के सर पर अपना हाथ रखा। सुनीता के सर के साथ साथ सुनील का हाथ भी ऊपर निचे होने लगा। अचानक ही सुनील के दिमाग में जैसे एक बम सा फटा और एक जोशीले उन्माद से भरा उसके लण्ड के महिम छिद्र से उसके पौरुष का फव्वारा फुट पड़ा।
अपनी पत्नी के चेहरे, होँठ, गाल और गर्दन पर फैले हुए अपने वीर्य को देख सुनील गदगद हो उठा। कई बार अपनी पत्नी को कितनी मिन्नतें करने के बाद भी सुनील अपनी पत्नी को मौखिक चुदाई करने के लिए तैयार नहीं कर पाता था। पर उस रात सुनीता ने स्वतः ही सुनील के लण्ड को चूस कर उसका वीर्य निकाल कर उसे मंत्रमुग्ध कर दिया था।
सुनील समझ ने कोशिश कर रहा था की इसका क्या ख़ास कारण था। सुनील को लगा की कहीं ना कहीं कर्नल साहब का भी कुछ ना कुछ योगदान इसमें था जरूर। दोनों पति पत्नी इतनी मशक्कत करने के बाद आराम के लिए बिस्तर पर कुछ देर तक चुपचाप पड़े रहे। सुनीता ने अपना गाउन अपनी जाँघों के भी ऊपर किया और अपने पति की दोनों टांगों को अपनी टांगों में लेकर बोली, "पति देव, कैसा लगा?"
सुनील की आँखें तो अपनी बीबी की नंगी चूत देख कर वहाँ से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी। सुनीता ने जानबूझ कर अपनी खूबसूरत हलके बालों को सावधानी से छँटाई कर सजी हुई चूत अपने पति के दर्शन के लिए खोल दी थी। सुनीता बड़े ही रूमानी मूड़ में थी। उसकी चूत अपने पति से अच्छी खासी चुदाई करवाने की इच्छा से मचल रही थी। उसकी चूत की फड़कन रुकने का नाम नहीं ले रही थी।
अब उसे अपने पति को दोबारा तैयार करना था। पति का हाल में स्खलन हुआ था और अब उसके लिए तैयार होना शायद मुश्किल ही था। पर सुनीता को चुदाई की जबरदस्त ललक लगी थी। वह अपने पति का लंबा और मोटा लण्ड से अपनी चूत की प्यास को शांत करने की फ़िराक में थी।
काफी समय के बाद अपनी पत्नी की ऐसी ललक सुनील को काफी रोमांचित कर उठी। सुनील को याद नहीं था की पिछली बार कब उनकी पत्नी इतनी उत्तेजित हुई थी। उन्होंने जहां तक याद था उसे कभी भी इस तरह चुदाई के लिए बेबाक नहीं पाया था। क्या कर्नल साहब की बात सुनकर वह ऐसी उत्तेजित हो गयी थी? या फिर अपने पति पर ज्यादा ही प्यार आ गया, अचानक?
खैर जो भी हो। सुनील को भी अपनी पत्नी को इतना गरम देख कर उत्तेजना हुई। उपरसे सुनीता उनका लण्ड जो इतने प्यार से सेहला रही थी उसका असर तो होना ही था। सुनील का लण्ड कड़क होने लगा। जैसे सुनील का लण्ड कड़क होने लगा वैसे वैसे सुनीता ने भी सुनील के लण्ड को हिलाने की फुर्ती बढ़ा दी। देखते ही देखते सुनील का लण्ड एक बार फिर एकदम सख्त और ठोस हो गया। अब उसमें टिकने की क्षमता भी तो ज्यादा होने वाली थी, क्यूंकि एक बार झड़ने के बार वीर्य स्खलन होने में भी थोड़ा समय तो लगता ही है।
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