RE: DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
परदे पर लड़के और लड़की चुदाई करने लगे थे। कैमरा मेन इतनी खूबसूरती से पुरे दृश्य को पेश कर रहा था की हॉल में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसको उसका असर ना हुआ हो। सुनीता की उधेङबुन जारी थी। तब सुनीता का दुसरा हाथ कर्नल साहब की पत्नी ज्योति ने पकड़ा। सुनीता ने मुड़कर ज्योति की और देखा तो सुनीता को अंदेशा हुआ की हालांकि ज्योतिजी शॉल से ढकी हुई तो थी, पर उनकी शॉल के निचे उनकी छाती पर कुछ हलचल हो रही थी। ज्योतिजी का एक हाथ सुनीता के हाथ पर था। ज्योतिजी का दुसरा हाथ दूसरी और था। तो जाहिर था की वह ज्योति की छाती पर हो रही हलचल सुनीता के पति सुनील के हाथ से ही हो रही होगी।
ज्योति ने अपने पति को सुनील जी की पत्नी और खींचते हुए महसूस किया। चाहते हुए भी वह कुछ कर नहीं सकती थी। पर दूसरी और सुनीता के पति सुनील के आकर्षक व्यक्तित्व ने उसका मन जित लिया था। सुनील जी के विचारों और उनकी लेखनी की वह दीवानी थी। जब सुनील जी का हाथ कर्नल साहब की पत्नी ज्योति ने अपनी छाती पर सरकते हुए महसूस किया तो वह रोमांच से काँप उठी। शादी के बाद पहली बार किसी गैर मर्द ने ज्योति के स्तनों को छुआ था। ज्योति सुनील जी के हाथों से अपने स्तनों को सेहलवाने से रोक ना पायी।
सुनील को ज्योति की और से कोई रोकटोक नहीं हुई तो सुनील को समझने में देर नहीं लगी ज्योतिजी चाहती थी की सुनील उनके स्तनों को सहलाये। सुनील बेबाकी से ज्योति के स्तनों को पहले हलके से सहलाने और फिर उन्हें अपनी उँगलियों से दबाने और मसलने लगा। उसे लगा की कर्नल साहब की पत्नी ने उन्हें पूरी छूट देदी थी। सुनील ने अपने दोस्त की पत्नी ज्योति का हाथ भी अपनी जाँघों के बिच में धीरे से रख दिया। एक तो पिक्चर के उन्माद भरे दृश्य, ऊपर से ज्योति की उँगलियों का सुनील के लंड के साथ उसकी पतलून के ऊपर से खेलना, सुनील के लिए भी उत्तेजना और उन्माद का विषय था।
तो दूसरे छौर पर सुनील की पत्नी सुनीता परेशान हो गयी की वह करे तो क्या करे? सुनीता के हाथ की उंगलियां कर्नल साहब के फुले हुए लण्ड की फनफनाहट को महसूस कर रहीं थीं। परदे पर अब कुछ गंभीर दृश्य आने लगे। लड़के और लड़की ने शादी कर ली थी। और दोनों बड़ी ही उछृंखलतासे अपने बैडरूम में चुदाई कर रहे थे। लड़की इतने जोर से कराह रही थी की उनका एक पडोशी युवक बेचारा लेटा हुआ उस युगल की चुदाई की कराहट सुनकर अपने हाथों से मुठ मार रहा था।
ऐसे कामोत्तेजक दृश्य देखकर सुनीता को समझ नहीं आ रही थी की वह दिल की बात सुने या दिमाग की। सुनीता की एक और कर्नल साहब थे और दूसरी और ज्योतिजी। कर्नल साहब का लण्ड ऊके पतलून में एक बड़ा सा तम्बू बना रहा था। सुनीता की उँगलियों से वह लगभग सटा हुआ था। तम्बू देख कर ही सुनीता को अंदाज हो गया था की कर्नल साहसब का लण्ड छोटा नहीं होगा। जिस तरह कर्नल साहब परदे के दृश्य देख कर मचल रहे थे साफ था की उनके लण्ड में काफी हलचल हो रही थी।
दूसरी और ज्योति जी सुनीता का हाथ दबा रही थी। सुनीता समझ गयी की ज्योति जी भी काफी गरम हो रही थी। उन्होंने सुनीता का हाथ इतनी ताकत से दबाया था की सुनीता को ऐसा लगा जैसे परदे के दृश्य के अलावा भी ज्योतिजी को कुछ कुछ हो रहा था। सुनीता ने अपने पति सुनील की और देखना चाहा पर वह साफ़ दिखाई नहीं दे रहे थे।
परदे पर दोनों पति पत्नी कार में कहीं जा रहे थे की उनकी कार का भयानक एक्सीडेंट हुआ और
उस एक्सीडेंट में लड़के को सर पर काफी चोट लगी जिसके कारण उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। लड़की कार में से उछल कर बाहर गिर गयी पर उसे भी चोट आयी पर वह हॉस्पिटल में ठीक होने लगी।
उनके पडोसी युवक ने दोनों पति पत्नी की हॉस्पिटल में काफी देखभाल की। वह उनके लिए खाना लाता था और लड़की के ठीक होने पर वह उसके पति की देख भाल में पूरी रात बैठा रहता था। डॉक्टरों ने लड़की से कहा की उसके पति का मानसिक संतुलन ठीक हो सकता है अगर उसकी प्यार से परवरिश की जाए और उसे प्यार दिया जाए।
मानसिक असन्तुलन के कारण लड़की के पति की सेक्स की भूख एकदम बढ़ गयी थी। उसे सेक्स करने की इच्छा दिन ब दिन प्रबल होती जा रही थी। वह सुबह हो या दुपहर, शाम हो या रात लड़की का पति लड़की को बड़ी ही असंवेदनशीलता से यूँ कहिये की असभ्यता से चोदता था। उसके चोदने में कोमलता, प्यार और संवेदनशीलता नहीं होती थी। लड़की भी अपने पति के जुर्म इस उम्मीद में सहन कर लेती थी की कभी ना कभी वह ठीक हो जाएगा।
हॉस्पिटल से घर आने के बाद पति का व्यवहार अपनी पत्नी के साथ बड़ा ही असभ्य था। वह उसे चुदाई करते हुए मारता रहता था या फिर गालियां देता रहता था। पडोसी युवक सुनता पर क्या करता?
फिल्म में लड़की और उसके पति के चुदाई के द्रश्य भी अति उत्तेजक शैली से फिल्माए गए थे जिसके कारण देखने वालों की हालत पतली हो रही थी। सुनील ने भी कर्नल साहब की पत्नी का हाथ पकड़ा हुआ था और उसे खिंच कर अपने लण्ड पर रख दिया था। ज्योति ने सुनील का लण्ड का फुला हुआ हिस्सा पतलून के ऊपर से महसूस किया तो वह भी अपने आपको रोक ना सकी और उसने सुनील के लण्ड को पतलून के ऊपर से पकड़ कर हिलाना शुरू किया। सुनील का हाथ कर्नल साहब की बीबी ज्योति की गोद में खेल रहा था।
परदे पर हर पल बढ़ते जाते उत्तेजक दृश्य से सुनील और ज्योति की धड़कनों की रफ़्तार धीमा होने का नाम नहीं ले रही थी। सुनीलजी का हाथ अपनी गोद में महसूस कर ज्योति के ह्रदय की धड़कनें इतने जोर से धड़क रहीं थीं की ज्योति डर रही थी की कहीं उसकी नसें इस उत्तेजना में फट ना जाएँ। उसी उत्तेजना में ज्योति सुनीलजी के लण्ड को पतलून के ऊपर से ही धीरे से सेहला रही थी। शायद उसे सुनील जी को अपने मन की बात का संकेत देना था।
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