DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
09-13-2020, 12:19 PM,
#19
RE: DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
सुनीता का मन किया की वह उन बाजुओं के स्नायुओँ को सहलाकर महसूस करे। नियमित व्यायाम करने के कारण सुनीता फिटनेस की हिमायती थी। उसे कड़े बदन वाले कर्नल साहब के मरदाना बाजु आकर्षक लगे। उसने अपना हाथ कर्नल साहब के डोले पर फिराते हुए पूछ ही लिया, "जस्सूजी, आपके डोले तो वाकई बॉलीवुड हीरो की तरह हैं। क्या आप वजन उठाने की कसरत भी करते हैं?"

कर्नल साहब सुनीता की नजर देख कर थोड़े से खिसिया गए पर फिर अपने आपको सम्हालते हुए बोले, "मैं जिम में रोज एक घंटा वेट ट्रेनिंग करता हूँ।"

करीब आधे घंटे के सफर के दौरान कर्नल साहब की बाजुएँ बार बार सुनीता की छाती और स्तनों से टकराती रहीं। सुनीता को नहीं समझ आ रहा था की वह सहज रूप से ही था या फिर जान बूझकर। सुनीता को भी अपने अंदर एक अजीब सी उत्तेजना महसूस हो रही थी। उसे जस्सूजी की यह हरकत अगर जानी समझी हुई भी थी तो भी अच्छा लग रहा था। वह चुपचाप जैसे उसे पता ही नहीं था ऐसे उस हरकतों को महसूस करती हुई बैठी रही।

ना चाहते हुए भी सुनीता की नजर कर्नल साहब की टांगों के बिच बरबस ही जा पहुंची। उसके बदन में कंपकंपी फ़ैल गयी जब उसने देखा की कर्नल साहब के इतने मोटे जीन्स में से भी उनके लण्ड के खड़े हो जाने से उनके पॉंवों के बिच जैसे एक तम्बू सा फुला हुआ दिखाई पड़ रहा था। इससे सुनीता के लिए यह अंदाज करना कठिन नहीं था की कर्नल साहब का लण्ड काफी मोटा, लंबा और कड़क होगा।

कर्नल साहब की जाँघों से जाँघें टकराते हुए कहीं ना कहीं सुनील की पत्नी सुनीता मन ही मन में यह सोचने लगी की जिनकी बाँहें इतनी करारी और और जांघें इतनी सख्त हैं, जिनका बदन इतना लम्बा, पतला और चुस्त है तो उनका लण्ड कैसा मोटा और कितना बड़ा होगा! जब वह अपनी बीबी को चोदते होंगे तब वह उनके लण्ड को अपनी चूत में डलवा कर कैसा महसूस करती होगी! यह सोच कर सुनीता के बदन में एक रोमांचक सिहरन फ़ैल गयी, फिर अपने आप पर तिरस्कार करती हुई सोचने लगी, "मेरे मन में ऐसे घटिया विचार क्यों आते हैं?"

स्टेशन पर भी जब अपने पति सुनील को नहीं देखा तो सुनीता के मन में अजीब से विचार आने लगे। इधर वह कर्नल साहब के बारे में उलटा पुल्टा सोच रही थी तो कहीं ऐसा तो नहीं की सुनील कर्नल साहब की बीबी ज्योति के साथ कुछ हरकत ना कर रहें हों?

कर्नल साहब ने सुनीता का हाथ थामा और स्टेशन से जब बाहर निकले तो पाया की बारिश की बूँदाबाँदी शुरू हो गयी थी और मौसम भी कुछ ठंडा हो गया था।

सुनीता बारिश से अपने आप को बचाने की कोशिश करने लगी। यह देख कर कर्नल साहब ने अपना आधी आस्तीन वाला जैकेट खोल दिया और सुनीता के सर पर रख उसके कन्धों पर डाल दिया। दोनों ही हाथ में हाथ थामे स्टेशन से बाहर निकल कर रास्ते पर आये तब सुनीता ने अपने पति सुनील को ज्योति के साथ स्टेशन के सामने ही एक छोटी सी चाय की दूकान पर चाय पीते हुए बातें करते देखा। वह दोनों कर्नल साहब और सुनीता का इंतजार कर रहे थे।

जैसे ही सुनीता ने अपने पति सुनील और कर्नल साहब की पत्नी ज्योति को देखा की तुरंत कर्नल साहब का हाथ छुड़ा कर सुनीता फ़ौरन अपने पति सुनील के पास पहुँच कर उनसे थोड़ा सा चिपक कर खड़ी हुई।

सुनील ने अपनी पत्नी की और देखा और पूछा, "क्या बात है, जानू तुम थोड़ी परेशान सी लग रही हो?"

उसकी बात सुनकर फ़ौरन कर्नल साहब की पत्नी ज्योति ने शरारती ढंग से पूछा, "सुनीता, तुम्हें कहीं मेरे पति ने रास्ते में परेशान तो नहीं किया?"

सेहमी हुई सुनीता थोड़ा सा शर्म के मारे बोली, "नहीं दीदी ऐसी कोई बात नहीं। पर ट्रैन में बड़ी भीड़ थी।"

ज्योति और सुनील कोई बात पर कुछ बहस कर रहे थे। ज्योति ने सुनील को बिच में ही रोक कर अपने पति कर्नल साहब को पूछा, "आप दोनों चाय पिएंगे क्या?"

कर्नल साहब ने दो टिकट सुनील के हाथ में थमाते हुए कहा, "हम चाय पी कर आते हैं। आप दोनों चलिए, अपनी बातें करते रहिये पर जल्दी हॉल पहुँच कर सीट ब्लॉक कर दीजिये। हम चाय पी कर आपको जल्दी ही हॉल में मिलते हैं।"

सुनील और कर्नल साहब की पत्नी ज्योति बातें करते हुए चल दिए। हॉल में पहुँचते ही, आखिरी लाइन में कोने की चार सीट देख कर सुनील आखिरी कोने वाली सीट पर बैठ गए। उनके पास कर्नल साहब की पत्नी ज्योति बैठ गयी। उनके पीछे आने जाने की लिए पैसेज था। हॉल काफी भर चुका था। एक दो इधर उधर सीटों को छोड़ कार कहीं खाली सीटें नहीं दिख रही थीं। थोड़ी ही देर में कर्नल साहब और सुनील की पत्नी सुनीता भी पहुंच गए। सुनीता ने देखा की उसे कर्नल साहब के साथ बैठना पडेगा। तो वह अपने पति की और देखने लगी। सुनील कर्नल साहब की पत्नी ज्योति से बातें करने में मशगूल थे। सुनील ने देखा की उनकी पत्नी सुनीता उनसे कुछ इशारे कर रही थी। सुनील ने सुनीता को पीछे के पैसेज से उसको अपने पास आने को कहा। सुनीता उठ कर सुनील की सीट के पीछे आयी।

सुनीता ने अपने पति सुनील से कान में फुसफुसाते हुए कहा (जिससे ज्योति उनकी बातें ना सुन सके), "अरे मेरे साथ तो कर्नल साहब बैठेंगे। आप कहा इतनी दूर बैठ गए? आपको मेरे साथ बैठना चाहिए था ना? आप तो कह रहे थे पिक्चर सेक्सी है तो फिर मैं कर्नल साहब के पास कैसे बैठ सकती हूँ?"

सुनील ने अपनी पत्नी से बड़ी धीरज के साथ कहा, जाने मन, तुम कह रही थी ना, तुम्हें अंग्रेजी भाषा समझ ने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है। तो कर्नल साहब और उनकी पत्नी ज्योति तुम्हारी दोनों तरफ बैठे हैं। तुम जब चाहे उनसे जो समझ ना आये वह पूछ सकती हो। जहां कर्नल साहब से पूछने में झिझक होती हो तो ज्योति जी दुसरी और बैठे हैं, उनसे पूछ लेना। वह तुम्हें सब समझा देंगे। देखो मैं भी इतनी जीभ तोड़ मरोड़ कर बोलने वाली अंग्रेजी, जैसे यह लोग पिक्चर में बोलते हैं, नहीं समझ पाता हूँ। इसी लिए मैं भी ज्योतिजी के पास बैठा हूँ।"

सुनीता को मन में शक हुआ की कहीं ऐसा तो नहीं की अपने पति सुनील ही ज्योति जी के साथ बैठने के लिए यह तिकड़म कर रहें हों? पर उस समय ज्यादा सोचने का समय नहीं था सुनीता ने फिर अपने पति के कानों में कहा, "अँधेरे में कहीं कुछ गड़बड़ हो गयी तो? तुम भी जानते हो की कर्नल साहब ज़रा ज्यादा ही रोमांटिक हैं। वह कहीं उत्तेजित हो गए तो मैं क्या करुँगी?"

सुनील ने अपनी बीबी की बातों को रद्द करते हुए कहा, "तुम क्यों सोचती हो की ऐसा कुछ होगा? और क्या हो सकता है? ज्यादा से ज्यादा वह तुम्हें छू ही लेंगे ना? उन्होंने तुम्हें इधर उधर छुआ तो कई बार है। तो फिर इतना क्यों घभड़ा रही हो? देखो, वह तुम्हारे लिए इतनी महेनत करते हैं। तो तुम क्यों इतनी परेशान होती हो? अगर मान लो उन्होंने तुम्हें कहीं छू लिया तो क्या हो जाएगा? जहां तक मैं जानता हूँ वह पैसे तो लेंगे नहीं। तो फिर और हम उनके लिए क्या कर सकते हैं? तुम निश्चिन्त हो कर बैठो। अगर तुम अब यह सीट बदलोगी तो हो सकता है उनको बुरा लगे। अगर वह नाखुश हो तो वह अच्छी बात नहीं। मेरा ऐसा मानना है की एक अच्छी विद्यार्थीनी की तरह तुम्हें उन्हें खुश रखना चाहिए और उनके साथ प्यार से पेश आना चाहिए। बाकी तुम खुद समझदार हो। जैसा तुम्हे ठीक लगे करो।"
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