RE: DesiMasalaBoard साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन
सुनील भी तो अपनी पत्नी को चोदने के लिए पागल हो रहा था। सुनील ने झट से अपना पयजामा और कुरता निकाल फेंका और फुर्ती से अपनी बीबी की टाँगें चौड़ी कर के उसके बिच में अपनी बीबी की प्यारी छोटी सी चूत को बड़े प्यार से निहारने लगा। सालों की चुदाई के बावजूद भी सुनीता की चूत का छिद्र वैसा ही छोटा सा था। उसे चोद कर सुनील को जो अद्भुत आनंद आता था वह वही जानता था। सुनीता को जब सुनील चोदता था तो पता नहीं कैसे सुनीता अपनी चूत की दीवारों को इतना सिकुड़ लेती थी की सुनील को ऐसा लगता था जैसे उसका लण्ड सुनीता की चूत में से बाहर ही नहीं निकल पायेगा।
सुनीता की चूत चुदवाते समय अंदर से ऐसी गजब की फड़कती थी की सुनील ने कभी किसी और औरत की चूत में उसे चोदते समय ऐसी फड़कन नहीं महसूस की थी।
सुनील के मन की इच्छा थी की जो आनंद वह अनुभव कर रहा था उस आनंद को कभी ना कभी जस्सूजी भी अनुभव करें। पर सुनील यह भी जानता था की उसकी बीबी सुनीता अपने इरादों में पक्की थी। वह कभी भी किसी भी हालत में जस्सूजी या किसी और को अपनी चूत में लण्ड घुसा ने की इजाजत नहीं देगी। इस जनम में तो नहीं ही देगी।
सुनील ने फिर सोचा, क्या पता उस बर्फीले और रोमांटिक माहौल में और उन खूबसूरत वादियों में शायद सुनीता को जस्सूजी पर तरस ही आ जाये और अपनी माँ को दिया हुआ वचन भूल कर वह जस्सूजी को उसे चोदने की इजाजत देदे। पर यब सब एक दिलासा ही था। सुनीता वाकई में एक जिद्दी राजपूतानी थी। सुनील यह अच्छी तरह जानता था। सुनीता जस्सूजी के लिए कुछ भी कर सकती थी पर उन्हें अपनी चूत में लण्ड नहीं डालने देगी।
बस जस्सूजी का लण्ड सुनीता की चूत में डलवाने का एक ही तरिका था और वह था सुनीता को धोखेमें रख कर उसे चुदवाये। जैसे: उसे नशीला पदार्थ खिला कर या शराब के नशे में टुन्न कर या फिर घने अँधेरे में धोखे से सुनीता को सुनील पहले खुद चोदे और फिर धीरे से जस्सूजी को सुनीता की टांगों के बिच ले जाकर उनका लण्ड अपनी पत्नी की चूत में डलवाये। सुनीता जस्सूजी को अपना पति समझ कर चुदवाये तब तो शायद यह हो सकता था। पर ऐसा करना बड़ा ही खतरनाक हो सकता था। सुनीता जस्सूजी का लण्ड को महसूस कर शायद समझ भी जाए की वह उसके पति का लण्ड नहीं है। सुनील कतई भी इसके पक्ष में नहीं था और वह ऐसा सोचने के लिए भी अपने आपको कोसने लगा।
खैर, जस्सूजी से अपनी बीबी सुनीता को चुदवाने की बात सोचकर सुनील का लण्ड भी फुफकारने लगा। सुनील ने फिर एक नजर अपनी बीबी सुनीता की चूत को देखा और धीरे से अपना लण्ड सुनीता की दोनों टांगों के बिच रखा और हलके हलके उसे उसकी सतह पर रगड़ने लगा। सालों के बाद भी सुनील अपनी बीबी की चूत का कायल था। पर वह यह भी जानता था की सुनीता की चूत में पहली बार लण्ड डालते समय उसे काफी सावधानी रखनी पड़ती थी। चूत का छिद्र छोटा होने के कारण लण्ड को पहेली बार चूत में घुसाते समय उसे अपने पूर्व रस को लण्ड पर अच्छी तरह लपेट कर उसे स्निग्ध बना कर फिर धीरे धीरे सुनीता के प्रेम छिद्र में घुसाना और फिर सुनीता की चूत की सुरंग में उसे आगे बढ़ाना था। थोड़ी सी भी जल्दी सुनीता को काफी दर्द दे सकती थी।
अपने पति सुनील की उलझन सुनीता देख रही थी। सुनीता ने प्यार से अपने पति का लण्ड अपनी उँगलियों में पकड़ा और खुद ही उसे अपनी चूत की होठोँ पर हलके से रगड़ कर उन्हें थोड़ा खोल कर लण्ड के लिए जगह बनायी और अपने पति का लण्ड अपनी चूत में घुसेड़ कर अपने पति को इंगित किया की वह अब धीरे धीरे उसे अंदर घुसेड़े और और उसे चोदना शुरू करे।
सुनीलजी ने अपना लण्ड घुसेड़ कर हलके हलके धक्का देकर अपनी बीबी को चोदना शुरू किया। शुरुआत का थोड़ा मीठा दर्द महसूस कर सुनीता के मुंह से हलकी सिसकारियां निकलने लगीं। धीरे धीरे सुनीलजी ने अपनी पत्नी सुनता को चोदने के गति तेज की। सुनीता भी साथ साथ अपना पेडू ऊपर की और उठाकर अपने पति को चोदने में सहायता करने लगी।
सुनीता की चूत स्निग्धता से भरी हुई थी और इस कारण उसे ज्यादा दर्द नहीं हुआ। सुनील जी को अपनी बीबी को चोदे हुए कुछ दिन हुए थे और इस लिए वह बड़े मूड़ में थे। सुनीलजी और उनकी बीबी सुनीता के बिच में हुए जस्सूजी के वार्तालाप के कारण दोनों पति पत्नी काफी गरम थे। सुनीता अपने मन में सोच रही थी की उसकी चूत में अगर उस समय जस्सूजी का लण्ड होता तो शायद उसकी तो चूत फट ही जाती।
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